Panchanguli mantra for protection & face prediction
पंचांगुली माता मंत्र
पंचांगुली माता का मंत्र, ये शक्तिशाली मंत्र माना जाता है जो देवी पंचांगुली को प्रसन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह मंत्र साधक को दिव्य द्रष्टी प्रदान करने की क्षमता, शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है। पंचांगुली साधना एक शक्तिशाली और रहस्यमय साधना है जो प्राचीन भारतीय तंत्र में विशेष महत्व रखती है। यह साधना मुख्य रूप से हाथ की पांचों अंगुलियों से संबंधित है, जो पांचों तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस साधना का उद्देश्य साधक को गुप्त विद्याओं का ज्ञान प्रदान करना और उसकी मानसिक शक्तियों को जागृत करना है। यह साधना उन लोगों के लिये बहुत जरूरी है जो एस्ट्रोलोजी, पामेस्ट्री, रेकी, प्रानिक हीलिंग, टैरो रीडिंग, एंजल थेरिपी, किसी भी तरह का अध्यात्मिक उपचार या अल्टरनेटिव उपचार के क्षेत्र मे हों
साधना का विवरण
पंचांगुली साधना में साधक को अपनी पांचों अंगुलियों की शक्ति को जागृत करने के लिए विशेष विधि और मंत्रों का पालन करना पड़ता है। यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी होती है जो ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, या किसी अन्य गुप्त विद्या में पारंगत होना चाहते हैं।
साधना की विधि
- स्थान और समय का चयन: यह साधना विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा, मंगलवार या शनिवार को की जाती है। इसे रात्रि के समय में करना अधिक प्रभावी माना जाता है।
- स्नान और वस्त्र: साधक को शुद्ध स्नान करके सफेद या पीले वस्त्र धारण करने चाहिए।
- पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके वहां पंचांगुली माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- आसन: साधक को कुश या ऊन के आसन पर बैठना चाहिए।
- सामग्री (समाग्री):
- पंचांगुली माता की प्रतिमा या चित्र
- पुष्प माला
- धूप, दीप, अगरबत्ती
- लाल या पीले कपड़े में बंधी हुई सुपारी
- सिंदूर, चावल, हल्दी
- नारियल, पान, सुपारी
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- फल, मिठाई, और नैवेद्य
मंत्र और पूजा विधि
- ध्यान और आवाहन: साधक को अपने मन को शांत करके ध्यान करना चाहिए और पंचांगुली माता का आवाहन करना चाहिए।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं पंचांगुले माता मम सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा
- दीप प्रज्वलन: दीपक जलाएं और धूप-दीप से माता का पूजन करें।
- मंत्र जप: साधक को निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए:
ॐ पंचांगुली सिद्धि सर्वकार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।
- नैवेद्य अर्पण: पंचामृत, फल, और मिठाई का नैवेद्य अर्पण करें।
- प्रसाद वितरण: साधना समाप्ति के बाद प्रसाद का वितरण करें।
साधना की अवधि
इस साधना को लगातार 21 दिनों तक किया जाता है। प्रतिदिन नियमित रूप से समय और विधि का पालन करना आवश्यक होता है।
मुहुर्थ– मंगलवार, गुरु पुष्य योग, रविपुष्य योग, पुर्णिमा.
दिन और समय
यह साधना मंगलवार या शनिवार को आरंभ की जाती है और रात्रि के समय में की जाती है।
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साधना के लाभ
- मानसिक शक्तियों का विकास: यह साधना साधक की मानसिक शक्तियों को जागृत करती है।
- गुप्त विद्याओं का ज्ञान: पंचांगुली साधना से ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, और अन्य गुप्त विद्याओं का ज्ञान प्राप्त होता है।
- भविष्यवाणी की क्षमता: साधक को भविष्य की घटनाओं का पूर्वाभास होता है।
- दृष्टि और श्रवण शक्तियों का विकास: साधना से दृष्टि और श्रवण शक्तियों में वृद्धि होती है।
- दुर्घटनाओं से सुरक्षा: साधक को दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह साधना साधक को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: साधना से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- चिंता और तनाव का निवारण: साधक को चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: यह साधना सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती है।
- सभी कार्यों में सफलता: साधक को सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
- धन और संपत्ति की वृद्धि: यह साधना धन और संपत्ति में वृद्धि करती है।
- शत्रुओं पर विजय: साधक को शत्रुओं पर विजय मिलती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: साधक का स्वास्थ्य सुधरता है।
- परिवार में सुख और शांति: साधना से परिवार में सुख और शांति का वास होता है।
- विद्यार्थियों के लिए लाभकारी: यह साधना विद्यार्थियों के लिए भी लाभकारी होती है।
- व्यवसाय में वृद्धि: साधक के व्यवसाय में वृद्धि होती है।
- यात्रा में सुरक्षा: यात्रा में साधक को सुरक्षा मिलती है।
- पारिवारिक कलह का निवारण: साधना से पारिवारिक कलह का निवारण होता है।
- संतान सुख: साधक को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- मंत्र शक्ति में वृद्धि: साधना से मंत्र शक्ति में वृद्धि होती है।
पंचांगुली साधना: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: पंचांगुली साधना क्या है?
उत्तर: पंचांगुली साधना एक प्राचीन तांत्रिक साधना है, जिसमें पंचांगुली देवी की पूजा और मंत्र जाप के माध्यम से साधक अपनी पांचों अंगुलियों की शक्ति को जागृत करता है। यह साधना ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान और अन्य गुप्त विद्याओं में पारंगत होने के लिए की जाती है।
प्रश्न 2: पंचांगुली साधना के लिए कौन सा दिन और समय सबसे उपयुक्त है?
उत्तर: पंचांगुली साधना के लिए अमावस्या, पूर्णिमा, मंगलवार या शनिवार का दिन और रात्रि का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
प्रश्न 3: पंचांगुली साधना के लिए क्या सामग्री आवश्यक है?
उत्तर: पंचांगुली साधना के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- पंचांगुली माता की प्रतिमा या चित्र
- पुष्प माला
- धूप, दीप, अगरबत्ती
- लाल या पीले कपड़े में बंधी हुई सुपारी
- सिंदूर, चावल, हल्दी
- नारियल, पान, सुपारी
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- फल, मिठाई, और नैवेद्य
प्रश्न 4: पंचांगुली साधना की अवधि कितनी होती है?
उत्तर: पंचांगुली साधना को लगातार 21 दिनों तक किया जाता है। प्रतिदिन नियमित रूप से समय और विधि का पालन करना आवश्यक होता है।
प्रश्न 5: पंचांगुली साधना का मंत्र क्या है?
उत्तर: पंचांगुली साधना का मुख्य मंत्र है:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं पंचांगुले माता मम सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा
प्रश्न 6: क्या पंचांगुली साधना के दौरान किसी विशेष वस्त्र को धारण करना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, पंचांगुली साधना के दौरान साधक को शुद्ध स्नान करके सफेद या पीले वस्त्र धारण करने चाहिए।
प्रश्न 7: पंचांगुली साधना के क्या लाभ हैं?
उत्तर: पंचांगुली साधना के कई लाभ हैं, जिनमें मानसिक शक्तियों का विकास, गुप्त विद्याओं का ज्ञान, भविष्यवाणी की क्षमता, दुर्घटनाओं से सुरक्षा, आध्यात्मिक उन्नति, आत्मविश्वास में वृद्धि, चिंता और तनाव का निवारण, सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह, सभी कार्यों में सफलता, धन और संपत्ति की वृद्धि, शत्रुओं पर विजय, स्वास्थ्य में सुधार, परिवार में सुख और शांति, विद्यार्थियों के लिए लाभकारी, व्यवसाय में वृद्धि, यात्रा में सुरक्षा, पारिवारिक कलह का निवारण, संतान सुख, और मंत्र शक्ति में वृद्धि शामिल हैं।
प्रश्न 8: पंचांगुली साधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: पंचांगुली साधना के दौरान साधक को अपने मन को शांत रखना चाहिए, ध्यान और आवाहन विधि का सही पालन करना चाहिए, मंत्र जाप में एकाग्रता बनाए रखनी चाहिए, और नियमों का पालन करना चाहिए। साधना के दौरान किसी भी प्रकार की नेगेटिविटी या अशुद्धि नहीं होनी चाहिए।
प्रश्न 9: क्या पंचांगुली साधना को किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, पंचांगुली साधना को किसी अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में करना अधिक लाभकारी होता है, क्योंकि गुरु के मार्गदर्शन में साधना विधि का सही पालन और मंत्र जाप में सफलता प्राप्त होती है।
प्रश्न 10: पंचांगुली साधना किसके लिए उपयुक्त है?
उत्तर: पंचांगुली साधना उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान, या किसी अन्य गुप्त विद्या में पारंगत होना चाहते हैं, या अपनी मानसिक शक्तियों को जागृत करना चाहते हैं। यह साधना विद्यार्थियों, व्यवसायियों, गृहस्थों, और साधकों के लिए भी लाभकारी होती है।
प्रश्न 11: क्या पंचांगुली साधना से सभी प्रकार के कार्य सिद्ध हो सकते हैं?
उत्तर: हाँ, पंचांगुली साधना से साधक को सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है, चाहे वह व्यक्तिगत हो, पारिवारिक हो, या व्यवसायिक हो।
प्रश्न 12: क्या पंचांगुली साधना में किसी प्रकार की बाधा आ सकती है?
उत्तर: साधना के दौरान मन को एकाग्र न रखने, नियमों का पालन न करने, या नेगेटिविटी के कारण बाधाएं आ सकती हैं। इसलिए साधक को पूर्ण ध्यान और श्रद्धा के साथ साधना करनी चाहिए।
प्रश्न 13: क्या पंचांगुली साधना से स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं?
उत्तर: हाँ, पंचांगुली साधना से साधक के स्वास्थ्य में सुधार होता है और उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
प्रश्न 14: पंचांगुली साधना के दौरान किस प्रकार के आसन पर बैठना चाहिए?
उत्तर: पंचांगुली साधना के दौरान साधक को कुश या ऊन के आसन पर बैठना चाहिए।
प्रश्न 15: क्या पंचांगुली साधना के लिए विशेष प्रकार के दीपक का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: पंचांगुली साधना के लिए साधक घी के दीपक का उपयोग कर सकता है, जो शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है।
प्रश्न 16: क्या पंचांगुली साधना के दौरान कोई विशिष्ट ध्यान मुद्रा अपनानी चाहिए?
उत्तर: हाँ, साधक को ध्यान मुद्रा में बैठकर अपने मन को शांत करना चाहिए और पंचांगुली माता का ध्यान करना चाहिए।
प्रश्न 17: पंचांगुली साधना में पंचांगुली माता का आवाहन कैसे किया जाता है?
उत्तर: पंचांगुली माता का आवाहन निम्न मंत्र से किया जाता है:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं पंचांगुली माता आयुष्मती मम सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।
प्रश्न 18: क्या पंचांगुली साधना के दौरान विशेष प्रकार के फूलों का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, पंचांगुली साधना के दौरान साधक को सफेद और पीले फूलों का उपयोग करना चाहिए।
प्रश्न 19: क्या पंचांगुली साधना के दौरान कोई विशेष प्रकार की मिठाई का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए?
उत्तर: साधक किसी भी शुद्ध और ताजे मिठाई का नैवेद्य अर्पण कर सकता है।
प्रश्न 20: क्या पंचांगुली साधना के दौरान साधक को मौन रहना चाहिए?
उत्तर: हाँ, साधना के दौरान मौन रहना अधिक लाभकारी होता है, क्योंकि यह मन को शांत और एकाग्र रखने में मदद करता है।
पंचांगुली साधना एक अत्यंत प्रभावी और लाभकारी साधना है, जो साधक को मानसिक, भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है। नियमित और सही विधि से इस साधना का पालन करने पर साधक को अवश्य ही सफलता प्राप्त होती है।