त्र्यंबक स्तोत्र- भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का शक्तिशाली स्तोत्र और इसके अद्भुत लाभ
त्र्यंबक स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति है। इसे शिव का अति प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है। त्र्यंबक का अर्थ है ‘तीन नेत्रों वाला’, जो भगवान शिव का एक नाम है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्त को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इस स्तोत्र का जप विशेषकर उन परिस्थितियों में किया जाता है जब किसी विशेष रोग या संकट से छुटकारा पाना हो।
त्र्यंबक स्तोत्र एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह स्तोत्र शिव की महिमा का वर्णन करता है और उनके विभिन्न रूपों की स्तुति करता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं।
संपूर्ण त्र्यंबक स्तोत्र
- ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मा*मृतात्॥
- ॐ नमः शिवाय सर्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय नमः।
- ॐ नमः शिवाय शान्ताय शंकराय शिवाय नमः।
- ॐ नमो भगवते रुद्राय।
- ॐ नमः शिवाय अचलेश्वराय चंद्रशेखराय शाश्वताय नमः।
त्र्यंबक स्तोत्र का अर्थ
- ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मा*मृतात्॥ अर्थ:
हम त्र्यंबक (तीन नेत्रों वाले शिव) की पूजा करते हैं, जो सुगंधित (आध्यात्मिक सुगंध) हैं और समृद्धि (पोषण) को बढ़ाते हैं। जैसे ककड़ी (उर्वारुक) अपने डंठल से अलग होती है, उसी प्रकार हम (जीवन-मृत्यु के) बंधनों से मुक्त हो जाएं और मोक्ष (अमरत्व) प्राप्त करें। - ॐ नमः शिवाय सर्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय नमः। अर्थ:
शिव, सर्वेश्वर, महादेव, और त्र्यंबक को नमस्कार है। - ॐ नमः शिवाय शान्ताय शंकराय शिवाय नमः। अर्थ:
शांत, कल्याणकारी और शिव को नमस्कार है। - ॐ नमो भगवते रुद्राय। अर्थ:
भगवान रुद्र को नमस्कार है। - ॐ नमः शिवाय अचलेश्वराय चंद्रशेखराय शाश्वताय नमः। अर्थ:
अचल (अविचलित) ईश्वर, चंद्रशेखर (चंद्र को मस्तक पर धारण करने वाले) और शाश्वत (अनंत) शिव को नमस्कार है।
स्तोत्र का महत्व:
त्र्यंबक स्तोत्र का पाठ करने से साधक को भगवान शिव की कृपा मिलती है, जो उसे जीवन की कठिनाइयों से मुक्त करती है। यह मन की शांति, शरीर का स्वास्थ्य और आत्मा की उन्नति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसका नियमित जप विशेषकर सोमवार, प्रदोष और महाशिवरात्रि जैसे पवित्र दिनों में करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है। इस स्तोत्र का जप करने से व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है, जो उसे नकारात्मक शक्तियों और विपत्तियों से बचाता है।
इस प्रकार, त्र्यंबक स्तोत्र भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण साधन है जो व्यक्ति को संपूर्णता और मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।
त्र्यंबक स्तोत्र के लाभ
- स्वास्थ्य में सुधार: जप से रोगों का नाश होता है।
- मानसिक शांति: मन को स्थिरता और शांति मिलती है।
- दीर्घायु: लंबी आयु और स्वस्थ जीवन का वरदान।
- भयमुक्ति: सभी प्रकार के भय और संकटों से मुक्ति।
- धन प्राप्ति: आर्थिक समृद्धि और उन्नति में सहायक।
- शत्रु बाधा निवारण: शत्रुओं से रक्षा और उनका नाश।
- संतान प्राप्ति: संतान सुख की प्राप्ति।
- शांति और समृद्धि: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति।
- विघ्नों का नाश: जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश।
- रोग निवारण: दीर्घकालिक और असाध्य रोगों का नाश।
- सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
- अकाल मृत्यु से रक्षा: अकाल मृत्यु से बचाव।
- मुक्ति: जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति।
- मानसिक संतुलन: मनोविकार और तनाव का नाश।
त्र्यंबक स्तोत्र का पाठ विधि
- दिन: सोमवार और प्रदोष तिथि को विशेष फलदायी।
- अवधि: ४१ दिनों तक नियमित जप करें।
- मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त में जप का विशेष महत्व।
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त्र्यंबक स्तोत्र के नियम
- पूजा विधि: शिवलिंग पर जल, दूध, और बिल्व पत्र अर्पित करें।
- गोपनीयता: साधना को गुप्त रखना चाहिए।
- स्वच्छता: स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
- स्थान: एकांत और पवित्र स्थान पर जप करें।
- आहार: सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
त्र्यंबक स्तोत्र में सावधानियां
- स्वच्छता का ध्यान: अपवित्र वस्त्र और स्थान से बचें।
- संकल्प और नियम का पालन: नियमितता बनाए रखें।
- नकारात्मकता से दूर: जप के दौरान मन को शांत और सकारात्मक रखें।
- साधना के दौरान व्रत: साधना के दौरान उपवास रखें।
त्र्यंबक स्तोत्र के प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: त्र्यंबक स्तोत्र क्या है?
उत्तर: त्र्यंबक स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति का शक्तिशाली मंत्र है, जो त्र्यंबक नाम से प्रसिद्ध है।
प्रश्न 2: त्र्यंबक स्तोत्र का महत्व क्या है?
उत्तर: यह स्तोत्र शिव की कृपा प्राप्त करने और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
प्रश्न 3: त्र्यंबक स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: इसे सोमवार, प्रदोष, और महाशिवरात्रि पर करना विशेष फलदायी होता है।
प्रश्न 4: इस स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
उत्तर: शुद्ध मन और शरीर के साथ, एकांत स्थान पर, शिवलिंग के समक्ष जप करें।
प्रश्न 5: त्र्यंबक स्तोत्र के जप का सर्वोत्तम समय क्या है?
उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त, जो प्रातःकाल 4 से 6 बजे के बीच होता है, सबसे उत्तम है।
प्रश्न 6: त्र्यंबक स्तोत्र का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: मानसिक शांति, रोगों का नाश, और दीर्घायु प्राप्त होती है।
प्रश्न 7: क्या त्र्यंबक स्तोत्र का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, लेकिन सोमवार और प्रदोष तिथि पर विशेष लाभ मिलता है।
प्रश्न 8: त्र्यंबक स्तोत्र का जप कितने दिन करना चाहिए?
उत्तर: इसे ४१ दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
प्रश्न 9: जप के दौरान किन वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: सफेद या पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए।
प्रश्न 10: त्र्यंबक स्तोत्र का पाठ करने से क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
उत्तर: जप के दौरान शुद्धता और मानसिक एकाग्रता का ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न 11: त्र्यंबक स्तोत्र का पाठ करने के लिए क्या कोई विशेष पूजन सामग्री चाहिए?
उत्तर: शिवलिंग, जल, बिल्व पत्र, दूध, और धूप-दीप का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 12: क्या त्र्यंबक स्तोत्र का पाठ गुप्त रूप से करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, साधना को गोपनीय रखना चाहिए ताकि ऊर्जा की शुद्धता बनी रहे