Saturday, December 21, 2024

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Santoshi Mata Vrat – Path to Prosperity

संतोषी माता व्रत – आस्था से करें अपनी मनोकामनाएं पूर्ण

संतोषी माता व्रत हिंदू धर्म में एक विशेष व्रत है, जिसे महिलाएँ और पुरुष अपने जीवन में शांति, सुख, समृद्धि, और संतोष पाने के लिए रखते हैं। संतोषी माता को संतोष, धैर्य और शांति की देवी माना जाता है। यह व्रत शुक्रवार को किया जाता है और विशेष रूप से वैवाहिक सुख, आर्थिक समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है।

संतोषी माता व्रत विधि

  1. शुक्रवार के दिन प्रातः स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. संतोषी माता की मूर्ति या चित्र के समक्ष धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें।
  3. “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं संतोषी मातायै नमः” मंत्र का जाप करें।
  4. संतोषी माता की आरती गाएं और उन्हें गुड़ और चने का भोग अर्पित करें।
  5. पूरे दिन व्रत रखें और शाम को कथा सुनकर व्रत का समापन करें।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

  • खाएं: गुड़, चने, फल, दूध, और सात्विक भोजन।
  • न खाएं: खटाई (नींबू, इमली, दही), तली-भुनी चीजें, और मांसाहार।

व्रत कब से कब तक रखें

संतोषी माता व्रत को किसी भी शुक्रवार से प्रारंभ किया जा सकता है। व्रत को 16 शुक्रवार तक लगातार रखा जाता है। यदि किसी कारण से व्रत नहीं कर पाते हैं, तो अगले शुक्रवार से फिर से व्रत कर सकते हैं।

संतोषी माता व्रत से लाभ

  1. जीवन में शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
  2. आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है।
  3. परिवार में प्रेम और सहयोग बढ़ता है।
  4. वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
  5. व्यवसाय में सफलता मिलती है।
  6. संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।
  7. मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
  8. रोगों से मुक्ति मिलती है।
  9. माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  10. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  11. निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है।
  12. वाणी में मधुरता आती है।
  13. जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
  14. रिश्तों में मधुरता आती है।
  15. सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  16. धन की समस्या दूर होती है।
  17. आध्यात्मिक उन्नति होती है।

संतोषी माता व्रत के नियम

  1. खटाई का सेवन पूरी तरह वर्जित है।
  2. व्रत के दौरान मन में संतोष और धैर्य बनाए रखें।
  3. हर शुक्रवार संतोषी माता की पूजा और कथा जरूर करें।
  4. किसी से झगड़ा या कटु वचन न बोलें।
  5. पूरे व्रत काल में सात्विक भोजन ही करें।

संतोषी माता व्रत की संपूर्ण कथा

प्राचीन समय की बात है, एक गरीब महिला थी जिसका परिवार आर्थिक तंगी और कठिनाइयों से जूझ रहा था। घर में अक्सर झगड़े होते थे और परिवार में शांति नहीं थी। उस महिला ने अपने परिवार की समृद्धि और सुख के लिए देवी संतोषी माता की उपासना करने का निश्चय किया।

एक दिन उसने किसी से संतोषी माता व्रत की महिमा सुनी और तुरंत ही यह व्रत करने का संकल्प लिया। उसने संतोषी माता के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास से शुक्रवार के दिन उपवास रखना शुरू किया। व्रत के दौरान उसने सात्विक जीवनशैली अपनाई, खटाई का सेवन नहीं किया और हर शुक्रवार संतोषी माता की कथा सुनकर पूजा की।

महिला ने पूरे 16 शुक्रवार तक लगातार व्रत किया, बिना किसी असंतोष या शंका के। उसकी भक्ति और निष्ठा को देखकर संतोषी माता प्रसन्न हो गईं। माता ने उसकी प्रार्थना सुन ली और उसके परिवार की सभी समस्याएँ दूर कर दीं।

व्रत का चमत्कारी परिणाम

संतोषी माता के आशीर्वाद से उस महिला का घर आर्थिक रूप से समृद्ध हो गया। परिवार में शांति और प्रेम वापस आ गया। महिला के सभी दुख समाप्त हो गए, और उसका जीवन खुशहाल हो गया।

संतोषी माता की इस कथा से यह संदेश मिलता है कि जो भी सच्चे मन से इस व्रत को करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। संतोषी माता अपने भक्तों को हमेशा संतोष और धैर्य के साथ जीवन जीने का आशीर्वाद देती हैं, जिससे उनके जीवन में खुशहाली आती है।

संतोषी माता व्रत का भोग

संतोषी माता को भोग में गुड़ और चने विशेष रूप से अर्पित किए जाते हैं। इनका महत्त्व इसलिए है क्योंकि संतोषी माता को खटाई से दूर रहना पसंद है, और गुड़-चने का भोग प्रसन्नता से स्वीकार करती हैं।

व्रत कब प्रारंभ और समाप्त करें

संतोषी माता व्रत शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पहले प्रारंभ करें और दिनभर उपवास रखें। शाम को कथा सुनने के बाद व्रत का पारण करें। कथा के बाद गुड़ और चने का प्रसाद बांटें और ग्रहण करें।

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व्रत से संबंधित सावधानियाँ

  1. व्रत के दौरान खटाई का सेवन बिल्कुल न करें।
  2. मन को शांत रखें और संतोष भाव बनाए रखें।
  3. किसी से वाद-विवाद या कटु वाणी से बचें।
  4. पूजा स्थल की शुद्धता और सफाई बनाए रखें।
  5. व्रत के दौरान धैर्य और विश्वास का पालन करें।

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संतोषी माता व्रत– प्रमुख प्रश्न और उत्तर

1. संतोषी माता व्रत कौन कर सकता है?

उत्तर: महिलाएँ और पुरुष दोनों यह व्रत कर सकते हैं।

2. क्या व्रत में खटाई का सेवन वर्जित है?

उत्तर: हाँ, खटाई का सेवन व्रत में पूरी तरह वर्जित है।

3. व्रत में क्या खा सकते हैं?

उत्तर: गुड़, चने, फल, दूध, और सात्विक भोजन खा सकते हैं।

4. व्रत कितने शुक्रवार तक रखना चाहिए?

उत्तर: व्रत को 16 शुक्रवार तक रखा जाता है।

5. क्या व्रत में कोई विशेष मंत्र है?

उत्तर: हाँ, “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं संतोषी मातायै नमः” मंत्र का जाप करें।

6. क्या व्रत के दौरान यात्रा कर सकते हैं?

उत्तर: विशेष परिस्थिति में यात्रा की जा सकती है, लेकिन इससे बचने की सलाह दी जाती है।

7. क्या पुरुष भी संतोषी माता व्रत कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं।

8. व्रत में किस समय पूजा करनी चाहिए?

उत्तर: प्रातः काल पूजा करनी चाहिए, लेकिन शाम को कथा सुनना अनिवार्य है।

9. क्या व्रत के दौरान दान करना चाहिए?

उत्तर: हाँ, गुड़ और चने का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

10. क्या व्रत में अन्न खा सकते हैं?

उत्तर: नहीं, व्रत के दौरान अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है।

11. व्रत के दौरान क्या मनोरंजन करना उचित है?

उत्तर: नहीं, ध्यान और साधना पर ध्यान देना चाहिए।

12. क्या व्रत के बाद गुड़-चने का प्रसाद बांटना अनिवार्य है?

उत्तर: हाँ, कथा के बाद गुड़-चने का प्रसाद बांटना अनिवार्य होता है।

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