Shiva Tandav Strot for Strong protection

शिव तांडव स्तोत्र, इसमे रावण ने भगवान शिव के प्रचंड और दिव्य तांडव नृत्य का वर्णन किया है। यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा, शक्ति, और अनुग्रह का उत्कृष्ट वर्णन है। इस स्त्रोत का पाठ से ही हर तरह की नकारात्मक उर्जा नष्ट होने लगती है.

शिव तांडव स्तोत्र के लाभ

  1. आध्यात्मिक लाभ: इस स्तोत्र का पाठ करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। यह आत्मा को शुद्ध करता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।
  2. मानसिक शांति: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। यह व्यक्ति के मन को शांत और संतुलित रखता है।
  3. संरक्षण और सुरक्षा: शिव तांडव स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों और बुरे प्रभावों से बचाता है। यह एक रक्षा कवच की तरह कार्य करता है।
  4. आध्यात्मिक जागरूकता: यह स्तोत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक जागरूकता और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है। भगवान शिव की तांडव लीला का वर्णन व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक उन्नति को प्रेरित करता है।
  5. कष्टों से मुक्ति: इस स्तोत्र का जाप करने से जीवन के कष्ट और दुख दूर होते हैं। यह सभी प्रकार की बाधाओं और विपत्तियों को नष्ट करता है।
  6. शक्ति और साहस: भगवान शिव के तांडव का वर्णन व्यक्ति को साहस, शक्ति और दृढ़ता प्रदान करता है। यह जीवन के संघर्षों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।

शिव तांडव स्त्रोत

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले,
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं,
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥

जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके,
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥

धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर-
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि,
क्वचिचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे,
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः,
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं,
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम॥

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्नि-
विलम्बिताललम्बमन्दधूसृणोर्मे घटिः॥

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं,
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे॥

अखर्वसर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी-
रसायनं रुजावहं मृगाङ्गशीकरम्।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाभराम्बरं,
भजे स्फुरन्मगवन्मुक्तकः शिवालयम्॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्,
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमञ्जलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः,
शिवेति मन्त्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुक्तमुत्तमोत्तमं,
स्तोत्रं पठन्स्मरं ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेत्य च।
गणान्निलिम्पनेखनाथ नित्य मेति संस्तवं,
शिवेति मन्त्रमीति नित्तमेव शंकरं भजे॥

पूजनार्थे स्यस्तवं विमुक्तदुर्मतिकः सदा,
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुत्तमोत्तमं भजे।
शिवेति शंकरं मनो महेश्वरं सदा।

शिव तांडव स्तोत्र मे भगवान शिव की महिमा का वर्णन है, जो मनुष्य शिव तांडव नृत्य का वर्णन करता है उसको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद को आकर्षित करने का एक शक्तिशाली साधन है। नियमित और श्रद्धापूर्वक इसका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं