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Shravan Somvar Vrat for Wealth & Prosperity

श्रावण सोमवार व्रत व कथा जो भौतिक सुख की प्राप्ति कराये

श्रावण सोमवार व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को किया जाता है। इस मास को शिव का प्रिय महीना माना जाता है। श्रावण सोमवार व्रत में शिव भक्त व्रत रखते हैं और शिवलिंग की पूजा करते हैं। इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

श्रावण सोमवार व्रत विधि

श्रावण सोमवार व्रत के दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें। शिवलिंग पर जल, दूध, और शहद चढ़ाएं और बेलपत्र, धतूरा, और फूल अर्पित करें। शिवलिंग का अभिषेक करते समय “ॐ ह्रौं नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। दिनभर निराहार या फलाहार रहकर उपवास रखें और शाम को पुनः पूजा करें।

श्रावण सोमवार व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

खाएं: फल, दूध, मेवा, नारियल पानी और फलाहार खा सकते हैं।
न खाएं: अनाज, दाल, तले-भुने पदार्थ, प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन व्रत के दौरान वर्जित हैं।

श्रावण सोमवार व्रत का समय और अवधि

श्रावण सोमवार व्रत का पालन श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को किया जाता है। व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होकर अगले दिन सूर्योदय तक रहता है। भक्त दिनभर निराहार या फलाहार रह सकते हैं और संध्या समय शिवलिंग की पूजा के बाद फलाहार कर सकते हैं।

कौन कर सकता है श्रावण सोमवार व्रत?

श्रावण सोमवार व्रत कोई भी कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। इस व्रत को करने के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती है। विशेषकर, वे भक्त जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, यह व्रत कर सकते हैं। अविवाहित महिलाएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करती हैं।

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श्रावण सोमवार व्रत से लाभ

  1. मनोकामना पूर्ति: भगवान शिव की कृपा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  2. स्वास्थ्य लाभ: व्रत रखने से शरीर का शुद्धिकरण होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: भगवान शिव की आराधना से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  4. कष्टों से मुक्ति: व्रत करने से जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं का नाश होता है।
  5. धन-धान्य की प्राप्ति: भगवान शिव का आशीर्वाद आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति कराता है।
  6. सकारात्मक ऊर्जा: व्रत से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता का नाश होता है।
  7. शत्रु नाश: भगवान शिव की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है और विजय प्राप्त होती है।
  8. सुख-समृद्धि: व्रत से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
  9. दांपत्य जीवन में मधुरता: विवाहित जोड़े के लिए व्रत से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
  10. दीर्घायु की प्राप्ति: भगवान शिव का आशीर्वाद दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।
  11. भय का नाश: व्रत से सभी प्रकार के भय और अज्ञात शंकाओं का नाश होता है।
  12. मुक्ति की प्राप्ति: भगवान शिव का आशीर्वाद भक्तों को मोक्ष की ओर ले जाता है।

श्रावण सोमवार व्रत के नियम

  1. शुद्धता का पालन करें: शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. निराहार रहें: दिनभर निराहार या फलाहार रहकर व्रत करें।
  3. पूजा का विशेष ध्यान रखें: शिवलिंग का जल, दूध, और शहद से अभिषेक करें।
  4. मंत्र जाप करें: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप दिनभर करते रहें।
  5. संयमित जीवन: व्रत के दौरान संयमित जीवन जीएं और विनम्र बने रहें।
  6. भोग न लगाएं: भगवान शिव को अर्पित किए बिना कुछ न खाएं।
  7. रात्रि जागरण करें: भगवान शिव की आराधना में रात्रि जागरण करें।

श्रावण सोमवार व्रत के भोग

व्रत के दौरान भगवान शिव को फल, दूध, मेवा, और बेलपत्र का भोग लगाया जाता है। शिवलिंग पर शहद, दूध, दही, घी, और शक्कर से पंचामृत अभिषेक के बाद बेलपत्र, धतूरा, और भांग चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ाए गए भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

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श्रावण सोमवार व्रत में सावधानियां

  1. शुद्धता का ध्यान रखें: व्रत के दिन शारीरिक और मानसिक शुद्धता का पालन करें।
  2. अत्यधिक श्रम से बचें: व्रत के दौरान अधिक शारीरिक श्रम से बचें।
  3. संयमित आचरण करें: व्रत के समय में संयमित आचरण करें और सकारात्मक सोचें।
  4. नमक का सेवन न करें: व्रत के दौरान नमक का सेवन न करें।
  5. वाणी पर नियंत्रण रखें: कठोर या अपशब्दों का प्रयोग न करें और संयमित रहें।

श्रावण सोमवार व्रत की संपूर्ण कथा

श्रावण सोमवार व्रत का महत्त्व भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है। यह व्रत श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय महीना है। इस मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस मास में व्रत रखने वाले भक्तों को शिवलोक की प्राप्ति होती है।

कथा का प्रारंभ

एक बार एक निर्धन ब्राह्मण अपनी गरीबी से अत्यधिक दुखी था। वह भगवान शिव के प्रति अत्यंत भक्त था, परंतु उसकी दरिद्रता उसे निरंतर कष्ट देती थी। उसने किसी विद्वान से श्रावण मास के सोमवार व्रत के बारे में सुना। विद्वान ने उसे बताया कि श्रावण सोमवार व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। ब्राह्मण ने दृढ़ निश्चय किया कि वह श्रावण मास में सोमवार का व्रत करेगा और भगवान शिव की पूजा करेगा।

ब्राह्मण ने व्रत शुरू किया और प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करने लगा। वह शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाता और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करता। उसने पूरे मास का व्रत रखा और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए अपने कष्टों को सहन किया। उसके व्रत और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और कहा, “तुम्हारे व्रत और भक्ति से मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ। तुम्हारी दरिद्रता अब समाप्त हो जाएगी।”

भगवान शिव की कृपा और व्रत का फल

भगवान शिव की कृपा से ब्राह्मण की दरिद्रता समाप्त हो गई और उसे धन-धान्य की प्राप्ति हुई। उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण हुईं और वह धन-समृद्धि के साथ सुखी जीवन जीने लगा। इस घटना के बाद से श्रावण सोमवार व्रत का विशेष महत्त्व माना जाता है। यह व्रत भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्ति का सशक्त माध्यम है।

अन्य कथा

एक अन्य कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। उन्होंने श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को व्रत रखा और भगवान शिव की आराधना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस प्रकार, श्रावण सोमवार व्रत विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे करने से वे अपने मनोवांछित जीवन साथी को प्राप्त कर सकती हैं।

इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। भक्तों का जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति का साधन है, बल्कि भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है। इस व्रत को करने से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्रावण सोमवार व्रत के दिन भगवान शिव की आराधना करना अत्यंत फलदायी होता है। शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। भक्तों को श्रावण सोमवार व्रत श्रद्धा और भक्ति भाव से करना चाहिए, ताकि उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

श्रावण सोमवार व्रत संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न: श्रावण सोमवार व्रत में क्या खा सकते हैं?
उत्तर: फल, दूध, मेवा, नारियल पानी, और फलाहार का सेवन किया जा सकता है। अनाज और तले-भुने पदार्थ वर्जित हैं।

प्रश्न: क्या महिलाएं श्रावण सोमवार व्रत कर सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएं भी यह व्रत कर सकती हैं। विशेषकर अविवाहित महिलाएं अच्छे वर की कामना के लिए व्रत करती हैं।

प्रश्न: श्रावण सोमवार व्रत कितने समय तक रखना चाहिए?
उत्तर: श्रावण सोमवार व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। यह व्रत 24 घंटे का होता है।

प्रश्न: क्या श्रावण सोमवार व्रत में नमक खा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, श्रावण सोमवार व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। फलाहार और दूध का सेवन करें।

प्रश्न: श्रावण सोमवार व्रत का महत्व क्या है?
उत्तर: यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रश्न: श्रावण सोमवार की पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर: शिवलिंग पर जल, दूध, शहद चढ़ाएं और बेलपत्र, धतूरा, और फूल अर्पित करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

प्रश्न: श्रावण सोमवार व्रत के दौरान जागरण का क्या महत्व है?
उत्तर: जागरण से मन और आत्मा शुद्ध होती है और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। यह साधना का एक महत्वपूर्ण अंग है।

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