Monday, December 23, 2024

Buy now

spot_img
spot_img

Tripura Bhairavi Panchakuta Mantra – Unlocking Mystical Benefits

त्रिपुर भैरवी पंचकूटा मंत्र: शक्ति और सिद्धि प्राप्ति का रहस्यमय मार्ग

त्रिपुर भैरवी पंचकूटा मंत्र एक अद्भुत शक्ति संपन्न तांत्रिक मंत्र है, जिसका साधना से साधक विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकता है। महाविद्या त्रिपुर भैरवी पंचकूटा मंत्र विशेष रूप से कठिन साधनाओं में शक्ति प्राप्ति के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

त्रिपुर भैरवी पंचकूटा मंत्र विनियोग

विनियोग का अर्थ है, किसी मंत्र का उद्देश्य और उसे किस कार्य के लिए प्रयोग में लाना है। त्रिपुर भैरवी पंचकूटा मंत्र का विनियोग मुख्यतः साधक की आत्मशक्ति को जाग्रत करने, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने, और तांत्रिक सिद्धि प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसके विनियोग से साधना का लक्ष्य स्पष्ट होता है, जिससे साधना अधिक प्रभावकारी बनती है।

विनियोग मंत्र:

“ॐ अस्य श्री त्रिपुर भैरवी पंचकूटा मंत्रस्य, शिव ऋषिः, गायत्री छंदः, त्रिपुर भैरवी देवता, शक्तिप्राप्ति सिद्धये जपे विनियोगः॥”

विनियोग में संकल्प

  1. शिव ऋषि – इस मंत्र के ऋषि भगवान शिव हैं, जो ज्ञान और तांत्रिक शक्तियों के स्वामी हैं।
  2. गायत्री छंद – इस मंत्र का छंद गायत्री है, जो ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक है।
  3. त्रिपुर भैरवी देवता – मंत्र की अधिष्ठात्री देवी त्रिपुर भैरवी हैं, जो शक्तिशाली देवी के रूप में जानी जाती हैं।
  4. शक्तिप्राप्ति सिद्धये – यह मंत्र विशेष रूप से साधक को शक्ति और सिद्धि की प्राप्ति के लिए है।

मंत्र विनियोग का महत्व

विनियोग करने से मंत्र जप में मानसिक एकाग्रता बढ़ती है और साधना के दौरान साधक अपने उद्देश्य पर केंद्रित रहता है। त्रिपुर भैरवी पंचकूटा मंत्र का विनियोग करके साधक अपनी साधना को स्पष्ट संकल्प के साथ प्रारंभ कर सकता है, जिससे साधना में अधिक लाभ प्राप्त होता है।

त्रिपुर भैरवी पंचकूटा मंत्र एवं संपूर्ण अर्थ

मंत्र: “॥ह् स्रौं ह् स्कल्रीं हस्रौं॥”

मंत्र के प्रत्येक बीजाक्षर का अर्थ:

  • “ह्”: यह बीजाक्षर शक्ति का प्रतीक है। यह साधक की आंतरिक ऊर्जा को जागृत करता है और उसे आत्मबल प्रदान करता है।
  • “स्रौं”: इस बीजाक्षर में मंत्र का मुख्य सार छिपा है। यह साधक के सभी प्रकार के भय को दूर करता है और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
  • “स्कल्रीं”: यह बीज मंत्र साधक की चेतना को जाग्रत करता है। इसे जपने से साधक का मन और विचार शुद्ध होते हैं और वह साधना में पूरी तरह से केंद्रित हो पाता है।
  • “हस्रौं”: यह बीज मंत्र साधक को उसकी इच्छाशक्ति को सशक्त बनाने में सहायता करता है। यह साधना के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और साधक को ऊर्जावान बनाए रखता है।

मंत्र का संपूर्ण अर्थ:

इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ है कि साधक अपनी आत्मा को शक्ति, साहस और शांति के साथ संजीवित करे। त्रिपुर भैरवी का यह मंत्र साधक को सभी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रखता है, उसकी आंतरिक चेतना को जागृत करता है और उसे तांत्रिक शक्तियों के लिए तैयार करता है। यह साधना का एक प्राचीन और शक्तिशाली मंत्र है, जो साधक के जीवन में स्थायित्व, सुरक्षा और आध्यात्मिक प्रगति लाने में सहायक होता है।

मंत्र जप के लाभ

  1. आत्मबल की प्राप्ति
  2. मानसिक शांति
  3. शत्रुओं से रक्षा
  4. वित्तीय उन्नति
  5. स्वास्थ्य में सुधार
  6. व्यापार में लाभ
  7. पारिवारिक सुख
  8. यश में वृद्धि
  9. बुरी आदतों से मुक्ति
  10. तांत्रिक साधनाओं में सफलता
  11. सिद्धियों की प्राप्ति
  12. भय निवारण
  13. आयु वृद्धि
  14. उच्च ऊर्जा स्तर
  15. ध्यान शक्ति में सुधार
  16. मानसिक स्थिरता

जप काल में सेवन योग्य आहार

  • ताजे फल, दूध, और सूखे मेवे का सेवन अधिक करें।
  • ज्यादा मसालेदार और तैलीय भोजन से बचें, जिससे साधना में मन एकाग्र रहे।

Get deeksha

मंत्र जप के नियम

  1. उम्र: मंत्र जप 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति करें।
  2. समय: प्रतिदिन 10 मिनट मंत्र का जप करें।
  3. पोशाक: साधना के समय नीले या काले कपड़े न पहनें।
  4. सावधानी: धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का त्याग करें।
  5. ब्रह्मचर्य: साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें।

know more about lakshmi pujan vidhi

मंत्र जप के सावधानियाँ

  • समय: सूर्योदय या सूर्यास्त का समय मंत्र जप के लिए उत्तम होता है।
  • स्थान: शुद्ध, शांत और ऊर्जा से भरपूर स्थान पर ही मंत्र जप करें।

spiritual store

मंत्र से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: क्या त्रिपुर भैरवी पंचकूटा मंत्र में सभी कर सकते हैं?

उत्तर: हां, 18 वर्ष से ऊपर कोई भी व्यक्ति इस मंत्र का जप कर सकता है।

प्रश्न 2: क्या मंत्र जप के लिए कोई विशेष स्थान चाहिए?

उत्तर: हां, शुद्ध और शांत स्थान में जप करना लाभकारी होता है।

प्रश्न 3: मंत्र जप के क्या लाभ हैं?

उत्तर: आत्मबल, मानसिक शांति और तांत्रिक सिद्धि आदि लाभ होते हैं।

प्रश्न 4: क्या साधना में धूम्रपान से बचे रहना चाहिए?

उत्तर: जी हां, धूम्रपान साधना में बाधा उत्पन्न करता है।

प्रश्न 5: क्या मंत्र जप में ब्रह्मचर्य आवश्यक है?

उत्तर: हां, यह साधना में शक्ति बनाए रखने में सहायक है।

प्रश्न 6: क्या नीले या काले कपड़े पहन सकते हैं?

उत्तर: मंत्र जप में नीले और काले रंग के कपड़े पहनने की मनाही है।

प्रश्न 7: साधना का कौन सा समय उत्तम होता है?

उत्तर: सूर्योदय और सूर्यास्त का समय आदर्श माना गया है।

प्रश्न 8: क्या मांसाहार से बचना चाहिए?

उत्तर: जी हां, साधना काल में मांसाहार से बचना चाहिए।

प्रश्न 9: क्या विशेष पोषण की आवश्यकता होती है?

उत्तर: फल, दूध और हल्का भोजन साधना में सहायक होता है।

प्रश्न 10: मंत्र जप कितनी देर करना चाहिए?

उत्तर: प्रतिदिन 10 मिनट का समय पर्याप्त है।

प्रश्न 11: क्या स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं?

उत्तर: जी हां, स्त्री और पुरुष दोनों इस साधना का पालन कर सकते हैं।

प्रश्न 12: क्या यह मंत्र अन्य साधनाओं के लिए सहायक है?

उत्तर: हां, यह मंत्र साधक की आंतरिक शक्ति बढ़ाता है जो अन्य साधनाओं में भी सहायक है।

spot_img
spot_img

Related Articles

KAMAKHYA SADHANA SHIVIRspot_img
PITRA DOSHA NIVARAN PUJANspot_img

Latest Articles

FREE HOROSCOPE CONSULTINGspot_img
BAGALAMUKHI SHIVIR BOOKINGspot_img
Select your currency