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Vara Lakshmi Mantra For Wealth & Prosperity

माता वरलक्ष्मी को धन, समृद्धि, और सुख-शांति की देवी माना जाता है। ‘वर’ का अर्थ है वरदान, और माता वरलक्ष्मी भक्तों को वरदान देने वाली देवी हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है, लेकिन पुरुष भी उनकी पूजा कर सकते हैं। माता वरलक्ष्मी को सोने के गहनों, लाल और पीले रंग के वस्त्र, और सुंदर सजावट के साथ पूजा जाता है। वे कमल के फूल पर विराजमान होती हैं, जो उनके सौंदर्य और दिव्यता को दर्शाता है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक में कमल का फूल, दूसरे में धन की थैली, तीसरे में वर मुद्रा और चौथे में अभय मुद्रा होती है।

लाभ

  1. धन की प्राप्ति: माता वरलक्ष्मी की कृपा से घर में धन की वृद्धि होती है।
  2. समृद्धि: परिवार में समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।
  3. सुख-शांति: मानसिक शांति और सुख-शांति का अनुभव होता है।
  4. स्वास्थ्य: अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।
  5. सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  6. व्यवसाय में वृद्धि: व्यापार में उन्नति होती है।
  7. करियर में उन्नति: नौकरी में प्रमोशन और तरक्की मिलती है।
  8. विवाह में सुख: दांपत्य जीवन में सुख और सामंजस्य बना रहता है।
  9. संतान सुख: संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है।
  10. ऋण मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  11. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा होती है।
  12. ज्ञान की प्राप्ति: विद्यार्थियों को ज्ञान और बुद्धि का वरदान मिलता है।
  13. सम्मान: समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
  14. कृषि में लाभ: कृषि कार्यों में लाभ प्राप्त होता है।
  15. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  16. संतोष: जीवन में संतोष और तृप्ति का अनुभव होता है।
  17. यात्रा में सुरक्षा: यात्रा में सफलता और सुरक्षा मिलती है।
  18. संकट से मुक्ति: जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है।
  19. कला में उन्नति: कला और संगीत में उन्नति होती है।
  20. न्याय: न्याय में सफलता मिलती है।

वरलक्ष्मी का मंत्र

मंत्र:

ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै क्लीं नमः॥

मंत्र का अर्थ:

इस मंत्र में माता वरलक्ष्मी का आह्वान किया जाता है। “ॐ” सार्वभौमिक ध्वनि है। “श्रीं” माता लक्ष्मी का बीज मंत्र है, जो उनकी कृपा को आकर्षित करता है। “वरलक्ष्म्यै” का अर्थ है वरदान देने वाली लक्ष्मी, “क्लीं” का अर्थ आकर्षण, और “नमः” का अर्थ है नमन।

विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ कर लें और वहां माता वरलक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलन: दीपक जलाएं और अगरबत्ती का धूप करें।
  4. मंत्र जप: माता वरलक्ष्मी के मंत्र का 108 बार जप करें।
  5. फूल और जल अर्पण: माता को फूल और जल अर्पित करें।
  6. मिष्ठान्न अर्पण: माता को मिष्ठान्न (मिठाई) का भोग लगाएं।
  7. आरती: माता वरलक्ष्मी की आरती करें।
  8. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण करें।

दिन और अवधि

माता वरलक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। इसके अलावा वरलक्ष्मी व्रत, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को मनाया जाता है, इस दिन भी माता वरलक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। पूजा की अवधि 30 से 45 मिनट के बीच होनी चाहिए।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान: पूजा करते समय मन और शरीर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. शोर-शराबे से दूर: पूजा स्थल को शांत और शोर-शराबे से दूर रखें।
  3. नशे से परहेज: पूजा से पहले और पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के नशे का सेवन न करें।
  4. वस्त्रों की शुद्धता: साफ और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  5. भक्तिभाव: सच्चे मन और भक्तिभाव से पूजा करें।
  6. पूजा सामग्री: सभी पूजा सामग्री पहले से तैयार रखें।
  7. शुद्ध जल: पूजा में शुद्ध जल का उपयोग करें।
  8. आरती का सही समय: आरती को सही समय पर करें।
  9. मंत्र उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही तरीके से और स्पष्ट करें।
  10. प्रसाद का ध्यान: प्रसाद को साफ हाथों से बांटें।
  11. आहार: पूजा के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  12. अवरोधों से बचें: पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के अवरोध से बचें।
  13. साफ वातावरण: पूजा स्थल का वातावरण साफ और पवित्र रखें।
  14. ध्यान और ध्यानावस्थित: पूजा के दौरान ध्यान और ध्यानावस्थित रहें।
  15. समय की पाबंदी: पूजा के समय की पाबंदी रखें और समय पर शुरू करें।

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माता वरलक्ष्मी सामान्य प्रश्न

  1. माता वरलक्ष्मी कौन हैं?
    माता वरलक्ष्मी धन, समृद्धि, और सुख-शांति की देवी हैं।
  2. माता वरलक्ष्मी की पूजा कब करें?
    शुक्रवार का दिन माता वरलक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है।
  3. माता वरलक्ष्मी की पूजा से क्या लाभ होता है?
    माता वरलक्ष्मी की पूजा से धन, समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।
  4. माता वरलक्ष्मी का वाहन क्या है?
    माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू है।
  5. माता वरलक्ष्मी का मंत्र क्या है?
    माता वरलक्ष्मी का प्रमुख मंत्र है: “ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै नमः।”
  6. माता वरलक्ष्मी की पूजा के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    पूजा के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें और नशे से परहेज करें।
  7. क्या माता वरलक्ष्मी की पूजा से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है?
    हाँ, माता वरलक्ष्मी की कृपा से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है।
  8. माता वरलक्ष्मी की पूजा में कितनी अवधि होनी चाहिए?
    पूजा की अवधि 30 से 45 मिनट के बीच होनी चाहिए।
  9. माता वरलक्ष्मी की पूजा के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा होता है?
    शुक्रवार का दिन माता वरलक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे अच्छा माना गया है।
  10. माता वरलक्ष्मी की पूजा में क्या-क्या अर्पित करना चाहिए?
    माता वरलक्ष्मी की पूजा में फूल, जल, मिष्ठान्न और दीपक अर्पित करना चाहिए।
  11. माता वरलक्ष्मी की पूजा से क्या मानसिक शांति मिलती है?
    हाँ, माता वरलक्ष्मी की पूजा से मानसिक शांति मिलती है।
  12. क्या माता वरलक्ष्मी की पूजा से व्यापार में वृद्धि होती है?
    हाँ, माता वरलक्ष्मी की कृपा से व्यापार में वृद्धि होती है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

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