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विमान यक्षिणी / Vimana (Vayu) Yakshini Mantra

वायु यक्षिणी मंत्र से स्वास्थ्य, धन और शांति प्राप्त करें

वायु तत्व की देवी विमान यक्षिणी (वायु यक्षिणी) ये अस्थमा, ऊपरी बाधा, प्रेत बाधा, नजर व तंत्र बाधा से मनुष्य को सुरक्षा प्रदान करती है. विमान यक्षिणी की पूजा विशेष रूप से किसी विशेष स्थान या क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि के लिए की जाती है।

वायु यक्षिणी मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं यं वायु यक्षिणे नमः”

अर्थ:
इस मंत्र में ‘ॐ’ ब्रह्मांड की शक्ति का प्रतीक है। ‘ऐं’ विद्या का, ‘ह्रीं’ शक्ति और ‘श्रीं’ समृद्धि का प्रतीक है। ‘यं’ वायु तत्व को दर्शाता है, जो जीवन की गति का स्रोत है। ‘वायु यक्षिणे नमः’ का अर्थ है, वायु यक्षिणी देवी को नमन। यह मंत्र जीवन में गतिशीलता, शुद्धता और मानसिक शांति लाने में सहायक है। यह मंत्र विशेष रूप से वायु तत्व को संतुलित करने के लिए जपा जाता है, जो हमारे जीवन की हर गतिविधि को संचालित करता है।

वायु यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. वायु तत्व के असंतुलन से उत्पन्न रोगों से मुक्ति मिलती है।
  2. मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  3. तनाव और चिंता में कमी आती है।
  4. आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  5. शरीर की ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
  6. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  7. मानसिक स्पष्टता प्राप्त होती है।
  8. वाणी में मधुरता आती है।
  9. ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है।
  10. नेगेटिव एनर्जी से सुरक्षा मिलती है।
  11. फेफड़े और श्वसन तंत्र की समस्याओं का समाधान होता है।
  12. संचार और व्यक्तित्व में निखार आता है।
  13. सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  14. रोजगार और व्यापार में उन्नति होती है।
  15. आध्यात्मिक जागृति और ध्यान में प्रगति होती है।
  16. यात्रा में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  17. मन की एकाग्रता और ध्यान क्षमता बढ़ती है।

मंत्र जप विधि

वायु यक्षिणी मंत्र का जप विशेष रूप से शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। सुबह के समय या संध्या के समय स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर इस मंत्र का जप किया जाता है। मंत्र जप करते समय शांत और शुद्ध वातावरण होना आवश्यक है। जप के दौरान ध्यान रखें कि मंत्र का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट हो।

मंत्र जप की अवधि

इस मंत्र का जप 11 से 21 दिनों तक प्रतिदिन किया जा सकता है। इस अवधि में व्यक्ति को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस होने लगते हैं। मंत्र का जप नियमित रूप से करने से इसका प्रभाव और भी अधिक शक्तिशाली हो जाता है।

जप की सामग्री

  1. रुद्राक्ष या तुलसी की माला
  2. स्वच्छ आसन (लाल या पीला)
  3. घी का दीपक
  4. धूप या अगरबत्ती
  5. साफ जल का पात्र

मंत्र जप संख्या

इस मंत्र का प्रतिदिन 11 माला जप करना चाहिए। एक माला में 108 मंत्र होते हैं, इसलिए 11 माला का जप करने पर कुल 1188 मंत्र प्रतिदिन जपे जाते हैं। इस संख्या में मंत्र का जप करने से वायु यक्षिणी देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

मंत्र जप के नियम

  1. मंत्र जप करने वाले की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. मंत्र जप के दौरान नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मांसाहार और तामसिक भोजन से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. जप के समय संयम और एकाग्रता बनाए रखें।

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जप के दौरान सावधानी

  1. जप के समय मन एकाग्र होना चाहिए। कोई अन्य विचार या कार्य न करें।
  2. मंत्र का सही उच्चारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  3. जप के दौरान किसी प्रकार की नकारात्मकता या क्रोध को मन में न आने दें।
  4. माला का प्रयोग करते समय इसे जमीन पर न रखें।
  5. जप के लिए शांत और स्वच्छ वातावरण का चयन करें।

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वायु यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

1. वायु यक्षिणी मंत्र कब जपें?

वायु यक्षिणी मंत्र का जप प्रातःकाल या संध्या के समय किया जा सकता है। स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण कर शांत स्थान पर जप करना चाहिए।

2. मंत्र जप कितने दिन तक करना चाहिए?

मंत्र जप 11 से 21 दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। नियमित जप से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

3. मंत्र जप के दौरान कौन से वस्त्र पहनें?

मंत्र जप के समय लाल या पीले वस्त्र पहनना शुभ होता है। नीले और काले रंग के वस्त्रों से बचना चाहिए।

4. मंत्र जप के लिए कौन सी माला का उपयोग करें?

रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है। माला शुद्धता और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है।

5. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां बरतें?

मंत्र जप के दौरान मांसाहार, धूम्रपान और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही, मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।

6. क्या यह मंत्र स्वास्थ्य में सुधार करता है?

हां, वायु यक्षिणी मंत्र विशेष रूप से फेफड़े, श्वसन तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

7. मंत्र जप करने वाले की आयु क्या होनी चाहिए?

मंत्र जप करने वाले की आयु कम से कम 20 वर्ष होनी चाहिए। इससे कम आयु वाले व्यक्ति इस मंत्र का जप नहीं कर सकते।

8. मंत्र का प्रभाव कब दिखता है?

नियमित और विधिपूर्वक किए गए जप का प्रभाव 11 से 21 दिनों में दिखने लगता है। व्यक्ति को मानसिक शांति और स्थिरता महसूस होने लगती है।

9. क्या इस मंत्र का जप स्त्रियां भी कर सकती हैं?

हां, स्त्रियां और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं। इस मंत्र में कोई लिंग भेद नहीं है।

10. मंत्र जप का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

सुबह के समय सूर्योदय से पहले या शाम के समय सूर्यास्त के बाद इस मंत्र का जप करना सबसे अच्छा होता है।

11. मंत्र जप के लिए कौन सा स्थान उपयुक्त है?

मंत्र जप के लिए शांत, स्वच्छ और सकारात्मक ऊर्जा से भरा स्थान चुनें। मंदिर या पूजा स्थल सर्वोत्तम होते हैं।

12. क्या यह मंत्र आर्थिक उन्नति में सहायक होता है?

हां, वायु यक्षिणी मंत्र आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है और धन-संपत्ति की प्राप्ति में सहायक होता है।

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