वृक्ष यक्षिणी मंत्र से जीवन में आकर्षण और सफलता कैसे प्राप्त करें?
वृक्ष यक्षिणी मंत्र एक प्राचीन तांत्रिक मंत्र है जो वृक्षों की यक्षिणी देवी की साधना के लिए उपयोग किया जाता है। ये जीवन व जमीन को हराभरा उत्साह वर्धक बनाने वाली मानी जाती है। वृक्ष यक्षिणी यक्षिणी देवियां प्रकृति की रक्षक मानी जाती हैं और उन्हें संपत्ति, समृद्धि और सौंदर्य की देवी भी कहा जाता है। वृक्ष यक्षिणी मंत्र का जाप करने से साधक को धन, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही यह मंत्र जीवन में सकारात्मक उन्नति और वातावरण को शुद्ध करता है।
वृक्ष यक्षिणी मंत्र और उसका अर्थ
मंत्र:
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वृक्ष यक्षिणे नमः
अर्थ:
इस मंत्र में “ॐ” ब्रह्मांडीय ध्वनि का प्रतीक है। “ह्रीं” और “श्रीं” सफलता और समृद्धि के बीज मंत्र हैं। “क्लीं” आकर्षण और शक्ति का बीज मंत्र है। “वृक्ष यक्षिणे” से तात्पर्य है वृक्ष की यक्षिणी देवी को समर्पण। “नमः” का अर्थ है साष्टांग प्रणाम या समर्पण। इस प्रकार, मंत्र का अर्थ हुआ— “मैं वृक्ष की यक्षिणी देवी को प्रणाम करता हूँ और उनसे समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करता हूँ।”
वृक्ष यक्षिणी मंत्र के १७ लाभ
- आर्थिक समृद्धि में वृद्धि।
- धन और संपत्ति की प्राप्ति।
- स्वास्थ्य में सुधार।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
- मानसिक शांति और स्थिरता।
- अवरोधों का नाश।
- आत्मविश्वास में वृद्धि।
- व्यापार में सफलता।
- शत्रुओं से मुक्ति।
- पारिवारिक संबंधों में मधुरता।
- सुरक्षा और संरक्षा की भावना।
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा।
- भूमि और संपत्ति विवादों से छुटकारा।
- सौभाग्य और आकर्षण का वर्धन।
- सफलता के नए अवसरों का निर्माण।
- आध्यात्मिक विकास।
- आंतरिक और बाहरी संतुलन।
वृक्ष यक्षिणी मंत्र विधि
मंत्र जाप का दिन:
शुक्रवार को यह मंत्र जाप आरंभ करना सर्वोत्तम माना जाता है।
अवधि:
11 से 21 दिन तक लगातार इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
मुहूर्त:
प्रातःकाल सूर्योदय से पहले या रात्रि को यह मंत्र जाप करना अधिक फलदायी होता है।
वृक्ष यक्षिणी मंत्र जाप
11 से 21 दिनों तक लगातार मंत्र जाप करें। मंत्र जाप का समय सूर्योदय से पहले या रात्रि का होना चाहिए।
सामग्री
- पंचमुखी दीपक
- धूप
- चंदन या गुलाब की अगरबत्ती
- सफेद या पीले वस्त्र
- कमल का फूल
- कच्चा दूध
- जल और प्रसाद
मंत्र जाप संख्या
प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करें।
मंत्र जाप के नियम
- मंत्र जाप करते समय साधक की आयु 20 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
- पुरुष और महिलाएं दोनों यह जाप कर सकते हैं।
- नीले और काले वस्त्र न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
जप सावधानी
मंत्र जाप करते समय शुद्धता और ध्यान की आवश्यकता होती है। जाप के समय आस-पास का वातावरण शांत और स्वच्छ हो। साधक को मानसिक रूप से एकाग्र रहना चाहिए। नकारात्मक विचारों और अशुद्धियों से बचें।
वृक्ष यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: वृक्ष यक्षिणी कौन होती हैं?
उत्तर: वृक्ष यक्षिणी प्रकृति की रक्षक देवी मानी जाती हैं, जो वृक्षों और वनस्पतियों की रक्षा करती हैं।
प्रश्न 2: वृक्ष यक्षिणी मंत्र किस उद्देश्य से किया जाता है?
उत्तर: यह मंत्र आर्थिक समृद्धि, सुरक्षा, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 3: मंत्र का जाप कितने दिन करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र का जाप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक लगातार करना चाहिए।
प्रश्न 4: मंत्र जाप का सबसे अच्छा समय क्या है?
उत्तर: सूर्योदय से पहले या रात्रि के समय मंत्र जाप करना सर्वोत्तम माना जाता है।
प्रश्न 5: क्या महिलाएं यह मंत्र जाप कर सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएं भी यह मंत्र जाप कर सकती हैं, परंतु कुछ नियमों का पालन आवश्यक है।
प्रश्न 6: मंत्र जाप करते समय किन वस्त्रों का चयन करना चाहिए?
उत्तर: सफेद या पीले वस्त्र पहनना चाहिए, नीले और काले वस्त्र से बचना चाहिए।
प्रश्न 7: क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष दिन से शुरू किया जाना चाहिए?
उत्तर: हां, इस मंत्र का जाप शुक्रवार को शुरू करना शुभ माना जाता है।
प्रश्न 8: मंत्र जाप के दौरान किन चीजों से परहेज करना चाहिए?
उत्तर: धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।
प्रश्न 9: मंत्र जाप के लिए कौन सी सामग्री आवश्यक है?
उत्तर: दीपक, धूप, चंदन, अगरबत्ती, सफेद या पीले वस्त्र, कमल का फूल, कच्चा दूध और जल आवश्यक हैं।
प्रश्न 10: मंत्र जाप के लाभ क्या हैं?
उत्तर: मंत्र जाप से आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य सुधार, और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
प्रश्न 11: क्या वृक्ष यक्षिणी मंत्र से संपत्ति प्राप्ति संभव है?
उत्तर: हां, यह मंत्र संपत्ति और धन प्राप्ति के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।
प्रश्न 12: मंत्र जाप के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र जाप के बाद देवी यक्षिणी को प्रसाद अर्पित करें और उन्हें धन्यवाद करें।