देवशयनी एकादशी व्रत-17 july 2025
Dev shayani ekadashi vrat हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं, जिसे ‘चतुर्मास’ कहा जाता है। इस व्रत का पालन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
देवशयनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु की शयन के लिए प्रसिद्ध है। भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं। इस दौरान, पृथ्वी पर भगवान शिव और अन्य देवताओं द्वारा सृष्टि का संचालन किया जाता है। चतुर्मास में विवाह, नए कार्य और शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सत्ययुग में मान्धाता नामक एक राजा था। उसकी प्रजा बहुत सुखी थी, लेकिन एक समय राज्य में भारी अकाल पड़ा। प्रजा दुखी और पीड़ित हो गई। राजा ने मुनि अंगिरा से इस समस्या का समाधान पूछा। मुनि ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी का व्रत करने से इस समस्या का समाधान हो जाएगा। राजा ने विधि पूर्वक व्रत किया, जिससे राज्य में फिर से सुख, शांति और समृद्धि आई।
व्रत विधि
1. व्रत की पूर्व संध्या:
व्रत से एक दिन पहले साधक को एक संकल्प लेना चाहिए और शाम को हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए।
2. व्रत का दिन:
व्रत के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने धूप, दीप, पुष्प, फल, पंचामृत आदि अर्पित करना चाहिए।
3. पूजा विधि:
भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद चंदन, हल्दी, कुमकुम, फूलों की माला, और वस्त्र अर्पित करें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। प्रसाद में फल, मिठाई और तुलसी पत्र अर्पित करें।
4. दिन भर उपवास:
दिनभर व्रत रखें और अन्न का सेवन न करें। फलाहार या दूध का सेवन कर सकते हैं। दिनभर भगवान विष्णु के नाम का स्मरण और मंत्र जाप करें।
5. रात्रि जागरण:
रात्रि में भगवान विष्णु की कथा सुनें और भजन-कीर्तन करें। जागरण करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
6. व्रत का पारण:
अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें। इसके बाद स्वयं व्रत का पारण करें।
व्रत का लाभ
देवशयनी एकादशी व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत विशेष रूप से पापों का नाश करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। इसके साथ ही यह व्रत चार महीनों के चतुर्मास के प्रारंभ का संकेत भी है, जो साधना और तपस्या के लिए महत्वपूर्ण समय माना जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह व्रत लाभकारी है। इस समय वर्षा ऋतु का प्रारंभ होता है, जिससे पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। उपवास रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। इसके अलावा, मानसिक शांति और आध्यात्मिकता में वृद्धि होती है।
देवशयनी एकादशी और चतुर्मास
चतुर्मास के चार महीने धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय साधक ध्यान, साधना और तपस्या में अधिक समय बिताते हैं। यह समय आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए आदर्श माना जाता है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। चतुर्मास के दौरान साधक को सात्विक आहार और आचरण का पालन करना चाहिए।
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन
धार्मिक ग्रंथों में देवशयनी एकादशी का विस्तृत वर्णन मिलता है। पद्म पुराण, स्कंद पुराण, और विष्णु पुराण में इस व्रत की महिमा का वर्णन किया गया है। भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और उनकी लीलाओं का वर्णन भी इस व्रत के साथ जुड़ा हुआ है।
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विशेष परंपराएं
देवशयनी एकादशी के दिन विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भजन-कीर्तन, प्रवचन और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस दिन विशेष रूप से तुलसी का पूजन भी किया जाता है, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
देवशयनी एकादशी व्रत के विषय में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. देवशयनी एकादशी कब मनाई जाती है?
उत्तर: देवशयनी एकादशी व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह आमतौर पर जून या जुलाई के महीने में पड़ती है।
2. देवशयनी एकादशी का क्या महत्व है?
उत्तर: देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं, जिसे ‘चतुर्मास’ कहा जाता है। इस व्रत का पालन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. व्रत की पूजा विधि क्या है?
उत्तर:
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने धूप, दीप, पुष्प, फल, पंचामृत आदि अर्पित करें।
- पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें और चंदन, हल्दी, कुमकुम, फूलों की माला, और वस्त्र अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- फल, मिठाई और तुलसी पत्र का प्रसाद अर्पित करें।
- रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन करें।
4. क्या इस दिन उपवास रखना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, देवशयनी एकादशी के दिन उपवास रखना आवश्यक माना जाता है। आप फलाहार या दूध का सेवन कर सकते हैं। दिनभर भगवान विष्णु के नाम का स्मरण और मंत्र जाप करें।
5. व्रत का पारण कब और कैसे किया जाता है?
उत्तर: व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी को किया जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें। इसके बाद स्वयं व्रत का पारण करें।
6. देवशयनी एकादशी व्रत के क्या लाभ हैं?
उत्तर: इस व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत पापों का नाश करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। इसके अलावा, यह व्रत चार महीनों के चतुर्मास के प्रारंभ का संकेत भी है, जो साधना और तपस्या के लिए महत्वपूर्ण समय माना जाता है।
7. क्या चतुर्मास के दौरान विवाह और अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, चतुर्मास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। यह समय साधना, ध्यान और तपस्या के लिए समर्पित होता है।
8. क्या देवशयनी एकादशी व्रत का वैज्ञानिक महत्व भी है?
उत्तर: हाँ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह व्रत लाभकारी है। इस समय वर्षा ऋतु का प्रारंभ होता है, जिससे पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। उपवास रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। इसके अलावा, मानसिक शांति और आध्यात्मिकता में वृद्धि होती है।
9. व्रत के दिन कौन-कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए?
उत्तर: व्रत के दिन भगवान विष्णु के निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है:
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमो नमः
- ॐ विष्णवे नमो नमः
- ॐ नारायणाय नमो नमः
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी अत्यंत शुभ होता है।
10. क्या व्रत का पालन महिलाएं भी कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, देवशयनी एकादशी व्रत का पालन महिलाएं और पुरुष दोनों कर सकते हैं। इसका पालन करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
11. क्या तुलसी का पूजन करना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, देवशयनी एकादशी के दिन तुलसी का पूजन विशेष रूप से किया जाता है क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
12. व्रत के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
उत्तर: व्रत के दौरान सात्विक आहार और आचरण का पालन करें। नकारात्मक विचारों और कार्यों से बचें। भगवान विष्णु की भक्ति और साधना में मन लगाएं।