Argala Stotra Path for economic prosperity

अर्गला स्तोत्र पाठ – भौतिक सुख व पारिवारिक शांती पायें

अर्गला स्तोत्र देवी दुर्गा की स्तुति में रचित एक प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से साधक को अपार शक्ति और देवी की कृपा प्राप्त होती है। इस स्तोत्र का विशेष महत्त्व दुर्गा सप्तशती के पाठ में है। अर्गला स्तोत्र में देवी की महिमा का गुणगान किया गया है, जिसमें देवी से जीवन की सभी समस्याओं का निवारण और समृद्धि की कामना की जाती है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति आती है।

अर्गला स्तोत्र संपूर्ण पाठ और उसका अर्थ

ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥

मदेऽस्मिन्संस्मृता हंता सम्पूर्णार्थे स्थिता शिवे।
काली करालवक्त्रां च कालरात्रिं नमाम्यहम्॥

यया गुप्तः सर्वमिदं स्वमाज्ञया।
वसुधायामसि वैकुण्ठे हंसानां सनातनी॥

ॐ शरण्ये त्रिनेत्रायाः साक्षात् त्रिपुरसुन्दरी।
गदितं सर्वसम्पत् तं प्राप्नुहि सर्वदा॥

जपाकुसुमसङ्काशां चामुण्डामनोज्ञकाम्।
नवकंजमुखां देवी दुर्गां भक्तानामतोषिणीम्॥

मृगदृग्गिरिजातां च कालरात्रिं कल्याणीम्।
कामाक्षां च दयामयीं सर्वकर्मोपशान्तिदाम्॥

ह्लीं ह्लीं ह्लीं ह्लीं च यन्त्रम्।
सदा सर्वदा सर्वसुखं प्राप्नुहि च सर्वदा॥

ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै नमः।
ॐ दुर्गायै नमः, सर्वं सर्वदाश्रयम्॥

देव्यै सर्वसम्पत् करोम्यहम्।
भद्रकाली महाकाली महादेवयै नमः॥

सर्वांगेऽस्मिन्संप्राप्ति कृते यशोऽस्मिन्तु सम्प्राप्तिः।
जयतां वाचो विकरवः।

सर्वजन्यसुखं देहि।
सर्वजन्यदुःखं मयि नाशय॥

सर्वजन्यसम्पत्करो मे सदा कुरु मे मति:।
सर्वजन्यदुखं कष्टं विहाय मे सुखदं कुरु॥

कृते कृतमुदितं त्वं वैकुण्ठं ते महेश्वरम्।
सर्वाणि हन्तु मे कष्टानि॥

जो दुर्गामन्त्रं वदन्ति तं कार्यं सदा सिध्यति।
सर्वदा सदा कृते कृते यशः॥

ध्यात्वा तं सर्वजन्यं चायं तत् सर्वदुःखं हन्तु मे॥

सर्वज्ञायां सर्वजन्यायां सर्वज्ञास्वरूपिण्यै नमः॥

देवी सर्वसम्पदां देहि।
हे भवानी सर्वज्ञानेऽस्मिन कृते सदा कुरु॥

अर्थ:

  • जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी – हे देवी! आप सभी संकटों से मुक्ति देने वाली हैं।
  • दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते – आपके बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है।
  • मदेऽस्मिन्संस्मृता हंता सम्पूर्णार्थे स्थिता शिवे – आपकी स्मृति में सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
  • काली करालवक्त्रां च कालरात्रिं नमाम्यहम् – हे काली! आपके तेजस्वी रूप को मैं नमन करता हूँ।
  • यया गुप्तः सर्वमिदं स्वमाज्ञया – आपकी कृपा से सब कुछ सुरक्षित और सफल होता है।
  • वसुधायामसि वैकुण्ठे हंसानां सनातनी – आप सभी जीवों की रक्षा करती हैं और वैकुण्ठ में निवास करती हैं।
  • ॐ शरण्ये त्रिनेत्रायाः साक्षात् त्रिपुरसुन्दरी – आप सच्चे ज्ञान की देवी हैं, आपको मेरा नमन है।
  • गदितं सर्वसम्पत् तं प्राप्नुहि सर्वदा – आपके नाम का जप करने से सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
  • जपाकुसुमसङ्काशां चामुण्डामनोज्ञकाम् – आप चामुण्डा हैं, जिनका रंग लाल है।
  • नवकंजमुखां देवी दुर्गां भक्तानामतोषिणीम् – हे दुर्गा! आप भक्तों को प्रसन्न करती हैं।
  • मृगदृग्गिरिजातां च कालरात्रिं कल्याणीम् – आप सभी प्रकार की मंगलकारी हैं, और जीवन में सुख लाती हैं।
  • कामाक्षां च दयामयीं सर्वकर्मोपशान्तिदाम् – आप सभी कार्यों की सफलता की देवी हैं।
  • ह्लीं ह्लीं ह्लीं ह्लीं च यन्त्रम् – ये बीज मंत्र समस्त इच्छाओं की पूर्ति करते हैं।
  • सदा सर्वदा सर्वसुखं प्राप्नुहि च सर्वदा – आपको ध्यान करने से सभी प्रकार के सुख मिलते हैं।
  • देव्यै सर्वसम्पत् करोम्यहम् – हे देवी! आप मुझे समस्त समृद्धि प्रदान करें।
  • सर्वजन्यसुखं देहि। सर्वजन्यदुःखं मयि नाशय – सभी के सुख की कामना करती हूँ और दुःख को समाप्त करने का निवेदन करती हूँ।
  • सर्वजन्यसम्पत्करो मे सदा कुरु मे मति – मेरे मन में सकारात्मकता और समृद्धि का संचार करें।

अर्गला स्तोत्र के लाभ

  1. मानसिक शांति और संतुलन मिलता है।
  2. भौतिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  3. जीवन में सभी संकटों का निवारण होता है।
  4. पारिवारिक सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
  5. कष्ट और दुर्भाग्य का अंत होता है।
  6. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  7. आत्मबल और साहस में वृद्धि होती है।
  8. नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा होती है।
  9. आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान में सफलता मिलती है।
  10. माता दुर्गा की कृपा से इच्छाओं की पूर्ति होती है।
  11. शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
  12. आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  13. मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  14. भय और चिंता का नाश होता है।
  15. देवी की कृपा से जीवन में स्थिरता आती है।
  16. धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में सफलता मिलती है।
  17. संतान सुख और परिवार की सुरक्षा होती है।

अर्गला स्तोत्र पाठ विधि

अर्गला स्तोत्र का पाठ किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है, लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्रि के समय इसका विशेष महत्त्व है।

पाठ करने के दिन और अवधि

इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है। साधक इसे 41 दिनों तक निरंतर कर सकते हैं। नियमित रूप से सूर्योदय या सूर्यास्त के समय इसका पाठ शुभ माना जाता है।

पाठ का मुहूर्त

पाठ का सर्वोत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त है, लेकिन यदि यह संभव न हो, तो सूर्यास्त का समय भी उत्तम माना जाता है।

अर्गला स्तोत्र के नियम

  1. अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. पाठ के दौरान देवी दुर्गा के चित्र या मूर्ति के सामने बैठें।
  3. पूजा स्थल को साफ-सुथरा और शांत रखें।
  4. साधना को गुप्त रखें और किसी को ना बताएं।
  5. पाठ के समय पूर्ण एकाग्रता और ध्यान रखें।
  6. प्रतिदिन देवी की आराधना में मन लगाकर बैठें।
  7. हर पाठ के बाद देवी दुर्गा की आरती करें।
  8. मन, वचन और कर्म से शुद्धता का पालन करें।

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अर्गला स्तोत्र पाठ की सावधानियाँ

  1. पाठ के दौरान किसी प्रकार की व्यावधान से बचें।
  2. अशुद्ध मन और शरीर से पाठ न करें।
  3. स्तोत्र का पाठ करते समय पूरी एकाग्रता बनाए रखें।
  4. साधना के समय अन्य विचारों से मन को मुक्त रखें।
  5. देवी के प्रति संदेह और असंतोष का भाव न रखें।

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अर्गला स्तोत्र पाठ की कथा

अर्जुन और द्रौपदी की कथा से जुड़ी है अर्गला स्तोत्र। महाभारत के समय, पांडवों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जब पांडवों ने वनवास प्राप्त किया, तब उन्हें बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। इस दौरान, द्रौपदी ने माता दुर्गा की शरण ली। उन्होंने देवी से सहायता की प्रार्थना की।

एक दिन, द्रौपदी ने अपने मंत्रों के साथ देवी की आराधना करने का निर्णय लिया। उन्होंने अर्गला स्तोत्र का पाठ किया। देवी दुर्गा ने उनकी आराधना सुन ली। देवी ने द्रौपदी को आश्वासन दिया कि वे हमेशा उनके साथ रहेंगी।

द्रौपदी ने निरंतर अर्गला स्तोत्र का पाठ किया। इसके प्रभाव से उनके सभी संकट दूर होने लगे। पांडवों को भी शक्ति और साहस मिला। उन्होंने एकजुट होकर अपने शत्रुओं का सामना करने का निर्णय लिया।

जब पांडवों ने अपने दुश्मनों से लड़ाई की, तब देवी दुर्गा ने उन्हें आशीर्वाद दिया। युद्ध के दौरान, पांडवों की शक्ति और सामर्थ्य में अद्भुत वृद्धि हुई। द्रौपदी की आराधना से देवी ने उन्हें विजयी बनाया।

इस प्रकार, अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से द्रौपदी ने अपने जीवन में खुशहाली और सफलता प्राप्त की। यह कथा हमें सिखाती है कि श्रद्धा और भक्ति से देवी की कृपा प्राप्त होती है।

अर्गला स्तोत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न: अर्गला स्तोत्र का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: अर्गला स्तोत्र का पाठ 41 दिनों तक निरंतर करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न: क्या अर्गला स्तोत्र का पाठ केवल नवरात्रि में किया जा सकता है?

उत्तर: नहीं, अर्गला स्तोत्र का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में इसका विशेष महत्व है।

प्रश्न: अर्गला स्तोत्र के पाठ का सर्वोत्तम समय क्या है?

उत्तर: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह) या सूर्यास्त का समय अर्गला स्तोत्र पाठ के लिए सबसे उत्तम माना गया है।

प्रश्न: अर्गला स्तोत्र का पाठ कौन कर सकता है?

उत्तर: कोई भी व्यक्ति, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, अर्गला स्तोत्र का पाठ कर सकता है।

प्रश्न: अर्गला स्तोत्र का नियमित पाठ करने के क्या लाभ हैं?

उत्तर: नियमित पाठ से मानसिक शांति, समृद्धि, और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।

प्रश्न: क्या अर्गला स्तोत्र का पाठ गुप्त रूप से करना चाहिए?

उत्तर: हाँ, अर्गला स्तोत्र की साधना और पूजा को गुप्त रखने की परंपरा है।

प्रश्न: क्या अर्गला स्तोत्र के पाठ के दौरान किसी विशेष नियम का पालन करना आवश्यक है?

उत्तर: हाँ, पाठ के समय शुद्धता और ध्यान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न: क्या अर्गला स्तोत्र का पाठ करने के लिए किसी गुरु की आवश्यकता होती है?

उत्तर: नहीं, लेकिन यदि कोई गुरु दीक्षा देता है, तो इसका प्रभाव अधिक होता है।

प्रश्न: क्या अर्गला स्तोत्र का पाठ केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है?

उत्तर: नहीं, इसे पुरुष भी कर सकते हैं और देवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न: क्या अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से शत्रु भय समाप्त हो सकता है?

उत्तर: हाँ, इस स्तोत्र के नियमित पाठ से शत्रु भय और विपत्तियों का नाश होता है।

प्रश्न: क्या अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?

उत्तर: हाँ, अर्गला स्तोत्र के पाठ से आर्थिक समृद्धि और धन लाभ होता है।

प्रश्न: क्या अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से संतान सुख प्राप्त होता है?

उत्तर: हाँ, देवी की कृपा से संतान सुख और परिवार की सुरक्षा प्राप्त होती है।

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