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Katyayani Mantra Sadhana to Remove Marriage Obstacles

विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए देवी कात्यायनी साधना

Katyayani Mantra Sadhana – कई बार विवाह में अनचाही देरी, रुकावटें और अज्ञात कारणों से समस्या आती है। कुंडली में मौजूद ग्रह बाधाएं या दोष इन समस्याओं का प्रमुख कारण हो सकते हैं। ऐसे में देवी कात्यायनी की साधना अत्यंत प्रभावशाली होती है। यह साधना विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए फायदेमंद होती है जिनके विवाह में देरी हो रही हो, बार-बार रिश्ते टूट रहे हों या ग्रह दोष विवाह में रुकावट डाल रहे हों।

देवी कात्यायनी को विवाह बाधा निवारण की देवी माना जाता है। ॐ ऐं ह्रीं दुं कात्यायनेश्वरी सर्व विघ्न बाधा नष्टय क्लीं स्वाहा मंत्र का नियमित जाप करने से विवाह के मार्ग की सभी अड़चनें दूर होती हैं।


लाभ – विवाह में सफलता के लिए देवी कात्यायनी साधना

  1. मांगलिक दोष से मुक्ति – जिनकी कुंडली में मंगल दोष हो, यह साधना उनके लिए लाभकारी होती है।
  2. रुकावटों का निवारण – विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं।
  3. रिश्तों में स्थिरता – वैवाहिक जीवन सुखद और प्रेमपूर्ण बनता है।
  4. ग्रह दोष निवारण – शुक्र, शनि, राहु और मंगल दोष से मुक्ति मिलती है।
  5. मनोकामना पूर्ण होना – इच्छित जीवनसाथी मिलने में सहायता होती है।
  6. पारिवारिक सहमति – परिवार में विवाह को लेकर सहमति बनती है।
  7. नेगेटिव एनर्जी से बचाव – बुरी दृष्टि और टोने-टोटकों का असर समाप्त होता है।
  8. शीघ्र विवाह योग – विवाह जल्दी होने के योग प्रबल होते हैं।
  9. सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि – साधक के जीवन में सकारात्मकता आती है।
  10. कर्म बाधा से मुक्ति – पूर्व जन्मों के बुरे कर्मों का असर समाप्त होता है।
  11. धन एवं समृद्धि में वृद्धि – साधना करने से आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है।
  12. परिवार में शांति – घर में सुख-शांति और प्रेम बढ़ता है।
  13. संभावित तलाक का निवारण – विवाहित दंपतियों के लिए भी यह साधना कल्याणकारी होती है।
  14. मन की एकाग्रता बढ़ती है – साधक का मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  15. ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है – देवी कात्यायनी की साधना से संपूर्ण जीवन में उन्नति होती है।

साधना विधि – विवाह में सफलता के लिए देवी कात्यायनी साधना कैसे करें

  1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. देवी कात्यायनी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  4. गुलाबी या लाल फूल देवी को अर्पित करें।
  5. चंदन या केसर से तिलक लगाएं।
  6. ॐ ऐं ह्रीं दुं कात्यायनेश्वरी सर्व विघ्न बाधा नष्टय क्लीं स्वाहा मंत्र का कम से कम ५४० बार जाप करें।
  7. जाप के बाद देवी को दूध से बनी मिठाई अर्पित करें।
  8. यह साधना लगातार ७ या २१ दिनों तक करें।
  9. संकल्प लें कि इस अवधि में सात्त्विक आहार और विचार रखें।
  10. अंत में देवी कात्यायनी की आरती करें।

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साधना के नियम – देवी कात्यायनी साधना में किन बातों का ध्यान रखें

  1. साधना के दौरान पूर्ण सात्त्विक आहार लें।
  2. किसी भी प्रकार का नशा न करें।
  3. साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  4. साफ-सुथरे स्थान पर ही साधना करें।
  5. साधना काल में क्रोध और नकारात्मक विचारों से बचें।
  6. साधना काल में रोज एक ही स्थान पर बैठकर मंत्र जाप करें।
  7. यदि संभव हो तो साधना के अंत में कन्याओं को भोजन कराएं।
  8. नियम भंग न करें, बीच में साधना रोकना अशुभ माना जाता है।
  9. देवी कात्यायनी का ध्यान करते हुए साधना करें।
  10. सफलता में जल्दबाजी न करें, धैर्य और श्रद्धा से साधना करें।

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शुभ मुहूर्त – देवी कात्यायनी साधना शुरू करने का सही समय

  1. नवरात्रि के दिनों में यह साधना विशेष फलदायी होती है।
  2. शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को साधना प्रारंभ करना शुभ होता है।
  3. गुरु पुष्य योग या रवि पुष्य योग में साधना करें।
  4. पूर्णिमा या एकादशी तिथि में साधना शुरू करना श्रेष्ठ होता है।
  5. कन्या राशि, वृषभ राशि या तुला राशि के चंद्रमा वाले दिन साधना करना लाभकारी होता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. देवी कात्यायनी साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए

यह साधना न्यूनतम ७ दिन और अधिकतम २१ दिन तक करनी चाहिए।

2. क्या यह साधना केवल कन्याओं के लिए है

नहीं, विवाह में देरी से परेशान कोई भी व्यक्ति इस साधना को कर सकता है।

3. क्या यह साधना विवाह के बाद भी की जा सकती है

हाँ, यह साधना वैवाहिक जीवन को सुखद बनाने के लिए भी की जा सकती है।

4. यदि साधना बीच में छूट जाए तो क्या करें

यदि साधना किसी कारणवश बीच में छूट जाए, तो दोबारा प्रारंभ करें।

5. क्या मंत्र जाप के लिए माला का प्रयोग करना चाहिए

हाँ, रुद्राक्ष या स्फटिक माला से जाप करना उत्तम होता है।

6. साधना का प्रभाव कितने समय में दिखता है

साधना का प्रभाव व्यक्ति की श्रद्धा और कर्मों पर निर्भर करता है। कुछ ही दिनों में सकारात्मक परिवर्तन दिख सकते हैं।

7. क्या इस साधना में किसी गुरु की आवश्यकता होती है

नहीं, यह साधना स्वयं भी की जा सकती है, परंतु गुरु मार्गदर्शन से लाभ अधिक मिलता है।

8. साधना समाप्त करने के बाद क्या करना चाहिए

साधना पूर्ण होने के बाद कन्याओं को भोजन कराएं और माता को धन्यवाद दें।


यह साधना उन सभी के लिए अत्यंत लाभकारी है जो विवाह में आने वाली बाधाओं से परेशान हैं। श्रद्धा और नियमपूर्वक साधना करने से देवी कात्यायनी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और विवाह के मार्ग की बाधाओं को दूर करती हैं।

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रोजगार और व्यापार में सफलता के लिए अचूक साधना | 7 दिन में चमत्कारी परिणाम

रोजगार और व्यापार में सफलता हर व्यक्ति का सपना होता है। लेकिन कई बार कठिनाइयाँ, बाधाएँ और आर्थिक संकट सफलता के मार्ग में रुकावट बनते हैं। सही साधना, मंत्र जाप और नियमों के पालन से इन बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

ॐ ऐं श्रीं कमलेश्वरी सर्व विघ्न बाधा नष्टय क्लीं स्वाहा मंत्र अत्यंत प्रभावशाली है। यह रोजगार और व्यापार में प्रगति के लिए सिद्ध और चमत्कारी माना जाता है। सात दिनों में इसके परिणाम दिखने लगते हैं। इस साधना से धन, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

सफलता के लिए श्रद्धा, विश्वास और सही विधि से साधना करना आवश्यक होता है। इस लेख में हम आपको इस साधना की संपूर्ण जानकारी देंगे।


ॐ ऐं श्रीं कमलेश्वरी सर्व विघ्न बाधा नष्टय क्लीं स्वाहा मंत्र के 15 अद्भुत लाभ

1. रोजगार में स्थिरता | नौकरी में तरक्की

इस मंत्र के नियमित जाप से नौकरी में उन्नति होती है। प्रमोशन और वेतन वृद्धि के योग बनते हैं।

2. व्यापार में लाभ | आर्थिक समृद्धि

व्यापार में मंदी, कर्ज या घाटा हो तो यह मंत्र चमत्कारी रूप से लाभकारी होता है।

3. भाग्य में वृद्धि | सफलता का द्वार खुलता है

इस मंत्र की साधना से सोया हुआ भाग्य जाग्रत होता है और सफलता के नए अवसर मिलते हैं।

4. सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं

यदि किसी प्रकार की अदृश्य बाधा, नकारात्मक ऊर्जा या शत्रु बाधा व्यापार में रुकावट डाल रही हो, तो यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है।

5. आकर्षण शक्ति में वृद्धि | लोगों का विश्वास बढ़ता है

इस साधना से व्यक्ति के व्यक्तित्व में सकारात्मक ऊर्जा आती है, जिससे लोग उसकी ओर आकर्षित होते हैं।

6. आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति में वृद्धि

इस मंत्र के प्रभाव से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और मानसिक तनाव कम होता है।

7. कर्ज से मुक्ति | आर्थिक संकट समाप्त

जो लोग आर्थिक संकट या कर्ज से परेशान हैं, वे इस मंत्र का जाप करके राहत पा सकते हैं।

8. नया रोजगार मिलने में सहायता

यदि कोई लंबे समय से बेरोजगार है, तो इस साधना के प्रभाव से उसे शीघ्र ही अच्छा रोजगार मिल सकता है।

9. महत्वपूर्ण निर्णयों में सफलता

व्यापार और नौकरी से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेने में यह साधना विशेष सहायक होती है।

10. धन आगमन के नए स्रोत खुलते हैं

इस साधना से धन के नए स्रोत बनते हैं और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

11. सौभाग्य में वृद्धि | दुर्भाग्य समाप्त

इस मंत्र का प्रभाव व्यक्ति के दुर्भाग्य को समाप्त कर सौभाग्य में वृद्धि करता है।

12. व्यापारिक साझेदारी में सफलता

यदि व्यापार में सही साझेदार नहीं मिल रहा है, तो इस साधना से यह समस्या समाप्त हो सकती है।

13. प्रतिस्पर्धा में विजय प्राप्त होती है

इस मंत्र से प्रतियोगी परीक्षाओं या व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में विजय प्राप्त होती है।

14. बुरी नजर और टोटके से रक्षा

इस साधना से व्यक्ति को बुरी नजर, टोटके और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।

15. कुलदेवी और लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है

इस मंत्र की साधना से देवी लक्ष्मी और कुलदेवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर और व्यापार में समृद्धि आती है।


साधना विधि | सही तरीके से करें मंत्र जाप

1. शुभ मुहूर्त में करें साधना

सुबह ब्रह्ममुहूर्त या रात 10 बजे के बाद इस मंत्र का जाप करें।

2. स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें

मंत्र जाप के लिए स्वच्छ, शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर स्थान चुनें।

3. कमल के फूल या कमलगट्टे की माला का प्रयोग करें

इस मंत्र का जाप कमलगट्टे की माला से करने पर शीघ्र फल प्राप्त होते हैं।

4. दीपक और धूप जलाएँ | वातावरण शुद्ध करें

साधना के दौरान घी का दीपक जलाएँ और चंदन की धूप से स्थान को पवित्र करें।

5. 7 दिनों तक नित्य जाप करें

निरंतर सात दिनों तक इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

6. माता लक्ष्मी और कुलदेवी का आह्वान करें

मंत्र जाप से पहले देवी लक्ष्मी और कुलदेवी का ध्यान करें।

7. साधना के बाद प्रसाद चढ़ाएँ

साधना के पूर्ण होने पर माता को फल, मिठाई या नारियल अर्पित करें।


साधना के नियम | सफलता के लिए पालन करें ये नियम

1. संकल्प लेकर साधना करें

पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ साधना करें और इसे बीच में न छोड़ें।

2. शुद्ध आचरण रखें | सात्विक भोजन करें

साधना के दौरान सात्विक आहार लें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

3. ब्रह्मचर्य का पालन करें

साधना के दौरान संयम रखना आवश्यक है।

4. किसी को अपशब्द न कहें | विनम्र रहें

इस दौरान किसी का अपमान न करें और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें।

5. ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें

मंत्र जाप के समय पूरी एकाग्रता के साथ ध्यान करें।

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साधना का सही मुहूर्त | शुभ तिथि और समय

1. अमावस्या या पूर्णिमा को करें साधना

अमावस्या या पूर्णिमा की रात्रि में यह साधना अत्यंत प्रभावी होती है।

2. दिवाली, नवरात्रि या अक्षय तृतीया को करें प्रारंभ

यह साधना विशेष रूप से इन शुभ तिथियों पर अधिक प्रभावी होती है।

3. मंगलवार और शुक्रवार का दिन श्रेष्ठ

मंगलवार को इस मंत्र का जाप करने से बाधाएँ शीघ्र दूर होती हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | महत्वपूर्ण सवालों के जवाब

1. इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है

कोई भी श्रद्धालु व्यक्ति इस मंत्र का जाप कर सकता है।

2. क्या इस मंत्र को करने के लिए गुरु की आवश्यकता है

नहीं, यह मंत्र स्वयं सिद्ध किया जा सकता है।

3. कितने दिनों में परिणाम मिलते हैं

7 दिनों में सकारात्मक बदलाव दिखने लगते हैं।

4. क्या इस साधना से आर्थिक तंगी समाप्त होती है

हाँ, यह मंत्र आर्थिक तंगी को समाप्त करने में सहायक है।

5. क्या महिलाएँ इस साधना को कर सकती हैं

हाँ, महिलाएँ भी इस मंत्र का जाप कर सकती हैं।

6. क्या इस मंत्र का असर स्थायी होता है

हाँ, यदि इसे नियमित रूप से किया जाए तो इसका असर स्थायी होता है।

7. क्या यह मंत्र सभी कार्यों में सफलता दिला सकता है

हाँ, यह मंत्र बाधाएँ दूर करके सफलता की राह खोलता है।

8. यदि किसी दिन जाप न कर पाए तो क्या करें

यदि किसी दिन जाप न कर सकें तो अगले दिन दोगुना जाप करें।

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यह साधना रोजगार और व्यापार में सफलता पाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। श्रद्धा, नियम और विधि का पालन करने से शीघ्र चमत्कारी परिणाम मिलते हैं।

Pratyangira Sadhana for Protection & Prosperity

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रातोंरात बदलाव प्रत्यंगिरा साधना से मिले अद्भुत शक्तियों का रहस्य

प्रत्यंगिरा देवी अत्यंत शक्तिशाली देवी हैं। उनकी साधना करने से व्यक्ति को अद्भुत सिद्धियाँ और आत्मरक्षा की शक्ति प्राप्त होती है। यह साधना नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु बाधा, तंत्र दोष और भय को दूर करने में सहायक होती है। प्राचीन ग्रंथों में प्रत्यंगिरा देवी को उग्र और दयालु रूप में वर्णित किया गया है।

प्रत्यंगिरा साधना करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह साधना व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और आत्मविश्वास बढ़ाती है। यह उन साधकों के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है जो आध्यात्मिक ऊँचाइयों को प्राप्त करना चाहते हैं।

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अद्भुत लाभ

1. जीवन में सुरक्षा और आत्मरक्षा की शक्ति

प्रत्यंगिरा देवी की साधना करने से व्यक्ति को हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।

2. शत्रु बाधाओं का नाश

यह साधना शत्रुओं से मुक्ति दिलाती है। यदि कोई व्यक्ति तांत्रिक प्रयोग कर रहा है तो वह निष्फल हो जाता है।

3. भयमुक्त जीवन का आशीर्वाद

साधक का मन निर्भीक और शक्तिशाली बनता है। उसे किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता।

4. अद्भुत आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति

साधक को आत्मबोध, अदृश्य शक्तियों का सहयोग और सिद्धियों का अनुभव होता है।

5. नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव समाप्त

घर, व्यापार और व्यक्तिगत जीवन में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।

6. कुंडली दोषों का निवारण

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष, ग्रह दोष या तंत्र बाधा है तो वह दूर हो जाती है।

7. तंत्र-मंत्र से सुरक्षा

साधना करने से व्यक्ति पर कोई भी तंत्र-मंत्र या काला जादू प्रभावी नहीं होता।

8. धन और समृद्धि की प्राप्ति

व्यापार में बाधाएँ समाप्त होती हैं और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।

9. आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि

साधना करने से साधक का ध्यान केंद्रित होता है और उसे उच्च आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होते हैं।

10. मानसिक शांति और सकारात्मकता

मन में शांति बनी रहती है। चिंता, तनाव और अनावश्यक विचार दूर हो जाते हैं।

11. परिवार में सुख-शांति का वास

घर में सुख-शांति बनी रहती है। गृह क्लेश समाप्त हो जाते हैं।

12. रोगों से मुक्ति

साधना करने से व्यक्ति का शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।

13. कार्यों में सफलता

रुके हुए कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होते हैं और उन्नति के मार्ग खुलते हैं।

14. विवाह और संतान सुख की प्राप्ति

संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो या विवाह में विलंब हो रहा हो तो यह साधना लाभकारी होती है।

15. देवी कृपा से अद्भुत आभामंडल

साधना से व्यक्ति के व्यक्तित्व में दिव्यता आ जाती है और उसका आभामंडल प्रभावशाली बन जाता है।


प्रत्यंगिरा साधना विधि और नियम

1. साधना का शुभारंभ और तैयारी

साधना किसी गुरु के मार्गदर्शन में करनी चाहिए। शुद्ध मन, वस्त्र और स्थान का चयन करें।

2. मंत्र जाप और उच्चारण विधि

“ॐ ह्रीं प्रत्यंगिरे सर्व विघ्न बाधा भंजनम् क्लीं स्वाहा” मंत्र का 1008 बार जाप करें।

3. आसन और ध्यान

कुश के आसन पर बैठकर साधना करें। मन को एकाग्र करते हुए देवी का ध्यान करें।

4. हवन और तर्पण

साधना के दौरान हवन करना अधिक प्रभावी होता है। तिल, गुग्गुल और काले तिल से आहुति दें।

5. नियम और संयम

साधना के दौरान सात्विक भोजन करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें और नकारात्मक विचारों से बचें।

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शुभ मुहूर्त

प्रत्यंगिरा साधना करने के लिए अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और ग्रहण काल विशेष रूप से शुभ होते हैं। मंगलवार और शनिवार को यह साधना अधिक प्रभावी मानी जाती है। यह एक दिन की साधना रात्रि के समय साधना करने से शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है।

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प्रत्यंगिरा साधना से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

1. प्रत्यंगिरा साधना कौन कर सकता है

कोई भी व्यक्ति जिसे देवी की कृपा प्राप्त करनी है, वह इस साधना को कर सकता है।

2. क्या प्रत्यंगिरा साधना से डरने की आवश्यकता है

नहीं, यदि सही विधि से की जाए तो यह साधना अत्यंत शुभ और प्रभावी होती है।

3. क्या साधना से शीघ्र फल मिलता है

साधना की विधि और श्रद्धा पर निर्भर करता है। कुछ साधकों को तुरंत लाभ मिलता है, कुछ को समय लगता है।

4. क्या यह साधना घर में कर सकते हैं

हाँ, लेकिन स्थान को पवित्र रखना आवश्यक है।

5. क्या इस साधना के दौरान ब्रह्मचर्य अनिवार्य है

हाँ, साधना के दौरान संयम और पवित्रता आवश्यक होती है।

6. क्या साधना के लिए गुरु की आवश्यकता होती है

हाँ, गुरु के मार्गदर्शन में साधना करना अधिक लाभकारी होता है।

7. क्या महिलाएँ यह साधना कर सकती हैं

हाँ, लेकिन विशेष दिनों में विश्राम करना चाहिए।

8. साधना के बाद क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए

साधना पूरी होने के बाद देवी का आभार प्रकट करें और सात्विक जीवन अपनाएँ।


अंत मे

प्रत्यंगिरा साधना एक अत्यंत प्रभावशाली साधना है। इससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। आत्मरक्षा, शत्रु बाधा निवारण, धन-समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए यह साधना अत्यंत लाभकारी है। श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से साधक को देवी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।

Kurma Chakra – The Secret Energy Center of Stability

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कूर्म चक्र: आध्यात्मिक स्थिरता और कुंडलिनी जागरण का रहस्यमय केंद्र

कूर्म चक्र एक गूढ़ तांत्रिक एवं आध्यात्मिक अवधारणा है, जिसका उल्लेख विभिन्न योग, तंत्र, और वैदिक ग्रंथों में मिलता है। इसे साधनात्मक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण ऊर्जा केंद्र के रूप में देखा जाता है।

अवधारणा

  1. शरीर में स्थित स्थान – कूर्म चक्र को नाभि के नीचे (मूलाधार और स्वाधिष्ठान चक्र के मध्य) स्थित माना जाता है।
  2. ऊर्जा नियंत्रण केंद्र – यह चक्र शरीर में प्राण-ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करता है और स्थिरता प्रदान करता है।
  3. कूर्म अर्थात कछुआ – तंत्र शास्त्रों में ‘कूर्म’ का अर्थ कछुआ होता है, जो अपनी स्थिरता और सहनशीलता के लिए प्रसिद्ध है। कूर्म चक्र भी साधक को ध्यान, साधना और कुंडलिनी जागरण में स्थिरता प्रदान करता है।
  4. सांस नियंत्रण से संबंध – यह चक्र प्राणायाम एवं ध्यान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साधक की चेतना को गहराई प्रदान करता है।

आध्यात्मिक महत्व

  • योग साधना में – कूर्म चक्र ध्यान और समाधि की गहराई को बढ़ाने में सहायक है।
  • तांत्रिक साधनाओं में – तंत्र मार्ग के साधक इस चक्र का उपयोग उच्च ऊर्जा जागरण के लिए करते हैं।
  • कुंडलिनी जागरण में – कूर्म चक्र जाग्रत होने पर कुंडलिनी शक्ति को संतुलित रूप से ऊपर उठाने में सहायता करता है।

लाभ

  1. मानसिक और भावनात्मक स्थिरता
  2. साधना में गहरी तल्लीनता और सफलता
  3. प्राण शक्ति का नियंत्रण और वृद्धि
  4. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार
  5. अलौकिक अनुभव और आध्यात्मिक जागरूकता

कूर्म चक्र अभ्यास विधि

कूर्म चक्र साधना को सफलतापूर्वक करने के लिए विशेष ध्यान, प्राणायाम और मंत्र जाप का अभ्यास आवश्यक है। यह साधना ध्यान और कुंडलिनी योग के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

1. आसन और मुद्रा

  • किसी शांत और पवित्र स्थान पर कंबल या आसन बिछाकर पद्मासन, सिद्धासन, या सुखासन में बैठें।
  • मेरुदंड (रीढ़) सीधा रखें और नेत्रों को हल्के से बंद कर लें।
  • हाथों को ज्ञान मुद्रा या कूर्म मुद्रा में रखें।

2. श्वास नियंत्रण (प्राणायाम अभ्यास)

कूर्म चक्र के जागरण में प्राणायाम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

नाड़ी शोधन प्राणायाम – बाईं नासिका से श्वास लें, कुछ क्षण रुकें, फिर दाईं नासिका से श्वास छोड़ें। पुनः दाईं नासिका से श्वास लेकर बाईं से छोड़ें। यह चक्र 10-15 बार दोहराएं।
भ्रामरी प्राणायाम – गले के आधार को स्पंदित करते हुए “म” ध्वनि का उच्चारण करें और कंपन को नाभि तक महसूस करें।
कूर्म मुद्रा – सिर को झुका कर ठुड्डी को छाती से लगाएं, हाथों को घुटनों पर रखें, और धीरे-धीरे गहरी सांसें लें।


3. ध्यान (Meditation on Kurma Chakra)

ध्यान करने के लिए अपनी चेतना को नाभि के केंद्र (स्वाधिष्ठान और मूलाधार के मध्य) पर केंद्रित करें।
कल्पना करें कि वहां एक दिव्य सुनहरी या नीली ऊर्जा घूम रही है और शरीर में स्थिरता ला रही है।
मन को पूरी तरह से स्थिर रखें और विचारों को शांत करें।
साधना के दौरान शांति और गहराई को महसूस करें।


4. मंत्र जाप

कूर्म चक्र को जाग्रत करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जा सकता है:

बीज मंत्र: “ॐ कूर्माय नमः”
विकल्प मंत्र: “ॐ ह्रीं कूर्माय स्वाहा”
तांत्रिक मंत्र: (ॐ ह्रीं कुर्माय हुं फट्ट)

कम से कम 108 बार (1 माला) जाप करें। अनभवी साधकों के लिए 21 माला तक का जाप करने का निर्देश दिया जाता है।

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5. अभ्यास के दौरान सावधानियां

  • कोई भी साधना गुरु की अनुमति और मार्गदर्शन के बिना उग्र रूप से न करें।
  • साधना से पहले शुद्ध आहार (सात्त्विक भोजन) और संयमित जीवन शैली अपनाएं।
  • अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाएं, और शरीर में होने वाले परिवर्तनों पर ध्यान दें।
  • चित्त में अस्थिरता या मानसिक उथल-पुथल महसूस हो तो तुरंत साधना रोककर गुरु से परामर्श करें।

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6. अभ्यास से प्राप्त लाभ

  • मन और शरीर में स्थिरता आती है।
  • कुंडलिनी जागरण में सहायक होता है।
  • ध्यान और समाधि में प्रगति होती है।
  • जीवन में आत्मविश्वास और सहनशीलता बढ़ती है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है।

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अंत मे

कूर्म चक्र साधना शरीर और मन को स्थिर करने वाली अत्यंत प्रभावशाली साधना है। जो साधक इसे नियमित रूप से करते हैं, उन्हें ध्यान, योग, और आध्यात्मिक साधनाओं में विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। इस साधना को सही विधि और गुरु के मार्गदर्शन में करने से सिद्धि प्राप्त की जा सकती है।

“धैर्य, साधना, और नियमित अभ्यास ही सफलता की कुंजी है।”

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दिशा शूल का रहस्य: कौन सी दिशा आपके लिए शुभ और कौन सी अशुभ?

दिशा शूल (Directional Pain) एक ज्योतिषीय शब्द है, जिसका अर्थ है उस दिशा में दर्द या पीड़ा होना, जो शरीर के किसी विशेष हिस्से में उत्पन्न हो। यह शूल मुख्य रूप से उन स्थानों या दिशाओं के साथ जुड़ा होता है, जहां से शुभ या अशुभ प्रभाव आते हैं। भारतीय ज्योतिष में दिशा शूल का विशेष महत्व है, क्योंकि यह किसी कार्य को करने या यात्रा पर जाने से पहले दिशाओं के प्रभाव को समझने में मदद करता है।

महत्व

दिशा शूल का संबंध विशेष रूप से ग्रहों और तंत्र-मंत्र से होता है। यह ज्योतिषीय दृष्टिकोण से एक दिशा की ओर यात्रा या कार्य करने पर प्रतिकूल परिणामों का संकेत कर सकता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से यात्रा, गृह प्रवेश, या किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के शुभ मुहूर्त को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।

दिशा शूल के प्रकार

आधिकारिक रूप से आठ दिशाएं मानी जाती हैं:

  1. उत्तर (North) – यह दिशा समृद्धि, ज्ञान, और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिशा से शूल का कोई प्रभाव नहीं होता।
  2. दक्षिण (South) – दक्षिण दिशा अशुभ मानी जाती है, खासकर यात्रा करने के लिए।
  3. पूर्व (East) – यह दिशा शुभ मानी जाती है और यहां से शूल का प्रभाव कम होता है।
  4. पश्चिम (West) – यह दिशा भी अशुभ मानी जाती है और यहां यात्रा या कार्य करने से हानि हो सकती है।
  5. उत्तर-पूर्व (North-East) – यह दिशा भी शुभ मानी जाती है, और यहां से शूल का प्रभाव न के बराबर होता है।
  6. उत्तर-पश्चिम (North-West) – यह दिशा समृद्धि और व्यापार के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
  7. दक्षिण-पूर्व (South-East) – यह दिशा मुख्य रूप से स्वास्थ्य से जुड़ी हुई होती है, और यहां से शूल का असर स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
  8. दक्षिण-पश्चिम (South-West) – यह दिशा शक्ति, स्थिरता, और नेतृत्व का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन यहां से शूल का असर परिवारिक जीवन और रिश्तों पर हो सकता है।

Pratyangira sadhana shivir

दिनवार दिशा शूल

दिनदिशा शूलउपाय
सोमवारपूर्वदही या चावल खाकर यात्रा करें
मंगलवारउत्तरगुड़ या धनिया खाकर यात्रा करें
बुधवारपश्चिममूंग या हरी चीजें खाकर यात्रा करें
गुरुवारदक्षिणचने या पीले वस्त्र धारण करें
शुक्रवारपूर्वदही या मिश्री खाकर यात्रा करें
शनिवारउत्तरतिल या उड़द खाकर यात्रा करें
रविवारपश्चिमगुड़ या जल का सेवन करके यात्रा करें

दिशा शूल के उदाहरण

सोमवार को किसी व्यक्ति को पूर्व दिशा में यात्रा करनी पड़ी, लेकिन उसने पहले दही खा लिया, जिससे दिशा शूल का प्रभाव कम हो गया।

मंगलवार को एक व्यापारी को उत्तर दिशा में यात्रा करनी थी, तो उसने गुड़ और धनिया खाकर यात्रा की और उसे व्यापार में लाभ मिला।

बुधवार को किसी विद्यार्थी को परीक्षा देने पश्चिम दिशा में जाना पड़ा, तो उसने मूंग खाया और उसका पेपर बहुत अच्छा हुआ।

गुरुवार को दक्षिण दिशा में यात्रा करने वाले व्यक्ति ने चने खाकर यात्रा की और उसकी नौकरी के इंटरव्यू में सफलता मिली।

शुक्रवार को पूर्व दिशा की यात्रा करने से पहले एक यात्री ने मिश्री खाई, जिससे उसकी यात्रा सफल रही और व्यापार में प्रगति हुई।

शनिवार को उत्तर दिशा की यात्रा करने वाले ने उड़द खाकर यात्रा की, जिससे उसे स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त हुआ।

रविवार को एक व्यक्ति को जरूरी काम के लिए पश्चिम दिशा जाना पड़ा, उसने गुड़ और जल ग्रहण कर लिया, जिससे उसे कोई बाधा नहीं आई।

किसी किसान को मंगलवार को उत्तर दिशा में अपने खेत जाने की जरूरत थी, उसने पहले गुड़ खाया और फिर यात्रा की, जिससे उसकी फसल की अच्छी उपज हुई।

गुरुवार को दक्षिण दिशा में यात्रा करने वाले व्यापारी ने पीले वस्त्र पहने और चना खाया, जिससे उसकी व्यापारिक यात्रा सफल रही।

एक छात्र को सोमवार को पूर्व दिशा में प्रतियोगी परीक्षा देने जाना था, उसने दही खा लिया और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए।


दिशा शूल निवारण के अन्य उपाय

  • यात्रा से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • घर से निकलते समय थोड़ी मिठाई खाएं।
  • गाय को भोजन कराएं और आशीर्वाद लें।
  • अपने इष्ट देवता की प्रार्थना करें।
  • यदि संभव हो तो यात्रा की दिशा बदलकर आगे बढ़ें।

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दिशा शूल से बचने के उपाय

यदि किसी कारणवश आपको दिशा शूल वाली दिशा में यात्रा करनी ही पड़े, तो निम्नलिखित उपायों को अपनाकर इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है:

1. भोजन से संबंधित उपाय

  • सोमवार (पूर्व दिशा) – यात्रा से पहले दही या चावल खाएं।
  • मंगलवार (उत्तर दिशा)गुड़ या धनिया खाकर यात्रा करें।
  • बुधवार (पश्चिम दिशा)मूंग या हरी चीजें खाकर जाएं।
  • गुरुवार (दक्षिण दिशा)चना या पीली वस्तुएं ग्रहण करें।
  • शुक्रवार (पूर्व दिशा)दही या मिश्री खाएं।
  • शनिवार (उत्तर दिशा)तिल या उड़द खाएं।
  • रविवार (पश्चिम दिशा)गुड़ या जल ग्रहण करें।

2. धार्मिक और आध्यात्मिक उपाय

हनुमान चालीसा का पाठ करें – यात्रा से पहले हनुमान चालीसा पढ़ने से सुरक्षा मिलती है।
गाय को रोटी खिलाएं – इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
शिवलिंग पर जल अर्पित करें – इससे बाधाएं दूर होती हैं।
अपने इष्ट देवता का ध्यान करें – यह शुभ फल प्रदान करता है।
गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें – यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए लाभकारी होता है।

3. भौतिक उपाय

  • यात्रा से पहले थोड़ी मिठाई खाएं, इससे अशुभ प्रभाव कम होता है।
  • यदि संभव हो तो यात्रा से पहले कुछ कदम पीछे चलकर फिर आगे बढ़ें
  • यात्रा के समय सिंदूर का टीका लगाएं (विशेषकर मंगलवार और शनिवार को)।
  • यात्रा की शुरुआत दाहिने पैर से करें, जिससे शुभता बनी रहे।
  • घर से निकलते समय थोड़ा जल पीकर निकलें

4. वैकल्पिक उपाय

  • यदि दिशा शूल वाली दिशा में जाना अनिवार्य हो, तो पहले किसी अन्य दिशा में कुछ कदम चलें और फिर यात्रा शुरू करें।
  • अपने साथ हल्दी, रुद्राक्ष, या पीला कपड़ा रखें (विशेष रूप से गुरुवार और रविवार को)।
  • यात्रा से पहले दर्पण में अपना चेहरा देखें, इससे नकारात्मकता दूर होती है।
  • अगर संभव हो तो एक नींबू अपने पास रखें, यह नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है।

5. विशेष तिथियों पर छूट

कुछ तिथियों पर दिशा शूल का प्रभाव नहीं माना जाता, जैसे:

  • पूर्णिमा, अमावस्या, संक्रांति, और द्वादशी तिथि – इन दिनों दिशा शूल का असर कम होता है।
  • त्योहारों और विशेष धार्मिक आयोजनों के दौरान भी इसका प्रभाव कम हो सकता है।

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अंत मे

दिशा शूल का ध्यान रखना एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय परंपरा है। यह न केवल यात्रा या किसी विशेष कार्य के लिए उपयुक्त दिशा को चुनने में मदद करता है, बल्कि यह व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।दिशा शूल को ध्यान में रखते हुए यात्रा करने से नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। यदि अशुभ दिशा में यात्रा करनी पड़े, तो बताए गए उपाय करने से सफलता, सुरक्षा और शांति बनी रहती है।

Hanuman Sadhana – The Divine Path to Power & Success

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हनुमान साधना का रहस्य – कैसे मिलती है असली सिद्धि?

हनुमान जी की साधना एक रहस्यमयी और प्रभावशाली प्रक्रिया है, जो साधक को अपार शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करती है। सही विधि, नियम और समय पर की गई साधना शीघ्र ही फलदायी होती है। इस लेख में हम हनुमान साधना के रहस्यों, विधियों और लाभों को विस्तार से समझेंगे।


परिचय

हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्रावतार माने जाते हैं। वे पराक्रम, भक्ति और विनम्रता के प्रतीक हैं। श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी ने अपनी भक्ति से असाधारण शक्तियाँ प्राप्त कीं। वे चिरंजीवी हैं और आज भी भक्तों की रक्षा करते हैं।

हनुमान जी को महावीर, अंजनेय, केसरीनंदन और संकटमोचन के नामों से भी जाना जाता है। उनकी साधना करने से मनुष्य को भय, नकारात्मक ऊर्जा और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। उनकी कृपा से जीवन में सफलता, समृद्धि और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।


अद्भुत लाभ

1. भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति

हनुमान साधना करने से साधक का भय समाप्त हो जाता है। उनकी कृपा से किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा पास नहीं आती।

2. मानसिक और शारीरिक बल की प्राप्ति

हनुमान जी की साधना करने से मन और शरीर दोनों शक्तिशाली बनते हैं। साधक में असीम साहस और आत्मविश्वास जागृत होता है।

3. ग्रह दोषों का निवारण

मंगल दोष, शनि साढ़ेसाती और राहु-केतु के दुष्प्रभाव को दूर करने में हनुमान साधना अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।

4. आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि

हनुमान जी के ध्यान और मंत्र जप से साधक की आत्मिक शक्ति प्रबल होती है। साधना से आध्यात्मिक जागरण होता है।

5. शत्रु बाधा से रक्षा

हनुमान जी की कृपा से कोई भी शत्रु बाधा उत्पन्न नहीं कर सकता। उनकी साधना करने से सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं।

6. सफलता और समृद्धि की प्राप्ति

हनुमान साधना से कार्यों में सफलता मिलती है। व्यापार, नौकरी और अन्य क्षेत्रों में उन्नति प्राप्त होती है।

7. आत्मबल और धैर्य में वृद्धि

साधक का आत्मबल इतना मजबूत हो जाता है कि वह किसी भी समस्या का समाधान कर सकता है।

8. रोगों से मुक्ति

हनुमान साधना करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। इससे साधक रोगों से मुक्त रहता है।

9. कुंडली जागरण में सहायक

हनुमान साधना कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने में सहायता करती है। इससे साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।

10. भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति

हनुमान जी की उपासना से तांत्रिक प्रभाव, भूत-प्रेत बाधा और ऊपरी शक्ति का नाश होता है।

11. ब्रह्मचर्य और संयम की प्राप्ति

हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं। उनकी साधना करने से साधक में संयम, पवित्रता और मानसिक स्थिरता बनी रहती है।

12. आध्यात्मिक गुरु की प्राप्ति

सच्चे मार्गदर्शक की प्राप्ति के लिए हनुमान साधना श्रेष्ठ मानी जाती है। यह साधक को दिव्य ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होती है।


हनुमान साधना के नियम और आवश्यकताएँ

सात्विक जीवनशैली अपनाएँ

साधना के दौरान सात्विक भोजन करें, संयम रखें और मन को पवित्र बनाए रखें।

ब्रह्मचर्य का पालन करें

हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं, इसलिए उनकी साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

नियमित रूप से साधना करें

नियमितता साधना की सफलता की कुंजी है। एक बार साधना शुरू करने के बाद उसे अधूरा न छोड़ें।

शुद्ध स्थान का चयन करें

साधना के लिए एक पवित्र, शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भरा स्थान चुनें।

हनुमान जी के मंत्रों का जप करें

साधना में मंत्रों का जप अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। महामंत्र “ॐ हं हनुमते फ्रौं नमः” का 108 बार जप करें।

Pratyangira sadhana shivir


हनुमान साधना का शुभ मुहूर्त

मंगलवार और शनिवार विशेष

मंगलवार और शनिवार को हनुमान साधना विशेष फलदायी होती है।

ब्रह्ममुहूर्त का महत्व

ब्रह्ममुहूर्त (प्रातः 4-6 बजे) में साधना करने से शीघ्र फल प्राप्त होते हैं।

अमावस्या और पूर्णिमा का प्रभाव

अमावस्या और पूर्णिमा को हनुमान साधना करने से विशेष सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।

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हनुमान साधना की विधि

स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें

साधना से पहले स्नान करें और लाल वस्त्र पहनें।

हनुमान जी का पूजन करें

चौकी पर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें। दीपक जलाएँ और गुलाल अर्पित करें।

हनुमान चालीसा का पाठ करें

कम से कम 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें।

मंत्र जप करें

हनुमान मंत्र “ॐ हं हनुमते नमः” या “ॐ रामदूताय नमः” का जप करें।

प्रसाद अर्पण करें

गुड़ और चने का भोग लगाएँ और उसे गरीबों में बाँटें।

हनुमान आरती करें

साधना के अंत में हनुमान आरती गाएँ।

11 Mukhi hanuman sadhana with diksha


अंत मे

हनुमान साधना एक अद्भुत आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो साधक को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक बल प्रदान करती है। यदि विधि, नियम और श्रद्धा से साधना की जाए तो हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। साधना के माध्यम से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है और सफलता के द्वार खुलते हैं।

Pratyangira Sadhana Shivir – Powerful Protection & Success

Pratyangira Sadhana Shivir - Powerful Protection & Success

प्रत्यंगिरा साधना शिविर 2025: सुरक्षा, सफलता और समृद्धि पाने का शक्तिशाली मार्ग

अत्यंत प्रभावशाली प्रत्यंगिरा साधना शिविर का आयोजन 29-30 मार्च 2025 को दिव्ययोग आश्रम में किया जा रहा है। यह साधना शिविर आपकी सुरक्षा, शत्रु मुक्ति, तंत्र से रक्षा, आर्थिक समृद्धि और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। साधना में भाग लेकर आप अपने जीवन में आने वाली हर बाधा को समाप्त कर सकते हैं।


प्रत्यंगिरा साधना शिविर के दिव्य लाभ

  1. परिवार की सुरक्षा
  2. नौकरी और व्यापार की सुरक्षा
  3. शत्रु बाधा निवारण
  4. तंत्र शक्ति से रक्षा
  5. नजर दोष से मुक्ति
  6. आर्थिक स्थिरता और समृद्धि
  7. कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय
  8. मानसिक शांति और स्थिरता
  9. ऊर्जा संतुलन और आध्यात्मिक शक्ति
  10. ग्रह दोष शांति
  11. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
  12. भय व आशंका से मुक्ति
  13. आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि
  14. सफलता में आ रही बाधाओं का निवारण
  15. आध्यात्मिक उन्नति
  16. बुरी आत्माओं व ऊपरी बाधाओं से रक्षा
  17. सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  18. जीवन में स्थायी सुख-समृद्धि

कौन इस शिविर में भाग ले सकता है?

प्रत्यंगिरा साधना शिविर हर उस साधक के लिए है जो अपनी आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं। 20 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष व स्त्रियाँ इसमें भाग ले सकते हैं। यदि आप अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा, परिवार की सुरक्षा, व्यापार की रक्षा, शत्रु नाश और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति चाहते हैं, तो यह साधना शिविर आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।


शिविर में भाग लेने के विकल्प

इस साधना शिविर में दो तरीकों से भाग लिया जा सकता है:

  1. प्रत्यक्ष रूप से: दिव्ययोग आश्रम में आकर स्वयं साधना करें।
  2. ऑनलाइन भागीदारी: यदि आप आश्रम नहीं आ सकते, तो ऑनलाइन माध्यम से भी साधना कर सकते हैं।

दिव्ययोग आश्रम की ओर से विशेष साधना सामग्री

शिविर में भाग लेने वाले प्रत्येक साधक को सिद्ध प्रत्यंगिरा साधना सामग्री प्रदान की जाएगी, जिसमें शामिल हैं:

  • प्रत्यंगिरा माला
  • प्रत्यंगिरा यंत्र
  • प्रत्यंगिरा पारद गुटिका
  • देवी आसन
  • रक्षा सूत्र
  • सिद्ध कौड़ी
  • सफेद, काली और लाल चिरमी दाना
  • प्रत्यंगिरा कवच
  • साधना विधि
  • साधना मंत्र
  • दीक्षा

प्रत्यंगिरा साधना शिविर के नियम

  1. उम्र: 20 वर्ष से अधिक कोई भी साधना कर सकता है।
  2. वेशभूषा: ब्लू और ब्लैक रंग के कपड़े न पहनें।
  3. शुद्ध आहार: धूम्रपान, मद्यपान व मांसाहार का पूर्णतः त्याग करें।
  4. ब्रह्मचर्य: साधना के दौरान संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  5. संपूर्ण श्रद्धा: पूर्ण समर्पण और श्रद्धा के साथ साधना करें।

साधना के बाद सिद्ध यंत्र और कवच प्रदान किया जाएगा

प्रत्यंगिरा साधना शिविर में साधना पूरी करने के बाद हर साधक को सिद्ध प्रत्यंगिरा यंत्र और प्रत्यंगिरा कवच प्रदान किया जाएगा। यह कवच आपकी सुरक्षा, तंत्र बाधा निवारण और शत्रु दोष से रक्षा करेगा।


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प्रत्यंगिरा साधना शिविर से जुड़े सामान्य प्रश्न

1. प्रत्यंगिरा साधना क्या है?

उत्तर: प्रत्यंगिरा साधना एक अत्यंत शक्तिशाली तांत्रिक साधना है, जो नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर व्यक्ति को असीम ऊर्जा और सुरक्षा प्रदान करती है।

2. प्रत्यंगिरा साधना क्यों करनी चाहिए?

उत्तर: यह साधना शत्रु नाश, तंत्र बाधा निवारण, व्यापार सुरक्षा और परिवार की रक्षा के लिए की जाती है।

3. क्या यह साधना हर कोई कर सकता है?

उत्तर: हां, 20 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष और महिलाएं इस साधना में भाग ले सकते हैं।

4. साधना के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: ब्रह्मचर्य, शुद्ध आहार, संयम और पूरी श्रद्धा के साथ साधना करनी चाहिए। ब्लू और ब्लैक रंग के कपड़े न पहनें।

5. प्रत्यंगिरा साधना शिविर कहाँ आयोजित हो रहा है?

उत्तर: यह साधना दिव्ययोग आश्रम में 29-30 मार्च 2025 को आयोजित की जाएगी।

6. क्या ऑनलाइन साधना संभव है?

उत्तर: हां, जो साधक व्यक्तिगत रूप से नहीं आ सकते, वे ऑनलाइन भाग ले सकते हैं।

7. प्रत्यंगिरा साधना से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

उत्तर: इस साधना से शत्रु नाश, तंत्र बाधा से मुक्ति, आर्थिक स्थिरता, व्यापार और नौकरी में सफलता, परिवार की सुरक्षा आदि लाभ होते हैं।

8. क्या साधना से पहले किसी प्रकार की तैयारी आवश्यक है?

उत्तर: साधक को मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए और साधना से कुछ दिन पहले से सात्त्विक आहार का पालन करना चाहिए।

9. साधना के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए?

उत्तर: मांसाहार, मद्यपान, धूम्रपान और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।

10. क्या प्रत्यंगिरा साधना से तंत्र बाधाओं से मुक्ति मिलती है?

उत्तर: हां, यह साधना तंत्र शक्ति से रक्षा करती है और साधक को नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्त करती है।

11. प्रत्यंगिरा साधना में कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: दिव्ययोग आश्रम की ओर से सिद्ध प्रत्यंगिरा माला, यंत्र, कवच, पारद गुटिका, देवी आसन, रक्षा सूत्र, कौड़ी, चिरमी दाना आदि प्रदान किए जाते हैं।

12. प्रत्यंगिरा साधना कितने समय में सिद्ध होती है?

उत्तर: यह व्यक्ति की साधना की श्रद्धा, नियमों का पालन और अभ्यास पर निर्भर करता है। शिविर के दौरान आवश्यक मार्गदर्शन दिया जाएगा।


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Mata pratyagira sadhana

अगर आप अपने जीवन को सुरक्षित, शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाना चाहते हैं, तो इस अद्भुत प्रत्यंगिरा साधना शिविर में भाग लें!

Shiva Krupa – Fulfil Desires in 4 Mondays

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शिव कृपा: 4 सोमवार में मनोकामना पूर्ति का सरल उपाय

भगवान शिव की कृपा से असंभव भी संभव हो सकता है। दूध और शहद का शिवलिंग पर अभिषेक करने से व्यक्ति की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस विशेष उपाय को केवल 4 सोमवार तक करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

मंत्र:

“ॐ ह्रौं महेश्वराय ह्रौं वषट्”

इस मंत्र के जाप से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी बाधाओं को दूर करते हैं।

लाभ (Benefits)

  1. मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
  2. धन और व्यापार में वृद्धि होती है।
  3. विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
  4. संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  5. रोग और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  6. घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  7. नकारात्मक ऊर्जा और शत्रु बाधा समाप्त होती है।
  8. कर्ज और आर्थिक समस्याओं से राहत मिलती है।
  9. करियर और नौकरी में सफलता प्राप्त होती है।
  10. पारिवारिक कलह और तनाव समाप्त होता है।
  11. ग्रह दोष और पितृ दोष का निवारण होता है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है।

अभिषेक विधि (Vidhi)

  1. सोमवार को प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. शिवलिंग को गंगाजल, दूध और शहद से स्नान कराएँ।
  3. “ॐ ह्रौं महेश्वराय ह्रौं वषट्” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  4. शिवलिंग पर बिल्वपत्र, सफेद पुष्प, चंदन और धूप अर्पित करें।
  5. भगवान शिव से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
  6. अभिषेक के बाद शिवजी की आरती करें और प्रसाद बाँटें।

Bhairavi Pratyangira mantra

पूजा नियम (Puja Niyam)

  1. अभिषेक करते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  2. अभिषेक सामग्री शुद्ध होनी चाहिए।
  3. व्रत रखें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  4. रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करें।
  5. मन और विचार शुद्ध रखें, क्रोध न करें।

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शुभ मुहूर्त (Muhurat)

सोमवार को ब्राह्म मुहूर्त (4-6 AM) या प्रातःकाल अभिषेक करना सर्वोत्तम होता है।

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सामान्य प्रश्न

  1. किसी भी सोमवार को शुरुआत कर सकते हैं?
    ✔ हाँ, किसी भी सोमवार से शुरू कर सकते हैं।
  2. कौन-कौन इस उपाय को कर सकता है?
    ✔ स्त्री, पुरुष, कोई भी कर सकता है।
  3. क्या व्रत रखना आवश्यक है?
    ✔ नहीं, लेकिन रखने से अधिक लाभ होता है।
  4. क्या ऑफिस जाने वाले भी यह उपाय कर सकते हैं?
    ✔ हाँ, सुबह जल्दी उठकर कर सकते हैं।
  5. बिल्वपत्र न मिले तो क्या करें?
    ✔ सफेद पुष्प अर्पित करें।
  6. मंत्र कितनी बार जाप करना चाहिए?
    ✔ कम से कम 108 बार।
  7. क्या अभिषेक घर पर कर सकते हैं?
    ✔ हाँ, घर या मंदिर कहीं भी कर सकते हैं।
  8. क्या अन्य मनोकामनाओं के लिए भी कर सकते हैं?
    ✔ हाँ, यह उपाय हर इच्छा पूर्ति के लिए शुभ है।
  9. अगर 4 सोमवार में इच्छा पूरी न हो तो?
    ✔ 4 और सोमवार तक जारी रखें।
  10. क्या यह उपाय सभी के लिए प्रभावी है?
    ✔ हाँ, जो सच्चे मन से करते हैं उन्हें अवश्य लाभ मिलता है।

🚩 हर-हर महादेव! 🚩

Aghor Saraswati Mantra – Mystical Knowledge & Success

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अघोर सरस्वती मंत्र: गूढ़ ज्ञान, सिद्धि और सफलता का रहस्यमय मार्ग

अघोर सरस्वती मंत्र एक शक्तिशाली और उग्र मंत्र है जो गूढ़ ज्ञान, सिद्धि और सफलता प्रदान करने में सक्षम है। यह मंत्र देवी सरस्वती के अघोर रूप को समर्पित है, जो ज्ञान, बुद्धि और कला की देवी हैं। इस मंत्र का नियमित जप करने से साधक को उग्र साधना, उच्च पद प्राप्ति और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।


मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
॥ॐ ऐं अघोर लक्ष्मेय सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही स्वाहा॥

अर्थ:

  • ॐ: ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक।
  • ऐं: देवी सरस्वती का बीज मंत्र, जो ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है।
  • अघोर: अघोर रूप, जो भय और अज्ञानता को दूर करता है।
  • लक्ष्मेय: धन, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक।
  • सर्व कार्य सिद्धिम्: सभी कार्यों में सफलता प्रदान करना।
  • देही देही: देवी से प्रार्थना करना कि वे साधक को आशीर्वाद दें।
  • स्वाहा: मंत्र का समापन, जो देवी को समर्पित है।

यह मंत्र साधक को ज्ञान, बुद्धि और सफलता प्रदान करता है। इसका जप करने से मनुष्य के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


लाभ

  1. गूढ़ ज्ञान प्राप्ति में सफलता: इस मंत्र के जप से साधक को गहन ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है।
  2. उग्र साधना में सफलता: उग्र साधनाओं में सफलता प्राप्त होती है।
  3. उग्र कार्यों में सफलता: कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्यों में सफलता मिलती है।
  4. ऊंचे पद की प्राप्ति: करियर और जीवन में उच्च पद प्राप्त होता है।
  5. प्रभावित करने की क्षमता: व्यक्तित्व में आकर्षण और प्रभाव बढ़ता है।
  6. भाषण कला में निपुणता: वाक् शक्ति और भाषण कला में सुधार होता है।
  7. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास और आत्मबल बढ़ता है।
  8. मानसिक शांति: मन शांत और एकाग्र होता है।
  9. सृजनात्मकता में वृद्धि: कला और सृजनात्मक कार्यों में सफलता मिलती है।
  10. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से सुरक्षा मिलती है।
  11. धन और समृद्धि: धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  12. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  13. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक ज्ञान और उन्नति प्राप्त होती है।
  14. विद्या प्राप्ति: शिक्षा और विद्या में सफलता मिलती है।
  15. कर्मकांड में सफलता: धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में सफलता मिलती है।
  16. जीवन में संतुलन: जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और सफलता प्राप्त होती है।

सावधानियां

जप काल में इन चीजों का सेवन करें:

  • शुद्ध और सात्विक आहार लें।
  • दूध, घी, मक्खन और शहद का सेवन करें।
  • ताजे फल और सब्जियां खाएं।
  • हल्का और पौष्टिक भोजन लें।

जप काल में इन चीजों से बचें:

  • मांसाहार, मद्यपान और धूम्रपान से दूर रहें।
  • तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन आदि) न खाएं।
  • अधिक मसालेदार और तले हुए भोजन से बचें।

Aghor lakshmi sadhana shivir


नियम

  1. उम्र: 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति ही इस मंत्र का जप करें।
  2. समय: प्रातःकाल या रात्रि में 20 मिनट तक जप करें।
  3. अवधि: 11 दिन तक निरंतर जप करें।
  4. वस्त्र: नीले या काले रंग के कपड़े न पहनें।
  5. ब्रह्मचर्य: जप काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. स्थान: शांत और स्वच्छ स्थान पर जप करें।

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मंत्र जप की सावधानियां

  • मंत्र जप के दौरान मन को एकाग्र रखें।
  • जप के समय नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध होना चाहिए।
  • जप के बाद देवी सरस्वती का ध्यान करें।

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अघोर सरस्वती मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: क्या स्त्रियां इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्रियां और पुरुष दोनों ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

प्रश्न 2: मंत्र जप का सबसे अच्छा समय क्या है?

उत्तर: प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (4 से 6 बजे) और रात्रि में सोने से पहले।

प्रश्न 3: क्या इस मंत्र का जप करने के लिए गुरु दीक्षा आवश्यक है?

उत्तर: गुरु दीक्षा लेना उत्तम है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।


अघोर सरस्वती मंत्र एक शक्तिशाली उपाय है जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है। इसका नियमित जप करके आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

Hanuman Darshan Mantra – A Path to Wish Fulfilment & Success

Hanuman Darshan Mantra - A Path to Wish Fulfilment & Success

हनुमान दर्शन मंत्र: मनोकामना और कार्य सिद्धि का साधन

हनुमान दर्शन मंत्र हनुमान जी के दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है। यह मंत्र न केवल हनुमान जी के दर्शन का अनुभव कराता है, बल्कि मनोकामनाओं को पूर्ण करने और कार्यों में सिद्धि प्रदान करने में भी सहायक है। इस मंत्र का नियमित जप करने से भक्तों को आत्मिक शांति, साहस और सफलता की प्राप्ति होती है।

मंत्र का महत्व

हनुमान जी भक्ति और शक्ति के प्रतीक हैं। उनके दर्शन मंत्र का जप करने से भक्तों के मन में उनकी दिव्य छवि उत्पन्न होती है। यह मंत्र भक्तों को आंतरिक शक्ति प्रदान करता है और उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

॥ॐ हं हनुमंते मम् कार्य सिद्धिम् च दर्शय देही देही वषट्॥
इस मंत्र का अर्थ है, “हे हनुमान जी, मेरे सभी कार्यों को सिद्ध कर दर्शन देने की कृपा करें।” यह मंत्र हनुमान जी से कार्य सिद्धि की प्रार्थना करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।

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हनुमान दर्शन मंत्र के लाभ

  1. मनोकामनाओं की पूर्ति
  2. कार्यों में सफलता
  3. आत्मविश्वास में वृद्धि
  4. नकारात्मक ऊर्जा का नाश
  5. भय और चिंता से मुक्ति
  6. शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि
  7. संकटों से सुरक्षा
  8. आर्थिक समृद्धि
  9. परिवार में सुख-शांति
  10. रोगों से मुक्ति
  11. शत्रुओं पर विजय
  12. मन की एकाग्रता
  13. आध्यात्मिक उन्नति
  14. धार्मिक भावना का विकास
  15. साहस और निर्भयता
  16. हनुमान जी की कृपा की प्राप्ति

मंत्र जप के दौरान आहार संबंधी सुझाव

मंत्र जप के समय सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए। फल, दूध, घी, शहद और मेवे का सेवन अधिक करें। तामसिक भोजन, मांसाहार और मद्यपान से बचें।

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हनुमान दर्शन मंत्र जप के नियम

  1. उम्र: 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही इस मंत्र का जप करें।
  2. सामग्री: 100 ग्राम हनुमानी सिंदूर को अपने सामने रखें।
  3. अवधि: 18 दिन तक प्रतिदिन 25 मिनट मंत्र जप करें।
  4. वस्त्र: नीले या काले कपड़े न पहनें।
  5. आचरण: धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  6. ब्रह्मचर्य: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।

मंत्र जप का सही समय और दिन

हनुमान दर्शन मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार के दिन करना अधिक फलदायी होता है। सुबह 5 बजे से 7 बजे तक और संध्या काल में 6 बजे से 9 बजे तक का समय उत्तम माना जाता है।

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हनुमान दर्शन मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं।

प्रश्न 2: मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप के दौरान सात्विक आहार लें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

प्रश्न 3: क्या इस मंत्र का जप बिना गुरु दीक्षा के किया जा सकता है?

उत्तर: हां, यह मंत्र बिना गुरु दीक्षा के भी जपा जा सकता है।

प्रश्न 4: मंत्र जप के लिए कौन-सा आसन उत्तम है?

उत्तर: पद्मासन या सुखासन में बैठकर मंत्र जप करना उत्तम है।

प्रश्न 5: मंत्र जप के दौरान क्या मन में विशेष भावना रखनी चाहिए?

उत्तर: मन में हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति का भाव रखें।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र का जप संकटों से मुक्ति के लिए किया जा सकता है?

उत्तर: हां, यह मंत्र संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

प्रश्न 7: मंत्र जप के लिए कौन-सा माला उपयोगी है?

उत्तर: लाल रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें।

प्रश्न 8: मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप के बाद हनुमान जी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र का जप रात में किया जा सकता है?

उत्तर: हां, लेकिन दिन के समय मंत्र जप करना अधिक फलदायी है।

प्रश्न 10: मंत्र जप के दौरान क्या मन में संदेह हो तो क्या करें?

उत्तर: मन में श्रद्धा और विश्वास बनाए रखें।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र का जप करने से पहले स्नान करना आवश्यक है?

उत्तर: हां, स्नान करके ही मंत्र जप करना चाहिए।

प्रश्न 12: मंत्र जप के दौरान क्या ध्यान रखें?

उत्तर: मंत्र जप के दौरान मन को एकाग्र रखें और शुद्ध आचरण का पालन करें।

Sheshnag Mantra For Health Wealth & Prosperity

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शेषनाग मंत्र: लक्ष्मी नारायण की कृपा, सुख समृद्धि, व्यापार वृद्धि और उन्नति का स्रोत

लक्ष्मी नारायण की कृपा से भरपूर, शेषनाग मंत्र एक दिव्य और शक्तिशाली मंत्र है जो सुख, समृद्धि, व्यापार वृद्धि और उन्नति के लिए जाना जाता है। यह मंत्र भगवान शेषनाग को समर्पित है, जो विष्णु भगवान के अनंत शयन के आधार हैं। शेषनाग मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।

शेषनाग मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

॥ॐ नमो शेषनागाय कार्य सिद्धिम् कुरु कुरु नमः ॥
इस मंत्र का अर्थ है: “मैं भगवान शेषनाग को नमन करता हूं, कृपया मेरे सभी कार्यों को सिद्ध करें।” यह मंत्र शक्ति, सफलता और सुरक्षा का प्रतीक है।

शेषनाग मंत्र के 16 लाभ

  1. धन और समृद्धि में वृद्धि
  2. व्यापार में उन्नति
  3. नौकरी में प्रमोशन
  4. मानसिक शांति
  5. रोगों से मुक्ति
  6. नकारात्मक ऊर्जा का नाश
  7. सुखी वैवाहिक जीवन
  8. संतान प्राप्ति
  9. आत्मविश्वास में वृद्धि
  10. शत्रुओं पर विजय
  11. कानूनी समस्याओं से मुक्ति
  12. आध्यात्मिक उन्नति
  13. भय और चिंता से मुक्ति
  14. सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  15. परिवार में सद्भाव
  16. जीवन में स्थिरता

मंत्र जप के दौरान खान-पान

मंत्र जप के समय सात्विक आहार का सेवन करें। हरी सब्जियां, फल, दूध और घर का बना खाना खाएं। तामसिक भोजन जैसे मांस, मद्यपान और लहसुन-प्याज से बचें।

Aghor lakshmi sadhana shivir

शेषनाग मंत्र जप के नियम

  • उम्र: 18 वर्ष से अधिक
  • समय: प्रतिदिन 20 मिनट
  • अवधि: 18 दिन तक लगातार
  • वस्त्र: नीले या काले कपड़े न पहनें
  • आचरण: ब्रह्मचर्य का पालन करें
  • निषेध: धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें

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मंत्र जप की सावधानियां

  • मंत्र जप के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें।
  • जप करने से पहले स्नान करें।
  • शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
  • मंत्र जप का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम है।

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शेषनाग मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: शेषनाग मंत्र किसे कहा जाता है?

उत्तर: शेषनाग मंत्र भगवान शेषनाग को समर्पित है, जो विष्णु भगवान के अनंत शयन के आधार हैं।

प्रश्न 2: मंत्र जप का सबसे अच्छा समय क्या है?

उत्तर: सुबह ब्रह्म मुहूर्त या शाम का समय सबसे उत्तम है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

प्रश्न 4: मंत्र जप के दौरान क्या खाना चाहिए?

उत्तर: सात्विक आहार जैसे फल, दूध और घर का बना खाना खाएं।

प्रश्न 5: मंत्र जप के लिए कौन सा रंग उपयुक्त है?

उत्तर: नीले और काले कपड़े न पहनें, सफेद या पीले रंग का उपयोग करें।

प्रश्न 6: क्या मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है?

उत्तर: हां, ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।

प्रश्न 7: मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: प्रतिदिन 20 मिनट और 18 दिन तक लगातार जप करें।

प्रश्न 8: क्या मंत्र जप के दौरान धूम्रपान कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं, धूम्रपान और मद्यपान से दूर रहें।

प्रश्न 9: मंत्र जप के लिए कौन सा स्थान उपयुक्त है?

उत्तर: शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।

प्रश्न 10: क्या मंत्र जप के दौरान मांसाहार कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं, मांसाहार से बचें।

प्रश्न 11: मंत्र जप के लिए कौन सा आसन उपयुक्त है?

उत्तर: पद्मासन या सुखासन में बैठें।

प्रश्न 12: मंत्र जप के बाद क्या करें?

उत्तर: मंत्र जप के बाद कुछ समय ध्यान में बैठें और भगवान शेषनाग का आभार व्यक्त करें।

Kamakhya Prayog – Manifest Your Desires in Just 11 Days

Kamakhya Prayog - Manifest Your Desires in Just 11 Days

कामख्या प्रयोगइस कागज पर गुप्त मंत्र लिख दे ११ दिन मे मनोकामना पूरी

Kamakhya Prayog एक शक्तिशाली आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सहायक होती है। यह प्रयोग देवी कामख्या की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान पा सकता है।


महत्व

इस प्रयोग का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। यह प्रयोग मंत्र सिद्धि और दिव्य शक्तियों को प्राप्त करने का साधन है। इसके नियमित जप से व्यक्ति को आंतरिक शांति और सफलता प्राप्त होती है।


कामख्या मंत्र का अर्थ

कामख्या मंत्र “ॐ क्लीं क्लीं कामख्या देवदत्त क्लीं क्लीं नमः” है। इस मंत्र में “देवदत्त” शब्द को व्यक्ति की समस्या के अनुसार बदला जाता है। यह मंत्र देवी कामख्या की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।


लाभ

  1. मनोकामनाओं की पूर्ति
  2. आर्थिक समस्याओं का समाधान
  3. कार्यक्षेत्र में सफलता
  4. विवाहित जीवन में सुख-शांति
  5. स्वास्थ्य लाभ
  6. मानसिक शांति
  7. नकारात्मक ऊर्जा का नाश
  8. आत्मविश्वास में वृद्धि
  9. संकटों से मुक्ति
  10. धार्मिक प्रगति
  11. सामाजिक प्रतिष्ठा
  12. शत्रुओं पर विजय
  13. आध्यात्मिक उन्नति
  14. परिवार में सद्भाव
  15. दिव्य शक्तियों की प्राप्ति

विधि

  1. भोजपत्र या साफ कागज पर मंत्र लिखें।
  2. इसे अपने सामने रखें।
  3. घी का दीपक जलाएं।
  4. शांत मन से 25 मिनट तक मंत्र जप करें।
  5. याद रखे मंत्र मे जहां “देवदत्त” लिखा है वहां पर समस्या का नाम बोलना है कैसे कि कर्ज, कार्य मे बाधा, विवाहित जीवन, नौकरी इत्यादि।
  6. ५ से 11 दिन तक नियमित जप करें।
  7. अब उस कागज को जला दे व उसकी राख को किसी गमले मे या पानी मे विसर्जित कर दे।
  8. अंत में भोजन या फल दान करें।

नियम

  1. प्रयोग के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. मंत्र जप करते समय एकाग्र रहें।
  3. नियमित रूप से दीपक जलाएं।
  4. प्रयोग पूर्ण होने पर दान अवश्य करें।
  5. नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

कामख्या का आध्यात्मिक महत्व

ये प्रयोग व्यक्ति को आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। यह प्रयोग देवी कामख्या की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

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कामख्या और आधुनिक जीवन

आधुनिक जीवन में तनाव और समस्याओं के बीच कामख्या प्रयोग एक सहारा है। यह प्रयोग मन को शांत करता है और जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।

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अंत मे

कामख्या प्रयोग एक सरल और प्रभावी आध्यात्मिक प्रक्रिया है। इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति अपने जीवन में सुख, शांति और सफलता प्राप्त कर सकता है। यह प्रयोग हर उम्र और वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी है।

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कामख्या प्रयोग से जुड़े सामान्य प्रश्न

  1. कामख्या प्रयोग किसके लिए उपयोगी है?
    यह प्रयोग हर व्यक्ति के लिए लाभदायक है।
  2. क्या महिलाएं इस प्रयोग को कर सकती हैं?
    हां, महिलाएं भी इस प्रयोग को कर सकती हैं।
  3. क्या इस प्रयोग के लिए गुरु की आवश्यकता है?
    नहीं, इसे स्वयं भी किया जा सकता है।
  4. क्या इस प्रयोग का कोई दुष्प्रभाव है?
    नहीं, यह पूरी तरह सुरक्षित है।
  5. क्या इस प्रयोग को किसी भी समय किया जा सकता है?
    हां, लेकिन सुबह का समय सर्वोत्तम है।
  6. क्या इस प्रयोग के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता है?
    केवल भोजपत्र, घी और दीपक की आवश्यकता होती है।
  7. क्या इस प्रयोग को बच्चे कर सकते हैं?
    हां, बच्चे भी इस प्रयोग को कर सकते हैं।
  8. क्या इस प्रयोग के लिए विशेष मंत्र का ज्ञान आवश्यक है?
    नहीं, मंत्र सरल और स्पष्ट है।
  9. क्या इस प्रयोग को किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?
    इसे किसी भी शांत स्थान पर किया जा सकता है।
  10. क्या इस प्रयोग के लिए विशेष व्रत रखना आवश्यक है?
    नहीं, लेकिन सात्विक आहार लेना लाभदायक है।