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Kamala Chalisa path for strong wealth

Kamala Chalisa path for strong wealth

माता कमला चालीसा का पाठ करने से धन, समृद्धि, और वैभव की मनोकामना पूर्ण होती है। माता कमला की पूजा विशेष रूप से उन लोगों द्वारा की जाती है जो आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं या अपने जीवन में समृद्धि और सुख चाहते हैं। माता कमला चालीसा एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जिसे पढ़ने से माता कमला की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में समृद्धि आती है।

संपूर्ण माता कमला चालीसा

॥दोहा॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

॥चालीसा॥

जय कमला माता, जय जय लक्ष्मी माता।
सकल विश्व व्यापिनी, शरणागत की त्राता॥

जय कमला भवानी, आदि शक्ति जगदम्बे।
विश्व विजयिनी देवी, मंगल करणी अम्बे॥

जयतु देवी लक्ष्मी, महिमा अपरंपार।
शरणागत की रक्षक, दीनन की पालनहार॥

त्रिभुवन की सुखदायिनी, श्री विष्णु प्रिय सदा।
धन सम्पत्ति प्रदायिनी, पूरण करे व्रत-सदा॥

सहस्त्र हस्त है धारी, चक्र शंख गदा धारी।
कमल आसन पर विराजत, कमल दल अभिरामी॥

सकल मनोरथ पूरण, मोक्ष दायिनी माता।
करहु कृपा जो तुम ममता, जन सुख सम्पदा दाता॥

जग जननी जगदम्बे, सकल दुख हरनी अंबे।
महा लक्ष्मी नमो नमः, शरणागत वत्सले अम्बे॥

ध्यान धरत जो सदा नर, नाशत पाप का जर।
महा माया महा देवी, शरणागत जन तर॥

विष्णु प्रिया सदा लक्ष्मी, सुख सम्पदा की दाता।
सकल सुख सम्पत्ति की देवी, जग पालन की माता॥

कमल दल पर विराजत, हरहु विपत्ति सब अंबे।
सकल जगत पालन करती, लक्ष्मी माता अम्बे॥

जय जय महा लक्ष्मी माता, कृपा करहु सब लोका।
जग जननी सुख सम्पत्ति, करहु प्रकट सब रोका॥

महा माया महा लक्ष्मी, जय जय जग पालन।
सकल विपत्ति हरहु मातु, कृपा करहु शरणागत॥

ध्यान धरें जो सदा नर, हरें सकल कष्ट भार।
जय कमला जय लक्ष्मी, सकल सुख की दातार॥

जय जय जय कमला माता, सदा सहाय हमारी।
महा लक्ष्मी करुणामयी, शरणागत जन प्यारी॥

॥दोहा॥

जय लक्ष्मी जय जय महिमा, अपरंपार तुम्हारी।
शरणागत की रक्षक, जग पालन की न्यारी॥

माता कमला चालीसा के लाभ

  1. धन की प्राप्ति: माता कमला चालीसा का पाठ करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  2. समृद्धि: घर में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।
  3. कर्ज से मुक्ति: कर्ज और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  4. व्यापार में सफलता: व्यापार में वृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  6. शांति: मन और घर में शांति बनी रहती है।
  7. विवाह में सफलता: विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  8. संतान सुख: संतान प्राप्ति का सुख मिलता है।
  9. मनोकामना पूर्ण होती है: सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  10. रोगों से मुक्ति: विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है।
  11. विवादों का निवारण: पारिवारिक और कानूनी विवादों का निवारण होता है।
  12. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
  13. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  14. शत्रुओं का नाश: शत्रुओं का नाश होता है।
  15. कर्मों का सुधार: कर्मों में सुधार होता है।
  16. मृत्यु भय से मुक्ति: मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है।
  17. परिवार में प्रेम बढ़ता है: परिवार में प्रेम और समर्पण बढ़ता है।
  18. सुखद भविष्य: सुखद भविष्य की प्राप्ति होती है।
  19. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  20. बाधाओं का नाश: जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं।

विधि

माता कमला चालीसा का पाठ करने की विधि:

  1. स्वच्छता: सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान का चयन: एक साफ और पवित्र स्थान का चयन करें।
  3. ध्यान: माता कमला का ध्यान करें और उन्हें आसन पर विराजमान करें।
  4. दीपक जलाएं: घी का दीपक जलाएं।
  5. फूल अर्पित करें: माता कमला को पुष्प अर्पित करें।
  6. भोग: उन्हें भोग अर्पित करें।
  7. मंत्र: ‘ॐ श्रीं कमलायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
  8. चालीसा का पाठ: अब पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ माता कमला चालीसा का पाठ करें।

दिन, अवधि और मुहूर्त

दिन

  • शुक्रवार: मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन विशेष शुभ माना जाता है।
  • अमावस्या: अमावस्या के दिन माता कमला की पूजा विशेष फलदायी होती है।

अवधि

  • प्रतिदिन: रोजाना इस चालीसा का पाठ करने से शीघ्र ही माता कमला की कृपा प्राप्त होती है।
  • विशेष पर्व: दीपावली, धनतेरस, और अन्य विशेष पर्वों पर इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

मुहूर्त

  • प्रातः काल: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में इस चालीसा का पाठ करना अत्यधिक शुभ होता है।
  • संध्या काल: संध्या समय (शाम 6 से 8 बजे) भी इस चालीसा का पाठ किया जा सकता है।

चालीसा के नियम

  1. शुद्धता: पाठ करने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. श्रद्धा और विश्वास: श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  3. नियमितता: नियमित रूप से पाठ करें, इससे लाभ शीघ्र प्राप्त होते हैं।
  4. संयम: संयमित और सात्विक आहार लें।
  5. सात्विक जीवन: सात्विक जीवन शैली अपनाएं, जिसमें अहिंसा, सत्य, और ब्रह्मचर्य का पालन हो।

Learn kamakhya sadhana

चालीसा पढ़ते समय सावधानियां

  1. अपवित्र स्थान से बचें: किसी भी अपवित्र स्थान पर इस चालीसा का पाठ न करें।
  2. ध्यान भटकना: पाठ करते समय ध्यान कहीं और न भटके।
  3. राग द्वेष से बचें: पाठ करने के समय मन में किसी प्रकार का राग द्वेष न रखें।
  4. शुद्ध आचरण: शुद्ध आचरण का पालन करें।
  5. वाणी का संयम: वाणी का संयम रखें, अपशब्दों का प्रयोग न करें।

Mantra sadhana store

माता कमला चालीसा के सामान्य प्रश्न

  1. प्रश्न: माता कमला चालीसा क्या है? उत्तर: यह एक धार्मिक पाठ है जो माता कमला की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
  2. प्रश्न: इसे किस समय पढ़ना चाहिए? उत्तर: प्रातः काल और संध्या काल में पढ़ना शुभ होता है।
  3. प्रश्न: किस दिन पढ़ना उचित होता है? उत्तर: शुक्रवार और अमावस्या के दिन विशेष शुभ होते हैं।
  4. प्रश्न: क्या इसे रोज पढ़ सकते हैं? उत्तर: हां, इसे रोज पढ़ सकते हैं।
  5. प्रश्न: पाठ करने के लिए क्या विशेष तैयारी करनी चाहिए? उत्तर: शुद्धता, श्रद्धा और संयम के साथ पाठ करें।
  6. प्रश्न: क्या माता कमला चालीसा पढ़ने से धन की प्राप्ति होती है? उत्तर: हां, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  7. प्रश्न: क्या इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है? उत्तर: हां, इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  8. प्रश्न: क्या यह व्यापार में लाभकारी है? उत्तर: हां, व्यापार में लाभ प्राप्त होता है।
  9. प्रश्न: क्या इसे एकांत में पढ़ सकते हैं? उत्तर: हां, एकांत में पढ़ना भी उचित है।
  10. प्रश्न: क्या इसे समूह में पढ़ा जा सकता है? उत्तर: हां, समूह में पढ़ने से भी लाभ प्राप्त होते हैं।
  11. प्रश्न: क्या यह चालीसा हर समस्या का समाधान करती है? उत्तर: हां, यह चालीसा कई समस्याओं का समाधान करती है।
  12. प्रश्न: क्या यह चालीसा मानसिक शांति प्रदान करती है? उत्तर: हां, मानसिक शांति प्राप्त होती है।

Kanakdhara lakshmi chalisa- wealth & prosperity

Kanakdhara lakshmi chalisa- wealth & prosperity

कनकधारा लक्ष्मी चालीसा 40 दिन नियमित पाठ करने जीवन मे आयी हुयी हर तरह की आर्थिक समस्या नष्ट होनी शुरु हो जाती है।

कनकधारा लक्ष्मी चालीसा

श्री गणेशाय नमः
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहें अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय जय लक्ष्मी मैया, तुमको निरंतर ध्यावत।
हर विष्णु विहारी, संग नारायण भावत॥

लक्ष्मी जी की स्तुति में, साधक करत दरबार।
जग जननी पालन करै, सुख सम्पति विस्तार॥

लक्ष्मी जी की आराधना, कष्ट निवारण हेत।
पार्वती संग पावन, चन्द्र चकोर सम जेत॥

महिमा अपरंपार है, धरि रूप धनंजय।
सप्त सागर मथनि करै, सुधा सुरा मय अंजय॥

जग मन्दिर जोत करै, पार्वती रूप शोभा।
लक्ष्मी रूप बसत जननि, कृपा करहु सब लोहा॥

सिंह पर करै सवार, लक्ष्मीजी का वास।
सुख सम्पत्ति करत भरी, धरा कृपा आभास॥

लक्ष्मी नाम जगत में, सब विधि करत सहार।
श्रीहरि की अर्धांगी बनि, धरती पालन हार॥

लक्ष्मी रूप शोभा करै, सब विधि करत समर्थन।
बिनु लक्ष्मी जग सूना, नान्हि पुत्र जन थर्थन॥

लक्ष्मी जी की सेवा में, नर नारी सकल धरै।
बिनु सेवा सुख नहीं, लक्ष्मी सब विधि भरै॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, कीन्हों जो यत्न।
सकल साधना सफल हुई, पायो सुख संतरण॥

लक्ष्मी नाम में शक्ति है, बिनु आवत जंजाल।
नव लक्ष्मी की कृपा बिनु, सुख नहीं न विषाल॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, कीजै ध्यान विचार।
जो नर करे श्रद्धा सहित, लक्ष्मी उसको तार॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, सुनहु मनु ध्यान।
सकल कष्ट मिटै तात, पावै सुख महान॥

लक्ष्मी नाम की महिमा, सब विधि मंगल होय।
सकल संपत्ति सुख करै, धन सम्पत्ति की होय॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, कीन्हों जो यत्न।
सकल साधना सफल हुई, पायो सुख संतरण॥

लक्ष्मी कृपा प्राप्ति हेतु, कीजै ध्यान विचार।
जो नर करे श्रद्धा सहित, लक्ष्मी उसको तार॥

जय लक्ष्मी जय जय लक्ष्मी, जय महिमा अपरंपार।
सुख सम्पत्ति की देवी, धरत पार्थिव भार॥

लक्ष्मी नाम में शक्ति है, बिनु आवत जंजाल।
नव लक्ष्मी की कृपा बिनु, सुख नहीं न विषाल॥

जय जय लक्ष्मी मैया, तुमको निरंतर ध्यावत।
हर विष्णु विहारी, संग नारायण भावत॥

चालीसा के लाभ

  1. धन प्राप्ति: इस चालीसा का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है।
  2. समृद्धि: घर में समृद्धि और सम्पन्नता आती है।
  3. कर्ज से मुक्ति: इस चालीसा का पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  4. व्यापार में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि होती है।
  5. स्वास्थ्य: स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. विवाह में अड़चनें दूर होती हैं: जिनके विवाह में अड़चनें आ रही हैं, उनकी समस्याएं दूर होती हैं।
  7. शांति: घर में शांति बनी रहती है।
  8. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  9. मनोकामना पूर्ति: मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  10. रोगों से मुक्ति: रोगों से मुक्ति मिलती है।
  11. विवादों का निवारण: पारिवारिक और कानूनी विवादों का निवारण होता है।
  12. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
  13. बाधाओं का नाश: जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  15. शत्रुओं का नाश: शत्रुओं का नाश होता है।
  16. कर्मों का सुधार: कर्मों में सुधार होता है।
  17. मृत्यु भय से मुक्ति: मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है।
  18. परिवार में प्रेम बढ़ता है: परिवार में प्रेम और समर्पण बढ़ता है।
  19. सुखद भविष्य: सुखद भविष्य की प्राप्ति होती है।
  20. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

विधि

कनकधारा लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने की विधि:

  1. साफ स्थान का चयन: सबसे पहले एक साफ और पवित्र स्थान का चयन करें।
  2. स्नान: स्वयं स्नान कर शुद्ध हो जाएं।
  3. ध्यान: मां लक्ष्मी का ध्यान करें और उन्हें आसन पर विराजमान करें।
  4. दीपक जलाएं: घी का दीपक जलाएं।
  5. फूल अर्पित करें: मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें।
  6. भोग: उन्हें भोग अर्पित करें।
  7. मंत्र: ‘ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप करें।
  8. चालीसा का पाठ: अब पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ कनकधारा लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।

दिन, अवधि और मुहूर्त

दिन

  • शुक्रवार: मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन विशेष शुभ माना जाता है।
  • अमावस्या: अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी होती है।

अवधि

  • प्रतिदिन: रोजाना इस चालीसा का पाठ करने से शीघ्र ही मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
  • विशेष पर्व: दीपावली, धनतेरस, और अन्य विशेष पर्वों पर इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

मुहूर्त

  • प्रातः काल: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में इस चालीसा का पाठ करना अत्यधिक शुभ होता है।
  • संध्या काल: संध्या समय (शाम 6 से 8 बजे) भी इस चालीसा का पाठ किया जा सकता है।

नियम

  1. शुद्धता: पाठ करने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. श्रद्धा और विश्वास: श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  3. नियमितता: नियमित रूप से पाठ करें, इससे लाभ शीघ्र प्राप्त होते हैं।
  4. संयम: संयमित और सात्विक आहार लें।
  5. सात्विक जीवन: सात्विक जीवन शैली अपनाएं, जिसमें अहिंसा, सत्य, और ब्रह्मचर्य का पालन हो।

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सावधानियां

  1. अपवित्र स्थान से बचें: किसी भी अपवित्र स्थान पर इस चालीसा का पाठ न करें।
  2. ध्यान भटकना: पाठ करते समय ध्यान कहीं और न भटके।
  3. राग द्वेष से बचें: पाठ करने के समय मन में किसी प्रकार का राग द्वेष न रखें।
  4. शुद्ध आचरण: शुद्ध आचरण का पालन करें।
  5. वाणी का संयम: वाणी का संयम रखें, अपशब्दों का प्रयोग न करें।

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कनकधारा लक्ष्मी चालीसा के सामान्य प्रश्न

  1. प्रश्न: कनकधारा लक्ष्मी चालीसा क्या है?
    उत्तर: यह एक धार्मिक पाठ है जो मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
  2. प्रश्न: इसे किस समय पढ़ना चाहिए?
    उत्तर: प्रातः काल और संध्या काल में पढ़ना शुभ होता है।
  3. प्रश्न: किस दिन पढ़ना उचित होता है?
    उत्तर: शुक्रवार और अमावस्या के दिन विशेष शुभ होते हैं।
  4. प्रश्न: क्या इसे रोज पढ़ सकते हैं?
    उत्तर: हां, इसे रोज पढ़ सकते हैं।
  5. प्रश्न: पाठ करने के लिए क्या विशेष तैयारी करनी चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता, श्रद्धा और संयम के साथ पाठ करें।
  6. प्रश्न: क्या कनकधारा लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से धन की प्राप्ति होती है?
    उत्तर: हां, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  7. प्रश्न: क्या इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है?
    उत्तर: हां, इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  8. प्रश्न: क्या यह व्यवसाय में लाभकारी है?
    उत्तर: हां, व्यवसाय में लाभ प्राप्त होता है।
  9. प्रश्न: क्या इसे एकांत में पढ़ सकते हैं?
    उत्तर: हां, एकांत में पढ़ना भी उचित है।
  10. प्रश्न: क्या इसे समूह में पढ़ा जा सकता है?
    उत्तर: हां, समूह में पढ़ने से भी लाभ प्राप्त होते हैं।
  11. प्रश्न: क्या यह चालीसा हर समस्या का समाधान करती है?
    उत्तर: हां, यह चालीसा कई समस्याओं का समाधान करती है।
  12. प्रश्न: क्या यह चालीसा मानसिक शांति प्रदान करती है?
    उत्तर: हां, मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  13. प्रश्न: क्या इसे रात में पढ़ सकते हैं?
    उत्तर: संध्या समय उपयुक्त है, लेकिन रात में भी पढ़ सकते हैं।
  14. प्रश्न: क्या विशेष भोग चढ़ाना जरूरी है?
    उत्तर: नहीं, विशेष भोग अनिवार्य नहीं है, लेकिन श्रद्धा के साथ चढ़ा सकते हैं।

3rd Shravan Somavar puja Economic problems

3rd Shravan Somvar vrat puja

श्रावण का तीसरा सोमवार व्रत शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। श्रावण मास, जोकि भगवान शिव को समर्पित होता है, में सोमवार के दिन शिवजी की विशेष पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है। ये आर्थिक समस्या को दूर करने वाला माना जाता है। इस दिन पूजा व्रत करने से नौकरी, व्यवसाय की अड़चने, कर्ज की समस्या मे लाभ मिलता है।

श्रावण का तीसरा सोमवार व्रत पूजा विधि

1. व्रत की तैयारी:

  • व्रत करने के एक दिन पहले हल्का और सात्विक भोजन करें।
  • ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • व्रत के लिए मन में संकल्प लें और भगवान शिव का ध्यान करें।

2. पूजा स्थल की तैयारी:

  • पूजा स्थल को गंगा जल या शुद्ध पानी से शुद्ध करें।
  • एक साफ चौकी पर शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें।
  • चौकी पर सफेद या पीला कपड़ा बिछाकर शिवलिंग को रखें।
  • पास में नंदी बैल, माता पार्वती, और गणेश जी की मूर्तियाँ भी रखें।

3. पूजा सामग्री:

  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  • गंगाजल
  • बेलपत्र
  • धतूरा, भांग और आक के फूल
  • सफेद फूल (विशेषकर कमल)
  • फल, मिठाई, और पंचामृत
  • चंदन, धूप, दीप, अगरबत्ती
  • रुद्राक्ष की माला

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4. पूजा की विधि:

  • ध्यान: सबसे पहले भगवान शिव का ध्यान करें और उन्हें ध्यानमंत्र से प्रणाम करें।
  • शिवलिंग अभिषेक: शिवलिंग पर गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद साफ पानी से शिवलिंग को स्नान कराएं।
  • चंदन और पुष्प अर्पण: शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाएं और बेलपत्र, धतूरा, और फूल अर्पित करें।
  • धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
  • मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें। यदि संभव हो तो रुद्राष्टक, शिव चालीसा, या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ भी करें।
  • नैवेद्य अर्पण: भगवान शिव को नैवेद्य के रूप में फल, मिठाई, और पंचामृत अर्पित करें।
  • आरती: शिवजी की आरती गाकर पूजा को सम्पन्न करें।
  • विधिः बेलपत्र के ऊपर भगवान शिव की फोटो या शिवलिंग रखे। अपने सामने घी का दीपक जलाये, फिर शिवलिंग मुद्रा लगाकर १० बार प्राणायाम करे। अब “ॐ ह्रौं भवरेश्वराय ह्रौं नमः” मंत्र का जप शिवलिंग मुद्रा लगाकर २० – २५ मिनट करे।

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5. व्रत का पालन:

  • व्रत के दिन निराहार रहें या फलाहार का सेवन करें। यदि स्वास्थ्य अनुमति न दे तो एक समय अन्न का सेवन कर सकते हैं।
  • दिन भर भगवान शिव का ध्यान करें और उनका नाम स्मरण करें।
  • शाम के समय फिर से शिवलिंग की पूजा करें और आरती करें।

6. व्रत का पारण:

  • अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान शिव का ध्यान कर व्रत का पारण करें।
  • गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन और दान दें।

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श्रावण के तीसरे सोमवार व्रत के लाभ

  • मनोकामनाओं की पूर्ति: इस व्रत से भगवान शिव की कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • स्वास्थ्य में सुधार: व्रत और पूजा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • धन और समृद्धि: इस व्रत से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • विवाह और गृहस्थ जीवन में सुख: इस व्रत से विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान होता है और गृहस्थ जीवन में सुख और शांति मिलती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

श्रावण का तीसरा सोमवार व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी होता है। यह व्रत श्रद्धा और विश्वास के साथ करें और भगवान शिव के आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाएं।

Mata Kaushalya Chalisa-Family Peace & Success

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माता कौशल्या चालीसा का पाठ भक्तों को देवी कौशल्या की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए किया जाता है। माता कौशल्या त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की माता थीं। वह अयोध्या के राजा दशरथ की प्रमुख रानी थीं। उनका चरित्र प्रेम, धैर्य, त्याग और सेवा का अद्वितीय उदाहरण है। माता कौशल्या की पूजा से विशेष रूप से मातृत्व, परिवार में सुख-शांति और जीवन में संतुलन की प्राप्ति होती है। भगवान राम के जन्म से लेकर उनके जीवन के प्रत्येक चरण में माता कौशल्या ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संपूर्ण माता कौशल्या चालीसा

॥दोहा॥
जयति जय कौशल्या माता, राम जननी जगवन्दिता।
धीर-वीर की जननी, नमो नमः हे पावनता॥

॥चौपाई॥
जय हो माता कौशल्या, श्रीराम की जननी प्यारी।
तुम्हरी महिमा अपरम्पार, हे दीनदयाल जगत विचारी॥

अयोध्या में किया निवास, जन्मा तेरे आँगन राम।
तुम्हरी ममता की गाथा, गाते संत-जन श्रीधाम॥

तुमने धीरज से किया पालन, राम की लीला को समझा।
तुम हो जगत की महाशक्ति, तुम्हारा महिमा गाया अयोध्या॥

तुम हो धैर्य और सहनशीलता की मूरत, माता कौशल्या।
तुम्हारी ममता से रक्षित, सारे संसार की भव्यता॥

तुम्हारे चरणों में है सुख-शांति, संकट हरने वाली माई।
तेरे कृपा दृष्टि से होता, हर भक्त का कल्याण सच्चाई॥

तेरे नाम की महिमा है न्यारी, हर दुःख दूर करे मुरारी।
जो तेरी भक्ति करता है सच्ची, उसे कभी ना छूए बुराई॥

तुम्हारी महिमा गाते, भक्तजन सब मिलके।
कौशल्या माता की आराधना, सच्चे मन से करते॥

हे माता कृपावन्ती, हम पर भी कर कृपा।
तेरे चरणों की सेवा में, मिले हमें अनुपम सुखदा॥

तुम्हारे आशीर्वाद से, संकट सारे मिट जाए।
माता कौशल्या की महिमा, सारा जगत गाए॥

॥दोहा॥
जो कोई करे ध्यान तेरा, उसका जीवन संवर जाए।
माता कौशल्या की कृपा से, भवसागर से पार हो जाए॥

लाभ

  1. परिवार में सुख-शांति: इस चालीसा का पाठ परिवार में सुख-शांति और सद्भावना बनाए रखता है।
  2. धैर्य और सहनशीलता: माता कौशल्या के आशीर्वाद से धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि होती है।
  3. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता को दूर कर मन को शांति मिलती है।
  4. संकटों का नाश: जीवन में आने वाले संकटों और परेशानियों का नाश होता है।
  5. स्वास्थ्य में सुधार: चालीसा का नियमित पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. मातृत्व सुख: जिन स्त्रियों को संतान सुख की इच्छा होती है, उनके लिए यह चालीसा विशेष लाभकारी है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक यात्रा में उन्नति होती है।
  8. धन-धान्य की प्राप्ति: माता कौशल्या की कृपा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  9. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं के बुरे प्रभाव से रक्षा होती है।
  10. भय का नाश: इस चालीसा के पाठ से सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  11. सकारात्मक ऊर्जा: घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  12. समृद्धि का वास: माता कौशल्या की कृपा से घर में समृद्धि का वास होता है।
  13. संतान की सुरक्षा: संतान के स्वास्थ्य और जीवन की सुरक्षा मिलती है।
  14. कर्म में सफलता: जीवन के सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  15. विवाह में सुख: वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
  16. भौतिक सुख: जीवन में भौतिक सुख-शांति और समृद्धि मिलती है।
  17. मनोबल में वृद्धि: मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  18. सभी बाधाओं का नाश: जीवन की सभी बाधाओं का नाश होता है।
  19. ज्ञान की प्राप्ति: ज्ञान और विवेक में वृद्धि होती है।
  20. सिद्धियों की प्राप्ति: साधकों को साधना में सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

माता कौशल्या चालीसा पाठ की विधि

दिन: माता कौशल्या चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, विशेष रूप से रविवार और मंगलवार को इसे करना शुभ माना जाता है।

अवधि: इस चालीसा का पाठ लगातार 21 या 41 दिनों तक करने से विशेष लाभ मिलता है।

मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में पाठ करना सर्वोत्तम माना गया है।

चालीसा पाठ के नियम

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: एक स्थिर आसन पर बैठकर चालीसा का पाठ करें।
  3. ध्यान: पाठ के दौरान माता कौशल्या का ध्यान और उनके चित्र या प्रतिमा का पूजन करें।
  4. संयम: पाठ के दौरान संयम और श्रद्धा बनाए रखें।
  5. नियमितता: इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।

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पाठ में सावधानियाँ

  1. श्रद्धा और विश्वास: माता कौशल्या की पूजा करते समय श्रद्धा और विश्वास का होना आवश्यक है।
  2. आचरण: किसी भी प्रकार के दूषित विचारों या क्रोध को मन में न लाएं।
  3. स्थिरता: पाठ के दौरान मन को स्थिर रखें और ध्यान को भटकने न दें।
  4. पवित्रता: पाठ करते समय आसन और पूजा स्थान की पवित्रता बनाए रखें।
  5. व्रत: यदि संभव हो तो पाठ के दिन व्रत या उपवास रखें।

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माता कौशल्या चालीसा पृश्न उत्तर

माता कौशल्या चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
किसी भी दिन, विशेष रूप से रविवार और मंगलवार को करना उत्तम है।

माता कौशल्या चालीसा का पाठ क्यों करें?
परिवार में सुख-शांति, संतान की सुरक्षा और जीवन में सफलता के लिए।

माता कौशल्या चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
दिन में एक बार नियमित रूप से करना लाभकारी होता है।

क्या माता कौशल्या चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में करना उत्तम है।

माता कौशल्या चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।

क्या माता कौशल्या चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
हाँ, स्वच्छता और ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

क्या माता कौशल्या चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

क्या माता कौशल्या चालीसा का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?
हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।

माता कौशल्या चालीसा का पाठ कहाँ करना चाहिए?
एक शांत और स्वच्छ स्थान पर।

क्या माता कौशल्या चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।

क्या माता कौशल्या चालीसा का पाठ करने से धन प्राप्ति होती है?
हाँ, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

क्या माता कौशल्या चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति रहती है?
हाँ, पारिवारिक सुख और शांति प्राप्त होती है।

क्या माता कौशल्या चालीसा का पाठ किसी विशेष भाषा में करना चाहिए?
मूल हिंदी भाषा में पाठ करना उत्तम है।

माता कौशल्या चालीसा का पाठ करने के बाद क्या करना चाहिए?
माता कौशल्या का ध्यान करें और प्रसाद चढ़ाएं।

Mata Koteshwari Chalisa- Strong Protection

Koteshwari Chalisa path

माता कोटेश्वरी देवी को समर्पित ये चालीसा एक अत्यंत शक्तिशाली स्तुति मानी जाती है जो भक्ति, शक्ति, सुरक्षा और सुख-शांति की प्राप्ति हेतु की जाती है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

माता कोटेश्वरी

ये देवी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। उन्हें शक्ति, पराक्रम और संहार की देवी माना जाता है। भक्तों का मानना है कि आदिशक्ति का स्वरूप माता कोटेश्वरी की पूजा और चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएँ, दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्तों को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

चालीसा

भाग १

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय कोटेश्वरी, जय महेश मुख चंदा।
कह अयोध्यादास तुम, होउ अभय आनंदा॥

जै जै जै कोटेश्वरी माता, संतन हृदय की आशा।
जग में उत्पति हेतु तुम्ही हो, अधिप्रकट यह त्रिलोक तमाशा॥

जय अंबे जगदंबे माता, तुम हो जग की पालनहारी।
महिमा अमित तुम्हारी जग में, मैं तो कोई नहीं दुखिहारी॥

पुत्रहीन जो कोई नारी, मांगत पुत्र करै पुकार।
कष्ट सुख सब दूर हो जाही, शरण में जो जाएं तुम्हारे॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावें, कटकणिकै सुमन हार।
मंत्र जपै और ध्यान लगावै, और मनवांछित फल पावै॥

कन्या करै पूजन विधिवत, धूप दीप नैवेद्य हार।
कष्ट मिटें सब मिल जाहीं, शरण में जाएं तुम्हारे॥

जो कोई इच्छित फल चाहे, सोई पावै तुम्हरी कृपा।
लोटा भरि जल श्रद्धा सों, गंगा जल मिलावै॥

शुद्ध जल भरि थाली में, करि मंत्र उच्चार।
चंदन अक्षत पुष्प चढ़ावै, और ध्यान लगावै॥

पाठ करै सतचालीसा, होवै बुरी बलाय।
जय कात्यायनी महिमा, अनंत करूणालय॥

व्रत करै जो कुमारी, सौम्य रूप धरि ध्यान।
कह अयोध्या दास सुनो, लाभ करै गुणवान॥

जय कात्यायनी मां, जय जय सुरवीर।
जय जग जननी महिमा, जय कात्यायनी वीर॥

शरण पड़े जो तेरी, करै विपत्ति नाश।
कह अयोध्या दास सुनो, हरै दुख संताप॥

लाल वस्त्र धरि धारण, जो करै पूजन।
विधिवत करै धूप दीप नैवेद्य, सो पावै सुअवसर॥

जय कोटेश्वरी वीर, महिमा अपार।
तुम हो जगदंबे माता, हो सदा सुखकारी॥

भाग २

जो कोई संकटनिवारणी, होवे मनुष हर्ष।
पाठ करै जो भक्त श्रद्धा सों, पूर्ण होवैं काज॥

जय कोटेश्वरी महिमा, अपार अनंत।
करो कृपा शारदा मां, वंदना शत कोटि॥

जय कोटेश्वरी महिमा, जय जय जगदीश।
कहत अयोध्या दास सुनो, हरै दुख संताप॥

सुख समृद्धि होय घर में, हरै विपत्ति की छाया।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावै, और मनवांछित फल पावै॥

जय कोटेश्वरी मां, जय जय जगदंबे।
तुम हो जगदंबे माता, सब दुख हारिणी॥

कहत अयोध्या दास सुनो, हरै दुख संताप।
जय कोटेश्वरी महिमा, हो सदा सुखकारी॥

शरण में जो आए तुम्हारी, हरै दुख संताप।
जय कोटेश्वरी माता, हो सदा सुखकारी॥

पाठ करै जो भक्त, ध्यान धरै मन में।
सुख समृद्धि होय घर में, हरै विपत्ति की छाया॥

लाभ

  1. मानसिक शांति: नियमित पाठ से मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
  2. आर्थिक समृद्धि: आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  4. विपत्तियों का नाश: जीवन में आने वाली सभी विपत्तियों का नाश होता है।
  5. परिवार में सुख-शांति: परिवार में आपसी प्रेम और शांति बनी रहती है।
  6. विद्या की प्राप्ति: विद्यार्थियों को विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  7. संतान सुख: संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
  8. कठिनाईयों से मुक्ति: जीवन की कठिनाईयों और चुनौतियों से मुक्ति मिलती है।
  9. आध्यात्मिक उन्नति: भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
  10. मनोकामना पूर्ण: सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  11. शत्रु पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  12. धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  13. कर्ज से मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  14. दुखों का नाश: सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है।
  15. मित्रता और सहयोग: मित्रता में वृद्धि होती है और सहयोग प्राप्त होता है।
  16. प्रेम और सद्भावना: प्रेम और सद्भावना में वृद्धि होती है।
  17. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान मिलता है।
  18. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  19. धैर्य और साहस: धैर्य और साहस में वृद्धि होती है।
  20. शांति और संतोष: जीवन में शांति और संतोष प्राप्त होता है।

पाठ करने की विधि

दिन और अवधि

  • माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है, परंतु मंगलवार और शुक्रवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति हेतु 21 दिन, 40 दिन या 108 दिन तक लगातार पाठ किया जा सकता है।

मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने का सबसे उत्तम समय माना जाता है।
  • संध्याकाल में सूर्यास्त के बाद भी पाठ किया जा सकता है।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पवित्र स्थान: किसी पवित्र स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  3. धूप-दीप: माता कोटेश्वरी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं।
  4. आसन: स्वच्छ आसन पर बैठकर पाठ करें।
  5. संकल्प: पाठ प्रारंभ करने से पूर्व मनोकामना की पूर्ति हेतु संकल्प लें।
  6. ध्यान: माता कोटेश्वरी का ध्यान करें और मन में उन्हें स्मरण करें।
  7. भक्ति: पूरे भक्ति भाव से पाठ करें।
  8. समाप्ति: पाठ के समाप्त होने के बाद माता कोटेश्वरी की आरती करें और प्रसाद बांटें।

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सावधानियाँ

  1. आलस्य से बचें: पाठ के दौरान आलस्य और निद्रा से बचें।
  2. सकारात्मक सोच: नकारात्मक विचारों से दूर रहें और सकारात्मक सोच रखें।
  3. ध्यान विचलित न करें: पाठ के दौरान ध्यान को विचलित न होने दें।
  4. शुद्धता बनाए रखें: शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखें।
  5. निर्धारित समय: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) और संध्याकाल में पाठ करना उत्तम माना जाता है।
  2. क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?
    • हां, लेकिन मंगलवार और शुक्रवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  3. माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
    • मनोकामना की पूर्ति हेतु 21 दिन, 40 दिन या 108 दिन तक लगातार पाठ किया जा सकता है।
  4. क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ किसी विशेष स्थान पर किया जाना चाहिए?
    • हां, किसी पवित्र स्थान पर बैठकर पाठ करना चाहिए।
  5. माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने के क्या लाभ हैं?
    • मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य लाभ, विपत्तियों का नाश, परिवार में सुख-शांति आदि।
  6. पाठ के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
    • स्वच्छता, पवित्र स्थान, धूप-दीप, संकल्प, ध्यान, भक्ति आदि का पालन करें।
  7. क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने के लिए विशेष वस्त्र धारण करने चाहिए?
    • स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए, विशेष रूप से लाल वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
  8. पाठ के दौरान किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए?
    • आलस्य, नकारात्मक विचारों से बचें, ध्यान विचलित न करें, शुद्धता बनाए रखें।
  9. क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ किसी भी स्थान पर किया जा सकता है?
    • हां, लेकिन पवित्र स्थान पर करना अधिक शुभ माना जाता है।

Mata Kushmanda Chalisa- Wealth & Success

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कुष्मांडा चालीसा का पाठ से सभी मनोकामना की पुर्ति होती है। माता कुष्मांडा देवी दुर्गा के नौ रूपों में से चौथे रूप में पूजी जाती हैं। उन्हें इस नाम से जाना जाता है क्योंकि माना जाता है कि उनके मंद मुस्कान (कुशमंड) से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ। माँ कुष्मांडा देवी अत्यंत सौम्य और हंसमुख हैं। उनकी उपासना करने से साधक को स्वास्थ्य, संपत्ति, और समृद्धि प्राप्त होती है। माता कुष्मांडा चालीसा का पाठ करने से विशेष रूप से मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

माता कुष्मांडा चालीसा

॥दोहा॥

माता कुष्मांडा की जय, करुणा की सागर।
सुख-सम्पत्ति देने वाली, जय माँ, जय अंबर॥

॥चालीसा॥

जयति जयति जगत की माता।
कुष्मांडा देवी सुखदायी भ्राता॥

शुम्भ-निशुम्भ हरणी माता।
भक्तों की विपदा हरणी भ्राता॥

कुश (कुमार) मंद हर्ष से भरी।
चारों ओर कृपा की झरी॥

हंस पर सवार हे माता।
कृपा का अविरल बहाता॥

कुम्भ करों में जल से भरे।
धन-धान्य से भरे सारे घर॥

आभा से दीप्त हे माता।
भक्तों के संकट मिटाता॥

चतुर्थी तिथि शुभ कहलाती।
व्रत रखने से सब सफल होती॥

मंत्र का जप करों हे प्यारे।
जीवन सुखी हो जाए सारे॥

अंत में सुन लो अरज हमारी।
जीवन सवारे भवसागर से॥

जय माता कुष्मांडा भवानी।
कृपा करो हे जगत की रानी॥

चालीसा के लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि: माता कुष्मांडा की कृपा से साधक को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  2. स्वास्थ्य: माता के आशीर्वाद से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  3. मानसिक शांति: चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है।
  4. परिवारिक सुख: परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
  5. बाधाओं का निवारण: जीवन की विभिन्न बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  6. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  7. कार्यसिद्धि: माँ की कृपा से सभी कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होते हैं।
  8. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
  9. शत्रु बाधा निवारण: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  10. जीवन में सुख-शांति: जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
  11. भयमुक्ति: सभी प्रकार के भय और डर से मुक्ति मिलती है।
  12. आकर्षण शक्ति: व्यक्ति के व्यक्तित्व में आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
  13. ग्रह दोष निवारण: ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
  14. सकारात्मक ऊर्जा: चालीसा का पाठ सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
  15. तंत्र बाधा से मुक्ति: तंत्र-मंत्र और ऊपरी बाधाओं से रक्षा होती है।
  16. सुख-समृद्धि की प्राप्ति: साधक को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
  17. प्रभावशाली व्यक्तित्व: व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है।
  18. कार्य में सफलता: कठिन कार्यों में सफलता मिलती है।
  19. धन प्राप्ति: चालीसा के पाठ से धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
  20. कष्टों से मुक्ति: जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

चालीसा विधि

  1. दिन: माता कुष्मांडा की पूजा अष्टमी और नवमी के दिन विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। वैसे तो किसी भी शुभ दिन या नवरात्रि के दिनों में इस चालीसा का पाठ किया जा सकता है।
  2. अवधि: इस चालीसा का पाठ न्यूनतम 9 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए। आप इसे नियमित जीवन का हिस्सा बनाकर भी पाठ कर सकते हैं।
  3. मुहुर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे) या संध्या समय इस चालीसा के पाठ के लिए उत्तम माने जाते हैं। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन विशेष फलदायी होते हैं।
  4. पूजा सामग्री: पूजा के लिए धूप, दीप, अक्षत, पुष्प, नारियल, और माता के प्रिय भोग का प्रबंध करें।

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माता कुष्मांडा चालीसा के नियम

  1. शुद्धता: पाठ करते समय शरीर, मन और वचन की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. श्रद्धा: माता की पूजा और चालीसा पाठ में श्रद्धा और विश्वास का होना आवश्यक है।
  3. ध्यान: पाठ के दौरान माता कुष्मांडा के स्वरूप का ध्यान करें।
  4. व्रत: अगर संभव हो तो पाठ के साथ व्रत भी करें, यह विशेष फलदायी माना जाता है।
  5. समय: पाठ का समय निर्धारित रखें और रोज़ उसी समय पाठ करें।
  6. मौन: पाठ के बाद कुछ समय के लिए मौन व्रत रखें।
  7. आसन: एक ही स्थान पर स्थिर बैठकर पाठ करें।
  8. भोग: पाठ के बाद माता को भोग अर्पित करें और प्रसाद ग्रहण करें।
  9. एकाग्रता: पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।
  10. संयम: इस अवधि में मानसिक और शारीरिक संयम का पालन करें।
  11. पवित्र स्थान: पूजा का स्थान पवित्र और शुद्ध होना चाहिए।
  12. आसन का उपयोग: पाठ के लिए सफेद या लाल रंग का आसन उपयोग करें।
  13. नियमितता: पाठ की नियमितता बनाए रखें।
  14. आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  15. नकारात्मकता से बचाव: नकारात्मक विचारों और क्रोध से बचें।
  16. अलंकृत स्थान: पाठ स्थल को स्वच्छ और अलंकृत रखें।
  17. पारंपरिक वस्त्र: पारंपरिक वस्त्र पहनें और सादगी अपनाएं।
  18. अन्न का दान: पूजा के बाद अन्न का दान करें।
  19. मनोकामना: पाठ के बाद अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
  20. धन्यवाद: अंत में माता का धन्यवाद ज्ञापित करें।

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माता कुष्मांडा चालीसा पाठ के समय सावधानियां

पाठ के बाद धन्यवाद अर्पित करें
चालीसा का पाठ समाप्त होने के बाद माता को धन्यवाद अर्पित करें। साथ ही अपने परिवार के लिए आशीर्वाद की कामना करें।

पवित्र स्थान पर पाठ करें
माता कुष्मांडा चालीसा का पाठ शुद्ध और पवित्र स्थान पर करना चाहिए। यह स्थान स्वच्छ होना चाहिए। घर के पूजा स्थल या किसी मंदिर में पाठ करना उत्तम होता है।

शुद्ध मानसिक स्थिति
पाठ करते समय मानसिक स्थिति शुद्ध और एकाग्र होनी चाहिए। मन में किसी प्रकार का विकार या नकारात्मक सोच नहीं होनी चाहिए।

साफ-सुथरे वस्त्र पहनें
पाठ करते समय स्वच्छ और शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए। यह धार्मिक सम्मान और पवित्रता का प्रतीक है।

समय का ध्यान रखें
चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय करना अधिक प्रभावी माना जाता है। विशेष रूप से संतान सुख या मानसिक शांति के लिए यह समय शुभ होता है।

ध्यान और श्रद्धा के साथ पाठ करें
पाठ करते समय पूर्ण श्रद्धा और ध्यान से इसे करना चाहिए। हर शब्द और मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करें।

गंगाजल या पवित्र जल का उपयोग
पाठ के दौरान गंगाजल या पवित्र जल का उपयोग करना अधिक लाभकारी होता है। यह शुद्धि का प्रतीक है।

एकाग्रता बनाए रखें
पाठ के दौरान एकाग्रता बनाए रखें। किसी बाहरी विक्षेप से बचने के लिए शांत वातावरण में बैठें।

प्रसाद चढ़ाएं
माता कुष्मांडा की पूजा में फूल, फल या अन्य प्रसाद अर्पित करें। यह आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए लाभकारी होता है।

Mata Mangala Chalisa- Wealth & Prosperity

Mata Mangala Chalisa

माता मंगला चालीसा एक विशेष भक्तिपूर्ण चालीसा है जिसका पाठ माता मंगला देवी की स्तुति और कृपा के लिए पढ़ा जाता है। यह उन भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी होता है जो आदि शक्ति स्वरूप माता मंगला की आराधना करते हैं और अपने जीवन की समस्याओं का समाधान चाहते हैं।

माता मंगला चालीसा

||दोहा||
श्रद्धा मन धरो, सुमिरो मंगला नाम।
कृपा करो माते, दुःख मिटे सब काम॥
जय जय मंगला माता, जयति त्रिपुरारी।
सन्तों के दुःख हरें, भक्तों की सुखकारी॥

||चौपाई||
जय मंगला भवानी माते।
तेरी महिमा कोई न जाने॥
त्रिलोक में तेरा वास।
सबसे न्यारी है तेरी आस॥

करुणा की सागर मंगला माते।
सन्तों की तू बिगड़ी बनाते॥
जो भी तेरा ध्यान धराए।
सुख संपत्ति सब पावे॥

विध्न विनाशक जगदम्बे।
तू सबकी ममता सुम्बे॥
तेरी शरण में जो आए।
विपदा कभी ना पाय॥

माता मंगला चालीसा के लाभ

  1. धन-समृद्धि में वृद्धि: माता मंगला की कृपा से धन और संपत्ति में वृद्धि होती है।
  2. शत्रुओं से रक्षा: चालीसा का पाठ शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: यह चालीसा पाठक की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: माता मंगला की कृपा से बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  5. परिवार में सुख-शांति: चालीसा का पाठ परिवार में सुख-शांति का माहौल बनाता है।
  6. विवाह में विलम्ब: यदि विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो माता मंगला की कृपा से विवाह के योग बनते हैं।
  7. कारोबार में वृद्धि: यह चालीसा व्यवसाय में तरक्की और समृद्धि का मार्ग खोलता है।
  8. शिक्षा में सफलता: विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है।
  9. मन की शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  10. कर्ज से मुक्ति: माता मंगला की कृपा से कर्ज से छुटकारा मिलता है।
  11. विघ्न-बाधा से मुक्ति: जीवन में आने वाली विघ्न-बाधाओं को दूर करता है।
  12. नौकरी में उन्नति: नौकरी में प्रमोशन और सफलता मिलती है।
  13. घर में सुख-समृद्धि: परिवार के सदस्यों के बीच सौहार्द्र और समृद्धि आती है।
  14. बाधा मुक्ति: किसी भी प्रकार की बाधा या समस्या को हल करने में सहायक।
  15. शांति और संयम: यह पाठ शांति और संयम प्रदान करता है।
  16. तंत्र-मंत्र से रक्षा: माता मंगला की कृपा से तंत्र-मंत्र के प्रभाव से रक्षा होती है।
  17. शक्ति और साहस: चालीसा के पाठ से मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  18. भक्ति में वृद्धि: माता मंगला की भक्ति में वृद्धि होती है।
  19. आत्मबल में वृद्धि: चालीसा पाठक के आत्मबल में वृद्धि करता है।
  20. आकर्षण शक्ति: माता मंगला की कृपा से व्यक्ति में आकर्षण शक्ति का विकास होता है।

माता मंगला चालीसा पढ़ने की विधि

  1. दिन: किसी भी शुभ दिन, विशेषकर शुक्रवार या पूर्णिमा को इसका पाठ करना शुभ होता है।
  2. समय: प्रातःकाल का समय सर्वोत्तम होता है। लेकिन इच्छानुसार शाम के समय भी कर सकते हैं।
  3. अवधि: चालीसा का पाठ कम से कम 7 दिन तक लगातार करें। अगर अधिक लाभ चाहते हैं तो 21 दिन तक करें।
  4. मंत्र उच्चारण: माता मंगला चालीसा का पाठ शुद्ध और स्पष्ट उच्चारण के साथ करें।
  5. पूजा सामग्री: माता मंगला की पूजा के लिए लाल फूल, धूप, दीपक, नैवेद्य, फल, मिठाई आदि रखें।
  6. स्नान: चालीसा पाठ से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  7. मंत्र जाप: माता मंगला का ध्यान करते हुए “ॐ मंगला नमः” मंत्र का जाप करें।
  8. ध्यान: पाठ के दौरान माता मंगला की छवि या चित्र के सामने ध्यान लगाएं।
  9. आरती: पाठ के बाद माता मंगला की आरती करें और प्रसाद बांटें।
  10. समर्पण: अपने मन में माता मंगला के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव रखें।

नियम

  1. शुद्धता: चालीसा का पाठ शुद्ध हृदय और मन से करें।
  2. नियमितता: नियमित रूप से एक ही समय पर चालीसा का पाठ करें।
  3. संकल्प: चालीसा पाठ के लिए संकल्प लें और उसे पूरा करें।
  4. श्रद्धा: माता मंगला के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति का भाव रखें।
  5. ध्यान: पाठ के समय किसी भी प्रकार का ध्यान भंग न होने दें।
  6. स्वच्छता: पूजा स्थल और स्वयं की स्वच्छता का ध्यान रखें।
  7. सात्विक भोजन: पाठ के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें।
  8. संयम: पाठ के दौरान संयम और शांति का पालन करें।
  9. आस्था: पाठ में आस्था और विश्वास का भाव बनाए रखें।
  10. पारिवारिक भागीदारी: अगर संभव हो तो परिवार के सदस्यों को भी शामिल करें।
  11. ध्यान केंद्रित: ध्यान को माता मंगला के स्वरूप पर केंद्रित करें।
  12. समर्पण: पाठ के दौरान सभी प्रकार की इच्छाओं का त्याग कर माता के प्रति समर्पण करें।
  13. सदाचार: पाठ के दौरान और इसके बाद सदाचार का पालन करें।
  14. पवित्रता: मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
  15. भ्रम न पालें: मन में किसी भी प्रकार का भ्रम न रखें।
  16. अन्य साधना: पाठ के दौरान अन्य साधना या तंत्र-मंत्र का सहारा न लें।
  17. नियमित ध्यान: पाठ के बाद माता मंगला का ध्यान नियमित रूप से करते रहें।
  18. परहेज: अनुचित व्यवहार और विचारों से परहेज करें।
  19. समय का पालन: एक ही समय पर पाठ करें, समय का विशेष ध्यान रखें।
  20. धैर्य: माता मंगला की कृपा के लिए धैर्य बनाए रखें।

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सावधानियाँ

  1. अनुचित आचरण: पाठ के दौरान या पहले अनुचित आचरण से बचें।
  2. अवज्ञा: माता मंगला की अवज्ञा न करें।
  3. रोगी अवस्था में: बहुत गंभीर बीमारी की स्थिति में विशेषज्ञ से परामर्श करें।
  4. निंदा: पाठ के दौरान या इसके बाद किसी की निंदा न करें।
  5. व्यवधान: पाठ के समय किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचें।
  6. आलस्य: पाठ के दौरान आलस्य न करें।
  7. अविश्वास: मन में किसी भी प्रकार का अविश्वास न रखें।
  8. संशय: चालीसा के प्रभाव को लेकर संशय न पालें।
  9. अनियमितता: पाठ में अनियमितता न रखें।
  10. अनादर: माता मंगला का अनादर न करें।
  11. विवाद: पाठ के दौरान या इसके बाद विवाद से बचें।
  12. अत्यधिक भोजन: पाठ के दौरान या इसके बाद अत्यधिक भोजन न करें।
  13. आध्यात्मिक अभ्यास: अगर आप किसी अन्य आध्यात्मिक अभ्यास में लगे हैं तो उसे न तोड़ें।
  14. समय का चयन: अशुभ समय में चालीसा का पाठ न करें।
  15. आवश्यक वस्त्र: पाठ के दौरान स्वच्छ और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  16. प्रसाद वितरण: प्रसाद को साफ-सुथरी जगह पर ही बांटें।
  17. निर्णय क्षमता: पाठ के बाद किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय को जल्दबाजी में न लें।
  18. वाणी संयम: पाठ के दौरान और इसके बाद वाणी में संयम रखें।
  19. सत्संग: जितना हो सके सत्संग में भाग लें।
  20. धैर्यपूर्वक: परिणाम के लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करें।

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माता मंगला चालीसा से जुड़े सामान्य प्रश्न

  1. प्रश्न: माता मंगला चालीसा का पाठ किस दिन करना चाहिए?
    उत्तर: किसी भी शुभ दिन, विशेषकर शुक्रवार या पूर्णिमा को पाठ करना शुभ होता है।
  2. प्रश्न: माता मंगला चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर: चालीसा का पाठ प्रतिदिन कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए।
  3. प्रश्न: क्या माता मंगला चालीसा का पाठ किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, चालीसा का पाठ किसी भी समस्या के समाधान के लिए किया जा सकता है।
  4. प्रश्न: क्या माता मंगला चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, लेकिन प्रातःकाल या संध्याकाल का समय सर्वोत्तम होता है।
  5. प्रश्न: माता मंगला चालीसा का पाठ करने के लिए कौन-सा मंत्र उच्चारण करना चाहिए?
    उत्तर: “ॐ मंगला नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।
  6. प्रश्न: क्या माता मंगला चालीसा का पाठ केवल महिलाओं के लिए है?
    उत्तर: नहीं, इसे स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  7. प्रश्न: माता मंगला चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
    उत्तर: कम से कम 7 दिन तक लगातार करें। अगर अधिक लाभ चाहते हैं तो 21 दिन तक करें।
  8. प्रश्न: क्या माता मंगला चालीसा के पाठ के दौरान कोई विशेष सावधानी बरतनी चाहिए?
    उत्तर: हाँ, मन और शरीर की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
  9. प्रश्न: क्या माता मंगला चालीसा का पाठ करने के बाद आरती करना आवश्यक है?
    उत्तर: हाँ, पाठ के बाद आरती करना और प्रसाद बांटना शुभ माना जाता है।
  10. प्रश्न: माता मंगला चालीसा के पाठ से क्या लाभ होता है?
    उत्तर: माता मंगला चालीसा का पाठ करने से जीवन की समस्याओं का समाधान और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
  11. प्रश्न: क्या माता मंगला चालीसा का पाठ परिवार के साथ मिलकर किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, इसे परिवार के सभी सदस्य मिलकर कर सकते हैं।

Trishakti Mantra Sadhana for Stop Negative Energy

Trishaki Sadhana

त्रिशक्ति मंत्र साधना जिसमे माता की तीन शक्तियां, भुवनेश्वरी, लक्ष्मी व काली की शक्तियां समाहित होती है, ये हर तरह की निगेटिव उर्जा को नष्ट करने वाली होती है। इस प्रयोग की खास बात यह है कि इसे घर के किसी भी दरवाजे पर यह प्रयोग किया जाता है। दरवाजा चाहे पूजा घर का हो, या और किसी कमरे का हो या बाहर का दरवाजा हो। इस प्रयोग से सभी तरह की नकारात्मक उर्जा घर मे प्रवेश नही कर पाती।

त्रिशक्ती मंत्र का संपूर्ण अर्थ

मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं श्रीं क्रीं नमः

अर्थ:

इस मंत्र में “” का अर्थ है परमात्मा का सर्वोच्च नाम, जो सभी शक्तियों का स्रोत है। “ह्रां” शक्ति बीज मंत्र है, “ह्रीं” माता भुवनेश्वरी का बीज मंत्र है, “श्रीं” माता लक्ष्मी का बीज मंत्र है, और “क्रीं” काली और विजय का प्रतीक है। “नमः” का अर्थ है विनम्रता से नमन करना। इस मंत्र में इन सभी देवियों की शक्तियों का आह्वान किया जाता है, जो साधक को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, सुरक्षा, और समृद्धि प्रदान करती हैं।

Trishakti Mantra Audio

लाभ

  1. घर के दरवाजे पर शक्तियों की स्थापना: मंत्र का जप करने से घर के द्वार पर शक्तियों की स्थापना होती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश रुकता है।
  2. नज़र बाधा से मुक्ति: यह मंत्र व्यक्ति को नज़र बाधा से बचाता है और उसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का आवरण बनाता है।
  3. तंत्र बाधा से सुरक्षा: मंत्र का जप तांत्रिक बाधाओं और काले जादू से रक्षा करता है।
  4. शत्रु बाधा से सुरक्षा: शत्रुओं के प्रकोप और उनके द्वारा उत्पन्न बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  5. माता भुवनेश्वरी की कृपा: साधक को माता भुवनेश्वरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  6. लक्ष्मी की कृपा: माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।
  7. काली की कृपा: माता काली की कृपा से साधक के जीवन में आने वाले सभी संकट और भय समाप्त हो जाते हैं।
  8. क्लेश मुक्ति: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और घर के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है।
  9. कार्य सिद्धि: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
  10. धन समृद्धि: घर में आर्थिक बाधाओं का नाश होता है और धन की वृद्धि होती है।
  11. वास्तु दोष निवारण: मंत्र का प्रभाव घर के वास्तु दोषों को दूर करता है।
  12. ग्रह बाधा से मुक्ति: यह मंत्र साधक को ग्रहों की अशुभ दृष्टि से बचाता है।
  13. व्यवसाय में वृद्धि: व्यापार में उन्नति होती है और लाभ के अवसर बढ़ते हैं।
  14. नौकरी में प्रमोशन: नौकरी में पदोन्नति और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
  15. परिवार में सुख-शांति: परिवार के सभी सदस्यों के बीच आपसी सामंजस्य और प्रेम बना रहता है।
  16. तंत्र-मंत्र से सुरक्षा: यह मंत्र तांत्रिक प्रकोप और काले जादू से सुरक्षा प्रदान करता है।

साधना विधि

  1. सामग्री: केले का पत्ता, कुमकुम, चावल, दीपक, धूपबत्ती, फूल, नैवेद्य (मिठाई या फल), जल का पात्र, और घी।
  2. स्थान: साधना करने का स्थान स्वच्छ और शांत होना चाहिए।
  3. सावधानी: साधना के समय मन और शरीर दोनों शुद्ध होने चाहिए।
  4. मंत्र जप: केले के पत्ते पर सभी सामग्री को रखकर मंत्र का ११ माला (१०८८ बार) मंत्र जप करें।
  5. समय: इस साधना का सबसे शुभ समय संध्याकाल का होता है।
  6. अवधि: यह साधना कम से कम ३ दिनों तक लगातार करनी चाहिए।
  7. विधिः केले के पत्ते पर थोड़ा चावल रखे, उस पर सरसो के तेल का ३ बाती वाला दीपक जलाये। अब ११ बार गुरु मंत्र (ॐ गुं गुरुभ्योः नमः) मंत्र का जप करे, फिर ११ बार (ॐ सर्व पित्राय नमः) मंत्र का जप करे, फिर ११ बार (ॐ गं गणपतये नमः) मंत्र का जप करे। अब ११ माला या १०८८ बार “ॐ ह्रां ह्रीं श्रीं क्रीं नमः” का जप करे। इस तरह से ये अभ्यास ३ दिन तक करे। ३ दिन के बाद कुमकुम किसी प्लेट मे लेकर थोड़ा गीलाकर पेस्ट बना ले, और उसे हाथ की उंगली से दरवाजे पर “ह्रीं श्रीं क्रीं” लिख दे।
  8. भोजन: इसके बाद किसी जरूरतमंद को भरपेट भोजन या फल दान करे।

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सावधानियां

  1. पवित्रता बनाए रखें: साधना के समय शरीर, वस्त्र और स्थान की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
  2. संकल्प लें: साधना के प्रारंभ में अपने उद्देश्य का संकल्प लें और साधना को पूरा करने के प्रति दृढ़ रहें।
  3. शुद्ध आहार: साधना के दिनों में सात्विक और शुद्ध आहार ग्रहण करें।
  4. ध्यान केंद्रित रखें: मंत्र जप के समय ध्यान केंद्रित रखें और मन को भटकने न दें।
  5. साधना का समय निश्चित करें: साधना का समय निश्चित करें और उसे नियमित रूप से पालन करें।

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सामान्य प्रश्न

  1. त्रिशक्ती मंत्र क्या है?
    त्रिशक्ती मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो तीन प्रमुख देवियों – काली, भुवनेश्वरी, और लक्ष्मी की शक्तियों का आह्वान करता है।
  2. मंत्र का अर्थ क्या है?
    मंत्र का अर्थ है इन देवियों के शक्तियों को नमन करना और उनके आशीर्वाद प्राप्त करना।
  3. इस मंत्र का जप कैसे करें?
    केले के पत्ते पर सभी सामग्री रखकर मंत्र का ११ माला जप करें।
  4. इस मंत्र का जप किस समय करना चाहिए?
    प्रातःकाल या संध्याकाल का समय सबसे शुभ होता है।
  5. कितने दिन तक इस मंत्र का जप करना चाहिए?
    कम से कम ४१ दिनों तक यह साधना करनी चाहिए।
  6. क्या इस मंत्र से आर्थिक समस्याएं दूर हो सकती हैं?
    हां, इस मंत्र का जप करने से आर्थिक बाधाओं का नाश होता है।
  7. क्या यह मंत्र तंत्र बाधा से सुरक्षा प्रदान करता है?
    हां, यह मंत्र तांत्रिक बाधाओं और काले जादू से सुरक्षा करता है।
  8. क्या इस मंत्र से शत्रुओं का प्रकोप समाप्त होता है?
    हां, यह मंत्र शत्रु बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
  9. इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
    रोजाना १०८८ बार (११ माला) मंत्र जप करना चाहिए।
  10. क्या इस मंत्र का प्रभाव घर के वास्तु दोषों पर पड़ता है?
    हां, यह मंत्र घर के वास्तु दोषों को दूर करता है।
  11. मंत्र जप के समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
    मंत्र जप के समय मन को शांत और ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।
  12. क्या यह मंत्र शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाता है?
    हां, इस मंत्र का जप शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि करता है।

Ganesha Chetak mantra for happiness and prosperity

Ganesha Chetak Mantra

सुख समृद्धि देने वाला गणेश चेटक मंत्र ग्रहस्थ ब्यक्ति के लिये परम् कल्याणकारी माना गया है। इस मंत्र के उच्चारण से मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होने लगता है। इस मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति को कई प्रकार की बाधाओं और संकटों से मुक्ति मिलती है।

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गणेश चेटक मंत्र और उसका अर्थ

गणेश चेटक मंत्र

ॐ गं ग्रां ग्रूं गणपतये नमः

मंत्र का अर्थ

इस मंत्र में ‘‘ ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है। ‘गं‘ गणेश जी का बीज मंत्र है, जो विघ्नहर्ता और शुभता के प्रतीक हैं। ‘ग्रां‘ और ‘ग्रूं‘ ध्वनियाँ भगवान गणेश की उग्र शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो साधक को आध्यात्मिक उन्नति और सुरक्षा प्रदान करती हैं। ‘गणपतये नमः‘ का अर्थ है “गणपति को नमस्कार,” यानी ” हम विघ्न बाधा दूर करने वाले भगवान गणेश जी को प्रणाम करते हैं और उनसे मार्गदर्शन की प्रार्थना करते हैं”।

गणेश चेटक मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन

गणेश चेटक मंत्र का जप किसी भी शुभ दिन पर प्रारंभ किया जा सकता है। विशेषकर बुधवार या चतुर्थी तिथि को यह मंत्र जप करना अधिक फलदायी होता है।

अवधि

इस मंत्र का जप 11 से 21 दिनों तक लगातार करना चाहिए। प्रत्येक दिन एक निश्चित संख्या में मंत्रों का जप किया जाता है।

मुहूर्त

मंत्र जप के लिए सूर्योदय से पूर्व का समय सबसे उत्तम माना गया है। यह समय साधना और मंत्र जप के लिए अत्यधिक शुभ होता है क्योंकि इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

गणेश चेटक मंत्र जप की सामग्री

मंत्र जप के लिए निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है:

  1. माला: रुद्राक्ष की माला या तुलसी की माला का उपयोग करें।
  2. गणेश मूर्ति: पूजा के समय गणेश जी की मूर्ति या चित्र का सामने होना चाहिए।
  3. सिंदूर और दूर्वा: गणेश जी को सिंदूर और दूर्वा अर्पित करें।
  4. दीपक: घी का दीपक जलाएं।
  5. अगरबत्ती: सुगंधित अगरबत्ती जलाएं।
  6. मिठाई: गणेश जी को प्रिय मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।

जप संख्या

गणेश चेटक मंत्र का जप कम से कम 108 बार (एक माला) और अधिकतम 1188 बार (11 माला) प्रतिदिन करना चाहिए। मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और ध्यानपूर्वक होना चाहिए। प्रतिदिन जप की संख्या धीरे-धीरे बढ़ाई जा सकती है, लेकिन इसके लिए समय और एकाग्रता की आवश्यकता होती है।

मंत्र नियम

  1. उम्र: इस मंत्र का जप 1८ वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति कर सकता है।
  2. लिंग: इस मंत्र का जप स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  3. वस्त्र: मंत्र जप करते समय नीले या काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।
  4. आहार: जप के दौरान धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से दूर रहें। शुद्ध और सात्विक आहार ग्रहण करें।
  5. ब्रह्मचर्य: जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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सावधानियां

  1. मन की शुद्धि: मंत्र जप करते समय मन को शुद्ध और शांत रखें। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को मन में न आने दें।
  2. नियमितता: मंत्र का जप नियमित रूप से करें। किसी भी दिन मंत्र जप छोड़ना नहीं चाहिए।
  3. शुद्धता: जप करने से पहले शरीर और स्थान की शुद्धि करें।
  4. ध्यान: मंत्र जप के समय मन को गणेश जी की मूर्ति या चित्र पर एकाग्र करें।
  5. आवाज का ध्यान: मंत्र जप करते समय आवाज का ध्यान रखें। आवाज न तो बहुत ऊंची हो और न ही बहुत धीमी।
  6. समर्पण: मंत्र जप पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करें।
  7. समाप्ति: जप समाप्ति के बाद शांति से बैठकर ध्यान करें और गणेश जी से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।

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गणेश चेटक मंत्र से जुड़े प्रश्न और उनके उत्तर

  1. गणेश चेटक मंत्र क्या है?
    यह एक शक्तिशाली गणेश मंत्र है जो तांत्रिक और साधारण साधना के लिए उपयोग किया जाता है।
  2. गणेश चेटक मंत्र के जप से क्या लाभ होते हैं?
    इससे मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है और संकटों से मुक्ति मिलती है।
  3. गणेश चेटक मंत्र का जप कौन कर सकता है?
    10 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इस मंत्र का जप कर सकता है।
  4. इस मंत्र का जप कितने दिनों तक करना चाहिए?
    इसे 11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
  5. मंत्र जप के समय कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?
    सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनने चाहिए, नीले या काले रंग के नहीं।
  6. क्या इस मंत्र का जप रात में किया जा सकता है?
    हां, लेकिन सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद का समय अधिक शुभ माना जाता है।
  7. क्या इस मंत्र के जप के लिए कोई विशेष सामग्री की आवश्यकता है?
    हां, जैसे रुद्राक्ष माला, दीपक, अगरबत्ती, गणेश मूर्ति आदि।
  8. क्या मंत्र जप के दौरान किसी विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
    हां, शुद्ध और सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक पदार्थों से बचें।
  9. क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?
    हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं।
  10. मंत्र जप के समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
    मन को एकाग्र रखें और गणेश जी की मूर्ति या चित्र पर ध्यान केंद्रित करें।
  11. क्या इस मंत्र का जप केवल बुधवार को ही करना चाहिए?
    बुधवार को शुभ माना जाता है, लेकिन इसे किसी भी दिन जपा जा सकता है।

Bhog Yakshini for Earthly pleasures

Bhog Yanshini Mantra

सांसारिक सुख देने वाली भोग यक्षिणी मंत्र, का जप ग्रहस्थ ब्यक्तियों के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। (ॐ ह्रीं भोग यक्षिणे मम् वशमानय स्वाहा) एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है जिसे भोग यक्षिणी को प्रसन्न करने के लिए जपा जाता है जो साधक को भौतिक सुख-सुविधाओं, समृद्धि, और मनोकामनाओं की पूर्ति प्रदान करती हैं।

भोग यक्षिणी मंत्र का अर्थ

“ॐ ह्रीं भोग यक्षिणे मम् वशमानय स्वाहा” मंत्र का अर्थ है:

  • : यह बीज मंत्र है, जो सृष्टि की सभी ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • ह्रीं: यह शक्ति का बीज मंत्र है, जो साधक के भीतर आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति को जाग्रत करता है।
  • भोग यक्षिणे: भोग यक्षिणी को संबोधित किया गया है, जो भोग, सुख, और समृद्धि की दात्री मानी जाती हैं।
  • मम् वशमानय: इसका अर्थ है “मुझे अपने वश में कर” या “मुझे इच्छित भोग प्रदान कर”।
  • स्वाहा: यह एक समर्पण का मंत्र है, जिसका मतलब है कि जो भी हम मांगते हैं, वह पूर्ण हो और उसके लिए देवी को धन्यवाद।

भोग यक्षिणी मंत्र जप विधि

भोग यक्षिणी मंत्र को जपने से पहले आपको विधिवत तरीके से इसकी साधना करनी चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:

1. दिन और समय का चयन

  • भोग यक्षिणी मंत्र का जप शुक्रवार के दिन से प्रारंभ करना शुभ माना जाता है क्योंकि शुक्रवार को देवी लक्ष्मी और अन्य शक्तियों की पूजा का दिन माना जाता है।
  • जप का समय रात्रि के समय विशेष रूप से प्रभावी होता है, लेकिन इसे सूर्योदय या सूर्यास्त के समय भी किया जा सकता है।
  • यदि विशेष मुहूर्त में मंत्र जप करना है, तो किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श कर सकते हैं।

2. साधना की अवधि

  • इस मंत्र की साधना कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक की जाती है।
  • साधना की अवधि के दौरान, हर दिन निश्चित संख्या में मंत्र का जप करना चाहिए।

3. मंत्र जप की संख्या

  • प्रारंभ में 108 बार (एक माला) जप करना अनिवार्य है।
  • साधक की क्षमता और संकल्प के अनुसार, 11 माला यानी 1188 मंत्र प्रतिदिन जपने का भी प्रावधान है।
  • निरंतर जप करते समय साधक को संख्या का ध्यान रखना चाहिए और ध्यान एकाग्र रखना चाहिए।

4. साधना सामग्री

  • लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनकर साधना करें।
  • रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
  • भोग यक्षिणी की मूर्ति या तस्वीर को सामने रखें और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
  • प्रसाद के रूप में मिठाई या फलों का भोग अर्पित करें।
  • गुलाब के फूल और चंदन का प्रयोग करें।

भोग यक्षिणी मंत्र जप के नियम

  • मंत्र जप के समय शरीर, मन, और वचन की पवित्रता का ध्यान रखना आवश्यक है।
  • मंत्र जप हमेशा अकेले में और शांत स्थान पर करना चाहिए ताकि ध्यान भंग न हो।
  • साधना के दौरान सात्विक आहार ग्रहण करें और असत्य, क्रोध, और वाद-विवाद से दूर रहें।
  • साधना की अवधि में साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • प्रतिदिन एक ही स्थान पर और एक ही समय पर जप करने का प्रयास करें।
  • यदि आप किसी कारणवश जप नहीं कर पाते हैं, तो साधना के बाद उस दिन का जप संख्या पूरी करें।

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मंत्र जप के दौरान सावधानियां

  • भोग यक्षिणी मंत्र एक तांत्रिक साधना है, इसलिए इसे बिना ज्ञान के या उचित मार्गदर्शन के बिना न करें।
  • किसी भी प्रकार की तामसिक गतिविधियों या असुरक्षित साधनों से बचें।
  • साधना के दौरान नकारात्मक विचारों और भावनाओं से दूर रहें।
  • अगर साधना के दौरान किसी प्रकार की मानसिक या शारीरिक परेशानी होती है, तो तुरंत किसी अनुभवी गुरु या तांत्रिक से परामर्श करें।
  • मंत्र साधना के उद्देश्य को पवित्र और सही रखें, अन्यथा इसके प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।

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भोग यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. भोग यक्षिणी कौन हैं?

  • भोग यक्षिणी एक तांत्रिक देवी हैं जिन्हें भौतिक सुख-सुविधाओं और समृद्धि की दात्री माना जाता है।

2. भोग यक्षिणी मंत्र का क्या महत्व है?

  • यह मंत्र साधक को मनोकामनाओं की पूर्ति, आर्थिक समृद्धि, और जीवन में भौतिक सुख प्रदान करने में मदद करता है।

3. इस मंत्र का जप कब किया जाता है?

  • मंत्र जप का सर्वश्रेष्ठ दिन शुक्रवार है और इसे रात्रि के समय करना अधिक प्रभावी होता है।

4. क्या भोग यक्षिणी मंत्र सभी के लिए है?

  • यह मंत्र साधना के योग्य सभी व्यक्तियों के लिए है, लेकिन इसे सही मार्गदर्शन और नियमों का पालन करते हुए ही करना चाहिए।

5. मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

  • यह साधना कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक करनी चाहिए।

6. मंत्र जप के लिए कौन सी माला का प्रयोग किया जाना चाहिए?

  • रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है।

7. मंत्र जप के दौरान किस प्रकार का आहार ग्रहण करना चाहिए?

  • सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए और तामसिक और राजसिक आहार से दूर रहना चाहिए।

8. मंत्र जप के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

  • मन, वचन, और शरीर की पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।

9. क्या भोग यक्षिणी मंत्र का जप एकांत में करना चाहिए?

  • हां, यह मंत्र साधना एकांत में करना अधिक प्रभावी होता है।

10. क्या इस मंत्र से संबंधित कोई जोखिम है?

  • यदि मंत्र जप गलत तरीके से किया जाए या इसके नियमों का उल्लंघन किया जाए तो इसके प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।

11. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी वस्त्र धारण करनी चाहिए?

  • लाल या पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।

12. मंत्र जप के लिए किस प्रकार का दीपक जलाना चाहिए?

  • शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।

Mata Siddhidatri Chalisa for Wealth & Success

Mata Siddhidatri Chalisa path

माता सिद्धिदात्री चालीसा का ४० दिन नियमित पाठ हर तरह की मनोकामना सिद्ध होती है। परिवार मे विवाद क्लेश दूर होने लगते है। ये माता नवदुर्गा के नौवें स्वरूप में पूजी जाती हैं। ‘सिद्धिदात्री’ का अर्थ है “सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी”। यह देवी अपने भक्तों को अद्वितीय सिद्धियाँ और आशीर्वाद प्रदान करती हैं, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि के नौवें दिन किया जाता है, परंतु उनकी कृपा प्राप्ति के लिए भक्त पूरे वर्ष उनकी आराधना कर सकते हैं।

संपूर्ण माता सिद्धिदात्री चालीसा

॥दोहा॥
नवरात्रि में नवमी दिन, जो सिद्धिदात्री की साध।
उनका कार्य सिद्ध हो, मिट जाए सब बाध॥

॥चौपाई॥
जय सिद्धिदात्री जगदंबा, सिद्धि का दान देने वाली।
जो भी करे विनती तेरी, उसकी हर मनोकामना पूरी वाली॥

शक्ति स्वरूपिणी माँ अम्बे, जो भी सुमिरे तुझको।
कष्ट हरती, दीनों पर कृपा करती, तेरी महिमा असीम है माँ॥

चारों दिशाओं में तेरी महिमा, तुझसे बढ़कर कोई नहीं।
त्रिदेव भी तेरे आगे नतमस्तक, तेरा वरदान सभी माँगे॥

जो सच्चे मन से भजे तुझको, उसके संकट दूर हो जाए।
धन-धान्य की हो प्राप्ति, जीवन में मंगल हो जाए॥

सिद्धिदात्री माँ जगदंबे, तेरे चरणों में शीश नवाए।
तू ही शक्ति, तू ही ममता, जग में तेरा ही गुण गाए॥

सिद्धियों की दात्री माँ तू, तुझसे बड़ा कोई नहीं।
तेरी महिमा अपरम्पार है, तेरा ही गुणगान सभी करते॥

जो भी करे ध्यान तेरा, वह भवसागर से तर जाए।
तेरा स्मरण करते ही माँ, सब दुःख दर्द दूर हो जाए॥

भक्तों की रक्षा करने वाली, तू है जगत की पालनहार।
तेरी महिमा गाते गाते, हम भी हो जाएँ तुझपर निसार॥

नवदुर्गा में तेरा स्थान, तुझसे ही है सबका उद्धार।
सिद्धिदात्री माँ तू है जग की, तेरा ही भजते बारम्बार॥

माँ सिद्धिदात्री की महिमा, कोई कह न पाए।
जो भी हो तेरे ध्यान में लीन, वह सब संकट से छूट जाए॥

सर्व सिद्धियों की दात्री माँ, तेरे चरणों में शीश नवाए।
जो तेरा स्मरण करते, वे भवसागर से पार हो जाए॥

॥दोहा॥

माँ सिद्धिदात्री का जो भी ध्यान करे सुमिरन।
उसके सब कष्ट कट जाएं, हो उसका मंगल सदा॥

चालीसा के लाभ

  1. सभी सिद्धियों की प्राप्ति: इस चालीसा के नियमित पाठ से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: यह चालीसा भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।
  3. संकटों से मुक्ति: माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
  4. सुख और शांति: इस चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  5. धन और धान्य की प्राप्ति: इस चालीसा का पाठ आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति में सहायक होता है।
  6. मनोकामनाओं की पूर्ति: भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  7. शत्रुओं का नाश: इस चालीसा का पाठ शत्रुओं के दुष्प्रभाव को समाप्त करता है।
  8. संतान सुख: यह चालीसा संतान सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
  9. क्लेश और कलह का नाश: परिवार में सभी प्रकार के क्लेश और कलह का नाश होता है।
  10. भय का नाश: यह चालीसा भय और चिंता से मुक्ति दिलाती है।
  11. दुष्ट आत्माओं से रक्षा: इस चालीसा का पाठ करने से दुष्ट आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।
  12. ईश्वर के प्रति भक्ति: भक्तों में ईश्वर के प्रति गहन भक्ति और श्रद्धा का विकास होता है।
  13. ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: इस चालीसा का पाठ ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति में सहायक होता है।
  14. आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि: यह चालीसा आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव को बढ़ाने में सहायक है।
  15. मनोबल और आत्मविश्वास: इस चालीसा का पाठ करने से मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  16. शक्ति और साहस का संचार: माता सिद्धिदात्री चालीसा शक्ति और साहस को बढ़ाने में मदद करती है।
  17. मोक्ष की प्राप्ति: यह चालीसा मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

विधि

  1. दिन और समय: माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि के नौवें दिन किया जाता है, लेकिन इसे प्रतिदिन भी किया जा सकता है। ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में या संध्या समय पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
  2. अवधि: इस चालीसा का पाठ कम से कम 9 बार किया जाना चाहिए। नियमित रूप से 21, 51, या 108 बार करने से माता सिद्धिदात्री की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. मूहुर्त: नवरात्रि के दिनों में विशेष मुहूर्त में इस चालीसा का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

माता सिद्धिदात्री चालीसा के नियम

  1. शुद्धता और पवित्रता: पाठ करने से पहले शुद्ध स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को शुद्ध और स्वच्छ रखें।
  2. भक्ति भाव: माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ भक्ति और श्रद्धा के साथ करें।
  3. नियमितता: यह चालीसा नियमित रूप से करना अत्यंत लाभकारी होता है। नियमितता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  4. आसन का चयन: पाठ करते समय किसी शुद्ध और पवित्र स्थान पर आसन लगाकर बैठें। ध्यान रहे कि स्थान शांत हो।
  5. माला का उपयोग: पाठ करते समय रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें।
  6. दीपक जलाना: पाठ से पहले घी या तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
  7. दैनिक पूजा: माता सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र के सामने चालीसा का पाठ करें।
  8. व्रत का पालन: यदि संभव हो तो नवरात्रि के दौरान व्रत का पालन करें।
  9. आरती: चालीसा का पाठ समाप्त होने के बाद माता की आरती अवश्य करें।
  10. प्रसाद का वितरण: पाठ के बाद प्रसाद का वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

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माता सिद्धिदात्री चालीसा पाठ के लिए सावधानियाँ

  1. ध्यान भटकने से बचें: पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें और किसी भी प्रकार के व्यर्थ के विचारों को मन में न आने दें।
  2. शुद्धता का पालन करें: पाठ करते समय शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
  3. अपवित्र स्थान से बचें: किसी भी अपवित्र या अशुद्ध स्थान पर चालीसा का पाठ न करें।
  4. सात्त्विक आहार: पाठ के दिन सात्त्विक आहार का सेवन करें और तामसिक भोजन से बचें।
  5. बिना श्रद्धा पाठ न करें: श्रद्धा के बिना किए गए पाठ का कोई फल नहीं होता। इसलिए सच्चे मन से पाठ करें।
  6. ध्यान में लीनता: पाठ करते समय ध्यान को एकाग्र रखें और माता सिद्धिदात्री के ध्यान में लीन रहें।
  7. सकारात्मक सोच रखें: चालीसा पाठ के दौरान और उसके बाद सकारात्मक सोच बनाए रखें।
  8. किसी की निंदा न करें: पाठ के दौरान और बाद में किसी की निंदा, आलोचना या नकारात्मक बातें न करें।
  9. परिवार में शांति बनाए रखें: परिवार में शांति और सौहार्द बनाए रखें, जिससे पाठ का संपूर्ण फल प्राप्त हो।
  10. पाठ के नियमों का पालन करें: पाठ के सभी नियमों और विधियों का पालन करें।

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माता सिद्धिदात्री चालीसा से संबंधित पृश्न उत्तर

  1. माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ कब किया जाना चाहिए?
    • इसे नवरात्रि के नौवें दिन विशेष रूप से, और सामान्य दिनों में प्रातःकाल किया जाना चाहिए।
  2. कितनी बार माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ करना चाहिए?
    • इसे 9, 21, 51, या 108 बार किया जा सकता है, इच्छानुसार संख्या चुनें।
  3. क्या माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • हाँ, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में किया गया पाठ अधिक प्रभावी होता है।
  4. क्या माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ व्रत के साथ करना अनिवार्य है?
    • व्रत करना अनिवार्य नहीं है, परंतु व्रत के साथ पाठ करना अधिक फलदायी होता है।
  5. क्या माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समृद्धि होती है?
    • हाँ, यह चालीसा आर्थिक समृद्धि प्रदान करती है।
  6. क्या माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ किसी विशेष दिन किया जाना चाहिए?
    • नवरात्रि के नवमी दिन विशेष फलदायी होता है, लेकिन किसी भी दिन किया जा सकता है।
  7. माता सिद्धिदात्री की पूजा के लिए कौन सी सामग्री आवश्यक होती है?
    • धूप, दीप, फूल, फल, और माला का उपयोग किया जा सकता है।
  8. क्या माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ करने के बाद आरती करनी चाहिए?
    • हाँ, पाठ के बाद माता की आरती अवश्य करनी चाहिए।
  9. क्या माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है?
    • हाँ, माता सिद्धिदात्री संतान सुख प्रदान करती हैं।
  10. क्या माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है?
    • हाँ, यह चालीसा शत्रुओं के नाश के लिए अत्यंत प्रभावी है।
  11. क्या माता सिद्धिदात्री चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है?
    • हाँ, यह चालीसा मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करती है।

Mata Sukhmani Chalisa for Wealth & Prosperity

Mata Sukhmani Chalisa paath

धन और समृद्धि देने वाली माता सुखमनी, जिन्हें सुखदायिनी और संकटों का नाश करने वाली देवी माना जाता है। इनकी चालीसा का पाठ जीवन की सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है। माता सुखमनी लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती है।

माता सुखमनी चालीसा के लाभ

  1. सुख-समृद्धि: माता सुखमनी चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
  2. संकट मुक्ति: यह चालीसा जीवन के सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाती है।
  3. मानसिक शांति: माता सुखमनी चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति और सुकून प्रदान करता है।
  4. पारिवारिक कलह का नाश: इस चालीसा के प्रभाव से परिवार में शांति और प्रेम बना रहता है।
  5. संतान सुख: संतान प्राप्ति की कामना करने वाले भक्तों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  6. आध्यात्मिक उन्नति: यह चालीसा आध्यात्मिक प्रगति और ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होती है।
  7. शत्रुओं का नाश: शत्रुओं के दुष्प्रभाव से मुक्ति और उनका नाश होता है।
  8. आर्थिक उन्नति: यह चालीसा आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करती है।
  9. शुभ फल की प्राप्ति: सभी प्रकार के शुभ कार्यों में सफलता और अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।
  10. क्लेश मुक्ति: घरेलू और मानसिक क्लेशों का नाश होता है।
  11. शक्ति का संचार: माता सुखमनी की कृपा से भक्तों में आत्मशक्ति का संचार होता है।
  12. आरोग्य प्राप्ति: यह चालीसा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है।
  13. भय का नाश: जीवन के सभी प्रकार के भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  14. धैर्य और साहस: यह चालीसा धैर्य और साहस को बढ़ाने में मदद करती है।
  15. मानसिक स्थिरता: माता सुखमनी चालीसा का पाठ मानसिक स्थिरता और संतुलन बनाए रखने में सहायक है।

संपूर्ण माता सुखमनी चालीसा

॥दोहा॥
श्री सुखमनी मातारानी, संतान सुख देना।
विष्णु जी की हो तुम वंदना, भक्तों का दुःख हरना॥

॥चौपाई॥
जय सुखमनी मातारानी, जय हो सबका कल्याणी।
बैर नाशिनी, अज्ञान हरनी, जय जय माँ जग जननी॥

सुख देने वाली, संकट हरनी, करुणा की मूरत भवानी।
वंदना करते हैं भक्त सारे, माँ सुखमनी जय हो भवानी॥

संकट मोचन, संतोष दायिनी, श्रद्धा के संग प्यार बढ़ाती।
संकट में जो पुकारे तुमको, दुख-दर्द सभी हर लेती॥

दया की सागर, कृपा की मूरत, आशीष का संग बरसाती।
माँ सुखमनी हे जगदंबे, भक्तों के दुख दूर भगाती॥

निराकार रूप, निरंजन हो तुम, भक्तों की पालनहारी।
शत्रु का विनाश करे तुम, मातु सुखमनी त्राहि त्राहि॥

जो भी सच्चे मन से ध्यावे, कष्ट सभी दूर हो जावे।
ध्यान लगाये जो तेरा माँ, धन-धान्य सभी मिल जावे॥

सुख-दुःख हरने वाली हो तुम, हर वक्त रक्षा करती।
जय जय माँ सुखमनी देवी, भक्तों की सुनती विनती॥

जय हो तेरी माँ सुखमनी, संकट से रक्षा करती।
ध्यान लगाये जो सच्चे दिल से, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती॥

भक्तों को संकट से मुक्त कराती, जीवन में सुख शांति लाती।
करुणा की देवी माँ सुखमनी, भक्तों का उद्धार करती॥

॥दोहा॥
माँ सुखमनी की जो भी भक्ति, सभी दुखों से मुक्ति।
कहे नवल सिंह हरि, जो भी माने उसकी सुनी जाए सन्तुष्टि॥

पाठ विधि

  1. दिन और समय: माता सुखमनी चालीसा का पाठ मंगलवार या शुक्रवार के दिन करना शुभ माना जाता है। इसे ब्रह्म मुहूर्त में या शाम के समय करना उत्तम होता है।
  2. अवधि: इस चालीसा का पाठ नियमित रूप से 21, 51 या 108 बार करने से माता सुखमनी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. मूहुर्त: शुभ मुहूर्त में माता सुखमनी चालीसा का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

चालीसा के नियम

  1. सच्ची श्रद्धा: पाठ करते समय सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव का होना आवश्यक है।
  2. शुद्धता: पाठ करने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  3. ध्यान: पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें और माता सुखमनी के ध्यान में लीन रहें।
  4. आसन: पाठ करते समय एक स्वच्छ और सुरक्षित स्थान पर आसन ग्रहण करें।
  5. नियमितता: इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करें ताकि माता सुखमनी की कृपा प्राप्त हो।
  6. व्रत: यदि संभव हो तो पाठ के दिन व्रत का पालन करें।
  7. आरती: पाठ के उपरांत माता सुखमनी की आरती अवश्य करें।
  8. प्रसाद: पाठ के बाद प्रसाद का वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
  9. धूप-दीप: पाठ से पहले धूप और दीप जलाकर माता सुखमनी की पूजा करें।
  10. स्वर का ध्यान: पाठ करते समय स्वर को स्थिर और मधुर रखें।

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माता सुखमनी चालीसा पाठ के लिए सावधानियाँ

  1. शुद्धता का पालन: पाठ के दौरान शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
  2. ध्यान में लीनता: पाठ करते समय मन को विचलित न होने दें और ध्यान को एकाग्र रखें।
  3. अपवित्र स्थान से बचें: ऐसे स्थान पर पाठ न करें जहां शोर-शराबा हो या अपवित्रता हो।
  4. आहार का ध्यान: पाठ के दिन सात्त्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक आहार से बचें।
  5. बिना श्रद्धा पाठ न करें: यदि आप मन से श्रद्धा नहीं रखते तो पाठ का कोई लाभ नहीं मिलेगा।

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माता सुखमनी चालीसा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. माता सुखमनी कौन हैं?
    • माता सुखमनी संकट हरने वाली और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं।
  2. माता सुखमनी चालीसा का पाठ कैसे करें?
    • इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ शुद्ध मन से किया जाता है, ध्यान में लीन होकर।
  3. माता सुखमनी चालीसा का पाठ किस दिन करना चाहिए?
    • मंगलवार और शुक्रवार को माता सुखमनी चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
  4. क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • हाँ, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त या संध्या का समय विशेष फलदायी माना जाता है।
  5. माता सुखमनी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • इसे 21, 51, या 108 बार करने से विशेष लाभ मिलता है।
  6. क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ व्रत के साथ करना आवश्यक है?
    • व्रत के साथ पाठ करना अधिक फलदायी माना जाता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है।
  7. माता सुखमनी चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?
    • यह चालीसा सुख, समृद्धि, शांति और संकटों से मुक्ति के लिए की जाती है।
  8. क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ केवल महिलाओं द्वारा किया जा सकता है?
    • नहीं, इसे सभी भक्त कर सकते हैं, चाहे वे महिला हो या पुरुष।
  9. माता सुखमनी चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • मानसिक शांति, पारिवारिक सुख, संकट मुक्ति और आर्थिक समृद्धि जैसी प्राप्ति होती है।
  10. क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए?
    • हाँ, यदि संभव हो तो प्रतिदिन इसका पाठ करना चाहिए।
  11. माता सुखमनी चालीसा का पाठ कैसे शुरू करें?
    • पाठ से पहले माता सुखमनी की आराधना करें और शुद्ध मन से पाठ की शुरुआत करें।
  12. क्या माता सुखमनी चालीसा का पाठ किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?
    • एक शांत और पवित्र स्थान पर पाठ करना उचित होता है।