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What is Kuber Sabar mantra?

What is Kuber Sabar mantra?

कुबेर साबर मंत्र बहुत ही शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। इनके मंत्र का जाप जमीन, जायदाद, जमीन पर विवाद को नष्ट करने के लिये किया जाता है। भगवान कुबेर, धन और संपत्ति के देवता माने जाते हैं। कुबेर साबर मंत्र का जप आर्थिक समृद्धि, वित्तीय स्थिरता, और धन की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस मंत्र का सही और नियमपूर्वक जप करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और उसे धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।

भगवान कुबेर का स्वरूप

भगवान कुबेर का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। उनके स्वरूप के कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. दिव्य स्वरूप: भगवान कुबेर का शरीर सुनहरे रंग का होता है और वे दिव्य आभा से युक्त होते हैं।
  2. चार भुजाएँ: उनके चार भुजाएँ होती हैं, जो शक्ति और समृद्धि का प्रतीक हैं।
  3. हाथों में प्रतीक: उनके एक हाथ में गदा, दूसरे में मणि, तीसरे में पुष्प और चौथे में तिजोरी की चाबी होती है। ये सभी वस्तुएँ धन, शक्ति, सौंदर्य और संपत्ति के प्रतीक हैं।
  4. हाथी की सवारी: भगवान कुबेर एक विशाल हाथी पर विराजमान होते हैं, जो उनकी शक्ति और भव्यता को दर्शाता है।
  5. मुख पर हंसमुखता: उनके मुख पर सदा हंसमुखता और सौम्यता का भाव होता है, जो उनके आशीर्वाद देने वाले स्वरूप को प्रकट करता है।
  6. धन की पोटली: उनके पास हमेशा धन की पोटली होती है, जिससे वे अपने भक्तों को धन-धान्य का वरदान देते हैं।
  7. रूप-गुण: भगवान कुबेर की छवि धैर्य, उदारता, और न्याय के गुणों से परिपूर्ण होती है।

कुबेर शाबर मंत्र

मंत्र:

॥ॐ श्रीं कुबेराय नमः, यक्षो के स्वामी, कार्य सफल करो हमारी, न करे तो यक्षिणी की आन, कुबेराय नमः॥

Kuber Sabar mantra audio

कुबेर शाबर मंत्र का अर्थ

“यक्ष और भूमि के स्वामी भगवान कुबेर कार्य को सफल बनाओ, नही यक्षिणी की कसम है.”

कुबेर शाबर मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन

  • इस मंत्र को किसी भी शुभ दिन जैसे पूर्णिमा, अमावस्या, शुक्रवार, या अक्षय तृतीया को प्रारंभ किया जा सकता है। विशेषकर धनतेरस, दीपावली, या लक्ष्मी पूजन के दिन इस मंत्र का जप करना अधिक लाभकारी होता है।

अवधि

  • मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिनों तक होनी चाहिए, जब तक कि मनोकामना पूरी न हो जाए।

मुहुर्त

  • इस मंत्र को सुबह के समय, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे के बीच) में जपना अधिक फलदायी होता है। यदि यह संभव न हो, तो सूर्यास्त के समय भी जप किया जा सकता है।

सामग्री

  • साफ वस्त्र पहनें
  • एक माला (१०८ मनकों की)
  • घी का दीपक
  • चंदन और कुमकुम
  • तांबे या चांदी का पात्र
  • पुष्प (अधिमानतः पीले रंग के)
  • चावल
  • फल और मिठाई (प्रसाद के रूप में)

जप संख्या

  • एक माला (१०८ बार) से लेकर ११ माला (११८८ बार) तक रोज जप करें। यह निर्भर करता है कि आप कितनी जल्दी अपने उद्देश्य को प्राप्त करना चाहते हैं।

नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप के समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक है।
  2. एकाग्रता: मंत्र जप के समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
  3. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करना अधिक प्रभावी होता है।
  4. नियमितता: निरंतरता और नियमितता बनाए रखें। ११ से २१ दिनों तक बिना रुके जप करें।
  5. संकल्प: मंत्र जप के प्रारंभ में अपनी मनोकामना के लिए संकल्प लें।

मंत्र जप सावधानी

  1. भोजन: जप के पहले हल्का और सात्विक भोजन करें। जप के दौरान अपवित्र या तामसिक भोजन से बचें।
  2. शुद्ध वातावरण: मंत्र जप के लिए एक शांत और शुद्ध स्थान का चयन करें।
  3. वस्त्र: साफ और सफेद या पीले वस्त्र पहनें।
  4. वाणी: जप के दौरान मौन रहना और अनावश्यक बातें न करना।
  5. आचरण: जप के दिनों में सत्य बोलना और सदाचार का पालन करना।

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कुबेर साबर मंत्र के लाभ

  1. धन-संपत्ति की प्राप्ति: यह मंत्र आर्थिक स्थिति में सुधार करता है।
  2. वित्तीय स्थिरता: वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. ऋण मुक्ति: ऋण से मुक्ति पाने में सहायक है।
  4. व्यापार में सफलता: व्यापार में उन्नति और लाभ प्राप्त होता है।
  5. नौकरी में तरक्की: नौकरी में पदोन्नति और उन्नति के अवसर मिलते हैं।
  6. संपत्ति का संचय: धन और संपत्ति के संचय में मदद करता है।
  7. भविष्य की सुरक्षा: भविष्य के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  8. मनोकामना पूर्ति: सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
  9. भूमि: घर, जमीन, ऑफिस, दुकान से संबंधित विवाद दूर होने लगते है।
  10. आर्थिक बाधाओं का निवारण: आर्थिक बाधाओं और समस्याओं का समाधान करता है।
  11. अचानक धन लाभ: अचानक और अप्रत्याशित धन लाभ के अवसर प्रदान करता है।
  12. स्वर्ण और आभूषण: स्वर्ण और आभूषण की प्राप्ति में सहायक है।
  13. आर्थिक समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और संपन्नता को बढ़ावा देता है।
  14. नए अवसर: नए व्यापारिक और निवेश अवसरों को आकर्षित करता है।
  15. शत्रु नाश: आर्थिक शत्रुओं और प्रतिद्वंद्वियों से रक्षा करता है।
  16. शांति और संतोष: मन को शांति और संतोष प्रदान करता है।
  17. सफलता की कुंजी: सफलता के नए द्वार खोलता है।
  18. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
  19. दान और धर्म: दान और धर्म कार्यों के लिए प्रेरित करता है।
  20. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबल को बढ़ावा देता है।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर

  1. कुबेर साबर मंत्र क्या है?
    • यह एक शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है जो धन और संपत्ति की प्राप्ति के लिए जपा जाता है।
  2. इस मंत्र का उपयोग कब किया जा सकता है?
    • इसे आर्थिक समस्याओं के समाधान, ऋण मुक्ति, और धन की प्राप्ति के लिए किया जा सकता है।
  3. मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त में सुबह ४ से ६ बजे के बीच या सूर्यास्त के समय।
  4. मंत्र जप की विधि क्या है?
    • मंत्र जप के लिए शुद्ध वस्त्र पहनें, घी का दीपक जलाएं, और पुष्प अर्पित करें।
  5. कितने दिनों तक जप करना चाहिए?
    • ११ से २१ दिनों तक नियमित रूप से जप करना चाहिए।
  6. मंत्र जप के समय क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    • शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें, सात्विक भोजन करें, और सत्य का पालन करें।
  7. क्या इस मंत्र का जप समूह में किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे समूह में भी किया जा सकता है, जिससे सामूहिक ऊर्जा का संचार होता है।
  8. मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?
    • मंत्र जप के बाद अपनी मनोकामना की प्रार्थना करें और प्रसाद बांटें।
  9. क्या इस मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है?
    • हाँ, लेकिन शुभ मुहूर्त में जप करना अधिक प्रभावी होता है।
  10. मंत्र जप के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?
    • रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग किया जा सकता है।
  11. क्या महिलाओं द्वारा इस मंत्र का जप किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे पुरुष और महिला दोनों कर सकते हैं।
  12. मंत्र जप के समय क्या मन में रखना चाहिए?
    • सकारात्मक सोच और विश्वास बनाए रखें।

How to perform Sarva Karya Siddhi Sabar Mantra?

How to perform Sarva Karya Siddhi Sabar Mantra?

सर्व कार्य सिद्धी साबर मंत्र के जप से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। यह मंत्र शक्तिशाली और सरल होते हैं, जिन्हें आम व्यक्ति भी आसानी से जप सकता है। सर्व कार्य सिद्धि शाबर मंत्र का मुख्य उद्देश्य सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त करना और जीवन की बाधाओं को दूर करना है।

सर्व कार्य सिद्धि शाबर मंत्र

मंत्र:

॥ॐ गं सर्व कार्य सिद्धिं ॐ, हमारे सभी काज सफल कीजो, न करे तो माता की आन, कार्य सिद्धिं कुरु कुरु ॐ॥ 
॥OM GAMM SARVA KARYA SIDDHIM OM, HAMAARE SABHI KARYA KOJO, NA KARE TO MATA KI AAN, KARYA SIDDHIM KURU KURU OM.

शाबर मंत्र का अर्थ

हे भगवन् गणेशा हमारे सभी कार्य सफल करो नही तो माता की कसम है।

सर्व कार्य सिद्धि शाबर मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन

  • इस मंत्र को किसी भी शुभ दिन जैसे पूर्णिमा, अमावस्या, रविवार, या मंगलवार को प्रारंभ किया जा सकता है। विशेषकर, किसी महत्वपूर्ण कार्य या नये काम की शुरुआत से पहले इसे जपना अधिक लाभकारी होता है।

अवधि

  • मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिनों तक होनी चाहिए, जब तक कि मनोकामना पूरी न हो जाए।

मुहुर्त

  • इस मंत्र को सुबह के समय, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ से ६ बजे के बीच) में जपना अधिक फलदायी होता है। यदि यह संभव न हो, तो सूर्यास्त के समय भी जप किया जा सकता है।

सामग्री

  • साफ वस्त्र पहनें
  • एक माला (१०८ मनकों की)
  • घी का दीपक
  • कुमकुम और हल्दी
  • तांबे या चांदी का पात्र
  • पुष्प (अधिमानतः लाल रंग के)

जप संख्या

  • एक माला (१०८ बार) से लेकर ११ माला (११८८ बार) तक रोज जप करें। यह निर्भर करता है कि आप कितनी जल्दी अपने उद्देश्य को प्राप्त करना चाहते हैं।

मंत्र जप के नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप के समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक है।
  2. एकाग्रता: मंत्र जप के समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
  3. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करना अधिक प्रभावी होता है।
  4. नियमितता: निरंतरता और नियमितता बनाए रखें। ११ से २१ दिनों तक बिना रुके जप करें।
  5. संकल्प: मंत्र जप के प्रारंभ में अपनी मनोकामना के लिए संकल्प लें।

Kamakhya sadhana shivir

मंत्र जप सावधानी

  1. भोजन: जप के पहले हल्का और सात्विक भोजन करें। जप के दौरान अपवित्र या तामसिक भोजन से बचें।
  2. शुद्ध वातावरण: मंत्र जप के लिए एक शांत और शुद्ध स्थान का चयन करें।
  3. वस्त्र: साफ और सफेद या पीले वस्त्र पहनें।
  4. वाणी: जप के दौरान मौन रहना और अनावश्यक बातें न करना।
  5. आचरण: जप के दिनों में सत्य बोलना और सदाचार का पालन करना।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर

  1. सर्व कार्य सिद्धि शाबर मंत्र क्या है?
    • यह एक शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है जो सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।
  2. इस मंत्र का उपयोग कब किया जा सकता है?
    • इसे किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत, बाधाओं के निवारण, और मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जा सकता है।
  3. मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त में सुबह ४ से ६ बजे के बीच या सूर्यास्त के समय।
  4. मंत्र जप की विधि क्या है?
    • मंत्र जप के लिए शुद्ध वस्त्र पहनें, घी का दीपक जलाएं, और पुष्प अर्पित करें।
  5. कितने दिनों तक जप करना चाहिए?
    • ११ से २१ दिनों तक नियमित रूप से जप करना चाहिए।
  6. मंत्र जप के समय क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    • शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें, सात्विक भोजन करें, और सत्य का पालन करें।
  7. क्या इस मंत्र का जप समूह में किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे समूह में भी किया जा सकता है, जिससे सामूहिक ऊर्जा का संचार होता है।
  8. मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?
    • मंत्र जप के बाद अपनी मनोकामना की प्रार्थना करें और प्रसाद बांटें।
  9. क्या इस मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है?
    • हाँ, लेकिन शुभ मुहूर्त में जप करना अधिक प्रभावी होता है।
  10. मंत्र जप के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?
    • रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग किया जा सकता है।
  11. क्या महिलाओं द्वारा इस मंत्र का जप किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे पुरुष और महिला दोनों कर सकते हैं।
  12. मंत्र जप के समय क्या मन में रखना चाहिए?
    • सकारात्मक सोच और विश्वास बनाए रखें।

How to chant Pashupat Shabar Mantra?

Pashupati Shabar Mantra

पाप से मुक्ति दिलाने वाले भगवान शिव का पाशुपत शाबर मंत्र का जाप बहुत ही शक्तिशली माना जाता है। यह मंत्र शिव जी के उग्र स्वरूप से संबंधित होता है। पाशुपत शाबर मंत्र का उपयोग आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसे तंत्र विद्या और साधना में विशेष महत्व दिया जाता है।

जप विधि

  1. सही समय का चयन करें: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) सबसे उत्तम समय है।
  2. शुद्धता का ध्यान रखें: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  3. शांत और एकांत स्थान: मंत्र जप के लिए शांत और एकांत स्थान चुनें।
  4. माला का उपयोग: रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
  5. संकल्प लें: जप प्रारंभ करने से पहले संकल्प लें।
  6. निर्धारित संख्या: मंत्र का जप एक माला (108 बार) से लेकर 11 माला (1188 बार) प्रतिदिन करें।
  7. नियमितता: कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक नियमित रूप से जप करें।

पाशुपत शाबर मंत्र के लाभ

  1. मानसिक शांति: इस मंत्र का जप मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: मंत्र जप से आध्यात्मिक उन्नति और जागरूकता बढ़ती है।
  3. शारीरिक स्वास्थ्य: यह मंत्र शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है।
  4. आर्थिक समृद्धि: इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  5. शत्रुओं से सुरक्षा: यह मंत्र शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  6. आत्मविश्वास में वृद्धि: मंत्र जप से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  7. क्लेश और संकट से मुक्ति: यह मंत्र क्लेश और संकट से मुक्ति दिलाता है।
  8. तांत्रिक बाधाओं का निवारण: इस मंत्र का जप तांत्रिक बाधाओं को दूर करता है।
  9. सकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  10. ध्यान में एकाग्रता: मंत्र जप से ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है।
  11. गृहस्थ सुख: यह मंत्र गृहस्थ सुख और शांति लाता है।
  12. कर्ज से मुक्ति: इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिलाता है।
  13. विघ्नों का नाश: यह मंत्र जीवन के विघ्नों और बाधाओं का नाश करता है।
  14. आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति: मंत्र जप से आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।
  15. भौतिक सुख-सुविधाएँ: यह मंत्र भौतिक सुख-सुविधाएँ प्राप्त करने में सहायक होता है।

पाशुपत शाबर मंत्र

॥ ॐ नमः शिवाय, देवों के देव महादेव पधारो हमारी कुटिया, नष्ट करो हमारी कमियां, ॐ जुं सः॥

Pashupat Shabar Mantra Audio

पाशुपत शाबर मंत्र विधि

पाशुपत शाबर मंत्र का जप एक विशेष विधि से किया जाता है। इस मंत्र का सही उच्चारण और नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं पाशुपत शाबर मंत्र जप की विधि:

मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहुर्त

  1. दिन: पाशुपत शाबर मंत्र जप के लिए सोमवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव का दिन होता है।
  2. अवधि: मंत्र जप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक किया जाना चाहिए।
  3. मुहुर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) पाशुपत शाबर मंत्र जप के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।

मंत्र जप सामग्री

पाशुपत शाबर मंत्र जप के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  1. रुद्राक्ष की माला
  2. शिवलिंग या भगवान शिव की प्रतिमा
  3. सफेद वस्त्र
  4. धूप, दीप और अगरबत्ती
  5. चंदन का लेप
  6. जलपात्र
  7. फूल और बेलपत्र

मंत्र जप संख्या

पाशुपत शाबर मंत्र का जप निम्नलिखित प्रकार से किया जाना चाहिए:

  1. एक माला: 108 बार जप
  2. ग्यारह माला: 1188 बार जप

यह जप प्रतिदिन कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक किया जाना चाहिए।

मंत्र जप के नियम

पाशुपत शाबर मंत्र जप करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए:

  1. शुद्धता: जप करते समय शरीर और मन की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. स्नान: स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  3. अभिमंत्रित माला: रुद्राक्ष की माला को पहले अभिमंत्रित करें।
  4. एकांत स्थान: मंत्र जप एकांत और शांत स्थान पर करें।
  5. संकल्प: मंत्र जप से पहले संकल्प लें और भगवान शिव का ध्यान करें।
  6. नियमितता: मंत्र जप नियमित रूप से करें, किसी भी दिन न छोड़े।

Panchanguli sadhana shivir

मंत्र जप की सावधानियां

  1. शुद्धता: शरीर और मन की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. अशुद्धता से बचें: जप करते समय किसी प्रकार की अशुद्धता से बचें।
  3. निर्धारित संख्या: निर्धारित संख्या में ही मंत्र जप करें।
  4. ध्यान एकाग्रता: जप करते समय ध्यान एकाग्र रखें।
  5. सकारात्मक भाव: मन में सकारात्मक भाव रखें।

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पाशुपत शाबर मंत्र से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर

  1. पाशुपत शाबर मंत्र क्या है?
    पाशुपत शाबर मंत्र भगवान शिव का उग्र और तांत्रिक मंत्र है जिसका प्रयोग मानसिक, आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  2. पाशुपत शाबर मंत्र किसके लिए उपयुक्त है?
    यह मंत्र उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो आध्यात्मिक उन्नति, तांत्रिक साधना और शिव भक्ति में रुचि रखते हैं।
  3. पाशुपत शाबर मंत्र का क्या महत्व है?
    यह मंत्र तांत्रिक विद्या में अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है और इससे विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
  4. पाशुपत शाबर मंत्र का जप किस दिन करना चाहिए?
    सोमवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
  5. मंत्र जप की अवधि क्या होनी चाहिए?
    मंत्र जप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक किया जाना चाहिए।
  6. पाशुपत शाबर मंत्र का सही समय क्या है?
    ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) सबसे उत्तम समय है।
  7. पाशुपत शाबर मंत्र जप के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
    रुद्राक्ष की माला, शिवलिंग, सफेद वस्त्र, धूप, दीप, चंदन, जलपात्र, फूल और बेलपत्र।
  8. मंत्र जप की संख्या कितनी होनी चाहिए?
    एक माला (108 बार) से लेकर 11 माला (1188 बार) तक।
  9. मंत्र जप के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
    शुद्धता, नियमितता, एकांत स्थान, संकल्प, और अभिमंत्रित माला का उपयोग।
  10. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?
    शुद्धता का ध्यान रखें, अशुद्धता से बचें, निर्धारित संख्या में जप करें, ध्यान एकाग्र रखें।
  11. क्या पाशुपत शाबर मंत्र जप से मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है?
    हां, इस मंत्र जप से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  12. क्या पाशुपत शाबर मंत्र जप से आध्यात्मिक उन्नति हो सकती है?
    हां, यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यधिक प्रभावशाली है।

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आदित्य हृदय स्तोत्र- मान सम्मान बढ़ाने वाला

आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करने वाले पर भगवान सूर्य की कृपा हमेशा बनी रहती है। इसे महर्षि अगस्त्य ने भगवान श्रीराम को लंका के युद्ध के समय बताया था। इस स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

स्तोत्र

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्।
रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्॥ 1 ॥

दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्।
उपगम्याब्रवीद्राममगस्त्यो भगवानृषिः॥ 2 ॥

राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम्।
येन सर्वानरीन्वत्स समरे विजयिष्यसि॥ 3 ॥

आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्।
जयावहं जपेन्नित्यमक्षय्यं परमं शिवम्॥ 4 ॥

सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं सर्वपापप्रणाशनम्।
चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम्॥ 5 ॥

रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्।
पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्॥ 6 ॥

सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः।
एष देवासुरगणाँल्लोकान्पाति गभस्तिभिः॥ 7 ॥

एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः।
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः॥ 8 ॥

पितरो वसवः साध्या ह्यश्विनौ मरुतो मनुः।
वायुर्वह्निः प्रजाप्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः॥ 9 ॥

आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान्।
सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकरः॥ 10 ॥

हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान्।
तिमिरोन्मथनः शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्ड अंशुमान्॥ 11 ॥

हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनोऽहस्करो रविः।
अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शङ्खशिशिरनाशनः॥ 12 ॥

व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजुःसामपारगः।
घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवङ्गमः॥ 13 ॥

आतपी मण्डली मृत्युः पिङ्गलः सर्वतापनः।
कविर्विश्वो महातेजाः रक्तः सर्वभवोद्भवः॥ 14 ॥

नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्नमोऽस्तु ते॥ 15 ॥

नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः।
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः॥ 16 ॥

जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः।
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः॥ 17 ॥

नम उग्राय वीराय सारङ्गाय नमो नमः।
नमः पद्मप्रबोधाय मार्ताण्डाय नमो नमः॥ 18 ॥

ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूर्यायादित्यवर्चसे।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः॥ 19 ॥

तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने।
कृघ्णघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः॥ 20 ॥

तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे।
नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे॥ 21 ॥

नाशयत्येष वै भूतं तदेव सृजति प्रभुः।
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः॥ 22 ॥

एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः।
एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम्॥ 23 ॥

वेदाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च।
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्व एष रविः प्रभुः॥ 24 ॥

एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च।
कीर्तयन् पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव॥ 25 ॥

पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगत्पतिम्।
एतत्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि॥ 26 ॥

अस्मिन्क्षणे महाबाहो रावणं त्वं वधिष्यसि।
एवमुक्त्वा तदाऽगस्त्यो जगाम स यथागतम्॥ 27 ॥

एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत्तदा।
धारयामास सुप्रीतो राघवः प्रयतात्मवान्॥ 28 ॥

आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वा तु परं हर्षमवाप्तवान्।
त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान्॥ 29 ॥

रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्णे समुपागमत्।
सर्वयत्नेन महता वधे तस्य धृतोऽभवत्॥ 30 ॥

अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमनाः परमं प्रहृष्यमाणः।
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति॥ 31 ॥

स्तोत्र के लाभ

  1. मानसिक शांति: इसका पाठ करने से मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
  2. ऊर्जा का संचार: जीवन में ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति स्फूर्तिवान बनता है।
  3. स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोग दूर होते हैं।
  4. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और साहस का संचार होता है।
  5. धन प्राप्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  6. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति धर्म के प्रति आस्थावान बनता है।
  7. समृद्धि: जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है।
  8. सफलता: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  9. नवग्रह शांति: नवग्रहों की शांति प्राप्त होती है जिससे ग्रह दोषों का निवारण होता है।
  10. रिश्तों में सुधार: रिश्तों में सुधार होता है और संबंध मधुर होते हैं।
  11. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  12. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
  13. कष्टों का नाश: जीवन में आने वाले सभी कष्ट और परेशानियाँ दूर होती हैं।
  14. शत्रुओं का नाश: शत्रुओं का नाश होता है और सुरक्षा प्राप्त होती है।
  15. संतान सुख: संतान सुख प्राप्त होता है।
  16. कार्य सिद्धि: सभी कार्य सफलतापूर्वक सिद्ध होते हैं।
  17. प्रभु का आशीर्वाद: भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  18. धार्मिक लाभ: धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  19. विपत्तियों से बचाव: जीवन में आने वाली विपत्तियों से बचाव होता है।
  20. उज्ज्वल भविष्य: जीवन में उज्ज्वल भविष्य की प्राप्ति होती है।

पाठ की विधि

दिन

रविवार का दिन इस स्तोत्र के पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

अवधि

इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। पाठ की अवधि लगभग 10-15 मिनट होती है।

मुहूर्त

सूर्योदय का समय इस स्तोत्र के पाठ के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त माना जाता है।

नियम

  1. स्वच्छता: स्तोत्र पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पवित्रता: मन, वचन, और शरीर की पवित्रता बनाए रखें।
  3. एकाग्रता: पूर्ण एकाग्रता के साथ पाठ करें।
  4. श्रद्धा: भगवान सूर्य के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
  5. नियमितता: नियमित रूप से इसका पाठ करें।
  6. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन का सेवन करें और संयमित जीवन जिएं।

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सावधानियाँ

  1. अशुद्ध स्थान: अशुद्ध स्थान पर स्तोत्र का पाठ न करें।
  2. नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  3. आलस्य: पाठ के दौरान आलस्य न करें।
  4. अपवित्रता: अपवित्रता से बचें।
  5. ध्यान भंग: पाठ के दौरान ध्यान भंग न हो।

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सामान्य प्रश्न

  1. ये स्तोत्र क्या है?
    • ये भगवान सूर्य की स्तुति में रचित एक स्तोत्र है।
  2. इस स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
    • इसका पाठ प्रातः काल सूर्योदय के समय करना चाहिए।
  3. क्या रविवार का दिन विशेष होता है?
    • हाँ, रविवार का दिन विशेष रूप से इसका पाठ करने के लिए शुभ माना जाता है।
  4. इसका पाठ कैसे करें?
    • स्वच्छ स्थान पर बैठकर, मन को एकाग्र करके, श्रद्धा पूर्वक इसका पाठ करें।
  5. क्या इसके पाठ से स्वास्थ्य लाभ होता है?
    • हाँ, इसके पाठ से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. क्या इसका पाठ करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है?
    • हाँ, आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  7. क्या इसके पाठ से शत्रुओं का नाश होता है?
    • हाँ, शत्रुओं का नाश होता है और सुरक्षा प्राप्त होती है।
  8. क्या इसके पाठ से ग्रह दोष दूर होते हैं?
    • हाँ, नवग्रहों की शांति प्राप्त होती है जिससे ग्रह दोष दूर होते हैं।
  9. क्या इसका पाठ नियमित रूप से करना चाहिए?
    • हाँ, नियमित रूप से इसका पाठ करना चाहिए।
  10. क्या इसके पाठ से संबंधों में सुधार होता है?
    • हाँ, संबंधों में सुधार होता है और संबंध मधुर होते हैं।
  11. क्या इसका पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है?
    • हाँ, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और साहस का संचार होता है।

Kali kavach mantra for attraction & protection

kali kavach mantra

मनोकामना पूर्ण करने वाली महाकाली का काली कवच मंत्र बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। ये अपने भक्त की हर परिस्थिती मे रक्षा करती है।

काली कवच मंत्र का संपूर्ण अर्थ

काली कवच मंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है जिसका उपयोग साधक अपनी सुरक्षा, शक्ति और मनोबल को बढ़ाने के लिए करते हैं। इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ इस प्रकार है:

॥ॐ क्रीं कालिके क्रीं हुं फट्ट॥

  • : यह बीज मंत्र है जो ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक है।
  • क्रीं: यह काली माता का बीज मंत्र है, जो उनकी शक्ति और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • कालिके: यह काली माता का नाम है, जो सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं को नष्ट करने वाली हैं।
  • हुं: यह बीज मंत्र है जो दिव्य ऊर्जा और शक्ति का संकेत है।
  • फट्ट: यह मंत्र का समापन करने वाला शब्द है, जो नकारात्मकता को काटता है और साधक को सुरक्षा प्रदान करता है।

काली कवच मंत्र विधि

काली कवच मंत्र को जपने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:

मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहुर्थ

  • दिन: काली कवच मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार, शनिवार और अमावस्या का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • अवधि: मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिन तक होनी चाहिए। यह अवधि साधक की इच्छानुसार बढ़ाई भी जा सकती है।
  • मुहुर्थ: ब्रह्म मुहुर्त (सुबह ४ बजे से ६ बजे तक) का समय मंत्र जप के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

सामग्री

लाल वस्त्र (बैठने के लिए)

  • लाल चंदन की माला (१०८ मोतियों वाली)
  • धूप और दीपक
  • लाल फूल
  • काली माता की प्रतिमा या तस्वीर
  • शुद्ध जल
  • प्रसाद (मिठाई या फल)

जप की संख्या

  • एक माला (१०८ बार) से लेकर
  • ग्यारह माला (११८८ बार) तक रोज जप करें।

नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप करने से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. एकाग्रता: मन को एकाग्र करें और ध्यान को काली माता की प्रतिमा या तस्वीर पर केंद्रित करें।
  3. आसन: लाल वस्त्र पर बैठकर मंत्र जप करें।
  4. माला: मंत्र जप के लिए लाल चंदन की माला का उपयोग करें।
  5. नियमितता: मंत्र जप नियमित रूप से एक ही समय पर करें।
  6. मौन: मंत्र जप के दौरान मौन रहें और अनावश्यक बातें न करें।
  7. विश्वास: पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ मंत्र जप करें।
  8. प्रसाद: मंत्र जप के बाद काली माता को प्रसाद अर्पित करें।

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मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. अनुशासन: मंत्र जप के दौरान अनुशासन बनाए रखें और विधि का पालन करें।
  2. नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचारों को मन में न आने दें।
  3. बाहरी हस्तक्षेप: मंत्र जप के दौरान बाहरी हस्तक्षेप से बचें।
  4. समय: एक ही समय पर मंत्र जप करें, समय बदलने से ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो सकता है।
  5. संयम: मंत्र जप के दौरान संयम रखें और धैर्यपूर्वक जप करें।
  6. शुद्धता: मंत्र जप के समय और स्थान की शुद्धता का ध्यान रखें।

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काली कवच मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. काली कवच मंत्र क्या है?
    • काली कवच मंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है जिसका उपयोग साधक अपनी सुरक्षा, शक्ति और मनोबल को बढ़ाने के लिए करते हैं।
  2. काली कवच मंत्र का अर्थ क्या है?
    • काली कवच मंत्र का अर्थ है कि यह मंत्र काली माता की शक्ति और ऊर्जा को जागृत करता है और साधक को सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. काली कवच मंत्र का जप कब किया जाना चाहिए?
    • काली कवच मंत्र का जप ब्रह्म मुहुर्त (सुबह ४ बजे से ६ बजे तक) में करना चाहिए।
  4. काली कवच मंत्र कितने दिन जपना चाहिए?
    • काली कवच मंत्र का जप ११ से २१ दिन तक करना चाहिए।
  5. काली कवच मंत्र के लिए कौन सा दिन शुभ है?
    • मंगलवार, शनिवार और अमावस्या का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  6. काली कवच मंत्र के जप के लिए कौन सी सामग्री चाहिए?
    • लाल वस्त्र, लाल चंदन की माला, धूप, दीपक, लाल फूल, काली माता की प्रतिमा या तस्वीर, शुद्ध जल, और प्रसाद की आवश्यकता होती है।
  7. काली कवच मंत्र कितनी बार जपना चाहिए?
    • एक माला (१०८ बार) से लेकर ग्यारह माला (११८८ बार) तक रोज जपना चाहिए।
  8. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
    • शुद्धता, एकाग्रता, आसन, माला, नियमितता, मौन, विश्वास, और प्रसाद का पालन करना चाहिए।
  9. काली कवच मंत्र का उपयोग किसके लिए किया जाता है?
    • काली कवच मंत्र का उपयोग सुरक्षा, शक्ति, मनोबल, और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाव के लिए किया जाता है।
  10. काली कवच मंत्र का प्रभाव कब दिखाई देता है?
    • काली कवच मंत्र का प्रभाव नियमित और श्रद्धा के साथ जप करने पर कुछ दिनों में दिखाई देने लगता है।
  11. क्या काली कवच मंत्र का जप महिलाएं कर सकती हैं?
    • हां, महिलाएं भी काली कवच मंत्र का जप कर सकती हैं।

Suryadev Chalisa for Fame & Success

Suryadev Chalisa

मान सम्मान बढाने वाले सूर्यदेव की चालीसा का नियमित पाठ जीवन का हर सुख प्रदान करता है। इनकी पूजा से व्यक्ति को असीम ऊर्जा, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है। सूर्यदेव की चालीसा पढ़ने से व्यक्ति की सभी समस्याओं का समाधान होता है। यहाँ पर हम सूर्यदेव चालीसा, उसके लाभ, विधि, नियम, और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

सूर्यदेव चालीसा

॥दोहा॥
जस दिनकर की कृपा से, जगत में उजियारा।
तिनकी महिमा वर्णूं, कहूं सप्रेम हमारा॥

चौपाई॥
जय जय जय अरण्य धाम की, स्वामी मुझ कृपाल।
सर्व सुखों के दाता, तुम हो महा विशाल॥

हे प्रभु आप ही तो, रचना करनहार।
अणु से लेकर ब्रह्माण्ड, आप ही हो करतार॥

ब्रह्मा विष्णु महेश, भी करें आपकी सेवा।
आप ही तो हो, सत्य सनातन देवा॥

चन्द्रमा और ग्रह सब, करते हैं प्रकाश।
सूर्यदेव की महिमा, गाते हैं सब लोग॥

आपका है तेज, जग में सब फैल रहा।
धरती और आकाश, आप ही से बल पा रहा॥

ध्यान धरें जो आपका, मन में कर विचार।
उनके जीवन से हटे, दुख का अंधकार॥

आपकी महिमा है अपरंपार, करते सब उद्धार।
सच्चे मन से जो करें, आपका जप उच्चार॥

सभी रोग मिटें, चिंता भी हटे।
सूर्यदेव की कृपा से, जीवन में सुख पाते॥

जिन्हें होती है पीड़ा, वे करें ध्यान।
सूर्यदेव की आराधना से, सब संकट हरण॥

दास कहे सुन ले प्राणी, कर ले मन पवित्र।
सूर्यदेव की भक्ति से, बन जा तू चरित्र॥

॥दोहा॥
कृपा दृष्टि से आपकी, मिटें सब विकार।
सूर्यदेव जी महाराज, कृपा करें अपार॥

लाभ

  1. स्वास्थ्य में सुधार: सूर्यदेव की चालीसा पढ़ने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  2. ऊर्जा का संचार: सूर्यदेव की उपासना से ऊर्जा का संचार होता है, जिससे दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है।
  3. धन-धान्य की प्राप्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  4. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और व्यक्ति सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।
  5. रोगों से मुक्ति: अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
  6. कष्टों का नाश: जीवन में आने वाले सभी कष्ट और परेशानियाँ दूर होती हैं।
  7. शांति और सौहार्द: परिवार में शांति और सौहार्द बना रहता है।
  8. समृद्धि: जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है।
  9. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  10. रिश्तों में सुधार: रिश्तों में सुधार होता है और संबंध मधुर होते हैं।
  11. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति धर्म के प्रति आस्थावान बनता है।
  12. मन की शांति: मन की शांति प्राप्त होती है और तनाव कम होता है।
  13. सफलता: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  14. नवग्रह शांति: नवग्रहों की शांति प्राप्त होती है जिससे ग्रह दोषों का निवारण होता है।
  15. सूर्य दोष निवारण: कुंडली में सूर्य दोष होने पर उसका निवारण होता है।
  16. उज्ज्वल भविष्य: जीवन में उज्ज्वल भविष्य की प्राप्ति होती है।
  17. धार्मिक लाभ: धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  18. कर्मों में सुधार: व्यक्ति के कर्मों में सुधार होता है और वह सन्मार्ग पर चलता है।
  19. विपत्तियों से बचाव: जीवन में आने वाली विपत्तियों से बचाव होता है।
  20. प्रभु का आशीर्वाद: सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

पाठ की विधि

दिन

रविवार का दिन सूर्यदेव की पूजा और चालीसा पाठ के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।

अवधि

इस चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। पाठ की अवधि लगभग 10-20 मिनट होती है और ४० दिन तक नियमित पाठ करना चाहिये।

मुहूर्त

सूर्योदय का समय इस चालीसा के पाठ के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त माना जाता है।

नियम

  1. स्वच्छता: चालीसा पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पवित्रता: मन और विचारों को पवित्र रखें।
  3. स्थान: एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें जहाँ ध्यान भटकने का खतरा न हो।
  4. समर्पण: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ चालीसा का पाठ करें।
  5. मंत्र जाप: चालीसा के साथ सूर्य मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।

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सावधानियाँ

  1. विचारों की शुद्धता: पाठ करते समय मन को शुद्ध और शांत रखें।
  2. भटकाव से बचें: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का भटकाव न हो।
  3. भक्ति भाव: चालीसा का पाठ भक्ति भाव से करें, इसे केवल एक औपचारिकता न समझें।
  4. नियमितता: नियमित रूप से चालीसा का पाठ करें, तभी इसका पूरा लाभ मिलता है।
  5. समय का पालन: सूर्योदय के समय ही पाठ करें, अन्यथा इसका प्रभाव कम हो सकता है।

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सूर्यदेव चालीसा FAQ

सूर्यदेव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

रविवार के दिन सूर्योदय के समय करना चाहिए।

क्या चालीसा पाठ के दौरान कोई विशेष मंत्र भी जपना चाहिए?

हाँ, सूर्य मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है।

सूर्यदेव की चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

नियमित रूप से एक बार प्रतिदिन करना चाहिए।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है?

हाँ, आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन की प्राप्ति होती है।

क्या चालीसा पाठ से रोगों से मुक्ति मिलती है?

हाँ, अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।

क्या सूर्यदेव की चालीसा पाठ से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है?

हाँ, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

सूर्यदेव की चालीसा पाठ के लिए कौन सा समय सबसे उत्तम है?

सूर्योदय का समय सबसे उत्तम है।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से ग्रह दोष दूर होते हैं?

हाँ, ग्रह दोषों का निवारण होता है।

सूर्यदेव की चालीसा का पाठ किनके लिए लाभकारी है?

यह सभी के लिए लाभकारी है, विशेषकर जो लोग स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से मानसिक शांति मिलती है?

हाँ, मानसिक शांति प्राप्त होती है।

क्या सूर्यदेव की चालीसा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है?

हाँ, परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

सूर्यदेव की चालीसा पाठ का प्रभाव कितने दिनों में दिखाई देता है?

नियमित पाठ करने पर कुछ ही दिनों में प्रभाव दिखाई देने लगता है।

क्या चालीसा पाठ के दौरान कोई विशेष वस्त्र धारण करना चाहिए?

स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करना चाहिए।

सूर्यदेव की चालीसा से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति में सुधार, आत्मविश्वास में वृद्धि, रोगों से मुक्ति, और समृद्धि।

Aghoreshwar Shabar Mantra for Strong Protection

aghoreshwar sabar mantra

अघोरेश्वर शाबर मंत्र, एक प्राचीन विधि मानी जाती जै। इस मंत्र का उपयोग विभिन्न बाधाओं और समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। अघोरेश्वर शाबर मंत्र में भगवान शिव के शक्ति समाहित होती हैं जो तंत्र बाधा, रोग बाधा, नज़र बाधा, शत्रु बाधा और ऊपरी बाधा को दूर करने के लिए प्रभावी माने जाते हैं। यह मंत्र सरल और प्राचीन भाषा में होते हैं और इनका प्रभाव अद्वितीय और शक्तिशाली माना जाता है।

अघोरेश्वर शाबर मंत्र:

॥ॐ अघोरेश्वराय नमः अघोर शक्ति के बाबा, मेरो काज सफल कीजो, ॐ ह्रौं जूं सः॥

Aghoreshwar Shabar Mantra Audio

अघोरेश्वर शाबर मंत्र के लाभ

  1. तंत्र बाधा से मुक्ति: इस मंत्र का जाप करने से तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  2. रोग बाधा से मुक्ति: यह मंत्र शरीर के रोगों को दूर करता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है।
  3. नज़र बाधा से सुरक्षा: नज़र दोष और बुरी नज़रों से बचाने में सहायक होता है।
  4. शत्रु बाधा से मुक्ति: शत्रुओं से सुरक्षा और उनकी बुरी नजरों से मुक्ति दिलाता है।
  5. ऊपरी बाधा से सुरक्षा: ऊपरी बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से बचाव करता है।
  6. मन की शांति: मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  7. धन की प्राप्ति: आर्थिक समस्याओं को दूर करता है और धन प्राप्ति में सहायक होता है।
  8. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
  9. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक स्तर पर उन्नति प्रदान करता है।
  10. संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाले संकटों को दूर करता है।
  11. कष्टों का निवारण: कष्टों और दुखों को समाप्त करता है।
  12. प्रभावशाली व्यक्तित्व: व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है।
  13. कार्य सिद्धि: कार्यों में सफलता और सिद्धि प्रदान करता है।
  14. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  15. दुर्घटनाओं से सुरक्षा: दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं से सुरक्षा करता है।
  16. योग्यता में वृद्धि: योग्यता और ज्ञान में वृद्धि करता है।
  17. विद्यार्थियों के लिए लाभकारी: विद्यार्थियों के लिए अध्ययन में सफलता प्रदान करता है।
  18. धार्मिक कर्मों में सफलता: धार्मिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  19. सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा: सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
  20. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखता है।

शिव शाबर मंत्र विधि

दिन का चयन: शिव शाबर मंत्र का जाप सोमवार को शुरू करना उत्तम माना जाता है।

  1. अवधि: मंत्र जाप की अवधि 11 से 21 दिनों तक होनी चाहिए।
  2. मुहूर्त: मंत्र जाप का शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त या शाम के समय हो सकता है।
  3. मंत्र जाप की सामग्री: रुद्राक्ष की माला, एकांत स्थान, दीपक, धूप, और शुद्ध जल।
  4. मंत्र जाप संख्या: प्रतिदिन 108 बार से लेकर 1188 बार मंत्र का जाप करना चाहिए।
  5. नियम: मंत्र जाप करते समय शुद्धता और सात्विकता का पालन करना चाहिए।
  6. सावधानी: मंत्र जाप करते समय ध्यान एकाग्र रखें और नकारात्मक विचारों से बचें।

विधि

  1. स्थान और सामग्री का चयन: एक शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें। सामने दीपक और धूप जलाएं।
  2. आरंभ मंत्र: जाप आरंभ करने से पहले भगवान शिव का ध्यान करें और निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:
   ॐ नमः शिवाय।
  1. मुख्य मंत्र का जाप: चयनित मंत्र का उच्चारण रुद्राक्ष की माला के साथ 108 बार करें। इसे आप 11 माला तक बढ़ा सकते हैं।
  2. अंतिम मंत्र: मंत्र जाप समाप्त करने के बाद भगवान शिव का पुनः ध्यान करें और अंत में निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:
   ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।

मंत्र जाप के नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन का सेवन करें और तामसिक भोजन से बचें।
  3. आचरण: सात्विक आचरण और व्यवहार अपनाएं।
  4. ध्यान: ध्यान और एकाग्रता के साथ मंत्र जाप करें।
  5. संयम: मंत्र जाप के दौरान संयम और नियमितता का पालन करें।

Lakshmi sabar mantra

मंत्र जाप सावधानी

  1. नकारात्मक विचारों से बचें: मंत्र जाप करते समय नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  2. एकांत स्थान: एकांत और शांत स्थान का चयन करें।
  3. समय का पालन: निश्चित समय पर ही मंत्र जाप करें।
  4. व्रत और नियम: अगर संभव हो तो व्रत और नियम का पालन करें।
  5. ध्यान का अभ्यास: ध्यान का नियमित अभ्यास करें।

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अघोरेश्वर शाबर मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. अघोरेश्वर शाबर मंत्र क्या है?
    • अघोरेश्वर शाबर मंत्र भगवान शिव के शक्तिशाली मंत्र हैं जो तंत्र बाधाओं को दूर करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
  2. इन मंत्रों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    • तंत्र, रोग, नज़र, शत्रु और ऊपरी बाधाओं को दूर करना।
  3. शिव शाबर मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए?
    • सोमवार को प्रारंभ करें, ब्रह्म मुहूर्त या शाम के समय 11 से 21 दिनों तक जाप करें।
  4. मंत्र जाप के लिए आवश्यक सामग्री क्या है?
    • रुद्राक्ष की माला, दीपक, धूप, और शुद्ध जल।
  5. मंत्र जाप का शुभ समय कौन सा है?
    • ब्रह्म मुहूर्त या शाम का समय।
  6. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?
    • 11 से 21 दिनों तक।
  7. प्रतिदिन कितनी बार मंत्र जाप करना चाहिए?
    • प्रतिदिन 108 बार से 1188 बार।
  8. मंत्र जाप करते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए?
    • शुद्धता, सात्विकता, ध्यान और एकाग्रता।
  9. मंत्र जाप के दौरान किस प्रकार की सावधानियां बरतनी चाहिए?
    • नकारात्मक विचारों से बचें, शांत स्थान का चयन करें, समय का पालन करें।
  10. शिव शाबर मंत्र का उच्चारण कैसे करना चाहिए?
    • ध्यान और एकाग्रता के साथ रुद्राक्ष की माला के साथ।
  11. मंत्र जाप के क्या लाभ हैं?
    • तंत्र, रोग, नज़र, शत्रु, ऊपरी बाधाओं से मुक्ति और मानसिक शांति।
  12. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष व्रत या उपवास की आवश्यकता होती है?
    • अगर संभव हो तो व्रत और नियम का पालन करें।

Mahakal Sabar Mantra for Strong Protection

Mahakal Sabar Mantra

ये साबर मंत्र, भगवान शिव की कृपा पाने का शक्तिशाली माध्यम है। ये भगवान शिव का एक शक्तिशाली और उग्र रूप है। महाकाल का अर्थ होता है “समय का महान स्वामी”। वह उन सभी चीजों का विनाश करता है जो समय के साथ होती हैं और पुनर्जन्म का चक्र समाप्त करता है। महाकाल उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में विशेष रूप से पूजनीय हैं और उन्हें मृत्यु के देवता और काल का अधिपति माना जाता है। उनके इस रूप में भक्त उन्हें अपने सारे कष्टों और समस्याओं से मुक्ति के लिए पूजते हैं।

महाकाल का रूप अत्यंत भयानक होता है। उनके माथे पर तीसरा नेत्र है, जो संहार का प्रतीक है। उनके शरीर पर भस्म और रुद्राक्ष की माला है। वह तांडव करते हैं और उनका यह रूप संपूर्ण ब्रह्मांड को अपने अंदर समाहित कर लेता है।

महाकाल शाबर मंत्र

शाबर मंत्र एक प्रकार के तांत्रिक मंत्र होते हैं जो सीधे-सरल भाषा में होते हैं और इनके जप से तुरंत प्रभाव देखा जा सकता है। ये मंत्र भी एक ऐसा ही प्रभावशाली मंत्र है, जो महाकाल की कृपा को शीघ्रता से प्राप्त करने में सहायक है।

॥ॐ नमः शिवाय शंकराय, सर्पधारी मम् कार्य कीजो, ॐ महाकालाय नमः॥

विधि

मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहुर्त

  • दिन:मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन सोमवार और महाशिवरात्रि का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • अवधि: मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन तक होनी चाहिए।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) सबसे उत्तम समय है। इसके अलावा शाम के समय (6 से 8 बजे) भी मंत्र जप कर सकते हैं।

जप सामग्री

  • रुद्राक्ष माला
  • गंगाजल
  • दीपक
  • धूप
  • महाकाल की प्रतिमा या चित्र
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  • बेलपत्र, धतूरा और आक के फूल
  • शुद्ध जल

मंत्र जप संख्या

  • एक माला: 108 बार
  • 11 माला: 1188 बार

प्रति दिन कम से कम एक माला (108 बार) जप करना चाहिए और अधिकतम 11 माला (1188 बार) तक जप कर सकते हैं।

मंत्र जप के नियम

  1. शुद्धता: जप करने वाले को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना चाहिए। स्नान के बाद ही मंत्र जप करें।
  2. आसन: कुश या ऊनी आसन का प्रयोग करें।
  3. दिशा: उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  4. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर जप करें।
  5. व्रत: जप के दौरान सात्विक भोजन करें और व्रत रखें।
  6. माला: रुद्राक्ष माला का ही प्रयोग करें और माला को गंगाजल से शुद्ध करें।
  7. स्थान: एकांत और शांत स्थान का चयन करें।
  8. ध्यान: जप के पूर्व महाकाल का ध्यान करें और उनके स्वरूप का ध्यान करें।
  9. ध्यानमंत्र: जप से पहले “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 21 बार जप करें।
  10. संकल्प: मंत्र जप के प्रारंभ में संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य के लिए यह जप कर रहे हैं।

मंत्र जप सावधानियाँ

  1. सात्विक जीवन: जप के दौरान सात्विक जीवन व्यतीत करें।
  2. शराब और मांस: शराब, मांस, और अन्य तामसिक पदार्थों से दूर रहें।
  3. ध्यान भंग न हो: जप के दौरान ध्यान भंग न हो, इसलिए एकांत स्थान का चयन करें।
  4. सच्चाई: जप सच्चे मन से और पूर्ण विश्वास के साथ करें।
  5. नकारात्मकता से बचें: नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मक सोच रखें।
  6. स्वच्छता: पूजा स्थल और माला की स्वच्छता का ध्यान रखें।
  7. गुरु का आशीर्वाद: यदि संभव हो तो किसी योग्य गुरु से मंत्र दीक्षा लें।
  8. आहार: हल्का और सात्विक आहार लें।
  9. नींद: पर्याप्त नींद लें ताकि मन और शरीर ताजगी से भरपूर रहें।
  10. समर्पण: जप पूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ करें।

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लाभ

  1. स्वास्थ्य में सुधार: शाबर मंत्र का जप स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
  2. दीर्घायु: यह मंत्र जप दीर्घायु प्रदान करता है।
  3. रोगों से मुक्ति: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाता है।
  4. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  5. भयमुक्ति: किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  6. संकट निवारण: जीवन के संकटों का निवारण होता है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
  8. आत्मबल में वृद्धि: आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  9. कष्टों का निवारण: जीवन के समस्त कष्टों का निवारण होता है।
  10. धन की प्राप्ति: आर्थिक समस्याओं का समाधान और धन की प्राप्ति होती है।
  11. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश और उनकी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  12. मनोकामना पूर्ति: सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  13. परिवार में सुख: परिवार में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
  14. विवाह में विलंब: विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण होता है।
  15. करियर में उन्नति: करियर में प्रगति और उन्नति मिलती है।
  16. व्यापार में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि और समृद्धि होती है।
  17. बाधाओं का नाश: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।
  18. पारिवारिक सुख: पारिवारिक सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
  19. धार्मिक उन्नति: धार्मिक उन्नति और धर्म के प्रति आस्था बढ़ती है।
  20. मोक्ष प्राप्ति: अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. ये शाबर मंत्र क्या है?
    • यह भगवान शिव के महाकाल रूप की स्तुति करने वाला एक तांत्रिक मंत्र है।
  2. इस मंत्र का उपयोग किसके लिए किया जाता है?
    • यह मंत्र विशेष रूप से स्वास्थ्य, भयमुक्ति, और संकटा
  3. मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में सबसे उत्तम समय है।
  4. शाबर मंत्र का जप कितने दिनों तक करना चाहिए?
    • 11 से 21 दिन तक निरंतर करना चाहिए।
  5. मंत्र जप की सामग्री क्या होती है?
    • रुद्राक्ष माला, गंगाजल, दीपक, धूप, महाकाल की प्रतिमा, पंचामृत, बेलपत्र।
    • मंत्र का जप किस दिशा में करना चाहिए?
      • उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके करना चाहिए।
  6. मंत्र जप की माला कितनी बार करनी चाहिए?
    • प्रतिदिन कम से कम 108 बार और अधिकतम 1188 बार।
  7. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन से नियम पालन करने चाहिए?
    • शुद्धता, सात्विक आहार, नियमितता, और श्रद्धा से जप करना चाहिए।
  8. क्या मंत्र जप के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
    • हाँ, व्रत रखने से जप का प्रभाव अधिक होता है।
  9. क्या इस मंत्र का जप करने से आर्थिक स्थिति सुधरती है?
    • हाँ, इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  10. क्या शाबर मंत्र का जप किसी गुरु से दीक्षा लेकर करना चाहिए?
    • हाँ, गुरु से दीक्षा लेकर करना अधिक प्रभावी होता है।
  11. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष पर्व पर करना चाहिए?
    • महाशिवरात्रि पर विशेष रूप करना शुभ होता है।

Dhanavantari Sabar mantra for Strong Health

Dhanvantri Sabar Mantra

धनवंतरी शाबर मंत्र को चिकित्सा के क्षेत्र मे प्रमुख माना जाता है। ये आयुर्वेद के भी देवता और ‘भगवान विष्णु’ का अवतार भी कहा जाता है। धनवंतरी की पूजा मुख्यतः स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए की जाती है। उनके शाबर मंत्र का जप विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। इस लेख में हम धनवंतरी शाबर मंत्र, उसकी विधि, लाभ, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

धनवंतरी शाबर मंत्र

॥ ॐ नमो भगवते धन्वंतरये, अमृतकलश हस्ताय, रामबाण औषधि दीजो, सभी रोग हर लीजो, श्री महाविष्णवे नमः ॥

मंत्र के लाभ

  1. स्वास्थ्य में सुधार: इस मंत्र के जप से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  2. रोगों से मुक्ति: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  3. दीर्घायु: दीर्घायु प्राप्त होती है।
  4. आयुर्वेदिक चिकित्सा: आयुर्वेदिक चिकित्सा में सफलता प्राप्त होती है।
  5. मानसिक शांति: मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  6. तनाव निवारण: तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  9. रोग प्रतिरोधक क्षमता: रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
  10. पारिवारिक सुख: परिवार में सुख और शांति का वातावरण बनता है।
  11. धन प्राप्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
  12. भय निवारण: भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  13. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  14. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  15. जीवन में स्थिरता: जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।
  16. कर्म में सुधार: कर्म में सुधार होता है और अच्छे फल प्राप्त होते हैं।
  17. दिव्य दृष्टि: आध्यात्मिक दृष्टि विकसित होती है।
  18. सुख-समृद्धि: जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
  19. साहस: साहस और धैर्य में वृद्धि होती है।
  20. ईश्वरीय कृपा: भगवान धनवंतरी की कृपा सदैव बनी रहती है।

मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहूर्त

  1. दिन: धनवंतरी शाबर मंत्र का जप करने के लिए बुधवार और गुरुवार सबसे उत्तम दिन होते हैं।
  2. अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम ११ दिन और अधिकतम २१ दिन तक करना चाहिए।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ बजे से ६ बजे तक) जप के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है।

सामग्री

  1. रुद्राक्ष की माला: मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए।
  2. गंगाजल: जप से पहले गंगाजल से हाथ-पैर धो लेना चाहिए।
  3. दीपक: शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।
  4. धूप: धूप बत्ती से वातावरण को शुद्ध करना चाहिए।
  5. धनवंतरी प्रतिमा: धनवंतरी की प्रतिमा के सामने बैठकर जप करना चाहिए।
  6. पंचामृत: धनवंतरी प्रतिमा पर पंचामृत चढ़ाना चाहिए।
  7. तुलसी के पत्ते: धनवंतरी प्रतिमा पर तुलसी के पत्ते अर्पित करना चाहिए।

मंत्र जप संख्या

धनवंतरी शाबर मंत्र का जप निम्नलिखित प्रकार से करना चाहिए:

  • एक माला: १०८ बार
  • ग्यारह माला: ११८८ बार

नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  2. एकांत: जप के समय एकांत स्थान का चयन करना चाहिए।
  3. धनवंतरी प्रतिमा के सामने: मंत्र जप धनवंतरी की प्रतिमा के सामने बैठकर करना चाहिए।
  4. समय का ध्यान: रोज एक ही समय पर जप करना चाहिए।
  5. ध्यान: जप के समय ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।
  6. श्रद्धा: मन में श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए।
  7. ध्यान मंत्र: जप से पहले भगवान धनवंतरी का ध्यान करना चाहिए।
  8. नियमितता: जप नियमित रूप से करना चाहिए।
  9. व्रत: जप के दौरान उपवास रखना चाहिए।
  10. आहार: शुद्ध और सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए।

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सावधानी

  1. विघ्नों से बचाव: जप के दौरान विघ्नों से बचाव करना चाहिए।
  2. अशुद्धता से बचें: जप के समय अशुद्धता से बचना चाहिए।
  3. शुद्ध वस्त्र: शुद्ध वस्त्र पहनकर जप करना चाहिए।
  4. मन की स्थिरता: मन को स्थिर और शांत रखना चाहिए।
  5. अनुष्ठान के नियम: अनुष्ठान के नियमों का पालन करना चाहिए।
  6. धनवंतरी प्रतिमा का अपमान नहीं: धनवंतरी प्रतिमा का अपमान नहीं करना चाहिए।
  7. श्रद्धा और विश्वास: मन में श्रद्धा और विश्वास बनाए रखना चाहिए।
  8. नियमितता: अनुष्ठान को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
  9. शांति: जप के समय शांति बनाए रखना चाहिए।
  10. आहार: सात्विक आहार का ही सेवन करना चाहिए।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. धनवंतरी शाबर मंत्र का अर्थ क्या है?
    • इस मंत्र का अर्थ है कि भगवान धनवंतरी की कृपा से सभी रोग और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
  2. धनवंतरी शाबर मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    • बुधवार और गुरुवार को ब्रह्म मुहूर्त में जप करना चाहिए।
  3. धनवंतरी शाबर मंत्र के क्या लाभ हैं?
    • स्वास्थ्य में सुधार, रोगों से मुक्ति, दीर्घायु, मानसिक शांति आदि।
  4. इस मंत्र का जप कितने दिनों तक करना चाहिए?
    • कम से कम ११ दिन और अधिकतम २१ दिन।
  5. धनवंतरी शाबर मंत्र का जप किस सामग्री से करना चाहिए?
    • रुद्राक्ष की माला, गंगाजल, दीपक, धूप, धनवंतरी प्रतिमा, पंचामृत और तुलसी के पत्ते।
  6. क्या धनवंतरी शाबर मंत्र का जप एकांत में करना चाहिए?
    • हाँ, एकांत स्थान का चयन करना चाहिए।
  7. धनवंतरी शाबर मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
    • एक माला यानी १०८ बार से लेकर ११ माला यानी ११८८ बार।
  8. क्या धनवंतरी शाबर मंत्र के जप से शत्रु नाश होता है?
    • हाँ, शत्रुओं से रक्षा होती है।
  9. धनवंतरी शाबर मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
    • शुद्धता, एकांत, धनवंतरी प्रतिमा के सामने, समय का ध्यान, ध्यान और श्रद्धा के साथ।
  10. क्या धनवंतरी शाबर मंत्र के जप के समय उपवास रखना चाहिए?
    • हाँ, उपवास रखना चाहिए।
  11. धनवंतरी शाबर मंत्र का जप करने के लिए कौन सा दिन सबसे उत्तम होता है?
    • बुधवार और गुरुवार।
  12. धनवंतरी शाबर मंत्र का जप किस समय करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ बजे से ६ बजे तक)।

Shiva Shabar Mantra for Wealth & Family Peace

Shiva Shabar Mantra

Shiva Shabar mantra, इस विधि से भगवान शिव की आराधना करने से पारिवारिक व भौतिक जीवन मे सफलता जल्दी मिलती है। शाबर मंत्रों का प्रयोग प्राचीन समय से ही किया जा रहा है और इनकी शक्ति अद्वितीय मानी जाती है। शिव शाबर मंत्र विशेष रूप से शिवजी को समर्पित होता है और इसे सही विधि से जपने पर अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।

शिव शाबर मंत्र

॥ऊँ नमः शिवाय शंभो, शाबर मंत्र सिद्धि लायो, शिव सदा सहायो, दुख दर्द मिटायो, ॐ नमः शिवाय॥

लाभ

  1. मानसिक शांति: इस मंत्र के जप से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  2. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है।
  4. धन प्राप्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में लाभकारी होता है।
  6. भय निवारण: भय और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक प्रगति होती है।
  8. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  9. परिवारिक सुख: परिवार में सुख और शांति का वातावरण बनता है।
  10. कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  11. तंत्र बाधा मुक्ति: तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  12. कर्ज मुक्ति: कर्ज से छुटकारा मिलता है।
  13. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  14. विघ्न निवारण: सभी विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं।
  15. जीवन में स्थिरता: जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है।
  16. दिव्य दृष्टि: आध्यात्मिक दृष्टि विकसित होती है।
  17. सुख-समृद्धि: जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
  18. साहस: साहस और धैर्य में वृद्धि होती है।
  19. कर्म में सुधार: कर्म में सुधार होता है और अच्छे फल प्राप्त होते हैं।
  20. ईश्वरीय कृपा: भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है।

शिव शाबर मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहूर्त

  1. दिन: शिव शाबर मंत्र का जप करने के लिए सोमवार सबसे उत्तम दिन होता है।
  2. अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम ११ दिन और अधिकतम २१ दिन तक करना चाहिए।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ बजे से ६ बजे तक) जप के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है।

सामग्री

  1. रुद्राक्ष की माला: मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए।
  2. गंगाजल: जप से पहले गंगाजल से हाथ-पैर धो लेना चाहिए।
  3. दीपक: शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।
  4. धूप: धूप बत्ती से वातावरण को शुद्ध करना चाहिए।
  5. शिवलिंग: शिवलिंग के सामने बैठकर जप करना चाहिए।
  6. पंचामृत: शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाना चाहिए।
  7. बिल्वपत्र: शिवलिंग पर बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए।

मंत्र जप संख्या

शिव शाबर मंत्र का जप निम्नलिखित प्रकार से करना चाहिए:

  • एक माला: १०८ बार
  • ग्यारह माला: ११८८ बार

नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  2. एकांत: जप के समय एकांत स्थान का चयन करना चाहिए।
  3. शिवलिंग के सामने: मंत्र जप शिवलिंग के सामने बैठकर करना चाहिए।
  4. समय का ध्यान: रोज एक ही समय पर जप करना चाहिए।
  5. ध्यान: जप के समय ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।
  6. श्रद्धा: मन में श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए।
  7. ध्यान मंत्र: जप से पहले भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
  8. नियमितता: जप नियमित रूप से करना चाहिए।
  9. व्रत: जप के दौरान उपवास रखना चाहिए।
  10. आहार: शुद्ध और सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए।

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मंत्र जप सावधानी

  1. विघ्नों से बचाव: जप के दौरान विघ्नों से बचाव करना चाहिए।
  2. अशुद्धता से बचें: जप के समय अशुद्धता से बचना चाहिए।
  3. शुद्ध वस्त्र: शुद्ध वस्त्र पहनकर जप करना चाहिए।
  4. मन की स्थिरता: मन को स्थिर और शांत रखना चाहिए।
  5. अनुष्ठान के नियम: अनुष्ठान के नियमों का पालन करना चाहिए।
  6. शिवलिंग का अपमान नहीं: शिवलिंग का अपमान नहीं करना चाहिए।
  7. श्रद्धा और विश्वास: मन में श्रद्धा और विश्वास बनाए रखना चाहिए।
  8. नियमितता: अनुष्ठान को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
  9. शांति: जप के समय शांति बनाए रखना चाहिए।
  10. आहार: सात्विक आहार का ही सेवन करना चाहिए।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. शिव शाबर मंत्र का अर्थ क्या है?
    • इस मंत्र का अर्थ है कि शिवजी की कृपा से सभी दुख और दर्द मिट जाते हैं।
  2. शिव शाबर मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    • सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में जप करना चाहिए।
  3. शिव शाबर मंत्र के क्या लाभ हैं?
    • मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, संकटों से मुक्ति आदि।
  4. इस मंत्र का जप कितने दिनों तक करना चाहिए?
    • कम से कम ११ दिन और अधिकतम २१ दिन।
  5. शिव शाबर मंत्र का जप किस सामग्री से करना चाहिए?
    • रुद्राक्ष की माला, गंगाजल, दीपक, धूप, शिवलिंग, पंचामृत और बिल्वपत्र।
  6. क्या शिव शाबर मंत्र का जप एकांत में करना चाहिए?
    • हाँ, एकांत स्थान का चयन करना चाहिए।
  7. शिव शाबर मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
    • एक माला यानी १०८ बार से लेकर ११ माला यानी ११८८ बार।
  8. क्या शिव शाबर मंत्र के जप से शत्रु नाश होता है?
    • हाँ, शत्रुओं से रक्षा होती है।
  9. शिव शाबर मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
    • शुद्धता, एकांत, शिवलिंग के सामने, समय का ध्यान, ध्यान और श्रद्धा के साथ।
  10. क्या शिव शाबर मंत्र के जप के समय उपवास रखना चाहिए?
    • हाँ, उपवास रखना चाहिए।
  11. शिव शाबर मंत्र का जप करने के लिए कौन सा दिन सबसे उत्तम होता है?
    • सोमवार।
  12. शिव शाबर मंत्र का जप किस समय करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४ बजे से ६ बजे तक)।

BelPatra – How To use in Shrawan Month

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श्रावण में बेल पत्र का टोटका: सरल और प्रभावी उपाय

श्रावण मास में शिव पूजा का विशेष महत्व है। बेल पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बेल पत्र का उपयोग शिव की कृपा पाने और जीवन की समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है।

बेल पत्र का टोटका

  1. सुबह स्नान करके करें तैयारी
    सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा सामग्री को तैयार रखें।
  2. शुद्ध बेल पत्र का चयन करें
    बेल पत्र में तीन पत्ते हों और बिना टूट-फूट के हों। पत्तों को गंगा जल से धो लें।
  3. ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करें
    बेल पत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  4. घर की समृद्धि के लिए उपाय
    शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने के बाद उसे अपने धन रखने के स्थान पर रखें।

टोटके के लाभ

  1. आर्थिक समस्याओं का समाधान
    इस उपाय से आर्थिक तंगी दूर होती है।
  2. शत्रुओं से रक्षा
    बेल पत्र से शिवलिंग पर जल अर्पित करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।

विशेष नियम

  1. सोमवार और प्रदोष व्रत के दिन यह टोटका अधिक प्रभावी होता है।
  2. केवल साफ और ताजे बेल पत्र का उपयोग करें।
  3. बेल पत्र को नीचे की ओर से शिवलिंग पर रखें।

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सावधानियां

  1. बेल पत्र को कभी भी अनादर से न रखें।
  2. सूखे बेल पत्र का प्रयोग न करें।

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श्रावण में यह सरल टोटका आपकी समस्याओं को दूर करने और खुशहाल जीवन देने में सहायक होता है।

बेलपत्र का महत्व भगवान शिव की पूजा में अत्यधिक है। श्रावण मास में बेलपत्र से किए गए टोटके अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं। इन टोटकों का पालन करने से व्यक्ति को आर्थिक, स्वास्थ्य, मानसिक शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही, शत्रु से रक्षा, कार्य सिद्धि, और विवाह में आ रही बाधाओं का भी निवारण होता है। बेलपत्र के इन टोटकों का नियमित रूप से पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

How to perform 2nd shravan vrat for protection

2nd Shravan Somvar Vrat

श्रावण का दूसरा सोमवार का व्रत सुरक्षा के लिये प्रमुख माना जाता है और इसे विधिपूर्वक करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होते हैं। श्रावण मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व होता है। इस मास के प्रत्येक सोमवार को विशेष रूप से शिव जी की आराधना और व्रत का विधान होता है।

श्रावण का दूसरा सोमवार का व्रत विधि

  1. प्रातःकाल उठें और स्नान करें: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शिवलिंग की स्थापना: घर के पूजा स्थान में शिवलिंग की स्थापना करें। अगर मंदिर जा सकते हैं तो मंदिर में जाकर पूजा करें।
  3. पूजा सामग्री का प्रबंध: पूजा के लिए जल, दूध, दही, घी, शहद, चीनी, बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, सफेद चंदन, धूप, दीप, फल, मिठाई, गंगा जल, पंचामृत आदि की व्यवस्था करें।
  4. शिव जी का अभिषेक: सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और चीनी मिलाकर पंचामृत से अभिषेक करें।
  5. बेलपत्र और फूल अर्पित करें: शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल अर्पित करें। ध्यान रखें कि बेलपत्र हमेशा उल्टे नहीं चढ़ाने चाहिए।
  6. धूप और दीप जलाएं: शिवलिंग के सामने धूप और दीप जलाएं।
  7. मंत्र जप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें। यह जप कम से कम 108 बार करें।
  8. शिव चालीसा का पाठ: शिव चालीसा का पाठ करें और शिव जी की आरती करें।
  9. भोग अर्पित करें: शिव जी को भोग अर्पित करें। भोग में फल, मिठाई या पंचामृत अर्पित करें।
  10. व्रत का संकल्प: पूरे दिन निराहार या फलाहार व्रत करें। संभव हो तो रात में भी केवल फलाहार ही लें।

मंत्र का अर्थ और व्याख्या

मंत्र “ॐ ह्रौं अघोर शिवाय अघोर नमः”

  • ॐ (Om): यह पवित्र ध्वनि है जो ब्रह्माण्ड की अनाहत ध्वनि मानी जाती है। यह ब्रह्म, विष्णु, महेश (त्रिदेव) का प्रतीक है और इसकी ध्वनि में सम्पूर्ण सृष्टि का नाद निहित है।
  • ह्रौं (Hraun): यह बीज मंत्र है जो शिव जी की अघोर शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह शक्ति और सुरक्षा प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
  • अघोर (Aghor): अघोर का अर्थ है जो भयानक नहीं है, जो सरल और सहज है। शिव जी का अघोर रूप सभी भय, अज्ञान और नकारात्मकता को दूर करने वाला है।
  • शिवाय (Shivaya): शिवाय का अर्थ है शिव को, शिव जी के प्रति समर्पण। शिव जो कल्याणकारी हैं, विनाश के देवता होने के साथ-साथ सृजन और संहार दोनों के कारक हैं।
  • अघोर नमः (Aghor Namah): अघोर को नमस्कार, शिव जी के अघोर रूप को प्रणाम।

विस्तृत अर्थ

यह मंत्र भगवान शिव के अघोर रूप की स्तुति करता है, जो सरल, सहज और शांति प्रदान करने वाले हैं। यह मंत्र साधक को नकारात्मकता, भय और अज्ञानता से मुक्त करता है और शक्ति, साहस, और मानसिक शांति प्रदान करता है।

मंत्र का प्रभाव

  1. भय से मुक्ति: इस मंत्र के जाप से सभी प्रकार के भय और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
  2. मानसिक शांति: यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  3. शक्ति और साहस: साधक को अद्भुत शक्ति और साहस प्रदान करता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आनंद का संचार करता है।
  6. सुरक्षा: इस मंत्र के जाप से साधक को भगवान शिव की अघोर शक्ति की सुरक्षा प्राप्त होती है।

इस मंत्र का जाप श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।

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व्रत का महत्व

  1. सुरक्षाः शत्रु, तंत्र बाधा, नौकरी, ब्यवसाय मे सुरक्षा मोलती है
  2. संकल्प शक्ति बढ़ती है: इस व्रत को करने से व्यक्ति की संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  3. मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं: श्रद्धा और भक्ति से किए गए व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  4. धन और संपत्ति की प्राप्ति: इस व्रत को करने से धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  5. संतान सुख: नि:संतान दंपतियों के लिए यह व्रत संतान सुख देने वाला होता है।
  6. स्वास्थ्य लाभ: शिव जी की कृपा से स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  7. वैवाहिक सुख: दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और वैवाहिक समस्याओं का समाधान होता है।
  8. शत्रु बाधा से मुक्ति: इस व्रत को करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
  9. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक साधकों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी होता है।

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श्रावण सोमवार व्रत FAQs

  1. श्रावण सोमवार व्रत कैसे करें?
  • श्रावण सोमवार व्रत के लिए प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिवलिंग का अभिषेक करें और पूरे दिन निराहार या फलाहार व्रत रखें।
  1. श्रावण सोमवार व्रत का क्या महत्व है?
  • इस व्रत का विशेष महत्व है। इसे करने से संकल्प शक्ति बढ़ती है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और धन, संपत्ति, संतान सुख, स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
  1. क्या श्रावण सोमवार व्रत केवल महिलाएं कर सकती हैं?
  • नहीं, यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।
  1. व्रत के दौरान क्या खा सकते हैं?
  • व्रत के दौरान केवल फलाहार, दूध, दही, और साबूदाने की खिचड़ी जैसी हल्की चीजें खा सकते हैं।
  1. व्रत का समय कब तक होता है?
  • व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होकर सूर्यास्त तक किया जाता है। कुछ लोग इसे रात तक भी जारी रखते हैं।
  1. क्या श्रावण सोमवार व्रत में जल पी सकते हैं?
  • हां, जल पी सकते हैं।
  1. श्रावण सोमवार व्रत कितने सोमवारों तक करना चाहिए?
  • श्रावण मास के सभी सोमवारों को यह व्रत किया जाता है।
  1. श्रावण सोमवार व्रत में शिवलिंग का अभिषेक कैसे करें?
  • गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और चीनी से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  1. श्रावण सोमवार व्रत का प्रारंभ किस दिन से करें?
  • श्रावण मास के पहले सोमवार से व्रत का प्रारंभ किया जाता है।
  1. क्या श्रावण सोमवार व्रत करने से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है?
    • हां, इस व्रत को करने से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।

श्रावण सोमवार व्रत को विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। भक्तजन इस व्रत को धैर्य और संकल्प के साथ करें और शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त करें।