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क्षेत्र यक्षिणी / Kshetra Yakshini Mantra

क्षेत्र यक्षिणी / Kshetra Yakshini Mantra

क्षेत्र यक्षिणी मंत्र से नकारात्मक ऊर्जा से बचाव और सफलता

घर ऑफिस दुकान जमीन की रक्षा करने वाली क्षेत्र यक्षिणी. यह यक्षिणी किसी विशेष क्षेत्र या स्थान की सुरक्षा और प्रसन्नता के लिए पूजा की जाती है। पूजा के दौरान आपको उस स्थान के प्राचीनतम या प्रमुख मंदिरों में दीपाराधना, अर्चना, और प्रदक्षिणा करनी चाहिए। यह पूजा उस स्थान की सुरक्षा और समृद्धि के लिए की जाती है, और इसमें श्रद्धा और समर्पण का महत्व है। क्षेत्र यक्षिणी की पूजा का समय और विधि स्थान के स्थानीय परंपराओं और विशेषताओं पर निर्भर करता है।

क्षेत्र यक्षिणी मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं क्रीं क्षेत्र यक्षिण्यै नमः”

अर्थ:
इस मंत्र में ‘ॐ’ ब्रह्मांड की आद्य शक्ति का प्रतीक है। ‘ऐं’ विद्या का, ‘ह्रीं’ शक्ति का और ‘क्रीं’ शक्ति के प्रचंड रूप का प्रतीक है। ‘क्षेत्र यक्षिण्यै’ का अर्थ है उस देवी को नमन, जो किसी स्थान (क्षेत्र) की रक्षा करती हैं। यह मंत्र व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षात्मक घेरा बनाता है और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।

क्षेत्र यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. यह मंत्र घर या स्थान की सुरक्षा में सहायक होता है।
  2. शत्रु या विरोधी से रक्षा होती है।
  3. मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
  4. नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से बचाव होता है।
  5. व्यापार में स्थिरता और उन्नति होती है।
  6. परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  7. कानूनी मामलों में जीत प्राप्त होती है।
  8. भूमि या संपत्ति विवादों में विजय प्राप्त होती है।
  9. यात्रा में सुरक्षा और सफलता मिलती है।
  10. कार्यक्षेत्र में तरक्की होती है।
  11. धन-संपत्ति की रक्षा होती है।
  12. स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  13. आर्थिक संकट दूर होते हैं।
  14. संपत्ति की चोरी से सुरक्षा मिलती है।
  15. घर या स्थान की नकारात्मकता दूर होती है।
  16. देवी की कृपा से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  17. यह मंत्र विशेष रूप से बुरी नजर और जादू-टोने से सुरक्षा प्रदान करता है।

मंत्र जप विधि

इस मंत्र का जप सुबह के समय या संध्या के समय किया जा सकता है। मंत्र जप से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। एक शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें, जहाँ कोई बाधा न हो। मंत्र का उच्चारण शुद्धता और समर्पण के साथ करें।

मंत्र जप की अवधि

मंत्र का जप 11 से 21 दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। इस अवधि में व्यक्ति को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव और देवी की कृपा प्राप्त होती है। नियमित जप करने से इसका प्रभाव बढ़ जाता है।

मंत्र जप के लिए सामग्री

  1. रुद्राक्ष या तुलसी की माला
  2. स्वच्छ आसन (लाल या पीला)
  3. घी का दीपक
  4. धूप या अगरबत्ती
  5. शुद्ध जल का पात्र

मंत्र जप संख्या

प्रतिदिन 11 माला का जप करना चाहिए। एक माला में 108 मंत्र होते हैं, इसलिए कुल 1188 मंत्र प्रतिदिन जपने चाहिए। यह संख्या देवी क्षेत्र यक्षिणी की कृपा शीघ्र प्राप्त करने में सहायक होती है।

मंत्र जप के नियम

  1. मंत्र जप करने वाले की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. नीले और काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
  4. धूम्रपान, मांसाहार और तामसिक भोजन से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. जप के दौरान मन एकाग्र और शांत होना चाहिए।

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जप के दौरान सावधानियां

  1. जप के समय ध्यान रखें कि कोई बाहरी विक्षेप न हो।
  2. मंत्र का सही उच्चारण करें, जिससे उसका पूर्ण प्रभाव प्राप्त हो।
  3. माला को साफ और शुद्ध रखें, और इसे जमीन पर न रखें।
  4. जप के लिए शांत और सकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान का चयन करें।

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क्षेत्र यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

1. क्षेत्र यक्षिणी मंत्र कब जपें?

सुबह या संध्या के समय इस मंत्र का जप करना सबसे उत्तम होता है। इस समय वातावरण शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है।

2. मंत्र जप कितने दिन तक करना चाहिए?

मंत्र का जप 11 से 21 दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। इस अवधि में देवी की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

3. क्या इस मंत्र का जप स्त्रियां भी कर सकती हैं?

हां, स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं। यह मंत्र सभी के लिए समान रूप से प्रभावी है।

4. मंत्र जप के लिए कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?

मंत्र जप के दौरान लाल या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। नीले और काले वस्त्रों से बचना चाहिए।

5. क्या मंत्र का प्रभाव तुरंत दिखाई देता है?

नियमित और शुद्ध भावना से किया गया मंत्र जप 11 से 21 दिनों में सकारात्मक परिणाम दिखाना शुरू कर देता है।

6. क्या यह मंत्र व्यापार और संपत्ति की सुरक्षा में सहायक है?

हां, क्षेत्र यक्षिणी मंत्र व्यापार, संपत्ति और घर की सुरक्षा के लिए अत्यंत प्रभावी है। इससे आर्थिक उन्नति और संपत्ति की रक्षा होती है।

7. मंत्र जप के दौरान क्या ध्यान रखें?

मंत्र जप करते समय शुद्धता, समर्पण और एकाग्रता बनाए रखें। बाहरी विक्षेप से बचने का प्रयास करें।

8. क्या इस मंत्र का जप यात्रा के समय भी किया जा सकता है?

हां, यात्रा के समय सुरक्षा के लिए यह मंत्र अत्यंत लाभकारी है। इससे दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं से बचाव होता है।

9. क्या मंत्र जप के दौरान भोजन में किसी प्रकार का परहेज है?

मंत्र जप के दौरान तामसिक भोजन, मांसाहार और नशा से बचना चाहिए। शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करना उचित होता है।

10. मंत्र जप का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

प्रातःकाल या संध्या समय मंत्र जप के लिए सबसे उपयुक्त होता है। इन समयों में वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है।

11. क्या यह मंत्र कानूनी मामलों में भी सहायक होता है?

हां, यह मंत्र कानूनी मामलों और विवादों में विजय प्राप्त करने में सहायक होता है।

12. क्या यह मंत्र नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करता है?

हां, क्षेत्र यक्षिणी मंत्र विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।

Vriksha Yakshini Mantra for Wealth & Protection

Vriksha Yakshini Mantra for Wealth and Protection

वृक्ष यक्षिणी मंत्र से जीवन में आकर्षण व सफलता कैसे प्राप्त करें?

वृक्ष यक्षिणी मंत्र एक प्राचीन तांत्रिक मंत्र है जो वृक्षों की यक्षिणी देवी की साधना के लिए उपयोग किया जाता है। ये जीवन व जमीन को हराभरा उत्साह वर्धक बनाने वाली मानी जाती है। वृक्ष यक्षिणी यक्षिणी देवियां प्रकृति की रक्षक मानी जाती हैं और उन्हें संपत्ति, समृद्धि और सौंदर्य की देवी भी कहा जाता है। वृक्ष यक्षिणी मंत्र का जाप करने से साधक को धन, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही यह मंत्र जीवन में सकारात्मक उन्नति और वातावरण को शुद्ध करता है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वृक्ष यक्षिणे नमः

अर्थ:
इस मंत्र में “ॐ” ब्रह्मांडीय ध्वनि का प्रतीक है। “ह्रीं” और “श्रीं” सफलता और समृद्धि के बीज मंत्र हैं। “क्लीं” आकर्षण और शक्ति का बीज मंत्र है। “वृक्ष यक्षिणे” से तात्पर्य है वृक्ष की यक्षिणी देवी को समर्पण। “नमः” का अर्थ है साष्टांग प्रणाम या समर्पण। इस प्रकार, मंत्र का अर्थ हुआ— “मैं वृक्ष की यक्षिणी देवी को प्रणाम करता हूँ और उनसे समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करता हूँ।”

वृक्ष यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि में वृद्धि।
  2. धन और संपत्ति की प्राप्ति।
  3. स्वास्थ्य में सुधार।
  4. सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  5. मानसिक शांति और स्थिरता।
  6. अवरोधों का नाश।
  7. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  8. व्यापार में सफलता।
  9. शत्रुओं से मुक्ति।
  10. पारिवारिक संबंधों में मधुरता।
  11. सुरक्षा और संरक्षा की भावना।
  12. नकारात्मक शक्तियों से रक्षा।
  13. भूमि और संपत्ति विवादों से छुटकारा।
  14. सौभाग्य और आकर्षण का वर्धन।
  15. सफलता के नए अवसरों का निर्माण।
  16. आध्यात्मिक विकास।
  17. आंतरिक और बाहरी संतुलन।

वृक्ष यक्षिणी मंत्र विधि

मंत्र जाप का दिन:
शुक्रवार को यह मंत्र जाप आरंभ करना सर्वोत्तम माना जाता है।

अवधि:
11 से 21 दिन तक लगातार इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

मुहूर्त:
प्रातःकाल सूर्योदय से पहले या रात्रि को यह मंत्र जाप करना अधिक फलदायी होता है।

वृक्ष यक्षिणी मंत्र जाप

11 से 21 दिनों तक लगातार मंत्र जाप करें। मंत्र जाप का समय सूर्योदय से पहले या रात्रि का होना चाहिए।

सामग्री

  1. पंचमुखी दीपक
  2. धूप
  3. चंदन या गुलाब की अगरबत्ती
  4. सफेद या पीले वस्त्र
  5. कमल का फूल
  6. कच्चा दूध
  7. जल और प्रसाद

मंत्र जाप संख्या

प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करें।

मंत्र जाप के नियम

  1. मंत्र जाप करते समय साधक की आयु 20 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  2. पुरुष और महिलाएं दोनों यह जाप कर सकते हैं।
  3. नीले और काले वस्त्र न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप सावधानी

मंत्र जाप करते समय शुद्धता और ध्यान की आवश्यकता होती है। जाप के समय आस-पास का वातावरण शांत और स्वच्छ हो। साधक को मानसिक रूप से एकाग्र रहना चाहिए। नकारात्मक विचारों और अशुद्धियों से बचें।

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वृक्ष यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: वृक्ष यक्षिणी कौन होती हैं?

उत्तर: वृक्ष यक्षिणी प्रकृति की रक्षक देवी मानी जाती हैं, जो वृक्षों और वनस्पतियों की रक्षा करती हैं।

प्रश्न 2: वृक्ष यक्षिणी मंत्र किस उद्देश्य से किया जाता है?

उत्तर: यह मंत्र आर्थिक समृद्धि, सुरक्षा, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3: मंत्र का जाप कितने दिन करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र का जाप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक लगातार करना चाहिए।

प्रश्न 4: मंत्र जाप का सबसे अच्छा समय क्या है?

उत्तर: सूर्योदय से पहले या रात्रि के समय मंत्र जाप करना सर्वोत्तम माना जाता है।

प्रश्न 5: क्या महिलाएं यह मंत्र जाप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी यह मंत्र जाप कर सकती हैं, परंतु कुछ नियमों का पालन आवश्यक है।

प्रश्न 6: मंत्र जाप करते समय किन वस्त्रों का चयन करना चाहिए?

उत्तर: सफेद या पीले वस्त्र पहनना चाहिए, नीले और काले वस्त्र से बचना चाहिए।

प्रश्न 7: क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष दिन से शुरू किया जाना चाहिए?

उत्तर: हां, इस मंत्र का जाप शुक्रवार को शुरू करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 8: मंत्र जाप के दौरान किन चीजों से परहेज करना चाहिए?

उत्तर: धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।

प्रश्न 9: मंत्र जाप के लिए कौन सी सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: दीपक, धूप, चंदन, अगरबत्ती, सफेद या पीले वस्त्र, कमल का फूल, कच्चा दूध और जल आवश्यक हैं।

प्रश्न 10: मंत्र जाप के लाभ क्या हैं?

उत्तर: मंत्र जाप से आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य सुधार, और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।

प्रश्न 11: क्या वृक्ष यक्षिणी मंत्र से संपत्ति प्राप्ति संभव है?

उत्तर: हां, यह मंत्र संपत्ति और धन प्राप्ति के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।

प्रश्न 12: मंत्र जाप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के बाद देवी यक्षिणी को प्रसाद अर्पित करें और उन्हें धन्यवाद करें।

Jal Yakshini Mantra wealth & protection

Jal Yakshini Mantra wealth & protection

जल यक्षिणी मंत्र – समृद्धि, शांति और जल तत्व का संतुलन

जल यक्षिणी मंत्र का संबंध जल तत्व की देवी से है, जो जल और उसकी ऊर्जा का संरक्षण करती हैं। यह मंत्र जल तत्व से जुड़ी यक्षिणी देवी की साधना के लिए उपयोग किया जाता है। इस मंत्र का नियमित जाप साधक को मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, और जल तत्व के माध्यम से जीवन में संतुलन प्रदान करता है। जल यक्षिणी की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उन्नति प्राप्त होती है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
ॐ ह्रीं जलवासिन्यै यक्षिणे वं नमः

अर्थ:
“ॐ” ब्रह्मांडीय ध्वनि है, जो सभी शक्तियों का स्रोत है। “ह्रीं” मंत्र सफलता और संपत्ति का प्रतीक है। “जलवासिन्यै” का अर्थ है जल में निवास करने वाली देवी। “वं” जल तत्व का बीज मंत्र है, जो शांति, स्वच्छता और जीवन का प्रतीक है। “नमः” का अर्थ है समर्पण और श्रद्धा। इस प्रकार मंत्र का पूर्ण अर्थ हुआ— “मैं जल में निवास करने वाली यक्षिणी देवी को प्रणाम करता हूँ और उनसे समृद्धि, शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करता हूँ।”

जल यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. मानसिक शांति और स्थिरता में वृद्धि।
  2. आर्थिक समृद्धि और धन प्राप्ति।
  3. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  4. जल से संबंधित समस्याओं का समाधान।
  5. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार।
  6. पारिवारिक सुख और संबंधों में सुधार।
  7. व्यापार में सफलता और उन्नति।
  8. जल तत्व से जीवन में संतुलन की प्राप्ति।
  9. शत्रुओं से मुक्ति और सुरक्षा।
  10. स्थायी सुख और सौभाग्य की प्राप्ति।
  11. जल जनित बीमारियों से रक्षा।
  12. आध्यात्मिक विकास और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  13. जीवन में नकारात्मक शक्तियों से रक्षा।
  14. ध्यान और ध्यान शक्ति में वृद्धि।
  15. नकारात्मक भावनाओं और विचारों का नाश।
  16. जल के स्रोतों से लाभ प्राप्त करना।
  17. संपूर्ण वातावरण में शुद्धता और शांति का संचार।

जल यक्षिणी मंत्र विधि

मंत्र जाप का दिन:

मंत्र जाप सोमवार या पूर्णिमा के दिन आरंभ करना शुभ होता है, क्योंकि यह जल तत्व से जुड़ा है।

अवधि:

मंत्र जाप का कार्य 11 से 21 दिनों तक करना चाहिए।

मुहूर्त:

प्रातःकाल सूर्योदय से पहले या रात्रि में चंद्रमा की उपस्थिति के समय जाप करना अधिक लाभकारी माना जाता है।

जल यक्षिणी मंत्र जाप

11 से 21 दिनों तक प्रतिदिन मंत्र का जाप करें। सूर्योदय से पहले या चंद्रमा के समय मंत्र जाप सबसे उपयुक्त समय होता है।

सामग्री

  1. शुद्ध जल का पात्र
  2. शंख
  3. पंचमुखी दीपक
  4. सफेद और नीले फूल
  5. चंदन की धूप या अगरबत्ती
  6. सफेद या पीले वस्त्र
  7. शुद्ध घी का दीपक

मंत्र जाप संख्या

प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करें।

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मंत्र जाप के नियम

  1. मंत्र जाप करते समय साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. पुरुष और महिलाएं दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  3. नीले और काले वस्त्र न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

जप सावधानी

मंत्र जाप करते समय जल का शुद्ध और स्वच्छ होना आवश्यक है। मंत्र जाप के दौरान साधक को पूर्ण एकाग्रता और मानसिक शुद्धता बनाए रखनी चाहिए। नकारात्मक विचारों से बचें और केवल सकारात्मक ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करें।

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जल यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: जल यक्षिणी कौन होती हैं?

उत्तर: जल यक्षिणी जल की शक्ति और ऊर्जा की देवी हैं, जो जल के संतुलन और उसकी शुद्धता की रक्षा करती हैं।

प्रश्न 2: जल यक्षिणी मंत्र का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: इस मंत्र का उद्देश्य जल तत्व के माध्यम से शांति, समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति करना है।

प्रश्न 3: मंत्र जाप कितने दिन तक करना चाहिए?

उत्तर: यह मंत्र 11 से 21 दिनों तक लगातार जाप किया जाना चाहिए।

प्रश्न 4: जल यक्षिणी मंत्र का जाप किस समय करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप प्रातःकाल सूर्योदय से पहले या रात्रि में चंद्रमा की उपस्थिति में करना चाहिए।

प्रश्न 5: जल यक्षिणी मंत्र किस दिन से शुरू करना चाहिए?

उत्तर: इस मंत्र को सोमवार या पूर्णिमा के दिन से शुरू करना शुभ होता है।

प्रश्न 6: क्या महिलाएं जल यक्षिणी मंत्र का जाप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जाप कर सकती हैं, बशर्ते वे नियमों का पालन करें।

प्रश्न 7: जल यक्षिणी मंत्र से क्या लाभ होता है?

उत्तर: मंत्र से मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, और जल से संबंधित समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है।

प्रश्न 8: मंत्र जाप के लिए कौन सी सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: शुद्ध जल, शंख, सफेद और नीले फूल, पंचमुखी दीपक और चंदन की धूप मंत्र जाप के लिए आवश्यक सामग्री हैं।

प्रश्न 9: जल यक्षिणी मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

उत्तर: यह मंत्र कोई भी कर सकता है, बशर्ते वह 20 वर्ष से अधिक आयु का हो और सभी नियमों का पालन करे।

प्रश्न 10: मंत्र जाप के समय कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप करते समय सफेद या पीले वस्त्र पहनने चाहिए। नीले और काले वस्त्र से बचना चाहिए।

प्रश्न 11: मंत्र जाप करते समय किन चीजों से परहेज करना चाहिए?

उत्तर: धूम्रपान, मद्यपान, मांसाहार और अशुद्धियों से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 12: जल यक्षिणी मंत्र से क्या आध्यात्मिक लाभ होते हैं?

उत्तर: इस मंत्र से साधक की आत्मिक शक्ति और ध्यान की क्षमता में वृद्धि होती है।

Vibhuti Yakshini Mantra for wealth

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विभूति यक्षिणी मंत्र – जीवन में शक्ति, यश और धन की प्राप्ति

विभूति यक्षिणी मंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है, जिसका उपयोग विभूतियों (धन, शक्ति, समृद्धि) को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यक्षिणी देवियां तंत्र शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं और विभूति यक्षिणी उन यक्षिणियों में से एक हैं, जिनकी साधना से साधक को अद्वितीय समृद्धि, सफलता, और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह मंत्र साधक की आध्यात्मिक और भौतिक प्रगति के लिए अत्यंत प्रभावी है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
ॐ ह्रीं विभूतिवासिन्यै यक्षिणे रं नमः

अर्थ:
“ॐ” ब्रह्मांडीय ध्वनि है जो संपूर्ण सृष्टि की ऊर्जा का प्रतीक है। “ह्रीं” शक्ति और समृद्धि का बीज मंत्र है। “विभूतिवासिन्यै” का अर्थ है विभूति (समृद्धि और शक्ति) में निवास करने वाली देवी। “रं” अग्नि तत्व का बीज मंत्र है, जो जीवन और उसकी शक्ति का प्रतीक है। “नमः” का अर्थ है पूर्ण समर्पण। इस मंत्र का पूर्ण अर्थ है— “मैं विभूतियों में निवास करने वाली विभूती यक्षिणी देवी को प्रणाम करता हूँ और उनसे समृद्धि, शक्ति, और जीवन की सफलता की प्रार्थना करता हूँ।”

विभूति यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति।
  2. व्यापार और करियर में सफलता।
  3. मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  4. नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा।
  5. स्वास्थ्य में सुधार और दीर्घायु की प्राप्ति।
  6. परिवार में सुख और समृद्धि का संचार।
  7. व्यापार में स्थायित्व और उन्नति।
  8. आत्मिक विकास और आध्यात्मिक उन्नति।
  9. शत्रुओं से मुक्ति और विजय प्राप्ति।
  10. विभूति (संपत्ति और यश) की प्राप्ति।
  11. मानसिक एकाग्रता और ध्यान शक्ति में वृद्धि।
  12. बाधाओं और कठिनाइयों से छुटकारा।
  13. पारिवारिक विवादों का समाधान।
  14. सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का वर्धन।
  15. धन और संपत्ति के नए अवसरों का निर्माण।
  16. जीवन में संतुलन और शांति का संचार।
  17. साधक को जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता।

विभूति यक्षिणी मंत्र विधि

मंत्र जाप का दिन:

विभूति यक्षिणी मंत्र जाप के लिए शुक्रवार या पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता है।

अवधि:

मंत्र जाप का कार्य 11 से 21 दिनों तक करना चाहिए।

मुहूर्त:

सूर्योदय से पहले या रात में चंद्रमा की उपस्थिति में मंत्र जाप करने से अधिक लाभ होता है।

विभूति यक्षिणी मंत्र जाप

11 से 21 दिनों तक प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करें। जाप का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल या रात में होता है।

सामग्री

  1. शुद्ध जल का पात्र
  2. पंचमुखी दीपक
  3. सफेद और पीले फूल
  4. चंदन की धूप या अगरबत्ती
  5. सफेद वस्त्र
  6. शुद्ध घी का दीपक
  7. विभूति (राख) का उपयोग भी कर सकते हैं

मंत्र जाप संख्या

प्रत्येक दिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करें।

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मंत्र जाप के नियम

  1. मंत्र जाप करने वाला साधक 20 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों यह मंत्र जाप कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़े पहनने से बचें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है।

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जप सावधानी

मंत्र जाप करते समय साधक को शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। वातावरण शुद्ध और शांत हो, ताकि मंत्र जाप के दौरान कोई अवरोध न हो। मंत्र जाप के दौरान मानसिक एकाग्रता बनाए रखना अनिवार्य है। नकारात्मक विचारों से दूर रहकर केवल मंत्र पर ध्यान केंद्रित करें।

विभूति यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: विभूति यक्षिणी कौन हैं?

उत्तर: विभूति यक्षिणी समृद्धि और शक्ति की देवी हैं, जो विभूतियों (धन, यश, और शक्ति) का वरदान देती हैं।

प्रश्न 2: विभूति यक्षिणी मंत्र का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: इस मंत्र का उद्देश्य आर्थिक समृद्धि, यश, शक्ति और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करना है।

प्रश्न 3: विभूति यक्षिणी मंत्र का जाप कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: इस मंत्र का जाप 11 से 21 दिनों तक लगातार किया जाना चाहिए।

प्रश्न 4: मंत्र जाप का सर्वोत्तम समय क्या है?

उत्तर: मंत्र जाप का सर्वोत्तम समय सूर्योदय से पहले या रात्रि में चंद्रमा की उपस्थिति में होता है।

प्रश्न 5: विभूति यक्षिणी मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

उत्तर: यह मंत्र स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं, बशर्ते वे 20 वर्ष से अधिक आयु के हों और नियमों का पालन करें।

प्रश्न 6: मंत्र जाप के लिए कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के दौरान सफेद या पीले वस्त्र पहनने चाहिए। नीले और काले कपड़ों से बचना चाहिए।

प्रश्न 7: विभूति यक्षिणी मंत्र से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर: मंत्र से धन, यश, समृद्धि, मानसिक शांति और जीवन में स्थायित्व प्राप्त होता है।

प्रश्न 8: मंत्र जाप के समय किन चीजों से बचना चाहिए?

उत्तर: धूम्रपान, मद्यपान, मांसाहार और किसी भी प्रकार की अशुद्धि से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 9: मंत्र जाप में किन सामग्रियों का उपयोग करना चाहिए?

उत्तर: शुद्ध जल, पंचमुखी दीपक, सफेद फूल, चंदन की धूप, और विभूति (राख) का उपयोग मंत्र जाप के लिए किया जाता है।

प्रश्न 10: मंत्र जाप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन क्यों आवश्यक है?

उत्तर: ब्रह्मचर्य का पालन मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखने के लिए आवश्यक है, जिससे साधक को मंत्र का पूर्ण लाभ प्राप्त हो।

प्रश्न 11: विभूति यक्षिणी मंत्र से क्या आध्यात्मिक लाभ होते हैं?

उत्तर: इस मंत्र से साधक की आत्मिक शक्ति और ध्यान क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे उसकी आध्यात्मिक प्रगति होती है।

प्रश्न 12: क्या विभूति यक्षिणी मंत्र से व्यापार में उन्नति हो सकती है?

उत्तर: हां, विभूति यक्षिणी मंत्र व्यापार और करियर में सफलता और उन्नति प्रदान करता है, जिससे व्यापारिक बाधाएं समाप्त होती हैं।

Bhoga Yakshini Mantra for wealth

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भोग यक्षिणी मंत्र – इच्छाओं की पूर्ति और सुख-संपन्नता का मार्ग

दुनियां का हर सुख देने वाली भोग यक्षिणी एक प्रकार की यक्षिणी हैं, जिनका मंत्र और पूजन सरल व शक्तिशाली माना जाता है. भोग यक्षिणी का पूजन धन, संपत्ति, आर्थिक स्थिरता, सुख और आनंद की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

भोग यक्षिणी मंत्र: || ॐ नमो भगवती महाभोगिन्यै नमः ||

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भोग यक्षिणी मंत्र लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि: भोग यक्षिणी की पूजा करने से आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  2. भौतिक सुख: यह पूजा साधक को जीवन में भौतिक सुख और सुविधाएं प्रदान करती है।
  3. व्यवसाय में उन्नति: इस पूजा से व्यापार में उन्नति और तरक्की प्राप्त होती है।
  4. कर्ज मुक्ति: जो लोग कर्ज से परेशान हैं, उन्हें इस पूजा से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  5. विवाह में बाधाएं दूर करना: विवाह में आने वाली बाधाएं और अड़चनें इस पूजा से दूर होती हैं।
  6. संपत्ति विवादों का समाधान: संपत्ति संबंधी विवादों का निपटारा होता है और साधक को संपत्ति में वृद्धि मिलती है।
  7. शत्रुओं से रक्षा: यह पूजा शत्रुओं से रक्षा करती है और उन्हें साधक के रास्ते से हटाती है।
  8. परिवार में सुख-शांति: परिवार में शांति और सामंजस्य स्थापित होता है।
  9. स्वास्थ्य लाभ: साधक को अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  10. संपत्ति में वृद्धि: साधक को जमीन-जायदाद और अन्य संपत्ति में वृद्धि मिलती है।
  11. विदेश यात्रा के योग: इस पूजा से विदेश यात्रा के योग बनते हैं और विदेश में सफलता मिलती है।
  12. नए स्रोत: धन प्राप्ति के नए स्रोत विकसित होते हैं और साधक की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  13. संतान प्राप्ति: जो दंपत्ति संतान सुख की कामना करते हैं, उन्हें भोग यक्षिणी की पूजा से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
  14. नौकरी में प्रमोशन: इस पूजा से नौकरी में प्रमोशन और तरक्की मिलती है।
  15. सुखद गृहस्थ जीवन: साधक का दांपत्य जीवन सुखमय होता है और परिवार में आनंद की वृद्धि होती है।
  16. सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं, चाहे वे तांत्रिक हो या अन्य, इस पूजा से दूर होती हैं।

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भोग यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. भोग यक्षिणी मंत्र क्या है?

भोग यक्षिणी मंत्र एक तांत्रिक मंत्र है, जिससे भौतिक सुख और इच्छाओं की पूर्ति होती है।

2. इस मंत्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस मंत्र का उद्देश्य साधक की इच्छाओं और भौतिक सुखों को सिद्ध करना है।

3. भोग यक्षिणी मंत्र की साधना कौन कर सकता है?

18 वर्ष से अधिक उम्र के स्त्री-पुरुष इस साधना को कर सकते हैं।

4. भोग यक्षिणी मंत्र का लाभ क्या है?

मंत्र से धन, प्रेम, सौंदर्य, और भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।

5. मंत्र साधना के लिए कौन सा समय उपयुक्त है?

संध्या समय या मध्य रात्रि को मंत्र साधना के लिए उत्तम माना जाता है।

6. भोग यक्षिणी मंत्र की साधना कितने दिनों में पूर्ण होती है?

यह साधना 11, 21 या 40 दिनों में पूर्ण की जा सकती है।

7. क्या साधना के लिए किसी विशेष दिशा का चयन करना चाहिए?

साधना के लिए उत्तर-पूर्व दिशा में बैठना शुभ माना जाता है।

8. क्या मंत्र सिद्धि के लिए विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता है?

हाँ, लाल वस्त्र, केसर, घी का दीपक और पुष्प आवश्यक हैं।

9. क्या मंत्र साधना के दौरान कुछ सावधानियां रखनी चाहिए?

साधना के दौरान ब्रह्मचर्य, सात्त्विक भोजन और नियमों का पालन आवश्यक है।

10. क्या मंत्र का जप माला से करना अनिवार्य है?

हाँ, रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग जप के लिए करना चाहिए।

11. क्या भोग यक्षिणी मंत्र तांत्रिक विधि है?

हाँ, यह एक तांत्रिक विधि है, जो यक्षिणी की कृपा प्राप्त करने में सहायक है।

12. मंत्र साधना में विफलता के कारण क्या हो सकते हैं?

सावधानियों का पालन न करना, मन की अशुद्धि या एकाग्रता की कमी साधना में विफलता का कारण बन सकते हैं।

Aishwarya Yakshini Mantra for business

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धन और वैभव के लिए ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र: आर्थिक उन्नति

ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र एक तांत्रिक साधना है जो ऐश्वर्य, धन, समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति के लिए की जाती है। यह मंत्र विशेष रूप से तांत्रिक परंपराओं में महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे यक्षिणी साधना का भाग माना जाता है। यक्षिणी देवी ऐश्वर्य और संपत्ति की देवी मानी जाती हैं और यह मंत्र उनके आह्वान और आशीर्वाद के लिए जपा जाता है।

ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐश्वर्य यक्षिणी नमः।

अर्थ:
इस मंत्र में “ॐ” का उच्चारण ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। “ह्रीं” शक्ति, “श्रीं” लक्ष्मी, “क्लीं” आकर्षण और “नमः” नमस्कार का प्रतीक है। यह मंत्र ऐश्वर्य यक्षिणी देवी को समर्पित है, जो साधक को धन, ऐश्वर्य और सफलता प्रदान करती हैं।

ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. धन और समृद्धि की प्राप्ति।
  2. व्यवसाय में सफलता।
  3. आर्थिक स्थिरता।
  4. उधारी से मुक्ति।
  5. उच्च पद और प्रतिष्ठा।
  6. अनचाहे खर्चों से बचाव।
  7. घर-परिवार में सुख-शांति।
  8. मानसिक शांति और स्थिरता।
  9. वैवाहिक जीवन में सुख।
  10. आकर्षण शक्ति में वृद्धि।
  11. व्यक्तित्व में निखार।
  12. भाग्य वृद्धि।
  13. कठिन परिस्थितियों से मुक्ति।
  14. कर्जों से छुटकारा।
  15. यश और कीर्ति की प्राप्ति।
  16. आध्यात्मिक उन्नति।
  17. आत्मविश्वास में वृद्धि।

ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र जप की विधि

दिन और अवधि:

मंत्र जप किसी शुभ मुहूर्त या शुक्रवार से आरंभ किया जा सकता है। इस साधना को लगातार ११ से २१ दिनों तक किया जा सकता है।

सामग्री:

  • पीला वस्त्र पहनें।
  • कुमकुम, चावल, घी का दीपक, और फूलों से पूजन करें।
  • मंत्र जप के लिए स्फटिक या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।

मंत्र जप संख्या:

रोज ११ माला (११८८ मंत्र) का जाप करें।

मंत्र जप के नियम

  1. साधक की उम्र २० वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  2. स्त्री या पुरुष कोई भी साधना कर सकता है।
  3. नीले या काले वस्त्र न पहनें।
  4. धूम्रपान, शराब, मांसाहार और अन्य नशीली चीज़ों से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप के समय सावधानियां

  1. मंत्र का उच्चारण शुद्ध और सही होना चाहिए।
  2. एकांत स्थान का चयन करें।
  3. मन को एकाग्रचित्त रखें और बाहरी विचलनों से दूर रहें।
  4. किसी भी प्रकार के संदेह या नकारात्मक विचार न रखें।

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ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र क्या है?

उत्तर:यह एक विशेष तांत्रिक मंत्र है, जो ऐश्वर्य और संपत्ति की देवी यक्षिणी का आह्वान करता है। इस मंत्र के माध्यम से साधक धन, वैभव, और आर्थिक उन्नति प्राप्त करता है।

प्रश्न 2: ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र कब जपना चाहिए?

उत्तर:मंत्र का जप शुभ मुहूर्त में आरंभ किया जाना चाहिए। विशेष रूप से शुक्रवार का दिन इस साधना के लिए उत्तम माना जाता है।

प्रश्न 3: मंत्र जप की सही विधि क्या है?

उत्तर:मंत्र जप के लिए एकांत, पवित्र और शुद्ध स्थान चुनें। पीले वस्त्र पहनें और स्फटिक माला का प्रयोग करें। रोजाना ११ माला (११८८ मंत्र) का जप करें।

प्रश्न 4: इस मंत्र के लाभ क्या हैं?

उत्तर:ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र से धन, समृद्धि, सफलता, और यश प्राप्त होते हैं। यह मंत्र कठिन आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।

प्रश्न 5: क्या कोई विशेष वस्त्र पहनना चाहिए?

उत्तर:हाँ, मंत्र जप के दौरान सफेद या पीले वस्त्र पहनना चाहिए। नीले और काले कपड़ों से बचें।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र को कोई भी जप सकता है?

उत्तर:हाँ, २० वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष और महिलाएं, दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

प्रश्न 7: मंत्र जप के दौरान किन चीज़ों से बचना चाहिए?

उत्तर:धूम्रपान, शराब, और मांसाहार से बचें। साथ ही, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 8: क्या कोई विशेष नियम है जिसका पालन करना अनिवार्य है?

उत्तर:ब्रह्मचर्य का पालन, शुद्ध आहार, और शुद्ध विचार मंत्र जप के दौरान अनिवार्य माने जाते हैं।

प्रश्न 9: कितने दिन तक मंत्र जप करना चाहिए?

उत्तर:मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिनों तक होनी चाहिए। नियमितता से जप करना आवश्यक है।

प्रश्न 10: अगर कोई दिन जप न कर पाए तो क्या करें?

उत्तर:यदि किसी दिन जप न कर पाएं तो अगले दिन उस कमी को पूरा करें, लेकिन लगातार साधना को प्राथमिकता दें।

प्रश्न 11: मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर:मंत्र जप के बाद देवी यक्षिणी की आराधना करें और उन्हें धन्यवाद दें।

प्रश्न 12: क्या इस मंत्र के साथ अन्य मंत्रों का जप कर सकते हैं?

उत्तर:साधना के दौरान अन्य मंत्रों का जप न करें। केवल ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र पर ध्यान केंद्रित करें।

इस प्रकार ऐश्वर्य यक्षिणी मंत्र जप का नियमित अभ्यास साधक के जीवन में आर्थिक उन्नति, सुख-समृद्धि, और मानसिक शांति लाता है।ता है। इसके अलावा, शुक्रवार को भी ऐश्वर्य यक्षिणी की पूजा करने से अधिक लाभ हो सकता है।

Vidya Yakshini Mantra for wisdom

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विद्या यक्षिणी मंत्र – ज्ञान, बुद्धिमत्ता और सफलता

विद्या यक्षिणी मंत्र तांत्रिक साधना का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो ज्ञान, शिक्षा और विद्या की प्राप्ति के लिए जपा जाता है। यक्षिणी साधनाओं में विद्या यक्षिणी का विशेष स्थान है क्योंकि वह ज्ञान की देवी मानी जाती हैं। इस मंत्र के माध्यम से साधक को पढ़ाई में सफलता, बुद्धिमत्ता, और मानसिक शांति मिलती है। यह मंत्र विशेष रूप से छात्रों, शोधकर्ताओं और बौद्धिक कार्य करने वालों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं विद्या यक्षिण्यै नमः।

अर्थ:
मंत्र में “ॐ” ब्रह्मांडीय ऊर्जा को दर्शाता है। “ऐं” सरस्वती बीज मंत्र है जो विद्या का प्रतीक है। “ह्रीं” शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, और “श्रीं” ऐश्वर्य और समृद्धि का प्रतीक है। “विद्या यक्षिण्यै नमः” विद्या यक्षिणी देवी के प्रति समर्पण और आशीर्वाद प्राप्ति का संकेत देता है। यह मंत्र साधक के लिए विद्या, बौद्धिक विकास और मानसिक शांति लाने में सहायक होता है।

विद्या यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. ज्ञान और विद्या की प्राप्ति।
  2. पढ़ाई में रुचि और एकाग्रता में वृद्धि।
  3. छात्रों को परीक्षा में सफलता।
  4. बौद्धिक क्षमता में सुधार।
  5. स्मरण शक्ति में वृद्धि।
  6. मानसिक शांति और स्थिरता।
  7. निर्णय लेने की क्षमता का विकास।
  8. शोध कार्यों में सफलता।
  9. नई भाषाओं और कौशलों को सीखने में सहायक।
  10. बुद्धिमत्ता और सूझबूझ में वृद्धि।
  11. जीवन के हर क्षेत्र में स्पष्टता और समझ।
  12. ध्यान और साधना में सफलता।
  13. रचनात्मकता और कल्पनाशक्ति में सुधार।
  14. शिक्षण और अध्ययन में उत्कृष्टता।
  15. संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  16. मानसिक समस्याओं से मुक्ति।
  17. आध्यात्मिक विकास और उन्नति।

मंत्र जप की विधि

मंत्र जप का दिन और अवधि:
इस मंत्र जप की शुरुआत किसी शुभ मुहूर्त या रविवार से की जा सकती है। साधना को नियमित रूप से ११ से २१ दिनों तक किया जाना चाहिए, ताकि मंत्र का पूर्ण लाभ मिल सके।

मंत्र जप की सामग्री:

  • सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनें।
  • धूप, दीप, चंदन, फूलों से पूजा सामग्री तैयार करें।
  • जप के लिए स्फटिक या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।

मंत्र जप संख्या:
रोज ११ माला (११८८ मंत्र) का जाप करें।

मंत्र जप के नियम

  1. साधक की उम्र २० वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष, दोनों इस साधना को कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़ों का प्रयोग न करें।
  4. धूम्रपान, शराब, पान और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें और शुद्ध आहार ग्रहण करें।

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जप के समय सावधानियां

  1. मंत्र का उच्चारण सही और शुद्ध होना चाहिए।
  2. साधना के दौरान मन को एकाग्रचित्त रखें।
  3. साधना को गुप्त रखें और किसी को न बताएं।
  4. जप के समय किसी भी नकारात्मक विचार को मन में न आने दें।

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विद्या यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: विद्या यक्षिणी मंत्र क्या है?

उत्तर:विद्या यक्षिणी मंत्र एक तांत्रिक मंत्र है जो यक्षिणी देवी का आह्वान करता है ताकि साधक को विद्या, ज्ञान, और बौद्धिक क्षमता की प्राप्ति हो सके। यह मंत्र विशेष रूप से छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 2: मंत्र जप कब आरंभ करना चाहिए?

उत्तर:मंत्र जप की शुरुआत किसी शुभ मुहूर्त या रविवार को की जा सकती है। इसे लगातार ११ से २१ दिनों तक करना आवश्यक है।

प्रश्न 3: मंत्र जप की विधि क्या है?

उत्तर:मंत्र जप के लिए साफ सफेद या पीले वस्त्र पहनें। पूजा की सामग्री में धूप, दीप, चंदन और फूलों का उपयोग करें। स्फटिक या रुद्राक्ष की माला से मंत्र का जप करें।

प्रश्न 4: इस मंत्र के लाभ क्या हैं?

उत्तर:विद्या यक्षिणी मंत्र से व्यक्ति को विद्या, ज्ञान, मानसिक शांति, स्मरण शक्ति और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि प्राप्त होती है। छात्रों के लिए यह मंत्र विशेष रूप से प्रभावी है।

प्रश्न 5: क्या विशेष वस्त्र पहनना जरूरी है?

उत्तर:हां, मंत्र जप के दौरान सफेद या पीले वस्त्र पहनना चाहिए। नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।

प्रश्न 6: क्या यह मंत्र स्त्री और पुरुष दोनों जप सकते हैं?

उत्तर:हाँ, यह मंत्र स्त्री और पुरुष, दोनों द्वारा जप किया जा सकता है।

प्रश्न 7: मंत्र जप के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए?

उत्तर:धूम्रपान, शराब, मांसाहार, और अन्य नशीली वस्तुओं से दूर रहें। साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है।

प्रश्न 8: क्या मंत्र जप के समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए?

उत्तर:जी हाँ, मंत्र का उच्चारण सही होना चाहिए। मन को शांत और स्थिर रखें और जप के दौरान बाहरी विकारों से बचें।

प्रश्न 9: मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर:मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिनों तक होनी चाहिए, जिससे साधक को मंत्र का पूरा लाभ मिल सके।

प्रश्न 10: अगर साधना के दौरान कोई बाधा आए तो क्या करें?

उत्तर:अगर साधना के दौरान किसी दिन मंत्र जप न हो पाए, तो अगले दिन उस दिन की कमी को पूरा कर लें। लेकिन कोशिश करें कि साधना को बिना रुके पूरा करें।

प्रश्न 11: मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर:मंत्र जप के बाद विद्या यक्षिणी देवी का आह्वान कर उन्हें धन्यवाद देना चाहिए। पूजा सामग्री को उचित स्थान पर रखकर सफाई रखें।

प्रश्न 12: क्या अन्य मंत्रों के साथ विद्या यक्षिणी मंत्र का जप किया जा सकता है?

उत्तर:नहीं, साधना के दौरान अन्य मंत्रों का जप न करें। केवल विद्या यक्षिणी मंत्र पर ही ध्यान केंद्रित करें।

इस प्रकार, विद्या यक्षिणी मंत्र की साधना नियमित रूप से करने पर व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, विद्या, और बुद्धिमत्ता का विकास होता है। यह मंत्र विशेष रूप से छात्रों और उन लोगों के लिए प्रभावी है जो बौद्धिक क्षेत्र में कार्यरत हैं।र के समय करना उत्तम माना जाता है। इसके अलावा, शुक्रवार को भी विद्या यक्षिणी की पूजा करना शुभ माना जाता है।

Shanti Yakshini mantra for peace & prosperity

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शांति यक्षिणी मंत्र – जीवन में शांति और स्थिरता कैसे पाएं

शुभ कार्शांय मे सफलता देने वाली शांति यक्षिणी एक प्राचीन देवी हैं जिन्हें पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख किया गया है। ये यक्षिणी सुख, शांति, शुभ कार्यों में सफलता और मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए पूजनीय मानी जाती हैं। इनका पूजन करने से व्यक्ति को आत्मिक और मानसिक स्थिरता मिलती हैं और उनकी आत्मा में शांति का अनुभव होता हैं। शांति यक्षिणी मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि लाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता और बाधाओं से मुक्ति चाहते हैं। शांति यक्षिणी देवी एक दिव्य शक्ति हैं जो अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं और उन्हें सभी प्रकार की विपत्तियों से बचाती हैं।

शांति यक्षिणी मंत्र

|| ॐ ह्रीं शांत्यै यक्षिणी नमः ||

विधि

शांति यक्षिणी मंत्र की साधना करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:

  1. स्थान का चयन: साधना के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें।
  2. समय का चयन: प्रातःकाल या संध्याकाल का समय इस साधना के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
  3. स्नान: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  4. आसन: एक साफ आसन पर बैठें।
  5. दीप प्रज्वलित करें: एक दीपक जलाएं और देवी शांति यक्षिणी का ध्यान करें।
  6. मंत्र का उच्चारण: शांति यक्षिणी मंत्र का उच्चारण ध्यान और भक्ति के साथ करें।

सामग्री (समग्री)

  • सफेद वस्त्र
  • चंदन की माला
  • शांति यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र
  • दीपक और तेल
  • कुमकुम और चावल
  • धूप और अगरबत्ती
  • पुष्प और हार
  • शुद्ध जल
  • फल और मिठाई

लाभ

  1. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  2. जीवन में समृद्धि आती है।
  3. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  4. पारिवारिक कलह समाप्त होता है।
  5. कार्यों में सफलता मिलती है।
  6. शत्रु बाधा समाप्त होती है।
  7. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  9. संबंधों में मधुरता आती है।
  10. धन वृद्धि होती है।
  11. शिक्षा में प्रगति होती है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  13. संतान सुख प्राप्त होता है।
  14. अवसाद और तनाव से मुक्ति मिलती है।
  15. कानूनी समस्याओं का समाधान होता है।
  16. घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  17. बाधाओं का निवारण होता है।
  18. जीवन में सकारात्मकता आती है।
  19. व्यापार में सफलता मिलती है।
  20. देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

दिन और अवधि

शांति यक्षिणी मंत्र की साधना किसी भी शुभ दिन प्रारंभ की जा सकती है, जैसे कि सोमवार, शुक्रवार, पूर्णिमा, नवमी, या विशेष पर्व। साधना की अवधि 21 दिन से 40 दिन तक हो सकती है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

सावधानियाँ

  1. मंत्र का उच्चारण शुद्ध उच्चारण के साथ करें।
  2. साधना के समय मन को एकाग्रचित रखें।
  3. साधना के दौरान मांसाहार और मद्यपान से दूर रहें।
  4. नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मक सोच रखें।
  5. साधना के स्थान को स्वच्छ और पवित्र रखें।
  6. साधना के दौरान धैर्य और समर्पण बनाए रखें।
  7. नियमित रूप से मंत्र जाप करें और बीच में व्यवधान न आने दें।

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मंत्र FAQ

शांति यक्षिणी मंत्र क्या है?

ये मंत्र एक दिव्य मंत्र है जो शांति, समृद्धि, और सुख-समृद्धि लाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह मंत्र देवी शांति यक्षिणी की स्तुति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है।

शांति यक्षिणी कौन हैं?

ये यक्षिणी एक दिव्य देवी हैं जो अपने भक्तों को शांति, समृद्धि, और बाधाओं से मुक्ति प्रदान करती हैं। उनकी पूजा और मंत्र जाप से जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है।

शांति यक्षिणी मंत्र का उच्चारण कब करना चाहिए?

इस मंत्र का उच्चारण प्रातःकाल या संध्याकाल में करना सबसे उपयुक्त माना जाता है। किसी शुभ दिन, जैसे कि पूर्णिमा, नवमी, या विशेष पर्व पर इस मंत्र का जाप शुरू करना अधिक लाभकारी होता है।

शांति यक्षिणी मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

आम तौर पर, मंत्र का जाप 108 बार किया जाता है। आप चंदन की माला का उपयोग करके यह संख्या सुनिश्चित कर सकते हैं। जाप की संख्या आपकी श्रद्धा और समय के अनुसार बढ़ाई जा सकती है।

शांति यक्षिणी मंत्र की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?

साधना की अवधि 21 दिन से 40 दिन तक हो सकती है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

शांति यक्षिणी मंत्र जाप के लिए कौन-सी सामग्री आवश्यक है?

इस मंत्र जाप के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • सफेद वस्त्र
  • चंदन की माला
  • शांति यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र
  • दीपक और तेल
  • कुमकुम और चावल
  • धूप और अगरबत्ती
  • पुष्प और हार
  • शुद्ध जल
  • फल और मिठाई

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क्या शांति यक्षिणी मंत्र का जाप किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है?

शांति यक्षिणी मंत्र का जाप किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती। यह मंत्र हर कोई जाप कर सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र या लिंग का हो।

शांति यक्षिणी मंत्र का प्रभाव कितने समय में दिखता है?

मंत्र जाप का प्रभाव व्यक्ति की श्रद्धा, समर्पण, और नियमितता पर निर्भर करता है। कुछ लोगों को शीघ्र ही लाभ मिलता है, जबकि कुछ को समय लग सकता है। धैर्य और विश्वास बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

शांति यक्षिणी मंत्र की साधना करने से जीवन में अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यह मंत्र न केवल मानसिक शांति और समृद्धि लाता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सुख-शांति प्रदान करता है। इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करने से देवी शांति यक्षिणी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।

Dhana Yakshini Mantra for wealth

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धन संपत्ति बढाने वाली धन यक्षिणी को धन की प्राप्ति और संरक्षण के लिए पूजा जाता है। यह यक्षिणी धन, संपत्ति, और आर्थिक स्थिरता की प्राप्ति में सहायक होती हैं। इसकी पूजा करने से धन की वृद्धि होती है और आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है। धन यक्षिणी मंत्र एक प्राचीन और शक्तिशाली मंत्र है जिसे विशेष रूप से आर्थिक समृद्धि और धन प्राप्ति के लिए जाप किया जाता है। धन यक्षिणी देवी को संपत्ति और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती और उसे सभी प्रकार की आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

धन यक्षिणी मंत्र

|| ॐ ह्रीं धन यक्षिणी मम गृहे आगच्छ आगच्छ नमः ||

विधि

धन यक्षिणी मंत्र की साधना करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:

  1. स्थान का चयन: साधना के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
  2. समय का चयन: साधना का सर्वोत्तम समय रात्रि का होता है, विशेषकर मध्यरात्रि के समय।
  3. स्नान: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  4. आसन: एक साफ और पवित्र आसन पर बैठें।
  5. दीप प्रज्वलित करें: देवी धन यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  6. मंत्र का उच्चारण: ध्यान और भक्ति के साथ मंत्र का जाप करें।

सामग्री

  • लाल वस्त्र
  • रुद्राक्ष की माला
  • धन यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र
  • दीपक और तेल
  • कुमकुम और चावल
  • धूप और अगरबत्ती
  • लाल पुष्प और हार
  • शुद्ध जल
  • फल और मिठाई
  • गुड़ और घी

लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  2. धन के स्रोत बढ़ते हैं।
  3. व्यापार में वृद्धि होती है।
  4. नौकरी में तरक्की मिलती है।
  5. निवेश से लाभ प्राप्त होता है।
  6. परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  7. ऋण से मुक्ति मिलती है।
  8. संपत्ति में वृद्धि होती है।
  9. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  10. नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  11. स्थायी आय के स्रोत विकसित होते हैं।
  12. भाग्य में सुधार होता है।
  13. सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है।
  14. कानूनी विवादों से मुक्ति मिलती है।
  15. सफलता के अवसर बढ़ते हैं।
  16. जीवन में स्थिरता आती है।
  17. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  18. रिश्तों में मधुरता आती है।
  19. लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।
  20. देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

दिन और अवधि

धन यक्षिणी मंत्र की साधना किसी भी शुभ दिन प्रारंभ की जा सकती है, जैसे कि पूर्णिमा, अमावस्या, या विशेष पर्व। साधना की अवधि 21 दिन से 40 दिन तक हो सकती है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।धन यक्षिणी की पूजा को शुक्रवार को किया जा सकता है, क्योंकि शुक्रवार धन और संपत्ति के देवता शुक्र को समर्पित होता है।

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मंत्र सावधानियाँ

  1. मंत्र का उच्चारण शुद्ध उच्चारण के साथ करें।
  2. साधना के समय मन को एकाग्रचित रखें।
  3. साधना के दौरान मांसाहार और मद्यपान से दूर रहें।
  4. नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मक सोच रखें।
  5. साधना के स्थान को स्वच्छ और पवित्र रखें।
  6. साधना के दौरान धैर्य और समर्पण बनाए रखें।
  7. नियमित रूप से मंत्र जाप करें और बीच में व्यवधान न आने दें।

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मंत्र FAQ

धन यक्षिणी मंत्र क्या है?

ये एक प्राचीन और शक्तिशाली मंत्र है जिसे आर्थिक समृद्धि और धन प्राप्ति के लिए जाप किया जाता है। यह मंत्र देवी धन यक्षिणी की स्तुति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है।

धन यक्षिणी कौन हैं?

ये एक दिव्य देवी हैं जो अपने भक्तों को धन, समृद्धि, और आर्थिक स्थिरता प्रदान करती हैं। उनकी पूजा और मंत्र जाप से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

धन यक्षिणी मंत्र का उच्चारण कब करना चाहिए?

इस मंत्र का उच्चारण रात्रि के समय, विशेषकर मध्यरात्रि के समय करना सबसे उपयुक्त माना जाता है। किसी शुभ दिन, जैसे कि पूर्णिमा, अमावस्या, या विशेष पर्व पर इस मंत्र का जाप शुरू करना अधिक लाभकारी होता है।

धन यक्षिणी मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

आम तौर पर, मंत्र का जाप 108 बार किया जाता है। आप रुद्राक्ष की माला का उपयोग करके यह संख्या सुनिश्चित कर सकते हैं। जाप की संख्या आपकी श्रद्धा और समय के अनुसार बढ़ाई जा सकती है।

धन यक्षिणी मंत्र की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?

साधना की अवधि 21 दिन से 40 दिन तक हो सकती है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

क्या धन यक्षिणी मंत्र का जाप किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है?

धन यक्षिणी मंत्र का जाप किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती। यह मंत्र हर कोई जाप कर सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र या लिंग का हो।

धन यक्षिणी मंत्र का प्रभाव कितने समय में दिखता है?

मंत्र जाप का प्रभाव व्यक्ति की श्रद्धा, समर्पण, और नियमितता पर निर्भर करता है। कुछ लोगों को शीघ्र ही लाभ मिलता है, जबकि कुछ को समय लग सकता है। धैर्य और विश्वास बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

क्या इस मंत्र का जाप करने से किसी प्रकार की हानि हो सकती है?

धन यक्षिणी मंत्र का जाप करने से कोई हानि नहीं होती, यदि इसे सही विधि और सावधानियों के साथ किया जाए। मंत्र जाप के दौरान शुद्धता, श्रद्धा, और समर्पण का ध्यान रखना आवश्यक है।

क्या इस मंत्र का जाप करने से केवल आर्थिक लाभ होते हैं?

धन यक्षिणी मंत्र का जाप करने से मुख्य रूप से आर्थिक लाभ होते हैं, लेकिन इसके साथ ही मानसिक शांति, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति, और जीवन में स्थिरता भी प्राप्त होती है।

क्या साधना के दौरान अन्य मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है?

धन यक्षिणी मंत्र की साधना के दौरान, यदि आपको समय और सामर्थ्य हो, तो आप अन्य मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं, लेकिन मुख्य रूप से धन यक्षिणी मंत्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष दिशा में बैठकर करना चाहिए?

इस मंत्र का जाप उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना सबसे उपयुक्त माना जाता है।

क्या मंत्र जाप के लिए किसी गुरु की आवश्यकता होती है?

यदि संभव हो तो किसी योग्य गुरु से मंत्र दीक्षा लेकर जाप करना अधिक लाभकारी होता है, लेकिन यदि गुरु उपलब्ध न हो तो स्वाध्याय और समर्पण के साथ भी मंत्र जाप किया जा सकता है।

क्या इस मंत्र का जाप करने से परिवार के अन्य सदस्यों को भी लाभ होता है?

हाँ, इस मंत्र का जाप करने से न केवल साधक को बल्कि उसके परिवार के अन्य सदस्यों को भी लाभ होता है। परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

क्या साधना के दौरान किसी प्रकार का व्रत रखना चाहिए?

साधना के दौरान यदि संभव हो तो सात्विक व्रत रखना लाभकारी होता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।

क्या इस मंत्र का जाप करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है?

धन यक्षिणी मंत्र का जाप करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और साधक को सभी प्रकार की नकारात्मकता से सुरक्षा मिलती है।

क्या इस मंत्र का जाप करने से स्वास्थ्य में भी सुधार होता है?

मुख्य रूप से यह मंत्र आर्थिक समृद्धि के लिए है, लेकिन समृद्धि के साथ मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा के कारण स्वास्थ्य में भी सुधार हो सकता है।

क्या इस मंत्र का जाप करने से जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सफलता मिलती है?

हाँ, धन यक्षिणी मंत्र का जाप करने से आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सफलता और स्थिरता मिलती है।

धन यक्षिणी मंत्र की साधना से आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करने से देवी धन यक्षिणी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली सभी प्रकार की आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है। इस साधना को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करने से जीवन में स्थिरता और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

Ucchishta Yakshini Mantra- Fulfil Wishes

Ucchishta Yakshini Mantra- Fulfil Wishes

अलौकिक शक्ति के साथ नंत्र के प्रभाव को नष्ट करने वाली उच्छिष्ट यक्षिणी एक प्राचीन तंत्रिक देवी हैं जिन्हें उच्छिष्ट माता भी कहा जाता है कि उच्छिष्ट यक्षिणी का साधना करने से साधक के परिवार, ब्यापार को सुरक्षा मिलती है। इस साधना को झूठे मुंह किया जाता है.

उच्छिष्ट यक्षिणी एक प्रमुख तंत्रिका देवी हैं जो विशेष रूप से भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, और धन के आकर्षण में मदद करती हैं। उनकी पूजा और मंत्र जाप से व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं। इनके मंत्र का जप मुंह मे लौंग रखकर किया जाता है।

मंत्र और उसका अर्थ

॥ॐ ह्रीं उच्छिष्टायै यक्षिण्यै स्वाहा ॥

मंत्र का अर्थ:

  • : यह ब्रह्मा, विष्णु, शिव, और सृष्टि के समग्र ऊर्जा का प्रतीक है।
  • ह्रीं: यह बीज मंत्र उच्छिष्ट यक्षिणी की शक्ति को सक्रिय करता है और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
  • उच्छिष्टायै: इसका अर्थ है “जो अपनी शक्ति से जीवन में उन्नति लाती हैं”।
  • यक्षिण्यै: यक्षिणी, एक देवी, जो धन, सुख और समृद्धि का वरदान देती हैं।
  • स्वाहा: इसका अर्थ है “प्रणाम” या “अर्पण”।

इस मंत्र का अर्थ है: “ॐ (सर्वशक्तिमान ऊर्जा), ह्रीं (उच्छिष्ट यक्षिणी की शक्ति), उच्छिष्टायै (जो उन्नति लाती हैं), यक्षिण्यै (धन और सुख की देवी), मैं आपको प्रणाम करता हूँ।”

उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. भौतिक सुख: उच्छिष्ट यक्षिणी की पूजा से भौतिक सुख और आराम प्राप्त होता है।
  2. कार्य सिद्धि: किसी भी कार्य को सफल बनाने में मदद करती हैं।
  3. धन का आकर्षण: धन और समृद्धि को आकर्षित करती हैं।
  4. सुख समृद्धि: जीवन में सुख और समृद्धि लाती हैं।
  5. शत्रु बाधा: शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करती हैं और बाधाओं को दूर करती हैं।
  6. तंत्र बाधा: तंत्रिक बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
  7. बुरी आर्थिक स्थिति से राहत: आर्थिक समस्याओं का समाधान करती हैं।
  8. मनोकामना पूर्ति: आपकी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
  9. गृहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति लाती हैं।
  10. विवाहित जीवन में सुधार: विवाहित जीवन को खुशहाल बनाती हैं।
  11. जीवनसाथी के साथ संबंध मजबूत: जीवनसाथी के साथ संबंधों को मजबूत करती हैं।
  12. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं।
  13. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती हैं।
  14. सफलता: जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
  15. संतान सुख: संतान सुख प्राप्त करने में सहायक होती हैं।
  16. बुद्धि में वृद्धि: बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  17. शारीरिक शक्ति: शारीरिक ताकत और ऊर्जा को बढ़ाती हैं।
  18. संकटों का नाश: जीवन में आने वाले संकटों को दूर करती हैं।
  19. आर्थिक उन्नति: आर्थिक स्थिति में सुधार करती हैं।
  20. मनोवैज्ञानिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करती हैं।

उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

  1. शुद्ध जल: अभिषेक के लिए।
  2. गंगाजल: विशेष पूजन के लिए।
  3. फूल: देवी को अर्पित करने के लिए।
  4. पान के पत्ते: पूजा में शामिल करने के लिए।
  5. धूप: वातावरण को पवित्र करने के लिए।
  6. दीपक: पूजा में दीप प्रज्वलित करने के लिए।
  7. चंदन: तिलक के लिए।
  8. दूध: अभिषेक के लिए।
  9. दही: अभिषेक के लिए।
  10. घी: दीपक जलाने के लिए।
  11. शहद: अभिषेक के लिए।
  12. फ्रूट्स और मिठाई: प्रसाद के रूप में अर्पित करने के लिए।
  13. रुद्राक्ष माला: जाप के लिए।

मंत्र मुहूर्त, दिन और अवधि

  • मुहूर्त: उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र का जाप प्रातः काल या संध्या काल में करना श्रेष्ठ होता है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इस मंत्र का जाप अधिक प्रभावी माना जाता है।
  • दिन: मंगलवार, शनिवार, और पूर्णिमा विशेष दिन होते हैं।
  • अवधि: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। इसे रुद्राक्ष माला से किया जा सकता है।

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उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र सावधानियाँ

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शरीर और मन की शुद्धता आवश्यक है।
  2. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करना चाहिए।
  3. सात्विक आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  4. मन की एकाग्रता: मंत्र जाप के समय मन को एकाग्र रखें।
  5. शुद्ध स्थान: साफ और पवित्र स्थान पर बैठकर मंत्र जाप करें।
  6. श्रद्धा और विश्वास: मंत्र जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।

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उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र FAQ

1. उच्छिष्ट यक्षिणी कौन हैं?

उच्छिष्ट यक्षिणी एक प्रमुख तंत्रिका देवी हैं, जो विशेष रूप से भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, धन का आकर्षण और समृद्धि लाने के लिए पूजी जाती हैं।

2. उच्छिष्ट यक्षिणी का मंत्र क्या है?

उच्छिष्ट यक्षिणी का मंत्र है: “॥ॐ ह्रीं उच्छिष्टायै यक्षिण्यै स्वाहा ॥”

3. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

इस मंत्र का जाप प्रातः काल या संध्या काल में करना श्रेष्ठ होता है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इसका जाप अधिक प्रभावी माना जाता है।

4. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र का क्या लाभ है?

इस मंत्र से भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, धन का आकर्षण, सुख-समृद्धि, शत्रु बाधा, तंत्र बाधा, बुरी आर्थिक स्थिति से राहत, मनोकामना पूर्ति, गृहस्थ सुख, विवाहित जीवन में सुधार, और जीवनसाथी के साथ संबंध मजबूत होते हैं।

5. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए?

मंत्र का जाप शुद्ध और पवित्र स्थान पर, शुद्ध मन और शरीर के साथ करना चाहिए। इसे रुद्राक्ष माला से 108 बार जाप करें।

6. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र के जाप में किन वस्तुओं की आवश्यकता होती है?

शुद्ध जल, गंगाजल, फूल, पान के पत्ते, धूप, दीपक, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, फल, मिठाई, और रुद्राक्ष माला।

7. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

कोई भी व्यक्ति जो श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करना चाहता है, इस मंत्र का जाप कर सकता है।

8. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र के जाप के लिए विशेष दिन कौन से होते हैं?

मंगलवार, शनिवार, और पूर्णिमा विशेष दिन होते हैं।

9. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र के जाप के समय कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?

शुद्धता, नियमितता, सात्विक आहार, मन की एकाग्रता, शुद्ध स्थान, और श्रद्धा व विश्वास।

10. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र से पापों की मुक्ति होती है?

हाँ, इस मंत्र के जाप से पापों की मुक्ति प्राप्त होती है।

11. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र से मोक्ष प्राप्ति संभव है?

इस मंत्र से मोक्ष प्राप्ति के द्वार खुल सकते हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से भौतिक और मानसिक जीवन में लाभकारी है।

12. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र से भौतिक जीवन में क्या लाभ होता है?

इस मंत्र से भौतिक जीवन में सुख, समृद्धि, और कार्य सिद्धि प्राप्त होती है।

13. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र से आर्थिक उन्नति कैसे होती है?

इस मंत्र से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और बुरी आर्थिक स्थिति से राहत मिलती है।

14. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र से गृहस्थ जीवन में क्या लाभ होता है?

गृहस्थ जीवन में सुख और शांति प्राप्त होती है और विवाहित जीवन में सुधार होता है।

15. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र से जीवनसाथी के साथ संबंध कैसे मजबूत होते हैं?

मंत्र के जाप से जीवनसाथी के साथ संबंध बेहतर होते हैं और आपसी समझ में वृद्धि होती है।

16. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र से स्वास्थ्य पर क्या असर होता है?

यह मंत्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

17. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र से सकारात्मक ऊर्जा कैसे प्राप्त होती है?

मंत्र के जाप से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और नकारात्मकता दूर होती है।

18. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र के जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।

19. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र से जीवन में क्या संकट दूर होते हैं?

इस मंत्र से जीवन में आने वाले संकटों और समस्याओं का नाश होता है।

20. उच्छिष्ट यक्षिणी मंत्र के जाप के लिए कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?

शुद्ध जल, गंगाजल, फूल, पान के पत्ते, धूप, दीपक, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, फल, मिठाई, और रुद्राक्ष माला की आवश्यकता होती है।

अंत मे

उच्छिष्ट यक्षिणी की पूजा और उनके मंत्र का जाप भौतिक जीवन में सुख, समृद्धि, और कार्य सिद्धि प्राप्त करने में अत्यंत सहायक होता है। यह पूजा धन का आकर्षण, आर्थिक उन्नति, और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करने में भी प्रभावी है। उच्छिष्ट यक्षिणी के विशेष रूप से भौतिक और मानसिक जीवन में लाए जाने वाले लाभ व्यक्ति को सकारात्मक और सुखमय जीवन जीने में मदद करते हैं।

Graha Yakshini Mantra for Navgrah Shanti

Graha Yakshini Mantra for Navgrah Shanti

नवग्रहो को शांत करने वाली ग्रह यक्षिणी एक महत्वपूर्ण देवी हैं, जो विशेष रूप से नवग्रह दोष मुक्ति, भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, और धन के आकर्षण में मदद करती हैं। उनकी पूजा और मंत्र जाप से व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। इस लेख में हम ग्रह यक्षिणी की पूजा विधि, उनके मंत्र का अर्थ, लाभ और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

ग्रह यक्षिणी मंत्र और उसका अर्थ

ग्रह यक्षिणी का मंत्र है:

॥ॐ ह्रीं नवग्रहाय यक्षिणी नमः ॥ OM HREEM NAVGRAHAAY YAKSHINI NAMAHA

मंत्र का अर्थ:

  • : यह ब्रह्मा, विष्णु, शिव, और सृष्टि के समग्र ऊर्जा का प्रतीक है।
  • ह्रीं: यह बीज मंत्र ग्रह यक्षिणी की शक्ति को सक्रिय करता है और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
  • नवग्रहाय: नवग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु) का संदर्भ है।
  • यक्षिणी: यक्षिणी, एक देवी, जो धन, सुख और समृद्धि का वरदान देती हैं।
  • नमः: इसका अर्थ है “प्रणाम” या “अर्पण”।

इस मंत्र का अर्थ है: “ॐ (सर्वशक्तिमान ऊर्जा), ह्रीं (ग्रह यक्षिणी की शक्ति), नवग्रहाय (नवग्रहों के नियंत्रण की देवी), यक्षिणी (धन और सुख की देवी), मैं आपको प्रणाम करता हूँ।”

ग्रह यक्षिणी मंत्र के लाभ

  1. भौतिक सुख: ग्रह यक्षिणी की पूजा से भौतिक सुख और आराम प्राप्त होता है।
  2. कार्य सिद्धि: किसी भी कार्य को सफल बनाने में मदद करती हैं।
  3. धन का आकर्षण: धन और समृद्धि को आकर्षित करती हैं।
  4. सुख समृद्धि: जीवन में सुख और समृद्धि लाती हैं।
  5. नवग्रह दोष मुक्ति: नवग्रह दोषों से मुक्ति प्रदान करती हैं।
  6. तंत्र बाधा: तंत्रिक बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
  7. बुरी आर्थिक स्थिति से राहत: आर्थिक समस्याओं का समाधान करती हैं।
  8. मनोकामना पूर्ति: आपकी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
  9. गृहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति लाती हैं।
  10. विवाहित जीवन में सुधार: विवाहित जीवन को खुशहाल बनाती हैं।
  11. जीवनसाथी के साथ संबंध मजबूत: जीवनसाथी के साथ संबंधों को मजबूत करती हैं।
  12. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं।
  13. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती हैं।
  14. सफलता: जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
  15. संतान सुख: संतान सुख प्राप्त करने में सहायक होती हैं।
  16. बुद्धि में वृद्धि: बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  17. शारीरिक शक्ति: शारीरिक ताकत और ऊर्जा को बढ़ाती हैं।
  18. संकटों का नाश: जीवन में आने वाले संकटों को दूर करती हैं।
  19. आर्थिक उन्नति: आर्थिक स्थिति में सुधार करती हैं।
  20. मनोवैज्ञानिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करती हैं।

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

  1. शुद्ध जल: अभिषेक के लिए।
  2. गंगाजल: विशेष पूजन के लिए।
  3. फूल: देवी को अर्पित करने के लिए।
  4. पान के पत्ते: पूजा में शामिल करने के लिए।
  5. धूप: वातावरण को पवित्र करने के लिए।
  6. दीपक: पूजा में दीप प्रज्वलित करने के लिए।
  7. चंदन: तिलक के लिए।
  8. दूध: अभिषेक के लिए।
  9. दही: अभिषेक के लिए।
  10. घी: दीपक जलाने के लिए।
  11. शहद: अभिषेक के लिए।
  12. फ्रूट्स और मिठाई: प्रसाद के रूप में अर्पित करने के लिए।
  13. रुद्राक्ष माला: जाप के लिए।

मुहूर्त, दिन और अवधि

  • मुहूर्त: ग्रह यक्षिणी मंत्र का जाप प्रातः काल या संध्या काल में करना श्रेष्ठ होता है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इस मंत्र का जाप अधिक प्रभावी माना जाता है।
  • दिन: मंगलवार, शनिवार, और पूर्णिमा विशेष दिन होते हैं।
  • अवधि: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। इसे रुद्राक्ष माला से किया जा सकता है।

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ग्रह यक्षिणी मंत्र सावधानियाँ

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शरीर और मन की शुद्धता आवश्यक है।
  2. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करना चाहिए।
  3. सात्विक आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  4. मन की एकाग्रता: मंत्र जाप के समय मन को एकाग्र रखें।
  5. शुद्ध स्थान: साफ और पवित्र स्थान पर बैठकर मंत्र जाप करें।
  6. श्रद्धा और विश्वास: मंत्र जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।

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ग्रह यक्षिणी मंत्र FAQ

1. ग्रह यक्षिणी कौन हैं?

ग्रह यक्षिणी एक प्रमुख तांत्रिक देवी हैं, जो विशेष रूप से नवग्रह दोष मुक्ति, भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, और धन के आकर्षण में मदद करती हैं।

2. ग्रह यक्षिणी का मंत्र क्या है?

ग्रह यक्षिणी का मंत्र है: “॥ॐ ह्रीं नवग्रहाय यक्षिणी नमः ॥”

3. ग्रह यक्षिणी मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

इस मंत्र का जाप प्रातः काल या संध्या काल में करना श्रेष्ठ होता है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इसका जाप अधिक प्रभावी माना जाता है।

4. ग्रह यक्षिणी मंत्र का क्या लाभ है?

इस मंत्र से भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, धन का आकर्षण, सुख-समृद्धि, नवग्रह दोष मुक्ति, तंत्र बाधा, बुरी आर्थिक स्थिति से राहत, मनोकामना पूर्ति, गृहस्थ सुख, विवाहित जीवन में सुधार, और जीवनसाथी के साथ संबंध मजबूत होते हैं।

5. ग्रह यक्षिणी मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए?

मंत्र का जाप शुद्ध और पवित्र स्थान पर, शुद्ध मन और शरीर के साथ करना चाहिए। इसे रुद्राक्ष माला से 108 बार जाप करें।

6. ग्रह यक्षिणी मंत्र के जाप में किन वस्तुओं की आवश्यकता होती है?

शुद्ध जल, गंगाजल, फूल, पान के पत्ते, धूप, दीपक, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, फल, मिठाई, और रुद्राक्ष माला।

7. ग्रह यक्षिणी मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करना चाहता है, इस मंत्र का जाप कर सकता है।

8. ग्रह यक्षिणी मंत्र के जाप के लिए विशेष दिन कौन से होते हैं?

मंगलवार, शनिवार, और पूर्णिमा विशेष दिन होते हैं।

9. ग्रह यक्षिणी मंत्र के जाप के समय कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?

शुद्धता, नियमितता, सात्विक आहार, मन की एकाग्रता, शुद्ध स्थान, और श्रद्धा व विश्वास।

10. ग्रह यक्षिणी मंत्र से पापों की मुक्ति होती है?

हाँ, इस मंत्र के जाप से पापों की मुक्ति प्राप्त होती है।

11. ग्रह यक्षिणी मंत्र से मोक्ष प्राप्ति संभव है?

इस मंत्र से मोक्ष प्राप्ति के द्वार खुल सकते हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से भौतिक और मानसिक जीवन में लाभकारी है।

12. ग्रह यक्षिणी मंत्र से भौतिक जीवन में क्या लाभ होता है?

इस मंत्र से भौतिक जीवन में सुख, समृद्धि, और कार्य सिद्धि प्राप्त होती है।

13. ग्रह यक्षिणी मंत्र से आर्थिक उन्नति कैसे होती है?

इस मंत्र से आर्थिक स्थिति

में सुधार होता है और बुरी आर्थिक स्थिति से राहत मिलती है।

14. ग्रह यक्षिणी मंत्र से गृहस्थ जीवन में क्या लाभ होता है?

गृहस्थ जीवन में सुख और शांति प्राप्त होती है और विवाहित जीवन में सुधार होता है।

15. ग्रह यक्षिणी मंत्र से जीवनसाथी के साथ संबंध कैसे मजबूत होते हैं?

मंत्र के जाप से जीवनसाथी के साथ संबंध बेहतर होते हैं और आपसी समझ में वृद्धि होती है।

16. ग्रह यक्षिणी मंत्र से स्वास्थ्य पर क्या असर होता है?

यह मंत्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

17. ग्रह यक्षिणी मंत्र से सकारात्मक ऊर्जा कैसे प्राप्त होती है?

मंत्र के जाप से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और नकारात्मकता दूर होती है।

18. ग्रह यक्षिणी मंत्र के जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।

19. ग्रह यक्षिणी मंत्र से जीवन में क्या संकट दूर होते हैं?

इस मंत्र से जीवन में आने वाले संकटों और समस्याओं का नाश होता है।

20. ग्रह यक्षिणी मंत्र के जाप के लिए कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?

शुद्ध जल, गंगाजल, फूल, पान के पत्ते, धूप, दीपक, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, फल, मिठाई, और रुद्राक्ष माला की आवश्यकता होती है।

अंत मे

ग्रह यक्षिणी की पूजा और उनके मंत्र का जाप भौतिक जीवन में सुख, समृद्धि, और कार्य सिद्धि प्राप्त करने में अत्यंत सहायक होता है। यह पूजा धन का आकर्षण, आर्थिक उन्नति, और नवग्रह दोषों से मुक्ति प्रदान करने में भी प्रभावी है। ग्रह यक्षिणी के विशेष रूप से भौतिक और मानसिक जीवन में लाए जाने वाले लाभ व्यक्ति को सकारात्मक और सुखमय जीवन जीने में मदद करते हैं।

Kamakshi Yakshini Mantra for Antiaging

Kamakshi Yakshini Mantra for Antiaging

ग्रहस्थ जीवन को सुखमय बनाने वाली कामाक्षी यक्षिणी एक प्राचीन देवी हैं, जो समृद्धि, सौभाग्य, और सुख-शांति की प्राप्ति में सहायक मानी जाती हैं। इन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्तों को उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए और उनके मंत्र का जाप करना चाहिए। कामाक्षी यक्षिणी का ध्यान और पूजन विशेष रूप से धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति में मदद कर सकता है।

कामाक्षी यक्षिणी भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, और आकर्षण शक्ति में मदद करती हैं। उनका मंत्र जाप और पूजा विधि से व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।

कामाक्षी यक्षिणी मंत्र और उसका अर्थ

॥ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कामाक्ष्यै यक्षिण्यै स्वाहा॥

मंत्र का अर्थ:

  • : यह ब्रह्मांड की समग्र ऊर्जा का प्रतीक है।
  • ह्रीं: यह बीज मंत्र शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
  • श्रीं: यह धन, समृद्धि और सौभाग्य का बीज मंत्र है।
  • क्लीं: यह आकर्षण और प्रेम का बीज मंत्र है।
  • कामाक्ष्यै: कामाक्षी यक्षिणी का नाम है, जो इच्छाओं को पूरा करती हैं।
  • यक्षिण्यै: यक्षिणी, एक देवी जो धन, सुख और समृद्धि का वरदान देती हैं।
  • स्वाहा: इसका अर्थ है “अर्पण” या “समर्पण”।

इस मंत्र का अर्थ है: “ (सर्वशक्तिमान ऊर्जा), ह्रीं (शक्ति), श्रीं (समृद्धि), क्लीं (आकर्षण), कामाक्ष्यै (इच्छाओं को पूरा करने वाली देवी), यक्षिण्यै (धन और सुख की देवी), मैं आपको अर्पण करता हूँ।”

लाभ

  1. भौतिक सुख: कामाक्षी यक्षिणी की पूजा से भौतिक सुख और आराम प्राप्त होता है।
  2. कार्य सिद्धि: किसी भी कार्य को सफल बनाने में मदद करती हैं।
  3. धन का आकर्षण: धन और समृद्धि को आकर्षित करती हैं।
  4. आकर्षण शक्ति: आकर्षण और मोहिनी शक्ति को बढ़ाती हैं।
  5. बुढ़ापे को रोकना: बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करती हैं।
  6. चेहरे पर तेज बढ़ाना: चेहरे पर तेज और आकर्षण बढ़ाती हैं।
  7. यौवन शक्ति: यौवन शक्ति और ताजगी को बनाए रखती हैं।
  8. पौरुष शक्ति: शारीरिक और मानसिक ताकत को बढ़ाती हैं।
  9. मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान बढ़ाती हैं।
  10. मनोकामना पूर्ति: आपकी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
  11. गृहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति लाती हैं।
  12. विवाहित जीवन में सुधार: विवाहित जीवन को खुशहाल बनाती हैं।
  13. जीवनसाथी के साथ संबंध मजबूत: जीवनसाथी के साथ संबंधों को मजबूत करती हैं।
  14. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं।
  15. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती हैं।
  16. सफलता: जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
  17. संतान सुख: संतान सुख प्राप्त करने में सहायक होती हैं।
  18. बुद्धि में वृद्धि: बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  19. संकटों का नाश: जीवन में आने वाले संकटों को दूर करती हैं।
  20. आर्थिक उन्नति: आर्थिक स्थिति में सुधार करती हैं।

आवश्यक सामग्री

  1. शुद्ध जल: अभिषेक के लिए।
  2. गंगाजल: विशेष पूजन के लिए।
  3. फूल: देवी को अर्पित करने के लिए।
  4. पान के पत्ते: पूजा में शामिल करने के लिए।
  5. धूप: वातावरण को पवित्र करने के लिए।
  6. दीपक: पूजा में दीप प्रज्वलित करने के लिए।
  7. चंदन: तिलक के लिए।
  8. दूध: अभिषेक के लिए।
  9. दही: अभिषेक के लिए।
  10. घी: दीपक जलाने के लिए।
  11. शहद: अभिषेक के लिए।
  12. फ्रूट्स और मिठाई: प्रसाद के रूप में अर्पित करने के लिए।
  13. रुद्राक्ष माला: जाप के लिए।

मुहूर्त, दिन और अवधि

  • मुहूर्त: कामाक्षी यक्षिणी मंत्र का जाप प्रातः काल या संध्या काल में करना श्रेष्ठ होता है। विशेष रूप से शुक्रवार को इस मंत्र का जाप अधिक प्रभावी माना जाता है।
  • दिन: शुक्रवार, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन विशेष माने जाते हैं।
  • अवधि: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। इसे रुद्राक्ष माला से किया जा सकता है।

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कामाक्षी यक्षिणी सावधानियाँ

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शरीर और मन की शुद्धता आवश्यक है।
  2. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करना चाहिए।
  3. सात्विक आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  4. मन की एकाग्रता: मंत्र जाप के समय मन को एकाग्र रखें।
  5. शुद्ध स्थान: साफ और पवित्र स्थान पर बैठकर मंत्र जाप करें।
  6. श्रद्धा और विश्वास: मंत्र जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।

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कामाक्षी यक्षिणी FAQ

1. कामाक्षी यक्षिणी कौन हैं?

कामाक्षी यक्षिणी एक प्रमुख तांत्रिक देवी हैं, जो विशेष रूप से भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, और आकर्षण शक्ति में मदद करती हैं।

2. कामाक्षी यक्षिणी का मंत्र क्या है?

कामाक्षी यक्षिणी का मंत्र है: “॥ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कामाक्ष्यै यक्षिण्यै स्वाहा॥”

3. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

इस मंत्र का जाप प्रातः काल या संध्या काल में करना श्रेष्ठ होता है। विशेष रूप से शुक्रवार को इसका जाप अधिक प्रभावी माना जाता है।

4. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र का क्या लाभ है?

इस मंत्र से भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, धन का आकर्षण, आकर्षण शक्ति, बुढ़ापे को रोकना, चेहरे पर तेज बढ़ाना, यौवन शक्ति, पौरुष शक्ति, मान-सम्मान, मनोकामना पूर्ति, गृहस्थ सुख, विवाहित जीवन में सुधार, और जीवनसाथी के साथ संबंध मजबूत होते हैं।

5. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए?

मंत्र का जाप शुद्ध और पवित्र स्थान पर, शुद्ध मन और शरीर के साथ करना चाहिए। इसे रुद्राक्ष माला से 108 बार जाप करें।

6. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र के जाप में किन वस्तुओं की आवश्यकता होती है?

शुद्ध जल, गंगाजल, फूल, पान के पत्ते, धूप, दीपक, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, फल, मिठाई, और रुद्राक्ष माला।

7. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करना चाहता है, इस मंत्र का जाप कर सकता है।

8. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र के जाप के लिए विशेष दिन कौन से होते हैं?

शुक्रवार, पूर्णिमा और अमावस्या विशेष दिन होते हैं।

9. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र के जाप के समय कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?

शुद्धता, नियमितता, सात्विक आहार, मन की एकाग्रता, शुद्ध स्थान, और श्रद्धा व विश्वास।

10. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से पापों की मुक्ति होती है?

हाँ, इस मंत्र के जाप से पापों की मुक्ति प्राप्त होती है।

11. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से मोक्ष प्राप्ति संभव है?

इस मंत्र से मोक्ष प्राप्ति के द्वार खुल सकते हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से भौतिक और मानसिक जीवन में लाभकारी है।

12. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से आर्थिक उन्नति कैसे होती है?

इस मंत्र का जाप करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन का आकर्षण होता है।

13. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से क्या संतान सुख प्राप्त होता है?

हाँ, इस मंत्र के जाप से संतान सुख प्राप्त किया जा सकता है।

14. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से स्वास्थ्य कैसे बेहतर होता है?

मंत्र के जाप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

15. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से घर में शांति कैसे आती है?

मंत्र का जाप घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है, जिससे शांति और सुख की स्थापना होती है।

16. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से क्या बुढ़ापे की प्रक्रिया धीमी हो सकती है?

हाँ, इस मंत्र का जाप करने से बुढ़ापे की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।

17. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से चेहरे पर तेज कैसे बढ़ता है?

मंत्र का जाप करने से चेहरे पर प्राकृतिक तेज और आकर्षण बढ़ता है।

18. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से यौवन शक्ति कैसे बढ़ती है?

इस मंत्र का जाप यौवन शक्ति और ताजगी को बनाए रखता है।

19. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से पौरुष शक्ति कैसे बढ़ती है?

मंत्र के नियमित जाप से शारीरिक और मानसिक ताकत में वृद्धि होती है।

20. कामाक्षी यक्षिणी मंत्र से मान-सम्मान कैसे प्राप्त होता है?

इस मंत्र का जाप समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को बढ़ाता है।

कामाक्षी यक्षिणी की पूजा और उनके मंत्र का जाप भौतिक जीवन में सुख, समृद्धि, और कार्य सिद्धि प्राप्त करने में अत्यंत सहायक होता है। यह पूजा धन का आकर्षण, आकर्षण शक्ति, और चेहरे पर तेज बढ़ाने में भी प्रभावी है। कामाक्षी यक्षिणी के विशेष रूप से भौतिक और मानसिक जीवन में लाए जाने वाले लाभ व्यक्ति को सकारात्मक और सुखमय जीवन जीने में मदद करते हैं।