Buy now

spot_img
spot_img
Home Blog Page 85

Asitanga Bhairava Mantra for Protection

असितांग भैरव / Asitanga Bhairava Mantra for Protection

बुरी आत्माओ से सुरक्षा दिलाने वाले असितांग भैरव भगवान शिव के आठ रूपों में से एक हैं। असितांग भैरव का पूजन और उनके मंत्र का जप विशेष रूप से बुरी आत्माओं, नकारात्मक ऊर्जा, और कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है। असितांग भैरव को प्रसन्न करने से भक्तों को जीवन में सफलता, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है।

असितांग भैरव मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:

ॐ भ्रं असितांग भैरवाय नमः

अर्थ:

  • : ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक।
  • भ्रं: असितांग भैरव का बीज मंत्र, जो उनकी शक्ति और उपस्थिति का संपूर्ण प्रतीक है।
  • असितांग भैरवाय: भगवान असितांग भैरव को संबोधित।
  • नमः: नमन, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक।

इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ है, “हे असितांग भैरव, आपको मेरा नमन।”

असितांग भैरव मंत्र के लाभ

  1. भय से मुक्ति: सभी प्रकार के भय से रक्षा करता है।
  2. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश करता है।
  3. रोग निवारण: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
  4. धन वृद्धि: आर्थिक समृद्धि लाता है।
  5. कर्ज मुक्ति: कर्ज से निजात दिलाता है।
  6. व्यापार में उन्नति: व्यापार में सफलता प्राप्त होती है।
  7. कानूनी विजय: कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  8. क्लेश निवारण: घरेलू और सामाजिक क्लेशों को दूर करता है।
  9. ग्रह दोष निवारण: कुंडली में ग्रह दोषों का निवारण करता है।
  10. संकट निवारण: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।
  11. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक जागरूकता और उन्नति प्रदान करता है।
  12. संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनके सुखी जीवन के लिए सहायक होता है।
  13. विवाह में बाधा निवारण: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
  14. कार्य सिद्धि: सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  15. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोषों का निवारण करता है।
  16. नेतृत्व क्षमता: नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  17. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा करता है।
  18. भाग्य वृद्धि: व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि करता है।
  19. समृद्धि और सुख: जीवन में समृद्धि और सुख लाता है।
  20. मानसिक शांति: तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है।

असितांग भैरव मंत्र जप विधि

  1. मंत्र जप का दिन: शनिवार और मंगलवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: कम से कम 108 बार मंत्र का जप करें। 40 दिनों तक निरंतर जप करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) मंत्र जप के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

सामग्री

  1. रुद्राक्ष की माला।
  2. शुद्ध वस्त्र।
  3. दीपक और धूपबत्ती।
  4. ताजे फूल।
  5. अक्षत (चावल)।
  6. कुमकुम और हल्दी।
  7. जल से भरा हुआ कलश।
  8. फल और मिठाई।

नियम

  1. शुद्धता: जप के पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करें।
  3. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करें।
  4. ध्यान: जप करते समय असितांग भैरव के स्वरूप का ध्यान करें।
  5. नियमितता: नियमित समय पर प्रतिदिन जप करें।
  6. श्रद्धा: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें।
  7. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन ग्रहण करें और मांसाहार से बचें।

Panchanguli sadhana shivir

मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. अशुद्धता: अपवित्र स्थान या स्थिति में जप न करें।
  2. ध्यान का अभाव: जप करते समय मन को भटकने न दें।
  3. अलसी वाणी: मंत्र जप के दौरान किसी से बात न करें।
  4. अव्यवस्था: जप स्थल को साफ और व्यवस्थित रखें।
  5. भोजन: जप से पहले भारी भोजन न करें।

online course

असितांग भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: क्या असितांग भैरव मंत्र जप से नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है? उत्तर: हाँ, इससे नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा होती है।

प्रश्न: असितांग भैरव कौन हैं?
उत्तर: असितांग भैरव भगवान शिव के उग्र और शक्तिशाली रूप हैं।

प्रश्न: असितांग भैरव मंत्र का क्या अर्थ है?
उत्तर: असितांग भैरव मंत्र का अर्थ है “हे असितांग भैरव, आपको मेरा नमन।”

प्रश्न: असितांग भैरव मंत्र के जप का सबसे शुभ दिन कौन सा है?
उत्तर: शनिवार और मंगलवार।

प्रश्न: असितांग भैरव मंत्र के जप का मुहूर्त क्या है?
उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे)।

प्रश्न: असितांग भैरव मंत्र के जप से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
उत्तर: भय, शत्रु, रोग, आर्थिक समस्या, कर्ज, क्लेश, ग्रह दोष, संकट, वास्तु दोष, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।

प्रश्न: असितांग भैरव मंत्र जप के दौरान किस माला का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: रुद्राक्ष माला।

प्रश्न: क्या असितांग भैरव मंत्र जप से मानसिक शांति मिलती है?
उत्तर: हाँ, इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।

प्रश्न: असितांग भैरव मंत्र जप से शत्रु का नाश होता है?
उत्तर: हाँ, इससे शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।

प्रश्न: असितांग भैरव मंत्र जप के दौरान किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर।

प्रश्न: क्या असितांग भैरव मंत्र जप से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?
उत्तर: हाँ, इससे आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।

प्रश्न: असितांग भैरव मंत्र जप के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
उत्तर: शुद्धता, सात्विक भोजन, नियमितता, श्रद्धा, ध्यान।

प्रश्न: क्या असितांग भैरव मंत्र जप से स्वास्थ्य लाभ होता है?
उत्तर: हाँ, इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

Amritaksha bhairav Mantra for Wealth

अमृताक्ष भैरव / Amritaksha bhairav Mantr for Wealth

भक्तो पर तुरंत कृपा बरसाने वाले अमृताक्ष भैरव एक प्रमुख भैरव माने जाते है। अमृताक्ष भैरव का नाम अमृत (अनंत जीवन या अमरत्व) और अक्ष (आंख) से आया है, जिसका अर्थ है जिसकी आंखें अमृत को देख सकती हैं। ये अमृताक्ष भैरव अपने भक्तों को अमृत की वर्षा (बरसात) करते हैं और उन्हें जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्रदान करते हैं। इनकी उपासना से व्यक्ति को अद्वितीय शक्ति, साहस, और सफलता प्राप्त होती है। अमृताक्ष भैरव के पूजा और मंत्र जप से जीवन में समृद्धि, शांति, और संतोष प्राप्त होता है।

अमृताक्ष भैरव मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ भ्रं अमृताक्ष भैरवाय नमः

अर्थ:

  • : ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक।
  • भ्रं: अमृताक्ष भैरव का बीज मंत्र, जो उनकी शक्ति और उपस्थिति का संपूर्ण प्रतीक है।
  • अमृताक्ष भैरवाय: भगवान अमृताक्ष भैरव को संबोधित।
  • नमः: नमन, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक।

इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ है, “हे अमृताक्ष भैरव, आपको मेरा नमन।”

अमृताक्ष भैरव मंत्र के लाभ

  1. मानसिक शांति: तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है।
  2. भय निवारण: सभी प्रकार के भय से रक्षा करता है।
  3. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश करता है।
  4. रोग निवारण: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
  5. धन वृद्धि: आर्थिक समृद्धि लाता है।
  6. कर्ज मुक्ति: कर्ज से निजात दिलाता है।
  7. व्यापार में उन्नति: व्यापार में सफलता प्राप्त होती है।
  8. न्याय में विजय: कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  9. क्लेश निवारण: घरेलू और सामाजिक क्लेशों को दूर करता है।
  10. ग्रह दोष निवारण: कुंडली में ग्रह दोषों का निवारण करता है।
  11. संकट निवारण: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक जागरूकता और उन्नति प्रदान करता है।
  13. संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनके सुखी जीवन के लिए सहायक होता है।
  14. विवाह में बाधा निवारण: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
  15. कार्य सिद्धि: सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  16. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोषों का निवारण करता है।
  17. नेतृत्व क्षमता: नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  18. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा करता है।
  19. भाग्य वृद्धि: व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि करता है।
  20. समृद्धि और सुख: जीवन में समृद्धि और सुख लाता है।

अमृताक्ष भैरव मंत्र जप विधि

  1. मंत्र जप का दिन: शनिवार और मंगलवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: 21, 51, या 108 बार मंत्र का जप करें। 40 दिनों तक निरंतर जप करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) मंत्र जप के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

सामग्री

  1. रुद्राक्ष की माला।
  2. शुद्ध वस्त्र।
  3. दीपक और धूपबत्ती।
  4. ताजे फूल।
  5. अक्षत (चावल)।
  6. कुमकुम और हल्दी।
  7. जल से भरा हुआ कलश।
  8. फल और मिठाई।

नियम

  1. शुद्धता: जप के पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करें।
  3. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करें।
  4. ध्यान: जप करते समय अमृताक्ष भैरव के स्वरूप का ध्यान करें।
  5. नियमितता: नियमित समय पर प्रतिदिन जप करें।
  6. श्रद्धा: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें।
  7. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन ग्रहण करें और मांसाहार से बचें।

Panchanguli sadhana shivir

मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. अशुद्धता: अपवित्र स्थान या स्थिति में जप न करें।
  2. ध्यान का अभाव: जप करते समय मन को भटकने न दें।
  3. अलसी वाणी: मंत्र जप के दौरान किसी से बात न करें।
  4. अव्यवस्था: जप स्थल को साफ और व्यवस्थित रखें।
  5. भोजन: जप से पहले भारी भोजन न करें।

online course

अमृताक्ष भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव कौन हैं?
    उत्तर: अमृताक्ष भैरव भगवान शिव के उग्र और शक्तिशाली रूप हैं।
  2. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव मंत्र का क्या अर्थ है?
    उत्तर: अमृताक्ष भैरव मंत्र का अर्थ है “हे अमृताक्ष भैरव, आपको मेरा नमन।”
  3. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव मंत्र के जप का सबसे शुभ दिन कौन सा है?
    उत्तर: शनिवार और मंगलवार।
  4. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव मंत्र के जप का मुहूर्त क्या है?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे)।
  5. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव मंत्र के जप से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
    उत्तर: भय, शत्रु, रोग, आर्थिक समस्या, कर्ज, क्लेश, ग्रह दोष, संकट, वास्तु दोष, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
  6. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव मंत्र जप के दौरान किस माला का उपयोग करना चाहिए?
    उत्तर: रुद्राक्ष माला।
  7. प्रश्न: क्या अमृताक्ष भैरव मंत्र जप से मानसिक शांति मिलती है?
    उत्तर: हाँ, इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  8. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव मंत्र जप से शत्रु का नाश होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
  9. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव मंत्र जप के दौरान किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
    उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर।
  10. प्रश्न: क्या अमृताक्ष भैरव मंत्र जप से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  11. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव मंत्र जप के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता, सात्विक भोजन, नियमितता, श्रद्धा, ध्यान।
  12. प्रश्न: क्या अमृताक्ष भैरव मंत्र जप से स्वास्थ्य लाभ होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  13. प्रश्न: अमृताक्ष भैरव मंत्र जप कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर:कम से कम 108 बार।

Amar bhairav Mantra for success

अमर भैरव / Amar bhairav Mantra for success

निरोगी काया प्रदान करने “अमर भैरव” का अर्थ है “अमर” यानी अमरत्व और “भैरव” भगवान शिव का एक रूप है। इसका अर्थ है “अमरत्व वाला भगवान शिव”। अमर भैरव भगवान शिव के एक शक्तिशाली और उग्र रूप हैं। इनकी पूजा विशेष रूप से कठिन परिस्थितियों, नकारात्मक ऊर्जा, और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। अमर भैरव की उपासना करने से व्यक्ति को अदम्य साहस, शक्ति, और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

अमर भैरव मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ भ्रं अमर भैरवाय नमः

अर्थ:

  • : ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक।
  • भ्रं: अमर भैरव का बीज मंत्र, जो उनकी शक्ति और उपस्थिति का संपूर्ण प्रतीक है।
  • अमर भैरवाय: भगवान अमर भैरव को संबोधित।
  • नमः: नमन, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक।

इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ है, “हे अमर भैरव, आपको मेरा नमन।”

अमर भैरव मंत्र के लाभ

  1. मानसिक शांति: तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है।
  2. भय निवारण: सभी प्रकार के भय से रक्षा करता है।
  3. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश करता है।
  4. रोग निवारण: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
  5. धन वृद्धि: आर्थिक समृद्धि लाता है।
  6. कर्ज मुक्ति: कर्ज से निजात दिलाता है।
  7. व्यापार में उन्नति: व्यापार में सफलता प्राप्त होती है।
  8. न्याय में विजय: कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  9. क्लेश निवारण: घरेलू और सामाजिक क्लेशों को दूर करता है।
  10. ग्रह दोष निवारण: कुंडली में ग्रह दोषों का निवारण करता है।
  11. संकट निवारण: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक जागरूकता और उन्नति प्रदान करता है।
  13. संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनके सुखी जीवन के लिए सहायक होता है।
  14. विवाह में बाधा निवारण: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
  15. कार्य सिद्धि: सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  16. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोषों का निवारण करता है।
  17. नेतृत्व क्षमता: नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  18. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा करता है।
  19. भाग्य वृद्धि: व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि करता है।
  20. समृद्धि और सुख: जीवन में समृद्धि और सुख लाता है।

अमर भैरव मंत्र जप विधि

  1. मंत्र जप का दिन: शनिवार और मंगलवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: 21, 51, या 108 बार मंत्र का जप करें। 40 दिनों तक निरंतर जप करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) मंत्र जप के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

सामग्री

  1. रुद्राक्ष की माला।
  2. शुद्ध वस्त्र।
  3. दीपक और धूपबत्ती।
  4. ताजे फूल।
  5. अक्षत (चावल)।
  6. कुमकुम और हल्दी।
  7. जल से भरा हुआ कलश।
  8. फल और मिठाई।

नियम

  1. शुद्धता: जप के पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करें।
  3. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करें।
  4. ध्यान: जप करते समय अमर भैरव के स्वरूप का ध्यान करें।
  5. नियमितता: नियमित समय पर प्रतिदिन जप करें।
  6. श्रद्धा: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें।
  7. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन ग्रहण करें और मांसाहार से बचें।

Panchanguli sadhana shivir

मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. अशुद्धता: अपवित्र स्थान या स्थिति में जप न करें।
  2. ध्यान का अभाव: जप करते समय मन को भटकने न दें।
  3. अलसी वाणी: मंत्र जप के दौरान किसी से बात न करें।
  4. अव्यवस्था: जप स्थल को साफ और व्यवस्थित रखें।
  5. भोजन: जप से पहले भारी भोजन न करें।

online course

अमर भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: अमर भैरव कौन हैं?
    उत्तर: अमर भैरव भगवान शिव के उग्र और शक्तिशाली रूप हैं।
  2. प्रश्न: अमर भैरव मंत्र का क्या अर्थ है?
    उत्तर: अमर भैरव मंत्र का अर्थ है “हे अमर भैरव, आपको मेरा नमन।”
  3. प्रश्न: अमर भैरव मंत्र के जप का सबसे शुभ दिन कौन सा है?
    उत्तर: शनिवार और मंगलवार।
  4. प्रश्न: अमर भैरव मंत्र के जप का मुहूर्त क्या है?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे)।
  5. प्रश्न: अमर भैरव मंत्र के जप से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
    उत्तर: भय, शत्रु, रोग, आर्थिक समस्या, कर्ज, क्लेश, ग्रह दोष, संकट, वास्तु दोष, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
  6. प्रश्न: अमर भैरव मंत्र जप के दौरान किस माला का उपयोग करना चाहिए?
    उत्तर: रुद्राक्ष माला।
  7. प्रश्न: क्या अमर भैरव मंत्र जप से मानसिक शांति मिलती है?
    उत्तर: हाँ, इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  8. प्रश्न: अमर भैरव मंत्र जप से शत्रु का नाश होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
  9. प्रश्न: अमर भैरव मंत्र जप के दौरान किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
    उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर।
  10. प्रश्न: क्या अमर भैरव मंत्र जप से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  11. प्रश्न: अमर भैरव मंत्र जप के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता, सात्विक भोजन, नियमितता, श्रद्धा, ध्यान।
  12. प्रश्न: क्या अमर भैरव मंत्र जप से स्वास्थ्य लाभ होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  13. प्रश्न: अमर भैरव मंत्र जप कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर: कम से कम 108 बार।

Akshobhya Bhairav Mantra for Obstacles

अक्षोभ्य भैरव / Akshobhya Bhairav Mantra for Obstacles

हर तरक की परेशानी को दूर करने वाले अक्षोभ्य भैरव, भगवान शिव का एक शक्तिशाली और सौम्य स्वरूप हैं। उन्हें दस महाविद्याओं में से एक, तारा माता के भैरव माने जाते है। उनका नाम “अक्षोभ्य” का अर्थ है “जिसे कभी परेशान नहीं किया जा सकता”। वह भक्तों को आंतरिक शांति और संतुलन प्राप्त करने में मदद करते हैं।

अक्षोभ्य भैरव मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ भ्रं अक्षोभ्य भैरवाय नमः

अर्थ:

  • : ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक।
  • भ्रं: अक्षोभ्य भैरव का बीज मंत्र, जो उनकी शक्ति का संपूर्ण प्रतीक है।
  • अक्षोभ्य भैरवाय: भगवान अक्षोभ्य भैरव को संबोधित।
  • नमः: नमन, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक।

इस मंत्र का संपूर्ण अर्थ है, “हे अक्षोभ्य भैरव, आपको मेरा नमन।”

अक्षोभ्य भैरव मंत्र के लाभ

  1. मानसिक शांति: तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है।
  2. भय निवारण: सभी प्रकार के भय से रक्षा करता है।
  3. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश करता है।
  4. रोग निवारण: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
  5. धन वृद्धि: आर्थिक समृद्धि लाता है।
  6. कर्ज मुक्ति: कर्ज से निजात दिलाता है।
  7. व्यापार में उन्नति: व्यापार में सफलता प्राप्त होती है।
  8. न्याय में विजय: कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  9. क्लेश निवारण: घरेलू और सामाजिक क्लेशों को दूर करता है।
  10. ग्रह दोष निवारण: कुंडली में ग्रह दोषों का निवारण करता है।
  11. संकट निवारण: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक जागरूकता और उन्नति प्रदान करता है।
  13. संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनके सुखी जीवन के लिए सहायक होता है।
  14. विवाह में बाधा निवारण: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
  15. कार्य सिद्धि: सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  16. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोषों का निवारण करता है।
  17. नेतृत्व क्षमता: नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  18. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा करता है।
  19. भाग्य वृद्धि: व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि करता है।
  20. समृद्धि और सुख: जीवन में समृद्धि और सुख लाता है।

अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप विधि

  1. मंत्र जप का दिन: शनिवार और मंगलवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: कम से कम 108 बार मंत्र का जप करें। 40 दिनों तक निरंतर जप करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) मंत्र जप के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

सामग्री

  1. रुद्राक्ष की माला।
  2. शुद्ध वस्त्र।
  3. दीपक और धूपबत्ती।
  4. ताजे फूल।
  5. अक्षत (चावल)।
  6. कुमकुम और हल्दी।
  7. जल से भरा हुआ कलश।
  8. फल और मिठाई।

नियम

  1. शुद्धता: जप के पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करें।
  3. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करें।
  4. ध्यान: जप करते समय अक्षोभ्य भैरव के स्वरूप का ध्यान करें।
  5. नियमितता: नियमित समय पर प्रतिदिन जप करें।
  6. श्रद्धा: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें।
  7. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन ग्रहण करें और मांसाहार से बचें।

Panchanguli sadhana shivir

मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. अशुद्धता: अपवित्र स्थान या स्थिति में जप न करें।
  2. ध्यान का अभाव: जप करते समय मन को भटकने न दें।
  3. अलसी वाणी: मंत्र जप के दौरान किसी से बात न करें।
  4. अव्यवस्था: जप स्थल को साफ और व्यवस्थित रखें।
  5. भोजन: जप से पहले भारी भोजन न करें।

online course

अक्षोभ्य भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव कौन हैं?
    उत्तर: अक्षोभ्य भैरव भगवान शिव के उग्र और शक्तिशाली रूप हैं।
  2. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव मंत्र का क्या अर्थ है?
    उत्तर: अक्षोभ्य भैरव मंत्र का अर्थ है “हे अक्षोभ्य भैरव, आपको मेरा नमन।”
  3. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव मंत्र के जप का सबसे शुभ दिन कौन सा है?
    उत्तर: शनिवार और मंगलवार।
  4. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव मंत्र के जप का मुहूर्त क्या है?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे)।
  5. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव मंत्र के जप से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
    उत्तर: भय, शत्रु, रोग, आर्थिक समस्या, कर्ज, क्लेश, ग्रह दोष, संकट, वास्तु दोष, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
  6. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप के दौरान किस माला का उपयोग करना चाहिए?
    उत्तर: रुद्राक्ष माला।
  7. प्रश्न: क्या अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप से मानसिक शांति मिलती है?
    उत्तर: हाँ, इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  8. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप से शत्रु का नाश होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
  9. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप के दौरान किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
    उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर।
  10. प्रश्न: क्या अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  11. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता, सात्विक भोजन, नियमितता, श्रद्धा, ध्यान।
  12. प्रश्न: क्या अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप से स्वास्थ्य लाभ होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  13. प्रश्न: अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर: 21, 51 या 108 बार।
  14. प्रश्न: क्या अक्षोभ्य भैरव मंत्र जप से विवाह में बाधा दूर होती है?
    उत्तर: हाँ, इससे विवाह संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं।

Batuk bhairav Mantra for Blessing & Protection

बटुक भैरव / Batuk bhairav Mantra for Blessing & Protection

Batuk bhairav Mantra – माता दुर्गा की कृपा के साथ सुरक्षा करने वाले बटुक भैरव भगवान शिव का ही एक बाल स्वरूप हैं, बटुक भैरव को देखकर माता दुर्गा हमेशा प्रसन्न रहती है। बटुक भैरव भगवान शिव के उग्र और रक्षक रूप हैं, जिन्हें सभी प्रकार की नकारात्मकता और बुराईयों को नष्ट करने वाला माना जाता है। बटुक भैरव की पूजा से व्यक्ति को अनेक प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

बटुक भैरव मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ भ्रं बटुक भैरवाय नमः

अर्थ:

  • : ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक।
  • भ्रं: बटुक भैरव का बीज मंत्र, जो उनकी शक्ति का संपूर्ण प्रतीक है।
  • बटुक भैरवाय: भगवान बटुक भैरव को समर्पित।
  • नमः: नमन, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक।

इस मंत्र का अर्थ है, “हे बटुक भैरव, आपको मेरा नमन।”

बटुक भैरव मंत्र के लाभ

  1. सभी प्रकार के भय से मुक्ति: यह मंत्र व्यक्ति को सभी प्रकार के भय से मुक्त करता है।
  2. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा करता है और उन्हें परास्त करता है।
  3. रोग नाश: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।
  4. धन की प्राप्ति: आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  5. कर्ज से मुक्ति: कर्ज से निजात दिलाता है।
  6. व्यापार में सफलता: व्यापार में उन्नति और सफलता दिलाता है।
  7. न्याय में विजय: कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है।
  8. क्लेश निवारण: घरेलू और सामाजिक क्लेशों का निवारण करता है।
  9. ग्रह दोष निवारण: कुंडली में ग्रह दोषों का निवारण करता है।
  10. मन की शांति: मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  11. संकट नाश: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक जागरूकता और उन्नति प्रदान करता है।
  13. संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनके सुखी जीवन के लिए सहायक होता है।
  14. विवाह में बाधा निवारण: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
  15. कार्य सिद्धि: सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  16. वास्तु दोष निवारण: घर और कार्यस्थल के वास्तु दोषों का निवारण करता है।
  17. नेतृत्व क्षमता: नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  18. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा करता है।
  19. भाग्य वृद्धि: व्यक्ति के भाग्य में वृद्धि करता है।
  20. समृद्धि और सुख: जीवन में समृद्धि और सुख लाता है।

बटुक भैरव मंत्र जप विधि

  1. मंत्र जप का दिन: शनिवार और मंगलवार बटुक भैरव की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं।
  2. अवधि: नियमित रूप से 21, 51 या 108 बार मंत्र का जप करें। 40 दिनों तक निरंतर जप करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) मंत्र जप के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

मंत्र जप के नियम

  1. शुद्धता: जप के पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करें।
  3. माला: रुद्राक्ष माला का उपयोग करें।
  4. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करें।
  5. ध्यान: जप करते समय बटुक भैरव के स्वरूप का ध्यान करें।
  6. नियमितता: नियमित समय पर प्रतिदिन जप करें।
  7. श्रद्धा: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें।
  8. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन ग्रहण करें और मांसाहार से बचें।

Panchanguli sadhana shivir

मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. अशुद्धता: अपवित्र स्थान या स्थिति में जप न करें।
  2. ध्यान का अभाव: जप करते समय मन को भटकने न दें।
  3. अलसी वाणी: मंत्र जप के दौरान किसी से बात न करें।
  4. अव्यवस्था: जप स्थल को साफ और व्यवस्थित रखें।
  5. भोजन: जप से पहले भारी भोजन न करें।

Online course

बटुक भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: बटुक भैरव कौन हैं?
    उत्तर: बटुक भैरव भगवान शिव के उग्र और रक्षक रूप हैं।
  2. प्रश्न: बटुक भैरव मंत्र का क्या अर्थ है?
    उत्तर: बटुक भैरव मंत्र का अर्थ है “हे बटुक भैरव, आपको मेरा नमन।”
  3. प्रश्न: बटुक भैरव मंत्र के जप का सबसे शुभ दिन कौन सा है?
    उत्तर: शनिवार और मंगलवार।
  4. प्रश्न: बटुक भैरव मंत्र के जप का मुहूर्त क्या है?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे)।
  5. प्रश्न: बटुक भैरव मंत्र जप से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
    उत्तर: भय, शत्रु, रोग, आर्थिक समस्या, कर्ज, क्लेश, ग्रह दोष, संकट, वास्तु दोष, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
  6. प्रश्न: बटुक भैरव मंत्र जप के दौरान किस माला का उपयोग करना चाहिए?
    उत्तर: रुद्राक्ष माला।
  7. प्रश्न: क्या बटुक भैरव मंत्र जप से मानसिक शांति मिलती है?
    उत्तर: हाँ, इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  8. प्रश्न: बटुक भैरव मंत्र जप से शत्रु का नाश होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
  9. प्रश्न: बटुक भैरव मंत्र जप के दौरान किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
    उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर।
  10. प्रश्न: क्या बटुक भैरव मंत्र जप से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  11. प्रश्न: बटुक भैरव मंत्र जप के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
    उत्तर: शुद्धता, सात्विक भोजन, नियमितता, श्रद्धा, ध्यान।
  12. प्रश्न: क्या बटुक भैरव मंत्र जप से स्वास्थ्य लाभ होता है?
    उत्तर: हाँ, इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  13. प्रश्न: बटुक भैरव मंत्र जप कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर: 21, 51 या 108 बार।

Kali kankalini chalisa paath for Protection

Kali kankalini chalisa paath for Protection

काली कंकालिनी चालीसा का पाठ नियमित रूप से ४१ दिन तक करना चाहिये, इससे साधक की सभी मनोकामनाये पूर्ण होती है।

काली कंकालिनी चालीसा का पाठ करने से लाभ

  1. दुष्ट शक्तियों और बुराई से मुक्ति।
  2. भय, चिंता, और अन्य नकारात्मक भावनाओं से मुक्ति।
  3. शक्ति, साहस, और स्थिरता की प्राप्ति।
  4. सफलता और सुख-शांति की प्राप्ति।
  5. आर्थिक समृद्धि और सुरक्षा।
  6. आत्म-विश्वास और स्वास्थ्य की देखभाल।
  7. कार्यों में स्थिरता और सफलता की प्राप्ति।
  8. कर्मों की शुद्धि और पुनःआरंभ की शक्ति।
  9. दुष्टता के प्रभावों से रक्षा और सुरक्षा।
  10. मानसिक शक्ति और स्थिर मन की प्राप्ति।

४० दिन तक कंकालिनी चालीसा का पाठ भक्ति और श्रद्धा से करके लाभ ले सकते है।

काली कंकालिनी चालीसा का पाठ

॥ दोहा ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े दुपहरिया या शाम,
दुःख दरिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम ॥
॥ चौपाई ॥
जय काली कंकाल मालिनी,
जय मंगला महाकपालिनी ॥
रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥

शिरो मालिका भूषित अंगे,
जय काली जय मद्य मतंगे ॥

हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥ ४ ॥

ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली ॥
जय कलावती जय विद्यावति,
जय तारासुन्दरी महामति ॥

देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट ॥

जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥ ८ ॥

कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥

अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु ॥
जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान घुतिगाता ॥

जयशंकरी सुरेशि सनातनि,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥ १२ ॥

कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,
जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥

आनन्दा करणी आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥
करूणामृत सागरा कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥

सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे आधारा ॥ १६ ॥

प्रलय काल में नर्तन कारिणि,
जग जननी सब जग की पालिनी ॥

महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥

स्वछन्द रद मारद धुनि माही,
गर्जत तुम्ही और कोउ नाहि ॥
स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,
तारागण तू व्योम विताने ॥ २० ॥

श्रीधारे सन्तन हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥

धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥

सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥
खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥ २४ ॥

अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका ॥

अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥

कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेशि अपारे ॥

कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय माँतगी काम के धामा ॥ २८ ॥
कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥

मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥

कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥

जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य आलापिनि ॥ ३२ ॥

झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥

जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥

हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अटठहासिनि अरु अघन नाशिनी ॥ ३६ ॥

कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥

करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥
चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥

खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥ ४० ॥

तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥

जो यह पाठ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥

॥ दोहा ॥
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥

Kali kankalini Chalisa in English

Chaupai:
Jai Kankali Maati Mahakali,
Bhaav Bhakti Karo Tum Bali.

Victory to Kankali, the great form of Mahakali,
With devotion and reverence, we bow to you.

Doha:
Charan Kamal Mein Rahe Hamari,
Harahu Ashubha, Dukh ki Baari.

At your lotus feet, we remain devoted,
Remove all inauspiciousness and sorrows from our lives.

Chaupai:
Jai Kankali Kaali Kalikeya,
Aadya Shakti Tumhi Anupama.

Victory to Kankali, the dark and formidable one,
You are the primordial energy, unparalleled and supreme.

Doha:
Shumbha Nishumbha Mardani Maata,
Raktabeej Vinashini Kaali.

Mother, you destroyed the demons Shumbha and Nishumbha,
And vanquished the demon Raktabeej as Kaali.

Chaupai:
Dhumavati, Bagalamukhi, Bhairavi,
Chinnamasta, Matangi Tarini.

You are Dhumavati, Bagalamukhi, Bhairavi,
Chinnamasta, Matangi, and the savior.

Doha:
Vidya Dene Waali Maata,
Buddhi Bal Ki Tum Ho Daata.

You are the mother who bestows knowledge,
You are the giver of intellect and strength.

Chaupai:
Jis Par Ho Tum Ki Kripa,
Uski Saghan Ho Dukh Kapa.

Whosoever receives your grace,
Their sorrows are dispelled completely.

Doha:
Roop Anant Tumhara Maata,
Sabko Sukh Daata Amrit Vaani.

Your form is infinite, O Mother,
Your nectar-like words bestow happiness upon all.

Chaupai:
Bhakti Bhav Se Jo Tumko Dhyaave,
Sankat Se Vo Mukt Hoye Jaave.

Whoever meditates on you with devotion,
Is freed from all troubles and distress.

Doha:
Jai Jai Jai Kankali Maata,
Kripa Karo Hum Sabki Daata.

Victory, victory, victory to Kankali Maata,
Shower your grace upon all of us, O giver.

Chaupai:
Charan Sharan Mein Tumhari Aaye,
Sukh Shanti Sab Bhaag Jaaye.

Those who take refuge at your feet,
Receive happiness and peace, and all troubles flee.

Doha:
Sundar Shyam Roop Tumhara,
Kara Dukhdaari Bhaktan Pyaara.

Your beautiful dark form, O Mother,
Removes the devotees’ sufferings and is beloved to them.

Chaupai:
Jai Jai Jai Kankali Ambe,
Saath Tumhare Hum Sab Rambe.

Victory, victory, victory to Kankali Ambe,
With you by our side, we all rejoice.

Doha:
Paap Naashni Sankat Harni,
Kankali Maata Bhav Bhaya Varn.

You destroy sins and remove difficulties,
Kankali Maata, you are the dispeller of worldly fears.

Chaupai:
Aarti Tumhari Jo Gaye,
Manvaanchit Phal Paaye.

Those who sing your Aarti,
Receive the desired fruits of their actions.

Doha:
Kankali Chalisa Jo Gaave,
Sab Sukh Sampatti Paave.

Whoever recites this Kankali Chalisa,
Will receive all happiness and wealth.

Chaupai:
Nitya Naye Naye Mangal Gaaun,
Kankali Mata Tumko Dhyauun.

Daily, I sing new songs of auspiciousness,
Meditating on you, O Mother Kankali.

Doha:
Chhavi Apaar Tumhari Maata,
Main Kab Aaun Sharan Tumhaari.

Your infinite beauty, O Mother,
When will I come to your refuge?

Chaupai:
Jai Jai Jai Kankali Mahamayi,
Tum Ho Jagat Ki Adhikaari.

Victory, victory, victory to Kankali, the great goddess,
You are the sovereign of the universe.

Doha:
Sadaa Sukhi Rahe Tumhare Bhakta,
Kripa Karo Kankali Maata.

May your devotees always remain happy,
Shower your grace, O Kankali Maata.

By reciting the Kali Kankali Chalisa with devotion, one can receive the blessings of the goddess and be free from all fears and troubles.

Narmada chalisa paath for paap mukti

Narmada chalisa paath for paap mukti

नर्मदा चालीसा पाठ जो मनुष्य को पाप मुक्त करे

पाप कर्म को नष्टकर अध्यात्मिक शक्ति को बढाने वाली नर्मदा चालीसा का पाठ, परिवार मे विवाद क्लेश को नष्ट करता है. भक्ति और श्रद्धा के साथ ४० दिन तक नियमित रूप से नर्मदा चालीसा का पाठ करना चाहिये।

श्री नर्मदा चालीसा

॥ दोहा॥

देवि पूजित, नर्मदा,
महिमा बड़ी अपार ।
चालीसा वर्णन करत,
कवि अरु भक्त उदार॥
इनकी सेवा से सदा,
मिटते पाप महान ।
तट पर कर जप दान नर,
पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई -१ ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी,
तुम्हरी महिमा सब जग जानी ।

अमरकण्ठ से निकली माता,
सर्व सिद्धि नव निधि की दाता ।

कन्या रूप सकल गुण खानी,
जब प्रकटीं नर्मदा भवानी ।

सप्तमी सुर्य मकर रविवारा,
अश्वनि माघ मास अवतारा ॥4

वाहन मकर आपको साजैं,
कमल पुष्प पर आप विराजैं ।
ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं,
तब ही मनवांछित फल पावैं ।

दर्शन करत पाप कटि जाते,
कोटि भक्त गण नित्य नहाते ।

जो नर तुमको नित ही ध्यावै,
वह नर रुद्र लोक को जावैं ॥8

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं,
अंतिम समय परमपद पावैं ।

मस्तक मुकुट सदा ही साजैं,
पांव पैंजनी नित ही राजैं ।
कल-कल ध्वनि करती हो माता,
पाप ताप हरती हो माता ।

पूरब से पश्चिम की ओरा,
बहतीं माता नाचत मोरा ॥12

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं,
सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं ।

शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं,
सकल देव गण तुमको ध्यावैं ।
मनोकमना पूरण करती,
सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं ॥16

कनखल में गंगा की महिमा,
कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा ।

पर नर्मदा ग्राम जंगल में,
नित रहती माता मंगल में ।

एक बार कर के स्नाना,
तरत पिढ़ी है नर नारा ।
मेकल कन्या तुम ही रेवा,
तुम्हरी भजन करें नित देवा ॥20

जटा शंकरी नाम तुम्हारा,
तुमने कोटि जनों को है तारा ।

समोद्भवा नर्मदा तुम हो,
पाप मोचनी रेवा तुम हो ।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई,
करत न बनती मातु बड़ाई ।
जल प्रताप तुममें अति माता,
जो रमणीय तथा सुख दाता ॥24

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी,
महिमा अति अपार है तुम्हारी ।

॥ चौपाई -२ ॥

तुम में पड़ी अस्थि भी भारी,
छुवत पाषाण होत वर वारि ।

यमुना मे जो मनुज नहाता,
सात दिनों में वह फल पाता ।

सरस्वती तीन दीनों में देती,
गंगा तुरत बाद हीं देती ॥28
पर रेवा का दर्शन करके
मानव फल पाता मन भर के ।

तुम्हरी महिमा है अति भारी,
जिसको गाते हैं नर-नारी ।

जो नर तुम में नित्य नहाता,
रुद्र लोक मे पूजा जाता ।

जड़ी बूटियां तट पर राजें,
मोहक दृश्य सदा हीं साजें ॥32

वायु सुगंधित चलती तीरा,
जो हरती नर तन की पीरा ।
घाट-घाट की महिमा भारी,
कवि भी गा नहिं सकते सारी ।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा,
और सहारा नहीं मम दूजा ।

हो प्रसन्न ऊपर मम माता,
तुम ही मातु मोक्ष की दाता ॥35

जो मानव यह नित है पढ़ता,
उसका मान सदा ही बढ़ता ।

जो शत बार इसे है गाता,
वह विद्या धन दौलत पाता ।
अगणित बार पढ़ै जो कोई,
पूरण मनोकामना होई ।

सबके उर में बसत नर्मदा,
यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ॥40

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के,
जो करता है जाप ।

माता जी की कृपा से,
दूर होत संताप॥
॥ इति श्री नर्मदा चालीसा ॥

लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: माँ नर्मदा की पूजा से आत्मिक शांति और उन्नति प्राप्त होती है।
  2. संकटों से मुक्ति: जीवन की कठिनाइयों और संकटों से मुक्ति मिलती है।
  3. भयमुक्त जीवन: किसी भी प्रकार के भय का नाश होता है।
  4. आर्थिक समृद्धि: आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  5. शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  6. दुष्टों का नाश: बुरी शक्तियों और दुश्मनों का नाश होता है।
  7. परिवारिक सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।
  8. कार्यक्षेत्र में सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।
  9. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  10. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  11. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास बढ़ता है।
  12. नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
  13. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है।
  14. रोगों का नाश: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  15. मनोकामनाओं की पूर्ति: सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  16. भक्ति की वृद्धि: भक्त की धार्मिकता और भक्ति बढ़ती है।
  17. सर्वांगीण विकास: जीवन के हर क्षेत्र में सर्वांगीण विकास होता है।
  18. परिवारिक विवादों का नाश: परिवार में होने वाले विवाद समाप्त होते हैं।
  19. मानसिक तनाव से मुक्ति: मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।
  20. कर्मों का फल: अच्छे कर्मों का फल प्राप्त होता है।

विधि

  1. दिन: किसी भी दिन नर्मदा चालीसा का पाठ किया जा सकता है, लेकिन सोमवार और शुक्रवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  2. अवधि: नियमित रूप से एक महीने तक पाठ करना चाहिए। कुछ लोग इसे 21 दिनों तक भी करते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  4. स्नान और शुद्धि: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
  5. धूप और दीपक: माँ नर्मदा की प्रतिमा या चित्र के सामने धूप और दीपक जलाएं।
  6. प्रसाद: पाठ के बाद माँ नर्मदा को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ करने से पहले शरीर और स्थान की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  2. शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और पवित्र रखें।
  3. संकल्प: नर्मदा चालीसा का पाठ करने से पहले एक संकल्प लें।
  4. ध्यान: माँ नर्मदा के ध्यान में पूरी तरह लीन होकर पाठ करें।
  5. व्रत: सोमवार और शुक्रवार को व्रत रखें तो और भी शुभ फल मिलता है।
  6. नियमितता: एक बार पाठ शुरू करने के बाद इसे नियमित रूप से समाप्त करें।
  7. सात्विक आहार: सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक आहार से बचें।
  8. भक्तिपूर्ण हृदय: माँ नर्मदा के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
  9. समय: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
  10. विनम्रता: माँ नर्मदा से विनम्रता और प्रेमपूर्वक प्रार्थना करें।

Panchanguli sadhana shivir

सावधानियाँ

  1. अव्यवधानता: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
  2. अपवित्रता: पाठ करने वाले का मन और शरीर अपवित्र न हो।
  3. ध्यान की कमी: ध्यान की कमी न हो, पूरे मनोयोग से पाठ करें।
  4. गलत उच्चारण: श्लोकों का गलत उच्चारण न करें।
  5. आलस्य: आलस्य और उदासीनता से बचें।
  6. द्वेष भावना: मन में किसी के प्रति द्वेष भावना न रखें।
  7. शोर-शराबा: पाठ करते समय शोर-शराबा न हो।
  8. तामसिक वस्त्र: तामसिक वस्त्र न पहनें।
  9. अन्य कार्य: पाठ के समय अन्य कार्य न करें।
  10. समय की पाबंदी: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।

online course

नर्मदा चालीसा पृश्न उत्तर

  1. नर्मदा चालीसा क्या है? नर्मदा चालीसा माँ नर्मदा को समर्पित एक भक्ति काव्य है जो संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
  2. नर्मदा चालीसा का पठन कब करना चाहिए? किसी भी दिन नर्मदा चालीसा का पाठ किया जा सकता है, लेकिन सोमवार और शुक्रवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  3. क्या नर्मदा चालीसा का पठन दिन में कभी भी किया जा सकता है? हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  4. नर्मदा चालीसा का पठन करने से क्या लाभ होते हैं? संकटों से मुक्ति, आर्थिक समृद्धि, शारीरिक स्वास्थ्य, और मानसिक शांति जैसे अनेक लाभ होते हैं।
  5. क्या नर्मदा चालीसा का पाठ व्रत के साथ करना चाहिए? व्रत रखने से और भी शुभ फल मिलता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है।
  6. क्या नर्मदा चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है? हां, इसे समूह में भी किया जा सकता है।
  7. क्या नर्मदा चालीसा का पाठ किसी भी समय कर सकते हैं? हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त और संध्या काल में पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है।
  8. क्या नर्मदा चालीसा का पाठ करने से भूत-प्रेतों से सुरक्षा होती है? हां, यह भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  9. क्या नर्मदा चालीसा का पाठ करते समय विशेष दिशा में बैठना चाहिए? उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना शुभ माना जाता है।
  10. क्या नर्मदा चालीसा का पाठ शुद्ध मन से करना चाहिए? हां, शुद्ध मन और पूर्ण भक्तिभाव से पाठ करना चाहिए।
  11. क्या नर्मदा चालीसा का पाठ करने से शिक्षा में सफलता मिलती है? हां, इससे विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  12. क्या नर्मदा चालीसा का पाठ मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाता है? हां, यह मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाता है।

Khatu shyam chalisa paath for devotion & peace

Khatu shyam chalisa paath for devotion & peace

खाटू श्याम को श्री कृष्ण का अवतार माना जाता है, जिन्हें भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र के रूप में पहचाना जाता है। उन्हें श्याम बाबा के नाम से भी जाना जाता है। उनकी भक्ति से भक्तों को जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

संपूर्ण खाटू श्याम चालीसा

॥दोहा॥
निश्चय प्रेम प्रतीत तिहिं, सुमिरन करहु श्याम।
सुर-असर निश्चय ही मिले, मिटा सके सब काम॥

॥चौपाई॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

खाटू नगर धाम तुम्हारा। झुकते हैं सब धाम॥
बाबा जय जय श्री श्याम॥

जिनके सिर पर हाथ तुम्हारा। बाबा खुश हो जाते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

तुम हो कलयुग के अवतारी। भक्तों के रखवाले॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

जो भी भक्त तेरा नाम जपे। सच्चे मन से सुमिरन करले॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

कौनसा संकट हो तेरे दर। शीश झुकाएं भक्त प्रेम से॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

तुम हो सबके संकट हरते। सबकी मनोकामना पूरी करते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

खाटू के धाम में दर्शन को। भक्तों का तांता लगा रहे॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

श्याम तुम्हारा रूप निराला। भक्तों पर कृपा की माला॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

तुम हो सबके पालनहारे। संकट हरने वाले॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

जो भी तेरा नाम जपते। भक्तों के कष्ट हर लेते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

कृपा की दृष्टि कर दो। श्याम प्रेम से भक्त हैं गाते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

तुम हो सच्चे देव हमारे। सच्चे मन से सुमिरन करते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

श्याम तुम्हारा ध्यान लगाएं। भक्तों के दुख हर लेते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

तुम्हें सुमिरन करते हैं। श्याम कृपा बरसाते रहते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

श्याम की महिमा अपरंपार। भक्तों की रक्षा करते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

तुम्हें शरण में जो भी आए। भक्तों के कष्ट हर लेते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

श्याम नाम की महिमा गाएं। भक्तों के दुख हर लेते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

खाटू के श्याम कृपा करो। भक्तों के दुख हर लेते॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥
जय जय श्री श्याम हमारे। बाबा जय जय श्री श्याम॥

॥दोहा॥
शरणागत को शरण में लेकर, करते सबका उद्धार।
बाबा श्याम की महिमा गाएं, सदा करो जयकार॥

चालीसा के लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक शांति और उन्नति प्राप्त होती है।
  2. संकटों से मुक्ति: जीवन के संकटों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  3. भयमुक्त जीवन: किसी भी प्रकार के भय का नाश होता है।
  4. आर्थिक समृद्धि: आर्थिक स्थिरता और समृद्धि मिलती है।
  5. शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  6. दुष्टों का नाश: बुरी शक्तियों और दुश्मनों का नाश होता है।
  7. परिवारिक सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।
  8. कार्यक्षेत्र में सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।
  9. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  10. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  11. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास बढ़ता है।
  12. नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
  13. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है।
  14. रोगों का नाश: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  15. मनोकामनाओं की पूर्ति: सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  16. भक्ति की वृद्धि: भक्त की धार्मिकता और भक्ति बढ़ती है।
  17. सर्वांगीण विकास: जीवन के हर क्षेत्र में सर्वांगीण विकास होता है।
  18. परिवारिक विवादों का नाश: परिवार में होने वाले विवाद समाप्त होते हैं।
  19. मानसिक तनाव से मुक्ति: मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।
  20. कर्मों का फल: अच्छे कर्मों का फल प्राप्त होता है।

विधि

  1. दिन: सोमवार और गुरुवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: खाटू श्याम चालीसा का नियमित पठन एक महीने तक करना चाहिए। कुछ लोग इसे 21 दिनों तक भी करते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  4. स्नान और शुद्धि: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
  5. धूप और दीपक: भगवान खाटू श्याम की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाएं।
  6. प्रसाद: पाठ के बाद भगवान खाटू श्याम को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ करने से पहले शरीर और स्थान की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  2. शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और पवित्र रखें।
  3. संकल्प: खाटू श्याम चालीसा का पाठ करने से पहले एक संकल्प लें।
  4. ध्यान: भगवान खाटू श्याम के ध्यान में पूरी तरह लीन होकर पाठ करें।
  5. व्रत: सोमवार और गुरुवार को व्रत रखें तो और भी शुभ फल मिलता है।
  6. नियमितता: एक बार पाठ शुरू करने के बाद इसे नियमित रूप से समाप्त करें।
  7. सात्विक आहार: सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक आहार से बचें।
  8. भक्तिपूर्ण हृदय: भगवान खाटू श्याम के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
  9. समय: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
  10. विनम्रता: भगवान खाटू श्याम से विनम्रता और प्रेमपूर्वक प्रार्थना करें।

Get mantra diksha

पढ़ते समय सावधानियाँ

  1. अव्यवधानता: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
  2. अपवित्रता: पाठ करने वाले का मन और शरीर अपवित्र न हो।
  3. ध्यान की कमी: ध्यान की कमी न हो, पूरे मनोयोग से पाठ करें।
  4. गलत उच्चारण: श्लोकों का गलत उच्चारण न करें।
  5. आलस्य: आलस्य और उदासीनता से बचें।
  6. द्वेष भावना: मन में किसी के प्रति द्वेष भावना न रखें।
  7. शोर-शराबा: पाठ करते समय शोर-शराबा न हो।
  8. तामसिक वस्त्र: तामसिक वस्त्र न पहनें।
  9. अन्य कार्य: पाठ के समय अन्य कार्य न करें।
  10. समय की पाबंदी: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।

online shop

खाटू श्याम चालीसा पृश्न उत्तर

  1. खाटू श्याम चालीसा क्या है? खाटू श्याम चालीसा भगवान खाटू श्याम को समर्पित एक भक्ति काव्य है जो संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
  2. खाटू श्याम चालीसा का पठन कब करना चाहिए? सोमवार और गुरुवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है।
  3. क्या खाटू श्याम चालीसा का पठन दिन में कभी भी किया जा सकता है? हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  4. खाटू श्याम चालीसा का पठन करने से क्या लाभ होते हैं? संकटों से मुक्ति, आर्थिक समृद्धि, शारीरिक स्वास्थ्य, और मानसिक शांति जैसे अनेक लाभ होते हैं।
  5. क्या खाटू श्याम चालीसा का पाठ व्रत के साथ करना चाहिए? व्रत रखने से और भी शुभ फल मिलता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है।
  6. क्या खाटू श्याम चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है? हां, इसे समूह में भी किया जा सकता है।
  7. क्या खाटू श्याम चालीसा का पाठ किसी भी समय कर सकते हैं? हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त और संध्या काल में पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है।
  8. क्या खाटू श्याम चालीसा का पाठ करने से भूत-प्रेतों से सुरक्षा होती है? हां, यह भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  9. क्या खाटू श्याम चालीसा का पाठ करते समय विशेष दिशा में बैठना चाहिए? उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना शुभ माना जाता है।
  10. क्या खाटू श्याम चालीसा का पाठ शुद्ध मन से करना चाहिए? हां, शुद्ध मन और पूर्ण भक्तिभाव से पाठ करना चाहिए।
  11. क्या खाटू श्याम चालीसा का पाठ करने से शिक्षा में सफलता मिलती है? हां, इससे विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  12. क्या खाटू श्याम चालीसा का पाठ मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाता है? हां, यह मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाता है।

Shani chalisa paath for vighna badha

Shani chalisa paath for vighna badha

विघ्न नष्ट करने वाला शनि चालीसा भगवान शनि को समर्पित एक विशेष भक्ति काव्य है, जिसका पठन शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। शनि देव को न्याय के देवता माना जाता है और उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में संतुलन, न्याय और समृद्धि आती है।

संपूर्ण शनि चालीसा

॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

॥चौपाई॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनया, राखु जन की लाज॥

जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हीरा लाल जगमग दमके॥

कटि निषंग, कटि धरि भाला। ध्वजा आसन पर भाव विराजै॥
ग्रथ-अस्त्र और त्रिशूल नाथहिं। यस प्रताप तव है सब जानहि॥

गज वृषभ तूरंग निषाना। सुसमीरन मृग वाहन जानो॥
कहसि सत्य जोधक आदेशा। भव भय हारक मोह विरोधा॥

सूक्ष्म नयन भूधर सा पाहन। तपसि धाम सुनहु धरम जहान॥
जिन शरण तव पराई राखा। अष्ट सिद्ध नव निथिज काखा॥

शुभ्र मण्डप पर महान, गरिष्ठ। सुनहु सत्य सत्वित सुखृष्टि॥
नाम उचारत सब सुख पावें। सूर, निशा निशा जग जावें॥

लाखा अद्वैत सतसंग त्वरिता। लंकाकाण्ड कृपा स्वरूपा॥
कहसि द्रव हेरि मन मोहित। दिन-दिन सुख अनन्ता जोहित॥

करत जगत सुख दुःख प्रकटई। तव महिमा, यश कहे, बड़ई॥
दीन दयाल, सुबन्धु सुधानाथ। हित सत्संग गुण नित्य सुरनाथ॥

करहु सहाय करत तव नीको। जय जय जय शनिदेव दिने को॥
जयति जयति जय जय जयति जय। करहु सहाय करत शंकर मन॥

॥दोहा॥
दास शरण तव आयो। रक्षा करहु सहाई॥
कहत राम अयोध्या मुनि। प्रकटत जगत कवनाई॥

लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि: शनि चालीसा का पठन आर्थिक स्थिरता और समृद्धि लाता है।
  2. संकटों से मुक्ति: जीवन के संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
  3. भयमुक्त जीवन: जीवन में किसी भी प्रकार के भय का नाश होता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक उन्नति होती है और भगवान शनि की कृपा प्राप्त होती है।
  5. धन और समृद्धि: आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  6. परिवारिक सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।
  7. शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  8. दुष्टों का नाश: बुरी शक्तियों और दुश्मनों का नाश होता है।
  9. कार्यक्षेत्र में सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।
  10. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  11. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  12. आत्मविश्वास में वृद्धि: जीवन में आने वाले कठिनाईयों से निपटने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
  13. नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
  14. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है।
  15. रोगों का नाश: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  16. मनोकामनाओं की पूर्ति: सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  17. भक्ति की वृद्धि: भक्त की धार्मिकता और भक्ति बढ़ती है।
  18. सर्वांगीण विकास: जीवन के हर क्षेत्र में सर्वांगीण विकास होता है।
  19. परिवारिक विवादों का नाश: परिवार में होने वाले विवाद समाप्त होते हैं।
  20. मानसिक तनाव से मुक्ति: मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।

विधि

  1. दिन: शनिवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: शनि चालीसा का नियमित पठन एक महीने तक करना चाहिए। कुछ लोग इसे 21 दिनों तक भी करते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  4. स्नान और शुद्धि: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
  5. धूप और दीपक: भगवान शनि की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाएं।
  6. प्रसाद: पाठ के बाद भगवान शनि को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ करने से पहले शरीर और स्थान की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  2. शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और पवित्र रखें।
  3. संकल्प: शनि चालीसा का पाठ करने से पहले एक संकल्प लें।
  4. ध्यान: भगवान शनि के ध्यान में पूरी तरह लीन होकर पाठ करें।
  5. व्रत: शनिवार को व्रत रखें तो और भी शुभ फल मिलता है।
  6. नियमितता: एक बार पाठ शुरू करने के बाद इसे नियमित रूप से समाप्त करें।
  7. सात्विक आहार: सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक आहार से बचें।
  8. भक्तिपूर्ण हृदय: भगवान शनि के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
  9. समय: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
  10. विनम्रता: भगवान शनि से विनम्रता और प्रेमपूर्वक प्रार्थना करें।

Get mantra diksha

शनि चालीसा पढ़ते समय सावधानियाँ

  1. अव्यवधानता: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
  2. अपवित्रता: पाठ करने वाले का मन और शरीर अपवित्र न हो।
  3. ध्यान की कमी: ध्यान की कमी न हो, पूरे मनोयोग से पाठ करें।
  4. गलत उच्चारण: श्लोकों का गलत उच्चारण न करें।
  5. आलस्य: आलस्य और उदासीनता से बचें।
  6. द्वेष भावना: मन में किसी के प्रति द्वेष भावना न रखें।
  7. शोर-शराबा: पाठ करते समय शोर-शराबा न हो।
  8. तामसिक वस्त्र: तामसिक वस्त्र न पहनें।
  9. अन्य कार्य: पाठ के समय अन्य कार्य न करें।
  10. समय की पाबंदी: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।

online store

शनि चालीसा पृश्न उत्तर

  1. शनि चालीसा क्या है?
    शनि चालीसा भगवान शनि को समर्पित एक भक्ति काव्य है जो संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
  2. शनि चालीसा का पठन कब करना चाहिए?
    शनिवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है।
  3. क्या शनि चालीसा का पठन किसी भी समय किया जा सकता है?
    हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त और सूर्यास्त के समय इसका पठन अधिक शुभ माना जाता है।
  4. क्या शनि चालीसा का पाठ करने से सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं?
    हां, इसे भक्तिपूर्वक करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।
  5. शनि चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    इसे 21 दिनों या एक महीने तक नियमित रूप से करना चाहिए।
  6. क्या शनि चालीसा का पाठ करने से धन-संपत्ति मिल सकती है?
    हां, भगवान शनि की कृपा से आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  7. क्या शनि चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    हां, यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  8. शनि चालीसा का पाठ कैसे शुरू करें?
    स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें, और भगवान शनि की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाकर पाठ शुरू करें।
  9. क्या शनि चालीसा का पाठ करते समय व्रत रखना आवश्यक है?
    व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन इससे और अधिक शुभ फल मिलता है।
  10. क्या शनि चालीसा का पाठ करते समय कोई विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
    उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना शुभ माना जाता है।
  11. क्या शनि चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
    हां, इसे समूह में भी किया जा सकता है।
  12. क्या शनि चालीसा का पाठ करने से भय दूर होता है?
    हां, यह भय और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाता है।

Shri rama chalisa paath for Obstacles

Shri rama chalisa paath for Obstacles

विघ्न बाधा को नष्ट करने वाला श्री राम चालीसा, भगवान श्री राम को समर्पित एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली भक्ति काव्य है। इसे तुलसीदास जी द्वारा रचित माना जाता है। श्री राम चालीसा का पठन भक्तों को शांति, समृद्धि, और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने में सहायता करता है।

संपूर्ण श्री राम चालीसा

श्री गणेशाय नमः

दोहा:
भाषा खग, मृग, वृन्द, सुभाऊ।
रामचंद्र के चितवत भाऊ।।
नाना भांति राम अवतारा।
रामायन सत कोटि अपारा।।

चौपाई:
श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं।।

कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं।
पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरं।।

भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं।
रघुनंद आनंद कंद कोशल चंद्र दशरथ नंदनं।।

शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं।
आजानुभुज शर चाप धर संग्राम जीत खरदूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं।
मम हृदय कंज निवास कुरु कामादि खल दल गंजनं।।

दोहा:
मनोजवं मारुत तुल्य वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथ मुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।

दोहा:
श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं।।

लाभ

  1. मानसिक शांति: श्री राम चालीसा का नियमित पठन मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  2. संकटों से मुक्ति: यह स्तोत्र जीवन के संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
  3. भयमुक्त जीवन: जीवन में किसी भी प्रकार के भय का नाश होता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक उन्नति होती है और भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है।
  5. धन और समृद्धि: आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  6. परिवारिक सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।
  7. शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  8. दुष्टों का नाश: बुरी शक्तियों और दुश्मनों का नाश होता है।
  9. कार्यक्षेत्र में सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।
  10. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  11. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  12. आत्मविश्वास में वृद्धि: जीवन में आने वाले कठिनाईयों से निपटने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
  13. नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
  14. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है।
  15. रोगों का नाश: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  16. मनोकामनाओं की पूर्ति: सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  17. भक्ति की वृद्धि: भक्त की धार्मिकता और भक्ति बढ़ती है।
  18. सर्वांगीण विकास: जीवन के हर क्षेत्र में सर्वांगीण विकास होता है।
  19. परिवारिक विवादों का नाश: परिवार में होने वाले विवाद समाप्त होते हैं।
  20. मानसिक तनाव से मुक्ति: मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।

विधि

  1. दिन: मंगलवार और गुरुवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: श्री राम चालीसा का नियमित पठन एक महीने तक करना चाहिए। कुछ लोग इसे 21 दिनों तक भी करते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  4. स्नान और शुद्धि: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
  5. धूप और दीपक: भगवान राम की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाएं।
  6. प्रसाद: पाठ के बाद भगवान राम को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ करने से पहले शरीर और स्थान की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  2. शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और पवित्र रखें।
  3. संकल्प: श्री राम चालीसा का पाठ करने से पहले एक संकल्प लें।
  4. ध्यान: भगवान राम के ध्यान में पूरी तरह लीन होकर पाठ करें।
  5. व्रत: मंगलवार और गुरुवार को व्रत रखें तो और भी शुभ फल मिलता है।
  6. नियमितता: एक बार पाठ शुरू करने के बाद इसे नियमित रूप से समाप्त करें।
  7. सात्विक आहार: सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक आहार से बचें।
  8. भक्तिपूर्ण हृदय: भगवान राम के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
  9. समय: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
  10. विनम्रता: भगवान राम से विनम्रता और प्रेमपूर्वक प्रार्थना करें।

Get mantra diksha

सावधानियाँ

  1. अव्यवधानता: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
  2. अपवित्रता: पाठ करने वाले का मन और शरीर अपवित्र न हो।
  3. ध्यान की कमी: ध्यान की कमी न हो, पूरे मनोयोग से पाठ करें।
  4. गलत उच्चारण: श्लोकों का गलत उच्चारण न करें।
  5. आलस्य: आलस्य और उदासीनता से बचें।
  6. द्वेष भावना: मन में किसी के प्रति द्वेष भावना न रखें।
  7. शोर-शराबा: पाठ करते समय शोर-शराबा न हो।
  8. तामसिक वस्त्र: तामसिक वस्त्र न पहनें।
  9. अन्य कार्य: पाठ के समय अन्य कार्य न करें।
  10. समय की पाबंदी: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।

online store

श्री राम चालीसा के FAQs

  1. श्री राम चालीसा क्या है?
    श्री राम चालीसा भगवान राम को समर्पित एक भक्ति काव्य है जो संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
  2. श्री राम चालीसा का पठन कब करना चाहिए?
    मंगलवार और गुरुवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है।
  3. क्या श्री राम चालीसा का पठन किसी भी समय किया जा सकता है?
    हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त और सूर्यास्त के समय इसका पठन अधिक शुभ माना जाता है।
  4. क्या श्री राम चालीसा का पाठ करने से सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं?
    हां, इसे भक्तिपूर्वक करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।
  5. श्री राम चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    इसे 21 दिनों या एक महीने तक नियमित रूप से करना चाहिए।
  6. क्या श्री राम चालीसा का पाठ करने से धन-संपत्ति मिल सकती है?
    हां, भगवान राम की कृपा से आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  7. क्या श्री राम चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    हां, यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  8. श्री राम चालीसा का पाठ कैसे शुरू करें?
    स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें, और भगवान राम की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाकर पाठ शुरू करें।
  9. क्या श्री राम चालीसा का पाठ करते समय व्रत रखना आवश्यक है?
    व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन इससे और अधिक शुभ फल मिलता है।
  10. क्या श्री राम चालीसा का पाठ करते समय कोई विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
    उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना शुभ माना जाता है।
  11. क्या श्री राम चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
    हां, इसे समूह में भी किया जा सकता है।
  12. क्या श्री राम चालीसा का पाठ करने से भय दूर होता है?
    हां, यह भय और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाता है।

Bajarang baan paath for Wishes

Bajarang baan paath for Wishes

मनोकामना पूरी करने वाला बजरंग बाण एक पवित्र और शक्तिशाली भक्ति स्तोत्र है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। इसे विशेष रूप से संकटों और विपत्तियों से मुक्ति पाने के लिए पढ़ा जाता है। बजरंग बाण के पठन से भक्तों को आंतरिक शांति, सुरक्षा और साहस मिलता है। यह स्तोत्र भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अद्वितीय माना जाता है।

संपूर्ण बजरंग बाण

दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीतहि ते, विनय करे सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करे हनुमान।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकन्दन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
असबर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जै जै जै हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥

जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

दोहा
लंक विध्वंस रावण कंठी, विदित जगत बिधाता।
तुम्हरे ताणे रहत सहाय, सदा हरिवंश विधाता॥

मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी॥

अंजनी सूत असीम हितकारी।
हिंडोलित जय सिया बलिहारी॥

बजरंगी सुनो सिय पिय प्यारे।
सिंहासनि एक लोक पुरंदरे॥

अद्भुत रूप भाल बाले।
सुवन होय सब कार्य सिद्ध बाले॥

बजरंगी सुनो राम रतन।
राम कहैं तुम श्रुतमणि धन॥

अचल अडिग अतुलित बल धामा।
तुम्हरी शरण पयोधि रनधामा॥

राम द्वार ध्वज ऊपर गाड़ा।
सुमिरो तुम्हहि सकल दुख हारा॥

राम-राम जय राम मुरारी।
तुम सम बलवान राम दुहारी॥

ब्रह्मा विष्णु शिव पार ना पावैं।
नारद सारद सदा सुहावैं॥

कहां विधि धरि व्यथा बखानी।
सुमिरो तुम्हहि सकल गुण खानी॥

तुम हो सकल सुख करि साधक।
मनोकामना सिद्ध प्रदायक॥

दोहा
अंजनी ललन शंकर सुवन।
वायु जाति अति बलवन्त॥

महाबीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुण्डल कंचन केसा॥

हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै।
काँधे मूंज जनेउ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥

विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो यश गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

यम कुबेर दिगपाल जहांते।
कवि कोविद कहि सके कहांते॥

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहे तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥

भूत पिशाच निकट नहीं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावैं।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावैं॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
असबर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जै जै जै हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥

जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

लाभ

  1. संकटों से मुक्ति: बजरंग बाण का नियमित पठन जीवन के सभी संकटों को दूर करता है।
  2. आध्यात्मिक शांति: भगवान हनुमान की कृपा से मन को शांति और संतुलन मिलता है।
  3. साहस और बल: यह स्तोत्र मानसिक और शारीरिक साहस प्रदान करता है।
  4. धार्मिकता की वृद्धि: भक्त की धार्मिकता और भक्ति बढ़ती है।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि: जीवन में आने वाले कठिनाईयों से निपटने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
  6. नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
  7. स्वास्थ्य में सुधार: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  8. धन और समृद्धि: आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  9. परिवारिक सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।
  10. दुष्टों का नाश: बुरी शक्तियों और दुश्मनों का नाश होता है।
  11. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती है।
  12. कार्यक्षेत्र में सफलता: व्यवसाय और नौकरी में सफलता मिलती है।
  13. भयमुक्त जीवन: जीवन में किसी भी प्रकार के भय का नाश होता है।
  14. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  15. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  16. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक उन्नति होती है।
  17. पारिवारिक विवादों का नाश: परिवार में होने वाले विवाद समाप्त होते हैं।
  18. मानसिक तनाव से मुक्ति: मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।
  19. रोगों का नाश: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  20. सर्वांगीण विकास: जीवन के हर क्षेत्र में सर्वांगीण विकास होता है।

विधि

  1. दिन: मंगलवार और शनिवार भगवान हनुमान के लिए विशेष माने जाते हैं। इन दिनों में बजरंग बाण का पाठ करना शुभ होता है।
  2. अवधि: बजरंग बाण का नियमित पठन एक महीने तक करना चाहिए। कुछ लोग इसे 21 दिनों तक भी करते हैं।
  3. मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  4. स्नान और शुद्धि: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
  5. धूप और दीपक: भगवान हनुमान की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाएं।
  6. प्रसाद: पाठ के बाद भगवान हनुमान को नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ करने से पहले शरीर और स्थान की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  2. शुद्ध मन: पाठ करते समय मन को शांत और पवित्र रखें।
  3. संकल्प: बजरंग बाण का पाठ करने से पहले एक संकल्प लें।
  4. ध्यान: भगवान हनुमान के ध्यान में पूरी तरह लीन होकर पाठ करें।
  5. व्रत: मंगलवार और शनिवार को व्रत रखें तो और भी शुभ फल मिलता है।
  6. नियमितता: एक बार पाठ शुरू करने के बाद इसे नियमित रूप से समाप्त करें।
  7. सात्विक आहार: सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक आहार से बचें।
  8. भक्तिपूर्ण हृदय: भगवान हनुमान के प्रति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
  9. समय: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
  10. विनम्रता: भगवान हनुमान से विनम्रता और प्रेमपूर्वक प्रार्थना करें।

Get mantra diksha

बजरंग बाण पढ़ते समय सावधानियाँ

  1. अव्यवधानता: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो।
  2. अपवित्रता: पाठ करने वाले का मन और शरीर अपवित्र न हो।
  3. ध्यान की कमी: ध्यान की कमी न हो, पूरे मनोयोग से पाठ करें।
  4. गलत उच्चारण: श्लोकों का गलत उच्चारण न करें।
  5. आलस्य: आलस्य और उदासीनता से बचें।
  6. द्वेष भावना: मन में किसी के प्रति द्वेष भावना न रखें।
  7. शोर-शराबा: पाठ करते समय शोर-शराबा न हो।
  8. तामसिक वस्त्र: तामसिक वस्त्र न पहनें।
  9. अन्य कार्य: पाठ के समय अन्य कार्य न करें।
  10. समय की पाबंदी: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।

online spiritual store

बजरंग बाण के पृश्न उत्तर

  1. बजरंग बाण क्या है?
    बजरंग बाण भगवान हनुमान का एक स्तोत्र है जो संकटों और विपत्तियों से मुक्ति दिलाता है।
  2. बजरंग बाण का पठन कब करना चाहिए?
    मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से पठन करना शुभ माना जाता है।
  3. क्या बजरंग बाण का पठन किसी भी समय किया जा सकता है?
    हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त और सूर्यास्त के समय इसका पठन अधिक शुभ माना जाता है।
  4. क्या बजरंग बाण का पाठ करने से सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं?
    हां, इसे भक्तिपूर्वक करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।
  5. बजरंग बाण का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    इसे 21 दिनों या एक महीने तक नियमित रूप से करना चाहिए।
  6. क्या बजरंग बाण का पाठ करने से धन-संपत्ति मिल सकती है?
    हां, भगवान हनुमान की कृपा से आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  7. क्या बजरंग बाण का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    हां, यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  8. बजरंग बाण का पाठ कैसे शुरू करें?
    स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें, और भगवान हनुमान की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाकर पाठ शुरू करें।
  9. क्या बजरंग बाण का पाठ करते समय व्रत रखना आवश्यक है?
    व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन इससे और अधिक शुभ फल मिलता है।
  10. क्या बजरंग बाण का पाठ करते समय कोई विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
    उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना शुभ माना जाता है।
  11. क्या बजरंग बाण का पाठ समूह में किया जा सकता है?
    हां, इसे समूह में भी किया जा सकता है।
  12. क्या बजरंग बाण का पाठ करने से भय दूर होता है?
    हां, यह भय और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाता है।

Tara Chalisa paath for Money Attraction

Tara Chalisa paath for Money Attraction

अकस्मात धन का सुख देने वाली माता तारा चालीसा का पाठ और पूजा विधि आपको विशेष लाभ प्रदान करेगी। तारा देवी की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि बनी रहेगी। श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करने से देवी तारा आपके सभी कष्टों का निवारण करेंगी।

तारा चालीसा

॥दोहा॥

श्री गणपति गुरु गौरी, पूजिहउं सिर नाइ।
तारा बल जल सोखनि, बिमल विद्या दाइ॥

॥चालीसा॥

नमो नमो तारा जगदम्बा।
तुम बिन होत न होई अम्बा॥

जय हेमवती जय जगदम्बे।
जय अचला जय दुर्गे अम्बे॥

शिवशंकर की तुम हो प्यारी।
करहुं कृपा मति हो संहारी॥

जय गायत्री वेद की माता।
तुम बिन काहु न सुघर विधाता॥

ब्रह्मा विष्णु महेश सवारी।
तीनों देव तुम्हारे पुजारी॥

करहुं दया मति ममता भारी।
हम सबकी तुम हो हितकारी॥

सृष्टि पालन तुम्हारे बस में।
तुम्ह बिन कहुं न दूजा जग में॥

रक्षक हो तुम परम विशाल।
तुम्हरा कृपा सदा सुफल॥

शरणागत की तुम हो माता।
कृपा करो अम्बे विघ्न हटा॥

शत्रु विनाशिनी मति हो माती।
तुम्ह बिन पूर्ण कहुं नहि पाती॥

भव सागर सब पार करावे।
तारा भवानी कृपा बरसावे॥

संत जनों की तुम हो प्यारी।
तुम्ह बिन होत न कोई भिखारी॥

रिद्धि सिद्धि की तुम हो दाता।
विपत्ति हरो सबकी विधाता॥

दीन हीन के दुख हरणी।
तुम हो सबकी अधिपति मरणी॥

अघट की तुम हो महिमा भारी।
तुम बिन सृष्टि न कोई उधारी॥

शरणागत को ना तजना।
तुम बिन कौन करू उद्धार॥

कृपा दृष्टि करहुं हम पर।
सुख संपत्ति होय घर घर॥

दया करो अब तुम मति मारी।
हम पर अम्बे कृपा उतारी॥

॥दोहा॥

शरणागत की रक्षा करु, दुष्ट दलन कर पाय।
तारा भवानी मति मति, संकट दूर कराय॥


लाभ

  1. सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति: तारा चालीसा का नियमित पाठ सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
  2. धन और संपत्ति में वृद्धि: आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  3. शत्रुओं का नाश: शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में शांति आती है।
  4. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. सफलता: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  7. सुख-समृद्धि: परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास होता है और ध्यान में स्थिरता मिलती है।
  9. विद्या और बुद्धि में वृद्धि: विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।
  10. संतान प्राप्ति: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  11. विवाह संबंधित समस्याओं का निवारण: विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
  12. समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
  13. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  14. क्लेश मुक्ति: परिवारिक क्लेश और संघर्ष समाप्त होते हैं।
  15. मंत्र सिद्धि: तारा चालीसा का पाठ मंत्र सिद्धि दिलाता है।
  16. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़ता है।
  17. भय मुक्ति: सभी प्रकार के भय और आशंकाओं से मुक्ति मिलती है।
  18. कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है।
  19. शांति और संतोष: मन में शांति और संतोष की भावना बनी रहती है।
  20. सद्गुणों का विकास: सद्गुणों और नैतिकता का विकास होता है।

विधि

दिन और मुहूर्त

  • दिन: तारा देवी की पूजा का सबसे शुभ दिन मंगलवार और शुक्रवार माना जाता है।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में पूजा करना विशेष शुभ माना जाता है।

अवधि

  • अवधि: तारा चालीसा का पाठ कम से कम 40 दिनों तक नियमित रूप से किया जाना चाहिए।

नियम

  1. शुद्धता: पूजा स्थल और स्वयं की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. ध्यान: ध्यान और एकाग्रता के साथ चालीसा का पाठ करें।
  3. भक्ति: मन, वचन और कर्म से पूर्ण भक्ति और श्रद्धा रखें।
  4. व्रत: पूजा के दिन व्रत रख सकते हैं, विशेषकर मंगलवार और शुक्रवार को।
  5. सात्विक आहार: पूजा के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें।

Get mantra diksha

सावधानियां

  1. अशुद्धता: अशुद्ध स्थान या वस्त्र का प्रयोग न करें।
  2. व्याकुलता: मन को व्याकुल न होने दें, शांति बनाए रखें।
  3. नियमितता: पूजा और पाठ में नियमितता बनाए रखें।
  4. वाणी: पूजा के दौरान असत्य या अपशब्द का प्रयोग न करें।
  5. समय: निर्धारित समय पर ही पूजा करें, समय का ध्यान रखें।

online shop

तारा चालीसा FAQs

  1. तारा देवी कौन हैं?
    • तारा देवी हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं, जिन्हें तारा माता के नाम से भी जाना जाता है।
  2. तारा देवी की पूजा कब की जाती है?
    • तारा देवी की पूजा मुख्यतः मंगलवार और शुक्रवार को की जाती है।
  3. तारा देवी का वाहन कौन है?
    • तारा देवी का वाहन सिंह है।
  4. तारा देवी की पूजा का क्या लाभ है?
    • तारा देवी की पूजा से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति, धन, स्वास्थ्य, और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  5. तारा देवी की पूजा के लिए कौन सा दिन शुभ है?
    • मंगलवार और शुक्रवार तारा देवी की पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं।
  6. तारा देवी की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
    • पूजा में लाल फूल, धूप, दीप, नारियल, फल, मिठाई, और सफेद वस्त्रों का प्रयोग होता है।
  7. तारा देवी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में पूजा करना विशेष शुभ माना जाता है।
  8. तारा देवी की पूजा से कौन-कौन से कष्ट दूर होते हैं?
    • जीवन के सभी प्रकार के कष्ट, रोग, और विपत्तियाँ दूर होती हैं।
  9. क्या तारा देवी की पूजा केवल मंगलवार और शुक्रवार को ही की जा सकती है?
    • नहीं, तारा देवी की पूजा किसी भी शुभ दिन पर की जा सकती है।
  10. तारा देवी की पूजा में किन मंत्रों का जाप किया जाता है?
    • “ॐ तारा नमः” मंत्र का जाप किया जाता है।
  11. तारा देवी की पूजा में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • पूजा करते समय शुद्धता, श्रद्धा, और संकल्प का ध्यान रखना चाहिए।
  12. क्या तारा देवी की पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
    • व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन इच्छा अनुसार रखा जा सकता है।