दशा माता की पूजा साधना चैत्र मात्र के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को पूजा व्रत को किया जाता है, कहा जाता है कि दशा माता की पूजा साधना और व्रत करने से घर की दशा में सुधार आता है और दरिद्रता, वाद-विवाद, क्लेश व घर मे आने वाली हर तरह की समस्य का अंत होता है। इस दिन घर की महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गांठे लगाती हैं और फिर उसे लेकर पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं। इस व्रत में डोरे का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह दशा माता का डोरा कहलाता है, जिसे महिलाएं साल भर तक गले में धारण करती हैं।
दशा माता की पूजा का प्रमुख उद्देश्य व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की दशाओं (कठिनाइयों) से मुक्ति दिलाना है। दशा माता को विशेष रूप से परिवार की रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। उन्हें विशेषतः स्त्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो परिवार के समस्त सदस्यों की समृद्धि और कल्याण के लिए इस पूजा को करती हैं।
दशा माता की पूजा विधि व नियम
- स्नान: पूजा की शुरुआत में स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
- कलश स्थापना: पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें। कलश में पानी डालें, सुपारी, नारियल, चंदन, कुमकुम, अक्षत, इलायची, धूप, दीप, नौवें कुआँ के पानी से भरा तांबा, और कुछ धार्मिक पुस्तकें रखें।
- कलश पूजा: कलश पूजन करें।
- गणेश पूजा: गणेश जी की पूजा करें।
- देवी पूजा: दशा माता की मूर्ति के सामने आसन पर बैठें और पूजा करें।
- मंत्र जाप: “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दशायै नमः” मंत्र का जाप करें।
- प्रार्थना: अंत में, दशा माता से अपनी मनोकामनाएं मांगें और पूजा को समाप्त करें।
दशा माता की पूजा का महत्त्व है क्योंकि इससे व्यक्ति को संतुष्टि, समृद्धि, स्थिरता और सफलता प्राप्त होती है। ये देवी के नौ रूपों की पूजा के रूप में मानी जाती है।
दशा माता मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ
दशा माता मंत्र “॥ॐ ह्रीं क्लीं दशा माते सर्व कार्य सिद्धिं देही नमः॥” का अर्थ इस प्रकार है:
- ॐ: यह ध्वनि ब्रह्माण्ड की सबसे पवित्र और मौलिक ध्वनि है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा और ईश्वर का प्रतीक है।
- ह्रीं: यह बीज मंत्र देवी की शक्ति, ऊर्जा, और आशीर्वाद का प्रतीक है। यह मंत्र साधक के मन को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
- क्लीं: यह मंत्र आकर्षण, प्रेम, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यह व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की ओर आकर्षित करता है और सफलता की ओर मार्गदर्शन करता है।
- दशा माते: यह दशा माता को संबोधित करता है, जो जीवन की दशाओं (अर्थात विभिन्न परिस्थितियों) की देवी हैं, और जो कठिन समय में रक्षा करती हैं।
- सर्व कार्य सिद्धिं देही: इसका अर्थ है, “हे माता, मेरे सभी कार्यों को सिद्ध करो,” यानी माता से यह प्रार्थना की जा रही है कि वे साधक के सभी कार्यों को सफल बनाएं।
- नमः: यह शब्द विनम्रता और समर्पण का प्रतीक है। इसका अर्थ है “नमन” या “साष्टांग प्रणाम”।
मंत्र का पूरा अर्थ
“हे दशा माता, मैं आपको प्रणाम करता/करती हूँ। कृपया मुझे आशीर्वाद दें और मेरे सभी कार्यों को सिद्ध (सफल) करें।”
इस मंत्र का जाप व्यक्ति की जीवन की सभी समस्याओं और कठिनाइयों को दूर करने और उन्हें सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए किया जाता है।
दशा माता के लाभ
दशा माता की पूजा और मंत्र जाप करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- परिवारिक सुख: दशा माता की पूजा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- विघ्नों का नाश: जीवन में आने वाले सभी विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं।
- धन और संपत्ति की वृद्धि: यह पूजा धन और संपत्ति में वृद्धि करने में सहायक होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: पूजा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है।
- कार्यक्षेत्र में सफलता: दशा माता की कृपा से कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
- मनोकामना पूर्ति: यह पूजा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने में सहायक होती है।
- शत्रुओं पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और उनकी बुरी योजनाएँ असफल होती हैं।
- धार्मिक उन्नति: धार्मिक दृष्टिकोण से यह पूजा अत्यधिक लाभकारी है।
- समाज में सम्मान: व्यक्ति को समाज में उच्च सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
- संतान सुख: यह पूजा संतान प्राप्ति और उनकी रक्षा में सहायक होती है।
- विवाह में सफलता: जो लोग विवाह में विलंब या समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उन्हें सफलता प्राप्त होती है।
- अकाल मृत्यु से रक्षा: पूजा से अकाल मृत्यु का खतरा समाप्त हो जाता है।
- मनोबल और साहस में वृद्धि: पूजा से मनोबल और साहस में वृद्धि होती है।
- भविष्य के भय से मुक्ति: पूजा करने से भविष्य के किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
दशा माता मंत्र जप विधि
दशा माता मंत्र की विधि बहुत ही सरल और प्रभावी है। इसे करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
मंत्र जप का दिन, अवधि और मुहूर्त
- दिन: दशा माता का मंत्र जप किसी भी शुभ दिन जैसे सोमवार, मंगलवार या गुरुवार को प्रारंभ किया जा सकता है।
- अवधि: यह मंत्र जप ११ से २१ दिनों तक रोजाना करना चाहिए।
- मुहूर्त: मंत्र जप का समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे के बीच) सबसे उत्तम माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो सूर्यास्त के बाद भी इसे किया जा सकता है।
सामग्री
मंत्र जप के लिए आवश्यक सामग्री इस प्रकार है:
- पीला वस्त्र (आसन के लिए)
- रुद्राक्ष या तुलसी की माला (जप के लिए)
- शुद्ध घी का दीपक
- कुमकुम और चंदन
- फूल और अक्षत
- दशा माता की मूर्ति या चित्र
- प्रसाद (मिठाई, फल)
मंत्र जप संख्या
दशा माता मंत्र का जप करते समय निम्नलिखित संख्या का ध्यान रखना चाहिए:
- रोजाना ११ माला का जप करें, जो कुल ११८८ मंत्र होते हैं।
- यह जप ११ से २१ दिनों तक निरंतर करें।
दशा माता मंत्र जप के नियम
दशा माता मंत्र जप करते समय कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है:
- उम्र २० वर्ष के ऊपर: इस मंत्र जप को करने के लिए व्यक्ति की आयु कम से कम २० वर्ष होनी चाहिए।
- स्त्री-पुरुष कोई भी: यह मंत्र जप स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
- ब्लू और ब्लैक कपड़े न पहनें: जप के दौरान नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें।
- धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से परहेज: जप के दौरान धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- शुद्धता का ध्यान: मंत्र जप के समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
- जप के लिए स्थिर और शुद्ध स्थान: मंत्र जप के लिए एक स्थिर और शुद्ध स्थान का चयन करें, जहाँ कोई व्यवधान न हो।
दशा माता मंत्र जप के दौरान सावधानियाँ
मंत्र जप के दौरान कुछ विशेष सावधानियाँ रखनी आवश्यक होती हैं:
- ध्यान और एकाग्रता: मंत्र जप के दौरान ध्यान और एकाग्रता को भंग नहीं होने देना चाहिए।
- शुद्धता का ध्यान: व्यक्तिगत शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। बिना स्नान के मंत्र जप न करें।
- स्थिरता: जप करते समय एक ही स्थान पर स्थिरता से बैठें।
- ब्रह्म मुहूर्त का पालन: मंत्र जप के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे उत्तम समय है, इसे प्राथमिकता दें।
- मन और शरीर को शुद्ध रखें: नकारात्मक विचारों और विकारों से दूर रहें।
- मंत्र जप के दौरान मौन व्रत: मंत्र जप करते समय मौन रहना उत्तम माना जाता है। अनावश्यक बातें न करें।
- आहार का ध्यान: मंत्र जप के दिनों में सात्विक आहार लें और मसालेदार, तामसिक भोजन से बचें।
- जप के स्थान की पवित्रता: जिस स्थान पर मंत्र जप कर रहे हों, उसकी पवित्रता बनाए रखें।
- परिवार के अन्य सदस्य: यदि घर के अन्य सदस्य भी इस समय अनुशासन का पालन करें, तो उत्तम रहेगा।
- विशेष ध्यान: जप करते समय विशेष रूप से दशा माता का ध्यान करते रहें और उनके आशीर्वाद की कामना करें।
दशा माता मंत्र से संबंधित सामान्य प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: क्या दशा माता की पूजा सिर्फ महिलाएं कर सकती हैं?
उत्तर: नहीं, यह पूजा स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
प्रश्न: क्या दशा माता की पूजा किसी विशेष दिन ही करनी चाहिए?
उत्तर: दशा माता की पूजा किसी भी शुभ दिन जैसे सोमवार, मंगलवार या गुरुवार को की जा सकती है।
प्रश्न: क्या पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, पूजा के दौरान व्रत रखना शुभ माना जाता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।
प्रश्न: क्या इस पूजा में मांसाहार और मद्यपान का त्याग करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, इस पूजा के दौरान मांसाहार और मद्यपान का त्याग करना चाहिए।
प्रश्न: क्या पूजा के दौरान कुछ विशेष कपड़े पहनने चाहिए?
उत्तर: हाँ, सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। नीले और काले कपड़ों से बचना चाहिए।
प्रश्न: क्या पूजा के समय कोई विशेष आसन का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, पीले या सफेद वस्त्र का आसन उपयोग करें।
प्रश्न: क्या इस पूजा को घर में करना उचित है?
उत्तर: हाँ, इस पूजा को घर में शुद्ध और पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।
प्रश्न: क्या दशा माता की पूजा के लिए कोई विशेष मुहूर्त होता है?
उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे तक) सबसे शुभ माना जाता है।
प्रश्न: क्या इस पूजा को करने से शत्रुओं से बचाव होता है?
उत्तर: हाँ, दशा माता की पूजा करने से शत्रुओं से रक्षा होती है।
प्रश्न: क्या इस पूजा से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं?
उत्तर: हाँ, यह पूजा विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होती है।
प्रश्न: क्या यह पूजा सिर्फ व्यक्ति विशेष के लिए की जाती है?
उत्तर: नहीं, यह पूजा पूरे परिवार की समृद्धि और कल्याण के लिए की जा सकती है।
प्रश्न: क्या पूजा के दौरान कोई विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, दशा माता मंत्र “ॐ ह्रीं क्लीं दशा माते सर्व कार्य सिद्धिं देही नमः” का जाप करना चाहिए।
प्रश्न: क्या पूजा के बाद कोई विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
उत्तर: हाँ, पूजा के बाद मिठाई, फल, और अन्य शुद्ध प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
प्रश्न: क्या पूजा के दौरान दीपक जलाना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, पूजा के दौरान शुद्ध घी का दीपक जलाना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
प्रश्न: क्या पूजा के समय ध्यान और मौन व्रत रखना चाहिए?
उत्तर: हाँ, पूजा के समय ध्यान और मौन व्रत रखना उचित होता है, इससे एकाग्रता बढ़ती है।
दशा माता की पूजा और मंत्र जाप भारतीय परंपरा में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यह पूजा व्यक्ति को जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है। दशा माता की कृपा से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। मंत्र जप के दौरान अनुशासन और शुद्धता का पालन करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। इस पूजा को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से दशा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन को सुखमय और सफल बनाता है।