Ruru Bhairav Sadhana For Destroy Negativity

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रुरु भैरव एक प्रमुख भैरव रूप हैं, जो कि भगवान शिव के उग्र रूपों में से एक हैं। रुरु भैरव को आत्मज्ञान, उदारता, और प्रेम का प्रतीक माना जाता हैं। उनके ध्यान से …

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Description

रुरु भैरव एक प्रमुख भैरव रूप हैं, जो कि भगवान शिव के उग्र रूपों में से एक हैं। रुरु भैरव को आत्मज्ञान, उदारता, और प्रेम का प्रतीक माना जाता हैं। ये मनुष्य को सही दिशा देते है, यानी गलत मार्ग मे जाने से बचाते है।

रुरु भैरव साधना के लाभ

  1. तंत्र बाधाओं से सुरक्षा: रुरु भैरव साधना से साधक को तंत्र और जादू-टोना जैसी नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा मिलती है।
  2. शत्रु नाश: यह साधना शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक होती है और उनके प्रभाव को समाप्त करती है।
  3. धन प्राप्ति: साधक को आर्थिक समृद्धि और स्थायित्व प्राप्त होता है।
  4. मानसिक शांति: यह साधना साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करती है।
  5. आकर्षण शक्ति: साधना से साधक की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे वे समाज में आदर और सम्मान प्राप्त करते हैं।
  6. संकटों का निवारण: रुरु भैरव साधना जीवन के सभी संकटों और बाधाओं का निवारण करती है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: साधना से साधक को आध्यात्मिक उन्नति और गहन आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
  8. साहस और आत्मविश्वास: साधना से साधक के अंदर साहस और आत्मविश्वास का संचार होता है।
  9. परिवारिक सुख-शांति: यह साधना परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने में सहायक होती है।
  10. क्लेश निवारण: यह साधना साधक के जीवन से सभी प्रकार के क्लेश और दुखों का निवारण करती है।
  11. स्वास्थ्य लाभ: साधना से साधक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  12. संपत्ति रक्षा: साधना से साधक की संपत्ति और धन की रक्षा होती है।
  13. विघ्न नाश: साधना से जीवन में आने वाली सभी विघ्न-बाधाओं का नाश होता है।
  14. कार्य सिद्धि: साधना से साधक के सभी कार्य सफल होते हैं और उनकी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
  15. संकल्प सिद्धि: यह साधना साधक के संकल्पों की सिद्धि में मदद करती है और उन्हें इच्छित परिणाम प्राप्त होते हैं।

रुरु भैरव साधना सामग्री

  1. रुरु भैरव यंत्र
  2. सिद्ध भैरव माला
  3. भैरव गुटिका
  4. सिद्ध आसन
  5. रक्षासूत्र
  6. पवित्र धागे
  7. तंत्रोक्त नारियाल
  8. रुरु भैरव साधना विधि
  9. साधक के लिए काली धोती
  10. रुरु भैरव मंत्र
  11. दीक्षा

रुरु भैरव साधना से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. रुरु भैरव कौन हैं?
    • रुरु भैरव भगवान शिव के भैरव रूपों में से एक हैं, जो शत्रुओं का नाश करने वाले और तंत्र बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं।
  2. रुरु भैरव साधना का उचित समय कौन सा है?
    • रुरु भैरव साधना के लिए मध्यरात्रि, विशेषकर अमावस्या या भैरव अष्टमी का समय उपयुक्त माना जाता है।
  3. इस साधना के लिए कौन-कौन सी सामग्रियों की आवश्यकता होती है?
    • साधना के लिए रुरु भैरव की प्रतिमा, काले कपड़े, धूप, दीया, काले तिल, नींबू, और सरसों का तेल आवश्यक होते हैं। इसके अलावा यंत्र, माला, पारद गुटिका, कौड़ी, रक्षा सूत्र, काली धोती,काली चिरमी दाना की आवश्यकता होती है।।
  4. क्या रुरु भैरव साधना हर कोई कर सकता है?
    • नहीं, यह साधना गहन अनुशासन और शुद्धता की मांग करती है, इसलिए इसे योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
  5. क्या इस साधना में कोई विशेष मंत्र का जाप करना पड़ता है?
    • हाँ, रुरु भैरव के लिए विशेष मंत्र का जाप किया जाता है, जो साधक को गुरु से प्राप्त होता है।
  6. रुरु भैरव साधना से कौन-कौन सी बाधाएं दूर होती हैं?
    • तंत्र बाधाएं, शत्रु बाधाएं, आर्थिक समस्याएं, और मानसिक तनाव आदि बाधाएं दूर होती हैं।
  7. रुरु भैरव साधना कितने समय तक करनी चाहिए?
    • साधना की अवधि साधक के उद्देश्य और गुरु के निर्देशों के अनुसार तय होती है, परंतु इसे कम से कम 21 दिनों तक किया जा सकता है।
  8. क्या रुरु भैरव साधना से आर्थिक समस्याएं हल होती हैं?
    • हाँ, यह साधना आर्थिक समस्याओं का निवारण करती है और धन-समृद्धि लाती है।
  9. क्या साधना के दौरान कोई विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
    • साधना के दौरान पूर्ण शुद्धता, ब्रह्मचर्य, और नकारात्मक विचारों से दूर रहना आवश्यक है।
  10. क्या साधना के दौरान भोग लगाना आवश्यक है?
    • हाँ, साधना के दौरान भैरव जी को मिठाई, मदिरा, और काले तिल का भोग लगाना चाहिए।
  11. साधना के दौरान किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए?
    • साधना में किसी प्रकार की त्रुटि न हो, इसके लिए गुरु के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है। साधना को गंभीरता से और शुद्धता के साथ करना चाहिए।
  12. क्या यह साधना केवल विशेष अवसरों पर की जा सकती है?
    • नहीं, साधक अपनी इच्छानुसार किसी भी समय गुरु के निर्देशानुसार इस साधना को कर सकता है, परंतु भैरव अष्टमी और अमावस्या विशेष रूप से उपयुक्त माने जाते हैं।
  13. साधना के बाद क्या करना चाहिए?
    • साधना समाप्ति के बाद भगवान भैरव की आरती करें, आभार व्यक्त करें, और साधना की समाप्ति पर गुरु को दान दें।
  14. क्या साधना को अधूरा छोड़ने से कोई नकारात्मक प्रभाव होता है?
    • हाँ, साधना को अधूरा छोड़ने से नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, इसलिए इसे बिना किसी व्यवधान के पूरा करना चाहिए।
  15. क्या रुरु भैरव साधना से साधक को भय मुक्त किया जा सकता है?
    • हाँ, यह साधना साधक के सभी प्रकार के भय को समाप्त करती है और आत्मविश्वास प्रदान करती है।

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