ये श्रीं यंत्र ११०० लक्ष्मी मंत्र से प्राणप्रतिष्ठित (energise) किया गया है। हर तरह का सुख प्रदान करने वाली श्री यंत्र एक प्रमुख यंत्र माना जाता है, इसकी स्वामी षोडशी माता मानी जाती है। जो देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है और धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति में सहायक होता है। श्री यंत्र को उपासना और पूजन के लिए उपयोग किया जाता है। इसके उपयोग से व्यक्ति को धन, शौर्य, स्थिति, स्त्री लाभ, पुत्र प्राप्ति, विद्या, वाहन, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और जीवन के सभी क्षेत्रों में समृद्धि मिल सकती है।
श्रीयंत्र
श्रीयंत्र को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और शक्तिशाली यंत्रों में से एक माना जाता है। इसे देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और इसकी पूजा से धन, समृद्धि, सुख, और शांति की प्राप्ति होती है। श्रीयंत्र को सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का स्रोत माना जाता है, जो साधक के जीवन में हर प्रकार की सफलता और समृद्धि लाता है।
श्रीयंत्र से लाभ
- धन और समृद्धि: श्रीयंत्र की पूजा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह यंत्र साधक को आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्रदान करता है।
- वास्तु दोष का निवारण: श्रीयंत्र को घर या कार्यस्थल पर रखने से वास्तु दोषों का निवारण होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: श्रीयंत्र से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे नकारात्मक विचारों और प्रभावों का नाश होता है।
- सफलता और उन्नति: इस यंत्र की पूजा से व्यक्ति को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: श्रीयंत्र साधक को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है और उसे आध्यात्मिक शक्ति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति: श्रीयंत्र की पूजा से मानसिक तनाव, चिंता और भय से मुक्ति मिलती है, जिससे मन को शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- शत्रुओं से सुरक्षा: श्रीयंत्र की पूजा से साधक को शत्रुओं और विरोधियों से सुरक्षा मिलती है और उन्हें हर प्रकार की शत्रुता से मुक्ति मिलती है।
- सुख और शांति: श्रीयंत्र से घर में सुख, शांति और सौभाग्य का वास होता है। यह यंत्र घर के सभी सदस्यों के लिए कल्याणकारी होता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: श्रीयंत्र की पूजा से साधक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- कर्ज से मुक्ति: इस यंत्र की पूजा से व्यक्ति को कर्ज और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
- व्यवसाय में सफलता: श्रीयंत्र की पूजा से व्यापार और व्यवसाय में उन्नति होती है, जिससे अधिक मुनाफा और सफलता प्राप्त होती है।
- विवाह में सफलता: श्रीयंत्र की पूजा से विवाह संबंधी समस्याओं का निवारण होता है और विवाह में सफलता प्राप्त होती है।
- परिवार में सामंजस्य: श्रीयंत्र से परिवार में प्रेम, सामंजस्य और सौहार्द का वातावरण बनता है।
- सकारात्मक बदलाव: इस यंत्र की पूजा से साधक के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, जिससे उसका जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण होता है।
- सच्ची भक्ति और आस्था: श्रीयंत्र साधक के मन में देवी लक्ष्मी के प्रति सच्ची भक्ति और आस्था का विकास करता है।
- पापों का नाश: श्रीयंत्र की पूजा से साधक के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- जीवन में शांति और संतोष: श्रीयंत्र साधक को जीवन में शांति, संतोष और संतुलन प्रदान करता है।
- शुभ घटनाओं का आगमन: श्रीयंत्र से जीवन में शुभ और अनुकूल घटनाओं का आगमन होता है।
- आकर्षण शक्ति: श्रीयंत्र साधक के व्यक्तित्व में आकर्षण और आत्मविश्वास का विकास करता है।
- ईश्वरीय कृपा: श्रीयंत्र की पूजा से साधक पर देवी लक्ष्मी की कृपा होती है, जिससे उसका जीवन सुखमय और समृद्धिपूर्ण होता है।
श्रीयंत्र की पूजा के नियम
- शुद्धता: श्रीयंत्र की पूजा से पहले साधक को शारीरिक और मानसिक शुद्धता का पालन करना चाहिए। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्थान: श्रीयंत्र को घर के पूजा स्थल या किसी पवित्र स्थान पर रखें। इसे पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्थापित करें।
- दीपक और धूप: पूजा के समय दीपक और धूप जलाकर श्रीयंत्र की आराधना करें।
- मंत्र जाप: श्रीयंत्र के सामने लक्ष्मी मंत्र या श्री सूक्त का जाप करें। मंत्र जाप का प्रभाव अधिकतम प्राप्त होता है।
- नैवेद्य और भोग: श्रीयंत्र की पूजा में नैवेद्य और भोग का अर्पण करें। इसे फल, मिठाई या दूध से अर्पित कर सकते हैं।
- नियमित पूजा: श्रीयंत्र की पूजा को नियमित रूप से करें। इसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।
Reviews
There are no reviews yet.