स्कंद षष्ठी 2025- मनोकामना के साथ भौतिक सुख प्राप्त करे
संतान व सुरक्षा का आशिर्वाद देने वाले स्कंद षष्ठी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, जिसे भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय (स्कंद) व उनकी पत्नी माता षष्ठी की पूजा की जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। स्कंद षष्ठी कार्तिकेय के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और इसे साल में दो बार मनाया जाता है – एक बार नवंबर-दिसंबर (कृष्ण पक्ष) और एक बार जून-जुलाई (शुक्ल पक्ष) में।
स्कंद षष्ठी 2025 का मुहूर्त
स्कंद षष्ठी व्रत 2025 में 1 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। स्कंद षष्ठी व्रत के दिन व्रति ब्रह्म मुहूर्त से स्नान करके, व्रत का संकल्प लें और भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
व्रत की तिथि: 8 नवंबर 2024 (शुक्रवार)
षष्ठी तिथि का प्रारंभ: 7 नवंबर 2024 को सुबह 06:01 बजे
षष्ठी तिथि का समापन: 8 नवंबर 2024 को सुबह 07:52 बजे
व्रत की तिथि: 1 नवंबर 2025 (शनिवार)
षष्ठी तिथि का प्रारंभ: 31 अक्टूबर 2025 को सुबह 10:43 बजे
षष्ठी तिथि का समापन: 1 नवंबर 2025 को सुबह 08:38 बजे
स्कंद षष्ठी के दिन विशेष पूजा विधियों का पालन करके और व्रत की श्रद्धा से भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त की जाती है।
इस दिन का महत्व
- भगवान कार्तिकेय का जन्म: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र, भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था।
- महिषासुर का वध: इस दिन भगवान कार्तिकेय ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था, जिससे देवताओं को उनकी ताड़ना से मुक्ति मिली।
- शक्ति और साहस का प्रतीक: भगवान कार्तिकेय को युद्ध और विजय का देवता माना जाता है, इसलिए स्कंद षष्ठी का पर्व शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक है।
- मंत्रः “ॐ वज्रकायाय विद्महे सुब्रह्मण्याय धीमहि तन्नो स्कंद प्रचोदयात्” “OM VAJRAKAAYAAY VIDYAMAHE SUBRAMANYAAY DHEEMAHI TANNO SKANDA PRACHODAYAT”
पूजा और अनुष्ठान
- व्रत और उपवास: स्कंद षष्ठी के दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूरे दिन निर्जल उपवास करते हैं।
- स्नान और पूजा: सुबह जल्दी स्नान करके भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती है।
- अभिषेक: भगवान कार्तिकेय का अभिषेक दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से किया जाता है।
- आरती और भजन: विशेष आरती और भजनों का आयोजन किया जाता है।
- कथाएँ: भगवान कार्तिकेय की जीवन गाथा और उनके पराक्रम की कथाएँ सुनी और सुनाई जाती हैं।
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इस दिन की मान्यताएँ
- कष्टों से मुक्ति: माना जाता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्टों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
- संतान प्राप्ति: जिन दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही होती, वे इस दिन व्रत रखकर भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं।
- विजय और सफलता: व्यापार या कार्य में सफलता और विजय के लिए भी इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
विशेष प्रसाद
इस स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को खास प्रसाद अर्पित किए जाते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से ‘पानकम’, ‘संदल’, और ‘लड्डू’ शामिल होते हैं।
स्कंद षष्ठी के लाभ
पापों से मुक्ति
स्कंद षष्ठी व्रत से पिछले पापों और गलतियों की क्षति होती है, और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
दुष्ट शक्तियों से रक्षा
स्कंद षष्ठी व्रत से जीवन में दुष्ट शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।
भय और चिंता से मुक्ति
भगवान कार्तिकेय की पूजा से मानसिक तनाव, भय, और चिंता से मुक्ति प्राप्त होती है।
स्वास्थ्य में सुधार
व्रत से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। रोगों से बचाव होता है।
सुख-समृद्धि की प्राप्ति
व्रत करने से परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है।
आध्यात्मिक उन्नति
व्रत के माध्यम से आत्मिक उन्नति और ईश्वर के प्रति गहरा संबंध स्थापित होता है।
सच्चे मित्र और सहयोगी मिलते हैं
सच्चे मित्र और सहायक मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
ऋण से मुक्ति
व्रत से वित्तीय समस्याओं और ऋण से मुक्ति मिलती है।
परिवार में सौहार्द बढ़ता है
स्कंद षष्ठी व्रत परिवार के सदस्यों के बीच रिश्तों में सुधार लाता है।
मन की शांति
व्रत से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
सपने साकार होते हैं
व्रति की इच्छाएं और सपने जल्दी साकार होते हैं।
कष्टों से राहत
व्रत से जीवन की कठिनाइयों और कष्टों में राहत मिलती है।
आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि
भगवान कार्तिकेय की आराधना से आध्यात्मिक ज्ञान और समझ में वृद्धि होती है।
समाज में सम्मान
व्रत के माध्यम से समाज में सम्मान और मान प्राप्त होता है।
शांति और संतुलन
व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में शांति और संतुलन बना रहता है।
सफलता और समृद्धि
व्यापार और करियर में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
विवाह में सुख
विवाहित जीवन में सुख और समर्पण की भावना बढ़ती है।