Skanda shashthi mantra benefits

स्कंद षष्ठी: ११ जून २०२४

संतान व सुरक्षा का आशिर्वाद देने वाले स्कंद षष्ठी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, जिसे भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय (स्कंद) व उनकी पत्नी माता षष्ठी की पूजा की जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। स्कंद षष्ठी कार्तिकेय के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और इसे साल में दो बार मनाया जाता है – एक बार नवंबर-दिसंबर (कृष्ण पक्ष) और एक बार जून-जुलाई (शुक्ल पक्ष) में।

इस दिन का महत्व:

  1. भगवान कार्तिकेय का जन्म: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र, भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था।
  2. महिषासुर का वध: इस दिन भगवान कार्तिकेय ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था, जिससे देवताओं को उनकी ताड़ना से मुक्ति मिली।
  3. शक्ति और साहस का प्रतीक: भगवान कार्तिकेय को युद्ध और विजय का देवता माना जाता है, इसलिए स्कंद षष्ठी का पर्व शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक है।
  4. मंत्रः “ॐ वज्रकायाय विद्महे सुब्रह्मण्याय धीमहि तन्नो स्कंद प्रचोदयात्” “OM VAJRAKAAYAAY VIDYAMAHE SUBRAMANYAAY DHEEMAHI TANNO SKANDA PRACHODAYAT”

पूजा और अनुष्ठान:

  1. व्रत और उपवास: स्कंद षष्ठी के दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूरे दिन निर्जल उपवास करते हैं।
  2. स्नान और पूजा: सुबह जल्दी स्नान करके भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती है।
  3. अभिषेक: भगवान कार्तिकेय का अभिषेक दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से किया जाता है।
  4. आरती और भजन: विशेष आरती और भजनों का आयोजन किया जाता है।
  5. कथाएँ: भगवान कार्तिकेय की जीवन गाथा और उनके पराक्रम की कथाएँ सुनी और सुनाई जाती हैं।

इस दिन की मान्यताएँ:

  1. कष्टों से मुक्ति: माना जाता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्टों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  2. संतान प्राप्ति: जिन दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही होती, वे इस दिन व्रत रखकर भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं।
  3. विजय और सफलता: व्यापार या कार्य में सफलता और विजय के लिए भी इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है।

विशेष प्रसाद:

इस स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को खास प्रसाद अर्पित किए जाते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से ‘पानकम’, ‘संदल’, और ‘लड्डू’ शामिल होते हैं।

स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान कार्तिकेय के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, जो उनके भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाता है।