Annapurna chalisa paath for prosperity

माता अन्नपूर्णा को हिंदू धर्म में भोजन और पोषण की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनका नाम ‘अन्नपूर्णा’ दो शब्दों ‘अन्न’ (भोजन) और ‘पूर्णा’ (भरपूर) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “जो भोजन से भरपूर है”। वे भगवान शिव की पत्नी पार्वती का एक रूप हैं और ऐसा माना जाता है कि वे सभी प्राणियों को भोजन और पोषण प्रदान करती हैं।

माता अन्नपूर्णा का स्वरूप अति दिव्य और सुंदर होता है। वे एक हाथ में अनाज का पात्र (अन्न से भरा हुआ कटोरा) और दूसरे हाथ में एक चम्मच (अन्न वितरण हेतु) धारण करती हैं। उनका चेहरा सौम्य और करुणा से परिपूर्ण होता है। उनकी पूजा विशेष रूप से नवरात्रि और अन्नकूट पर्व के दौरान की जाती है।

अन्नपूर्णा चालीसा

॥दोहा॥

जग जननी जय अन्नपूर्णा, जग अन्ना की खान।
जो जन तेरा नाम ले, ता को तजै न धान॥

॥चौपाई॥
जय जय अन्नपूर्णा जग जननी। 
सकल अनादि सृष्टि जन धनी॥

शैलराज तनया भवानी। 
तजि शंकर रूप महरानी॥

कनक भूषण तन सुंदर। 
सजी सर्व सिंगार समुंदर॥

दसन महा उज्जवल सुतारी। 
पारद हिय मंगल करनी॥

अधर महा रुचिर उक्ति प्यारी। 
धनुष अनल वाही शमशानी॥

दिव्य देह महा सौरभ धारा। 
संजीवनी परशु दुख हारा॥

नीलकंठ रूप हरि बाना। 
जगत तारण गिरीजा नाना॥

दोहा॥

नित्य निरंतर भोजन, जग मा तैं वितरण।
तृप्ति पा यश गावत, सब ही तेरा गुन॥

॥चौपाई॥

शुद्ध भाव से जो जन गावें। 
सकल मनोरथ फल पावें॥

जग जननी निज संकट हारी। 
रखै सदा जयती बनवारी॥

धूप दीप नवैद्य चढ़ावें। 
सकल मनोरथ फल पावें॥

अन्नपूर्णा जय जग माते। 
अन्य देह तन वासर रातें॥

तुमहि सर्व स्वरूप दिखाना। 
मन महा मै मातु ठिकाना॥

जो यह अन्नपूर्णा चालीसा। 
सत्य साकार होइ जग ईशा॥

सकल भूख सब ता की मेटें। 
मंगल महा समृद्धि अरु हेतें॥

॥दोहा॥

भूख प्यास सब मेटि कै, जो यह चालीसा गावे।
अन्नपूर्णा जगदंबिका, तृप्ति सदा सुख पावे॥

अन्नपूर्णा चालीसा के लाभ

1. भोजन की कमी नहीं होती: जो लोग नियमित रूप से अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करते हैं, उनके घर में कभी भी भोजन की कमी नहीं होती।
2. धन और समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
3. भूख और प्यास का निवारण: भूख और प्यास की समस्या से मुक्ति मिलती है।
4. परिवार में सुख-शांति: परिवार में शांति और सौहार्द्र बना रहता है।
5. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
6. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
7. कष्टों से मुक्ति: जीवन के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
8. अन्न और धान्य की वृद्धि: घर में अन्न और धान्य की वृद्धि होती है।
9. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
10. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास और आत्मा की शुद्धि होती है।
11. शत्रुओं पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
12. स्मरण शक्ति: स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
13. सुखद भविष्य: भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
14. मनोबल में वृद्धि: मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
15. सद्गति प्राप्ति: मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त होती है।
16. प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा होती है।
17. शुभ फल प्राप्ति: सभी शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
18. अच्छी संगति: अच्छे लोगों की संगति मिलती है और बुरी संगति से बचाव होता है।
19. अन्नपूर्णा देवी की कृपा: देवी अन्नपूर्णा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
20. अन्नपूर्णा चालीसा के लाभ

अन्नपूर्णा चालीसा पाठ विधि (दिन, अवधि, मुहूर्त)

दिन: अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन सोमवार और शुक्रवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।

अवधि: यह पाठ लगभग 15-20 मिनट का होता है। इसे प्रातः काल और सायं काल में करना उत्तम होता है।

मुहूर्त:
1. प्रातः काल: सूर्योदय के समय (सुबह 4 से 6 बजे के बीच)।
2. सायं काल: सूर्यास्त के समय (शाम 6 से 8 बजे के बीच)।

अन्नपूर्णा चालीसा विधि

1. स्नान: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
2. स्थान: पूजा के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
3. आसन: किसी आसन पर बैठ जाएं (कुशासन या सफेद वस्त्र का आसन)।
4. दीप जलाएं: दीपक जलाएं और कुछ धूप या अगरबत्ती जलाएं।
5. पूजा सामग्री: फूल, अक्षत (चावल), चंदन, और नैवेद्य (प्रसाद) रखें।
6. अन्नपूर्णा मंत्र: सबसे पहले अन्नपूर्णा मंत्र का 3 बार जाप करें।जीवन में सद्गुणों की वृद्धि होती है।

ॐ अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे।
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति॥

  1. चालीसा पाठ: फिर अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करें।
  2. आरती: पाठ समाप्त होने के बाद आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
  3. प्रणाम: अंत में माता अन्नपूर्णा को प्रणाम करें और अपनी प्रार्थना रखें।

अन्नपूर्णा चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता, शांति और समृद्धि का संचार होता है।

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