संतोषी माता को हिंदू धर्म में संतोष, सुख और शांति की देवी के रूप में पूजा जाता है। वे संतोष और संतुष्टि का प्रतीक हैं और माना जाता है कि उनकी पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। संतोषी माता का स्वरूप बहुत ही सौम्य और दिव्य होता है। वे एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं। उनका वाहन सिंह है और वे एक कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से शुक्रवार के दिन की जाती है और संतोषी माता व्रत कथा के माध्यम से उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।
संतोषी माता चालीसा
॥दोहा॥
वंदौ मातु संतोषी चित स्वरूप विशाल।
विघ्न हरण मंगल करन जय जय जगवंदाल॥
॥चौपाई॥
जय जय संतोषी माता।
जग जननी सुखदाता॥
विनय करत कर जोरि।
संतोषी राखौ मोरि॥
जयति जयति जगदंबा।
दुख हरण सुख संपदा॥
त्रिभुवन में है प्रकाश।
तुम्हरो निर्मल हास॥
पावन रूप अनूपा।
मनहर मंगलमूला॥
जगत कष्ट का हारी।
तुम हो कल्याण कारी॥
मंगल करन कृपाला।
संतोषी सुख माला॥
शरणागत की रक्षा।
करत सदा तुम साक्षा॥
निर्धन की तुम साथी।
निर्बल की बलदाता॥
विनय करूं मैं माता।
मोर मनोरथ पूरन॥
जय जग जननी दयाला।
तुम हो कृपा निधि माला॥
संतोषी मैया प्यारी।
तुम हो सुख की धारा॥
दुख हरण मंगल कारी।
पाप ताप विधि हारी॥
मन में भक्ति जगायौ।
तुमने संतोष दिलायौ॥
सर्व मनोरथ पूरन।
करहु कृपा करुना मूरन॥
व्रत ध्यान आराधन।
संकट हरण सुबोधन॥
पूजन में रत रहौं।
तुम्हरी कृपा पावौं॥
संतोषी मैया मेरी।
तुम बिन दुखिया देरी॥
पूर्ण करो मन कामना।
मुक्त करौ सब शामना॥
कृपा करौ जगदंबा।
सुख संपदा तुम सांबा॥
दीनन की दुख हारी।
तुम हो कल्याण कारी॥
जय जय संतोषी माता।
तुम हो सुख संपदा।
॥दोहा॥
भक्ति प्रेम से मातु के, जो यह पाठ करै।
संतोषी सुख संपदा, सदा सर्वदा भरै॥
संतोषी माता चालीसा के लाभ
- संतोष की प्राप्ति: संतोषी माता चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में संतोष और शांति मिलती है।
- मन की शांति: मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- सुख-समृद्धि: परिवार में सुख और समृद्धि का संचार होता है।
- सभी इच्छाओं की पूर्ति: भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- आर्थिक संकटों से मुक्ति: आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और धन की प्राप्ति होती है।
- रोगों से मुक्ति: शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- संकटों से बचाव: जीवन के सभी संकटों से बचाव होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और आत्मा की शुद्धि होती है।
- परिवार में शांति: परिवार में शांति और सौहार्द्र बना रहता है।
- सद्गुणों की वृद्धि: जीवन में सद्गुणों की वृद्धि होती है।
- बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
- शत्रुओं पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- भय का नाश: जीवन में भय और चिंता का नाश होता है।
- धैर्य की वृद्धि: धैर्य और सहनशीलता की वृद्धि होती है।
- विवाह में अड़चनें दूर होती हैं: विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं।
- बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार: बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- मित्रों और रिश्तेदारों का सहयोग: मित्रों और रिश्तेदारों का सहयोग मिलता है।
- सुखद भविष्य: भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
- संतोषी माता की कृपा: संतोषी माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पाठ विधि (दिन, अवधि, मुहूर्त)
दिन: संतोषी माता चालीसा का पाठ विशेष रूप से शुक्रवार के दिन किया जाता है, क्योंकि यह दिन माता को समर्पित है।
अवधि: यह पाठ लगभग 15-20 मिनट का होता है। इसे प्रातः काल और सायं काल में करना उत्तम होता है।
मुहूर्त:
- प्रातः काल: सूर्योदय के समय (सुबह 4 से 6 बजे के बीच)।
- सायं काल: सूर्यास्त के समय (शाम 6 से 8 बजे के बीच)।
संतोषी माता चालीसा विधि
- स्नान: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- स्थान: पूजा के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
- आसन: किसी आसन पर बैठ जाएं (कुशासन या सफेद वस्त्र का आसन)।
- दीप जलाएं: दीपक जलाएं और कुछ धूप या अगरबत्ती जलाएं।
- पूजा सामग्री: फूल, अक्षत (चावल), चंदन, और नैवेद्य (प्रसाद) रखें।
- संतोषी माता मंत्र: सबसे पहले संतोषी माता मंत्र का 3 बार जाप करें।
ॐ ऐं ह्रीं संतोषेश्वरी क्लीं नमः॥
- चालीसा पाठ: फिर संतोषी माता चालीसा का पाठ करें।
- आरती: पाठ समाप्त होने के बाद आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
- प्रणाम: अंत में माता संतोषी को प्रणाम करें और अपनी प्रार्थना रखें।
संतोषी माता चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता, शांति और समृद्धि का संचार होता है।