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Rajarajeshwari Chalisa Path – Divine Blessings & Benefits

Rajarajeshwari Chalisa Path - Divine Blessings & Benefits

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ: अद्भुत कृपा का स्त्रोत

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ दिव्य शक्ति और कृपा का माध्यम है। यह पाठ मां राजराजेश्वरी को समर्पित है। इसे करने से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस पाठ में मां की महिमा का गुणगान किया गया है, जो जीवन के दुखों को हरने और सकारात्मकता लाने में सहायक है।


संपूर्ण राजराजेश्वरी चालीसा पाठ व उसका अर्थ

यहां मैं संपूर्ण राजराजेश्वरी चालीसा पाठ और उसके अर्थ को प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह पाठ माता राजराजेश्वरी देवी की स्तुति में समर्पित है, जो शक्ति और सृजन की देवी हैं।


राजराजेश्वरी चालीसा पाठ

दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास, तू धरो ध्यान भगवती महारानी।

चौपाई
जय राजराजेश्वरी जगदंबा।
तुम ही हो आनंदकंदा॥
त्रिपुर सुंदरी तेरी महिमा भारी।
जग पालन करन हारी॥

चंद्रमुखी देवी शुभ रूपा।
तुमसे निकले सृष्टि अनूपा॥
मंगलमय है तेरा धाम।
सकल लोक में तेरा नाम॥

सिद्धि-दात्री सुखदायिनी माता।
भक्त-मनोरथ पूरण त्राता॥
तुम ही हो ब्रह्मा, विष्णु, महेश।
सर्वसृष्टि में तुम विशेष॥

तू ही आदि, तू ही अनंता।
भव-सागर में तू है संत।
रूप अनूप, तेरे गुण गाऊँ।
मधुर वाणी में तुझको मनाऊँ॥

जगदंबा तू सर्वेश्वरी माता।
करुणा की सरिता है विख्याता॥
अघनाशिनी, दुखभंजन कारी।
तेरी महिमा सदा उचारी॥

राजराजेश्वरी चालीसा का अर्थ

  1. हे माता राजराजेश्वरी, जगत की पालनहार, आप आनंद और सुख की स्रोत हैं।
  2. आप त्रिपुर सुंदरी हैं, आपकी महिमा अपार है और आप इस जगत की रचना करती हैं।
  3. आपके चंद्र के समान मुखमंडल से सृष्टि की उत्पत्ति हुई है, और आपका रूप अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी है।
  4. आपके पावन धाम में असीम आनंद है, और आपके नाम से सारा संसार परिचित है।
  5. आप सिद्धि और सुख प्रदान करने वाली माता हैं, जो भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं।
  6. आप ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में प्रकट होती हैं और संपूर्ण सृष्टि में आपका स्थान विशिष्ट है।
  7. आप ही सृष्टि की शुरुआत और अंत हैं। भवसागर में डूबे हुए को आप ही पार करती हैं।
  8. आपका रूप अनुपम है, और आपके गुणों का गान करने से आत्मा को शांति मिलती है।
  9. आप समस्त जगत की माता और दया की प्रतिमूर्ति हैं।
  10. आप पापों का नाश करने वाली और दुखों का हरण करने वाली हैं। आपकी महिमा अपरंपार है।

लाभ

  1. मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  2. मानसिक तनाव दूर होता है।
  3. आध्यात्मिक शांति मिलती है।
  4. धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  5. परिवार में सुख-शांति रहती है।
  6. स्वास्थ्य लाभ होता है।
  7. जीवन में सकारात्मकता आती है।
  8. शत्रु बाधा का नाश होता है।
  9. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
  10. आत्मबल बढ़ता है।
  11. आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
  12. जीवन में स्थायित्व आता है।
  13. बच्चों की उन्नति होती है।
  14. वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है।
  15. व्यवसाय में सफलता मिलती है।
  16. कठिन परिस्थितियों से उबरने में मदद मिलती है।
  17. मां की कृपा से सभी संकट दूर होते हैं।

Aghor lakshmi sadhana shivir


विधि

दिन और अवधि:
राजराजेश्वरी चालीसा पाठ मंगलवार, शुक्रवार या किसी शुभ मुहूर्त में शुरू करें। इसे 41 दिनों तक प्रतिदिन करें।

मुहूर्त:
सूर्योदय या सांध्यकाल के समय पाठ करना अधिक फलदायी होता है। शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।

चालीसा पाठ के नियम:

  1. पाठ करने से पहले स्नान कर लें।
  2. स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठें।
  3. मां की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  4. चालीसा पाठ गुप्त रूप से करें।
  5. नित्य एक ही समय पर पाठ करें।
  6. पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें।

Get mantra diksha

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ में सावधानियां

  1. पाठ को अधूरा न छोड़ें।
  2. नियम का पालन करें।
  3. किसी को पाठ की जानकारी न दें।
  4. नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

Tripur bhairavi sadhana with diksha


राजराजेश्वरी चालीसा पाठ: प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: राजराजेश्वरी चालीसा पाठ क्यों करें?
उत्तर: मां की कृपा पाने, समस्याओं का समाधान और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।

प्रश्न 2: इसे कब शुरू करें?
उत्तर: मंगलवार, शुक्रवार या किसी शुभ मुहूर्त में।

प्रश्न 3: पाठ करने की अवधि क्या होनी चाहिए?
उत्तर: इसे 41 दिनों तक प्रतिदिन करें।

प्रश्न 4: क्या इसे समूह में कर सकते हैं?
उत्तर: इसे गुप्त रूप से अकेले करना अधिक फलदायी है।

प्रश्न 5: क्या इसे घर पर कर सकते हैं?
उत्तर: हां, इसे घर के शांत स्थान पर करें।

प्रश्न 6: पाठ के लिए समय कौन सा उचित है?
उत्तर: सूर्योदय या सांध्यकाल।

प्रश्न 7: क्या पाठ के दौरान किसी वस्त्र का नियम है?
उत्तर: स्वच्छ और सादे वस्त्र पहनें।

प्रश्न 8: क्या पाठ के दौरान पूजा सामग्री की आवश्यकता है?
उत्तर: दीपक, फूल, और अगरबत्ती उपयोगी होते हैं।

प्रश्न 9: क्या पाठ के दौरान मौन रहना चाहिए?
उत्तर: हां, मौन रहकर मन को एकाग्र करें।

प्रश्न 10: क्या पाठ के बाद प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
उत्तर: हां, मां को प्रसाद चढ़ाएं और बांटें।

प्रश्न 11: पाठ अधूरा रह जाए तो क्या करें?
उत्तर: अगले दिन पुनः नियम से शुरू करें।

प्रश्न 12: क्या पाठ के दौरान विशेष आहार लेना चाहिए?
उत्तर: सात्विक आहार लें और व्रत रखें।

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ के इन नियमों और विधियों का पालन कर मां की कृपा पाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है।

Shiv Chalisa Path – Prosperity & Divine Blessings

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शिव चालीसा पाठ – भगवान शिव की कृपा पाने का माध्यम

शिव चालीसा पाठ भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र स्तुति है। यह पाठ साधकों के लिए मानसिक शांति, भक्ति और अद्भुत ऊर्जा का स्रोत है। शिव चालीसा पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ सरल, प्रभावशाली और हर वर्ग के भक्तों के लिए लाभकारी है।


संपूर्ण पाठ

॥दोहा॥

नमन शिवाय शुद्ध सदा, गंगाजल सँग धार।
कृपा करो हे नाथ हमें, हर संकट संसार॥

॥चालीसा॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

त्रिपुरारि जय शंकर, जय गिरिजा पति नाथ। सत्यम शिवम सुंदरम्, त्रिभुवन के आधार॥

नीलकंठ महादेव तुम, करुणा के हो सागर। भक्तन के संकट हरन, कृपा करो करुणाकर॥

गंगाधर शिव शंभु, उमापति दीनदयाल। भक्त हृदय में बसो सदा, हर लो दुख जंजाल॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अरु रुद्र रूप विशाल। शरण तुम्हारी जो आए, सबको दो सुख काल॥

शिव चालीसा जो पढ़े, शिव कृपा निधि पाय। संकट संकट हार कर, शिवलोक को जाय॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।

श्री गणेशाय ध्याय करहु, गुरु के पद नवाय।सिंहासन पर विराजत, गुरुगन कीन बहाय।।

त्रिपुरारि शिव तनुधर सोहत, गणपति उर माल।हाथ त्रिशूल धरो पिनाकी, धरहु कर कमल विशाल।।

नंदीगण साथ विचरत, जग में करत निहार।नाद गिरीजा संग रहत, त्रिलोचन बिस्वधार।।

ध्यान धरो शिव शांत मन, मोह कुसंग विसार।शिवसुख दाता शांतमन, कृपा करो हंसार।।

महादेव सुमिरन करो, तारक जगत विशाल।शिवचरण शरणागत भक्त, पूर्ण करहु हर हाल।।

॥दोहा॥

जो शिव चालीसा पढ़े, मन वांछित फल पाय। शिव कृपा से सदा उसे, सुख संपत्ति उपजाय॥


पाठ का अर्थ

शिव चालीसा के हर श्लोक का गहरा अर्थ है। यह श्लोक भगवान शिव की महिमा, उनके गुण, और भक्तों को उनके प्रति समर्पित रहने का संदेश देते हैं। इसका अध्ययन हमें भगवान के करीब लाता है।


लाभ

  1. मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल।
  2. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  3. पारिवारिक सुख-शांति।
  4. आर्थिक समृद्धि।
  5. बीमारियों से राहत।
  6. बाधाओं का निवारण।
  7. भगवान शिव की कृपा।
  8. कार्यों में सफलता।
  9. सकारात्मक ऊर्जा का विकास।
  10. जीवन में संतुलन।
  11. आध्यात्मिक जागरूकता।
  12. मनोकामना पूर्ति।
  13. भय का नाश।
  14. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  15. जीवन की चुनौतियों में मदद।
  16. शत्रु बाधाओं का समाधान।
  17. आत्मा को शुद्धि।

Aghor lakshmi sadhana shivir


विधि

  1. दिन: सोमवार, महाशिवरात्रि।
  2. अवधि: 41 दिन।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल या प्रदोष काल।

साधक को शांत मन और स्वच्छ स्थान में पाठ करना चाहिए। भगवान शिव के समक्ष दीपक जलाकर पाठ शुरू करें।

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नियम

  1. पाठ के दौरान पूजा और साधना गुप्त रखें।
  2. मन में श्रद्धा और समर्पण रखें।
  3. स्वच्छता का पालन करें।
  4. नियमित पाठ करें।
  5. पाठ के बाद भगवान शिव को जल चढ़ाएं।

सावधानियां

  1. अपवित्र स्थान पर पाठ न करें।
  2. मन में नकारात्मक विचार न लाएं।
  3. अनुशासन का पालन करें।
  4. अत्यधिक शोरगुल वाले स्थान पर पाठ न करें।

Past life Report


शिव चालीसा पाठ के प्रश्न और उत्तर

1. शिव चालीसा पाठ कब करना चाहिए?

सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन।

2. कितने दिन तक शिव चालीसा पाठ करना चाहिए?

41 दिनों तक नियमित।

3. शिव चालीसा पाठ कहां करना चाहिए?

शांत और स्वच्छ स्थान पर।

4. क्या महिलाएं शिव चालीसा पाठ कर सकती हैं?

हां, श्रद्धा से कर सकती हैं।

5. शिव चालीसा पाठ के लिए क्या सामग्री चाहिए?

दीपक, अगरबत्ती, गंगाजल।

6. क्या शिव चालीसा पाठ से मनोकामना पूर्ण होती है?

हां, भक्त की सच्ची श्रद्धा से।

7. शिव चालीसा पाठ कितनी बार करना चाहिए?

दैनिक एक बार।

8. क्या पाठ के दौरान नियम तोड़ने से असर होता है?

हां, अनुशासन बनाए रखें।

9. क्या शिव चालीसा पाठ के बाद प्रसाद चढ़ाना चाहिए?

हां, फल या मिठाई चढ़ाएं।

10. शिव चालीसा पाठ का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

प्रातःकाल।

11. क्या शिव चालीसा पाठ नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है?

हां, यह नकारात्मकता को समाप्त करता है।

12. क्या शिव चालीसा पाठ जीवन को बदल सकता है?

हां, यह मानसिक शांति और सकारात्मकता लाता है।


Brahma Chalisa Path – Transform Your Life

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ब्रह्मा चालीसा पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्राप्त करें

ब्रह्मा चालीसा पाठ भगवान ब्रह्मा जी की कृपा पाने का एक दिव्य साधन है। इसे नियमित रूप से करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक उत्थान और मानसिक शांति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह पाठ साधक के मन में भक्ति और श्रद्धा का संचार करता है।


चालीसा पाठ

दोहा:

नमन करूँ मैं ब्रह्म को, जो सृष्टि के आधार।
त्रिगुण स्वरूप हे नाथ, करें सबकी सृजन-विचार।।

चौपाई:

  1. जय जय ब्रह्मा देव जगत के स्वामी।
    सृष्टि के कर्ता, सबके अधिनामी।।
  2. चार वेदों के ज्ञाता तुम्हीं हो।
    त्रिकालदर्शी, सत्य स्वरूपी हो।।
  3. सृष्टि को रचकर धर्म फैलाया।
    जीवों में चेतन, तुमने उपजाया।।
  4. सृष्टि के पालक, तुम आदिपुरुष हो।
    ब्रह्मलोक में सदा विराजते हो।।
  5. चतुर्मुख रूप से जगत को सजा दिया।
    विधि के विधान को सदा बनाए रखा।।
  6. कमलासन पर तुम विराजमान।
    भक्तों के संकट करते क्षण में निदान।।
  7. श्रद्धा और भक्ति का पाठ सिखाया।
    पापियों को भी मुक्ति का मार्ग दिखाया।।
  8. नारद जैसे भक्तों को प्रेरित किया।
    सत्य के मार्ग पर सदैव निर्देशित किया।।
  9. सरस्वती की वाणी से सृष्टि को मधुर बनाया।
    ज्ञान, विज्ञान का प्रकाश फैलाया।।
  10. कर्म का पाठ, जो सबसे महान।
    ब्रह्मा जी, आप हो हर सुख का निदान।।
  11. चारों युगों में आपकी महिमा गाई।
    हर काल में भक्तों को राह दिखाई।।
  12. संकट हरो, प्रभु हमें आश्रय दो।
    आपके चरणों में सदा हमें शरण दो।।
  13. निर्मल मन से हम तुम्हें निहारें।
    आपके चरणों में अपना जीवन वारे।।
  14. हे ब्रह्मा देव, जगत के कर्ता।
    हर प्राणी के तुम हो रक्षक और पालक।।

दोहा:

ब्रह्मा देव की महिमा गाकर, पावन मन बनाओ।
श्रद्धा और विश्वास से, जीवन सफल बनाओ।।


लाभ

  1. मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  2. नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा।
  3. सृष्टि के कर्ता के प्रति श्रद्धा।
  4. सभी कार्यों में सफलता।
  5. आध्यात्मिक विकास।
  6. पारिवारिक सुख-शांति।
  7. आर्थिक समृद्धि।
  8. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य।
  9. आध्यात्मिक साधना में प्रगति।
  10. जीवन में संतुलन।
  11. ध्यान केंद्रित करने की क्षमता।
  12. संतान सुख की प्राप्ति।
  13. बाधाओं का नाश।
  14. दैवीय संरक्षण।
  15. पुण्य अर्जन।
  16. कर्मों का सुधार।
  17. मोक्ष की प्राप्ति।

विधि

पाठ का समय और अवधि

  • इसका पाठ सुबह ब्रह्ममुहूर्त में करें।
  • इसे लगातार 41 दिन तक करें।

पाठ की प्रक्रिया

  1. स्नान कर पवित्र हो जाएं।
  2. भगवान ब्रह्मा की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
  3. शुद्ध मन से चालीसा पाठ करें।
  4. पूजा के बाद प्रसाद बांटें।

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नियम

  1. पाठ नियमित और शुद्ध मन से करें।
  2. साधना को गुप्त रखें।
  3. भोजन सात्विक रखें।
  4. बुरी आदतों से बचें।
  5. ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।

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सावधानियां

  1. पाठ हमेशा स्वच्छ स्थान पर करें।
  2. गलत उच्चारण से बचें।
  3. मन को विचलित न होने दें।
  4. बिना स्नान किए पाठ न करें।
  5. पूजा सामग्री पूरी रखें।
  6. किसी प्रकार की जल्दबाजी न करें।

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प्रश्न और उत्तर

1. ये चालीसा पाठ क्यों करें?

उत्तर: यह पाठ जीवन में सकारात्मकता और सफलता लाने के लिए किया जाता है।

2. चालीसा पाठ कब करें?

उत्तर: इसे सुबह ब्रह्ममुहूर्त में करना सबसे उत्तम है।

3. क्या चालीसा पाठ में किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता है?

उत्तर: दीपक, फूल, जल, और प्रसाद आवश्यक हैं।

4. क्या 41 दिनों से कम पाठ किया जा सकता है?

उत्तर: पूर्ण लाभ के लिए 41 दिन पाठ करना श्रेष्ठ है।

5. क्या चालीसा पाठ में कोई व्रत रखना जरूरी है?

उत्तर: व्रत रखना आवश्यक नहीं, लेकिन सात्विकता बनाए रखना चाहिए।

6. क्या यह पाठ किसी भी दिन कर सकते हैं?

उत्तर: हां, लेकिन पूर्णिमा या गुरुवार विशेष शुभ माने जाते हैं।

7. क्या पाठ को गुप्त रखना जरूरी है?

उत्तर: हां, साधना में गोपनीयता बनाए रखना चाहिए।

8. पाठ के दौरान क्या मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

उत्तर: श्रद्धा और नियमपूर्वक पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

9. क्या पाठ के साथ दान करना चाहिए?

उत्तर: दान करना पुण्य और लाभ को बढ़ाता है।

10. क्या महिलाएं ये चालीसा पाठ कर सकती हैं?

उत्तर: हां, सभी महिलाएं यह पाठ कर सकती हैं।

11. क्या पाठ में कोई विशेष स्थान का चयन करना चाहिए?

उत्तर: शुद्ध और शांत स्थान सबसे उपयुक्त होता है।

12. क्या चालीसा पाठ का असर तुरंत दिखता है?

उत्तर: श्रद्धा और समर्पण से इसका असर शीघ्र होता है।


Pandrahiya Yantra – Mystical Tool for Success & Safety

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प्रंद्रहिया यंत्र: शत्रु और बाधाओं से सुरक्षा का प्रभावशाली उपाय

प्रंद्रहिया यंत्र तंत्र शास्त्र में अत्यधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली यंत्र माना जाता है। इसका निर्माण और उपयोग व्यक्ति को शत्रुओं से सुरक्षा, कार्यों में सफलता, और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है। इसका नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस यंत्र को बनाने पर सभी अंकों का योग मिलाकर कुल 15 होता है। यह यंत्र विशेष रूप से शनिवार और ग्रहण के समय अधिक प्रभावशाली माना जाता है।

लाभ

1. परिवार को शत्रु से सुरक्षा

प्रंद्रहिया यंत्र परिवार के सदस्यों को शत्रुओं से सुरक्षित रखता है और घर में सुख-शांति बनाए रखता है।

2. तंत्र से सुरक्षा

यह यंत्र तांत्रिक गतिविधियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है।

3. ऊपरी बाधा से सुरक्षा

घर या व्यक्ति पर आने वाली ऊपरी बाधाओं को यह यंत्र नष्ट कर देता है।

4. कार्य में सफलता

प्रंद्रहिया यंत्र व्यक्ति को अपने सभी कार्यों में सफलता दिलाने में सहायक होता है।

5. व्यापार में वृद्धि

व्यापार में आने वाली रुकावटों को यह यंत्र समाप्त करता है और लाभ में वृद्धि करता है।

6. नौकरी में उन्नति

इस यंत्र का प्रभाव नौकरी में उन्नति और नए अवसरों को आकर्षित करता है।

7. मानसिक शांति

यह यंत्र नकारात्मक विचारों को समाप्त करके मानसिक शांति प्रदान करता है।

8. परिवार की सुरक्षा

प्रंद्रहिया यंत्र पूरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और हर प्रकार की विपदा को दूर करता है।

9. स्वास्थ्य में सुधार

यह यंत्र व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और बीमारियों से बचाव करता है।

10. धन की वृद्धि

धन संबंधित समस्याओं को समाप्त करके आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।

11. शत्रुओं पर विजय

यह यंत्र शत्रुओं को पराजित करने में मदद करता है।

12. सौभाग्य में वृद्धि

प्रंद्रहिया यंत्र व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य लाने का कार्य करता है।

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सामग्री

प्रंद्रहिया यंत्र बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  1. भोजपत्र या सफेद कागज
  2. स्याही बनाने के लिए अष्टगंध और नमक
  3. कलम के लिए कनेल की लकड़ी, अगरबत्ती की लकड़ी, या माचिस की तीली

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प्रंद्रहिया यंत्र बनाने की विधि

सामग्री तैयार करें

शनिवार या ग्रहण के दिन सूर्यास्त के बाद एक शांत कमरे में लाइट्स बंद करें। सरसों के तेल का दीपक या मोमबत्ती जलाएं। सामग्री को अपने सामने व्यवस्थित करें।

स्याही बनाएं

एक कटोरी में थोड़ा अष्टगंध और नमक मिलाएं। इसमें पानी मिलाकर स्याही तैयार करें।

यंत्र का निर्माण

कनेल की लकड़ी या माचिस की तीली से भोजपत्र या सफेद कागज पर यंत्र बनाएं।
यंत्र बनाने के दौरान मंत्र का 25 मिनट तक जप करें।

यंत्र को सुरक्षित रखें

इस यंत्र को लैमिनेट करें और इसे अपने पूजाघर में स्थापित करें। नियमित पूजा और मंत्र जप से यंत्र की शक्ति को बनाए रखें।

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प्रंद्रहिया यंत्र के निर्माण और उपयोग से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

1. प्रंद्रहिया यंत्र क्या है?

यह एक शक्तिशाली तांत्रिक यंत्र है, जो शत्रु, तंत्र और ऊपरी बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।

2. प्रंद्रहिया यंत्र को कब बनाना चाहिए?

शनिवार या ग्रहण के दिन सूर्यास्त के बाद यह यंत्र बनाना अधिक प्रभावशाली होता है।

3. इस यंत्र का उपयोग कौन कर सकता है?

कोई भी व्यक्ति जो शत्रुओं, बाधाओं, या नकारात्मक ऊर्जा से बचना चाहता है, इस यंत्र का उपयोग कर सकता है।

4. प्रंद्रहिया यंत्र का निर्माण किस सामग्री से किया जाता है?

भोजपत्र या सफेद कागज, अष्टगंध और नमक की स्याही, और कनेल की लकड़ी से।

5. क्या यह यंत्र व्यापार में लाभ दिला सकता है?

हां, यह यंत्र व्यापार में वृद्धि और लाभ दिलाने में सहायक है।

6. यंत्र का निर्माण करते समय कौन सा मंत्र जपना चाहिए?

यंत्र बनाने के दौरान विशिष्ट मंत्र का 25 मिनट तक जप करें।

7. प्रंद्रहिया यंत्र की सुरक्षा के लिए क्या करें?

यंत्र को लैमिनेट करके पूजाघर में रखें और नियमित पूजा करें।

8. क्या यंत्र ऊपरी बाधाओं से बचाव करता है?

हां, यह यंत्र ऊपरी बाधाओं को समाप्त करके घर की सुरक्षा करता है।

9. क्या प्रंद्रहिया यंत्र आर्थिक समस्याओं को हल कर सकता है?

हां, यह यंत्र धन वृद्धि और आर्थिक स्थिरता लाने में सहायक है।

10. यंत्र का प्रभाव कब तक रहता है?

नियमित पूजा और मंत्र जप करने पर यह यंत्र लंबे समय तक प्रभावी रहता है।

Vishwakarma Chalisa Path – Positivity & Happiness in Life

Vishwakarma Chalisa Path - Positivity & Happiness in Life

विश्वकर्मा चालीसा पाठ: कृपा, समृद्धि और सफलता का अद्भुत मार्ग

विश्वकर्मा चालीसा पाठ भगवान विश्वकर्मा की कृपा पाने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का संचार होता है। विश्वकर्मा जी को निर्माण कला और सृजन के देवता माना जाता है। उनके चालीसा पाठ का उच्चारण हमारे भीतर ऊर्जा, सकारात्मकता और आशीर्वाद लाता है।

इस लेख में हम विश्वकर्मा चालीसा पाठ, उसके लाभ, विधि, नियम और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी पर चर्चा करेंगे।


संपूर्ण विश्वकर्मा चालीसा पाठ व उसका अर्थ

भगवान विश्वकर्मा के लिए 40 श्लोकों का यह संग्रह उनकी महिमा, कृपा और शक्ति का वर्णन करता है। यह पाठ भक्तों को समृद्धि, शांति और सुख का वरदान प्रदान करता है। श्रद्धा और नियम से इन श्लोकों का पाठ करने से भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त होती है।

1-10: भगवान की महिमा और उनके कार्य

  1. ॐ विश्वकर्मणे नमः।
  2. ॐ सृष्टिकर्त्रे नमः।
  3. ॐ वास्तुविद्याय नमः।
  4. ॐ यंत्रविद्याय नमः।
  5. ॐ रथसृजाय नमः।
  6. ॐ शिल्पकर्मणे नमः।
  7. ॐ सृजनाय नमः।
  8. ॐ ब्रह्मदक्षाय नमः।
  9. ॐ सुराध्यक्षाय नमः।
  10. ॐ देवशिल्पिने नमः।

11-20: सृष्टि के निर्माता और उनके दिव्य गुण

11. त्वं सृष्टिकर्ता लोकसंरक्षकाय।
12. त्वं धर्मपोषकः सर्वकल्याणदाता।
13. त्वं वास्तुविज्ञानी, जग का आधार।
14. त्वं यंत्रविद्यावान्, सुख-समृद्धि का द्वार।
15. विश्वकर्मा तव महिमा अपार।
16. त्रिदेवों ने तुझे दिया सत्कार।
17. स्वर्णिम भवनों के रचयिता महाशिल्पी।
18. तुम हो संसार के पालनकर्ता विधाता।
19. संकटमोचन, कृपानिधान विश्वकर्मा।
20. सर्वशक्तिमान, सृजन के महारथी।

21-30: देवताओं के प्रिय और भक्तों के रक्षक

21. इंद्र का वज्र, रावण का लंका।
22. हे विश्वकर्मा, तुम्हारी महिमा अनंका।
23. त्रिशूल शिव का, सुदर्शन विष्णु का।
24. तुमने ही रचा हर अस्त्र अद्भुत का।
25. भक्तों के रक्षक, संकट हरने वाले।
26. तुम्हारी कृपा से हर बाधा टाले।
27. संसार के हर कोने में तुम्हारा नाम।
28. विश्व के संरक्षक, सबके जीवनधाम।
29. यज्ञ, वास्तु, और कर्म के प्रेरक।
30. हे विश्वकर्मा, सभी को समृद्धि दे।

31-40: भक्तों की प्रार्थना और आशीर्वाद

31. सृष्टि के कण-कण में तेरा निवास।
32. हे भगवान, दूर करो सबकी त्रास।
33. हमें सदैव धर्म और सत्य की राह दिखाओ।
34. जीवन के हर कष्ट को हराओ।
35. वास्तु दोष का निवारण तुमसे हो।
36. हर यंत्र सफल, तेरा आशीष हो।
37. भक्तों के जीवन में समृद्धि लाओ।
38. हे विश्वकर्मा, अपने चरणों में जगह दो।
39. संसार के पालनहार, हमें शरण दो।
40. विश्वकर्मा प्रभु, कृपा से सब कुछ संभव हो।

नोट:

इस चालीसा में भगवान विश्वकर्मा की महिमा, उनके कार्य और कृपा का वर्णन है। यह पाठ हमें उनकी सृजनात्मक शक्ति का स्मरण कराता है।


विश्वकर्मा चालीसा पाठ के अद्भुत लाभ

  1. व्यापार में सफलता मिलती है।
  2. कार्यक्षेत्र में तरक्की होती है।
  3. घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  4. निर्माण कार्य में रुकावटें समाप्त होती हैं।
  5. आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  6. स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
  7. रिश्तों में मिठास आती है।
  8. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  9. मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  10. वास्तुदोष समाप्त होता है।
  11. मानसिक शांति मिलती है।
  12. परिवार में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
  13. बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
  14. देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
  15. कार्य में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  16. जीवन में नई शुरुआत होती है।
  17. सृजनात्मकता और नवाचार में वृद्धि होती है।

विश्वकर्मा चालीसा पाठ की विधि

दिन

  • विश्वकर्मा पूजा के दिन या हर शुक्रवार से शुरू करें।

अवधि

  • इसे लगातार 41 दिन तक पढ़ें।

मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे) में पाठ करें।
  • यदि ब्रह्म मुहूर्त संभव न हो, तो सुबह के समय करें।

Aghor lakshmi sadhana shivir


विश्वकर्मा चालीसा पाठ के नियम

  1. पाठ करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  2. पूजा स्थान पर दीप जलाकर पाठ शुरू करें।
  3. पाठ के दौरान मन को शांत और ध्यानमग्न रखें।
  4. साधना और पाठ को हमेशा गुप्त रखें।
  5. सात्विक भोजन का सेवन करें।
  6. मांस, मदिरा और अन्य नकारात्मक आदतों से बचें।

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विश्वकर्मा चालीसा पाठ में सावधानियां

  1. पाठ को कभी भी अधूरा न छोड़ें।
  2. पाठ के समय मोबाइल या अन्य उपकरण का उपयोग न करें।
  3. पाठ करने के बाद भगवान से अपनी मनोकामना अवश्य कहें।
  4. पूजा स्थल को साफ और पवित्र रखें।
  5. नकारात्मक सोच और बुरे कर्मों से दूर रहें।

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विश्वकर्मा चालीसा पाठ: महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: विश्वकर्मा चालीसा पाठ का क्या महत्व है?

उत्तर: यह पाठ भगवान विश्वकर्मा की कृपा और आशीर्वाद पाने का माध्यम है।

प्रश्न 2: पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: इसे 41 दिनों तक नियमित रूप से करें।

प्रश्न 3: क्या पाठ को गुप्त रखना जरूरी है?

उत्तर: हां, साधना और पाठ को गुप्त रखना लाभदायक होता है।

प्रश्न 4: क्या पाठ के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?

उत्तर: दीपक, धूप और फूल पर्याप्त हैं।

प्रश्न 5: पाठ किस समय करना चाहिए?

उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे अच्छा है।

प्रश्न 6: क्या विश्वकर्मा चालीसा पाठ वास्तुदोष दूर करता है?

उत्तर: हां, यह पाठ वास्तुदोष को समाप्त करने में मदद करता है।

प्रश्न 7: क्या पाठ को किसी विशेष दिन शुरू करना चाहिए?

उत्तर: इसे विश्वकर्मा पूजा के दिन या शुक्रवार को शुरू करें।

प्रश्न 8: पाठ के दौरान कौन-से नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: सात्विक जीवन और साधना को गुप्त रखना आवश्यक है।

प्रश्न 9: क्या महिलाएं पाठ कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी इसे कर सकती हैं।

प्रश्न 10: क्या पाठ के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?

उत्तर: यह आवश्यक नहीं है, लेकिन व्रत रखने से अधिक लाभ मिलता है।

प्रश्न 11: क्या पाठ करने से आर्थिक स्थिति सुधरती है?

उत्तर: हां, यह पाठ आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।

प्रश्न 12: पाठ करने के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: भगवान का धन्यवाद करें और प्रसाद वितरित करें।


अंत मे

विश्वकर्मा चालीसा पाठ भगवान विश्वकर्मा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का सरल उपाय है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

Mata Sita Chalisa Path – Spiritual Strength & Divine Blessings

Mata Sita Chalisa Path - Spiritual Strength & Divine Blessings

माता सीता चालीसा पाठ: कठिनाइयों से मुक्ति और सुख-शांति का मार्ग

माता सीता चालीसा पाठ भगवान श्रीराम की धर्मपत्नी और आदर्श नारी माता सीता को समर्पित है। यह पाठ भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का माध्यम है। माता सीता चालीसा पाठ का नियमित अभ्यास श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। माता सीता की भक्ति व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों को दूर करती है और उसे आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाती है।


संपूर्ण माता सीता चालीसा

दोहा:
जयति जयति श्री सीता माता, जनकसुत वीर हृदय विलासा।
राम प्रिया जगदंबा भवानी, कृपा करो भव बंधन हरानी।

चालीसा भाग १

जय सिया राम की अर्चना।
मंगलमय करुणा की साधना।।

  1. सीता जनकसुत जग की माता।
    भवसागर दुख हरनहारि दाता।।
  2. राम नाम संग तुम सुखकारी।
    धन्य जनकपुर की कुमारी।।
  3. त्याग धर्म की अनुपम मूरत।
    ममता करुणा से भरी सूरत।।
  4. रघुकुल ज्योति राम की प्यारी।
    सदा करो भक्तों पर कृपा भारी।।
  5. राम हृदय में तुम हो वासिनी।
    भव बाधा हरने वाली साधिनी।।
  6. वन में रहकर साथ निभाया।
    पति धर्म का पथ दिखाया।।
  7. रावण के बंधन को झेल।
    धरम प्रेम में रही अडिग खेल।।
  8. अग्नि परीक्षा दी ससम्मान।
    सत्य धर्म को दिया प्रमाण।।
  9. अशोक वाटिका में रही धैर्य।
    राम नाम का किया विस्मय।।
  10. लंका जली रघुवर संग आई।
    धर्म की ज्योति जग में छाई।।
  11. राम राज्य की बनी आधार।
    सीता कृपा से जग उद्धार।।
  12. भक्ति तुम्हारी सदा सुखदाई।
    राम प्रेम की मूरत बनाई।।
  13. जनकपुर की आनंद दात्री।
    सिया राम की पावन यामिनी।।
  14. करुणा की तुम हो सागर।
    सत्य धर्म का सबको आधार।।
  15. पावन मूरत जनक नंदिनी।
    राम संग वासिनी अनंदिनी।।
  16. राम चरण में सदा निवास।
    भक्तों का हरती हो त्रास।।
  17. सुख संपदा की दात्री हो।
    भवसागर से तारने वाली हो।।
  18. सीता माता कृपा करो।
    सभी भक्तों का दुख हर लो।।
  19. रघुवर जीवन तुम आधार।
    धन्य हो सिया राम उदार।।

भाग – २

  1. भक्ति की प्रेरणा तुमसे पाई।
    संसार में ज्योति फैलाई।।
  2. धैर्य धर्म का दिया उपदेश।
    जनकदुलारी तुम अविनेश।।
  3. सीता भवानी जगत कल्याणी।
    भक्तों पर सदा करो कृपानी।।
  4. राम नाम की ज्योति जलाओ।
    भवसागर से पार कराओ।।
  5. करुणा के अद्भुत रूप दिखाए।
    भक्तों को मार्ग सदा सिखाए।।
  6. राम कथा में सदा रमाना।
    भक्तों को सन्मार्ग दिखलाना।।
  7. सीता चरणों में शीश झुकाए।
    राम भक्त सब सुख पाए।।
  8. लंका पर विजय दिलवाई।
    रघुवर संग तुम जगत सुझाई।।
  9. दशरथनंदन संग सिया प्यारी।
    सदा बनी हो उनकी सहचरी।।
  10. राम की मूरत सिया भवानी।
    सब पर करो कृपा की वाणी।।
  11. राम संग वन में रही सहाई।
    सुख-दुख में दिखी पराई।।
  12. सिया राम का प्रेम अनोखा।
    कभी न देखा ऐसा जोखा।।
  13. सती धर्म का दिया उदाहरण।
    भक्तों को मिला पावन जीवन।।
  14. सिया राम कृपा से जीवन।
    सुखमय होता है हर क्षण।।
  15. राम-सिया का जप करिए।
    हर संकट से छुटकारा पाइए।।
  16. सिया कृपा से जीवन सुफल।
    हर भक्त का मन सदा अटल।।
  17. जनकसुत सिया राम की प्यारी।
    करुणा सागर जग उद्धारी।।
  18. सीता माता से प्रार्थना करें।
    राम प्रेम में सदा रमण करें।।
  19. सिया राम से सदा भरोसा।
    जीवन में हर लो हर दोषा।।
  20. जय जय माता सीता भवानी।
    भक्तों पर सदा करो कृपानी।।

दोहा:

सीता माता कृपा कर, सुख-शांति प्रदान।
भक्तों की हर पीड़ा हर, राम करें कल्याण।

यह सीता चालीसा भक्तों के लिए माता सीता की कृपा पाने का मार्ग है। इसे सच्चे मन और श्रद्धा से पढ़ें।


लाभ

  1. जीवन की कठिनाइयों को दूर करता है।
  2. पारिवारिक सुख-शांति में वृद्धि करता है।
  3. आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  4. आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
  5. मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
  6. आत्मबल को सशक्त करता है।
  7. रिश्तों में मधुरता लाता है।
  8. मानसिक तनाव को कम करता है।
  9. बुरे कर्मों से मुक्ति दिलाता है।
  10. सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  11. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  12. भक्त को भगवान राम और माता सीता का आशीर्वाद मिलता है।
  13. भूत-प्रेत बाधाओं से रक्षा करता है।
  14. विद्यार्थियों को ज्ञान और सफलता प्रदान करता है।
  15. स्वास्थ्य समस्याओं को कम करता है।
  16. आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाता है।
  17. जीवन में धर्म और कर्म की ओर प्रेरित करता है।

विधि

दिन और अवधि

माता सीता चालीसा पाठ के लिए शुक्रवार या मंगलवार का दिन शुभ माना जाता है। पाठ की अवधि 41 दिन तक रखें।

मुहूर्त

ब्राह्म मुहूर्त या संध्या समय पाठ के लिए सबसे शुभ समय होता है। यह समय भक्त के मन को शांत करता है।

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नियम

  1. पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
  2. साधना को गुप्त रखें और दिखावा न करें।
  3. पाठ करते समय मन को स्थिर रखें।
  4. पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  5. पाठ के दौरान माता सीता का ध्यान करते रहें।
  6. व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें।

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सावधानियां

  1. अशुद्ध स्थान पर पाठ न करें।
  2. ध्यान भंग होने से बचें।
  3. नकारात्मक विचारों को मन में स्थान न दें।
  4. पूजा सामग्री में किसी भी प्रकार की कमी न रखें।
  5. पाठ समाप्ति के बाद धन्यवाद अवश्य करें।

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माता सीता चालीसा पाठ के प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: माता सीता चालीसा पाठ का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: माता सीता चालीसा पाठ का उद्देश्य भक्ति, शांति और समस्याओं का समाधान पाना है।

प्रश्न 2: चालीसा पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: चालीसा पाठ 41 दिनों तक करना चाहिए।

प्रश्न 3: पाठ का शुभ समय कौन-सा है?

उत्तर: ब्राह्म मुहूर्त और संध्या समय सबसे शुभ हैं।

प्रश्न 4: क्या चालीसा पाठ गुप्त रखना चाहिए?

उत्तर: हाँ, साधना और पूजा को गुप्त रखना चाहिए।

प्रश्न 5: पाठ के दौरान क्या सावधानी रखें?

उत्तर: पाठ में ध्यान भंग न होने दें और स्वच्छता का ध्यान रखें।

प्रश्न 6: क्या माता सीता चालीसा पाठ व्रत के बिना किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, लेकिन व्रत रखने से इसका प्रभाव बढ़ता है।

प्रश्न 7: चालीसा पाठ से कौन-से लाभ होते हैं?

उत्तर: मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और आध्यात्मिक जागृति होती है।

प्रश्न 8: क्या पाठ के लिए किसी विशेष दिशा का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: पूजास्थल पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

प्रश्न 9: क्या इस पाठ से हर मनोकामना पूर्ण हो सकती है?

उत्तर: हाँ, सच्चे मन से किया गया पाठ हर मनोकामना पूर्ण करता है।

प्रश्न 10: पाठ के दौरान कौन-सी भक्ति सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: दीपक, फूल, चंदन और माता सीता की प्रतिमा या चित्र।

प्रश्न 11: पाठ में कितनी बार चालीसा पढ़नी चाहिए?

उत्तर: एक बार में पूरी चालीसा पढ़ें। अधिक भक्तिभाव से तीन बार पढ़ सकते हैं।

प्रश्न 12: क्या माता सीता चालीसा पाठ सभी कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, यह पाठ हर कोई कर सकता है।


माता सीता चालीसा पाठ करने से न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, बल्कि जीवन की हर कठिनाई का समाधान भी मिलता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से माता सीता की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

Vidveshan Yantra – How to Make Yantra?

Vidveshan Yantra - How to Make Yantra?

विद्वेषण यंत्र कैसे बनाएं – शत्रुओं से बचाव और सकारात्मक ऊर्जा का रहस्य

विद्वेषण यंत्र एक ऐसा अद्भुत और पारंपरिक साधन है, जो परिवार को शत्रुओं, बुरी संगत और भटकाव से बचाने में मदद करता है। इस यंत्र का उपयोग सदियों से हमारी संस्कृति में किया जाता रहा है, और यह आपकी समस्याओं का समाधान करते हुए सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

महत्वपूर्ण लाभ

  1. परिवार को शत्रुओं से सुरक्षा: यह आपके परिवार को बाहरी शत्रुओं से सुरक्षित रखता है।
  2. गलत दिशा से बचाव: यदि कोई व्यक्ति आपके परिवार के सदस्य को गलत राह पर ले जा रहा है, तो यह यंत्र प्रभावी है।
  3. बुरी संगत से बचाव: यह यंत्र परिवार के किसी सदस्य को बुरी संगत से बचाने का उपाय है।
  4. दुष्ट प्रवृत्तियों से रक्षा: यह नकारात्मक ऊर्जा और दुष्ट प्रभावों को दूर करता है।
  5. आपको बहकाने वाले लोगों से बचाव: अगर कोई आपको या आपके परिवार को बहकाने की कोशिश कर रहा है, तो यह यंत्र कारगर है।
  6. सदस्यों के बीच प्रेम बनाए रखना: परिवार में प्रेम और एकता बनाए रखने में सहायक।
  7. आत्मविश्वास में वृद्धि: यह सकारात्मक ऊर्जा प्रदान कर आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  8. ग्रह दोषों का निवारण: यंत्र ग्रहण के समय किए गए दोषों को शांत करता है।
  9. धन-हानि से सुरक्षा: यह यंत्र आर्थिक समस्याओं और नुकसान से बचाता है।
  10. शांति और स्थिरता: परिवार के वातावरण में शांति बनाए रखता है।
  11. नजर दोष से बचाव: बुरी नजर और अकारण कष्टों से बचाने का उपाय है।
  12. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: यह यंत्र आपके घर में सकारात्मकता लाने में सहायक है।

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सामग्री और निर्माण की विधि

सामग्री

विद्वेषण यंत्र बनाने के लिए आपको निम्न सामग्री चाहिए:

  • भोजपत्र या सफेद कागज
  • स्याही के लिए काजल और कोयला
  • कलम के लिए कनेल की लकड़ी या अगरबत्ती की लकड़ी

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यंत्र बनाने की विधि

  1. समय का चयन: किसी भी शनिवार या ग्रहण के दिन सूर्यास्त के बाद इस प्रक्रिया को शुरू करें।
  2. सामग्री तैयार करें: एक कमरे में लाइट्स बंद करें और सरसों के तेल का दीपक या मोमबत्ती जलाएं।
  3. स्याही बनाएं: एक कटोरी में काजल और कोयला मिलाकर थोड़ा पानी मिलाएं।
  4. यंत्र का निर्माण: कनेल की लकड़ी से भोजपत्र या कागज पर दिए गए तरीके से यंत्र बनाएं।
  5. मंत्र जाप: यंत्र तैयार होने के बाद 25 मिनट मंत्र का जाप करें। ॥ॐ रं रं आदित्याय क्लीं वषट्॥
  6. पूजा स्थान पर रखें: यंत्र को लैमिनेट करके अपने पूजाघर में रखें।

Vidveshan yakshini sadhana with diksha


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. विद्वेषण यंत्र क्या है?

विद्वेषण यंत्र एक पारंपरिक उपाय है, जिसका उपयोग परिवार को शत्रुओं और नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए किया जाता है।

2. विद्वेषण यंत्र बनाने में कितना समय लगता है?

यह प्रक्रिया लगभग 30-45 मिनट में पूरी हो जाती है, जिसमें यंत्र निर्माण और मंत्र जाप शामिल हैं।

3. क्या यह यंत्र सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है?

यह यंत्र विशेष रूप से शत्रु निवारण, परिवार की सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा के लिए उपयोगी है।

4. यंत्र को पूजाघर में रखने का क्या महत्व है?

पूजाघर में रखने से यंत्र की शक्ति बढ़ती है और यह आपकी रक्षा करता है।

5. क्या यह यंत्र हर व्यक्ति के लिए प्रभावी है?

हाँ, इसे सही विधि से बनाने और उपयोग करने पर हर व्यक्ति को लाभ होता है।

6. क्या यंत्र बनाने के लिए विशेष सामग्री जरूरी है?

हाँ, भोजपत्र, काजल और कनेल की लकड़ी जैसी सामग्री जरूरी है।

7. क्या इसे ग्रहण के अलावा अन्य समय पर बनाया जा सकता है?

ग्रहण या शनिवार का समय सबसे शुभ होता है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में इसे अन्य दिनों में भी बनाया जा सकता है।

8. क्या यह यंत्र बच्चों के लिए भी उपयोगी है?

बिल्कुल, यह बच्चों को बुरी नजर और गलत संगत से बचाने में मदद करता है।

9. क्या मंत्र जाप करना अनिवार्य है?

हां, मंत्र जाप से यंत्र में ऊर्जा का संचार होता है।

10. यंत्र बनाने में कौन-कौन से मंत्रों का उपयोग होता है?

यंत्र निर्माण में उपयोग किए जाने वाले मंत्र विशेष धार्मिक ग्रंथों पर आधारित होते हैं।


अंत मे

विद्वेषण यंत्र आपके परिवार और जीवन को शत्रुओं और नकारात्मक प्रभावों से बचाने का एक प्रभावी माध्यम है। इसे सही विधि से तैयार करके, आप अपने जीवन में शांति, स्थिरता और सकारात्मकता ला सकते हैं।

याद रखे – अच्छी नीयत ही साफलता दिलाती है।


Shri Ayappa Chalisa path for Wealth & Prosperity

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श्री अयप्पा चालीसा पाठ: पूरी विधि, लाभ, और सावधानियाँ

श्री अयप्पा चालीसा पाठ हिंदू धर्म में अद्वितीय स्थान रखता है। यह पाठ भक्तों के लिए आस्था और ऊर्जा का स्रोत है। भगवान अयप्पा को समर्पित यह चालीसा पाठ उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। श्री अयप्पा चालीसा पाठ का नियमित रूप से पाठ करने से मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मकता आती है।

भगवान अयप्पा को सच्चे हृदय से समर्पित यह चालीसा पाठ हमें कठिन परिस्थितियों में मार्ग दिखाता है। यह साधना हमें बुराईयों से बचाती है और जीवन में धर्म और सत्य का अनुसरण करने की प्रेरणा देती है।


संपूर्ण श्री अयप्पा चालीसा पाठ

दोहा
श्री गणेश गुरु गौरी, चरण सरन मैं आय।
करहुं कृपा अय्यप्पा स्वामी, संकट दूर हटाय॥

चौपाई

  1. ध्यान धरूं श्री अय्यप्पा का।
    जिनसे मिटे संताप हमारा॥
    करुणामय स्वामी शरण तुम्हारी।
    कृपा करूं जीवन उधारी॥
  2. शिखर पर मंदिर सुहावना।
    सत्य धर्म का है ठिकाना॥
    सब तीर्थों से न्यारा तेरा।
    दर्शन कर हर दुख बसेरा॥
  3. हरि के अंश तुम्हीं अवतारी।
    शत्रु नाशक करुणा बारी॥
    अय्यप्पा दीनों के पालन।
    भक्त हृदय में सदा विराजन॥
  4. कष्ट मिटाते, भोग लगाते।
    स्वामी जग में प्रेम जगाते॥
    ध्यान करें जो सच्चे मन से।
    उन पर कृपा हो पल भर में॥
  5. तीर्थ का यह रूप निराला।
    सब भक्तों को देता सहारा॥
    नाम जपें तो पुण्य मिलेगा।
    स्वामी से सब कष्ट हरेगा॥
  6. स्वर्ण मुकुट सुशोभित मस्तक।
    प्रभु अय्यप्पा का दिव्य वरदहस्त॥
    सागर पार जो भक्त बुलाते।
    उन पर दया दृष्टि बरसाते॥
  7. सिंघासन पर विराजे स्वामी।
    भाल पर तिलक, तेज अनामी॥
    भक्तों के संकट हरते रहते।
    मन में भक्ति दीप जलाते॥
  8. मंत्र जपें, मंदिर में जाएं।
    सब दुःखों का नाश कराएं॥
    सच्चे मन से जो अरज करता।
    स्वामी उसकी चिंता हरता॥

दोहा

शरण में उनकी जो कोई आता।
कष्ट सभी को स्वामी मिटाता॥
प्रेम-भक्ति से जो भी गाए।
उसके जीवन में सुख आए॥

चालीसा का अर्थ
चालीसा पाठ में छुपे हर श्लोक का अर्थ आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है। यह भक्तों को दिव्य प्रेरणा देता है।


लाभ

  1. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  2. कठिन समय में साहस और आत्मविश्वास मिलता है।
  3. भगवान अयप्पा का आशीर्वाद मिलता है।
  4. मनोबल और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।
  5. तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  6. साधना में एकाग्रता बढ़ती है।
  7. आध्यात्मिक ज्ञान में बढ़ोतरी होती है।
  8. बाधाओं का अंत होता है।
  9. घर में शांति और समृद्धि आती है।
  10. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  11. सफलता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
  12. परिवार में प्रेम और एकता बढ़ती है।
  13. नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  14. ईश्वर के प्रति भक्ति मजबूत होती है।
  15. जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  16. साधना में स्थायित्व प्राप्त होता है।
  17. आत्मा को परम शांति मिलती है।

श्री अयप्पा चालीसा पाठ की विधि

  • दिन: यह पाठ किसी भी पवित्र दिन से शुरू किया जा सकता है।
  • अवधि: 41 दिन लगातार पाठ करना लाभकारी होता है।
  • मुहूर्त: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त सर्वोत्तम होता है।

पाठ प्रारंभ करने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। भगवान अयप्पा की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर ध्यान करें।

Aghor lakshmi sadhana shivir


नियम

  1. चालीसा पाठ हमेशा श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
  2. साधना को गुप्त रखें और दिखावा न करें।
  3. पाठ के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  4. नियमित समय पर पाठ करना जरूरी है।
  5. मानसिक एकाग्रता बनाए रखें।
  6. भोजन सात्विक और शुद्ध रखें।
  7. किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों से बचें।

Get mantra diksha


श्री अयप्पा चालीसा पाठ के दौरान सावधानियां

  1. साधना के दौरान व्यर्थ बातचीत से बचें।
  2. पाठ के बीच में रुकावट न आने दें।
  3. मन को शांत और स्थिर रखें।
  4. किसी प्रकार की अनुचित गतिविधि से दूर रहें।
  5. पाठ स्थल को स्वच्छ रखें।
  6. मोबाइल या अन्य उपकरणों का उपयोग न करें।
  7. चालीसा पाठ को आदरपूर्वक और समर्पण से करें।

Narsimha sadhana with diksha


श्री अयप्पा चालीसा पाठ: प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: श्री अयप्पा चालीसा पाठ क्यों किया जाता है?

उत्तर: यह पाठ मानसिक शांति और भगवान अयप्पा की कृपा पाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: इसे कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: इसे 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।

प्रश्न 3: पाठ का सही समय कौन सा है?

उत्तर: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में इसे करना सर्वोत्तम है।

प्रश्न 4: क्या साधना को गुप्त रखना चाहिए?

उत्तर: हां, साधना को गुप्त रखना अति आवश्यक है।

प्रश्न 5: क्या कोई विशेष भोजन करना चाहिए?

उत्तर: सात्विक और शुद्ध भोजन का ही सेवन करें।

प्रश्न 6: पाठ के क्या लाभ हैं?

उत्तर: मानसिक शांति, बाधाओं का नाश, और ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।

प्रश्न 7: क्या पाठ के दौरान ध्यान देना जरूरी है?

उत्तर: हां, ध्यान और एकाग्रता साधना का मुख्य भाग है।

प्रश्न 8: क्या महिलाएं चालीसा पाठ कर सकती हैं?

उत्तर: हां, श्रद्धा और नियम से महिलाएं भी यह पाठ कर सकती हैं।

प्रश्न 9: क्या पाठ किसी भी दिन शुरू कर सकते हैं?

उत्तर: हां, लेकिन शुभ दिन चुनना अधिक लाभकारी है।

प्रश्न 10: क्या पाठ का प्रभाव तुरंत दिखता है?

उत्तर: यह व्यक्ति की श्रद्धा और भक्ति पर निर्भर करता है।


Narasimha Chalisa – Powerful Ritual for Protection & Peace

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नरसिंह चालीसा पाठ: सुरक्षा व शांती

नरसिंह चालीसा पाठ भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्त करने का दिव्य माध्यम है। यह पाठ भक्तों को संकटों से मुक्ति दिलाने और जीवन में शांति और सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जाता है। भगवान नरसिंह विष्णु के उग्र अवतार हैं, जिन्होंने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया।

इस पाठ से भक्त अपने जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं। इस पाठ को श्रद्धा और नियम से करने पर न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि ईश्वर के प्रति भक्ति और विश्वास भी प्रगाढ़ होता है।


संपूर्ण नरसिंह चालीसा पाठ व उसका अर्थ

श्री नरसिंह चालीसा

दोहा:
नमो नरसिंहाय देवाय, सर्वदुःख निवारक।
भक्तों की रक्षा करें, हर कष्ट को टालक।

चौपाई:

जय नरसिंह भगवान महान।
हिरण्यकश्यप दैत्य संहारक जान॥
आपकी महिमा अपरंपार।
भक्त प्रह्लाद के पालनहार॥

चरण कमल में जिनके वास।
उनका कटे भवसागर त्रास॥
शरणागत के तुम हो रक्षक।
त्रैलोक्य के पालनकर्ता भक्षक॥

दैत्यों के लिए भयंकर रूप।
भक्तों को देते अनोखा भूप॥
सिंह के समान तेज है आपका।
भक्तों के लिए कोमल मन आपका॥

हिरण्यकश्यप को जो मारा।
प्रह्लाद को दिया सुख सारा॥
त्रिलोकी की रक्षा करते।
अपने भक्तों से प्रेम करते॥

आपकी कृपा से मिटते संताप।
भक्तजनों को देते आप तपो-जाप॥
आपकी लीला अपरंपार।
संसार में भक्तों के पालनहार॥

सिंह शरीर और मानव मस्तक।
विनाशकारी रूप, दैत्य के वधक॥
सिंह नाद से कंपन हो जग।
त्रिलोक में जय-जयकार लग॥

नरसिंह अवतार अद्भुत अनोखा।
भक्तों के लिए वरदान अनोखा॥
भयमुक्त करें आपका नाम।
आप हो विष्णु का उग्र धाम॥

आपकी शरण में सुख ही सुख।
भय मिटता है, कष्ट हो दूर॥
भक्त प्रह्लाद के पालनहार।
जय नरसिंह, जग पालनहार॥

अर्थ

  1. जय नरसिंह भगवान महान: नरसिंह भगवान की महिमा गाते हुए उनके अद्वितीय रूप और शक्ति का गुणगान।
  2. हिरण्यकश्यप दैत्य संहारक जान: भगवान ने अपने उग्र रूप में हिरण्यकश्यप को नष्ट कर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की।
  3. भक्तों के लिए कोमल मन: भगवान नरसिंह का हृदय अपने भक्तों के लिए करुणामय और दयालु है।
  4. सिंह नाद से कंपन हो जग: भगवान नरसिंह के नाद से समस्त ब्रह्मांड कांप उठता है।
  5. आपकी शरण में सुख ही सुख: भगवान नरसिंह की शरण में जाने से हर प्रकार के दुःख और भय दूर होते हैं।

लाभ

  1. भय और संकट से मुक्ति मिलती है।
  2. जीवन में शांति और सुरक्षा का अनुभव होता है।
  3. मन को स्थिरता और शुद्धता प्राप्त होती है।
  4. दुष्ट शक्तियों का नाश होता है।
  5. मानसिक तनाव कम होता है।
  6. आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  7. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।
  9. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  10. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  11. भक्त के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  12. भगवान नरसिंह की कृपा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  13. घर में आध्यात्मिक वातावरण बनता है।
  14. बाधाओं और कठिनाइयों का अंत होता है।
  15. पवित्रता और भक्ति की अनुभूति होती है।
  16. भगवान नरसिंह का दिव्य संरक्षण मिलता है।
  17. मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

विधि

दिन: किसी भी शुभ दिन या मंगलवार और शनिवार को आरंभ करें।

अवधि: 41 दिनों तक नियमित रूप से करें।

मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त या सूर्यास्त के बाद का समय सबसे उपयुक्त है।

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नियम

  1. चालीसा पाठ को गुप्त रखें।
  2. शुद्ध मन और शरीर से पाठ करें।
  3. पाठ से पहले भगवान नरसिंह की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  4. सफेद या पीले वस्त्र पहनें।
  5. पाठ के दौरान ध्यान भगवान नरसिंह पर केंद्रित रखें।
  6. भोजन में सात्विकता का पालन करें।

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सावधानियां

  1. अशुद्ध मन या स्थान पर पाठ न करें।
  2. अधूरी श्रद्धा से पाठ करने से बचें।
  3. पाठ के दौरान बीच में रुकावट न करें।
  4. चालीसा पाठ के नियमों का उल्लंघन न करें।
  5. किसी भी नकारात्मक विचार को मन में न आने दें।

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नरसिंह चालीसा पाठ के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: नरसिंह चालीसा पाठ क्या है? उत्तर: यह भगवान नरसिंह को समर्पित 40 छंदों का भक्ति पाठ है।

प्रश्न 2: यह पाठ किसके लिए उपयुक्त है? उत्तर: जो व्यक्ति भय, संकट या शत्रुओं से मुक्ति चाहते हैं।

प्रश्न 3: इसे कितने दिन करना चाहिए? उत्तर: नियमित रूप से 41 दिन करना उत्तम है।

प्रश्न 4: किस समय करना चाहिए? उत्तर: ब्रह्ममुहूर्त या सूर्यास्त के बाद।

प्रश्न 5: क्या पाठ गुप्त रखना आवश्यक है? उत्तर: हां, यह साधना की गोपनीयता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 6: क्या विशेष वस्त्र पहनने चाहिए? उत्तर: सफेद या पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 7: क्या पाठ के दौरान भोग लगाना चाहिए? उत्तर: हां, फल, दूध, और मिठाई का भोग लगाएं।

प्रश्न 8: क्या इसे घर पर कर सकते हैं? उत्तर: हां, घर के शांत और पवित्र स्थान पर कर सकते हैं।

प्रश्न 9: क्या इसे मंदिर में करना अनिवार्य है? उत्तर: नहीं, लेकिन मंदिर में करना अधिक लाभकारी हो सकता है।

प्रश्न 10: क्या बच्चों को शामिल किया जा सकता है? उत्तर: हां, बच्चों को संस्कार और भक्ति सिखाने के लिए।

प्रश्न 11: क्या पाठ के दौरान मंत्र भी जप सकते हैं? उत्तर: हां, नरसिंह मंत्र का जप कर सकते हैं।

प्रश्न 12: क्या इसका प्रभाव तुरंत दिखता है? उत्तर: श्रद्धा और विश्वास के अनुसार परिणाम मिलता है।


Chandra Chalisa Path – Mental Peace & Mind Control

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चंद्र चालीसा पाठ – शीतलता और शांति

चंद्र चालीसा पाठ जीवन में शांति, मानसिक स्थिरता और समृद्धि लाने वाला एक अद्भुत आध्यात्मिक उपाय है। यह पाठ चंद्र ग्रह की कृपा पाने और मन के असंतुलन को समाप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। चंद्र देव, जिन्हें शीतलता और भावनाओं का स्वामी माना जाता है, उनकी कृपा से जीवन में सुख-शांति आती है। चंद्र चालीसा पाठ के माध्यम से मनुष्य अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत कर सकता है और मानसिक संतुलन बनाए रख सकता है। यह पाठ न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि दैनिक जीवन की समस्याओं से भी मुक्ति दिलाता है।


संपूर्ण चंद्र चालीसा पाठ व उसका अर्थ

संपूर्ण चंद्र चालीसा

॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

॥चालीसा॥

चंद्र तेज धर आप सदा, करुणा सिंधु भगवान।
धवल रूप मन मोहिनी, चमत्कार गुण खान॥1॥

शीतलता के देव तुम, मन को देते छांव।
ग्रह दोष सब हरते हो, देते शुभ फल दांव॥2॥

चमक तुम्हारी अद्भुत, जीवन का आधार।
सौम्यता के प्रतीक तुम, करते सब उद्धार॥3॥

शिव शंकर के मस्तक पर, शोभा बढ़ाते आप।
निशा के स्वामी चंद्र देव, कृपा करो अब आप॥4॥

रात्रि में दिखते हो, उज्जवल रूप महान।
जग को देते ज्योति तुम, सब करते कल्याण॥5॥

कृष्ण पक्ष में घटते हो, शुक्ल पक्ष में बढ़ते।
पूर्णिमा का रूप तुम्हारा, चित्त को सुख देते॥6॥

तुमसे होते ज्वार-भाटा, जल में रहते प्राण।
तुमसे ही है बंधुता, यह सृष्टि का विधान॥7॥

शीतल किरणों से भरते, मन में प्रेम अपार।
ज्योतिष में हो श्रेष्ठतम, भाग्य बनाते संवार॥8॥

चंद्र देव की साधना, हर दुख को हरती।
जीवन में लाती शांति, राह नई दिखलाती॥9॥

शिव प्रिय चंद्र देव तुम, साधक को दो ध्यान।
करो कृपा अब देवता, पूर्ण करो अरमान॥10॥

चंद्र दोष जो होते हैं, उनसे मुक्त कराएं।
मन का संतुलन देकर, जीवन सुखमय बनाएं॥11॥

सफेद वस्त्र धारण कर, साधक करे अराध।
धूप, दीप और अक्षत से, हो तुम शीघ्र प्रसन्न॥12॥

श्रद्धा से जो जपे तुम्हें, संकट हरते आप।
चंद्र चालीसा पाठ से, पूर्ण हों सब ताप॥13॥

तुमसे ही संतुलित होता, जीवन का आधार।
तुम बिन शांति न होती, कृपा करो अब अपार॥14॥

करते जो आराधना, उनके कष्ट मिटाते।
सफलता का आशीष देकर, जीवन में खुशियां लाते॥15॥

तुम्हीं से जल का प्रवाह, प्रकृति की शान।
तुम्हारी कृपा से होता, सृष्टि का उत्थान॥16॥

चंद्र देव अब कृपा करो, साधक की अरज सुनो।
चालीसा का यह पाठ सदा, भक्ति में रमण करो॥17॥

॥दोहा॥
जय जय चंद्र देव प्रभु, सब पर करो उपकार।
कष्ट मिटाओ भक्त के, जीवन हो सुखमय अपार॥


चंद्र चालीसा पाठ के लाभ

  1. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  2. भावनात्मक संतुलन बनाए रखता है।
  3. चंद्र ग्रह के दोष शांत होते हैं।
  4. सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि होती है।
  5. विवाह में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।
  6. पारिवारिक कलह का नाश होता है।
  7. मन की चंचलता कम होती है।
  8. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. व्यापार में वृद्धि होती है।
  10. दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।
  11. ध्यान और साधना में सहायता मिलती है।
  12. शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
  13. ग्रहण दोष समाप्त होता है।
  14. बच्चों की पढ़ाई में सुधार होता है।
  15. आत्मविश्वास बढ़ता है।
  16. शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
  17. समृद्धि और खुशहाली बढ़ती है।

चंद्र चालीसा पाठ की विधि

दिन और अवधि

  • दिन: सोमवार को पाठ प्रारंभ करें।
  • अवधि: 41 दिन तक नियमित करें।
  • मुहूर्त: प्रातः काल सूर्योदय से पहले का समय सर्वोत्तम है।

विधि

  1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. सफेद वस्त्र या आसन का उपयोग करें।
  3. चांदी की थाली में दीपक जलाएं।
  4. चंद्र देव का ध्यान कर चालीसा पाठ करें।
  5. चावल और सफेद फूल अर्पित करें।

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नियम

  1. पूजा और साधना को गुप्त रखें।
  2. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  3. शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  4. साधना के दौरान शराब और मांसाहार से बचें।
  5. पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।
  6. घर का शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
  7. सूर्योदय से पहले पाठ करें।
  8. ध्यान के समय सफेद मोमबत्ती जलाएं।

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सावधानियां

  1. साधना को सार्वजनिक न करें।
  2. पाठ के समय मोबाइल और अन्य उपकरण बंद रखें।
  3. सफेद वस्त्र पहनना अनिवार्य है।
  4. गंदे और अस्वच्छ स्थान पर पाठ न करें।
  5. बिना स्नान किए पाठ न करें।
  6. साधना के समय किसी अन्य कार्य में मन न लगाएं।
  7. चंद्र चालीसा पाठ के दौरान अशुद्ध विचारों से बचें।

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चंद्र चालीसा पाठ से जुड़े प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1: चंद्र चालीसा पाठ कब करना चाहिए?

उत्तर: सोमवार को सूर्योदय से पहले चंद्र चालीसा पाठ करना सबसे उत्तम है।

प्रश्न 2: क्या 41 दिन के अलावा भी पाठ किया जा सकता है?

उत्तर: हां, इसे जीवनभर नियमित रूप से किया जा सकता है।

प्रश्न 3: चंद्र चालीसा पाठ से क्या लाभ होता है?

उत्तर: मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और जीवन में खुशहाली प्राप्त होती है।

प्रश्न 4: क्या इस पाठ को गुप्त रखना जरूरी है?

उत्तर: हां, साधना को गुप्त रखने से अधिक फल प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 5: क्या स्त्रियां चंद्र चालीसा पाठ कर सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्रियां भी इसे कर सकती हैं।

प्रश्न 6: क्या पाठ के दौरान किसी विशेष आसन का उपयोग करना चाहिए?

उत्तर: सफेद रंग का आसन सर्वोत्तम है।

प्रश्न 7: क्या पाठ के दौरान भोग लगाना आवश्यक है?

उत्तर: हां, सफेद मिठाई और चावल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 8: क्या चंद्र चालीसा पाठ से ग्रहण दोष समाप्त होता है?

उत्तर: हां, यह पाठ ग्रहण दोष को शांत करता है।

प्रश्न 9: चंद्र चालीसा पाठ के लिए कौन से रंग के वस्त्र पहनने चाहिए?

उत्तर: सफेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।

प्रश्न 10: क्या पाठ के दौरान कोई मंत्र भी जपना चाहिए?

उत्तर: चालीसा पाठ के दौरान चंद्र मंत्र जपना शुभ होता है।

प्रश्न 11: क्या पाठ के दौरान दीपक जलाना अनिवार्य है?

उत्तर: हां, चांदी के दीपक में घी का दीपक जलाना शुभ होता है।

प्रश्न 12: क्या चंद्र चालीसा पाठ से विवाह में बाधा दूर होती है?

उत्तर: हां, यह पाठ विवाह में आने वाली बाधाओं को समाप्त करता है।


Lord Kshetrapal – Protector of Land, Rituals & Benefits

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भगवान क्षेत्रपाल – भूमि, समृद्धि और शांति के रक्षक

भगवान क्षेत्रपाल हिंदू धर्म के एक पूजनीय देवता हैं, जिन्हें गांव और क्षेत्र की रक्षा का संरक्षक माना जाता है। वे सामान्यतः ग्राम्य देवी-देवताओं के साथ पूजे जाते हैं और भूमि तथा कृषि की उन्नति के प्रतीक हैं।


लाभ

  1. भूमि की सुरक्षा: भूमि विवादों और अपशकुन से बचाव।
  2. कृषि में उन्नति: फसलों की वृद्धि और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा।
  3. आर्थिक समृद्धि: व्यापार और कार्यक्षेत्र में लाभ।
  4. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: बुरी शक्तियों और नजर दोष से बचाव।
  5. परिवार की शांति: परिवार में झगड़ों का समाधान।
  6. बीमारियों का निवारण: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान।
  7. संपत्ति का विस्तार: नए प्रोजेक्ट और भूमि खरीद में सफलता।
  8. गांव की रक्षा: प्राकृतिक आपदाओं और बाहरी खतरों से बचाव।
  9. मन की शांति: ध्यान और मानसिक शांति में सहायता।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: आंतरिक विकास और साधना में मदद।
  11. दुश्मनों से बचाव: शत्रुओं की बुरी योजनाओं का विफल होना।
  12. धार्मिक उन्नति: संस्कार और परंपराओं का पालन।

क्षेत्रपाल पूजा का मंत्र

मंत्र:
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं क्षेत्रपालाय स्वाहा।”

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पूजा विधि

  1. शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करें।
  2. स्वच्छ भूमि पर क्षेत्रपाल का चित्र या प्रतिमा रखें।
  3. पंचामृत और जल से अभिषेक करें।
  4. दीप, अगरबत्ती, और फूल अर्पित करें।
  5. मंत्र जप करें (कम से कम 108 बार)।
  6. नैवेद्य अर्पित कर आरती करें।

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पूजा का शुभ मुहूर्त

  • दैनिक मुहूर्त: प्रातःकाल (6:00 AM से 8:00 AM)
  • विशेष दिन: मंगलवार, अमावस्या, या पूर्णिमा।

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सामान्य प्रश्न

  1. भगवान क्षेत्रपाल कौन हैं?
    भगवान क्षेत्रपाल भूमि और क्षेत्र के रक्षक देवता हैं।
  2. क्या क्षेत्रपाल पूजा सभी कर सकते हैं?
    हां, यह पूजा सभी के लिए फलदायी है।
  3. पूजा के लिए कौन-सा समय सर्वोत्तम है?
    प्रातःकाल या शुभ तिथि।
  4. क्या विशेष सामग्री चाहिए?
    हां, दीप, अगरबत्ती, फूल, और नैवेद्य।
  5. मंत्र कितनी बार जपें?
    कम से कम 108 बार।
  6. क्या क्षेत्रपाल पूजा में गायत्री मंत्र का उपयोग हो सकता है?
    क्षेत्रपाल मंत्र का उपयोग अधिक प्रभावी है।
  7. पूजा में कितने लोग शामिल हो सकते हैं?
    यह व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से की जा सकती है।
  8. क्या क्षेत्रपाल पूजा से भूमि विवाद सुलझ सकते हैं?
    हां, सकारात्मक ऊर्जा भूमि विवादों को सुलझाने में मदद करती है।
  9. क्या इस पूजा से आर्थिक लाभ होता है?
    हां, यह समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।
  10. कितनी बार पूजा करें?
    मासिक, विशेषतः अमावस्या और पूर्णिमा पर।

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आशापुरा माता: कृपा, पूजा विधि, मंत्र और अद्भुत लाभ

आशापुरा माता को लोकदेवी और भक्तों की इच्छाएं पूरी करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। इनका मुख्य मंदिर गुजरात और राजस्थान में स्थित है। माता का नाम ‘आशापुरा’ इस तथ्य को दर्शाता है कि वे अपने भक्तों की सभी आशाओं को पूरा करती हैं।

लाभ

  1. मनोकामनाओं की पूर्ति।
  2. पारिवारिक सुख-शांति।
  3. धन-समृद्धि में वृद्धि।
  4. शत्रु बाधाओं से मुक्ति।
  5. स्वास्थ्य लाभ और रोगों से छुटकारा।
  6. विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान।
  7. संतान प्राप्ति।
  8. मानसिक तनाव से मुक्ति।
  9. आध्यात्मिक उन्नति।
  10. व्यवसाय में सफलता।
  11. यात्रा में सुरक्षा।
  12. नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा।

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मंत्र

“ॐ ह्रीं आशापूरायै नमः।”
इस मंत्र का 108 बार जाप करने से माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
  3. पुष्प, अक्षत और चंदन अर्पित करें।
  4. मंत्र का जाप करें।
  5. प्रसाद चढ़ाकर भक्तों में बांटें।

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पूजा का शुभ मुहूर्त

आशापुरा माता की पूजा के लिए मंगलवार और शुक्रवार विशेष शुभ माने जाते हैं। सूर्योदय और प्रदोष काल श्रेष्ठ समय हैं।

FAQ

  1. आशापुरा माता कौन हैं?
    आशापुरा माता लोकदेवी हैं, जो भक्तों की इच्छाएं पूरी करती हैं।
  2. माता की पूजा कब करें?
    मंगलवार और शुक्रवार को पूजा शुभ मानी जाती है।
  3. मुख्य मंदिर कहां है?
    गुजरात के कच्छ और राजस्थान में।
  4. मंत्र जाप कितनी बार करें?
    108 बार।
  5. माता को क्या अर्पित करें?
    पुष्प, अक्षत, चंदन और प्रसाद।
  6. माता की कृपा से क्या लाभ हैं?
    मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  7. क्या विशेष मुहूर्त की आवश्यकता है?
    हां, सूर्योदय या प्रदोष काल में करें।
  8. क्या आशापुरा माता व्रत रखते हैं?
    हां, श्रद्धालु उपवास रखते हैं।
  9. क्या मंदिर जाना आवश्यक है?
    आवश्यक नहीं, घर पर भी पूजा हो सकती है।
  10. पूजा कितने दिन करें?
    9 दिनों तक नवरात्रि में करना शुभ माना जाता है।

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अंत मे

आशापुरा माता की आराधना से जीवन में सुख-शांति और सफलता मिलती है। उनका आशीर्वाद सभी समस्याओं का समाधान करता है।