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Tripur Madanakshi Mantra – Unlocking the Power of Attraction

Tripur Madanakshi Mantra - Unlocking the Power of Attraction

त्रिपुर मदनाक्षी मंत्र: एक अद्भुत रहस्य

त्रिपुर मदनाक्षी मंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक साधना है, जो आपकी आंतरिक ऊर्जा को जागृत करती है। यह मंत्र जीवन में आकर्षण, शांति और सफलता लाने का माध्यम है। साधक को इस मंत्र का विधिपूर्वक जाप करने से अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं।


विनियोग मंत्र और उसका अर्थ

मूल मंत्र:

“ॐ अस्य श्री त्रिपुर मदनाक्षी मंत्रस्य, ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, महात्रिपुरसुन्दरी देवता, ऐं बीजं, क्लीं शक्तिः, सौः कीलकं, मम सर्वसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।”

अर्थ: यह मंत्र त्रिपुर मदनाक्षी देवी को समर्पित है। इसका जप साधक के सभी कार्यों की सिद्धि के लिए होता है। इसमें ब्रह्मा ऋषि, गायत्री छंद और महात्रिपुरसुंदरी देवी मुख्यत: सम्मिलित हैं।


दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ

मूल मंत्र:

“ॐ ह्रीं दिग्बंधनाय नमः।”

अर्थ: इस मंत्र के जाप से साधक अपनी ऊर्जा को सुरक्षित रखता है। यह मंत्र दसों दिशाओं को बांधकर सुरक्षा कवच बनाता है।


त्रिपुर मदनाक्षी मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मूल मंत्र:
“ॐ ह्रीं त्रिपुर मदनाक्षे आकर्षय आकर्षय क्लीं नमः।”

संपूर्ण अर्थ:
यह मंत्र त्रिपुर मदनाक्षी देवी का आह्वान है, जो आकर्षण और ऊर्जा की देवी मानी जाती हैं।

  • “ॐ”: यह ब्रह्मांडीय ध्वनि है, जो सकारात्मक ऊर्जा और शांति का स्रोत है।
  • “ह्रीं”: यह बीज मंत्र है, जो आध्यात्मिक शक्ति और देवी की कृपा को प्रकट करता है।
  • “त्रिपुर मदनाक्षे”: यह त्रिपुर देवी के उस स्वरूप को इंगित करता है जो मन और आकर्षण पर नियंत्रण रखती हैं।
  • “आकर्षय आकर्षय”: साधक यहां देवी से अनुरोध करता है कि वे उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आकर्षण को बढ़ाएं।
  • “क्लीं”: यह बीज मंत्र प्रेम, समर्पण और आनंद का प्रतीक है।
  • “नमः”: यह समर्पण और नमन का भाव व्यक्त करता है।

भावार्थ:
हे त्रिपुर मदनाक्षी देवी, आपको नमन करता हूं। कृपया मुझे अपने दिव्य आकर्षण और कृपा से आशीर्वाद दें। मेरे जीवन में समृद्धि, प्रेम, और सकारात्मकता का संचार करें। यह मंत्र साधक के मन, शरीर और आत्मा को देवी की शक्ति से जोड़ने का माध्यम है।


जप काल में इन चीजों का सेवन अधिक करें

  1. फलों का रस
  2. सूखे मेवे
  3. मिश्री और पान
  4. तुलसी का जल
  5. सादे भोजन का सेवन

त्रिपुर मदनाक्षी मंत्र के अद्भुत लाभ

  • आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • व्यक्तित्व में आकर्षण बढ़ता है।
  • रिश्तों में मधुरता आती है।
  • मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • कार्यों में सफलता मिलती है।
  • धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
  • शत्रु पर विजय मिलती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।
  • स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • प्रेम संबंधों में मजबूती आती है।
  • पारिवारिक जीवन सुखद होता है।
  • ईर्ष्या और द्वेष समाप्त होता है।
  • मनोबल और ऊर्जा बढ़ती है।
  • जीवन में स्थिरता आती है।
  • नई योजनाओं में सफलता मिलती है।
  • बाधाएं दूर होती हैं।
  • जीवन में समृद्धि आती है।

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

पूजा सामग्री:

  • सिंदूर
  • अक्षत
  • दीपक और घी
  • पुष्प (लाल और सफेद)
  • चंदन
  • शुद्ध जल
  • माला (रुद्राक्ष या स्फटिक)

विधि:

  1. एक साफ और शांत स्थान चुनें।
  2. देवी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  3. पुष्प और चंदन अर्पित करें।
  4. शुद्ध जल से स्नान कर मंत्र जाप करें।
  5. माला से मंत्र का जाप करें।

मंत्र जाप का दिन, अवधि और मुहूर्त

दिन: शुक्रवार और पूर्णिमा का दिन सबसे शुभ माना जाता है।

अवधि: 20 मिनट तक प्रतिदिन 18 दिनों तक जाप करें।

मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) जाप के लिए सर्वोत्तम है।

Aghor lakshmi sadhana shivir


मंत्र जाप के नियम

  1. केवल 20 वर्ष से अधिक उम्र के लोग जाप करें।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों जाप कर सकते हैं।
  3. काले और नीले रंग के कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जाप के समय सावधानियां

  • जाप करते समय मन को एकाग्र रखें।
  • स्थान शुद्ध और शांत हो।
  • बिना स्नान किए जाप न करें।
  • अशुद्ध वस्तुओं का स्पर्श न करें।
  • नियमित समय पर जाप करें।

Tripur madnakshi sadhana with diksha


त्रिपुर मदनाक्षी मंत्र से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: यह मंत्र किस उद्देश्य से किया जाता है? उत्तर: यह मंत्र जीवन में शांति, समृद्धि और आकर्षण बढ़ाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: क्या यह मंत्र स्त्रियां भी कर सकती हैं? उत्तर: हां, स्त्री और पुरुष दोनों यह मंत्र जाप कर सकते हैं।

प्रश्न 3: जाप के लिए कौन सा दिन सबसे शुभ है? उत्तर: शुक्रवार और पूर्णिमा का दिन सबसे शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: जाप के दौरान क्या पहनना चाहिए? उत्तर: सफेद, लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें।

प्रश्न 5: मंत्र जाप के लिए कौन सी माला सर्वोत्तम है? उत्तर: रुद्राक्ष या स्फटिक की माला सर्वोत्तम है।

प्रश्न 6: क्या जाप के दौरान अन्य मंत्र भी जप सकते हैं? उत्तर: नहीं, केवल इस मंत्र पर ध्यान केंद्रित करें।

प्रश्न 7: क्या मंत्र जाप में कोई विशेष आसन का उपयोग करना चाहिए? उत्तर: हां, कुशासन या सिद्धासन का उपयोग करें।

प्रश्न 8: क्या जाप के बाद प्रसाद अर्पित करना चाहिए? उत्तर: हां, फल और मिश्री का प्रसाद अर्पित करें।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत दिखता है? उत्तर: साधक की श्रद्धा और नियम पालन पर निर्भर करता है।

प्रश्न 10: क्या जाप के दौरान धूप या दीपक आवश्यक है? उत्तर: हां, दीपक और धूप से वातावरण शुद्ध होता है।

प्रश्न 11: क्या जाप के लिए समूह साधना कर सकते हैं? उत्तर: व्यक्तिगत साधना अधिक प्रभावी मानी जाती है।

प्रश्न 12: क्या जाप के समय ध्यान आवश्यक है? उत्तर: हां, ध्यान से मंत्र की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।

Pushya Nakshatra Mystery – for success

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पुष्य नक्षत्र: सफलता, समृद्धि और दान की शक्ति को समझें

पुष्य नक्षत्र भारतीय ज्योतिष में सबसे शुभ और शक्तिशाली नक्षत्रों में से एक माना जाता है। इसे “राजनक्षत्र” भी कहा जाता है, जो समृद्धि, शांति और सफलता का प्रतीक है। जब पुष्य नक्षत्र विभिन्न दिनों में आता है, तो यह अलग-अलग लाभ और विशेषताओं को दर्शाता है। आइए समझते हैं सोम पुष्य से लेकर रवि पुष्य तक की महत्ता और इन दिनों में की जाने वाली उपासना।

सोम पुष्य (सोमवार + पुष्य नक्षत्र)

सोमवार को पुष्य नक्षत्र का योग चंद्रमा की ऊर्जा को बढ़ाता है। इस दिन स्वास्थ्य, मन की शांति और मानसिक शक्ति के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाकर पूजा करें।

भौम पुष्य (मंगलवार + पुष्य नक्षत्र)

मंगलवार को पुष्य नक्षत्र का प्रभाव साहस और शक्ति को बढ़ाता है। हनुमानजी की पूजा और रामचरितमानस का पाठ लाभदायक होता है।

बुध पुष्य (बुधवार + पुष्य नक्षत्र)

बुधवार को पुष्य नक्षत्र व्यापार और शिक्षा में लाभ देता है। गणेशजी की पूजा करें और बुध मंत्र का जाप करें।

गुरु पुष्य (गुरुवार + पुष्य नक्षत्र)

गुरुवार को पुष्य नक्षत्र गुरु ग्रह की कृपा को सक्रिय करता है। विष्णु भगवान की पूजा और दान करने से आशीर्वाद मिलता है।

शुक्र पुष्य (शुक्रवार + पुष्य नक्षत्र)

शुक्रवार को पुष्य नक्षत्र सुख-सौंदर्य और वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाता है। देवी लक्ष्मी की पूजा करें और कमल के फूल अर्पित करें।

शनि पुष्य (शनिवार + पुष्य नक्षत्र)

शनिवार को पुष्य नक्षत्र कर्म और न्याय को प्रेरित करता है। शनिदेव की पूजा करें और जरूरतमंदों को दान करें।

रवि पुष्य (रविवार + पुष्य नक्षत्र)

रविवार को पुष्य नक्षत्र आत्मविश्वास और नेतृत्व गुणों को बढ़ावा देता है। सूर्यदेव की पूजा करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।


पुष्य नक्षत्र के दौरान कौन सी पूजा करें?

धन, सफलता, और शांति के लिए गुरु, लक्ष्मी या शिव की पूजा करें। यह समय शुभ कार्यों जैसे खरीदारी, नया व्यवसाय शुरू करने और दान के लिए उपयुक्त होता है।

पुष्य नक्षत्र में दान का महत्व और उपाय

पुष्य नक्षत्र को दान और पुण्य कर्मों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन किए गए दान का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। विभिन्न समस्याओं और ग्रह दोषों के निवारण के लिए पुष्य नक्षत्र में दान का महत्व और सुझाव नीचे दिए गए हैं:

दान करने के लाभ

  1. शनि दोष निवारण: शनि पुष्य में काले तिल, सरसों का तेल और लोहे का दान करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है।
  2. धन प्राप्ति: गुरु पुष्य में पीली वस्तुओं का दान जैसे चने की दाल, हल्दी और पीले कपड़े से धन वृद्धि होती है।
  3. सुख-शांति: सोम पुष्य में दूध, चावल और सफेद वस्त्र दान करने से घर में शांति और समृद्धि बढ़ती है।
  4. पापों का नाश: रवि पुष्य में गेहूं, गुड़ और तांबे का दान करने से पापों का क्षय होता है।

Aghor lakshmi sadhana shivir

पुष्य नक्षत्र में दान के प्रकार

  1. अनाज दान: चावल, गेहूं, दालें और अन्य अनाज।
  2. वस्त्र दान: सर्दियों में गर्म कपड़े और जरूरतमंदों को पुराने या नए वस्त्र दान करें।
  3. धातु दान: सोना, चांदी, तांबा, लोहे जैसी धातुओं का दान।
  4. वस्त्र और जूते: शनि दोष निवारण के लिए जूते और चप्पलों का दान।
  5. भोजन दान: जरूरतमंदों को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य कार्य है।

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विशेष दान के उपाय

  • गुरु दोष के लिए: पीली मिठाई, चने की दाल और किताबों का दान करें।
  • चंद्रमा की शांति के लिए: दूध, चीनी और मोती।
  • मंगल दोष के लिए: मसूर दाल, गुड़ और लाल कपड़े।
  • राहु-केतु दोष के लिए: नारियल, काले तिल और सफेद चंदन।

पुष्य नक्षत्र में दान करना न केवल आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, बल्कि यह समाज और धर्म के प्रति आपकी जिम्मेदारी को भी पूरा करता है।

Rati sundari yogini sadhana with diksha


सामान्य प्रश्नों के उत्तर

  1. सोम पुष्य में क्या लाभ होता है?
    सोम पुष्य में स्वास्थ्य, मानसिक शांति और चंद्रमा की ऊर्जा बढ़ाने के लिए शिवजी की पूजा करना लाभदायक है।
  2. गुरु पुष्य का महत्व क्या है?
    गुरु पुष्य में धन, समृद्धि और शिक्षा से संबंधित कार्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  3. पुष्य नक्षत्र में क्या खरीदें?
    धन, गहने, संपत्ति और वाहन खरीदना शुभ होता है। यह नए व्यवसाय के लिए भी उपयुक्त है।
  4. क्या पुष्य नक्षत्र विवाह के लिए शुभ है?
    नहीं, पुष्य नक्षत्र विवाह के लिए शुभ नहीं है। यह व्यापार और खरीदारी के लिए ज्यादा उपयुक्त है।
  5. भौम पुष्य में कौन सी पूजा करें?
    भौम पुष्य में हनुमानजी की पूजा करें और संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करें।
  6. क्या शनि पुष्य में दान करना जरूरी है?
    हां, शनि पुष्य में गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
  7. शुक्र पुष्य में क्या उपाय करें?
    शुक्र पुष्य में देवी लक्ष्मी की पूजा करें और घर में शांति व सौंदर्य के लिए सफेद वस्त्र या चावल दान करें।
  8. बुध पुष्य का विशेष महत्व क्या है?
    बुध पुष्य शिक्षा, बुद्धिमत्ता और व्यापार के लिए विशेष रूप से शुभ है। गणेशजी की पूजा करें।
  9. रवि पुष्य में कौन-से मंत्र का जाप करें?
    रवि पुष्य में “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  10. पुष्य नक्षत्र में संपत्ति खरीदना शुभ है?
    हां, पुष्य नक्षत्र में जमीन, घर या अन्य संपत्ति खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  11. इस दिन कौन-से रत्न पहनने चाहिए?
    पुष्य नक्षत्र में पुखराज, हीरा, मोती या नीलम रत्न ज्योतिषीय परामर्श के अनुसार धारण करें।
  12. पुष्य नक्षत्र का सबसे शुभ समय कौन-सा है?
    पुष्य नक्षत्र का समय सूर्योदय से लेकर प्रदोष काल तक विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

Bhishma Dwadashi Vrat – Auspicious Time Worship & Benefits

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भीष्म द्वादशी व्रत २०२५: मोक्ष प्राप्ति और पितृ तृप्ति का परम मार्ग

यह व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से पितरों की मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग किया था, इसलिए इसे भीष्म निर्वाण द्वादशी भी कहते हैं। इस व्रत को करने से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खुलता है।


व्रत का मुहूर्त 2025

इस व्रत का पालन करने के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि (9 फरवरी २०२५) को यह व्रत किया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।


भीष्म द्वादशी व्रत विधि व मंत्र

सामग्री:

  • गंगा जल
  • पंचामृत
  • तुलसी के पत्ते
  • सफेद वस्त्र
  • धूप, दीप
  • चावल, गुड़
  • पंचगव्य

विधि:

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान विष्णु और भीष्म पितामह का पूजन करें।
  3. धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें और नीचे दिया गया मंत्र पढ़ें: मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।”
  4. पूरे दिन व्रत रखें और संध्या समय विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  5. रात्रि में भोग अर्पित कर व्रत कथा का श्रवण करें।

क्या खाएं और क्या न खाएं

खाएं:

  • फल, दूध, मेवा
  • कंद-मूल, मूंगफली
  • साबूदाना, सेंधा नमक
  • तिल-गुड़ के लड्डू

न खाएं:

  • प्याज-लहसुन
  • मसालेदार भोजन
  • अनाज और दाल
  • मांसाहार, मद्यपान

भीष्म द्वादशी व्रत के लाभ

  1. पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  2. मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  3. घर में सुख-समृद्धि आती है।
  4. दांपत्य जीवन सुखमय होता है।
  5. स्वास्थ्य लाभ होता है।
  6. मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  7. ग्रह दोष समाप्त होते हैं।
  8. दरिद्रता दूर होती है।
  9. कार्यों में सफलता मिलती है।
  10. वंश की उन्नति होती है।
  11. मानसिक शांति मिलती है।
  12. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  13. अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  14. दान-पुण्य करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
  15. जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त होते हैं।
  16. आयु वृद्धि होती है।
  17. भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

भीष्म द्वादशी व्रत की संपूर्ण कथा

यह व्रत महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह को समर्पित है। इस व्रत का पालन माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भीष्म पितामह की पूजा की जाती है।

महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। महाभारत युद्ध के दौरान वे शर-शय्या पर लेटे रहे और माघ शुक्ल द्वादशी के दिन सूर्य उत्तरायण होने पर उन्होंने अपने प्राण त्यागे। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया, जिसे सुनने मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है।

भीष्म द्वादशी व्रत करने से पितृ दोष समाप्त होते हैं और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रतधारी प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु और भीष्म पितामह की पूजा करता है। तिल दान, ब्राह्मण भोज, और गंगा स्नान का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति इस दिन उपवास रखकर भीष्म पितामह की कथा सुनता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।


भोग

भगवान को तुलसी दल सहित दूध, पंचामृत, फल और तिल-गुड़ का भोग लगाना चाहिए।

Aghor lakshmi sadhana shivir


शुरुआत और समाप्ति विधि

  • व्रत सूर्योदय से पूर्व स्नान करके संकल्प के साथ शुरू करें।
  • संध्या को पूजा के बाद फलाहार करें।
  • अगले दिन सुबह भगवान विष्णु को भोग लगाकर व्रत समाप्त करें।

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सावधानियाँ

  1. व्रत के दिन मन को शांत रखें।
  2. क्रोध, लोभ और अहंकार से बचें।
  3. झूठ न बोलें और बुरे विचारों से बचें।
  4. रात्रि में सात्विक आहार ही ग्रहण करें।
  5. नशीले पदार्थों का सेवन न करें।

Akhanda dwadashi puja


मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. भीष्म द्वादशी व्रत क्यों किया जाता है?

उत्तर: इस व्रत से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है।

2. व्रत में कौन-से मंत्र का जप करें?

उत्तर: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करें।

3. व्रत में कौन-से भगवान की पूजा की जाती है?

उत्तर: भगवान विष्णु और भीष्म पितामह की पूजा की जाती है।

4. इस व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है?

उत्तर: माघ शुक्ल द्वादशी तिथि को प्रातःकाल व्रत रखें।

5. व्रत के दिन कौन-सा भोग लगाना चाहिए?

उत्तर: तिल-गुड़, पंचामृत और फल का भोग लगाएं।

6. क्या महिलाएं यह व्रत कर सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्री-पुरुष दोनों यह व्रत कर सकते हैं।

7. व्रत करने से कौन-से लाभ होते हैं?

उत्तर: मोक्ष प्राप्ति, पितृ तृप्ति, सुख-समृद्धि आदि लाभ होते हैं।

8. इस व्रत के दिन क्या नहीं खाना चाहिए?

उत्तर: अनाज, प्याज-लहसुन और मांसाहार वर्जित है।

9. क्या व्रत के दिन दूध पी सकते हैं?

उत्तर: हां, दूध और फलाहार ले सकते हैं।

10. भीष्म द्वादशी का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

उत्तर: यह व्रत आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

11. क्या इस व्रत में संध्या आरती करनी चाहिए?

उत्तर: हां, संध्या आरती और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

12. क्या व्रत में केवल जल उपवास किया जा सकता है?

उत्तर: हां, लेकिन फलाहार भी किया जा सकता है।

Jaya Ekadashi Vrat – Benefits, Rituals & Complete Guide

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जया एकादशी व्रत: पूजन विधि, मंत्र और अद्भुत लाभ

जया एकादशी व्रत भगवान विष्णु की उपासना का महापर्व है। यह व्रत पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी मनाई जाती है। इस व्रत का पालन व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों की सिद्धि प्रदान करता है।

मुहूर्त 2025

व्रत का मुहूर्त शुभ समय पर रखना चाहिए। 2025 में जया एकादशी की तिथि इस प्रकार है:

  • तिथि आरंभ: 7 फरवरी रात 9 बजकर 26 मिनट।
  • तिथि समाप्त: 8 फरवरी रात 8 बजकर 15 मिनट पर समाप्त।
  • पारण समय: 9 फरवरी, प्रातः 7:00 से 9:30 बजे तक।

सामग्री और विधि

सामग्री:

  • दीपक, अगरबत्ती, चंदन।
  • तिल, फल, पंचामृत।
  • तुलसी पत्र, गंगाजल।
  • पीले वस्त्र, धूप।
  • अक्षत, भगवान विष्णु का चित्र।

व्रत विधि:

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
  3. दीप जलाकर, “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  4. तुलसी पत्र और चंदन से पूजा करें।
  5. फल और पंचामृत का भोग लगाएं।

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

खाएं:

  • फल, दूध, सूखे मेवे।
  • साबूदाना खिचड़ी, सेंधा नमक।
  • नारियल पानी, शहद।

न खाएं:

  • लहसुन, प्याज, अनाज।
  • तामसिक भोजन और मांसाहार।
  • बासी और अन्न-युक्त भोजन।

जया एकादशी व्रत के लाभ

  1. पापों का नाश।
  2. मोक्ष की प्राप्ति।
  3. स्वास्थ्य में सुधार।
  4. धन और संपत्ति में वृद्धि।
  5. वैवाहिक जीवन में सुख।
  6. संतान प्राप्ति।
  7. दैवीय कृपा।
  8. शत्रुओं का नाश।
  9. मानसिक शांति।
  10. पुण्य की प्राप्ति।
  11. दान का महत्व।
  12. भगवान विष्णु का आशीर्वाद।
  13. आध्यात्मिक उन्नति।
  14. परिवार की समृद्धि।
  15. रोगों से मुक्ति।
  16. आत्मा की शुद्धि।
  17. दीर्घायु जीवन।

व्रत के नियम

  1. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  2. हिंसा, क्रोध और झूठ से बचें।
  3. ध्यान और जाप करें।
  4. रात्रि जागरण करें।
  5. श्रद्धा और भक्ति से पूजा करें।

जया एकादशी व्रत कथा

जया एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर उनके आशीर्वाद प्राप्त किए जाते हैं। जया एकादशी व्रत कथा को सुनने और उसका पालन करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

व्रत का महत्व
जया एकादशी का व्रत आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

व्रत कथा

जया एकादशी की कथा महाभारत में उल्लेखित है। प्राचीन काल में, नंदनवन में एक सुंदर स्थान था जहाँ देवता और गंधर्व रहते थे। वहां माल्यवान और पुष्पवती नामक दो गंधर्व संगीतकार थे। एक दिन, गंधर्व माल्यवान भगवान इंद्र के समक्ष गान प्रस्तुति दे रहे थे, लेकिन पुष्पवती से मोहित होकर, वे ध्यान भंग कर बैठे। उनकी इस गलती पर इंद्र ने उन्हें श्राप देकर पिशाच योनि में भेज दिया।

पिशाच योनि में जीवन व्यतीत करते हुए, दोनों ने एकादशी के दिन अनजाने में उपवास रखा और भगवान विष्णु की स्तुति की। उनके इस पुण्य कार्य के कारण उन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिली और पुनः दिव्य रूप प्राप्त हुआ।


भोग और पूजा समापन- शुरुवात व समाप्ति

  • व्रत का समापन भगवान विष्णु को भोग अर्पण कर करें। भोग में तुलसी डालकर पंचामृत, फल और मिठाई का प्रयोग करें।
  • व्रत सूर्योदय से प्रारंभ करें। अगले दिन द्वादशी को पारण के साथ व्रत समाप्त करें।

सावधानियां

  1. गर्भवती स्त्रियां और बीमार व्यक्ति व्रत में सावधानी बरतें।
  2. गलत सामग्री का उपयोग न करें।
  3. विधिपूर्वक पारण करें।

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जया एकादशी के प्रमुख मंत्र

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
  2. ॐ विष्णवे नमः।
  3. ॐ हृषीकेशाय नमः।
  4. ॐ नारायणाय नमः।
  5. ॐ अच्युताय नमः।
  6. ॐ अनंताय नमः।
  7. ॐ गोविंदाय नमः।
  8. ॐ मधुसूदनाय नमः।
  9. ॐ त्रिविक्रमाय नमः।
  10. ॐ दामोदराय नमः।
  11. ॐ पद्मनाभाय नमः।
  12. ॐ केशवाय नमः।

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प्रश्न उत्तर

प्रश्न: जया एकादशी व्रत क्यों रखा जाता है?

उत्तर: यह व्रत पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

प्रश्न: व्रत में कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: पूजा के लिए तुलसी पत्र, गंगाजल, दीपक, और पंचामृत आवश्यक हैं।

प्रश्न: व्रत में क्या न खाएं?

उत्तर: लहसुन, प्याज, तामसिक भोजन और अनाज का सेवन न करें।

प्रश्न: जया एकादशी का महत्व क्या है?

उत्तर: यह व्रत पापों का नाश कर मोक्ष प्रदान करता है।

प्रश्न: व्रत में कौन से मंत्र का जाप करें?

उत्तर: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

प्रश्न: क्या जया एकादशी पर रातभर जागना अनिवार्य है?

उत्तर: हां, रात्रि जागरण व्रत का एक महत्वपूर्ण नियम है।

प्रश्न: व्रत किस प्रकार के भोजन से तोड़ें?

उत्तर: व्रत तोड़ने के लिए सात्विक और फलाहार भोजन का सेवन करें।

प्रश्न: व्रत के दौरान पूजा का समय कब है?

उत्तर: पूजा सूर्योदय के बाद और सांयकाल में करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न: जया एकादशी व्रत किस देवता को समर्पित है?

उत्तर: यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है।

प्रश्न: क्या जया एकादशी व्रत सभी के लिए है?

उत्तर: हां, सभी आयु और वर्ग के लोग यह व्रत कर सकते हैं।

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Kamdev Gandharva Mantra for Love & Attraction

Kamdev Gandharva Mantra for Love & Attraction

कामदेव गंधर्व मंत्र: प्रेम और आकर्षण का चमत्कारी उपाय

कामदेव गंधर्व मंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक साधना है, जो प्रेम, आकर्षण और वैवाहिक सुख में वृद्धि के लिए जानी जाती है। यह मंत्र गंधर्व शक्तियों को जागृत कर व्यक्ति के जीवन में प्रेम, सौंदर्य और मनचाहा साथी आकर्षित करने में सहायक होता है। कामदेव देवता प्रेम और सौंदर्य के स्वामी हैं, जबकि गंधर्व दिव्य संगीत और आकर्षण की शक्तियां रखते हैं। इस मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है और संबंधों में मधुरता आती है। यह मंत्र केवल प्रेम संबंधों को ही नहीं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को भी प्रगाढ़ करने में सहायक होता है।


🔸 विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र

🔹 ॐ अस्य श्री कामदेव गंधर्व मंत्रस्य, भगवान कामदेव ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः, कामदेव गंधर्व देवता, क्लीं बीजम्, मम प्रेम आकर्षण सिद्धये जपे विनियोगः॥

विनियोग मंत्र का अर्थ

यह मंत्र कामदेव और गंधर्वों की कृपा प्राप्त करने के लिए समर्पित है। इसमें कामदेव को ऋषि, अनुष्टुप छंद को छंद, और कामदेव गंधर्व को देवता माना गया है। इस मंत्र का जप प्रेम आकर्षण सिद्धि के लिए किया जाता है।


🔸 दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र

  • ॐ उत्तराय दिशे नमः,
  • दक्षिणाय दिशे नमः,
  • पूर्वाय दिशे नमः,
  • पश्चिमाय दिशे नमः।
  • ॐ ईशानाय दिशे नमः,
  • नैऋत्याय दिशे नमः,
  • वायव्याय दिशे नमः,
  • आग्नेयाय दिशे नमः।
  • ॐ ऊर्ध्वाय दिशे नमः,
  • अधः दिशे नमः।

दिग्बंधन मंत्र का अर्थ

यह मंत्र दसों दिशाओं को सुरक्षित और पवित्र करने के लिए उच्चारित किया जाता है। यह व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बनाकर उसे नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।


🔸 कामदेव गंधर्व मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

📿 मंत्र

🔹 ॐ क्लीं कामदेव गंधर्वाय कार्य सिद्धिं देहि देहि नमः॥

📜 मंत्र का संपूर्ण अर्थ

  • “ॐ” – यह ब्रह्मांड की ऊर्जा को जाग्रत करने वाला पवित्र शब्द है, जिससे आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
  • “क्लीं” – यह प्रेम और आकर्षण का बीज मंत्र है, जो व्यक्ति के भीतर आकर्षण शक्ति को जाग्रत करता है।
  • “कामदेव गंधर्वाय” – यह कामदेव और गंधर्वों को संबोधित करता है, जो प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण और संगीत के स्वामी माने जाते हैं।
  • “कार्य सिद्धिं देहि देहि” – इसका अर्थ है “मेरे इच्छित कार्य को सिद्ध करें, मुझे प्रेम, आकर्षण और मनचाही सफलता प्रदान करें।”
  • “नमः” – इसका अर्थ है “हे प्रभु, आपको नमन करता हूं, कृपया मेरी प्रार्थना स्वीकार करें।”

🔹 यह मंत्र प्रेम, आकर्षण, वैवाहिक सुख, और मनचाही सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। 🌸


🔸 जप काल में इन चीजों का अधिक सेवन करें

  • ✔ केसर मिश्रित दूध
  • ✔ मिश्री और इलायची
  • ✔ फलाहारी भोजन
  • ✔ तुलसी और शुद्ध जल
  • ✔ गाय का घी
  • ✔ अखरोट और काजू
  • ✔ शहद और नारियल पानी

🔸 कामदेव गंधर्व मंत्र के चमत्कारी लाभ

  • ✅ प्रेम और आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
  • ✅ वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
  • ✅ मनचाही प्रेमिका/प्रेमी पाने में सहायक।
  • ✅ रिश्तों में मिठास बनी रहती है।
  • ✅ मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • ✅ वाणी में आकर्षण आता है।
  • ✅ पति-पत्नी के संबंध मधुर होते हैं।
  • ✅ विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  • ✅ दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है।
  • ✅ सुंदरता और व्यक्तित्व में निखार आता है।
  • ✅ समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  • ✅ लोग सहज ही आपकी ओर आकर्षित होते हैं।
  • ✅ परस्पर प्रेम संबंध मजबूत होते हैं।
  • ✅ अकेलेपन की समस्या दूर होती है।
  • ✅ विपरीत लिंग का विशेष आकर्षण प्राप्त होता है।
  • ✅ नौकरी और व्यापार में सफलता मिलती है।
  • ✅ मन को शांति और प्रसन्नता मिलती है।
  • ✅ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मंत्र विधि

सामग्री

🔹 लाल आसन, गुलाब के फूल, शुद्ध घी का दीपक, धूप, अगरबत्ती, सफेद चंदन, केसर, मिश्री।

जप विधि

  • मंत्र जप का दिन: शुक्रवार या पूर्णिमा
  • अवधि: 18 दिन तक रोज 20 मिनट
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त या रात 10 बजे के बाद
  • स्थान: एकांत और शांत जगह

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🔸 मंत्र जप के नियम

  • ✔ 20 वर्ष से अधिक आयु के लोग करें।
  • ✔ स्त्री और पुरुष दोनों जप कर सकते हैं।
  • ✔ नीले और काले वस्त्र न पहनें।
  • ✔ धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का त्याग करें।
  • ✔ मंत्र साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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🔸 मंत्र जप में सावधानियां

  • 🚫 अशुद्ध स्थान पर जप न करें।
  • 🚫 किसी को मंत्र साधना के बारे में न बताएं।
  • 🚫 नकारात्मक विचारों से बचें।
  • 🚫 जलपान के तुरंत बाद मंत्र जप न करें।
  • 🚫 बीच में मंत्र जाप न रोकें।

Kamdev gandharva sadhana with diksha


🔸 मंत्र से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

1. कामदेव गंधर्व मंत्र क्या है?

👉 यह प्रेम और आकर्षण शक्ति बढ़ाने वाला तांत्रिक मंत्र है।

2. मंत्र का प्रयोग कौन कर सकता है?

👉 कोई भी स्त्री-पुरुष 20 वर्ष की आयु के बाद कर सकता है।

3. मंत्र जप के लिए कौन सा दिन श्रेष्ठ है?

👉 शुक्रवार और पूर्णिमा को जप करना विशेष लाभकारी होता है।

4. मंत्र जप का सही समय क्या है?

👉 ब्रह्म मुहूर्त या रात्रि 10 बजे के बाद।

5. क्या इस मंत्र से प्रेम संबंध सुधार सकते हैं?

👉 हां, यह मंत्र प्रेम और संबंधों को मधुर बनाने में सहायक है।

6. क्या शादी में देरी दूर होती है?

👉 हां, यह विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है।

7. क्या इस मंत्र का गुप्त रूप से जाप किया जा सकता है?

👉 हां, इसे गुप्त रूप से करने से अधिक लाभ मिलता है।

8. क्या ब्लैक मैजिक से बचने में सहायक है?

👉 हां, यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाकर नकारात्मक प्रभाव से बचाता है।

9. क्या इस मंत्र से आत्मविश्वास बढ़ता है?

👉 हां, यह मनोबल और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।

10. क्या यह नौकरी में सफलता दिलाता है?

👉 हां, व्यक्ति को समाज में सम्मान और सफलता प्राप्त होती है।

11. क्या यह मंत्र वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है?

👉 हां, पति-पत्नी के संबंध मधुर बनते हैं।

12. क्या इस मंत्र के लिए कोई विशेष आहार आवश्यक है?

👉 हां, सात्त्विक भोजन और फलाहार ग्रहण करना चाहिए।


🚩 कामदेव गंधर्व मंत्र साधना से प्रेम, आकर्षण और सफलता प्राप्त करें। निष्ठा और श्रद्धा से जप करने पर मनचाहा फल अवश्य मिलेगा। 🚩

Shankhini Yakshini Mantra – Unlock Wealth, Success & Peace

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शंखिनी यक्षिणी मंत्र: भौतिक सुख, आर्थिक उन्नति और आध्यात्मिक शांति का रहस्य

शंखिनी यक्षिणी मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, नौकरी-व्यापार में उन्नति, परिवार में शांति, मित्रता बढ़ाने और आर्थिक उन्नति प्रदान करता है। यह मंत्र दसों दिशाओं की ऊर्जा को जागृत करता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक होता है।

विनियोग मंत्र और उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:
ॐ अस्य श्री शंखिनी यक्षिणी मंत्रस्य,
ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः,
शंखिनी यक्षिणी देवता।
मम इच्छित कार्य सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥

इस मंत्र का अर्थ है कि शंखिनी यक्षिणी की कृपा से हमें धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। यह मंत्र दिव्य शक्तियों को आह्वान करता है और हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र साधना के दौरान साधक को बाहरी नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह मंत्र साधक के चारों दिशाओं में सुरक्षा कवच की स्थापना करता है, ताकि साधना में कोई विघ्न न आए।

मंत्र:

ॐ आं अंगारकाय नमः।
ॐ ईं ईशानाय नमः।
ॐ हुं हुं हराय नमः।
ॐ ह्रीं ह्रीं महाकालाय नमः।
ॐ फट् स्वाहा॥

मंत्र का अर्थ:

  1. ॐ आं अंगारकाय नमः – मंगल (अंगारक) ग्रह को नमन, जो दक्षिण दिशा की रक्षा करता है।
  2. ॐ ईं ईशानाय नमः – ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा के देवता को प्रणाम, जो ज्ञान और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  3. ॐ हुं हुं हराय नमः – शिव के विनाशकारी स्वरूप (हर) को प्रणाम, जो सभी बाधाओं को हरते हैं।
  4. ॐ ह्रीं ह्रीं महाकालाय नमः – महाकाल को प्रणाम, जो काल और समय के स्वामी हैं और चारों दिशाओं की रक्षा करते हैं।
  5. ॐ फट् स्वाहा – इस बीज मंत्र से सभी दिशाओं में सुरक्षा का कवच स्थापित होता है।

विधि:

  1. साधना प्रारंभ करने से पहले दिग्बंधन मंत्र का जप करें।
  2. अपने चारों ओर कल्पना करें कि एक दिव्य प्रकाश मंडल का घेरा बन रहा है, जो आपको और आपकी साधना को नकारात्मक शक्तियों से बचाएगा।
  3. चारों दिशाओं में, ऊपर और नीचे (आकाश और पाताल) की ओर मंत्र का उच्चारण करते हुए ध्यान करें।

महत्व:

  • दिग्बंधन मंत्र साधना के दौरान बाहरी प्रभाव, जैसे नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधा, और अन्य विघ्नों से सुरक्षा करता है।
  • यह मंत्र साधना के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाता है।
  • यह साधक के आत्मविश्वास और ध्यान को बढ़ाता है।

यदि आप इसे किसी विशेष साधना के लिए उपयोग करना चाहते हैं, तो इसे गुरु की अनुमति से ही करें। मंत्र शक्ति को जागृत करने के लिए सही उच्चारण और नियमानुसार साधना आवश्यक है।


मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
“ॐ ह्रीं शंखधारणी शंखभरणे ह्रां ह्रीं क्लीं क्लीं स्वाहा।”

मंत्र का अर्थ (शब्दार्थ और भावार्थ):

स्वाहा – यह मंत्र के समर्पण का संकेत है। यह देवता या देवी के प्रति पूर्ण समर्पण और यज्ञ या साधना को पूर्ण करने का आह्वान है।

– यह बीज ध्वनि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। यह मंत्र की शुरुआत और साधना के लिए परमात्मा का आह्वान है।

ह्रीं – यह शक्ति का बीज मंत्र है। यह मां शक्ति या देवी की ऊर्जा को जागृत करता है। यह साधक को आंतरिक और बाहरी शुद्धि, शक्ति, और आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करता है।

शंखधारणी – देवी को संबोधित करता है जो शंख (शंख यंत्र या ध्वनि के स्रोत) को धारण करती हैं। शंख का प्रतीक समृद्धि, शांति और पवित्रता है।

शंखभरणे – देवी को इंगित करता है, जिन्होंने स्वयं को शंख से सुशोभित किया है। शंख का धारण करना उच्च चेतना, विजय, और सृजन का प्रतीक है।

ह्रां – यह बीज मंत्र उग्र और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए उपयोग होता है। यह शक्ति और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करता है।

ह्रीं – शक्ति का बीज मंत्र, जो भौतिक, मानसिक, और आध्यात्मिक बाधाओं को समाप्त करता है।

क्लीं – यह काम बीज है, जो आकर्षण, प्रेम, और शक्ति का प्रतीक है। यह साधक की इच्छाओं को सिद्ध करने में सहायक है।

भावार्थ:

यह मंत्र देवी को समर्पित है, जो शंख की शक्ति और गुणों की स्वामिनी हैं। शंख को वैदिक और तांत्रिक साधनाओं में पवित्रता, सकारात्मकता, और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। इस मंत्र का उपयोग देवी को प्रसन्न करने, साधना में सफलता प्राप्त करने, और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने के लिए किया जाता है।

मंत्र के जप से:

  1. साधक के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
  2. सभी बाधाएं दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. आत्मबल, आध्यात्मिक उन्नति, और इच्छित कार्य सिद्धि में सहायता मिलती है।

जप काल में सेवन योग्य वस्तुएं

  • दूध और दूध से बने उत्पाद
  • शहद और घी
  • ताजे फल और सूखे मेवे
  • शुद्ध जल और हर्बल चाय
  • सात्विक भोजन

शंखिनी यक्षिणी मंत्र के लाभ

  • धन और समृद्धि में वृद्धि
  • नौकरी और व्यापार में उन्नति
  • परिवार में शांति और सद्भाव
  • मित्रता और संबंधों में मजबूती
  • आर्थिक समस्याओं का समाधान
  • मानसिक शांति और सुख
  • नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
  • स्वास्थ्य में सुधार
  • आत्मविश्वास में वृद्धि
  • कार्यों में सफलता
  • भय और चिंता से मुक्ति
  • आध्यात्मिक उन्नति
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  • जीवन में संतुलन
  • मनोकामनाओं की पूर्ति
  • दुश्मनों पर विजय
  • समाज में प्रतिष्ठा
  • आंतरिक शक्ति का विकास

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

पूजा सामग्री:

  • शंख
  • कुमकुम
  • अगरबत्ती
  • फूल और माला
  • घी का दीपक
  • चावल और हल्दी
  • शुद्ध जल

विधि:

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल को शुद्ध करें।
  3. शंखिनी यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  4. घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती दें।
  5. मंत्र का जप करें: “ॐ ह्रीं शंखधारणी शंखभरणे ह्रां ह्रीं क्लीं क्लीं स्वाहा।”
  6. मंत्र जप के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

समय और अवधि

  • मंत्र जप का दिन: गुरुवार या शुक्रवार
  • अवधि: 20 मिनट, 18 दिन तक
  • मुहूर्त: सुबह या शाम का समय

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नियम

  • उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • स्त्री-पुरुष दोनों मंत्र जप कर सकते हैं।
  • नीले या काले कपड़े न पहनें।
  • धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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सावधानियां

  • मंत्र जप के समय मन को शांत रखें।
  • पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखें।
  • मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करें।
  • नियमित रूप से मंत्र जप करें।

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शंखिनी यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: शंखिनी यक्षिणी मंत्र किसके लिए उपयोगी है?

उत्तर: यह मंत्र धन, समृद्धि, नौकरी, व्यापार और परिवार में शांति के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 2: मंत्र जप का सबसे अच्छा समय क्या है?

उत्तर: सुबह या शाम का समय मंत्र जप के लिए उत्तम है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

प्रश्न 4: मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप के दौरान मन को शांत रखें और नियमों का पालन करें।

प्रश्न 5: मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप 20 मिनट, 18 दिन तक करना चाहिए।

प्रश्न 6: क्या मंत्र जप के दौरान मांसाहार कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं, मंत्र जप के दौरान मांसाहार से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 7: मंत्र जप के लिए कौन-सा दिन उत्तम है?

उत्तर: गुरुवार या शुक्रवार मंत्र जप के लिए उत्तम दिन है।

प्रश्न 8: मंत्र जप के लिए कौन-सी सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: शंख, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल, घी का दीपक, चावल और हल्दी आवश्यक है।

प्रश्न 9: मंत्र जप के दौरान क्या पहनना चाहिए?

उत्तर: सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए।

प्रश्न 10: मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

प्रश्न 11: क्या मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है?

उत्तर: हां, मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।

प्रश्न 12: मंत्र जप के लिए कौन-सा मुहूर्त उत्तम है?

उत्तर: सुबह या शाम का समय मंत्र जप के लिए उत्तम मुहूर्त है।

शंखिनी यक्षिणी मंत्र का नियमित जप करके आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह मंत्र आपको भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही सुख प्रदान करता है।

Rudrabhishek Puja Shivir – Maha Shivratri 2025

Rudrabhishek Puja Shivir - Maha Shivratri 2025

महा शिवरात्रि 2025: रुद्राभिषेक पूजन शिविर में भाग लें और पाएं भगवान शिव की कृपा का आशीर्वाद

रुद्राभिषेक पूजन एक पवित्र और शक्तिशाली अनुष्ठान है, जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह पूजन महा शिवरात्रि के पावन अवसर पर 26 फरवरी 2025 को दिव्ययोग आश्रम में आयोजित किया जाएगा। इस शिविर में भाग लेकर आप भगवान शिव के आशीर्वाद और उनकी दिव्य ऊर्जा को प्राप्त कर सकते हैं।


पूजन शिविर से लाभ

रुद्राभिषेक पूजन शिविर में भाग लेकर आपको निम्नलिखित 15 लाभ प्राप्त होंगे:

  1. मानसिक शांति: इस पूजन से मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
  2. आत्मिक उन्नति: भगवान शिव की कृपा से आत्मा का विकास होता है।
  3. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: पूजन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: रुद्राभिषेक से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. धन और समृद्धि: भगवान शिव की कृपा से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  6. पारिवारिक सुख: परिवार में प्रेम और सद्भाव बढ़ता है।
  7. कर्मों के बंधन से मुक्ति: पूजन से कर्मों के बंधन कमजोर होते हैं।
  8. आत्मविश्वास में वृद्धि: इस अनुष्ठान से आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।
  9. मनोकामनाओं की पूर्ति: भगवान शिव की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  10. दिव्य ज्ञान की प्राप्ति: पूजन से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  11. भगवान शिव की कृपा: रुद्राभिषेक से शिव की कृपा सीधे प्राप्त होती है।
  12. रोगों से छुटकारा: इस पूजन से शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं।
  13. सुरक्षा कवच: पूजन के बाद मिलने वाला सिद्ध यंत्र और कवच आपकी रक्षा करता है।
  14. जीवन में सफलता: पूजन से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
  15. दिव्य आनंद की अनुभूति: इस अनुष्ठान से आत्मा को शांति और आनंद की प्राप्ति होती है।

रुद्राभिषेक पूजन शिविर में भाग लेकर आप इन सभी लाभों को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।


कौन इस शिविर में भाग ले सकता है?

यह शिविर सभी के लिए खुला है। पुरुष और महिलाएं, जिनकी आयु 20 वर्ष से अधिक है, इस पूजन में भाग ले सकते हैं। यह अनुष्ठान हर उस व्यक्ति के लिए है जो भगवान शिव की कृपा पाना चाहता है।


ऑनलाइन और ऑफलाइन भागीदारी

यदि आप शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते हैं, तो आप ऑनलाइन माध्यम से भी इस पूजन में शामिल हो सकते हैं। ऑनलाइन भागीदारी के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य है।

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शिविर में भाग लेने के नियम

  1. आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं।
  3. नीले या काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

पूजन के बाद प्राप्त होने वाली दिव्य वस्तुएं

पूजन समाप्ति के बाद, प्रत्येक भागीदार को सिद्ध यंत्र और कवच प्रदान किया जाएगा। यह यंत्र और कवच आपकी सुरक्षा और सफलता के लिए दिव्य शक्ति प्रदान करेंगे।

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रुद्राभिषेक पूजन शिविर से जुड़े प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: रुद्राभिषेक पूजन क्या है?

उत्तर: रुद्राभिषेक पूजन भगवान शिव की आराधना का एक शक्तिशाली अनुष्ठान है, जो मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।

प्रश्न 2: इस पूजन का महत्व क्या है?

उत्तर: यह पूजन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3: क्या ऑनलाइन भागीदारी संभव है?

उत्तर: हां, आप ऑनलाइन माध्यम से भी इस पूजन में शामिल हो सकते हैं।

प्रश्न 4: पूजन के लिए क्या सामग्री चाहिए?

उत्तर: पूजन सामग्री आश्रम द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।

प्रश्न 5: पूजन के बाद क्या मिलेगा?

उत्तर: पूजन के बाद सिद्ध यंत्र और कवच प्रदान किया जाएगा।

प्रश्न 6: क्या इस पूजन का कोई दान है?

उत्तर: हां, पूजन के लिए एक निर्धारित दान राशि है।

प्रश्न 8: क्या महिलाएं इस पूजन में भाग ले सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्री-पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं।

प्रश्न 9: पूजन के दौरान क्या पहनना चाहिए?

उत्तर: सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनें, नीले या काले कपड़े न पहनें।

प्रश्न 10: क्या इस पूजन का कोई विशेष समय है?

उत्तर: पूजन महा शिवरात्रि के दिन 26 फरवरी 2025 को होगा।

प्रश्न 11: क्या इस पूजन का कोई वैज्ञानिक महत्व है?

उत्तर: हां, यह पूजन मन और शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है।

प्रश्न 12: क्या इस पूजन का कोई आध्यात्मिक लाभ है?

उत्तर: हां, यह पूजन आत्मिक शांति और दिव्य ज्ञान प्रदान करता है।

इस पावन अवसर पर रुद्राभिषेक पूजन में भाग लेकर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।


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Madana Yakshini Mantra – Transform Your Aura

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मदना यक्षिणी मंत्र: आकर्षण और यौवन का अद्भुत रहस्य

मदना यक्षिणी मंत्र को प्राचीन ग्रंथों में आकर्षण, यौवन और प्रभावशाली व्यक्तित्व को बढ़ाने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। इस मंत्र की साधना करने से न केवल आपका आकर्षण बढ़ता है, बल्कि आपके व्यक्तित्व में ऐसी आभा उत्पन्न होती है, जो दूसरों को सहज ही प्रभावित करती है। यह मंत्र जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मविश्वास और यौवन को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करता है।


मंत्र और उसका अर्थ

मदना यक्षिणी मंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति के आकर्षण, यौवन और प्रभावशाली व्यक्तित्व को बढ़ाना होता है। यह मंत्र प्राचीन समय से ही आकर्षण और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। “मदना” का अर्थ है “आकर्षण” और “यक्षिणी” का अर्थ है “देवी या शक्ति”, जो किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने के लिए कार्य करती है। इस मंत्र के द्वारा साधक अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकता है और अपने व्यक्तित्व में एक विशेष आभा उत्पन्न कर सकता है।

मदना यक्षिणी मंत्र का अर्थ

मंत्र के शाब्दिक अर्थ से, यह हम समझ सकते हैं कि यह मंत्र हमें हमारी आंतरिक और बाहरी ऊर्जा को जागृत करने में मदद करता है ताकि हम दूसरों पर एक सकारात्मक प्रभाव बना सकें। यह मंत्र आकर्षण शक्ति को जागृत करने, यौवन को बनाए रखने और जीवन में सफलता और समृद्धि लाने के लिए आदर्श है।

मंत्र का उदाहरण:
“ॐ मदनयक्षिण्यै स्वाहा”

अर्थ:
“ॐ” – ब्रह्मा, विष्णु, महेश के तत्वों का प्रतीक,
“मदना” – आकर्षण की शक्ति,
“यक्षिण्यै” – देवी या शक्ति,
“स्वाहा” – मंत्र को देवी को अर्पित करना।


अद्भुत लाभ

  1. शारीरिक और मानसिक आकर्षण में वृद्धि।
  2. आत्मविश्वास और व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाना।
  3. यौवन को लंबे समय तक बनाए रखना।
  4. रिश्तों में मधुरता और प्रेम बढ़ाना।
  5. जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार।
  6. व्यवसायिक और व्यक्तिगत क्षेत्र में सफलता।
  7. विवाह योग्य व्यक्तियों के लिए उत्तम जीवनसाथी प्राप्ति।
  8. तनाव और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करना।
  9. दूसरों को सहज ही प्रभावित करने की क्षमता।
  10. आध्यात्मिक और मानसिक शांति।
  11. सामाजिक मान-सम्मान में वृद्धि।
  12. सौंदर्य और आभा में वृद्धि।
  13. वैवाहिक जीवन में संतुलन और सामंजस्य।
  14. भाग्य को सकारात्मक दिशा में मोड़ना।
  15. जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करना।

साधना के नियम और सावधानियां

  1. मंत्र साधना सूर्योदय या रात्री के शांत समय में करें।
  2. स्वच्छता और पवित्रता का पालन करें।
  3. विधि-विधान के अनुसार नियमपूर्वक 21 या 41 दिनों तक साधना करें।
  4. मंत्र जाप के लिए शुद्ध रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग करें।
  5. मंत्र साधना के दौरान सात्विक भोजन और संयम का पालन करें।
  6. किसी भी प्रकार के तामसिक विचारों से बचें।
  7. मंत्र जाप के समय ध्यान एकाग्र रखें।
  8. गुरु या जानकार की सलाह से साधना प्रारंभ करें।
  9. अपने उद्देश्य को स्पष्ट और सकारात्मक रखें।
  10. साधना के समय आसन और दिशा का ध्यान रखें।
  11. किसी भी प्रकार की मानसिक शंका से बचें।
  12. साधना पूरी होने के बाद दान और आभार व्यक्त करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर

1. मदना यक्षिणी मंत्र क्या है?
मदना यक्षिणी मंत्र एक प्राचीन तांत्रिक साधना है, जो आकर्षण, यौवन और व्यक्तित्व विकास के लिए की जाती है।

2. क्या यह मंत्र सभी के लिए प्रभावी है?
हाँ, यह मंत्र सही नियमों और विधि से जाप करने पर हर साधक के लिए प्रभावी होता है।

3. इस मंत्र की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
मंत्र साधना 21, 41, या 108 दिनों तक की जा सकती है, लेकिन गुरु की सलाह से अवधि तय करें।

4. मंत्र जाप के लिए कौन सी माला उपयुक्त है?
रुद्राक्ष, स्फटिक या कमल गट्टे की माला का उपयोग इस मंत्र के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

5. क्या इस मंत्र का दुष्प्रभाव हो सकता है?
सही विधि और शुद्ध मन से साधना करने पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। लापरवाही से परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

6. साधना का सबसे अच्छा समय क्या है?
सूर्योदय, रात्री का शांत समय, या पूर्णिमा के दिन साधना के लिए उपयुक्त होते हैं।

7. क्या इस मंत्र से केवल आकर्षण ही बढ़ता है?
नहीं, यह मंत्र आत्मविश्वास, आभा, और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ाता है।

8. क्या गुरु की आवश्यकता होती है?
गुरु का मार्गदर्शन साधना को अधिक प्रभावशाली और सुरक्षित बनाता है।

9. क्या इस मंत्र का प्रभाव स्थायी है?
साधना पूर्ण श्रद्धा और अनुशासन से करने पर प्रभाव लंबे समय तक रहता है।

10. क्या यह मंत्र आध्यात्मिक लाभ देता है?
हाँ, यह मंत्र मानसिक शांति और आत्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।

11. साधना के बाद क्या दान आवश्यक है?
हाँ, साधना पूर्ण होने पर दान और आभार व्यक्त करना शुभ माना जाता है।

12. क्या किसी विशेष दिशा का पालन करना चाहिए?
उत्तर-पूर्व दिशा में मुख करके मंत्र जाप करना अधिक शुभ और प्रभावी होता है।

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Kamakhya Kayakalpa Mantra – Unlock Beauty & Power

Kamakhya Kayakalpa Mantra - Unlock Beauty & Power

कामख्या कायाकल्प मंत्र: सौंदर्य, आकर्षण और आर्थिक उन्नति का गुप्त रहस्य

कामख्या कायाकल्प मंत्र सौंदर्य, आकर्षण, और ऊर्जा से परिपूर्ण जीवन प्रदान करने वाला दिव्य साधन है। यह मंत्र न केवल शरीर को चुंबकीय और प्राभावशाली बनाता है, बल्कि मानसिक संतुलन और आर्थिक उन्नति में भी सहायक है। इसके नियमित जाप से व्यक्ति बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है, मित्रता बढ़ा सकता है और अपने व्यक्तित्व को अद्वितीय बना सकता है।


विनियोग मंत्र और उसका अर्थ

विनियोग मंत्र (संस्कृत):

“ॐ अस्य श्री कामख्या कायाकल्प मंत्रस्य, महाकालिका ऋषिः। अनुष्टुप् छन्दः। महाकालिका देवता। देह शुद्धि, सौंदर्य सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।”

अर्थ:

इस विनियोग मंत्र में महाकालिका देवी को आराध्य मानते हुए देह की शुद्धि, सौंदर्य, और आकर्षण प्राप्ति हेतु मंत्र जाप का विनियोग किया गया है।


दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र

“ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं सर्वदिग्बंधनाय नमः”

अर्थ

इस मंत्र का अर्थ है— “हे सर्वव्यापी ऊर्जा! मेरी रक्षा कीजिए और चारों दिशाओं से मुझे शक्ति और सुरक्षा प्रदान कीजिए।” यह मंत्र जाप करते समय सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान करता है।


मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

“ॐ क्रीं क्रीं कालिके मम् देह शुद्धिम् देही देही नमः”

संपूर्ण अर्थ:

  • “ॐ”: यह दिव्य ध्वनि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है, जो ध्यान और शक्ति का केंद्र है।
  • “क्रीं”: यह बीज मंत्र देवी काली की शक्ति को जागृत करता है और साधक के अंदर दिव्यता का संचार करता है।
  • “कालिके”: यह माता कालिका का आवाहन है, जो शक्ति, ऊर्जा और सौंदर्य का प्रतीक हैं।
  • “मम्”: इसका अर्थ है “मेरा”। यह साधक की व्यक्तिगत प्रार्थना को व्यक्त करता है।
  • “देह शुद्धिम्”: यह प्रार्थना है शरीर को शुद्ध, पवित्र और आकर्षक बनाने की।
  • “देही देही”: इसका अर्थ है “प्रदान करो, प्रदान करो”। यह साधक की प्रबल आकांक्षा को दर्शाता है।
  • “नमः”: इसका अर्थ है “नमन” या “समर्पण”। यह साधक की भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करता है।

सारांश:

यह मंत्र साधक के शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध, पवित्र और आकर्षक बनाने के लिए देवी कालिका से आशीर्वाद की प्रार्थना है। इसके जाप से साधक आत्मिक और शारीरिक रूप से प्राभावशाली बनता है।


जप काल में इन चीजों का सेवन करें

जप के दौरान इन खाद्य पदार्थों का सेवन लाभकारी होता है:

  • दूध और घी।
  • मौसमी फल।
  • बादाम और अखरोट।
  • ताजे नारियल पानी।
  • तुलसी के पत्ते।
  • हरी सब्जियां।

कामख्या कायाकल्प मंत्र के लाभ

  1. शारीरिक सौंदर्य और चुंबकीय व्यक्तित्व का विकास।
  2. त्वचा में निखार और चमक।
  3. शारीरिक और मानसिक शुद्धि।
  4. बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करना।
  5. सकारात्मक ऊर्जा का संचय।
  6. मित्रता और संबंधों को प्रगाढ़ करना।
  7. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  8. आर्थिक समृद्धि।
  9. समाज में प्रभावशाली व्यक्तित्व।
  10. शारीरिक थकान से मुक्ति।
  11. तनाव और चिंता का निवारण।
  12. ध्यान और साधना में सफलता।
  13. बुरी शक्तियों से बचाव।
  14. आंतरिक शांति।
  15. आध्यात्मिक उन्नति।
  16. स्वास्थ्य में सुधार।
  17. मानसिक शक्ति का विकास।
  18. कार्यक्षेत्र में सफलता।

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

आवश्यक सामग्री:

  • एक लाल वस्त्र।
  • दीपक और शुद्ध घी।
  • लाल चंदन।
  • फूल (विशेषकर लाल फूल)।
  • कुमकुम।
  • अक्षत (साबुत चावल)।
  • जल से भरा तांबे का लोटा।

मंत्र जाप विधि:

  1. सुबह स्नान कर शुद्ध कपड़े पहनें।
  2. पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर सामग्री रखें।
  3. दीपक जलाकर देवी कालिका का आह्वान करें।
  4. मंत्र का जाप कम से कम 20 मिनट करें।

मंत्र जाप का समय और नियम

दिन और मुहूर्त:

  • मंत्र जाप के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें।
  • अमावस्या या पूर्णिमा की रात्रि श्रेष्ठ मानी जाती है।

अवधि:

  • लगातार 18 दिनों तक प्रतिदिन 20 मिनट मंत्र का जाप करें।

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मंत्र जाप के नियम

  1. केवल 20 वर्ष से अधिक उम्र के लोग मंत्र जाप कर सकते हैं।
  2. पुरुष और महिलाएं दोनों जाप कर सकते हैं।
  3. नीले और काले कपड़े पहनने से बचें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से परहेज करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप सावधानियां

  1. पूजा के समय ध्यान भटकने न दें।
  2. मंत्र जाप के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  3. किसी भी नकारात्मक सोच से बचें।
  4. निर्धारित समय और विधि का पालन करें।
  5. पूजा स्थान पवित्र और शांत हो।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: क्या यह मंत्र हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त है?

उत्तर: हां, लेकिन 20 वर्ष से ऊपर के लोग ही इसका जाप कर सकते हैं।

प्रश्न 2: जाप का सही समय क्या है?

उत्तर: सुबह या रात्रि का समय उत्तम है।

प्रश्न 3: मंत्र जाप के दौरान कौन-कौन सी चीजें न खाएं?

उत्तर: मांसाहार, मद्यपान और मसालेदार भोजन।

प्रश्न 4: क्या मंत्र का जाप केवल पूर्णिमा पर करना चाहिए?

उत्तर: नहीं, अमावस्या और अन्य शुभ मुहूर्त भी उचित हैं।

प्रश्न 5: क्या महिलाएं मंत्र जाप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, सभी महिलाएं इस मंत्र का जाप कर सकती हैं।

प्रश्न 6: क्या मंत्र जाप से आर्थिक लाभ होता है?

उत्तर: हां, यह आर्थिक उन्नति में सहायक है।

प्रश्न 7: क्या जाप के लिए लाल कपड़े जरूरी हैं?

उत्तर: हां, यह देवी कालिका की कृपा प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।

प्रश्न 8: मंत्र जाप के बाद क्या करें?

उत्तर: देवी को धन्यवाद दें और शांत मन से ध्यान करें।

प्रश्न 9: क्या मंत्र का प्रभाव तुरंत दिखता है?

उत्तर: यह व्यक्ति की श्रद्धा और भक्ति पर निर्भर करता है।

प्रश्न 10: क्या कोई अन्य सामग्री उपयोग कर सकते हैं?

उत्तर: हां, लेकिन केवल शुद्ध और सात्विक सामग्री का प्रयोग करें।

प्रश्न 11: मंत्र जाप के दौरान कौन-सी मुद्रा अपनाएं?

उत्तर: पद्मासन या सुखासन उत्तम है।

प्रश्न 12: क्या मंत्र का जाप समूह में कर सकते हैं?

उत्तर: हां, लेकिन व्यक्तिगत जाप अधिक प्रभावी होता है।

Kamakhya Gupt Navratri Rituals – Unlock Success & Prosperity

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कामख्या प्रयोग गुप्त नवरात्रि: आर्थिक और आध्यात्मिक सफलता का राज

गुप्त नवरात्रि में किए जाने वाले कामख्या का ९ दिन का प्रयोग विशेष महत्व रखता हैं। यह प्रयोग आर्थिक बंधन तोड़ने, जीवन में सफलता पाने और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए अद्वितीय माना जाता है। आइए विस्तार से जानें इस प्रयोग की विधि, मंत्र, लाभ, और इससे जुड़ी सावधानियां।


शतप्रतिशत आर्थिक बंधन तोड़ने वाला कामख्या प्रयोग: परिचय

गुप्त नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले कामख्या प्रयोग का महत्व अनंत है। यह प्रयोग देवी कामख्या के प्रति पूर्ण समर्पण और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। आर्थिक बाधाओं, कार्यक्षेत्र की समस्याओं, और व्यक्तिगत परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए यह सबसे प्रभावी उपाय माना गया है।

दिग्मंधन मंत्र: हर दिशा से सुरक्षा का कवच

गुप्त नवरात्रि में दिग्मंधन मंत्र का जप अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंत्र हर दिशा से सुरक्षा प्रदान करता है और साधक को नकारात्मक शक्तियों से बचाता है। इसे सुरक्षा कवच के रूप में जाना जाता है।


दिग्मंधन मंत्र

ॐ क्लीं क्लीं दिग्बंधाय स्वाहा।  

मंत्र का अर्थ:

  • “ॐ”: यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा का आह्वान करता है और साधक को दिव्य शक्ति से जोड़ता है।
  • “क्लीं”: देवी कामख्या का बीज मंत्र, जो सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है।
  • “दिग्बंधाय”: इसका अर्थ है दिशाओं का बंधन। यह चारों दिशाओं को साधक के लिए सुरक्षित बनाता है।
  • “स्वाहा”: यह मंत्र की पूर्णता का प्रतीक है, जो साधक को देवी के आशीर्वाद से संपन्न करता है।

दिग्मंधन मंत्र का महत्व

  1. हर दिशा से सुरक्षा: यह मंत्र साधक को चारों दिशाओं से आने वाली नकारात्मकता और दुष्ट शक्तियों से बचाता है।
  2. ऊर्जा संरक्षण: मंत्र जप से सकारात्मक ऊर्जा साधक के आसपास स्थिर रहती है।
  3. सुरक्षा कवच: यह साधक के चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।
  4. भयमुक्त जीवन: दिग्मंधन मंत्र के जप से भय और असुरक्षा का नाश होता है।

दिग्मंधन मंत्र जाप की विधि

  1. पूजा स्थल को शुद्ध करें और दीपक जलाएं।
  2. पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
  4. जप के बाद चारों दिशाओं में अक्षत (चावल) और गंगा जल छिड़कें।

मंत्र विनियोग: कामख्या प्रयोग गुप्त नवरात्रि का आधार

ॐ अस्य श्री कामख्या मंत्रस्य, ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, कामख्या देवता।
क्लीं बीजम्, स्वाहा शक्तिः, फट्कारः कीलकम्।
कामख्या देवी प्रसन्नार्थे जपे विनियोगः

अर्थ:

  • ऋषिः: मंत्र के द्रष्टा ब्रह्मा हैं।
  • छन्दः: इस मंत्र का छन्द गायत्री है, जो इसकी लय और संरचना को दर्शाता है।
  • देवता: इस मंत्र की आराध्य देवी कामख्या हैं।
  • बीजम्: “क्लीं” मंत्र का बीज है, जो आकर्षण, समृद्धि और सिद्धि का प्रतीक है।
  • शक्तिः: “स्वाहा” मंत्र में ऊर्जा और शक्ति का प्रवाह करती है।
  • कीलकम्: “फट्” शब्द इस मंत्र को सिद्ध करने और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने का ताला है।
  • विनियोगः: यह मंत्र देवी कामख्या को प्रसन्न करने और जीवन की बाधाओं को समाप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।

कैसे करें विनियोग का पाठ?

  • पूजा के प्रारंभ में, मंत्र विनियोग का उच्चारण करें।
  • इसके बाद ही मंत्र जप शुरू करें।
  • विनियोग के पाठ से मंत्र जाप का फल कई गुना बढ़ जाता है।

महत्व:
मंत्र विनियोग के बिना मंत्र जप अधूरा माना जाता है। यह प्रक्रिया मंत्र को सिद्धि प्रदान करने और साधक को मनचाहा फल देने में सहायक होती है।


कामख्या मंत्र और अर्थ

ॐ क्लीं क्लीं कामख्या क्लीं क्लीं फट्ट।  

मंत्र का अर्थ:

  • “ॐ”: यह ब्रह्मांड की शक्ति का प्रतीक है। यह हर मंत्र की शुरुआत में ईश्वरीय ऊर्जा को बुलाने के लिए उच्चारित किया जाता है।
  • “क्लीं”: यह देवी कामख्या का बीज मंत्र है। इसका अर्थ आकर्षण, शक्ति, और समृद्धि को सक्रिय करना है। यह शब्द धन, प्रेम, और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए उपयोग होता है।
  • “कामख्या”: देवी कामख्या का नाम जो शक्ति और सिद्धि का प्रतीक है। यह नाम अपने आप में सभी बाधाओं को समाप्त करने और इच्छाओं को पूर्ण करने का संकेत देता है।
  • “फट्ट”: यह मंत्र का समाप्ति शब्द है, जो सभी नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने और सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करता है।

मंत्र का महत्व:

यह मंत्र देवी कामख्या को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। इस मंत्र का नियमित जाप साधक को मानसिक शांति, आर्थिक उन्नति और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है।


कामख्या प्रयोग से मिलने वाले लाभ

  1. आर्थिक बंधनों से मुक्ति।
  2. कार्यक्षेत्र में सफलता।
  3. जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन।
  4. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  5. पारिवारिक कलह का समाधान।
  6. मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  7. शत्रुओं पर विजय।
  8. आध्यात्मिक जागरूकता।
  9. घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  10. मनोकामना पूर्ति।
  11. रिश्तों में मिठास।
  12. स्वास्थ्य में सुधार।
  13. नए अवसरों का निर्माण।
  14. व्यवसाय में वृद्धि।
  15. आत्मिक शक्ति का विकास।

9 दिन की पूजा विधि: कामख्या प्रयोग गुप्त नवरात्रि में कैसे करें?

पहला दिन: देवी का आह्वान करें और नवरात्रि के उद्देश्य का ध्यान करें।

दूसरा दिन: “ॐ क्लीं” मंत्र का जाप करते हुए दीपक जलाएं।

तीसरा दिन: देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने गंगा जल अर्पित करें।

चौथा दिन: सफेद और लाल पुष्प चढ़ाएं।

पाँचवां दिन: देवी को मनपसंद भोग अर्पित करें।

छठा दिन: नीले पुष्प चढ़ाएं।

सातवां दिन: नकारात्मक शक्तियों से रक्षा की प्रार्थना करें।

आठवां दिन: हवन या यज्ञ का आयोजन करें।

नौवां दिन: देवी को अंतिम अर्पण और आभार व्यक्त करें।

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नियम और सावधानियां: पूजा करते समय ध्यान रखें

  1. पवित्रता बनाए रखें।
  2. साफ वस्त्र पहनें।
  3. पूजा स्थल को शुद्ध रखें।
  4. अनुशासन का पालन करें।
  5. पूजा के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग न करें।
  6. 9 दिन 20 – 25 मिनट तक मंत्र का जप करे।

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सामान्य प्रश्न

1. गुप्त नवरात्रि कब शुरू होती है?

गुप्त नवरात्रि मुहुर्त् ३० जनवरी से ७ फरवरी २०२५ तक।

2. क्या यह पूजा घर में कर सकते हैं?

हां, लेकिन पूजा स्थल को शुद्ध और शांत रखना आवश्यक है।

3. क्या मंत्र जाप में संख्या का महत्व है?

मंत्र का जाप 108 बार करना शुभ माना जाता है।

4. क्या कामख्या प्रयोग तुरंत फल देता है?

इसके परिणाम श्रद्धा और नियम पालन पर निर्भर करते हैं।

5. क्या इसे कोई भी कर सकता है?

हां, लेकिन योग्य गुरु से मार्गदर्शन लेना बेहतर है।

6. क्या कामख्या देवी तंत्र साधना में सहायक हैं?

हां, यह साधना तंत्र शास्त्र का अभिन्न हिस्सा है।

7. क्या इस पूजा में हवन अनिवार्य है?

यह आवश्यक नहीं है, लेकिन हवन से पूजा की पूर्णता होती है।

8. क्या साधक विशेष वस्त्र पहनता है?

सफेद और लाल वस्त्र पहनना शुभ होता है।

9. क्या पूजा केवल रात में होती है?

नहीं, पूजा दिन और रात दोनों में की जा सकती है।

10. क्या अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जा सकती है?

हां, लेकिन प्राथमिकता कामख्या देवी को दें।

11. क्या मंत्र जाप से आर्थिक स्थिति सुधरती है?

हां, यह सिद्ध मंत्र आर्थिक बाधाओं को दूर करता है।

12. क्या पूजा में किसी सामग्री का विशेष महत्व है?

लाल फूल, नारियल, और गंगा जल विशेष महत्व रखते हैं।


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शत्रु से बचाव के लिए गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा विधि

गुप्त नवरात्रि, विशेष रूप से शक्ति और आशीर्वाद प्राप्ति का समय है। इस दौरान किए गए उपाय व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शक्ति प्रदान करते हैं। इन नवरात्रि में हम न केवल अपनी साधना पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बल्कि छुपे शत्रुओं से भी बचाव कर सकते हैं। यह समय षडयंत्रों से रक्षा करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।

शत्रु से सुरक्षा के उपाय नवरात्रि में विशेष महत्व रखते हैं। गुप्त नवरात्रि का आयोजन शत्रु से सुरक्षा और मानसिक शांति प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस समय किए गए मंत्र जाप, तंत्र साधना और पूजा से शत्रुओं की गतिविधियाँ निष्क्रिय हो जाती हैं और व्यक्ति को शांति मिलती है।

गुप्त नवरात्रि मुहुर्त २०२५

गुप्त नवरात्रि का आयोजन विशेष मुहुर्त में किया जाता है, जो हर साल बदलता है। २०२५ में गुप्त नवरात्रि का शुभ मुहुर्त 30 जनवरी 2025 से शुरू होकर 07 फरवरी 2025 तक रहेगा। इस अवधि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और विभिन्न व्रत, अनुष्ठान किए जाते हैं। इस मुहुर्थ मे माता बगलामुखी की पूजा शत्रुओं को दूर रखती है। विशेष रूप से इस समय शत्रु नाश के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं, जैसे मंत्र जाप, हवन, और तंत्र क्रियाएं।

बगलामुखी मंत्र व अर्थ

मंत्र:
ॐ ह्ल्रीं बगलामुखे ह्लीं ॐ स्वाहा

मंत्र का अर्थ:
यह मंत्र देवी बगलामुखी को समर्पित है, जो शत्रुओं से सुरक्षा और उनके षडयंत्रों को नष्ट करने वाली शक्तियों की प्रतीक हैं।

  • “ॐ” : यह ब्रह्माण्ड की सर्वोत्तम ध्वनि है, जो सबको शांति और ऊर्जा प्रदान करती है।
  • “ह्ल्रीं” : यह बगलामुखी का बीज मंत्र है, जो शत्रु की शक्तियों को नष्ट करने में मदद करता है।
  • “बगलामुखे” : यह देवी बगलामुखी का नाम है, जो सभी शत्रुओं को शांति देने वाली हैं।
  • “ह्लीं” : यह बीज मंत्र शत्रु नाश और दुश्मनों से सुरक्षा का प्रतीक है।
  • “ॐ स्वाहा” : इस मंत्र का समापन है, जो सभी बल और शक्तियों का समर्पण करता है।

नियम

  1. सच्चे श्रद्धा और विश्वास से जाप करें: बगलामुखी मंत्र का जाप करते समय श्रद्धा और विश्वास होना अत्यंत आवश्यक है।
  2. नियमितता बनाए रखें: यह मंत्र विशेष रूप से शत्रु नाश के लिए उपयोगी है, इसलिए इसे नियमित रूप से जाप करना चाहिए।
  3. शुद्ध स्थान पर जाप करें: मंत्र जाप के लिए शांत और शुद्ध स्थान का चयन करें।
  4. साफ वस्त्र पहनें: पूजा और जाप करते समय स्वच्छ और शांतिपूर्ण अवस्था में रहना चाहिए।
  5. मौन रहें: मंत्र जाप करते समय शांति बनाए रखें और किसी भी प्रकार के शोर से बचें।
  6. मालापूजन करें: मंत्र के साथ रुद्राक्ष या सफेद फूलों की माला का प्रयोग करें।
  7. उच्चारण की शुद्धता: मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करना बहुत ज़रूरी है। उच्चारण में कोई गलती नहीं होनी चाहिए।
  8. सच्चे मन से पूजा करें: यदि आप शत्रु से रक्षा की इच्छा से पूजा कर रहे हैं, तो अपना हृदय और मन शुद्ध रखें।

पूजा विधि (9 दिन)

बगलामुखी पूजा का उद्देश्य शत्रुओं से सुरक्षा प्राप्त करना, उनके षडयंत्रों को विफल करना और जीवन में शांति एवं समृद्धि लाना है। इस पूजा को 9 दिन लगातार किया जाता है और विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हर दिन पूजा विधि को सख्ती से पालन किया जाए। यहाँ हम आपको बगलामुखी पूजा की विधि के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे 9 दिन में करना चाहिए।

पहला दिन (प्रारंभिक पूजन):

  • स्थान चयन: पूजा के लिए एक शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें।
  • सर्वप्रथम स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • दीपक और धूपबत्ती जलाएं और बगलामुखी माता की मूर्ति या चित्र को रखें।
  • मंत्र जाप शुरू करें: सबसे पहले “ॐ ह्ल्रीं बगलामुखे ह्लीं ॐ स्वाहा” मंत्र २० मिनट तक जाप करें।
  • प्रसाद अर्पित करें: शहद और ताजे फल अर्पित करें।

दूसरा से आठवां दिन (मंत्र जाप और पूजा):

  • सर्वप्रथम दीपक और धूप जलाएं।
  • मंत्र जाप: इस समय प्रतिदिन २० मिनट तक बगलामुखी मंत्र का जाप करें।
  • नैवेद्य अर्पित करें: प्रति दिन ताजे फल, मिठाई या शहद का प्रसाद अर्पित करें।
  • अखंड दीप जलाएं: पूरे 9 दिन दीप जलाने की प्रक्रिया को जारी रखें।
  • शिवलिंग की पूजा करें: माता बगलामुखी के साथ-साथ शिवलिंग की पूजा करना भी अत्यधिक शुभ होता है।
  • गायत्री मंत्र का जाप: पूजा के साथ गायत्री मंत्र का भी जाप करें।
    • पूजाः इस तरह से ८ दिन पूजा करे

नौवां दिन (पूजन का समापन):

  • पूरे 9 दिनों का समापन एक बड़े हवन से करें, जिसमें बगलामुखी मंत्र का जाप करते हुए हवन सामग्री अर्पित की जाए।
  • प्रसाद वितरण करें: पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें और पूरे मन से धन्यवाद अर्पित करें।
  • मंत्रों का निरंतर जाप करें: समापन के बाद भी कुछ समय तक मंत्र जाप जारी रखें।
  • संपूर्ण शांति की कामना करें: अंत में शत्रु से सुरक्षा की कामना करते हुए बगलामुखी माता का धन्यवाद करें।

नोट: पूजा करते समय शांति बनाए रखें और किसी भी प्रकार की हलचल से बचें।

बगलामुखी पूजा के लाभ

  1. शत्रु नाश: इस पूजा से शत्रुओं का प्रभाव समाप्त होता है और उनके षडयंत्र विफल हो जाते हैं।
  2. सामाजिक सम्मान में वृद्धि: बगलामुखी पूजा से समाज में सम्मान बढ़ता है और किसी भी प्रकार के आरोप या अपमान से मुक्ति मिलती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: यह पूजा व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करती है।
  4. व्यक्तिगत सफलता: बगलामुखी की पूजा करने से जीवन में सफलता की राह खुलती है और बाधाएं दूर होती हैं।
  5. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: बगलामुखी पूजा से घर और जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव समाप्त होता है।

शत्रु से सुरक्षा के उपाय

गुप्त नवरात्रि के दौरान किए गए कुछ उपाय शत्रु से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन उपायों को ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से किया जाना चाहिए। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख उपायों के बारे में:

  1. शत्रु नाश के मंत्र
    देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। विशेष रूप से “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का जाप शत्रुओं से रक्षा करने में सहायक होता है।
  2. तंत्र साधना
    तंत्र साधना से शत्रु के षडयंत्रों का असर कम किया जा सकता है।
  3. रूद्राक्ष की माला
    रूद्राक्ष की माला पहनने से शत्रु की बुरी नजर से बचाव होता है।
  4. हवन और यज्ञ
    हवन करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  5. काली मिट्टी की पूजा
    काली मिट्टी को घर में रखें और उसकी पूजा करें। इससे घर की सुरक्षा होती है और शत्रु से बचाव मिलता है।

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लाभ

  1. विकार और मानसिक तनाव से मुक्ति
    शत्रु की छाया से बचाव होने पर मानसिक शांति बनी रहती है।
  2. षडयंत्रों का नाश
    गुप्त नवरात्रि में किए गए उपाय शत्रुओं के षडयंत्रों को निष्क्रिय कर देते हैं।
  3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश
    शत्रुओं द्वारा भेजी गई नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार
    शत्रु से सुरक्षा पाने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. व्यवसायिक सफलता
    शत्रु नष्ट होते हैं, जिससे व्यवसाय में सफलता और समृद्धि मिलती है।
  6. कर्ज मुक्ति
    शत्रुओं से मुक्ति मिलने से व्यक्ति के कर्ज का बोझ कम होता है।
  7. सुख-शांति की प्राप्ति
    परिवार में सुख-शांति और प्रेम का वातावरण बनता है।
  8. आध्यात्मिक प्रगति
    गुप्त नवरात्रि के दौरान किए गए उपाय से व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति होती है।
  9. नकारात्मक दृषटिकोन से बचाव
    शत्रुओं की बुरी नजर से बचाव होता है।
  10. सार्वजनिक सम्मान में वृद्धि
    शत्रु का प्रभाव खत्म होने से व्यक्ति का समाज में सम्मान बढ़ता है।
  11. विवादों का समाधान
    गुप्त नवरात्रि के उपाय विवादों को शांत करने में सहायक होते हैं।
  12. स्वास्थ्य में स्थिरता
    शत्रु की ऊर्जा से बचकर व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  13. आर्थिक स्थिति में सुधार
    शत्रु के प्रभाव से मुक्ति पाकर आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
  14. संबंधों में सुधार
    शत्रु के प्रभाव से बचकर परिवार और मित्रों के साथ संबंधों में सुधार होता है।
  15. आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि
    गुप्त नवरात्रि की साधना से आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।

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पृश्न उत्तर

गुप्त नवरात्रि में क्या खास करना चाहिए?

गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से देवी महाविद्या देवियों की पुजा या तंत्र साधना की जाती है।

क्या गुप्त नवरात्रि में व्रत रखना जरूरी है?

नहीं, व्रत रखना जरूरी नहीं है, लेकिन इसे करने से विशेष लाभ मिलता है।

गुप्त नवरात्रि में कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?

“ॐ ह्ल्रीं बगलामुखे ह्लीं ॐ स्वाहा” मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ होता है।

क्या गुप्त नवरात्रि में हवन करना चाहिए?

हां, हवन करने से घर की सुरक्षा बढ़ती है और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

गुप्त नवरात्रि में शत्रु से बचने के लिए कौन सा तंत्र उपयोगी है?

काली या बगला तंत्र और शत्रु नाशक मंत्र तंत्र उपयोगी रहते हैं।

क्या गुप्त नवरात्रि में शत्रु से बचने के लिए रूद्राक्ष पहनना चाहिए?

हां, रूद्राक्ष पहनने से शत्रु की बुरी नजर से बचाव होता है।

क्या गुप्त नवरात्रि में घर की सफाई करनी चाहिए?

हाँ, घर की सफाई से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

गुप्त नवरात्रि के दौरान क्या खाएं?

व्रत के दौरान शुद्ध और सात्विक आहार का सेवन करें, जैसे फल, दूध और शाकाहारी भोजन।

क्या गुप्त नवरात्रि में देवी की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए?

हां, देवी की मूर्ति या चित्र की पूजा करनी चाहिए।

गुप्त नवरात्रि का मुहुर्त क्या है?

२०२५ में गुप्त नवरात्रि का मुहुर्त 30 जनवरी से 07 फरवरी 2025 तक रहेगा।

12. गुप्त नवरात्रि में शांति और सुरक्षा कैसे प्राप्त करें?

शक्ति और सुरक्षा के लिए देवी के मंत्रों का जाप करें और तंत्र साधना करें।

अंत मे

बगलामुखी मंत्र और पूजा विशेष रूप से शत्रु नाश, मानसिक शांति और समृद्धि के लिए प्रभावी मानी जाती है। यदि आप किसी षडयंत्र से या शत्रु के कुकृत्यों से परेशान हैं, तो बगलामुखी माता की पूजा आपके जीवन में अमूलचूल परिवर्तन ला सकती है। 9 दिन की नियमित पूजा और मंत्र जाप से आप शांति, सफलता और रक्षा की अनुभूति कर सकते हैं।

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Gupt Navratri 2025 – Transform Your Life with Devotion

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गुप्त नवरात्री 2025: एक आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत

गुप्त नवरात्री 2025 माघ माह मे आने वाला एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पर्व है, जिसमें साधक विशेष रूप से गुप्त साधनाओं और देवी उपासना से जीवन को धन्य बनाते हैं। यह पर्व आत्मा की शुद्धि और विशेष सिद्धियों की प्राप्ति के लिए जाना जाता है। इस दौरान देवी के नौ स्वरूपों की पूजा गुप्त तरीके से की जाती है।


शुभ मुहूर्त

गुप्त नवरात्री 2025 का प्रारंभ शुभ तिथि और समय में होता है। इस पर्व का महत्व तभी अधिक होता है जब इसे सही मुहूर्त में शुरू किया जाए।

  • आरंभ तिथि : 30 जनवरी 2025
  • समाप्ति तिथि: 07 फरवरी 2025
  • घट स्थापना मुहूर्त: सुबह 9 बजकर 25 मिनट से लेकर 10 बजकर 46 मिनट तक

कौन-सी देवी की पूजा करें?

गुप्त नवरात्री में देवी महाकाली, तारा और छिन्नमस्ता जैसे गुप्त रूपों की उपासना की जाती है। यह साधना गुप्त रहकर ही की जाती है, जिससे साधक विशेष सिद्धियां और आशीर्वाद प्राप्त करता है। साधना में मंत्रों का उच्चारण और ध्यान का विशेष महत्व है। इस मुहुर्थ मे महाविद्याओं की पूजा साधना ज्यादा शुभ है।

दस महाविद्या मंत्र 

  • काली- ॥ॐ क्रीं कालिके नमः॥
  • तारा- ॥ॐ स्त्रीं तारे तुतारे नमः॥
  • त्रिपुर सुंदरी- ॥ॐ श्रीं त्रिपुर सुंदरे नमः॥
  • भुवनेश्वरी- ॥ॐ ह्रीं भुवनेश्वरी क्लीं नमः॥
  • भैरवी – ॥ॐ भ्रं त्रिपुर भैरवी नमः॥
  • छिन्नमस्ता- ॥ॐ हूं छिन्नमस्ते नमः॥
  • धूमावती- ॥ॐ धूं धूमावते नमः॥
  • बगलामुखी- ॥ॐ ह्ल्रीं बगलामुखे नमः॥
  • मातंगी- ॥ॐ क्लीं मातंगेश्वरी नमः॥
  • कमलात्मिका – ॥ॐ श्रीं कमलेश्वरी क्लीं नमः॥

अद्भुत लाभ

  1. आत्मिक शुद्धि और आंतरिक शांति प्राप्त होती है।
  2. भौतिक और आध्यात्मिक बाधाओं का अंत होता है।
  3. साधक को अद्भुत सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
  4. इच्छाओं की पूर्ति होती है।
  5. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  6. परिवार में समृद्धि आती है।
  7. ग्रह दोषों का निवारण होता है।
  8. जीवन में स्थिरता और सफलता मिलती है।
  9. मानसिक तनाव समाप्त होता है।
  10. आध्यात्मिक ज्ञान और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
  11. रोग और शारीरिक समस्याओं का निवारण होता है।
  12. दांपत्य जीवन में सुख-शांति रहती है।
  13. आर्थिक उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
  14. समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  15. जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन आते हैं।

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गुप्त नवरात्री के पालन के नियम

  1. व्रत का पालन पूर्ण संयम और श्रद्धा से करें।
  2. गुप्त रूप से पूजा और साधना करें।
  3. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  4. प्रातः और संध्या समय में पूजा करें।
  5. सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
  6. शराब और तामसिक चीजों का त्याग करें।
  7. देवी के मंत्रों का जाप करें।
  8. हवन और अनुष्ठान में भाग लें।
  9. क्रोध और लोभ से बचें।
  10. गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
  11. साधना के दौरान मौन व्रत का पालन करें।
  12. ध्यान और साधना के लिए एकांत स्थान का चयन करें।

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गुप्त नवरात्री से जुड़े सामान्य प्रश्न

  • गुप्त नवरात्री क्या है?
    गुप्त नवरात्री एक ऐसा पर्व है जिसमें साधक गुप्त रूप से देवी की आराधना करते हैं।
  • इसकी शुरुआत कब हुई थी?
    गुप्त नवरात्री का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जो महाकाली साधना से जुड़ा है।
  • क्या गुप्त नवरात्री में व्रत करना जरूरी है?
    हां, व्रत रखने से साधक की साधना अधिक प्रभावशाली होती है।
  • साधना के लिए कौन से मंत्रों का जाप करें?
    महाकाली, तारा और दुर्गा के गुप्त मंत्रों का जाप करें।
  • क्या यह पर्व सभी के लिए है?
    हां, कोई भी श्रद्धालु इसे कर सकता है।
  • क्या गुप्त नवरात्री में देवी की मूर्ति का उपयोग किया जा सकता है?
    हां, साधना के लिए छोटी मूर्ति या चित्र का उपयोग कर सकते हैं।
  • क्या इस दौरान भोजन करना वर्जित है?
    सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
  • क्या गुप्त नवरात्री में पूजा का समय निश्चित है?
    सुबह और शाम का समय सबसे उत्तम होता है।
  • क्या गुप्त नवरात्री में मंत्र दीक्षा जरूरी है?
    हां, दीक्षा से साधना का प्रभाव बढ़ता है।
  • क्या महिलाएं इस पर्व का पालन कर सकती हैं?
    हां, महिलाएं भी इसे पूरी श्रद्धा से कर सकती हैं।
  • गुप्त नवरात्री का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
    आध्यात्मिक जागृति और आत्मा की शुद्धि।
  • क्या गुप्त नवरात्री में किसी गुरु का मार्गदर्शन जरूरी है?
    हां, गुरु के मार्गदर्शन से साधना अधिक प्रभावी होती है।

अंत मे

गुप्त नवरात्री 2025 साधकों के लिए आत्मा की गहराइयों तक पहुंचने का एक अनमोल अवसर है। इस पर्व में देवी की गुप्त साधना से साधक न केवल अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं, बल्कि जीवन में अद्भुत सफलता और शांति भी प्राप्त कर सकते हैं। श्रद्धा, संयम और समर्पण के साथ यह पर्व मनाएं और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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