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Vindhyavashini chalisa for Fear & Obstacles

माता विंध्यवासिनी चालीसा का नियमित ४० दिन पाठ कर लिया तो समझो, हर तरह की मुसीबत व आर्थिक अड़चनो से मुक्ति मिल गयी। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को माता की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख-शांति आती है।

चालीसा का पाठ

॥दोहा॥

जय विंध्यवासिनी मां, जयती जगदंबा।
सकल सृष्टि विख्याता, सदा करो कल्याण॥

॥चालीसा॥

जयति जय विंध्यवासिनी, महामाया जगदंबा।
भक्तन हितकारी सदा, दूर करै सब तृष्णा॥1॥

सिंह वाहिनी महाशक्ति, शक्ति रूपी वरदायिनी।
सकल लोक में प्रसिद्धि, दैव्य जगत की माई॥2॥

सकल कामना पूर्ण कर, कृपा दृष्टि बरसाओ।
विष्णु प्रिया अम्बा जय, सदा सहाय हो तुम॥3॥

दुर्गम पथ में सहारा, त्राही मां सदा सखी।
भक्तन पर विपत्ति आय, दूर करो हर्षित हो॥4॥

रथ पे चढ़कर जाओ, भक्तन के कष्ट हरता।
जग पालन हार तुम, धर्म रक्षा करतार॥5॥

आदि शक्ति तुम विख्याता, सकल विश्व विदित।
भक्त जन की रखवारी, सदा हर्षित रहो॥6॥

संकट में सहाय करो, जगत को पालन कारी।
नव दुर्गा रूप अवतारा, सकल शत्रु संहार॥7॥

कालिका स्वरूप धरा, तारा अम्बिका माता।
भैरवी महाकाली, शक्ति रूप आद्या॥8॥

पाप हारिणी महाशक्ति, सबके कष्ट निवारिणी।
विघ्नों को मिटाओ, जगत पालन हारी॥9॥

शरण में आये भक्त जन, सदा सहाय करो।
सुख समृद्धि दो माता, भवसागर से तारो॥10॥

विष्णु की प्रिया विंध्यवासिनी, कृपा सदा बरसाओ।
चरणों में शरण दो माता, सदा सहाय रहो॥11॥

जगत में कल्याण करो, दुःख का हरण करो।
भक्तों को सुख दो माता, सदा शरण दो॥12॥

सिंह वाहिनी महामाया, संहार करो अधर्म।
धर्म स्थापना करो, जगत में सुख का वास॥13॥

दुर्गति का हरण करो, कृपा दृष्टि बरसाओ।
जगत पालन हारी तुम, शक्ति रूप धारिणी॥14॥

त्राहि त्राहि करू भक्त, सहाय सदा करो।
जगत में सुख का वास हो, सदा रक्षा करो॥15॥

संकट में सहाय करो, विघ्नों का हरण करो।
जगदंबा सहाय करो, शरण में आये जन को॥16॥

मां विंध्यवासिनी चालीसा, पाठ करे जो भक्त।
सकल कष्ट मिट जाये, सदा सुख का वास॥17॥

दुःख-दर्द मिट जाये, कृपा सदा बरसाओ।
सुख समृद्धि का वास हो, भक्तन को सहाय॥18॥

जयति जय विंध्यवासिनी, कृपा दृष्टि बरसाओ।
सकल जगत में प्रसिद्धि, सदा शरण दो॥19॥

चालीसा पढ़े जो भक्त, सदा सुखी रहे।
विघ्न-बाधा दूर हो, सदा कृपा दृष्टि हो॥20॥

॥दोहा॥

शरण में आये भक्त जन, सदा सहाय रहो।
मां विंध्यवासिनी जय, सदा सुखी रहो॥

लाभ

  1. कष्ट निवारण: इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और वे मानसिक शांति का अनुभव करते हैं।
  2. धार्मिक और आध्यात्मिक विकास: इस चालीसा के नियमित पाठ से भक्तों का धार्मिक और आध्यात्मिक विकास होता है।
  3. शत्रु बाधा से मुक्ति: यह चालीसा शत्रु बाधा और संकटों से रक्षा करती है और जीवन में सफलता प्रदान करती है।
  4. परिवार में सुख-शांति: इस चालीसा के पाठ से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  5. संकटों से रक्षा: माता विंध्यवासिनी की कृपा से जीवन के हर संकट का समाधान मिलता है।
  6. भय का निवारण: यह चालीसा भय और असुरक्षा की भावना को दूर करती है।
  7. स्वास्थ्य लाभ: माता की कृपा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. विघ्न बाधाओं का निवारण: इस चालीसा के नियमित पाठ से जीवन की सभी विघ्न बाधाओं का निवारण होता है।
  9. विपत्ति से मुक्ति: यह चालीसा विपत्ति और दुःखों से मुक्ति दिलाती है।
  10. धन-संपत्ति में वृद्धि: इस चालीसा के पाठ से धन-संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  11. कार्य सिद्धि: यह चालीसा कार्य सिद्धि के लिए विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है।
  12. मनोकामना पूर्ति: इस चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  13. धैर्य और साहस में वृद्धि: इस चालीसा के पाठ से धैर्य और साहस में वृद्धि होती है।
  14. शांति और संयम: इस चालीसा के पाठ से मन में शांति और संयम का विकास होता है।
  15. गृहस्थ सुख: इस चालीसा के पाठ से गृहस्थ जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  16. दुर्भाग्य का निवारण: इस चालीसा का पाठ दुर्भाग्य और कठिनाईयों को दूर करता है।
  17. समाज में प्रतिष्ठा: इस चालीसा के पाठ से समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त होता है।

पाठ विधि

दिन और समय

  • दिन: शुक्रवार और मंगलवार का दिन माता विंध्यवासिनी की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • समय: प्रातःकाल और संध्याकाल का समय सबसे उचित होता है। यदि संध्या समय संभव न हो, तो दिन में किसी भी समय किया जा सकता है।

अवधि और मुहुर्त

  • अवधि: इस चालीसा का पाठ नियमित रूप से 40 दिनों तक किया जा सकता है। एक बार शुरू करने के बाद इसे बिना किसी व्यवधान के पूरा करना चाहिए।
  • मुहूर्त: शुभ मुहूर्त में माता विंध्यवासिनी का पूजन और चालीसा पाठ करना अति उत्तम माना जाता है। विशेष पर्वों और नवरात्रि में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

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नियम और सावधानियाँ

  1. शुद्धि और स्वच्छता: चालीसा पाठ के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धि का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पाठ करने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. शुद्ध वातावरण: पाठ के लिए एक शुद्ध और पवित्र स्थान चुनें। अगरबत्ती या धूप जलाकर वातावरण को सुगंधित और शुद्ध करें।
  3. भक्ति भावना: चालीसा का पाठ करते समय मन में पूर्ण भक्ति और श्रद्धा का भाव रखें। माता की कृपा प्राप्त करने के लिए मन को एकाग्र करें।
  4. नियमितता: यदि चालीसा पाठ की शुरुआत की है, तो उसे नियमित रूप से पूरा करना चाहिए। बीच में छोड़ना अशुभ माना जाता है।
  5. आसन का प्रयोग: पाठ करते समय साफ और आरामदायक आसन का प्रयोग करें। जमीन पर बैठकर पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
  6. शुद्ध उच्चारण: चालीसा के मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करें। उच्चारण की शुद्धता से माता विंध्यवासिनी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  7. अन्य ध्यान और पूजा: माता विंध्यवासिनी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर, फल-फूल अर्पित करके पूजा करें।
  8. प्रसाद वितरण: चालीसा पाठ के बाद प्रसाद वितरण करें। इसे अन्य भक्तों और परिवार के सदस्यों के साथ साझा करें।
  9. ध्यान और ध्यान मुद्रा: चालीसा पाठ के पहले और बाद में कुछ समय के लिए ध्यान करें। ध्यान मुद्रा में बैठना श्रेष्ठ होता है।
  10. भजन और कीर्तन: चालीसा पाठ के बाद माता विंध्यवासिनी के भजन और कीर्तन करें। इससे वातावरण पवित्र और मंगलमय हो जाता है।
  11. विशेष ध्यान: नवरात्रि या विशेष पर्वों के दौरान चालीसा पाठ का विशेष महत्व होता है। इन दिनों में अधिक श्रद्धा से पाठ करें।
  12. परिवार सहित पाठ: संभव हो तो परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर चालीसा का पाठ करें। इससे परिवार में एकता और शांति बनी रहती है।

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माता विंध्यवासिनी चालीसा के सामान्य प्रश्न

  1. माता विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • चालीसा का पाठ नियमित रूप से रोजाना किया जा सकता है। यदि विशेष कामना हो तो 40 दिनों तक लगातार करें।
  2. क्या माता विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ अकेले करना चाहिए या समूह में?
    • इसे अकेले या समूह में, दोनों तरह से किया जा सकता है। समूह में पाठ करने से अधिक शक्ति और उत्साह का अनुभव होता है।
  3. क्या चालीसा पाठ करने के लिए किसी विशेष दिशा का चयन करना चाहिए?
    • उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
  4. माता विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ कितनी अवधि तक करना चाहिए?
    • आप इसे 9, 21, 40, या 108 बार भी कर सकते हैं, लेकिन 40 बार का पाठ अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।
  5. चालीसा पाठ के दौरान कौन-कौन सी सामग्री का उपयोग करना चाहिए?
    • पूजा के लिए फूल, दीपक, अगरबत्ती, प्रसाद, और माता की मूर्ति या चित्र का उपयोग किया जा सकता है।
  6. क्या चालीसा पाठ करते समय विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
    • हाँ, साफ और शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए, सफेद या लाल रंग के वस्त्र सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
  7. क्या चालीसा पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
    • हाँ, शुद्धता, ध्यान, और भक्ति भावना का पालन करना चाहिए। सात्विक आहार लेना और संयमित रहना भी आवश्यक है।
  8. क्या चालीसा पाठ के बाद कोई विशेष मंत्र या स्तोत्र पढ़ना चाहिए?
    • हाँ, आप माता विंध्यवासिनी की आरती या अन्य स्तोत्रों का पाठ कर सकते हैं।
  9. क्या चालीसा पाठ के दौरान प्रसाद चढ़ाना आवश्यक है?
    • हाँ, प्रसाद चढ़ाना आवश्यक है और पाठ के बाद इसे परिवार के साथ साझा करना चाहिए।
  10. चालीसा पाठ के दौरान यदि किसी कारणवश बाधा आ जाए, तो क्या करना चाहिए?
    • बाधा दूर होने के बाद पुनः शुद्ध होकर पाठ प्रारंभ करें।

Sant Kabir Chalisa – Peace & Prosperity

Sant Kabir Das Chalisa paath

संत कबीर चालीसा- अध्यात्म व भक्ति बढने के लिये

संत कबीर चालीसा का पाठ करने से मन के नकारात्मक विचार नष्ट होने लगते है। संत कबीर चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति, ज्ञान और संतोष की प्राप्ति होती है।

ये भारतीय संस्कृति के एक महान संत और कवि थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। वे भक्ति मार्ग के प्रमुख संतों में से एक माने जाते हैं, जिन्होंने लोगों को सरल भाषा में आध्यात्मिक ज्ञान दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।

चालीसा पाठ

दोहा:
दीनानाथ की दीनता, दीन बंधु की दीन।  
दीन कबीर के दीन पर, करो कृपा भगवीन।।

चालीसा:
जय कबीर जगतगुरु, गुरु साहेब के सुत।  
हम पर कृपा कीजिये, शरण गहें सब सुत।।

जगदम्बा जगतगुरु, सत्य ज्ञान का पथ।  
आप का शरणागत है, सब संत जन प्रकट।।

अखंड धाम का रहस्य, कबीर जी ने कहा।  
नर-नारी सब समान, यही सिखाया बहा।।

सदगुरु की वंदना, पूर्ण आत्मज्ञान।  
सभी को दीजिये, सन्मार्ग का साज।।

सत्य मार्ग का अनुगमन, यह सिखाया आपने।  
त्यों तिरस्कृत जगत में, अमृत पिलाया आपने।।

सभी धर्मों का आदर, यह सिखलाया आपने।  
कबीर की राह पर, चलाया आपने।।

अनुपम वाणी की रचना, संत कबीर ने की।  
माया-मोह का त्याग कर, सच्चा प्रेम दिया।।

आप की कृपा से, मन को शांति मिले।  
संत कबीर चालीसा, निरंतर भक्ति बने।।

नरक से छुड़ाने का, आपने वचन दिया।  
हर कष्ट से मुक्त होकर, आपको पूजना सीखा।।

नमन संत कबीर जी, आपने दी राह सच्ची।  
हर मानव को मिला, आपका आशीर्वाद सच्चा।।

कबीर जी का नाम लेकर, हर काम बने।  
दुख-तकलीफ सब दूर हो, जीवन में शांति मिले।।

आपका ध्यान धरने से, सब बाधाएं कटें।  
संत कबीर की वाणी में, सभी संकट हटें।।

आपकी शिक्षाओं से, जीवन सुधर जाए।  
हर कोई अपनाए इन्हें, मन को शांति मिले।।

संत कबीर की वाणी में, है ज्ञान का सागर।  
हर शब्द आपका, है परमात्मा का आधार।।

शरण में जो आया आपकी, दुख उसका हर।  
कबीर जी की कृपा से, सब संसार सुधार।।

आपकी चालीसा का, जो भी करेगा पाठ।  
वह पाएगा अपने जीवन में, सच्चा सुख और शांति।।

जय संत कबीर जी महाराज, आपकी वाणी महान।  
हर जन को मिलेगा, आपका आशीर्वाद महान।।

लाभ

  1. आत्मिक शांति: संत कबीर चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति और संतोष मिलता है।
  2. ज्ञान की प्राप्ति: संत कबीर के उपदेशों और शिक्षाओं से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  3. धार्मिक भावना: यह चालीसा व्यक्ति में धार्मिकता और ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना को जागृत करती है।
  4. सकारात्मकता: इसके पाठ से नकारात्मक विचार दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. वाणी की शुद्धि: संत कबीर के विचारों का अनुसरण करने से व्यक्ति की वाणी और व्यवहार में शुद्धि आती है।
  6. संघर्ष से मुक्ति: जीवन के संघर्षों और कठिनाइयों से निजात पाने में मदद मिलती है।
  7. सामाजिक सद्भावना: संत कबीर चालीसा का पाठ सामाजिक समरसता और सद्भावना को बढ़ावा देता है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति: व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे ईश्वर की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिलती है।
  9. धर्म और कर्म का पालन: व्यक्ति को धर्म और कर्म के महत्व को समझने और उसका पालन करने की प्रेरणा मिलती है।
  10. ध्यान और मन की एकाग्रता: संत कबीर चालीसा के नियमित पाठ से ध्यान और मन की एकाग्रता बढ़ती है।
  11. जीवन में संतुलन: संत कबीर की शिक्षाएं व्यक्ति को जीवन में संतुलन बनाए रखने की शिक्षा देती हैं।
  12. ईश्वर का सानिध्य: चालीसा का पाठ व्यक्ति को ईश्वर के सानिध्य का अनुभव कराता है।
  13. सकारात्मक संबंध: व्यक्ति के संबंधों में सकारात्मकता आती है और वह दूसरों के प्रति सहानुभूति और प्रेम की भावना रखता है।
  14. स्वास्थ्य में सुधार: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और व्यक्ति रोगों से बचा रहता है।
  15. सद्गुणों का विकास: संत कबीर चालीसा के पाठ से व्यक्ति के अंदर सद्गुणों का विकास होता है, जैसे- दया, करुणा, और सत्यनिष्ठा।

चालीसा पाठ की विधि

दिन और मुहूर्त

संत कबीर चालीसा का पाठ किसी भी दिन और समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से इसे मंगलवार और शनिवार के दिन करना शुभ माना जाता है। प्रातःकाल या संध्या समय इसे करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।

अवधि

इस चालीसा का पाठ करने में लगभग 10 से 15 मिनट का समय लगता है। इसे नियमित रूप से रोज़ाना करने से अधिक लाभ मिलता है।

नियम

  1. शुद्धता: पाठ से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. स्वच्छ स्थान: पाठ के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
  3. समर्पण: पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें।
  4. ध्यान: पाठ के दौरान संत कबीर जी का ध्यान करते रहें।
  5. व्रत: यदि संभव हो, तो पाठ के दिन व्रत भी रख सकते हैं।

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सावधानियां

  1. आलस्य: पाठ करते समय आलस्य और लापरवाही से बचें।
  2. समय: यदि आप नियमित रूप से पाठ करने का संकल्प लेते हैं, तो उसे निर्धारित समय पर करें।
  3. श्रद्धा: पाठ करते समय मन में शंका या द्वेष की भावना न रखें।
  4. समर्पण: पाठ में पूरी तन्मयता और समर्पण होना चाहिए, ताकि उसका पूरा लाभ मिल सके।
  5. शुद्ध उच्चारण: चालीसा के मंत्रों का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए।

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संत कबीर चालीसा के सामान्य प्रश्न

  1. संत कबीर चालीसा का क्या महत्व है?
    • यह संत कबीर के आदर्शों और शिक्षाओं को सरलता से समझने का मार्ग है।
  2. संत कबीर चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • इसे प्रतिदिन एक बार करने का सुझाव दिया जाता है, लेकिन आप इसे अपनी सुविधा के अनुसार अधिक भी कर सकते हैं।
  3. संत कबीर चालीसा को कौन कर सकता है?
    • कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म या संप्रदाय का हो, इस चालीसा का पाठ कर सकता है।
  4. इस चालीसा का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
    • इससे आत्मिक शांति, मानसिक संतुलन, और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  5. क्या संत कबीर चालीसा का पाठ किसी विशेष अवसर पर किया जाता है?
    • इसे विशेष रूप से संत कबीर जयंती पर किया जाता है, लेकिन इसे रोज़ाना भी किया जा सकता है।
  6. क्या संत कबीर चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष तैयारी करनी होती है?
    • शुद्धता और एकाग्रता के साथ इसे करने की सलाह दी जाती है।
  7. संत कबीर चालीसा का पाठ कब शुरू करना चाहिए?
    • इसे आप किसी भी दिन और समय से शुरू कर सकते हैं, लेकिन मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  8. संत कबीर चालीसा का पाठ किस दिशा में बैठकर करना चाहिए?
    • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पाठ करना शुभ माना जाता है।
  9. क्या संत कबीर चालीसा का पाठ करने के बाद विशेष आहार लेना चाहिए?
    • पाठ के बाद सात्विक आहार लेना उचित होता है।
  10. क्या संत कबीर चालीसा का पाठ अकेले करना चाहिए या समूह में?
    • आप इसे अकेले या समूह में कर सकते हैं, दोनों ही प्रकार से इसका लाभ प्राप्त होता है।
  11. क्या संत कबीर चालीसा का पाठ करते समय कोई विशेष दीपक जलाना चाहिए?
    • हाँ, दीपक जलाना शुभ माना जाता है, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

Tripur Sundari Chalisa for Wealth & Prosperity

Tripur Sundari Chalisa

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ करना मनुष्य को बहुत ही जल्दी आर्थिक अड़चनों से छुटकारा दिलाता है। त्रिपुर सुंदरी देवी को आदिशक्ति का स्वरूप माना जाता है, जो पूरे संसार की सृष्टि, पालन और संहार की देवी हैं। त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ देवी की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम है।

त्रिपुर सुंदरी चालीसा

॥दोहा॥
सिर पर चंद्रमा की शोभा, मस्तक बिंदु दिव्य प्रकाश।
त्रिपुर सुंदरी रूप महान, करें भक्तों का कल्याण॥

॥चालीसा॥

जय त्रिपुर सुंदरी जगदम्बा, जय महाकाली माँ अम्बा।
तेरी महिमा अपरंपार, जगत में तेरा है अधिकार॥

चंद्रमा की किरणें तेरे माथे, दिव्य अलौकिक छवि जगमगाते।
तेरे चरणों में हैं हम भक्त, तु हीं हमारे सारे कष्ट हरते॥

शिव शक्ति का अद्भुत मेल, तेरा रूप है अनूप।
संसार में तेरा शासन, तु हीं करुणा का रूप॥

तेरी माया से सब कुछ चलता, तु हीं सबकी जीवनरेखा।
अशरण शरणागत रक्षा करें, मां तेरा हर भक्तों को सहारा॥

जगतपालन की तु अधिकारी, तेरा रूप है महिमा भारी।
प्रलय के समय भी तु हीं सहारा, हर विपत्ति में तु हीं तारणहारा॥

तेरी कृपा से मिलती शांति, तु हीं करुणामय देवी।
हर त्रास से मुक्त करें, तु हीं शक्ति की परिभाषा॥

तू है सुख की सागर, हर दुःख को दूर करें।
तेरे बिन संसार अधूरा, तू हीं जीवन का मूल मंत्र॥

अंबा तु हीं सबका आधार, त्रिपुर सुंदरी तेरा नाम।
तेरे चरणों में मिलती शांति, तु हीं ममता का स्थान॥

भक्ति से तु प्रसन्न होती, तु हीं अनंत शक्ति की मूरत।
तेरी चालीसा से मिलती रक्षा, तु हीं जीवन की संरक्षक॥

जय त्रिपुर सुंदरी जगदम्बा, तु हीं सबकी है मां अम्बा।
तुम बिन कोई सहारा नहीं, तु हीं सबकी पालनहारा॥

तेरी महिमा का नहीं कोई अंत, तु हीं ब्रह्मा, विष्णु, महेश की संत।
तेरे दर्शन से मिलती शांति, तु हीं जगत की देवी आनंद मंती॥

प्रेम और भक्ति का सागर, तु हीं जननी का आधार।
तु हीं जगत की पालनहार, तु हीं विश्व की तारणहार॥

जय त्रिपुर सुंदरी, जय महाकाली,
जय अम्बा जगदम्बा, जय माँ त्रिपुर सुंदरी॥

त्रिपुर सुंदरी चालीसा लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: त्रिपुर सुंदरी चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  2. मानसिक शांति: इस चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा: त्रिपुर सुंदरी चालीसा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  4. विपत्तियों से रक्षा: यह चालीसा भक्तों को विपत्तियों और कठिनाइयों से रक्षा करती है।
  5. पारिवारिक सुख-शांति: इसका पाठ करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  6. धन और समृद्धि: त्रिपुर सुंदरी चालीसा का नियमित पाठ धन और समृद्धि को आकर्षित करता है।
  7. स्वास्थ्य लाभ: इस चालीसा के पाठ से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान: इसका पाठ करने से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।
  9. शत्रुओं पर विजय: चालीसा के पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  10. प्रेम और सौहार्द बढ़ाता है: त्रिपुर सुंदरी चालीसा के पाठ से प्रेम और सौहार्द में वृद्धि होती है।
  11. संकट मोचन: यह चालीसा संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है।
  12. सुखद जीवन: चालीसा का नियमित पाठ जीवन को सुखद और आनंदमय बनाता है।
  13. धार्मिक और आध्यात्मिक विकास: इसका पाठ धार्मिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
  14. ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि करता है।
  15. विवेक और धैर्य: यह चालीसा विवेक और धैर्य को बढ़ाने में मदद करती है।
  16. संतान सुख: इसके पाठ से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  17. संकल्प शक्ति में वृद्धि: त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ संकल्प शक्ति को बढ़ाता है।
  18. साधना में सफलता: इस चालीसा के नियमित पाठ से साधना में सफलता मिलती है।
  19. देवी की कृपा प्राप्त होती है: यह चालीसा देवी त्रिपुर सुंदरी की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।
  20. सम्पूर्ण जीवन की सुरक्षा: इस चालीसा का पाठ सम्पूर्ण जीवन की सुरक्षा में सहायक होता है।

त्रिपुर सुंदरी चालीसा पाठ की विधि

दिन और समय

  • दिन: शुक्रवार को त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
  • समय: इसका पाठ सुबह और शाम के समय करना शुभ माना जाता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में इसका पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।

सामग्री

  • साफ वस्त्र पहनकर पूजा करें।
  • त्रिपुर सुंदरी देवी की मूर्ति या चित्र।
  • आसन, रुद्राक्ष माला, दीपक, कपूर, धूप, लाल चंदन, केसर, शुद्ध जल, और नैवेद्य।

विधि

  1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल को साफ करें और आसन लगाएं।
  3. त्रिपुर सुंदरी देवी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  4. धूप-दीप जलाकर देवी की आरती करें।
  5. ध्यान मुद्रा में बैठकर त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ करें।
  6. पाठ के बाद देवी को नैवेद्य अर्पित करें और अंत में श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करें।

त्रिपुर सुंदरी चालीसा के नियम और सावधानियाँ

नियम

  1. श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें।
  2. नियमित रूप से पाठ करने का संकल्प लें।
  3. साफ-सुथरे मन और तन से पाठ करें।
  4. मन को एकाग्र करें और ध्यान की अवस्था में पाठ करें।
  5. पूरी चालीसा का पाठ करें, किसी भी श्लोक को न छोड़ें।

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सावधानियाँ

  1. पाठ के दौरान मन को भटकने न दें।
  2. बिना स्नान के पाठ न करें।
  3. पाठ के समय साफ और शुद्ध वातावरण रखें।
  4. त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति या चित्र का अनादर न करें।
  5. नियमबद्धता का पालन करें, पाठ को बीच में न रोकें।

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त्रिपुर सुंदरी चालीसा के सामान्य प्रश्न

  1. त्रिपुर सुंदरी चालीसा कब पाठ करना चाहिए?
    • त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ शुक्रवार को और ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे शुभ माना जाता है।
  2. इस चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
    • यह आपके संकल्प पर निर्भर करता है। आप इसे नियमित रूप से या कम से कम 21 दिनों तक कर सकते हैं।
  3. पाठ के दौरान कौन-सी सामग्री का उपयोग करना चाहिए?
    • दीपक, धूप, लाल चंदन, केसर, नैवेद्य, रुद्राक्ष माला और त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति या चित्र का उपयोग करें।
  4. क्या त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ केवल महिलाएं ही कर सकती हैं?
    • नहीं, इस चालीसा का पाठ पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।
  5. इस चालीसा का पाठ किस उद्देश्य के लिए किया जाता है?
    • त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ देवी की कृपा प्राप्त करने, मानसिक शांति, पारिवारिक सुख-शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।
  6. क्या त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है?
    • हां, इस चालीसा के पाठ से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  7. पाठ के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें और मन को शांत और एकाग्र रखें।
  8. क्या चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • हां, इसे किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह और शाम का समय सबसे उत्तम माना जाता है।
  9. पाठ के दौरान कौन-सा आसन प्रयोग करना चाहिए?
    • कमलासन या सुखासन का प्रयोग करें।
  10. इस चालीसा का पाठ करने से क्या विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान होता है?
    • हां, त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान करने में सहायक होता है।
  11. क्या त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ करने से संतान सुख प्राप्त होता है?
    • हां, इस चालीसा का पाठ करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

Mata Vardayini Chalisa for Wealth & Prosperity

Var Dayini Mata Chalisa

सबका दुख दूर करने वाली माता वरदायिनी चालीसा का पाठ करना जीवन की सभी कमियों को दूर कर देता है। ये माता आदि शक्ति की स्वरूप मानी जाती है। इनका आशीर्वाद प्राप्त करने से भक्तों को जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है व जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं।

माता का नाम “वरदायिनी” का अर्थ है “वरदान देने वाली।” यह देवी का रूप भक्तों को उनके कठिन समय में मदद करने और उनकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए जाना जाता है। माता वरदायिनी की पूजा और चालीसा का लगातार ४० दिन तक पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मबल, और जीवन में उन्नति प्राप्त होती है।

चालीसा

॥दोहा॥
जगदम्बिका गवरी जय, वरदायिनी जननी।
सदगति संजीवनी, ममता रूप धरणी॥

चौपाई:
जय जय माता वरदायिनी, जयति जगत में महान।
अक्षय पुण्य फल देत तुम, करो भक्तों का कल्याण॥

तुमको ध्यावत सदा सुर-मुनि, रचें तुम्हारे गुणगान।
जय हो माता वरदायिनी, करो भक्तों का कल्याण॥

तुम्ही हो सबकी पालन हारी, दीन दुखियों की रखवारी।
तुम ही हो सृष्टि की आधार, जय जय माता वरदायिनी॥

तुम्ही हो दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, तुम्हीं हो जगदम्बिका।
तुम्हारे बिना कौन है संसार में, वरदायिनी माता॥

शरणागत की रक्षा करती, कृपा से भंडार भरती।
जो भी करता सच्चे मन से, वह तेरा व्रत रखता॥

विघ्न-बाधा सब हरती हो, जीवन में प्रकाश करती हो।
जय जय माता वरदायिनी, कृपा दृष्टि का वर दे॥

तेरा भजन जो गाता है, सच्चे मन से जो तुझको भजता है।
वह पा जाता है तेरे आशीर्वाद से, जीवन में हर सुख के क्षण॥

संकट मिट जाएं सारे, सुख-समृद्धि का वास हो।
जय जय माता वरदायिनी, सदा तुम्हारी ही कृपा हो॥

तुम्ही हो सृष्टि की पालन कारी, दुखियों की सुधि लेती हो।
हे माता वरदायिनी, हम सब पर कृपा करो॥

तुम्ही हो जग की जननी, पालनकर्ता और संहारणी।
तुम्ही हो जीवन का आधार, हे माता वरदायिनी॥

जय हो माता वरदायिनी, संजीवनी कृपा का वर दो।
सदगति संजीवनी, ममता रूप धरणी॥

॥दोहा॥
जयति जगत में महान, वरदायिनी माता।
तुम्हारी जय-जयकार हो, करुणा का वरदान॥

लाभ

  1. कष्टों का निवारण: माता वरदायिनी चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
  2. मनोकामना पूर्ण: जो भी भक्त इस चालीसा का पाठ करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  3. आत्मबल में वृद्धि: यह चालीसा आत्मबल और आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होती है।
  4. सुख-शांति का अनुभव: माता वरदायिनी की कृपा से घर में सुख और शांति बनी रहती है।
  5. संकटों का समाधान: जीवन के सभी संकटों का समाधान माता के आशीर्वाद से होता है।
  6. शत्रु बाधाओं से मुक्ति: यह चालीसा शत्रुओं से बचाव करती है और सुरक्षा प्रदान करती है।
  7. समृद्धि का वास: इस चालीसा का पाठ करने से घर में धन और समृद्धि की वृद्धि होती है।
  8. स्वास्थ्य में सुधार: माता वरदायिनी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का समाधान होता है।
  9. धर्म में रुचि: माता की कृपा से भक्त की धर्म में रुचि बढ़ती है।
  10. भयमुक्त जीवन: इस चालीसा का नियमित पाठ भय को दूर करता है और निडरता प्रदान करता है।
  11. पारिवारिक सुख: माता की कृपा से परिवार में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।
  12. अकाल मृत्यु से रक्षा: इस चालीसा का पाठ करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
  13. व्यवसाय में उन्नति: माता वरदायिनी की कृपा से व्यवसाय में तरक्की और सफलता मिलती है।
  14. विद्या और बुद्धि का विकास: माता की कृपा से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।
  15. कर्ज मुक्ति: यह चालीसा कर्ज से मुक्ति दिलाती है और आर्थिक स्थिरता प्रदान करती है।
  16. सफलता प्राप्ति: माता वरदायिनी की कृपा से कार्यों में सफलता मिलती है।
  17. सुखद दांपत्य जीवन: माता की कृपा से दांपत्य जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।

दिन, अवधि, मुहूर्त

  1. दिन: माता वरदायिनी की पूजा और चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, परंतु शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए, विशेषकर शुक्रवार के दिन।
  3. मुहूर्त: प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (4:00 बजे से 6:00 बजे के बीच) सबसे उत्तम समय माना जाता है।

नियम

  1. स्वच्छता: चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
  2. शुद्ध आसन: पूजा करते समय शुद्ध आसन का प्रयोग करें, जैसे कि कुशासन या सफेद कपड़े का आसन।
  3. धूप-दीप: पूजा स्थल पर धूप और दीपक जलाएं, इससे वातावरण पवित्र और शांत रहता है।
  4. मन की शुद्धता: चालीसा का पाठ मन की शुद्धता और एकाग्रता के साथ करें।
  5. समर्पण: माता वरदायिनी के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा भाव के साथ चालीसा का पाठ करें।
  6. नियमितता: चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने का प्रयास करें।
  7. पवित्र जल: पूजा स्थल पर पवित्र जल या गंगाजल रखें और इसे पूजा के बाद अपने घर के सभी कोनों में छिड़कें।
  8. प्रसाद: पूजा के बाद माता को प्रसाद अर्पित करें और इसे सभी के साथ बांटें।
  9. ध्यान: चालीसा का पाठ करते समय माता वरदायिनी का ध्यान करें और उनकी कृपा की कामना करें।
  10. मौन: पूजा के समय मौन रहें और मन को एकाग्रचित्त रखें।

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माता वरदायिनी चालीसा पाठ में सावधानियां

  1. अशुद्ध मन: अशुद्ध मन से चालीसा का पाठ न करें, इससे लाभ की प्राप्ति नहीं होती।
  2. अपवित्रता: पूजा स्थल और आस-पास की जगह को साफ रखें, अपवित्रता से बचें।
  3. दुर्व्यवहार: माता की पूजा करते समय किसी प्रकार का दुर्व्यवहार न करें।
  4. अधीरता: पूजा करते समय धैर्य रखें और अधीरता से बचें।
  5. नशा: पूजा से पहले और पूजा के दौरान किसी प्रकार का नशा न करें।
  6. अवज्ञा: माता वरदायिनी के नियमों का पालन करें और उनकी अवज्ञा न करें।
  7. ध्यान विचलन: चालीसा का पाठ करते समय ध्यान को विचलित न होने दें।
  8. सही उच्चारण: चालीसा का पाठ सही उच्चारण के साथ करें, गलत उच्चारण से बचें।
  9. व्रत: अगर आप व्रत रख रहे हैं, तो इसे पूरे नियम के साथ पालन करें।
  10. आस्थाहीनता: चालीसा का पाठ आस्था और विश्वास के साथ करें, बिना विश्वास के पाठ का कोई फल नहीं मिलता।

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पृश्न उत्तर

  1. माता वरदायिनी चालीसा किस दिन पढ़ना चाहिए?
    • शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है, लेकिन इसे किसी भी दिन पढ़ा जा सकता है।
  2. क्या माता वरदायिनी चालीसा का पाठ रोज़ाना किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे रोज़ाना किया जा सकता है।
  3. माता वरदायिनी चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए?
    • चालीसा का पाठ कम से कम एक बार अवश्य करें, लेकिन इसे अधिक बार पढ़ने से भी अधिक लाभ मिलता है।
  4. क्या माता वरदायिनी चालीसा का पाठ करने के लिए व्रत रखना आवश्यक है?
    • व्रत रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन व्रत के साथ चालीसा का पाठ अधिक प्रभावी होता है।
  5. क्या माता वरदायिनी चालीसा का पाठ करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं?
    • हाँ, माता वरदायिनी चालीसा का पाठ करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
  6. क्या माता वरदायिनी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • हाँ, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना अधिक लाभकारी होता है।
  7. माता वरदायिनी चालीसा के पाठ से क्या स्वास्थ्य लाभ होते हैं?
    • यह चालीसा स्वास्थ्य सुधार में सहायक होती है और मानसिक शांति प्रदान करती है।
  8. क्या माता वरदायिनी चालीसा का पाठ घर में ही करना चाहिए?
    • हाँ, घर में स्वच्छ और शांत जगह पर पाठ करना उचित होता है।
  9. क्या माता वरदायिनी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं?
    • हाँ, इस चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  10. माता वरदायिनी चालीसा का पाठ करते समय कौन-सा आसन उपयोग करना चाहिए?
    • स्वच्छ और शुद्ध आसन, जैसे कि कुशासन या सफेद कपड़े का आसन प्रयोग करें।
  11. क्या माता वरदायिनी चालीसा का पाठ करने से शत्रु बाधाएं दूर होती हैं?
    • हाँ, यह चालीसा शत्रु बाधाओं से मुक्ति दिलाती है।

Mata Yogmaya Chalisa for Obstacles

Yogamaya Chalisa path

बुरे समय से बचाने वाली माता योगमाया की चालीसा का पाठ मनोकामना पूर्ति के साथ हर तरह की सुरक्षा भी प्रदान करती है। ये शक्ति, माया और ज्ञान की देवी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय, योगमाया ने उनकी रक्षा की थी और उन्हें कंस के अत्याचार से बचाया था। योगमाया का महत्व खासतौर पर उन भक्तों के लिए है जो आध्यात्मिक मार्ग पर चल रहे हैं और उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है।

संपूर्ण माता योगमाया चालीसा

॥दोहा॥
जयति जयति योगमाया, जगदम्बे भवानी।
शरणागत की रक्षिका, करूँ नमन जुड़ानी॥

॥चौपाई॥
जय हो माता योगमाया, जग में तुम हो महिमा माया।
संकट हरो, सुख की दाता, सभी जगत की तुम हो माता॥

श्रीकृष्ण की जन्म की रक्षक, कंस के आतंक की संहारक।
तुम ही हो सृष्टि की शक्ति, तुमसे ही हर जीव की युक्ति॥

तुम हो भवानी, तुम हो काली, शक्ति की तुम महाशक्ति वाली।
हर संकट हरने वाली, तुम ही हो जग की रखवाली॥

तुम्हारे दर पर जो भी आया, जीवन में सुख-शांति पाया।
तेरी महिमा का है गान, भक्त तेरा करे गुणगान॥

तुम हो योग और तुम हो माया, तुमसे ही सारा जगत है साया।
तुम्हारे दर्शन से ही मिले, जीवन में सबको अमर फल॥

योगिनी हो तुम जगदम्बा, सारा जगत करे तुम्हारा अंबा।
तुम्हारी कृपा से मिटे दुःख सारे, जीवन में आए सुख के तारे॥

तुम्हारी आरती जो गावे, संकट सब के दूर हो जाए।
तेरे नाम की जो भी ध्याये, उसका जीवन सुधर जाए॥

तेरी महिमा का करे ध्यान, भवसागर से होवे पार।
तुम्हारी भक्ति में जो भी रमे, जीवन उसका सफल बने॥

हे माँ योगमाया, हमको दो आशीर्वाद।
संकट में रक्षा करो, जीवन में दो नवराज॥

तुम हो त्रिपुरा सुंदरी, सारा जगत करे पुकार।
तेरी महिमा अपरंपार, सब पर हो कृपा अपार॥

माता योगमाया का ध्यान, संकट हर ले सब दुःख का।
तेरी महिमा की शक्ति महान, करें नमन तुम्हे हर शाम॥

॥दोहा॥
जो भी करे ध्यान तेरा, सुख-समृद्धि पाए।
योगमाया की महिमा से, भवसागर तर जाए॥

माता योगमाया चालीसा के लाभ

  1. आध्यात्मिक जागरण: इस चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति और जागरण होता है।
  2. संकटों का नाश: जीवन के सभी प्रकार के संकट और कष्ट समाप्त होते हैं।
  3. शक्ति प्राप्ति: माँ योगमाया की कृपा से मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है।
  4. भय का नाश: जीवन के सभी प्रकार के भय समाप्त होते हैं।
  5. धन-धान्य की प्राप्ति: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
  6. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं के बुरे प्रभाव से रक्षा होती है।
  7. मन की शांति: माँ योगमाया की पूजा से मन को शांति मिलती है।
  8. बाधाओं का नाश: जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है।
  9. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  10. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  11. स्वास्थ्य में सुधार: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  12. आध्यात्मिक शक्ति: साधना में सफलता और आत्मिक शक्ति मिलती है।
  13. विवाह में सफलता: विवाह में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और सफलता मिलती है।
  14. मनोबल में वृद्धि: मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  15. कर्म में सफलता: जीवन के सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  16. सिद्धियों की प्राप्ति: साधना करने वाले भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
  17. भौतिक सुख: जीवन में भौतिक सुख-शांति और समृद्धि मिलती है।
  18. मोक्ष की प्राप्ति: जन्म-मरण के बंधनों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  19. ज्ञान की प्राप्ति: ज्ञान और विवेक में वृद्धि होती है।
  20. सभी संकटों का निवारण: जीवन के सभी प्रकार के संकटों का निवारण होता है।

माता योगमाया चालीसा पाठ की विधि

दिन: माँ योगमाया चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, विशेष रूप से मंगलवार, शुक्रवार, और नवरात्रि के दिनों को शुभ माना जाता है।

अवधि: इस चालीसा का पाठ 21 दिनों तक लगातार करने से विशेष लाभ मिलता है।

मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में पाठ करना सर्वोत्तम है।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: एक स्थिर आसन पर बैठकर चालीसा का पाठ करें।
  3. ध्यान: पाठ के दौरान माता योगमाया का ध्यान और उनके चित्र या प्रतिमा का पूजन करें।
  4. संयम: पाठ के दौरान संयम और श्रद्धा बनाए रखें।
  5. नियमितता: इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।

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सावधानियाँ

  1. श्रद्धा और विश्वास: माँ योगमाया की पूजा करते समय श्रद्धा और विश्वास का होना आवश्यक है।
  2. आचरण: किसी भी प्रकार के दूषित विचारों या क्रोध को मन में न लाएं।
  3. स्थिरता: पाठ के दौरान मन को स्थिर रखें और ध्यान को भटकने न दें।
  4. पवित्रता: पाठ करते समय आसन और पूजा स्थान की पवित्रता बनाए रखें।
  5. व्रत: यदि संभव हो तो पाठ के दिन व्रत या उपवास रखें।

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योगमाया चालीसा-पृश्न उत्तर

माँ योगमाया चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

किसी भी दिन, विशेष रूप से मंगलवार, शुक्रवार और नवरात्रि के दिनों में।

माँ योगमाया चालीसा का पाठ क्यों करें?

  • आध्यात्मिक उन्नति, संकटों से मुक्ति और शक्ति प्राप्ति के लिए।

माँ योगमाया चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

  • दिन में एक बार नियमित रूप से करना लाभकारी होता है।

क्या माँ योगमाया चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?

  • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में करना उत्तम है।

माँ योगमाया चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?

  • कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।

माँ योगमाया चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?

  • हाँ, स्वच्छता और ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

क्या माँ योगमाया चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?

  • हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

क्या माँ योगमाया चालीसा का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?

  • हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।

माँ योगमाया चालीसा का पाठ कहाँ करना चाहिए?

  • एक शांत और स्वच्छ स्थान पर।


क्या माँ योगमाया चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?

  • हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।

Mata Yogini Chalisa for Health Wealth & Protection

mata Yogini Chalisa

सबके विघ्न दूर करने वाली माता योगिनी की चालीसा का पाठ जो भी मनुष्य करता है, उसके जीवन मे किसी भी सुख की कमी नही होती. उन्हें 64 योगिनियों का समूह माना जाता है, जो संसार को शक्ति और संतुलन प्रदान करती हैं। इनकी पूजा विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा की जाती है जो आध्यात्मिक व भौतिक उन्नति, ध्यान और साधना में लगे होते हैं।

माँ योगिनी चालीसा

॥दोहा॥
जय जय योगिनी मातु, कर कृपा सहाय।
तुम बिन और न देखौं, दुहूँ करूँ निहाय॥

॥चौपाई॥
जय-जय योगिनी जगदम्बा, जय माँ जगदम्बे।
सर्वसिद्धि कर दात्री, संकट हरि अम्बे॥

तुम हो ज्ञान की दायिनी, तुम हो शक्ति की देवी।
तेरी कृपा हो जो, मिट जाए सब सेवी॥

तुम हो शक्ति का रूप, तुम्हें प्रणाम करूं।
तेरी महिमा अपरंपार, सारा जगत ध्याय॥

रिद्धि-सिद्धि की दायिनी, योगिनियों की माता।
तेरा ध्यान जो करे, संकट हरनि संता॥

दुर्गम काज सहज ही हर लेती हो माता।
तुम्हरे शरण जो आए, उसको सहज में तरा॥

तुम्हारी महिमा अपरंपार, तंत्र-मंत्र की देवी।
तेरी कृपा हो जो, बने भक्त सभी मेवानी॥

योगिनी माता जय-जयकारा, संकट हरनि भवतारिणी।
सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती, जब तुम हो सहायनी॥

सत्य बोल जो तेरा ध्यान करे, न कभी दुख पावै।
सुख-शांति और समृद्धि, जीवन में पाए॥

तेरी महिमा का गान, जो हर रोज करे।
तुम्हारी कृपा हो उस पर, सारा जगत कहे॥

तुम्हारी आरती जो गावे, सारा संकट हर जाए।
माता तेरी पूजा से, भवसागर तर जाए॥

तुम हो त्रैलोक्य की रानी, योगिनी माँ भवानी।
तेरी कृपा हो जब, सब कुछ हो जै-जानी॥

भक्तजन तेरे नाम से, सब संकट दूर करें।
तुम्हरी पूजा जो करे, सब सिद्धि प्राप्त करें॥

तुम हो करुणा की सागर, माता जगदम्बा।
तेरी पूजा से भक्तजन, बने संसार के अंबा॥

योगिनी माता जय-जयकार, सारा जगत पुकारे।
संकट हरनि संकट तारिणी, सबका दुःख निवारे॥

तेरी कृपा हो जो, न कोई दुखी रहे।
तुम्हरे शरण जो आये, भवसागर तर जाए॥

तुम हो ज्ञान और शक्ति की देवी, सर्वसिद्धि दायिनी।
तेरी पूजा से मिले, मोक्ष और कृपा भी॥

योगिनी माता की महिमा, सारा जगत जानें।
तुम्हरे शरण जो आये, सब कष्ट दूर हों जाएँ॥

॥दोहा॥
जो भी ध्यान करे माँ का, सभी कष्ट दूर हों जाएं।
योगिनी माता की कृपा से, भवसागर तर जाएं॥

लाभ

  1. आध्यात्मिक जागरण: माँ योगिनी की पूजा से आध्यात्मिक उन्नति और जागरण होता है।
  2. संकटों का नाश: जीवन के सभी प्रकार के संकट और कष्ट समाप्त होते हैं।
  3. शक्ति प्राप्ति: योगिनी माँ की कृपा से मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है।
  4. सिद्धियों की प्राप्ति: साधना करने वाले भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
  5. स्वास्थ्य में सुधार: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं के बुरे प्रभाव से रक्षा होती है।
  7. मन की शांति: माँ योगिनी की पूजा से मन को शांति मिलती है।
  8. धन-धान्य की प्राप्ति: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
  9. बाधाओं का नाश: जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है।
  10. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  11. विवाह में सफलता: विवाह में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और सफलता मिलती है।
  12. आध्यात्मिक शक्ति: साधना में सफलता और आत्मिक शक्ति मिलती है।
  13. भय का नाश: जीवन के सभी प्रकार के भय समाप्त होते हैं।
  14. मनोबल में वृद्धि: मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  15. कर्म में सफलता: जीवन के सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  16. मंत्र सिद्धि: तंत्र-मंत्र में सिद्धि प्राप्त होती है।
  17. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  18. भौतिक सुख: जीवन में भौतिक सुख-शांति और समृद्धि मिलती है।
  19. मोक्ष की प्राप्ति: जन्म-मरण के बंधनों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  20. ज्ञान की प्राप्ति: ज्ञान और विवेक में वृद्धि होती है।

विधि

दिन: माँ योगिनी चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से शुक्रवार, अमावस्या, और पूर्णिमा के दिन को शुभ माना जाता है।

अवधि: इस चालीसा का पाठ एक माह तक लगातार करने से विशेष लाभ मिलता है।

मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में पाठ करना सर्वोत्तम है।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: एक स्थिर आसन पर बैठकर चालीसा का पाठ करें।
  3. ध्यान: पाठ के दौरान माँ योगिनी का ध्यान और उनके चित्र या प्रतिमा का पूजन करें।
  4. संयम: पाठ के दौरान संयम और श्रद्धा बनाए रखें।
  5. नियमितता: इस चालीसा का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।

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सावधानियाँ

  1. श्रद्धा और विश्वास: माँ योगिनी की पूजा करते समय श्रद्धा और विश्वास का होना आवश्यक है।
  2. आचरण: किसी भी प्रकार के दूषित विचारों या क्रोध को मन में न लाएं।
  3. स्थिरता: पाठ के दौरान मन को स्थिर रखें और ध्यान को भटकने न दें।
  4. पवित्रता: पाठ करते समय आसन और पूजा स्थान की पवित्रता बनाए रखें।
  5. व्रत: यदि संभव हो तो पाठ के दिन व्रत या उपवास रखें।

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माँ योगिनी चालीसा- पृश्न उत्तर

  1. माँ योगिनी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • किसी भी दिन, विशेष रूप से शुक्रवार, अमावस्या, और पूर्णिमा को।
  2. माँ योगिनी चालीसा का पाठ क्यों करें?
    • आध्यात्मिक उन्नति, सिद्धियों की प्राप्ति और संकटों से मुक्ति के लिए।
  3. माँ योगिनी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • दिन में एक बार नियमित रूप से करना लाभकारी होता है।
  4. क्या माँ योगिनी चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में करना उत्तम है।
  5. माँ योगिनी चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
    • कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।
  6. क्या माँ योगिनी चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
    • हाँ, स्वच्छता और ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
  7. क्या माँ योगिनी चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    • हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. क्या माँ योगिनी चालीसा का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?
    • हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।
  9. माँ योगिनी चालीसा का पाठ कहाँ करना चाहिए?
    • एक शांत और स्वच्छ स्थान पर।
  10. क्या माँ योगिनी चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
    • हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।
  11. क्या माँ योगिनी चालीसा का पाठ करने से धन प्राप्ति होती है?
    • हाँ, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  12. क्या माँ योगिनी चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति रहती है?
    • हाँ, पारिवारिक सुख और शांति प्राप्त होती है।

Mansa Devi Chalisa for Wishes

Mansa Devi Chalisa

माता मनसा देवी की चालीसा का पाठ मनुष्य की सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करता है। मनसा देवी जो नागदेवी और शिव पुत्री के रूप में पूजनीय हैं। मनसा देवी को नागों की देवी और सर्पदंश से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। उनका प्रमुख स्थान उत्तर भारत में है, जहां उन्हें भक्तों द्वारा विशेष रूप से नाग पंचमी और अन्य अवसरों पर पूजा जाता है। माता मनसा देवी की आराधना से विशेष रूप से सर्पदंश, बीमारियों और संकटों से मुक्ति मिलती है। 40 दिन तक लगातार पाठ करने से हर तरह की इच्छा पुर्ण होती है।

संपूर्ण मनसा देवी चालीसा

दोहा:
जय-जय मनसा देवी, जय-जय मां जगदंबा।
तुम हो करुणा की मूर्ति, संतन के लिए अम्बा॥

चौपाई:
जय मनसा जगत में तुम्हारा, संकट हरनि जननी भव तारिन।
नागों की तुम हो अधिष्ठात्री, सर्पदंश से तू रखवारी॥

तुम्हरी कृपा सदा जो पावें, अमंगल संकट कोई न आवें।
दीन दयालु दीनन के तुम, पालन हार जगत की माई॥

जगत जननी जगत की माई, संकट हरनी संकट हारिन।
कृपा करो हे माता मनसा, भक्तन की हो रक्षा माता॥

नागों की देवी जय माता, संकट हरनी तू जग माता।
तुम्हरे चरनन में जो शीश नवाए, भवसागर से पार लग जाए॥

सर्प विष का डर मिट जाता, जो भी मन से ध्यान लगाए।
मनसा देवी जय-जय माता, संकट हरनि संकट हारिन॥

तुम्हरी पूजा जो करता है, जीवन में सुख-शांति पाता है।
दुख दरिद्रता दूर हो जाए, जो सच्चे मन से तुम्हें बुलाए॥

तुम्हरी महिमा कौन बखाने, जगत जननी सब दुःख हरनी।
मनसा देवी तुम बड़भागी, संकट हरनि संकट हारिन॥

जग में तेरे नाम का डंका, संकट हरनि जननी भव तारिन।
तुम्हारी शरण जो जन आवे, उसके संकट सभी मिट जाए॥

तुम्हरी आरती जो गावे, भवसागर से तर जाए।
नागों की देवी जगत माई, संकट हरनि जननी भव तारिन॥

कृपा करो हे माता मनसा, भक्तन की हो रक्षा माता।
दीन दयालु दीनन की माई, संकट हरनि संकट हारिन॥

जय-जय माता मनसा भवानी, संकट हरनि संकट हारिन।
तुम्हारी शरण में जो आवे, भवसागर से तर जाए॥

मनसा देवी की महिमा न्यारी, संकट हरनि जननी भव तारिन।
तुम्हरी आरती जो गावे, भवसागर से तर जाए॥

संकट हरनी तू जग माता, कृपा करो हे माता मनसा।
जय-जय माता मनसा भवानी, संकट हरनि संकट हारिन॥

मनसा देवी चालीसा के लाभ

  1. सर्पदंश से रक्षा: मनसा देवी की पूजा से सर्पदंश का भय समाप्त हो जाता है।
  2. संकटों का नाश: जीवन के सभी संकटों और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।
  3. स्वास्थ्य में सुधार: बीमारियों और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
  4. शांति और सुख: मन की शांति और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: भक्तों को आध्यात्मिक जागरण और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  6. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  7. धन-धान्य की प्राप्ति: आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है।
  8. दुखों का नाश: जीवन के सभी दुख और क्लेश समाप्त हो जाते हैं।
  9. परिवार में समृद्धि: परिवार में समृद्धि और आपसी प्रेम बढ़ता है।
  10. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: विद्या, ज्ञान और विवेक में वृद्धि होती है।
  11. अकाल मृत्यु से रक्षा: अकाल मृत्यु और असमय संकटों से मुक्ति मिलती है।
  12. विवाह में बाधा का निवारण: विवाह में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है।
  13. बाधाओं का नाश: जीवन के सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।
  14. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं के बुरे प्रभाव से रक्षा होती है।
  15. घर में समृद्धि: घर में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है।
  16. मनोबल में वृद्धि: भक्तों के मनोबल और साहस में वृद्धि होती है।
  17. आध्यात्मिक मार्गदर्शन: भक्तों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
  18. भय का नाश: जीवन के सभी प्रकार के भय समाप्त होते हैं।
  19. मनोकामना पूर्ति: मनसा देवी की कृपा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  20. मोक्ष की प्राप्ति: मोक्ष की प्राप्ति और जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति होती है।

मनसा देवी चालीसा पाठ की विधि

दिन: मनसा देवी चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन नाग पंचमी, रविवार और मंगलवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

अवधि: मनसा देवी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्रातः काल में करना उत्तम माना जाता है।

मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय है।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. ध्यान: मनसा देवी का ध्यान करें और उनके चित्र या प्रतिमा के सामने बैठकर पाठ करें।
  3. श्रद्धा: पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ पाठ करें।
  4. स्थिरता: पाठ के दौरान स्थिरता और ध्यान केंद्रित रखें।
  5. उच्चारण: शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें।

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सावधानियाँ

  1. अवमानना न करें: श्रद्धा और सम्मान के साथ पाठ करें।
  2. जल्दीबाजी न करें: पाठ को धैर्यपूर्वक करें और हर शब्द का उच्चारण शुद्ध हो।
  3. निर्धारित स्थान: एक ही स्थान पर नियमित रूप से पाठ करें, जिससे उस स्थान की ऊर्जा सकारात्मक हो।
  4. ध्यान केंद्रित: पाठ के दौरान ध्यान भटकने न दें, और एकाग्रता बनाए रखें।
  5. स्वच्छता: अशुद्ध या अपवित्र अवस्था में पाठ न करें।

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पृश्न उत्तर

  1. मनसा देवी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • किसी भी दिन, विशेषकर नाग पंचमी, रविवार और मंगलवार को।
  2. मनसा देवी चालीसा का पाठ क्यों करें?
    • सर्पदंश से रक्षा, संकटों का नाश और मनोकामना पूर्ति के लिए।
  3. मनसा देवी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • दिन में एक बार नियमित रूप से करना लाभकारी होता है।
  4. क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • प्रातः काल और ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना सबसे उत्तम है।
  5. मनसा देवी चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
    • कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।
  6. क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
    • हाँ, केवल स्वच्छता और ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है।
  7. क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    • हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?
    • हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।
  9. मनसा देवी चालीसा का पाठ कहाँ करना चाहिए?
    • एक शांत और स्वच्छ स्थान पर।
  10. क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
    • हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।
  11. क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ करने से धन प्राप्ति होती है?
    • हाँ, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  12. क्या मनसा देवी चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति रहती है?
    • हाँ, पारिवारिक सुख और शांति प्राप्त होती है।

Chhaya Purush Sadhana Shivir at Vajreshwari

chhaya purush sadhana shivir

छाया पुरुष साधना, एक ऐसी विधि है जिसमे अपने ही शरीर की छाया के द्वारा मार्गदर्शन लिया जाता है। साधक आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक शक्ति प्राप्त करने के लिए इनकी साधना करते है। इस साधना का उद्देश्य अपनी छाया के माध्यम से एक अदृश्य सहायक पुरुष (छाया पुरुष) को जागृत करना होता है, जो साधक की सहायता और मार्गदर्शन करता है। यह साधना उन लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है जो अपनी आध्यात्मिक, मानसिक, आर्थिक व व्यावसायिक यात्रा में उन्नति चाहते हैं।

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छाया पुरुष साधना के लाभ

  1. आत्मज्ञान और अन्तर्दृष्टि (Intuitions): साधना के माध्यम से साधक को अत्यधिक स्पष्ट और सटीक अन्तर्दृष्टि प्राप्त होती है।
  2. ऊर्जा से मार्गदर्शन (Guidance from energy): छाया पुरुष, साधक को ऊर्जा के रूप में मार्गदर्शन करता है।
  3. बिजनेस में सहायता (Business assistance): यह साधना बिजनेस के निर्णय लेने में सहायता करती है।
  4. निर्णय लेने में मदद (Decision making): कठिन निर्णय लेने में छाया पुरुष सहायक सिद्ध होता है।
  5. डर दूर करना (Removing fear): छाया पुरुष साधना साधक के सभी डर और भय को दूर करने में मदद करती है।
  6. सहयोगी की तरह मदद (Assistance as a companion): छाया पुरुष एक अदृश्य सहयोगी के रूप में हमेशा साधक के साथ रहता है।
  7. नौकरी-बिजनेस में सफलता (Success in job and business): यह साधना नौकरी और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
  8. शत्रुओं को दूर करना (Removing enemies): साधक के शत्रुओं को दूर करने में छाया पुरुष मदद करता है।
  9. विघ्न बाधा दूर करना (Removing obstacles): जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं को छाया पुरुष साधना दूर करने में सक्षम है।
  10. तंत्र बाधा दूर करना (Removing tantra obstructions): तांत्रिक बाधाओं और ऊपरी बाधाओं को यह साधना दूर करती है।
  11. मुसीबतों से बचाना (Protecting from troubles): छाया पुरुष साधना मुसीबतों से बचाने में सहायक होती है।
  12. मानसिक शक्ति (Mental strength): साधना से मानसिक शक्ति और धैर्य का विकास होता है।
  13. आध्यात्मिक उन्नति (Spiritual advancement): साधक की आध्यात्मिक यात्रा में छाया पुरुष महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  14. विचार शक्ति में वृद्धि (Increase in thought power): साधना से विचार शक्ति और क्रियात्मकता में वृद्धि होती है।
  15. संकल्प शक्ति (Willpower): साधक की संकल्प शक्ति को दृढ़ और मजबूत बनाता है।
  16. ध्यान और एकाग्रता (Meditation and concentration): छाया पुरुष साधना से ध्यान और एकाग्रता की क्षमता बढ़ती है।

साधना की सिद्धि (Sadhana Siddhi)

इस साधना की सिद्धि प्राप्त करने के लिए साधक को 1,25,000 मंत्रों का जाप करना होता है। साधना के लिए आवश्यक होता है। इस शिविर २ दिन लगातार मंत्र का जप किया जाता है, सिर्फ ४ घंटा सोने मिलता है।

साधना शिविर

छाया पुरुष साधना को सीखने और इसे सही ढंग से करने के लिए इस विशेष साधना शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें भाग लेकर साधक इस साधना को गहराई से सीख सकते हैं। इसके अलावा, अब ऑनलाइन भी साधना के लिए भाग लिया जा सकता है।

यह साधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अपने जीवन में आत्मविश्वास, सफलता और सुरक्षा के साथ तरक्की चाहते हैं।

शिविर मे भाग लेने वालों के लिये

  • इस शिविर मे दो दिन तक खाने पीने व रहने की सुविधा दी गई है।
  • साधना करते समय ढीले ढाले वस्त्र पहने
  • ब्लू व ब्लैक रंग के कपड़े छोड़ कर कोई भी रंग का कपड़ा पहन सकते है।
  • साधना मे भाग लेने के लिये १ नारियल व २५० ग्राम गाय का घी लाना अनिवार्य है।
  • आप कोई भी कपड़े पहने, लेकिन साधना मे ढीले-ढाले वस्त्र पहनना है।
  • इस साधना मे छाया पुरुष साधना सामग्री (सिद्ध छाया पुरुष यंत्र, सिद्ध छाया पुरुष माला, छाया पुरुष पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, छाया पुरुष कवच) दी जाती है।

ऑनलाईन भाग लेने वालों के लिये

  • रजिस्ट्रेशन करने के बाद कोई भी भक्त भाग ले सकता है।
  • आपको अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र व फोटो WhatsApp पर भेजना होगा।
  • छाया पुरुष साधना सामग्री (सिद्ध छाया पुरुष यंत्र, सिद्ध छाया पुरुष माला, छाया पुरुष पारद गुटिका, सफेद-काली-लाल चिरमी दाना, आसन, सिद्ध गोमती चक्र, सिद्ध काली हल्दी, छाया पुरुष कवच) के साथ आपकी फोटो साधना हॉल मे रखी जाती है, जहां पर मंत्र का जाप किया जायेगा।
  • आपको उच्चारण के साथ मंत्र का ऑडियो WhatsApp द्वारा भेजा जायेगा।
  • दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसकी डिटेल जानकारी WhatsApp या फोन पर दी जायेगी।
  • जो मंत्र दिया जायेगा उसको अपने समय के अनुसार जाप कर सकते है। यानी आपका जो रुटीन कार्य है, वह करे और बीच बीच मे समय निकालकर मंत्र का जप करे।
  • मंत्र जप के दौरान ब्लू व ब्लैक कपड़े न पहने।
  • आपको दूसरे दिन दीक्षा दी जायेगी, इसका समय WhatsApp द्वारा दिया जायेगा। शाम के समय हवन होगा, जिसे यूट्यूब पर लाईव दिखाया जायेगा।
  • दूसरे दिन साधना समाप्त होने के २४ घंटे के अंदर किसी को खाने पीने वस्तु दान करे, पैसे दान न करे।
  • इसके बाद छाया पुरुष साधना सामग्री आपके घर पर विधि के साथ कुरियर से भे दी जाती है तथा बाकी की जानकारी WhatsApp पर दी जाती है।

नियम

  • २ दिन ब्रह्मचर्य रहे।
  • अपनी साधना गुप्त रखे।
  • मसालेदार चीजो का सेवन न करे।
  • धूम्रपान, मद्यपान व मांसाहार का सेवन न करे।
  • गुस्से पर नियंत्रण रखे।
  • जिस भी देवी को आप मानते है, उनसे अपने लिये साधना मे सफलता के मनोकामना करे।

Note

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Neel Saraswati Chalisa for Wisdom

Neel Saraswati Chalisa for Wisdom

योग्यता निखारने वाली नील सरस्वती चालीसा का पाठ जो भी भक्त कर लेता है उसके जीवन मे लगातार उन्नति होती रहती है। ये महाविद्या तारा का स्वरूप मानी जाती है। नील सरस्वती माता को विद्या, संगीत, कला और विज्ञान की देवी माना जाता है। नील सरस्वती का अर्थ है नीले रंग की सरस्वती, जो विशेष रूप से ज्ञान और वैदिक साधना के लिए पूजित होती हैं। इस चालीसा का पाठ करने से विद्यार्थियों को बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

संपूर्ण नील सरस्वती चालीसा

नील सरस्वती चालीसा के अंतर्गत देवी सरस्वती की स्तुति की जाती है। यहाँ संपूर्ण नील सरस्वती चालीसा दी जा रही है:

चौपाई:

श्री गणेश गुरु पद सिर नावा।

नील सरस्वती चालीसा गावाँ।

करूँ ध्यान धूम्रलोचन ताता।

हर शिव सुमिरौं भवानी माता।।

जय नील सरस्वती भवानी।

सुर नर मुनि जन पूजित जानी।

जयति जयति जगत जननी माता।

भव भय हारिणि दु:ख निस्ताता।।

काल रात्रि तूं कालिक काया।

विध्न विनाशिनी कष्ट हराया।

मंगल रूप अनंग बिनाशा।

विष्णु प्रिया सुख संपति दासा।।

मोहि प्रसन्न भव भव भय हारिणि।

विपद हर सुमिरौं भव तारिणि।

धूप दीप अरु नेवैध चढ़ाऊँ।

नील सरस्वती मातहि नित पाऊँ।।

चारों वेद पुराण जग माही।

सत सहस्त्र ओंकार कहाही।

जो नर जाप करै मन लाई।

सर्व सिद्ध करै सुख पाई।।

चतुराई विद्या बुधि बढ़ाई।

सकल कामना कष्ट मिटाई।

गायत्री बृह्मा वैष्णवी माता।

शिव के संग शंकरि सुख दाता।।

दीनदयालु मातु भवानी।

नित नव मंगल लीला ज्ञानी।

विपति बिनाशन वार्ता समुझाऊँ।

निज जन की सब विपति मिटाऊँ।।

हर शशि बदन तीन नयन सोहा।

शिवललाट पद पंकज सोहा।

कर त्रिशूल खड़ग वरदायी।

महिषासुर मर्दिनि दु:ख नाशिनी।।

बज्र शारदा शुम्भ निशुम्भ संहारी।

मधु कैटभ दैत्य दुखारी।

माँ विंध्यवासिनी पूजा करूँ।

सतत साधक के संकट हरूँ।।

सिद्धि दात्री जग कल्याणी।

नील सरस्वती कृपा सुखदानी।

जो जन जाप करै मन लाई।

सर्व सिद्धि करै सुख पाई।।

दोहा:

जेहि सुमिरत सिद्धि सब होत।

रिद्धि सँग सर्व विद्या देत।

रोग शोक सब मिटे समूल।

नाम जाप नित हिय अति कूल।।

नील सरस्वती चालीसा के लाभ

  1. बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति: नील सरस्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  2. विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद: यह चालीसा विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए लाभकारी मानी जाती है, जो पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते।
  3. मानसिक शांति: इसका पाठ मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  4. रचनात्मकता में वृद्धि: कला, संगीत और अन्य रचनात्मक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  5. संकटों से मुक्ति: जीवन के विभिन्न संकटों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
  6. शत्रु से रक्षा: शत्रुओं से रक्षा और उनसे छुटकारा मिलता है।
  7. तंत्र साधना में सफलता: तंत्र साधना करने वालों के लिए यह चालीसा विशेष रूप से फलदायी होती है।
  8. सकारात्मक ऊर्जा: घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  9. शुभ फल: जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  10. सफलता और समृद्धि: कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  11. संतान सुख: जिनके संतान नहीं है, उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है।
  12. दुश्मनों से मुक्ति: दुश्मनों और विरोधियों से मुक्ति मिलती है।
  13. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  14. धन-धान्य की वृद्धि: घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  15. मनोकामनाओं की पूर्ति: व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  16. शांति और सुख: घर में शांति और सुख का माहौल बनता है।
  17. दु:ख-दर्द का नाश: जीवन के सभी दु:ख-दर्द का नाश होता है।
  18. संतोष और आनंद: जीवन में संतोष और आनंद की प्राप्ति होती है।
  19. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और प्रगति होती है।
  20. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

विधि

नील सरस्वती चालीसा के पाठ की विधि बहुत ही सरल और प्रभावी है। इसे विधि-विधान से करने पर विशेष लाभ प्राप्त होता है।

पाठ के दिन:

  • सोमवार, बुधवार, और शुक्रवार को यह पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
  • पूर्णिमा, अमावस्या, और नवमी के दिन भी इसका विशेष महत्व है।

पाठ की अवधि:

  • नील सरस्वती चालीसा का पाठ नियमित रूप से 21 दिन, 40 दिन या 108 दिन तक किया जा सकता है।
  • विशेष परिस्थिति में इसे 108 बार लगातार एक दिन में भी किया जा सकता है।

मुहूर्त:

  • प्रातः काल का समय सर्वोत्तम होता है।
  • प्रातः 4 बजे से 6 बजे के बीच का ब्रह्म मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है।
  • यदि प्रातःकाल संभव नहीं हो तो संध्या समय भी उपयुक्त है।

नील सरस्वती चालीसा के नियम

  1. साफ-सफाई: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा की जगह: पूजा स्थान साफ-सुथरा हो और वहां नियमित रूप से धूप-दीप जलाएं।
  3. संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले देवी सरस्वती का ध्यान करते हुए संकल्प लें।
  4. शुद्ध उच्चारण: चालीसा का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए।
  5. आसन: पाठ करते समय आसन पर बैठें और ध्यान लगाकर पाठ करें।
  6. निर्धारित समय: पाठ के लिए एक निर्धारित समय तय करें और प्रतिदिन उसी समय पर पाठ करें।
  7. सात्विक भोजन: पाठ के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें।
  8. नियमितता: नियमितता बनाए रखें और किसी भी दिन पाठ न छोड़ें।
  9. ध्यान और साधना: पाठ के बाद कुछ समय ध्यान और साधना में बिताएं।
  10. श्रद्धा और विश्वास: श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।

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नील सरस्वती चालीसा की सावधानियाँ

  1. श्रद्धा और विश्वास: बिना श्रद्धा और विश्वास के पाठ करने से लाभ नहीं मिलता।
  2. स्वच्छता: पाठ के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  3. नियमितता: पाठ के दौरान नियमितता बनाए रखें, अनियमितता से बचें।
  4. शुद्ध उच्चारण: शुद्ध उच्चारण पर ध्यान दें, गलत उच्चारण से बचें।
  5. सात्विक आहार: सात्विक आहार का पालन करें, तामसिक भोजन से दूर रहें।
  6. ध्यान केंद्रित करें: पाठ के दौरान ध्यान केंद्रित रखें और अन्य विचारों को दूर रखें।
  7. पूजा सामग्री: पूजा सामग्री शुद्ध और ताजगी भरी हो।
  8. विनम्रता और आस्था: विनम्रता और आस्था के साथ पाठ करें, अहंकार से बचें।
  9. अनुशासन: अनुशासन में रहकर पाठ करें, किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता से बचें।
  10. परहेज: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार के नकारात्मक कार्यों से परहेज करें।

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नील सरस्वती चालीसा FAQ

  1. नील सरस्वती चालीसा क्या है?
    • नील सरस्वती चालीसा एक धार्मिक स्तोत्र है जिसमें देवी सरस्वती की स्तुति की जाती है।
  2. नील सरस्वती कौन हैं?
    • नील सरस्वती तंत्र साधना में पूजित देवी सरस्वती का एक विशेष रूप है।
  3. नील सरस्वती चालीसा का पाठ किस दिन करें?
    • सोमवार, बुधवार, शुक्रवार, पूर्णिमा, अमावस्या और नवमी को पाठ करना शुभ माना जाता है।
  4. नील सरस्वती चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
    • बुद्धि, ज्ञान, शांति, समृद्धि, संतान सुख, स्वास्थ्य लाभ और संकटों से मुक्ति मिलती है।
  5. नील सरस्वती चालीसा का पाठ कैसे करें?
    • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें, पूजा स्थल पर बैठकर श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  6. नील सरस्वती चालीसा का उच्चारण कैसे करें?
    • शुद्ध और स्पष्ट उच्चारण के साथ चालीसा का पाठ करें।
  7. नील सरस्वती चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • पाठ की अवधि 21 दिन, 40 दिन या 108 दिन हो सकती है। एक दिन में 108 बार भी पाठ किया जा सकता है।
  8. क्या नील सरस्वती चालीसा का पाठ हर किसी के लिए फायदेमंद है?
    • हां, यह चालीसा सभी के लिए फायदेमंद होती है, विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए।
  9. क्या नील सरस्वती चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • प्रातः काल का समय सर्वोत्तम है, परंतु संध्या समय भी उपयुक्त है।
  10. नील सरस्वती चालीसा का पाठ किस प्रकार की समस्याओं का समाधान करता है?
    • जीवन के सभी संकटों, शत्रुओं, शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान करता है।
  11. नील सरस्वती चालीसा का पाठ करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
    • श्रद्धा, विश्वास, स्वच्छता, शुद्ध उच्चारण, और नियमितता का पालन करना चाहिए।
  12. नील सरस्वती चालीसा का पाठ कितने दिन तक करना चाहिए?
    • पाठ को 21, 40, या 108 दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।

Santa Ravidas Chalisa for Devotion & Spiritual Growth

Santa Ravidas Chalisa for Devotion & Spiritual Growth

संत रविदास चालीसा का पाठ करने शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक शक्तियां बढती है। संत रविदास जी एक महान कवि और समाज सुधारक थे जिन्होंने अपने जीवन के माध्यम से सामाजिक समानता और भक्ति मार्ग का प्रचार किया। संत रविदास चालीसा का पाठ करने से मन को शांति, आत्मिक संतोष और भक्ति की प्राप्ति होती है।

संपूर्ण संत रविदास चालीसा

दोहा:
जय जय रविदास जी महाराज, जनम जनम के संकट हारो।
कृपा करहु अब मोहि पर, दीनन को उद्धारो॥

चौपाई:
जय जय संत शिरोमणि, गुरु रविदास तुम्हार।
स्मरण तुम्हारो जो करे, भवसागर से पार॥

सर्व विद्या के ज्ञाता, तुम परम पंडित ज्ञानी।
मोह माया को त्याग कर, सदा रहो वैरागी॥

सकल सृष्टि के पालक, तुम हो अद्भुत ज्ञानी।
तुम्हरे उपदेश से ही, मिटे जनम के बंधन॥

जनम के कारण सारे, मिटी सकल विषाद।
संतों की तुम शरण में, मिला हमें विश्राम॥

अज्ञानता का नाश कर, ज्ञान का दीप जलाया।
असुर माया को त्याग कर, सच्ची राह दिखाया॥

गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह शीश नवाय।
तुम्हारे उपदेश से ही, मिला हमें भगवान॥

तुम्हारी महिमा गाते, नहीं थकते कंठ।
संत शिरोमणि तुम्हारे, चरणों में यह मस्तक॥

भक्ति का मार्ग दिखाया, सच्चा सुख का भंडार।
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह संसार॥

तुम्हारे उपदेश से ही, मिला हमें सच्चा ज्ञान।
तुम्हारे चरणों में ही, मिला हमें भगवान॥

भक्ति का दीप जलाया, मन का किया उद्धार।
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह संसार॥

तुम्हारी महिमा गाते, नहीं थकते कंठ।
संत शिरोमणि तुम्हारे, चरणों में यह मस्तक॥

सकल सृष्टि के पालक, तुम हो अद्भुत ज्ञानी।
तुम्हरे उपदेश से ही, मिटे जनम के बंधन॥

जनम के कारण सारे, मिटी सकल विषाद।
संतों की तुम शरण में, मिला हमें विश्राम॥

अज्ञानता का नाश कर, ज्ञान का दीप जलाया।
असुर माया को त्याग कर, सच्ची राह दिखाया॥

गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह शीश नवाय।
तुम्हारे उपदेश से ही, मिला हमें भगवान॥

तुम्हारी महिमा गाते, नहीं थकते कंठ।
संत शिरोमणि तुम्हारे, चरणों में यह मस्तक॥

भक्ति का मार्ग दिखाया, सच्चा सुख का भंडार।
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह संसार॥

तुम्हारे उपदेश से ही, मिला हमें सच्चा ज्ञान।
तुम्हारे चरणों में ही, मिला हमें भगवान॥

भक्ति का दीप जलाया, मन का किया उद्धार।
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह संसार॥

संत रविदास चालीसा के लाभ

  1. मानसिक शांति: मन को शांति और संतोष मिलता है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  3. समाज में समानता: सामाजिक समानता का संदेश मिलता है।
  4. सच्चे मार्ग की प्राप्ति: सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
  5. भक्ति में वृद्धि: भगवान की भक्ति में वृद्धि होती है।
  6. दुखों का नाश: जीवन के सभी दुखों और संकटों का नाश होता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।
  8. ज्ञान की प्राप्ति: आध्यात्मिक ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
  9. शांति और सद्भाव: शांति और सद्भाव का वातावरण बनता है।
  10. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में वृद्धि होती है।
  11. मनोबल में वृद्धि: मनोबल और साहस में वृद्धि होती है।
  12. आध्यात्मिक मार्गदर्शन: आत्मिक मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती है।
  13. संकटों से मुक्ति: जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है।
  14. धार्मिक आस्था: धार्मिक आस्था और विश्वास में वृद्धि होती है।
  15. धैर्य और सहनशीलता: धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि होती है।
  16. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सद्भाव बढ़ता है।
  17. सद्गुणों की प्राप्ति: जीवन में सद्गुणों की प्राप्ति होती है।
  18. आध्यात्मिक जागरण: आत्मिक जागरण और आध्यात्मिक अनुभूति होती है।
  19. मोक्ष की प्राप्ति: मोक्ष की प्राप्ति और जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति होती है।
  20. सच्चे ज्ञान की प्राप्ति: सच्चे ज्ञान और दिव्यता की प्राप्ति होती है।

संत रविदास चालीसा पाठ की विधि

दिन: संत रविदास चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से रविवार को पाठ करना लाभकारी माना जाता है।

अवधि: संत रविदास चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्रातः काल में करना उत्तम माना जाता है।

मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय है।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. ध्यान: संत रविदास जी का ध्यान करें।
  3. श्रद्धा: पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ पाठ करें।
  4. स्थिरता: पाठ के दौरान स्थिरता और ध्यान केंद्रित रखें।
  5. उच्चारण: शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें।

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सावधानियाँ

  1. अवमानना न करें: श्रद्धा और सम्मान के साथ पाठ करें।
  2. जल्दीबाजी न करें: पाठ को धैर्यपूर्वक करें।
  3. निर्धारित स्थान: एक ही स्थान पर नियमित रूप से पाठ करें।
  4. ध्यान केंद्रित: पाठ के दौरान ध्यान भटकने न दें।
  5. स्वच्छता: अशुद्ध या अपवित्र अवस्था में पाठ न करें।

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संत रविदास चालीसा FAQs

  1. संत रविदास चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • किसी भी दिन, विशेषकर रविवार को।
  2. संत रविदास चालीसा का पाठ क्यों करें?
    • मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति और सामाजिक समानता के लिए।
  3. संत रविदास चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • दिन में एक बार नियमित रूप से करना लाभकारी होता है।
  4. क्या संत रविदास चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • प्रातः काल और ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना सबसे उत्तम है।
  5. संत रविदास चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
    • कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।
  6. संत रविदास चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति, सामाजिक समानता और संकट निवारण।
  7. क्या संत रविदास चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
    • हाँ, केवल स्वच्छता और ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है।
  8. क्या संत रविदास चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    • हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. क्या संत रविदास चालीसा का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?
    • हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।
  10. संत रविदास चालीसा का पाठ कहाँ करना चाहिए?
    • एक शांत और स्वच्छ स्थान पर।
  11. क्या संत रविदास चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
    • हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।
  12. क्या संत रविदास चालीसा का पाठ करने से धन प्राप्ति होती है?
    • हाँ, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  13. क्या संत रविदास चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति रहती है?
    • हाँ, पारिवारिक सुख और शांति प्राप्त होती है।
  14. क्या संत रविदास चालीसा का पाठ किसी विशेष भाषा में करना चाहिए?
    • मूल हिंदी भाषा में पाठ करना उत्तम है।

How to get benefits from Siddhi Vinayak Chalisa Path?

How to get benefits from Siddhi Vinayak Chalisa Path?

सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ मनोकामना पूरी करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। सिद्धि विनायक भगवान गणेश का एक प्रसिद्ध रूप हैं, जिन्हें विशेष रूप से संकटों का निवारण करने और सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करने के लिए पूजा जाता है। सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी विघ्नों का नाश होता है।

संपूर्ण सिद्धिविनायक चालीसा

दोहा:
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

चौपाई:
जय गणेश गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे, काँधे मूँज जनेउ साजे।
संकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग बंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा।
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र के काज सवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये, श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा॥

यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबी कोबिद कहि सके कहाँ ते।
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं।
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपे, तीनों लोक हाँक ते काँपे।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै, सोय अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा।
साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।
जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

सिद्धिविनायक चालीसा के लाभ

  1. संकटों का नाश: जीवन में आने वाले सभी संकटों और बाधाओं का नाश होता है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  3. सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. धन और समृद्धि: धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  6. मनोकामनाओं की पूर्ति: मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  7. विघ्नों का निवारण: सभी प्रकार के विघ्नों और बाधाओं का निवारण होता है।
  8. शत्रु पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  9. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  10. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  11. पारिवारिक सुख: पारिवारिक सुख और शांति में वृद्धि होती है।
  12. धार्मिक आस्था: धार्मिक आस्था और विश्वास में वृद्धि होती है।
  13. ज्ञान की प्राप्ति: ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
  14. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।
  15. आत्म-साक्षात्कार: आत्म-साक्षात्कार और आत्मज्ञान होता है।
  16. सत्संग का लाभ: सत्संग और संतों का सानिध्य प्राप्त होता है।
  17. भय का नाश: सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  18. कर्मों का सुधार: कर्मों में सुधार और श्रेष्ठता प्राप्त होती है।
  19. मुक्ति: मोक्ष की प्राप्ति और जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति होती है।
  20. भक्ति में वृद्धि: भगवान गणेश की भक्ति में वृद्धि होती है।

सिद्धिविनायक चालीसा पाठ की विधि

दिन: मंगलवार और बुधवार को विशेष रूप से पाठ करना लाभकारी होता है, लेकिन इसे किसी भी दिन किया जा सकता है।

अवधि: सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने की कोई निश्चित अवधि नहीं है। इसे प्रतिदिन करना उत्तम है।

मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. ध्यान: भगवान गणेश का ध्यान करें।
  3. श्रद्धा: पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ पाठ करें।
  4. स्थिरता: पाठ के दौरान स्थिरता और ध्यान केंद्रित रखें।
  5. उच्चारण: शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें।

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सावधानियाँ

  1. अवमानना न करें: श्रद्धा और सम्मान के साथ पाठ करें।
  2. जल्दीबाजी न करें: पाठ को धैर्यपूर्वक करें।
  3. निर्धारित स्थान: एक ही स्थान पर नियमित रूप से पाठ करें।
  4. ध्यान केंद्रित: पाठ के दौरान ध्यान भटकने न दें।
  5. स्वच्छता: अशुद्ध या अपवित्र अवस्था में पाठ न करें।

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सिद्धिविनायक चालीसा पृश्न उत्तर

  1. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • किसी भी दिन, विशेषकर मंगलवार और बुधवार को।
  2. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ क्यों करें?
    • संकट निवारण और कार्यों में सफलता के लिए।
  3. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • दिन में एक बार नियमित रूप से करना लाभकारी होता है।
  4. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना सबसे उत्तम है।
  5. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
    • कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।
  6. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • मानसिक शांति, संकट निवारण और आध्यात्मिक उन्नति।
  7. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
    • हाँ, केवल स्वच्छता और ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है।
  8. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    • हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?
    • हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।
  10. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ कहाँ करना चाहिए?
    • एक शांत और स्वच्छ स्थान पर।
  11. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
    • हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।
  12. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने से धन प्राप्ति होती है?
    • हाँ, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

How to get benefits from Tulsidas Chalisa?

How to get benefits from Tulsidas Chalisa?

तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से बहुत ही जल्द मनोकामना पूर्ण हो जाती है। ये भारतीय साहित्य के महान कवि और संत माने जाते हैं जिन्होंने रामचरितमानस जैसे अमर ग्रंथ की रचना की। इस चालीसा के पाठ से मन शांत होकर अध्यात्मिक शक्ति बढती है।

तुलसीदास चालीसा

दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

चौपाई:
सियावर रामचन्द्र के चरणों में प्रणाम।
तुलसी का चालीसा करो, सब दुख होंगे काम॥

संतन के सब सुख दाता, तुलसी दास महान।
राम नाम के प्रेम में, हरी लियो जान॥

रामचरितमानस लिखे, कृपा करी हनुमान।
भक्ति का जो दीप जले, जगमग होय जहान॥

साक्षात् राम के दास, तुलसी जिनका नाम।
उनकी वाणी अमृत, हर लेती सब क्लेश तमाम॥

श्रीरामचन्द्र की कृपा, तुलसी को रही विशेष।
राम नाम में लीन, रहे सदा, हुए हरि विशेष॥

संत तुलसी का यश गान, करते सब जन।
तुलसी की कृपा से, मिलता हर कष्ट हरक्षण॥

राम भक्ति में लीन, तुलसी की महिमा अपरंपार।
राम नाम में मस्त, रहे सदा, अजर अमर॥

श्रीराम के चरणों में, तुलसी को मिला स्थान।
राम भक्ति में रम गए, तुलसी के बड़भाग॥

तुलसी की वाणी सुमधुर, जैसे बहे अमृत धारा।
रामचरितमानस की रचना, जैसे हो अंबार खजाना॥

तुलसी के चरणों में, हम करें बारंबार।
उनकी कृपा से मिटें, सब क्लेश और विकार॥

हे तुलसी दास कृपालु, हमें दो अपना आश्रय।
राम भक्ति में लीन, रहे सदा, तुम्हारे चरणों में॥

तुलसी की महिमा गाएं, करें सदैव स्मरण।
उनकी कृपा से हो सब काज, निवारण सारा दारुण॥

हे तुलसी महाराज, तुम हो हमारे प्राण।
तुम्हारी कृपा से ही, हो सब साकार विधान॥

हे राम के दास, तुलसी दास कृपालु।
हम पर करो कृपा, हर लो सब विकार अनकुल॥

संत तुलसी की वाणी, जैसे बहे गंगा जल।
उनकी कृपा से हो सब, निर्मल, अजर अमर॥

हे तुलसी महाराज, तुम हो भक्तों के धाम।
तुम्हारी कृपा से ही, मिले सबको सुख अयाम॥

रामचरितमानस की रचना, तुलसी का महान कार्य।
तुलसी की महिमा से, मिले सबको जीवन में प्यार॥

तुलसी की कृपा से, हर हो सब संकट।
राम नाम में लीन, रहे सदा, हर कष्ट विपत॥

तुलसी का नाम जपे, मिटे सब अज्ञान।
तुलसी की कृपा से, मिले सारा जहान॥

जय श्री राम के भक्त, तुलसी का गुण गाएं।
उनकी कृपा से, हो सब सुख और चैन पाएँ॥

संत तुलसी की महिमा, जैसे सागर गहरा।
उनकी कृपा से हो, सब संताप और क्लेश ठहरा॥

राम भक्त तुलसी की वाणी, अमृत जैसे बहें।
तुलसी की कृपा से, हो सब कष्ट और क्लेश न सहें॥

हे तुलसी दास कृपालु, हमें दो अपना आशीर्वाद।
राम भक्ति में लीन, रहे सदा, तुम्हारे चरणों में साद॥

दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  2. मानसिक शांति: इसका नियमित पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  3. कष्टों से मुक्ति: इसके पाठ से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  4. संकटों का निवारण: सभी प्रकार के संकटों का निवारण होता है।
  5. भय का नाश: सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  6. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  7. स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  9. धन और समृद्धि: धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  10. पारिवारिक सुख: पारिवारिक सुख और शांति में वृद्धि होती है।
  11. सफलता: कार्यों में सफलता मिलती है।
  12. शत्रु पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  13. सत्संग का लाभ: सत्संग का लाभ मिलता है।
  14. रामभक्ति: रामभक्ति में वृद्धि होती है।
  15. कर्मों का सुधार: कर्मों में सुधार होता है।
  16. मानसिक स्थिरता: मानसिक स्थिरता में वृद्धि होती है।
  17. ज्ञान की प्राप्ति: ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  18. आत्म-साक्षात्कार: आत्म-साक्षात्कार होता है।
  19. धार्मिक आस्था: धार्मिक आस्था में वृद्धि होती है।
  20. मुक्ति: मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पाठ की विधि

दिन: मंगलवार और शनिवार को तुलसीदास चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है, लेकिन इसे किसी भी दिन किया जा सकता है।

अवधि: तुलसीदास चालीसा का पाठ करने की कोई निश्चित अवधि नहीं है। इसे प्रतिदिन करना लाभकारी होता है।

मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) तुलसीदास चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है।

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नियम

  1. स्वच्छता: पाठ करने से पहले स्नान कर लेना चाहिए।
  2. शुद्ध वस्त्र: स्वच्छ और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  3. ध्यान: पाठ से पहले तुलसीदास जी का ध्यान करें।
  4. समर्पण: पाठ को पूरे समर्पण और विश्वास के साथ करें।
  5. स्थिरता: पाठ के दौरान स्थिर रहें और मन को केंद्रित रखें।
  6. उच्चारण: शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें।

सावधानियाँ

  1. अवमानना न करें: तुलसीदास चालीसा का पाठ श्रद्धा और सम्मान के साथ करें।
  2. जल्दीबाजी न करें: पाठ करते समय जल्दबाजी न करें।
  3. निर्धारित स्थान: एक ही स्थान पर नियमित रूप से पाठ करें।
  4. ध्यान केंद्रित: पाठ के दौरान ध्यान भटकने न दें।
  5. आत्मा की शांति: पाठ के बाद कुछ देर ध्यान करें।

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तुलसीदास चालीसा पृश्न उत्तर

  1. तुलसीदास चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • किसी भी दिन, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को।
  2. तुलसीदास चालीसा का पाठ क्यों करें?
    • आध्यात्मिक उन्नति और संकट निवारण के लिए।
  3. तुलसीदास चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • दिन में एक बार, नियमित रूप से करना उत्तम है।
  4. क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे उत्तम है।
  5. तुलसीदास चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
    • कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।
  6. तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • मानसिक शांति, संकटों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति।
  7. क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
    • हाँ, केवल स्वच्छता और ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है।
  8. क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में लाभ होता है?
    • हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. तुलसीदास चालीसा का पाठ करने के बाद क्या करें?
    • ध्यान करें और तुलसीदास जी का आशीर्वाद लें।
  10. क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से धन और समृद्धि मिलती है?
    • हाँ, इसका नियमित पाठ धन और समृद्धि में वृद्धि करता है।
  11. क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है?
    • हाँ, इसके पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  12. तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से पारिवारिक सुख मिलता है?
    • हाँ, इसका नियमित पाठ पारिवारिक सुख और शांति लाता है।