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Hanuman jayanti Pujan mystery

हनुमान जयंती पूजन- नकारात्मक उर्जा को नष्ट करने के लिये

हनुमान जयंती पूजन बहुत ही शक्तिशाली पूजन माना जाता है। ये पूजन मनुष्य की सुरक्षा के लिये बहुत ही जरूरी है। ये जयंती हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है और यह त्योहार हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। हनुमान जी को भगवान राम के विशेष भक्त माना जाता है और उन्हें शक्ति, साहस, और वीरता का प्रतीक माना जाता है।

हनुमान जयंती को विशेष उत्सव और पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाता है। लोग हनुमान जी के मंदिर जाकर उन्हें फल, पुष्प, और लाल रंग की माला चढ़ाते हैं। इस दिन भजन-कीर्तन और भगवद गीता के पाठ किए जाते हैं।

हनुमान जयंती त्योहार

हनुमान जयंती को पारंपरिक रूप से भारत भर में मनाया जाता है, लेकिन इसे विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से मनाया जा सकता है। यह त्योहार भक्तों के लिए एक आनंदमय दिन होता है जब वे हनुमान जी की पूजा और अर्चना करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

हनुमान जयंती हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन भगवान हनुमान के भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाते हैं। यह त्योहार भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद के लिए विशेष महत्व रखता है।

हनुमान जी की पूजा और मंत्रों का जाप करने से उनके भक्तों को शांति, सुख, समृद्धि, और आरोग्य की प्राप्ति होती है। नीचे एक साधारण हनुमान जी की पूजा विधि दी गई है जो आप अपने घर पर कर सकते हैं:

हनुमान जी की पूजा विधि

  1. पूजा के लिए साफ़ और शुद्ध स्थान चुनें।
  2. हनुमान जी की मूर्ति या फोटो के सामने आसन पर बैठें।
  3. पूजा के लिए पूजन सामग्री जैसे दीपक, धूप, अगरबत्ती, सिंदूर, रोली, चावल, फूल, नरियल, पान, सुपारी, इत्यादि तैयार करें।
  4. सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।
  5. फिर हनुमान जी की मूर्ति या फोटो को साफ पानी से धोकर पुनः स्नान कराएं।
  6. उसके बाद हनुमान जी को दूध, घी, शहद का भोग चढ़ाएं।
  7. अब पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य चढ़ाएं।
  8. फिर “ॐ हं हनुमते फ्रौं नमः” (om hamm hanumante froum namaha) मंत्र का 108 बार जाप करें।
  9. समाप्ति में आरती उतारें और प्रसाद बाँटें।

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हनुमान जयंती पूजन से लाभ

  • संतोष और सादगी: पूजा से व्यक्ति को जीवन में संतोष, सादगी और संतुलन की प्राप्ति होती है।
  • शत्रु नाश: भगवान हनुमान की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति को शांति मिलती है।
  • भय से मुक्ति: हनुमान जी के भक्त भयमुक्त रहते हैं और जीवन की चुनौतियों का साहसपूर्वक सामना करते हैं।
  • मानसिक शांति: पूजा करने से मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है, और मन शांत होता है।
  • शारीरिक शक्ति: हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति को शारीरिक बल और ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: हनुमान जी की पूजा से व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर उन्नति मिलती है।
  • कार्य में सफलता: पूजा करने से जीवन के कार्यों में सफलता और प्रगति प्राप्त होती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: हनुमान जी की कृपा से सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  • संकट से रक्षा: हनुमान जी संकट मोचन हैं, उनकी पूजा से सभी संकटों से रक्षा होती है।
  • विवादों से मुक्ति: पारिवारिक और सामाजिक विवादों से छुटकारा मिलता है।
  • धन और समृद्धि: हनुमान जी की पूजा से धन की प्राप्ति होती है और जीवन में समृद्धि आती है।
  • भक्ति और विश्वास में वृद्धि: व्यक्ति की भक्ति और भगवान में विश्वास मजबूत होता है।
  • संतान सुख: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को हनुमान जी की कृपा से संतान सुख मिलता है।
  • कुंडली दोषों का निवारण: पूजा करने से कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों का निवारण होता है।
  • यात्रा में सुरक्षा: हनुमान जी की कृपा से लंबी यात्राओं में भी सुरक्षा बनी रहती है।
  • ज्ञान की प्राप्ति: हनुमान जी की पूजा से बुद्धि और विवेक का विकास होता है।
  • प्रेम और सौहार्द में वृद्धि: पारिवारिक प्रेम और आपसी संबंधों में सौहार्द बना रहता है।

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Shri Ram navami mantra For Spiritual Growth

Shri Ram navami mantra For Spiritual Growth

श्री रामनवमी मंत्र: कार्य सिद्धि और जीवन में शांति का अद्भुत साधन

Shri Ram navami mantra भगवान राम की कृपा प्राप्त करने का शक्तिशाली माध्यम है। यह मंत्र श्रीराम की शक्ति, धैर्य और धर्म का प्रतीक है। इसका जप भक्तों को जीवन में सफलता, शांति, और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाता है। रामनवमी के पावन अवसर पर इस मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है।


विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:
“ॐ अस्य श्री रामनवमी मंत्रस्य, महर्षिः वाल्मीकि, देवता श्रीरामचन्द्रः, छन्दः अनुष्टुप्, विनियोगः सर्व कार्य सिद्धये।”

अर्थ:
इस विनियोग मंत्र का अर्थ है कि इस मंत्र का जप भगवान श्रीराम की कृपा से सभी कार्य सिद्धि और बाधाओं से मुक्ति के लिए किया जाता है।


दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:
“ॐ हं हं हनुमते नमः। दिशाः शुद्धिः। दिशाबंधः। दिशास्तु रक्षतु। सर्व कार्य सिद्धिं करोति।”

अर्थ:
यह मंत्र दसों दिशाओं को शुद्ध कर, भगवान हनुमान की कृपा से कार्य सिद्धि और सुरक्षा प्रदान करता है।


श्री रामनवमी मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
“॥ॐ रीं रां रामाय सर्व कार्य सिद्धिं देही देही नमः॥”

संपूर्ण अर्थ:
यह मंत्र भगवान श्रीराम को समर्पित है। इसका गहन अर्थ है:

  • “ॐ” ब्रह्मांड की ऊर्जा और ईश्वर का प्रतीक है।
  • “रीं” और “रां” भगवान राम की शक्ति और दिव्यता का बीज मंत्र है।
  • “रामाय” भगवान राम के प्रति श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है।
  • “सर्व कार्य सिद्धिं” का अर्थ है सभी कार्यों में सफलता।
  • “देही देही” प्रार्थना और कृपा की याचना का प्रतीक है।
  • “नमः” विनम्रता और समर्पण का संकेत है।

अर्थ को सरल शब्दों में समझें:
“हे भगवान राम, मैं आपकी शरण में हूं। कृपया मुझे सभी कार्यों में सफलता प्रदान करें और मेरा मार्गदर्शन करें।”

इस मंत्र का उच्चारण भक्त के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, मानसिक शांति प्रदान करता है और सभी बाधाओं को दूर करता है। यह मंत्र भगवान राम की अनुकंपा प्राप्त करने का अचूक साधन है।


जप काल में इन चीजों का सेवन ज्यादा करें

  1. सात्विक आहार जैसे फल, दूध, और सूखे मेवे।
  2. तुलसी के पत्ते।
  3. गंगाजल।
  4. देशी घी।
  5. नारियल पानी।

श्री रामनवमी मंत्र के लाभ

  • मन की शांति प्राप्त होती है।
  • कार्यों में सफलता मिलती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से बचाव।
  • आत्मबल में वृद्धि।
  • आर्थिक उन्नति।
  • घर में सुख-शांति।
  • शत्रुओं से रक्षा।
  • जीवन में स्थिरता।
  • मानसिक तनाव से मुक्ति।
  • आध्यात्मिक प्रगति।
  • पारिवारिक खुशहाली।
  • स्वास्थ्य में सुधार।
  • बुरी नजर से बचाव।
  • संतान सुख प्राप्त होता है।
  • रिश्तों में सुधार।
  • शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • बाधाओं का निवारण।
  • सकारात्मक सोच विकसित होती है।

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

सामग्री:

  • भगवान श्रीराम की मूर्ति या चित्र।
  • तुलसी के पत्ते।
  • धूप और दीपक।
  • रोली और अक्षत।
  • गंगाजल।

मंत्र जप विधि:

  1. शुभ मुहूर्त में पूजा करें।
  2. श्रीराम की मूर्ति पर जल और अक्षत अर्पित करें।
  3. मंत्र का जप 9 दिनों तक रोज 20 मिनट करें।

नियम

  1. जपकर्ता की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष कोई भी जप कर सकता है।
  3. नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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मंत्र जप में सावधानियां

  • जप के दौरान एकाग्रता बनाए रखें।
  • मंत्र का उच्चारण सही ढंग से करें।
  • नियमित समय पर जप करें।
  • पवित्र स्थान पर ही जप करें।

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प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: श्री रामनवमी मंत्र का क्या लाभ है?
उत्तर: यह मंत्र मन की शांति और सफलता प्रदान करता है।

प्रश्न 2: मंत्र का सही उच्चारण कैसे करें?
उत्तर: मंत्र का उच्चारण धीमी और स्पष्ट आवाज़ में करें।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएं भी यह जप कर सकती हैं।

प्रश्न 4: जप का समय क्या होना चाहिए?
उत्तर: सुबह या शाम का समय सबसे उचित है।

प्रश्न 5: मंत्र जप के लिए कौन-कौन से नियम हैं?
उत्तर: सात्विक जीवनशैली और पवित्रता का पालन करें।

प्रश्न 6: क्या यह मंत्र धन प्राप्ति में सहायक है?
उत्तर: हां, यह आर्थिक उन्नति में सहायक है।

प्रश्न 7: मंत्र जप के लिए कितने दिन आवश्यक हैं?
उत्तर: 9 दिनों तक रोज 20 मिनट जप करें।

प्रश्न 8: क्या यह मंत्र स्वास्थ्य सुधार में मदद करता है?
उत्तर: हां, यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधार में सहायक है।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र का जप नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है?
उत्तर: हां, यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

प्रश्न 10: क्या बच्चे इस मंत्र का जप कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, यह जप 20 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए है।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र का जप करने के लिए ब्रह्मचर्य आवश्यक है?
उत्तर: हां, ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

प्रश्न 12: क्या यह मंत्र पारिवारिक खुशहाली प्रदान करता है?
उत्तर: हां, यह मंत्र पारिवारिक सुख-शांति लाता है।

Mata kalratri mantra for freedom from troubles

हर तरह के संकटों से मुक्त करने वाली कालरात्रि माता, जिन्हें काली माता भी कहा जाता है, वह शक्ति और पराक्रम की देवी हैं जो भयानक रूप में दिखाई देती है। कालरात्रि माता की साधना एवं मंत्र का उपयोग लोग संकटों से मुक्ति, रक्षा और समृद्धि के लिए करते हैं। नवरात्रि मे सातवे दिन इनकी पूजा की जाती है।

कालरात्रि माता मंत्र

ॐ ह्रीं कालरात्रे नमः (Om Hreem Kalratre Namah)

कालरात्रि माता के मंत्र का उपयोग कई लाभ प्रदान करता है। ये मंत्र भक्ति और साधना में शक्ति प्रदान करते हैं और साथ ही अन्य कई लाभ भी देते हैं। यहां कुछ मुख्य लाभ दिए जा रहे हैं जो कालरात्रि माता के मंत्र से प्राप्त होते हैं:

  1. रक्षा: कालरात्रि माता के मंत्र का जाप करने से रक्षा और सुरक्षा मिलती है। यह नकारात्मक ऊर्जा और कठिनाइयों से बचाव करने में मदद करता है।
  2. संकट से मुक्ति: इन मंत्रों का नियमित जप करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  3. आर्थिक समृद्धि: कालरात्रि माता के मंत्र का जाप करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
  4. शांति: ये मंत्र मन को शांति और स्थिरता प्रदान करते हैं और चिंताओं से मुक्ति दिलाते हैं।
  5. शक्ति: कालरात्रि माता के मंत्र का जाप करने से आत्मा में ऊर्जा का विकास होता है और व्यक्ति में सकारात्मक बदलाव आता है।
  6. दुःख निवारण: इन मंत्रों का जाप करने से दुःखों का निवारण होता है और जीवन में खुशियां आती हैं।
  7. स्वास्थ्य: कालरात्रि माता के मंत्र का जाप करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. कार्य सिद्धि: ये मंत्र कार्यों को सिद्ध करने में मदद करते हैं और सफलता प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
  9. ध्यान संबल: कालरात्रि माता के मंत्र का जाप करने से ध्यान करने की शक्ति बढ़ती है।
  10. कर्म फल: इन मंत्रों का नियमित जप करने से कर्म फल की प्राप्ति होती है और पाप कर्म नष्ट होते है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1माता कालरात्रि मंत्र: अक्सर पूछे जाने वाले 12 प्रश्न

1. माता कालरात्रि का मंत्र क्या है?

माता कालरात्रि का प्रसिद्ध मंत्र है:
॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे स्वाहा ॥
यह मंत्र शक्तिशाली है और विशेष साधना के लिए उपयोगी है।

2. माता कालरात्रि मंत्र का महत्व क्या है?

यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है, भय दूर करता है और अद्भुत आत्मबल प्रदान करता है।

3. इस मंत्र का उपयोग किस समय करना चाहिए?

इस मंत्र का जप रात्रि में 9 बजे से 12 बजे के बीच करना शुभ माना जाता है।

4. क्या माता कालरात्रि मंत्र किसी भी स्थान पर जपा जा सकता है?

साफ, शांत और पूजा के लिए पवित्र स्थान का चयन करें। यह सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है।

5. मंत्र जप के लिए कितनी माला आवश्यक होती है?

साधक को प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए। माला का उपयोग फोकस बढ़ाता है।

6. क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

हां, महिलाएं भी यह मंत्र जप सकती हैं। पवित्रता और निष्ठा बनाए रखना आवश्यक है।

7. इस मंत्र से क्या लाभ प्राप्त होते हैं?

यह मंत्र दुश्मनों से रक्षा करता है, भय हटाता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।

8. क्या मंत्र जप में विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?

सफेद या लाल वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

9. क्या मंत्र जप में किसी सामग्री की आवश्यकता होती है?

दीपक, लाल फूल और धूप का उपयोग शुभ माना जाता है।

10. मंत्र जप के नियम क्या हैं?

निर्धारित समय, संयम और नियमितता आवश्यक है।

11. क्या इस मंत्र का प्रभाव तुरंत होता है?

साधक की श्रद्धा और निष्ठा के आधार पर प्रभाव दिखता है।

12. क्या माता कालरात्रि मंत्र सभी समस्याओं का समाधान करता है?

यह मंत्र मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है, लेकिन कर्म के महत्व को समझना चाहिए।

Mata katyayani mantra for relationship

माता कात्यायनी दुर्गा के नौ रूपों में से छठा स्वरूप हैं, जिन्हें शक्ति, ज्ञान और विजय की देवी माना जाता है। इनका नाम महर्षि कात्यायन के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इन्हें प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। माता कात्यायनी का मंत्र विशेष रूप से शत्रु बाधा निवारण, वैवाहिक समस्याओं के समाधान, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए जपा जाता है।

यह मंत्र उन भक्तों के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है जो अपने जीवन में शांति, प्रेम और सफलता चाहते हैं। यह साधना न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति में सहायक है, बल्कि आध्यात्मिक जागृति और आंतरिक शक्ति प्रदान करती है।

मंत्र:
कात्यायनी मंत्रः “ॐ ह्रीं कात्यायने क्लीं दुं नमः” OM HREEM KAATYAAYANE KLEEM DUMM NAMAHA.

इस मंत्र को जपने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति हर प्रकार की नकारात्मकता से मुक्त हो जाता है। माता कात्यायनी की कृपा से भक्त को हर प्रकार की बाधा से छुटकारा मिलता है।

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माता कात्यायनी मंत्र लाभ

1. विवाह में बाधा दूर होती है

माता कात्यायनी मंत्र के जप से विवाह में आ रही रुकावटें समाप्त होती हैं।

2. शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है

यह मंत्र शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है और नकारात्मक शक्तियों को निष्क्रिय करता है।

3. आत्मविश्वास बढ़ता है

इस मंत्र का नियमित जप आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाता है।

4. मन को शांति मिलती है

मंत्र जप से मानसिक तनाव और बेचैनी समाप्त होती है।

5. सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है

माता कात्यायनी मंत्र घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

6. आध्यात्मिक जागृति होती है

यह मंत्र आत्मिक शांति और आध्यात्मिक प्रगति का माध्यम है।

7. भय का नाश होता है

मंत्र जप से भय और असुरक्षा की भावना समाप्त होती है।

8. स्वास्थ्य में सुधार होता है

माता कात्यायनी की कृपा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।

9. धन-संपत्ति में वृद्धि होती है

यह मंत्र आर्थिक स्थिरता और समृद्धि प्रदान करता है।

10. कार्य में सफलता मिलती है

किसी भी कार्य में आ रही अड़चने इस मंत्र के प्रभाव से समाप्त होती हैं।

11. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है

मंत्र जप से पारिवारिक जीवन में सौहार्द और प्रेम बढ़ता है।

12. दुष्ट शक्तियों का नाश होता है

यह मंत्र नकारात्मक और दुष्ट शक्तियों से रक्षा करता है।

13. मनोबल बढ़ता है

मंत्र साधना से मनोबल और धैर्य में वृद्धि होती है।

14. करियर में उन्नति मिलती है

मंत्र का प्रभाव व्यक्ति को करियर में सफलता दिलाने में सहायक होता है।

15. भाग्य में सुधार होता है

माता की कृपा से भाग्य के प्रतिकूल प्रभाव समाप्त होते हैं।

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माता कात्यायनी मंत्र: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. माता कात्यायनी मंत्र क्या है?

माता कात्यायनी मंत्र दुर्गा माता के छठे स्वरूप की आराधना के लिए जपा जाता है। यह मंत्र विशेष रूप से साधना, विवाह, और शत्रु बाधा निवारण के लिए प्रभावशाली माना जाता है।

2. माता कात्यायनी मंत्र का महत्व क्या है?

यह मंत्र भक्त को मानसिक शांति, शत्रुओं से सुरक्षा और वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्त करने में मदद करता है।

3. मंत्र कैसे जपें?

मंत्र जप के लिए सुबह स्नान के बाद शुद्ध स्थान पर बैठकर 108 बार जप करना शुभ होता है।

4. मंत्र जप का सही समय क्या है?

प्रातःकाल और शाम को सूर्यास्त के समय इस मंत्र का जप विशेष फलदायी माना जाता है।

5. मंत्र जप के लिए आवश्यक सामग्री क्या है?

आपको लाल या पीले वस्त्र, चंदन, अगरबत्ती, और माता की मूर्ति या तस्वीर की आवश्यकता होगी।

6. क्या स्त्रियां इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

हां, स्त्रियां भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं। उनके लिए कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है।

7. मंत्र कितने दिनों तक जपना चाहिए?

अधिकांश साधक 21 दिनों तक लगातार इस मंत्र का जप करते हैं। यह अवधि अधिक प्रभावशाली होती है।

8. क्या मंत्र जप में कोई नियम हैं?

मंत्र जप के समय सात्विक भोजन करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, और मांसाहार से दूर रहें।

9. मंत्र के लाभ कब प्राप्त होते हैं?

सच्ची श्रद्धा और नियम से जप करने पर लाभ जल्दी प्राप्त होते हैं।

10. क्या मंत्र से विवाह में बाधा दूर हो सकती है?

हां, यह मंत्र विवाह की बाधाओं को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है।

11. क्या अन्य मंत्रों के साथ इसे जप सकते हैं?

हां, लेकिन इसे अलग समय और ध्यान के साथ जपना चाहिए।

12. क्या मंत्र जप में कोई सावधानी आवश्यक है?

मंत्र जप के दौरान ध्यान केंद्रित करें और अशुद्ध स्थान पर जप करने से बचें।

Soubhagya Kinnari Mantra for wealth

सौभाग्य किन्नरी मंत्र: जीवन में समृद्धि और सफलता लाने वाला दिव्य रहस्य

Soubhagya Kinnari Mantra महिलाओं और पुरुषों के जीवन में सौभाग्य, सफलता और समृद्धि लाने वाला विशेष मंत्र है। इस मंत्र का जप न केवल व्यक्तिगत आकर्षण बढ़ाने में सहायक है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है। यह मंत्र साधकों को आत्मविश्वास, स्थिरता, और दिव्य ऊर्जा का अनुभव कराता है।


विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:
ॐ अस्य सौभाग्य किन्नरी मंत्रस्य। महादेवी ऋषिः। अनुष्टुप् छन्दः। सौभाग्य किन्नरी देवता। मम सौभाग्य प्राप्तये विनियोगः।

अर्थ:
यह मंत्र सौभाग्य प्राप्ति के लिए समर्पित है। इसे महादेवी ने दिया और इसका अनुष्ठान स्थिरता लाता है।


दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:
ॐ अं अंगारकाय नमः। ॐ इं इन्द्राय नमः। ॐ उं उग्राय नमः। ॐ ऋं ऋषिभ्यः नमः। ॐ लं लम्बोदराय नमः।

अर्थ:
यह मंत्र साधक को दसों दिशाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। यह ऊर्जा अवरोधों को समाप्त करता है।


सौभाग्य किन्नरी मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
ॐ ह्रीं सौभाग्य किन्नरी क्लीं नमः।

संपूर्ण अर्थ:

  • ॐ: यह ब्रह्मांडीय ध्वनि है जो दिव्यता और शुद्धता का प्रतीक है। यह हर मंत्र का मूल स्रोत है।
  • ह्रीं: यह बीज मंत्र देवी की ऊर्जा को जागृत करता है और साधक को अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
  • सौभाग्य: यह शब्द सुख, समृद्धि और जीवन में शुभ अवसरों के आगमन का प्रतीक है।
  • किन्नरी: यह स्वर्गीय अप्सराओं का प्रतीक है जो सुंदरता, आकर्षण और सुखद जीवन का आशीर्वाद देती हैं।
  • क्लीं: यह मंत्र साधक के अंदर प्रेम, शक्ति और आकर्षण को बढ़ाता है।
  • नमः: यह शब्द समर्पण और विनम्रता का प्रतीक है, जो साधक को दिव्य शक्तियों से जोड़ता है।

मंत्र का प्रभाव:
यह मंत्र साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसे जपने से न केवल सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि जीवन की हर बाधा समाप्त होती है। यह साधक को मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और आंतरिक सौंदर्य प्रदान करता है। नियमित जप से सौंदर्य, आत्मा की शुद्धता, और दिव्य कृपा प्राप्त होती है।


जप काल में इन चीज़ों का सेवन अधिक करें

  • दूध और दूध से बने पदार्थ।
  • ताजे फल और सब्जियां।
  • तुलसी के पत्ते।
  • गंगाजल मिला हुआ पानी।
  • हल्का और सात्विक भोजन।

सौभाग्य किन्नरी मंत्र के लाभ

  1. जीवन में सौभाग्य और सफलता का आगमन।
  2. मानसिक शांति और स्थिरता।
  3. आध्यात्मिक उन्नति।
  4. वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य।
  5. नौकरी में तरक्की।
  6. व्यापार में वृद्धि।
  7. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  8. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  9. आकर्षण और व्यक्तित्व का विकास।
  10. पारिवारिक सुख-शांति।
  11. रिश्तों में मधुरता।
  12. स्वास्थ्य में सुधार।
  13. बाधाओं का अंत।
  14. आत्म-संयम की प्राप्ति।
  15. आध्यात्मिक जागरूकता।
  16. पितरों की शांति।
  17. मनोबल में वृद्धि।
  18. धन और समृद्धि का आगमन।

पूजा सामग्री के साथ मंत्र विधि

आवश्यक सामग्री:

  • सफेद कपड़ा।
  • शुद्ध जल।
  • हल्दी और कुमकुम।
  • धूप-दीप।
  • चावल।
  • गुलाब के फूल।

मंत्र विधि:

  1. पूजा स्थान को स्वच्छ करें।
  2. सफेद कपड़ा बिछाएं और सामग्री व्यवस्थित करें।
  3. दीपक जलाएं और धूप लगाएं।
  4. ॐ ह्रीं सौभाग्य किन्नरी क्लीं नमः मंत्र का जप 20 मिनट तक करें।
  5. मंत्र जप का समय सुबह 5 से 7 बजे के बीच रखें।

मंत्र जप के नियम

  1. मंत्र जप के लिए साधक की उम्र 20 वर्ष से अधिक हो।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों मंत्र जप कर सकते हैं।
  3. ब्लू और ब्लैक रंग के कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप के समय की सावधानियां

  • जप स्थान शांत और पवित्र हो।
  • जप के समय केवल मंत्र पर ध्यान केंद्रित करें।
  • जप के दौरान अशुद्ध वस्त्र न पहनें।
  • जप के बाद भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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सौभाग्य किन्नरी मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: सौभाग्य किन्नरी मंत्र क्या है?
उत्तर: यह मंत्र सौभाग्य, समृद्धि और शांति प्राप्ति के लिए जपा जाता है।

प्रश्न 2: सौभाग्य किन्नरी मंत्र का जप कब करना चाहिए?
उत्तर: सुबह 5 से 7 बजे के बीच यह मंत्र जप करना सबसे शुभ माना जाता है।

प्रश्न 3: मंत्र जप के दौरान क्या खाना चाहिए?
उत्तर: सात्विक भोजन, दूध, फल, और तुलसी का सेवन करना चाहिए।

प्रश्न 4: क्या इस मंत्र को कोई भी जप सकता है?
उत्तर: हां, 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री और पुरुष इसे जप सकते हैं।

प्रश्न 5: क्या मंत्र जप के लिए विशेष रंग पहनने चाहिए?
उत्तर: सफेद या हल्के रंग पहनें। काले और नीले रंग के कपड़े न पहनें।

प्रश्न 6: इस मंत्र के कितने जप करने चाहिए?
उत्तर: रोज 20 मिनट तक, लगातार 11 दिन जप करना चाहिए।

प्रश्न 7: क्या इस मंत्र का जप विवाह में लाभकारी है?
उत्तर: हां, यह मंत्र वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने में सहायक है।

प्रश्न 8: मंत्र जप के दौरान क्या न करें?
उत्तर: मांसाहार, मद्यपान, और धूम्रपान से दूर रहें।

प्रश्न 9: क्या यह मंत्र धन लाभ के लिए है?
उत्तर: हां, यह मंत्र समृद्धि और धन वृद्धि में सहायक है।

प्रश्न 10: इस मंत्र से जीवन में कौन से बदलाव आते हैं?
उत्तर: मानसिक शांति, सौभाग्य, आत्मविश्वास, और बाधाओं का नाश होता है।

प्रश्न 11: क्या यह मंत्र नौकरी में तरक्की में मदद करता है?
उत्तर: हां, यह मंत्र नौकरी और करियर में सफलता दिलाता है।

प्रश्न 12: क्या इस मंत्र को रोजाना जप सकते हैं?
उत्तर: हां, इसे नियमित रूप से जपने से अधिक लाभ होता है।


Skandamata mantra for wealth & protection

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स्कंदमाता मंत्र: शांति, समृद्धि और सुरक्षा का मार्ग

स्कंदमाता मंत्र का जप देवी स्कंदमाता की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह मंत्र मातृत्व, प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है। देवी स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं और भक्तों के लिए शक्ति, संजीवनी और सुख का स्रोत हैं। इस मंत्र के जप से व्यक्ति की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और कठिनाइयाँ दूर होती हैं। स्कंदमाता मंत्र का नियमित जाप मानसिक और आध्यात्मिक शांति लाता है।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र

“ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।”
इस मंत्र का अर्थ है कि सभी सुखी रहें, सभी निरोग रहें। यह मंत्र सभी दिशाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।

मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

स्कंदमाता मंत्र

“ॐ ह्रीं स्कंदमाते दुं नमः”
इस मंत्र का अर्थ है कि हम देवी स्कंदमाता को प्रणाम करते हैं, जो सभी दुःख और बाधाओं को दूर करने वाली हैं। यह मंत्र समस्त दुखों का नाश करता है और भक्त को शक्ति और साहस प्रदान करता है।

स्कंदमाता मंत्र के लाभ

  1. शक्ति और साहस: यह मंत्र शक्ति और साहस को बढ़ाता है।
  2. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता लाता है।
  3. सुख-सौभाग्य: परिवार में सुख और सौभाग्य का संचार करता है।
  4. रोगों से मुक्ति: स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
  5. सकारात्मकता: नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मकता बढ़ाता है।
  6. धन लाभ: आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।
  7. संबंधों में सुधार: रिश्तों में प्रेम और समर्पण लाता है।
  8. संकटों से रक्षा: सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।
  9. बुद्धि और ज्ञान: बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि करता है।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  11. दूरी से सुरक्षा: यात्रा में सुरक्षा प्रदान करता है।
  12. भविष्य के निर्णय: भविष्य के निर्णय लेने में मदद करता है।
  13. दुष्टों से सुरक्षा: दुश्मनों और दुष्टों से रक्षा करता है।
  14. दुखों का नाश: सभी प्रकार के दुखों का नाश करता है।
  15. बच्चों के लिए कल्याण: बच्चों के लिए स्वास्थ्य और सुख लाता है।
  16. संवेदनशीलता में वृद्धि: संवेदनशीलता और स्नेह को बढ़ाता है।
  17. आंतरिक शक्ति: आंतरिक शक्ति और संतुलन को बढ़ाता है।

पूजा सामग्री के साथ मंत्र विधि

पूजा सामग्री

  • सफेद पुष्प
  • दीपक
  • धूप
  • कुल्लड़
  • फल
  • जल

मंत्र जप का दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: मंगलवार या शनिवार।
  • अवधि: ११ से २१ दिन तक रोज़ जप करें।
  • मुहूर्त: सुबह का समय विशेष लाभदायक है।

सामग्री

  • माला: १०८ दाने की माला का प्रयोग करें।
  • धूप: पूजा के समय धूप जलाएं।
  • जल: जल का उपयोग ताजगी और शुद्धता के लिए करें।

मंत्र जप संख्या

  • ११ माला: यानी ११८८ मंत्र रोज़ जप करें।
  • ध्यान रखें: माला का जप एकाग्रता से करें।

मंत्र जप के नियम

  • उम्र: २० वर्ष से ऊपर।
  • लिंग: स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकते हैं।
  • वस्त्र: नीले या काले कपड़े न पहनें।
  • धूम्रपान और मद्यपान: सेवन न करें।
  • मासाहार: इससे दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य: ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप सावधानी

  • स्वच्छता: पूजा स्थान की स्वच्छता बनाए रखें।
  • मन की शांति: जप के समय मन को शांत रखें।
  • नकारात्मकता से बचें: नकारात्मकता से दूर रहें।
  • ध्यान केंद्रित करें: मंत्र जप के समय ध्यान केंद्रित करें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: स्कंदमाता मंत्र का महत्व क्या है?

उत्तर: यह मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।

प्रश्न 2: मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: ११ से २१ दिन तक जप करें।

प्रश्न 3: स्कंदमाता मंत्र किसके लिए प्रभावी है?

उत्तर: यह सभी उम्र के लोगों के लिए प्रभावी है।

प्रश्न 4: क्या स्कंदमाता मंत्र का जप विशेष दिन पर करना चाहिए?

उत्तर: हाँ, मंगलवार या शनिवार को जप करना लाभकारी होता है।

प्रश्न 5: मंत्र जप के समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

उत्तर: स्वच्छता, एकाग्रता और नकारात्मकता से बचें।

प्रश्न 6: क्या स्कंदमाता मंत्र का जप सभी कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, कोई भी व्यक्ति कर सकता है।

प्रश्न 7: जप करने के लिए कौन सी सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: सफेद पुष्प, दीपक, धूप, फल, और जल।

प्रश्न 8: मंत्र जप के समय कपड़े कैसे होने चाहिए?

उत्तर: नीले और काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।

प्रश्न 9: स्कंदमाता मंत्र का जप कब करना चाहिए?

उत्तर: सुबह का समय विशेष रूप से लाभकारी है।

प्रश्न 10: क्या स्कंदमाता मंत्र से आर्थिक लाभ होता है?

उत्तर: हाँ, यह आर्थिक स्थिति को सुधारता है।

प्रश्न 11: क्या मंत्र जप के लिए खास दिन का चुनाव करना चाहिए?

उत्तर: हाँ, मंगलवार और शनिवार उत्तम होते हैं।

प्रश्न 12: स्कंदमाता मंत्र से मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: यह मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है और शांति प्रदान करता है।

स्कंदमाता मंत्र का जाप करने से ना केवल व्यक्ति की कठिनाइयाँ दूर होती हैं, बल्कि यह उसे आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति भी प्रदान करता है। माँ स्कंदमाता की कृपा से भक्त को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।

Mata Kushmanda Mantra for wealth & prosperity

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सुख सम्रुद्धि का आशिर्वाद देने वाली माता कुष्मांडा का मंत्र “ॐ ह्रीं देवी कुष्मांडायै दुं नमः” है। इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को माता कुष्मांडा की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें सुख, समृद्धि, और स्थिरता मिलती है। माता कुष्मांडा के मंत्र का नियमित जाप करने से भक्तों के जीवन में समस्याओं का निवारण होता है और उन्हें उत्तम स्वास्थ्य, संघर्ष की क्षमता, और समृद्धि प्राप्त होती है।

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माता कुष्मांडा का ध्यान और मंत्र जाप नवरात्रि के नौवें दिन किया जाता है। भक्तों को नौ दिनों तक नवरात्रि के दौरान नियमित रूप से माता कुष्मांडा का ध्यान और मंत्र जाप करना चाहिए ताकि उन्हें उनकी कृपा प्राप्त हो सके।

माता कुष्मांडा के मंत्र ॥ॐ ह्रीं देवी कुष्मांडायै दुं नमः॥ ||OM HREEM DEVI KUSHMAANDAAYE DUMM NAMAHA|| का जाप करने से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:

  1. सुख और समृद्धि: माता कुष्मांडा के मंत्र का नियमित जाप करने से भक्त को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  2. स्थिरता: इस मंत्र के जाप से मानसिक और आत्मिक स्थिरता प्राप्त होती है।
  3. कष्टों का निवारण: माता कुष्मांडा के मंत्र का जाप करने से भक्त के जीवन से कष्ट और संकटों का निवारण होता है।
  4. उत्तम स्वास्थ्य: इस मंत्र का जाप करने से भक्त को उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  5. बुद्धि और शक्ति: माता कुष्मांडा के मंत्र का जाप करने से भक्त को बुद्धि और शक्ति मिलती है।
  6. कार्यक्षमता: इस मंत्र के जाप से भक्त की कार्यक्षमता बढ़ सकती है और कार्यों में सफलता मिलती है।
  7. समर्पण और उत्साह: माता कुष्मांडा के मंत्र का जाप करने से भक्त में समर्पण और उत्साह की भावना बढ़ती है।
  8. भक्ति और श्रद्धा: इस मंत्र के जाप से भक्त की भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
  9. संतुलन: माता कुष्मांडा के मंत्र का जाप करने से भक्त के जीवन में संतुलन आता है।
  10. कल्याणकारी ऊर्जा: इस मंत्र के जाप से माता कुष्मांडा की कल्याणकारी ऊर्जा भक्त के जीवन में प्रवेश करती है।

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कुष्मांडा मंत्र: सामान्य प्रश्न

  1. कुष्मांडा कौन हैं?
    कुष्मांडा देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप का नाम है। वह सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली मानी जाती हैं।
  2. कुष्मांडा मंत्र क्या है?
    कुष्मांडा मंत्र “ॐ ह्रीं देवी कुष्मांडायै दुं नमः” है, जो देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।
  3. कुष्मांडा मंत्र का महत्व क्या है?
    यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक होता है।
  4. कुष्मांडा देवी की पूजा किस दिन की जाती है?
    नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा देवी की पूजा होती है।
  5. क्या कुष्मांडा मंत्र से स्वास्थ्य लाभ होता है?
    हां, माना जाता है कि यह मंत्र शरीर और मन को ऊर्जा प्रदान करता है और बीमारियों को दूर करता है।
  6. मंत्र का जाप कैसे करें?
    मंत्र का जाप सुबह-सुबह शांत स्थान पर बैठकर 108 बार माला के साथ किया जाता है।
  7. क्या कुष्मांडा मंत्र से धन की प्राप्ति होती है?
    हां, यह मंत्र संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी जपा जाता है।
  8. मंत्र का जाप कब शुरू करें?
    नवरात्रि में या किसी शुभ दिन मंत्र का जाप शुरू करना उत्तम होता है।
  9. क्या कुष्मांडा मंत्र सभी के लिए है?
    हां, कोई भी व्यक्ति श्रद्धा से इस मंत्र का जाप कर सकता है।
  10. क्या इस मंत्र के कोई विशेष नियम हैं?
    मंत्र जप करते समय स्वच्छता, शांति और ध्यान की स्थिति बनाए रखना आवश्यक है।
  11. क्या कुष्मांडा देवी का कोई वाहन है?
    हां, उनका वाहन शेर है।
  12. मंत्र से क्या लाभ होते हैं?
    इस मंत्र से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

Offering to Mata Chandraghanta

Offering to Mata Chandraghanta

माता चंद्रघंटा का आशिर्वाद यानी मान सम्मान व शुख की प्राप्ति। माता चंद्रघंटा का भोग और टोटका अधिकतर उनके पूजा-अर्चना में उपयोग होते हैं। यह उन्हें प्रसन्न करने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होते हैं। ये प्रयोग नवरात्रि या किसी भी मंगलवार से कर सकते है।

माता चंद्रघंटा का भोग offering to Mata Chandraghanta

  • नैवेद्य: माता चंद्रघंटा को पूजन में बिल्वपत्र, दूध, मिष्ठान्न, मिष्ठान्न की खीर और मिठाई आदि का नैवेद्य चढ़ाया जाता है।
  • फल: उसे फल भी अर्पित किया जाता है, जैसे आम, केला, नारियल आदि।
  • चन्दन: चन्दन को उसके पूजन स्थल पर लगाया जाता है।
  • धूप: चंदन, कपूर, गुग्गुल आदि का धूप उसके समीप जलाया जाता है।
  • दीप: दीप जलाकर उसे अर्पित किया जाता है।
  • माला: माला का उपहार दिया जाता है।

माता चंद्रघंटा का टोटका

  • मंत्र जाप: खीर मे केला डालकर अपने सामने रखे और माता चंद्रघंटा का मंत्र ‘ॐ ह्रीं देवी चंद्रघंटायै दुं नमः’ का जाप करे। जप के बाद खीर का प्रसाद परिवार मे बांट दे। ऐसा करने से माता का आशीर्वाद, स्थिरता, सुरक्षा और सम्मान मिलता है।
  • ध्यान: माता चंद्रघंटा की मूर्ति के सामने बैठकर उनके ध्यान में लगना चाहिए। इससे मन शांत होता है और उनके कृपांजलि प्राप्त होती है।
  • चंदन का तिलक: माता की मूर्ति पर चंदन का तिलक लगाना चाहिए, जो उनके आशीर्वाद को बनाए रखने में मदद करता है।
  • दीप जलाना: उनके सामने दीप जलाने से उनके आशीर्वाद का अनुभव होता है।
  • प्रार्थना: उन्हें आराधना करते समय विशेष भाव से प्रार्थना करनी चाहिए, जिससे उनके आशीर्वाद में स्थिरता मिले।

ये भोग और उपाय चंद्रघंटा माता के पूजन में सहायक होते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद करते हैं।

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माता चंद्रघंटा के लाभ

  1. शत्रुओं से रक्षा: माता चंद्रघंटा का पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  2. आत्मबल में वृद्धि: साधक को मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है।
  3. सुख-शांति का अनुभव: जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
  4. नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: माता चंद्रघंटा की कृपा से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
  5. आध्यात्मिक विकास: साधक की आत्मिक उन्नति होती है और अध्यात्म में रुचि बढ़ती है।
  6. आक्रामकता में कमी: साधक के मन से क्रोध और आक्रामकता का नाश होता है।
  7. धन-धान्य की वृद्धि: माता की कृपा से जीवन में धन और समृद्धि आती है।
  8. संतान सुख: जिनके संतान नहीं होती, उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है।
  9. सकारात्मक दृष्टिकोण: साधक का दृष्टिकोण सकारात्मक बनता है।
  10. कष्टों से मुक्ति: जीवन के हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  11. स्वास्थ्य में सुधार: माता चंद्रघंटा की उपासना से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ दूर होती हैं।
  12. आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव: माता की कृपा से दुर्घटनाओं का सामना नहीं करना पड़ता।
  13. विवाह में सफलता: विवाह में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
  14. कर्मों में सुधार: साधक के कर्म उत्तम बनते हैं और फल प्राप्त होते हैं।
  15. धार्मिक ज्ञान: धर्म और संस्कारों के प्रति आस्था बढ़ती है।
  16. परिवार में एकता: परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और एकता बनी रहती है।
  17. मनोबल में वृद्धि: साधक का मनोबल बढ़ता है और वह आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहता है।

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Mata Chandraghanta Mantra for wealth & fame

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माता चंद्रघंटा की कृपा – मंत्र जप से जीवन में शांति और विजय प्राप्त करें

माता चंद्रघंटा मंत्र का जप हर तरह का सुख देने वाला होता है। ये देवी दुर्गा के नवस्वरूपों में से तीसरा रूप हैं। यह रूप शक्ति और साहस का प्रतीक है। इनके माथे पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित होता है, जिससे इन्हें ‘चंद्रघंटा’ नाम प्राप्त हुआ। इनकी उपासना से साधक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और मन शांत होता है। माता चंद्रघंटा की कृपा से साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

माता चंद्रघंटा मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
॥ॐ ह्रीं देवी चंद्रघंटायै दुं नमः॥

अर्थ:
“ॐ” परमात्मा का प्रतीक है, “ह्रीं” शक्ति का बीज मंत्र है। इस मंत्र में माता चंद्रघंटा को नमन करते हुए साधक उनके आशीर्वाद की कामना करता है। “दुं” शक्ति और रक्षा का प्रतीक है, जो साधक को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।

माता चंद्रघंटा मंत्र के लाभ

  1. शत्रुओं से रक्षा।
  2. मानसिक शक्ति में वृद्धि।
  3. धन-समृद्धि की प्राप्ति।
  4. रोगों से मुक्ति।
  5. पारिवारिक सुख-शांति।
  6. नकारात्मकता से बचाव।
  7. आत्मिक उन्नति।
  8. जीवन में शांति।
  9. विवाह में आने वाली बाधाओं से मुक्ति।
  10. संतान सुख।
  11. क्रोध और आक्रामकता में कमी।
  12. दुर्घटनाओं से बचाव।
  13. मनोबल में वृद्धि।
  14. धार्मिक ज्ञान में वृद्धि।
  15. कर्मों में सुधार।
  16. परिवार में एकता।
  17. स्वास्थ्य में सुधार।

माता चंद्रघंटा मंत्र विधि

मंत्र जप से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लाल या पीले कपड़े पहनें। पूजा स्थान में दीप जलाएं और माता चंद्रघंटा की तस्वीर या मूर्ति रखें। जप के दौरान आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें। मंत्र का जप रोज 11 से 21 दिन तक करें।

मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहूर्त

इस मंत्र का जप शुक्रवार से शुरू करना शुभ माना जाता है। सुबह 4 से 6 बजे का समय सर्वश्रेष्ठ है। साधक को यह जप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक निरंतर करना चाहिए।

सामग्री

माता चंद्रघंटा के मंत्र जप के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • लाल या पीला आसन।
  • दीपक और अगरबत्ती।
  • लाल फूल।
  • सफेद चंदन।
  • अक्षत (चावल)।
  • गुड़ और नारियल।

मंत्र जप संख्या

मंत्र जप की संख्या 11 माला यानी 1188 मंत्र रोज जप करना चाहिए। इससे साधक को शीघ्र फल प्राप्त होता है। यदि समय कम हो तो कम से कम 5 माला रोज जप करनी चाहिए।

मंत्र जप के नियम

  • साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • स्त्री-पुरुष कोई भी जप कर सकता है।
  • नीले और काले वस्त्र न पहनें।
  • जप के दौरान धूम्रपान, मांसाहार और नशे से दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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मंत्र जप की सावधानियाँ

मंत्र जप के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें। जप करते समय अत्यधिक सोच या बातचीत से बचें। मंत्र जप के लिए स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें। जप को गुप्त रखें और इसे किसी से न बताएं।

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माता चंद्रघंटा मंत्र- प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: माता चंद्रघंटा किसका प्रतीक हैं?
उत्तर: माता चंद्रघंटा शक्ति और साहस का प्रतीक हैं।

प्रश्न 2: मंत्र का अर्थ क्या है?
उत्तर: मंत्र में माता चंद्रघंटा को नमन और रक्षा की कामना की जाती है।

प्रश्न 3: किस दिन मंत्र जप शुरू करना चाहिए?
उत्तर: शुक्रवार को जप शुरू करना उत्तम माना जाता है।

प्रश्न 4: मंत्र जप का समय क्या है?
उत्तर: सुबह 4 से 6 बजे तक का समय सर्वोत्तम होता है।

प्रश्न 5: मंत्र जप कितने दिन करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र का जप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन करना चाहिए।

प्रश्न 6: मंत्र जप के दौरान कौन से कपड़े पहनें?
उत्तर: लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।

प्रश्न 7: मंत्र जप के नियम क्या हैं?
उत्तर: 20 वर्ष से ऊपर के स्त्री-पुरुष, नीले या काले कपड़े न पहनें, मांसाहार न करें।

प्रश्न 8: क्या मंत्र जप गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हां, मंत्र जप को गुप्त रखना चाहिए।

प्रश्न 9: क्या मंत्र जप के दौरान धूम्रपान कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, धूम्रपान और नशे से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 10: मंत्र जप के लिए किस दिशा में मुख करें?
उत्तर: पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके जप करना चाहिए।

प्रश्न 11: मंत्र जप का लाभ क्या है?
उत्तर: मंत्र जप से शांति, समृद्धि और शत्रुओं से रक्षा होती है।

प्रश्न 12: मंत्र जप के लिए कौन सा आसन उचित है?
उत्तर: लाल या पीला आसन मंत्र जप के लिए उपयुक्त है।

Mata Brahmacharini Mantra for power & control

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ब्रह्मचारिणी माता मंत्र: आध्यात्मिक विकास का रहस्य

ब्रह्मचारिणी माता मंत्र देवी दुर्गा के द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी को समर्पित एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र है। देवी ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम का प्रतीक मानी जाती हैं। उनके इस मंत्र का जाप करने से साधक को शक्ति, संयम, धैर्य, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह मंत्र भक्तों को ध्यान, ध्यान-साधना, और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।

विनियोग मंत्र

विनियोग
“ॐ अस्य श्री ब्रह्मचारिणी देवता मन्त्रस्य, वसिष्ठ ऋषिः, गायत्री छंदः, ब्रह्मचारिणी देवी देवता, ध्यानार्थे विनियोगः।”

इस विनियोग मंत्र से यह सुनिश्चित किया जाता है कि मंत्र का उद्देश्य देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा और ध्यान है। इसका जाप करते समय साधक अपनी साधना को विधिवत देवी को समर्पित करता है।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

सभी दिशाओं की तरफ मुंह करके इस मंत्र का जप करके चुटकी बजायॅ।

दिग्बंधन मंत्र

“ॐ अपराजितायै नमः, पूर्व दिशा पालय।
ॐ अकामायै नमः, पश्चिम दिशा पालय।
ॐ अनाद्यायै नमः, उत्तर दिशा पालय।
ॐ अक्षयायै नमः, दक्षिण दिशा पालय।
ॐ आह्वनायै नमः, ऊर्ध्व दिशा पालय।
ॐ अरूपायै नमः, अधो दिशा पालय।”

अर्थ

इस मंत्र द्वारा दसों दिशाओं की सुरक्षा देवी के रूप में की जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि साधक हर दिशा से सुरक्षित है और उसकी साधना निर्विघ्न रूप से पूरी हो।

ब्रह्मचारिणी माता मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र
“ॐ ह्रीं देवी ब्रह्मचारिण्यै दुं नमः।”

अर्थ
इस मंत्र का अर्थ है: “हे देवी ब्रह्मचारिणी! आपको प्रणाम, आप मेरी साधना और तपस्या में मदद करें। मुझे आत्मबल प्रदान करें, मेरी सारी बाधाओं को दूर करें और मुझे मोक्ष की ओर अग्रसर करें।” यह मंत्र साधक के मन को शुद्ध करता है, उसे धैर्य और संयम प्रदान करता है, जिससे वह अपने जीवन में आत्मिक विकास कर सके।

ब्रह्मचारिणी माता मंत्र के लाभ

  1. आत्मिक शुद्धि: यह मंत्र साधक के मन और आत्मा को शुद्ध करता है।
  2. धैर्य और संयम: मंत्र का जाप करने से धैर्य और संयम में वृद्धि होती है।
  3. आध्यात्मिक विकास: साधक को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  4. मानसिक शांति: मंत्र जाप से मानसिक शांति मिलती है।
  5. संयमित जीवन: मंत्र का जाप साधक को संयमित और अनुशासित जीवन जीने में मदद करता है।
  6. विकारों से मुक्ति: मन के विकार और बुराइयाँ समाप्त होती हैं।
  7. धार्मिक आस्था में वृद्धि: भक्त की आस्था और विश्वास में बढ़ोतरी होती है।
  8. सकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
  9. संतान सुख: ब्रह्मचारिणी माता की कृपा से संतान सुख प्राप्त होता है।
  10. विवाह में सफलता: विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।
  11. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  12. दुर्भाग्य से मुक्ति: जीवन में आने वाले दुर्भाग्य को दूर करता है।
  13. रोगों से मुक्ति: विभिन्न रोगों से छुटकारा मिलता है।
  14. आर्थिक समृद्धि: आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  15. सफलता और उन्नति: कार्यों में सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
  16. समाज में सम्मान: समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  17. ईश्वरीय कृपा: देवी की कृपा साधक के हर कार्य में सहयोग करती है।

ब्रह्मचारिणी माता मंत्र पूजा सामग्री और विधि

पूजा सामग्री:

  1. लाल वस्त्र
  2. चावल
  3. कुमकुम
  4. रोली
  5. घी का दीपक
  6. धूप
  7. पुष्प (गुलाब या कमल)
  8. फल और नैवेद्य
  9. जल से भरा ताम्र कलश

विधि:

  1. लाल वस्त्र धारण करें और देवी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।
  2. दीप जलाएं और धूप दिखाएं।
  3. देवी ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें और विनियोग मंत्र का जाप करें।
  4. मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन तक हो सकती है।
  5. प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) जपें।
  6. पूजा का समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) सर्वोत्तम होता है।

ब्रह्मचारिणी माता मंत्र जप के नियम

  1. आयु: 20 वर्ष के ऊपर के व्यक्ति ही मंत्र जाप कर सकते हैं।
  2. साधक: स्त्री और पुरुष दोनों ही मंत्र जाप कर सकते हैं।
  3. वस्त्र: सफेद या पीले कपड़े पहनें; ब्लू और ब्लैक कपड़ों से बचें।
  4. शुद्धता: धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य: साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. स्वच्छता: जाप करते समय शरीर और मन की स्वच्छता बनाए रखें।
  7. साधना का गोपनीयता: अपनी साधना और पूजा को गुप्त रखें।

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ब्रह्मचारिणी माता मंत्र जप सावधानियाँ

  1. नियमों का पालन: जप करते समय सभी नियमों का सख्ती से पालन करें।
  2. नकारात्मकता से दूर रहें: मन में कोई भी नकारात्मक विचार न आने दें।
  3. साधना के प्रति गंभीर रहें: साधना को श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
  4. विशेष समय में जप न करें: रात्रि के मध्य या अशुभ समय में मंत्र जप न करें।
  5. मन की शुद्धता बनाए रखें: साधना करते समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें।
  6. भोजन पर ध्यान दें: सात्विक भोजन का ही सेवन करें और असात्विक भोजन से दूर रहें।

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ब्रह्मचारिणी माता मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: ब्रह्मचारिणी माता कौन हैं?

उत्तर: ब्रह्मचारिणी माता देवी दुर्गा का द्वितीय रूप हैं, जो तपस्या और संयम का प्रतीक मानी जाती हैं।

प्रश्न 2: ब्रह्मचारिणी माता मंत्र का क्या महत्व है?

उत्तर: यह मंत्र भक्तों को संयम, धैर्य और आत्मिक शांति प्रदान करता है, साथ ही आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है।

प्रश्न 3: मंत्र का जाप कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र का जाप 11 से 21 दिनों तक करना चाहिए, जिससे देवी की कृपा प्राप्त हो सके।

प्रश्न 4: मंत्र जप का सर्वोत्तम समय क्या है?

उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) मंत्र जप के लिए सर्वोत्तम समय है।

प्रश्न 5: क्या महिलाएं भी ब्रह्मचारिणी मंत्र का जाप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं और पुरुष दोनों ही इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

प्रश्न 6: मंत्र जप के दौरान किस प्रकार के वस्त्र पहनें?

उत्तर: सफेद या पीले वस्त्र पहनें। नीले और काले रंग के वस्त्रों से बचें।

प्रश्न 7: क्या मंत्र जप के दौरान मांसाहार का सेवन कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं, मंत्र जप के दौरान मांसाहार, धूम्रपान और मद्यपान से बचें।

प्रश्न 8: क्या मंत्र जप के दौरान साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए?

उत्तर: हां, मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अत्यंत आवश्यक है।

प्रश्न 9: मंत्र जप की कितनी माला प्रतिदिन जपनी चाहिए?

उत्तर: प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) जप करनी चाहिए।

प्रश्न 10: क्या साधना को गुप्त रखना चाहिए?

उत्तर: हां, साधना को गुप्त रखना अत्यंत आवश्यक है।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र से आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं?

उत्तर: हां, यह मंत्र आर्थिक समृद्धि और समस्याओं का समाधान करता है।

प्रश्न 12: क्या इस मंत्र से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान हो सकता है?

उत्तर: हां, विवाह से संबंधित समस्याओं का समाधान इस मंत्र के जाप से होता है।

Mata shailaputri mantra for wishes

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माता शैलपुत्री मंत्र: महत्व, विधि और जप के अद्भुत लाभ

Mata shailaputri mantra नवदुर्गा की प्रथम शक्ति के रूप में पूजित है। देवी शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। उनकी आराधना से जीवन में स्थिरता, शक्ति और सुख-शांति प्राप्त होती है। यह मंत्र भक्तों को उनके मनोवांछित फल देता है और हर प्रकार की नकारात्मकता को समाप्त करता है।


विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:

ॐ अस्य श्री शैलपुत्री मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः। गायत्री छन्दः। शैलपुत्री देवता। ध्यानार्थे विनियोगः।

अर्थ:
इस मंत्र का ऋषि ब्रह्मा है, छंद गायत्री है, और देवता माता शैलपुत्री हैं। यह मंत्र ध्यान और आराधना के लिए उपयोग होता है।


दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:

ॐ उत्तराय नमः। ॐ दक्षिणाय नमः। ॐ पूर्वाय नमः। ॐ पश्चिमाय नमः। ॐ आकाशाय नमः। ॐ पातालाय नमः।

अर्थ:
यह मंत्र हर दिशा में सुरक्षा कवच प्रदान करता है। सभी दिशाओं में देवी की कृपा से नकारात्मक शक्तियां निष्क्रिय हो जाती हैं।


मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:

ॐ ह्रीं देवी शैलपुत्र्यै दुं नमः

अर्थ:

  • : यह अक्षर ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो सभी शक्तियों की शुरुआत और समापन का प्रतीक है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • ह्रीं: यह एक शक्ति वर्धक बीज मंत्र है। यह ऊर्जा, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। “ह्रीं” से मानसिक शांति और आत्म-निर्भरता प्राप्त होती है।
  • देवी शैलपुत्र्यै: यह शब्द देवी शैलपुत्री को संबोधित करता है, जो हिमालय की पुत्री हैं और नवदुर्गा के पहले रूप में पूजित हैं। शैलपुत्री शक्ति, स्थिरता और सामर्थ्य की प्रतीक हैं।
  • दुं: यह बीज मंत्र विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को समाप्त करने के लिए है। यह मंत्र का प्रभाव नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने और अच्छे मार्ग की ओर मार्गदर्शन करने में होता है।
  • नमः: इसका अर्थ है “समर्पण” या “प्रणाम”। यह भक्तिपूर्वक अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करने का तरीका है।

कुल मिलाकर, यह मंत्र देवी शैलपुत्री को समर्पित है, और इससे व्यक्ति को शक्ति, समृद्धि, मानसिक शांति और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।


जप काल में इन चीज़ों के सेवन पर जोर दें

  1. सात्त्विक आहार (दूध, फल, घी)।
  2. तुलसी का सेवन।
  3. गंगा जल का उपयोग।
  4. सूखे मेवे।
  5. गाय का शुद्ध मक्खन।

माता शैलपुत्री मंत्र से होने वाले लाभ

  • मानसिक शांति और स्थिरता।
  • आध्यात्मिक उन्नति।
  • पारिवारिक सुख।
  • आर्थिक समृद्धि।
  • रोगों से मुक्ति।
  • शत्रुओं पर विजय।
  • जीवन में सकारात्मक ऊर्जा।
  • हर प्रकार की बाधा निवारण।
  • विवाह में विलंब दूर होना।
  • बच्चों की दीर्घायु।
  • करियर में प्रगति।
  • आत्मबल में वृद्धि।
  • घर में सुख-शांति।
  • नेत्र रोगों का निवारण।
  • आंतरिक शक्ति का विकास।
  • विद्या और बुद्धि की प्राप्ति।
  • आध्यात्मिक शक्ति का संचार।
  • भयमुक्त जीवन।

पूजा सामग्री के साथ मंत्र विधि

सामग्री:

  • लाल कपड़ा।
  • देसी घी का दीपक।
  • लाल पुष्प।
  • फल।
  • चंदन।
  • गंगाजल।

विधि:

  1. सूर्योदय के समय शुद्ध होकर पूजा प्रारंभ करें।
  2. लाल वस्त्र पहनकर पूर्व दिशा में मुख करके बैठें।
  3. देवी शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  4. फल और पुष्प अर्पित करें।
  5. मंत्र का 108 बार जप करें।

अवधि और मुहूर्त

  • दिन: नवरात्रि का प्रथम दिन सर्वोत्तम।
  • अवधि: 20 मिनट।
  • मुहूर्त: प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त।

मंत्र जप के नियम

  1. आयु 20 वर्ष से अधिक हो।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  3. लाल या पीले वस्त्र धारण करें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें।
  5. पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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मंत्र जप में सावधानियां

  1. जप के समय मन एकाग्र रखें।
  2. अशुद्ध स्थान पर जप न करें।
  3. जप करते समय गलत उच्चारण से बचें।
  4. पूजा सामग्री को किसी और कार्य में न लगाएं।
  5. पूजा के बाद शांति बनाए रखें।

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माता शैलपुत्री मंत्र से जुड़े प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: माता शैलपुत्री का वाहन क्या है?

उत्तर: माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ है।

प्रश्न 2: इस मंत्र का प्रभाव कितने समय में दिखता है?

उत्तर: नियमित जप से 9 दिनों में प्रभाव दिखने लगता है।

प्रश्न 3: क्या यह मंत्र कठिन परिस्थितियों को हल कर सकता है?

उत्तर: हां, यह मंत्र जीवन की सभी कठिनाइयों को हल कर सकता है।

प्रश्न 4: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं।

प्रश्न 5: क्या मंत्र जप के लिए किसी विशेष दिशा का चयन करें?

उत्तर: पूर्व दिशा में बैठकर जप करना शुभ होता है।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?

उत्तर: हां, यह मंत्र आर्थिक समस्याओं को दूर करता है।

प्रश्न 7: क्या मंत्र जप के समय विशेष आसन की आवश्यकता है?

उत्तर: हां, कुश या रेशम के आसन का उपयोग करें।

प्रश्न 8: क्या यह मंत्र शत्रु निवारण में सहायक है?

उत्तर: हां, यह मंत्र शत्रुओं पर विजय दिलाने में सहायक है।

प्रश्न 9: क्या यह मंत्र बच्चों के लिए फायदेमंद है?

उत्तर: हां, यह बच्चों की दीर्घायु के लिए शुभ है।

प्रश्न 10: क्या मंत्र जप के समय उपवास रखना चाहिए?

उत्तर: हां, उपवास रखने से लाभ शीघ्र प्राप्त होता है।

प्रश्न 11: क्या यह मंत्र नेत्र रोगों के निवारण में सहायक है?

उत्तर: हां, यह मंत्र नेत्र रोगों को दूर करता है।

प्रश्न 12: क्या मंत्र जप केवल नवरात्रि में किया जा सकता है?

उत्तर: नहीं, इसे किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है।


Hanuman jayanti Mantra for Power

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हनुमान जयंती मंत्र -चारो दिशाओं से सुरक्षा

हनुमान जयंती पर हनुमान जी का मंत्र जाप अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। यह मंत्र जीवन की कठिनाइयों, शत्रुओं, और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। हनुमान जी को शक्ति, साहस, और भक्ति का प्रतीक माना जाता है, इसलिए उनके मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह मंत्र विशेष रूप से ऊपरी बाधाओं, तंत्र बाधाओं, भूत-प्रेत बाधाओं, और नज़र दोष से मुक्ति दिलाता है। भक्त हनुमान जयंती के दिन मंत्र जाप कर हनुमान जी की कृपा प्राप्त करते हैं, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है।

हनुमान जयंती के दिन क्या कर चाहिये?

  1. हनुमान चालीसा का पाठ: हनुमान चालीसा का पाठ करना हनुमान जयंती के अवसर पर बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
  2. हनुमान मंदिर जाना: हनुमान जी के मंदिर में जाकर पूजा और अर्चना करना।
  3. भजन संध्या: हनुमान जी के भजनों का संगीत सुनना और उन्हें गाना।
  4. सेवा: अनाज, कपड़े, या अन्य आवश्यकताओं के रूप में गरीबों की सेवा करना।
  5. कथा और कथाकार सुनना: हनुमान जी के कथा और उनकी कृपा के विषय में कथाकारों की कथाएं सुनना।
  6. प्रार्थना: हनुमान जी से अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करना और उनसे आशिर्वाद मांगना।
  7. ध्यान और मनन: हनुमान जी के आदर्शों और गुणों का ध्यान और मनन करना।

हनुमान जयंती मंत्र व उसका अर्थ

“ॐ हं हनुमंते हं नमः” मंत्र का अर्थ है:

  • : ब्रह्मांड की ऊर्जा, सर्वशक्तिमान का प्रतीक।
  • हं: हनुमान जी की शक्ति और ऊर्जा का बीज मंत्र।
  • हनुमंते: हनुमान जी को समर्पित, जो अपार शक्ति और भक्ति के प्रतीक हैं।
  • नमः: हनुमान जी को नमन और समर्पण।

इस मंत्र का अर्थ है, “मैं हनुमान जी को नमन करता हूँ, जो महान शक्ति, भक्ति और साहस के प्रतीक हैं।” यह मंत्र व्यक्ति को शक्ति, साहस और सुरक्षा प्रदान करता है।

हनुमान जयंती के दिन पूजा से लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: हनुमान जी की पूजा से आपकी आध्यात्मिक उन्नति होती है। उनके भक्ति में लगने से मन और आत्मा में शांति और संतोष की भावना होती है।
  2. कष्ट निवारण: हनुमान जी को संकट मोचन के रूप में जाना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से कष्ट और संकटों का निवारण होता है।
  3. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: हनुमान जी की पूजा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। उनकी कृपा से रोगों का उपचार होता है और मानसिक चिंताओं को दूर किया जा सकता है।
  4. धन और समृद्धि: हनुमान जी की पूजा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  5. बल और साहस: हनुमान जी बल और साहस के प्रतीक हैं। उनकी पूजा से आपको बल, साहस और सही निर्णय लेने की क्षमता प्राप्त होती है।

हनुमान जयंती मंत्र लाभ

हनुमान जयंती पर हनुमान मंत्र का जाप अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है। यह मंत्र शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति प्रदान करता है। इसके 17 प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. शारीरिक बल में वृद्धि: हनुमान मंत्र का जाप करने से शारीरिक शक्ति और ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है।
  2. मानसिक शांति: इस मंत्र का जाप मानसिक तनाव को दूर कर मन को शांत करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए यह मंत्र अत्यंत लाभकारी होता है।
  4. ऊपरी बाधाओं से मुक्ति: तांत्रिक क्रियाओं और ऊपरी बाधाओं से रक्षा होती है।
  5. तंत्र बाधा से सुरक्षा: हनुमान मंत्र का जाप तंत्र बाधाओं से रक्षा करता है और तांत्रिक प्रभावों को नष्ट करता है।
  6. भूत-प्रेत बाधा का नाश: इस मंत्र से भूत-प्रेत और अन्य नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
  7. नज़र दोष से मुक्ति: मंत्र जाप से किसी भी नज़र दोष या बुरी नजर से मुक्ति मिलती है।
  8. संकटों से रक्षा: जीवन में आने वाले सभी संकटों से हनुमान जी की कृपा से मुक्ति मिलती है।
  9. स्वास्थ्य लाभ: हनुमान जी की कृपा से शारीरिक रोगों का नाश होता है।
  10. विवादों से छुटकारा: पारिवारिक और सामाजिक विवादों से मुक्ति मिलती है।
  11. धन और समृद्धि में वृद्धि: हनुमान जी की पूजा से धन और समृद्धि प्राप्त होती है।
  12. साहस और धैर्य: हनुमान मंत्र से व्यक्ति का साहस और धैर्य बढ़ता है।
  13. कुंडली दोषों का निवारण: इस मंत्र से कुंडली में मौजूद दोषों का निवारण होता है।
  14. यात्रा में सुरक्षा: लंबी और जोखिमपूर्ण यात्राओं में भी सुरक्षा बनी रहती है।
  15. ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: हनुमान मंत्र से व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है।
  16. आत्मविश्वास में वृद्धि: इस मंत्र के जाप से आत्मविश्वास बढ़ता है।
  17. सद्गुणों का विकास: व्यक्ति के भीतर सद्गुणों का विकास होता है और उसके जीवन में संतुलन आता है।

हनुमान जयंती मंत्र विधि

हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंत्र का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। जाप विधि इस प्रकार है:

मंत्र जप का दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: हनुमान जयंती के दिन (चैत्र मास की पूर्णिमा)।
  • अवधि: सिर्फ १ दिन
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त में जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है, यानी सूर्योदय से पहले।

हनुमान जयंती मंत्र जप – एक दिन का प्रयोग

सामग्री

  • चंदन या रुद्राक्ष की माला।
  • दीपक, अगरबत्ती।
  • सिंदूर और तेल (हनुमान जी को अर्पित करने के लिए)।
  • तुलसी पत्र और गुड़-चना का भोग।

हनुमान जयंती मंत्र जप संख्या

हनुमान जयंती पर 11 माला यानी 1188 मंत्र का जाप करें। इससे हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

हनुमान जयंती मंत्र जप के नियम

  • उम्र: 20 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति जाप कर सकते हैं।
  • स्त्री-पुरुष: कोई भी स्त्री या पुरुष जाप कर सकता है।
  • वस्त्र: काले और नीले कपड़े न पहनें। सफेद या लाल वस्त्र पहनें।
  • खान-पान: धूम्रपान, मद्यपान, पान और मांसाहार का सेवन न करें।
  • ब्रह्मचर्य: इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है।

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हनुमान जयंती मंत्र जप सावधानी

  • मंत्र जाप के समय पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें।
  • शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखें।
  • हनुमान जी का आह्वान करते समय मन में सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए।
  • जाप के दौरान ध्यान भटकने से बचें।
  • केवल शास्त्रीय विधियों का पालन करें।

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हनुमान जयंती मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. हनुमान जयंती पर कौन सा मंत्र सबसे प्रभावी है?

“ॐ हं हनुमते नमः” मंत्र अत्यंत प्रभावी है और सभी बाधाओं को दूर करता है।

2. हनुमान मंत्र से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?

हनुमान मंत्र से शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

3. मंत्र जाप के लिए कौन सा समय सर्वोत्तम है?

ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पहले का समय मंत्र जाप के लिए उत्तम होता है।

4. हनुमान जी की पूजा में कौन सी सामग्री आवश्यक होती है?

सिंदूर, तेल, तुलसी पत्र, गुड़-चना, दीपक, और अगरबत्ती का उपयोग करें।

5. क्या महिलाएं हनुमान मंत्र का जाप कर सकती हैं?

हाँ, स्त्रियाँ भी हनुमान जी का मंत्र जाप कर सकती हैं।

6. क्या हनुमान जी की पूजा से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं?

हाँ, हनुमान जी की पूजा और मंत्र जाप से सभी बाधाएं समाप्त होती हैं।

7. मंत्र जाप के दौरान कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?

लाल या सफेद वस्त्र पहनें, काले और नीले कपड़े न पहनें।

8. मंत्र जाप करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से मंत्र जाप करें और स्वच्छता का ध्यान रखें।

9. क्या हनुमान जयंती पर व्रत रखना आवश्यक है?

यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन व्रत रखने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।

10. मंत्र जाप से किस प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है?

ऊपरी बाधा, तंत्र बाधा, भूत-प्रेत बाधा, और नज़र दोष से मुक्ति मिलती है।

11. हनुमान मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

हनुमान जयंती पर 11 माला यानी 1188 मंत्र का जाप करना शुभ होता है।

12. मंत्र जाप के बाद क्या करना चाहिए?

मंत्र जाप के बाद हनुमान जी की आरती करें और भोग अर्पित करें।