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Tripuresh Bhairav Mantra For Obstacles

त्रिपुरेश भैरव / Tripuresh Bhairav Mantra

त्रिपुरेश भैरव मंत्र – बाधाओं और शत्रुओं से मुक्ति पाने का शक्तिशाली मंत्र

त्रिपुरेश भैरव भगवान शिव के भैरव रूप का एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमय स्वरूप है। त्रिपुरेश भैरव को तीनों लोकों (भूत, भविष्य और वर्तमान) के स्वामी माना जाता है। इस मंत्र का जाप साधक को सभी प्रकार के भय, बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से मुक्त करता है। त्रिपुरेश भैरव की साधना जीवन में समृद्धि, शक्ति, और शांति प्रदान करती है। इस साधना को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करने से व्यक्ति को असाधारण आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं त्रिपुरेश्वर भैरव भ्रं नमः

अर्थ:

  • “ॐ” – ब्रह्मांड की आद्य ध्वनि, जो सर्वशक्तिमान का प्रतीक है।
  • “ह्रीं” – मन और आत्मा की शक्ति।
  • “श्रीं” – लक्ष्मी और समृद्धि का प्रतीक।
  • “क्रीं” – शक्ति और ऊर्जा का आह्वान।
  • “त्रिपुरेश्वर” – त्रिपुरेश्वर भैरव का आह्वान, जो तीनों लोकों के स्वामी हैं।
  • “भ्रं” – भैरव के उग्र रूप का बीज मंत्र।
  • “नमः” – समर्पण और आभार।

इस मंत्र का जाप व्यक्ति को मानसिक, भौतिक और आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर करता है। त्रिपुरेश भैरव की कृपा से जीवन की सभी कठिनाइयों और दुश्मनों से मुक्ति मिलती है।

त्रिपुरेश भैरव मंत्र के लाभ

  1. जीवन की सभी बाधाओं का नाश।
  2. शत्रुओं से सुरक्षा।
  3. मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  4. स्वास्थ्य में सुधार।
  5. समृद्धि और धन की प्राप्ति।
  6. सामाजिक और व्यावसायिक सफलता।
  7. भय, चिंता और तनाव से मुक्ति।
  8. आत्मबल और साहस में वृद्धि।
  9. कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने की शक्ति।
  10. आध्यात्मिक उन्नति।
  11. जीवन में शांति और संतुलन।
  12. नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से बचाव।
  13. कार्यक्षेत्र में उन्नति।
  14. पारिवारिक सुख और सामंजस्य।
  15. जीवन में सकारात्मक परिवर्तन।
  16. सुख और सौभाग्य की प्राप्ति।
  17. मनोबल और धैर्य में वृद्धि।

त्रिपुरेश भैरव मंत्र विधि

दिन और मुहूर्त:

  • शुभ दिन: मंगलवार और रविवार का दिन त्रिपुरेश भैरव की साधना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
  • शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और रात्रि का भैरव काल (रात्रि 12 बजे से 2 बजे) इस मंत्र के जाप के लिए विशेष रूप से प्रभावी समय होते हैं।
  • अवधि: इस मंत्र का जाप 11 से 21 दिन तक किया जा सकता है। नियमितता बनाए रखना आवश्यक है।

मंत्र जाप की संख्या:

  • प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करें।

आवश्यक सामग्री:

  1. सफेद या पीले वस्त्र।
  2. शुद्ध आसन (कुश या ऊन का)।
  3. सरसों के तेल का दीपक।
  4. कपूर और सुगंधित धूप।
  5. त्रिपुरेश भैरव की मूर्ति या चित्र।
  6. रुद्राक्ष माला या स्फटिक माला।

त्रिपुरेश भैरव मंत्र जाप के नियम

  1. साधक की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस साधना को कर सकते हैं।
  3. काले और नीले वस्त्र पहनने से बचें। केवल सफेद या पीले वस्त्र ही धारण करें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, पान और मांसाहार से परहेज करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक जीवन जीयें।
  6. साधना के समय मन को शुद्ध और स्थिर रखें।

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जप के दौरान सावधानियां

  • मंत्र जाप के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  • क्रोध, नकारात्मक विचार और नकारात्मक स्थानों से बचें।
  • साधना के स्थान को साफ और पवित्र रखें।
  • साधना के दौरान किसी से विवाद या लड़ाई न करें।
  • साधना को एक ही स्थान पर बैठकर करें और मंत्र जाप की संख्या पूरी करने पर ही उठें।

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त्रिपुरेश भैरव मंत्र प्रश्न उत्तर

1. त्रिपुरेश भैरव मंत्र का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: त्रिपुरेश भैरव मंत्र का उद्देश्य व्यक्ति को जीवन की सभी बाधाओं से मुक्त कर, समृद्धि और आत्मबल प्रदान करना है।

2. इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

उत्तर: 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

3. क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष दिन करना चाहिए?

उत्तर: हां, मंगलवार और रविवार को इस मंत्र का जाप विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

4. मंत्र जाप के लिए कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?

उत्तर: सफेद या पीले वस्त्र पहनें। काले और नीले वस्त्रों से बचना चाहिए।

5. क्या मंत्र जाप के दौरान विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: हां, मंत्र जाप के दौरान धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से बचें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

6. क्या त्रिपुरेश भैरव मंत्र का जाप घर पर कर सकते हैं?

उत्तर: हां, इस मंत्र का जाप घर पर शांत और पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।

7. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप की अवधि 11 से 21 दिन तक होनी चाहिए, जिसमें प्रतिदिन 11 माला का जाप आवश्यक होता है।

8. मंत्र जाप के दौरान किन सामग्रियों का प्रयोग करना चाहिए?

उत्तर: साधना के लिए सरसों का तेल, धूप, कपूर, रुद्राक्ष माला या स्फटिक माला का उपयोग करें।

9. क्या साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है?

उत्तर: हां, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

10. क्या त्रिपुरेश भैरव मंत्र से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है?

उत्तर: हां, त्रिपुरेश भैरव मंत्र के जाप से शत्रुओं से मुक्ति और सुरक्षा मिलती है।

11. क्या साधना के समय विशेष स्थान का चयन करना चाहिए?

उत्तर: हां, साधना के लिए शांत, पवित्र और एक ही स्थान पर नियमित रूप से जाप करना चाहिए।

12. मंत्र जाप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के बाद भगवान त्रिपुरेश भैरव का ध्यान करें और साधना को श्रद्धापूर्वक समाप्त करें।

Rakshaseshwar Bhairav Mantra For Enemy Protection

राक्षसेश्वर भैरव / Rakshaseshwar Bhairav Mantra

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र साधना – साहस, शक्ति और शत्रु मुक्ति

राक्षसेश्वर भैरव भगवान शिव के उग्र और शक्तिशाली रूपों में से एक हैं। यह रूप विशेष रूप से बुरी शक्तियों और दुश्मनों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए पूजा जाता है। राक्षसेश्वर भैरव मंत्र का जाप व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों और शत्रुओं से मुक्त करता है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शक्ति, साहस और विजय की प्राप्ति होती है। इस साधना को सही विधि और नियमों के अनुसार करने से अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

भ्रं वज्रनखाय राक्षसेश्वराय सर्वजन वश्यं कुरु कुरु नमः

अर्थ:

  • “भ्रं” – भैरव का बीज मंत्र, जो शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है।
  • “वज्रनखाय” – वज्र के समान कठोर और अजेय नाखूनों वाले भैरव का आह्वान।
  • “राक्षसेश्वराय” – राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों के स्वामी।
  • “सर्वजन वश्यं कुरु कुरु” – सभी को अपने वश में करने की शक्ति प्रदान करना।
  • “नमः” – समर्पण और सम्मान।

यह मंत्र व्यक्ति को आत्मविश्वास और साहस प्रदान करता है, और जीवन में आने वाली हर प्रकार की नकारात्मकता और शत्रुओं को समाप्त करता है।

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र के लाभ

  1. शत्रुओं से सुरक्षा और नाश।
  2. नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति।
  3. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  4. साहस और शक्ति की प्राप्ति।
  5. मानसिक और भावनात्मक संतुलन।
  6. शत्रुओं को वश में करने की शक्ति।
  7. कार्यक्षेत्र में सफलता।
  8. स्वास्थ्य में सुधार।
  9. धन और समृद्धि की प्राप्ति।
  10. परिवार और घर की सुरक्षा।
  11. जीवन में स्थिरता और शांति।
  12. सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों में सुधार।
  13. भय और चिंता से मुक्ति।
  14. मनोबल में वृद्धि।
  15. शत्रुओं पर विजय प्राप्ति।
  16. जीवन में सकारात्मकता और संतुलन का आह्वान।
  17. जीवन में बाधाओं और परेशानियों से मुक्ति।

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र विधि

दिन और मुहूर्त:

  • शुभ दिन: शनिवार और मंगलवार विशेष रूप से इस मंत्र साधना के लिए उत्तम माने जाते हैं।
  • शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे तक) या रात्रि में भैरव काल (रात्रि 12 बजे से 2 बजे तक) का समय सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
  • अवधि: मंत्र जाप 11 से 21 दिन तक किया जा सकता है।

मंत्र जाप की संख्या:

  • प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करें।

आवश्यक सामग्री:

  1. शुद्ध आसन (कुश या ऊन का)।
  2. सरसों के तेल का दीपक।
  3. कपूर और धूप।
  4. राक्षसेश्वर भैरव की मूर्ति या तस्वीर।
  5. रुद्राक्ष माला या स्फटिक माला।

राक्षसेश्वर भैरव मंत्र जाप के नियम

  1. साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  3. काले और नीले कपड़े न पहनें। सफेद या लाल वस्त्र धारण करें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, पान और मांसाहार से परहेज करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक जीवन शैली अपनाएं।

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जप के दौरान सावधानियां

  • मंत्र जाप के समय मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  • साधना के दौरान किसी प्रकार की नकारात्मकता से बचें।
  • एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें।
  • नियमित रूप से जाप के समय का पालन करें।
  • साधना पूरी होने तक आसन और स्थान न बदलें।

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राक्षसेश्वर भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

1. राक्षसेश्वर भैरव मंत्र का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: इस मंत्र का उद्देश्य साधक को शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करना और जीवन में आत्मविश्वास बढ़ाना है।

2. इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

उत्तर: 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

3. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष दिन का चयन करना चाहिए?

उत्तर: हां, शनिवार और मंगलवार को इस मंत्र का जाप विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

4. मंत्र जाप के समय कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के समय लाल या सफेद वस्त्र पहनने चाहिए। नीले और काले वस्त्रों से बचना चाहिए।

5. क्या मंत्र जाप के दौरान भोजन का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: हां, साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें और मांसाहार, धूम्रपान व मद्यपान से बचें।

6. क्या मंत्र का जाप घर पर कर सकते हैं?

उत्तर: हां, मंत्र का जाप घर पर एक शांत और पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।

7. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप की अवधि 11 से 21 दिन तक होनी चाहिए। प्रतिदिन 11 माला का जाप करना चाहिए।

8. मंत्र जाप के लिए कौन सी माला का उपयोग करना चाहिए?

उत्तर: रुद्राक्ष माला या स्फटिक माला का उपयोग मंत्र जाप के लिए किया जा सकता है।

9. क्या साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है?

उत्तर: हां, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

10. क्या इस मंत्र से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है?

उत्तर: हां, इस मंत्र का जाप शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक होता है।

11. मंत्र जाप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के बाद राक्षसेश्वर भैरव का ध्यान करें और साधना को श्रद्धापूर्वक समाप्त करें।

12. क्या मंत्र जाप के दौरान ध्यान और एकाग्रता महत्वपूर्ण है?

उत्तर: हां, मंत्र जाप के दौरान ध्यान और एकाग्रता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है ताकि साधना के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकें।

Nimish Bhairav Mantra For Goodluck

निमिष भैरव / Nimish Bhairav Mantra

निमिष भैरव मंत्र – शक्ति, शांति और समृद्धि का उपाय

निमिष भैरव मंत्र, भगवान भैरव की आराधना के लिए समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। भाग्य बृद्धि करने वाले निमिष भैरव भगवान शिव के एक अवतार हैं, इन्हे तांत्रिक पूजा में महत्वपूर्ण माना जाता है। इनका ध्यान और पूजन सफलता, सुरक्षा, स्थिरता, और साहस की प्राप्ति में मदद कर सकता है। इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति को सफलता, भाग्य, धन, सुख, समृद्धि, और रक्षा मिलती है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र: ॐ भ्रं निमिष भैरवाय नमः
अर्थ: “हे निमिष भैरव, मैं आपको प्रणाम करता हूँ।” यह मंत्र भैरव की कृपा प्राप्त करने और उनकी शक्ति का अनुभव करने के लिए जप किया जाता है।


निमिष भैरव मंत्र लाभ

  1. मानसिक तनाव कम होता है।
  2. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  3. नकारात्मकता का नाश होता है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. बुरे सपनों से मुक्ति मिलती है।
  6. धन की प्राप्ति होती है।
  7. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  8. कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
  9. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  10. क्रोध और द्वेष से मुक्ति मिलती है।
  11. ध्यान में स्थिरता आती है।
  12. सभी प्रकार की बाधाएँ समाप्त होती हैं।
  13. रिश्तों में सामंजस्य बढ़ता है।
  14. मानसिक स्पष्टता मिलती है।
  15. जीवन में सकारात्मकता आती है।
  16. आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  17. विशेष सिद्धियों का अनुभव होता है।

निमिष भैरव मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन: किसी भी दिन जप किया जा सकता है, लेकिन सोमवार और शनिवार को विशेष लाभ होता है।
अवधि: ११ से २१ दिन तक लगातार जप करें।
मुहुर्त: सुबह का समय (सूर्योदय से पहले) उत्तम है।

निमिष भैरव मंत्र

  • रुद्राक्ष की माला (१०८ मनके)
  • स्वच्छ स्थान
  • मंत्र जाप के लिए साफ कपड़े

मंत्र जप संख्या

रोज़ ११ माला यानी ११८८ मंत्र का जप करें।

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मंत्र जप के नियम

  1. उम्र २० वर्ष के ऊपर होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष कोई भी जप कर सकता है।
  3. नीले या काले कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, पान, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

जप सावधानी

जप करते समय एकाग्रता बनाए रखें। किसी भी विकृति या नकारात्मकता से दूर रहें।

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निमिष भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: निमिष भैरव मंत्र का जप कब करना चाहिए?

उत्तर: सोमवार और शनिवार को जप करना अधिक फलदायी होता है।

प्रश्न 2: क्या यह मंत्र केवल पुरुषों के लिए है?

उत्तर: नहीं, यह मंत्र स्त्रियों के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।

प्रश्न 3: क्या इस मंत्र का जप करते समय कुछ विशेष नियम हैं?

उत्तर: हाँ, नीले या काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 4: निमिष भैरव मंत्र का लाभ क्या है?

उत्तर: यह मानसिक शांति, स्वास्थ्य सुधार और धन की प्राप्ति में मदद करता है।

प्रश्न 5: क्या रुद्राक्ष की माला का उपयोग अनिवार्य है?

उत्तर: हाँ, रुद्राक्ष की माला का उपयोग विशेष लाभ प्रदान करता है।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र का जप करते समय ध्यान करना चाहिए?

उत्तर: हाँ, ध्यान के साथ जप करने से लाभ बढ़ता है।

प्रश्न 7: क्या मैं किसी अन्य समय पर भी जप कर सकता हूँ?

उत्तर: हाँ, लेकिन सुबह का समय सबसे उत्तम है।

प्रश्न 8: क्या यह मंत्र किसी विशेष उद्देश्य के लिए जपा जा सकता है?

उत्तर: हाँ, विशेष समस्याओं के समाधान के लिए इसे जपा जा सकता है।

प्रश्न 9: क्या मंत्र जप करने के बाद कुछ विशेष करना चाहिए?

उत्तर: जप के बाद अपनी इच्छाएँ भगवान के समक्ष प्रस्तुत करें।

प्रश्न 10: क्या जप करने से पहले स्नान करना आवश्यक है?

उत्तर: हाँ, स्नान करने से शरीर और मन शुद्ध होते हैं।

प्रश्न 11: क्या यह मंत्र सिद्ध कर सकता है?

उत्तर: नियमित जप और श्रद्धा से यह मंत्र सिद्धि प्रदान कर सकता है।

प्रश्न 12: क्या इस मंत्र के जप का कोई समयसीमा है?

उत्तर: ११ से २१ दिन के लिए जप करना सबसे प्रभावी माना जाता है।

Nakuleshwar Bhairav Mantra For Peace & Protection

नकुलेश्वर भैरव / Nakuleshwar Bhairav Mantra

नकुलेश्वर भैरव मंत्र – अपने जीवन में बदलाव लाने का मार्ग

नकुलेश्वर भैरव मंत्र, भगवान भैरव के एक विशेष रूप का स्तुति है, जिसे विशेषकर भक्तों द्वारा उनकी कृपा और सुरक्षा के लिए जप किया जाता है। यह मंत्र श्रद्धा और भक्ति से जपने पर नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और मानसिक शांति को प्राप्त करने में सहायक होता है।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र: ॐ ह्रीं भ्रं नकुलेश्वराय भैरवाय नमः

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है कि हम भगवान नकुलेश्वर भैरव को प्रणाम करते हैं, जो हमें आध्यात्मिक बल और संरक्षण प्रदान करते हैं।

नकुलेश्वर भैरव मंत्र लाभ

  1. मानसिक शांति की प्राप्ति।
  2. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  3. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  4. तनाव और चिंता में कमी।
  5. समृद्धि और समृद्धि के द्वार खोलना।
  6. बीमारियों से सुरक्षा।
  7. परिवार में सामंजस्य।
  8. कार्यों में सफलता।
  9. आध्यात्मिक विकास।
  10. ध्यान में गहराई।
  11. दुराचार से मुक्ति।
  12. सामाजिक संबंधों में सुधार।
  13. संतान सुख की प्राप्ति।
  14. भय और अवसाद से मुक्ति।
  15. सकारात्मक सोच में वृद्धि।
  16. जीवन में खुशी और संतोष।
  17. संकट के समय में सुरक्षा।

मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन

सप्ताह का कोई भी दिन विशेष रूप से जप के लिए उपयुक्त है, लेकिन सोमवार और शनिवार अधिक फलदायी माने जाते हैं।

अवधि

मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन तक होनी चाहिए।

मुहूर्त

सुबह का समय, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त, मंत्र जप के लिए सर्वोत्तम है।

मंत्र जप सामग्री

  1. 1 माला (108 बीजों की)
  2. सफेद फूल
  3. जल
  4. दीपक

मंत्र जप संख्या

रोज 11 माला यानी 1188 मंत्र का जप करें।

मंत्र जप के नियम

  • उम्र 20 वर्ष के ऊपर होनी चाहिए।
  • स्त्री-पुरुष कोई भी जप कर सकते हैं।
  • नीला और काला कपड़ा न पहनें।
  • धूम्रपान, पान, और मांसाहार का सेवन न करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप सावधानी

मंत्र जप करते समय एकाग्रता बनाए रखें और अपने मन में सकारात्मक विचारों को रखें।

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नकुलेश्वर भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: क्या नकुलेश्वर भैरव मंत्र का जप सभी कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जप स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं, लेकिन कुछ नियमों का पालन आवश्यक है।

प्रश्न 2: मंत्र जप करने का सही समय क्या है?

उत्तर: सुबह का समय, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त, मंत्र जप के लिए सर्वोत्तम है।

प्रश्न 3: क्या किसी विशेष स्थान पर जप करना चाहिए?

उत्तर: शांत और स्वच्छ स्थान पर जप करना अधिक फलदायी होता है।

प्रश्न 4: क्या इस मंत्र के जप से स्वास्थ्य लाभ होता है?

उत्तर: हाँ, यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है।

प्रश्न 5: क्या जप करते समय ध्यान की आवश्यकता है?

उत्तर: हाँ, जप करते समय ध्यान और एकाग्रता महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 6: क्या इस मंत्र का जप करने के लिए किसी विशेष दिन का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: सोमवार और शनिवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।

प्रश्न 7: कितने दिन तक इस मंत्र का जप करना चाहिए?

उत्तर: 11 से 21 दिन तक निरंतर जप करना चाहिए।

प्रश्न 8: क्या इस मंत्र का जप केवल एक बार किया जा सकता है?

उत्तर: यह बेहतर है कि इसे नियमित रूप से जप किया जाए।

प्रश्न 9: क्या जप करते समय विशेष वस्त्र पहनने की आवश्यकता है?

उत्तर: हाँ, साधारण और स्वच्छ वस्त्र पहनें, नीला या काला न पहनें।

प्रश्न 10: क्या जप करने से तुरंत फल मिलता है?

उत्तर: फल की प्राप्ति समय के साथ होती है, धैर्य रखें।

प्रश्न 11: क्या ध्यान करना जरूरी है?

उत्तर: हाँ, ध्यान करने से जप के फल में वृद्धि होती है।

प्रश्न 12: क्या मंत्र जप का कोई विशेष प्रभाव होता है?

उत्तर: हाँ, यह नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मकता को बढ़ाने में सहायक होता है।

Marthanda Bhairav Mantra for Protection

मार्तंड भैरव / Marthanda Bhairav Mantra for Protection

मार्तंड भैरव मंत्र – शक्ति और सिद्धि का अद्भुत साधन

नकारात्मक उर्जा को नष्ट करने वाले मृत्युंजय भैरव की तरह, मार्तंड भैरव भी भगवान शिव का एक उग्र रूप है। मार्तंड का अर्थ है “सूर्य” और भैरव को शिव के भयानक रूपों में से एक माना जाता है। इसलिए, मार्तंड भैरव को अक्सर रोग, शत्रु और अंधकार को दूर करने वाले के रूप में पूजा जाता है। मार्तंड भैरव का स्वरूप सूर्य के समान तेजस्वी और शक्तिशाली होता है। उनके उपासक मानते हैं कि वे भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट और बाधाओं को दूर करते हैं और उन्हें सफलता की राह दिखाते हैं। मार्तंड भैरव का पूजन और मंत्र जप विशेष रूप से तांत्रिक साधना में महत्वपूर्ण माना जाता है।

मार्तंड भैरव मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र: ॐ भ्रं मार्तंड भैरवाय कार्य सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा

इस मंत्र का अर्थ है:

  • : ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, हर प्रकार की ऊर्जा का स्रोत।
  • भ्रं: यह मार्तंड भैरव का बीज मंत्र है।
  • मार्तंड भैरवाय: मार्तंड भैरव को समर्पित।
  • कार्य सिद्धिं कुरु कुरु: “मेरे कार्यों को सिद्ध करो, सिद्ध करो।”
  • स्वाहा: संपूर्णता और समर्पण का प्रतीक।

मार्तंड भैरव मंत्र के लाभ

  1. कार्य सिद्धि: हर प्रकार के कार्यों की सफलता।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक जागरण और उन्नति।
  3. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश और बुराई से सुरक्षा।
  4. धन और समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति।
  5. सौभाग्य: जीवन में सौभाग्य और सफलता।
  6. स्वास्थ्य: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार।
  8. रिश्तों में सुधार: पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में सुधार।
  9. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की वृद्धि।
  10. धार्मिकता: धर्म और अध्यात्म में रुचि और श्रद्धा।
  11. कर्मों की शुद्धि: पिछले कर्मों के दोषों की शुद्धि।
  12. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता।
  13. सफलता: जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता।
  14. आकर्षण: व्यक्ति को आकर्षक बनाना।
  15. संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति में सहायता।
  16. भयमुक्ति: भय और असुरक्षा से मुक्ति।
  17. आध्यात्मिक मार्गदर्शन: सच्चे मार्ग पर मार्गदर्शन।
  18. कर्म सुधार: अच्छे कर्म करने की प्रेरणा।
  19. सपनों की पूर्ति: इच्छाओं और सपनों की पूर्ति।
  20. दुष्ट शक्तियों से रक्षा: नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा।

मंत्र विधि

दिन

मार्तंड भैरव मंत्र का जप किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है, लेकिन विशेषतः मंगलवार, शनिवार, या अष्टमी का दिन शुभ माना जाता है।

अवधि

मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन होनी चाहिए। इस दौरान नियमित रूप से मंत्र जप करना आवश्यक है।

मुहुर्थ

प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्याकाल (शाम 6 से 8 बजे) को मंत्र जप का सर्वोत्तम समय माना जाता है।

सामग्री

  1. मार्तंड भैरव की प्रतिमा या चित्र
  2. पुष्प (खासकर लाल और काले फूल)
  3. धूप/अगरबत्ती
  4. दीपक (घी का दीपक सर्वोत्तम होता है)
  5. आसन (साफ और पवित्र स्थान पर बैठने के लिए)
  6. जल पात्र
  7. मौली (रक्षा सूत्र)

मार्तंड भैरव मंत्र जप

मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन तक होनी चाहिए। रोजाना नियमित समय पर मंत्र जप करना आवश्यक है।

मार्तंड भैरव मंत्र जप संख्या

मंत्र जप की संख्या एक माला यानी 108 बार से लेकर 11 माला यानी 1188 मंत्र रोज जप करना चाहिए।

जप के नियम

  1. स्नान: जप से पहले स्नान कर लें।
  2. पवित्र स्थान: पवित्र और शांत स्थान पर बैठें।
  3. आसन: एक साफ और पवित्र आसन का प्रयोग करें।
  4. समर्पण भाव: पूर्ण समर्पण भाव और एकाग्रता के साथ मंत्र जप करें।
  5. रोजाना नियमित समय: रोजाना एक ही समय पर मंत्र जप करें।
  6. माला: रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला का प्रयोग करें।
  7. ध्यान: मार्तंड भैरव का ध्यान करते हुए मंत्र जप करें।
  8. सकारात्मक सोच: जप के दौरान सकारात्मक सोच और भाव रखें।
  9. नियमितता: जप को नियमित रूप से करें, बिना किसी दिन का छोड़ें।
  10. स्वच्छता: जप के स्थान और आसन की स्वच्छता का ध्यान रखें।
  11. द्रव्य: जप के दौरान या बाद में मार्तंड भैरव को नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।
  12. लाल पुष्प: मार्तंड भैरव को लाल और काले पुष्प अर्पित करें।
  13. धूप-दीप: धूप-दीप जलाकर मार्तंड भैरव की आरती करें।
  14. मौन: जप के समय मौन रहें और बाहरी विचारों से बचें।
  15. श्रद्धा: श्रद्धा और विश्वास के साथ मंत्र जप करें।
  16. धैर्य: मंत्र के फलों के लिए धैर्य रखें, तुरंत परिणाम की अपेक्षा न करें।
  17. शुद्धि: मानसिक और शारीरिक शुद्धि बनाए रखें।
  18. व्रत: मंत्र जप के दौरान व्रत का पालन करें, यदि संभव हो तो।
  19. सहजता: सहज और सरल मन से मंत्र जप करें।
  20. ध्यान और ध्यान: जप के बाद कुछ समय ध्यान करें और मार्तंड भैरव के चरणों में ध्यान लगाएं।

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मंत्र जप सावधानी

  1. ध्यान और एकाग्रता: जप के दौरान ध्यान भटकने से बचें।
  2. सही उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही और स्पष्ट होना चाहिए।
  3. नियमितता: जप को बिना किसी व्यवधान के नियमित रूप से करें।
  4. शुद्धता: जप के स्थान और आसन की स्वच्छता बनाए रखें।
  5. समय का पालन: रोजाना एक ही समय पर जप करें।
  6. धैर्य: धैर्य रखें और जल्दबाजी में न हों।
  7. सकारात्मकता: सकारात्मक और शांत मन से जप करें।
  8. विचार शुद्धि: नकारात्मक विचारों से बचें।
  9. सामग्री का ध्यान: जप के लिए आवश्यक सामग्री जैसे माला, आसन आदि का ध्यान रखें।
  10. शारीरिक स्थिति: स्वस्थ और संयमित शारीरिक स्थिति में जप करें।
  11. पर्यावरण: शांति और सकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान पर जप करें।
  12. संवेदना: जप के दौरान संवेदनशीलता और श्रद्धा बनाए रखें।
  13. धर्म और नियम: धर्म और नियमों का पालन करें।
  14. नियमित अभ्यास: नियमित अभ्यास से मंत्र जप का प्रभाव बढ़ता है।
  15. प्रेरणा: स्वयं को प्रेरित और उत्साहित रखें।
  16. भक्ति: भक्ति और श्रद्धा के साथ जप करें।
  17. समर्पण: पूरी तरह से मार्तंड भैरव के प्रति समर्पित रहें।
  18. संतुलन: शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखें।
  19. स्वस्थ भोजन: स्वास्थ्यवर्धक और सात्विक भोजन का सेवन करें।
  20. सहजता: जप को सहज और सरल बनाएं।

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मार्तंड भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

  1. प्रश्न: मार्तंड भैरव कौन हैं?
    उत्तर: मार्तंड भैरव भगवान शिव का उग्र और शक्तिशाली रूप हैं। वे सूर्य के समान तेजस्वी होते हैं और भक्तों के कष्ट दूर करने और कार्यों को सिद्ध करने में मदद करते हैं।
  2. प्रश्न: मार्तंड भैरव मंत्र क्या है?
    उत्तर: मार्तंड भैरव मंत्र है: ॐ भ्रं मार्तंड भैरवाय कार्य सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा।
  3. प्रश्न: मार्तंड भैरव मंत्र का अर्थ क्या है?
    उत्तर: इस मंत्र का अर्थ है: “हे मार्तंड भैरव, मेरे कार्यों को सिद्ध करो, सिद्ध करो।”
  4. प्रश्न: मार्तंड भैरव मंत्र का जप कितने दिनों तक करना चाहिए?
    उत्तर: मार्तंड भैरव मंत्र का जप 11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
  5. प्रश्न: मंत्र जप की संख्या कितनी होनी चाहिए?
    उत्तर: मंत्र जप की संख्या एक माला यानी 108 बार से लेकर 11 माला यानी 1188 मंत्र रोज जप करनी चाहिए।
  6. प्रश्न: मार्तंड भैरव मंत्र के लाभ क्या हैं?
    उत्तर: इस मंत्र के लाभों में कार्य सिद्धि, शत्रु नाश, धन और समृद्धि, सौभाग्य, स्वास्थ्य में सुधार, सकारात्मक ऊर्जा, रिश्तों में सुधार, आत्मविश्वास, धार्मिकता, मानसिक शांति, और दुष्ट शक्तियों से रक्षा शामिल हैं।
  7. प्रश्न: मार्तंड भैरव मंत्र जप के लिए सर्वोत्तम समय कौन सा है?
    उत्तर: मंत्र जप के लिए प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और संध्याकाल (शाम 6 से 8 बजे) का समय सर्वोत्तम है।
  8. प्रश्न: मंत्र जप के दौरान कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
    उत्तर: मंत्र जप के दौरान मार्तंड भैरव की प्रतिमा या चित्र, पुष्प (लाल और काले फूल), धूप/अगरबत्ती, दीपक, आसन, जल पात्र, और मौली (रक्षा सूत्र) की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न: मंत्र जप के नियम क्या हैं?
    उत्तर: मंत्र जप के नियमों में स्नान, पवित्र स्थान पर बैठना, एक साफ और पवित्र आसन का प्रयोग, पूर्ण समर्पण भाव और एकाग्रता, नियमित समय पर जप, माला का प्रयोग, ध्यान, सकारात्मक सोच, नियमितता, और स्वच्छता शामिल हैं।

Lambkarna Bhairav Mantra For Removing Obstacles

लम्बकर्ण भैरव / Lambkarna Bhairav Mantra

लम्बकर्ण भैरव मंत्र – शत्रु मुक्ति और सफलता प्राप्ति का रहस्यमयी उपाय

लम्बकर्ण भैरव मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली शक्तिशाली मंत्र माना जाता है जो जीवन में शत्रुओं, बाधाओं, और नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा प्रदान करता है। यह मंत्र विशेष रूप से लम्बकर्ण भैरव को समर्पित है, जो भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव के रूपों में से एक हैं। इस मंत्र का उच्चारण करके साधक शत्रुओं को परास्त कर सकता है, साथ ही अपनी आंतरिक शक्ति और साहस को भी जागृत कर सकता है।

भैरव मंत्र

मंत्र:
ॐ ह्रीं श्रीं भ्रं लम्बकर्ण भैरवाय नमः

अर्थ:
इस मंत्र में “” से ब्रह्मांड की शक्ति का आवाहन होता है। “ह्रीं” शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है, “श्रीं” लक्ष्मी और ऐश्वर्य का प्रतीक है, “भ्रं” भैरव के आह्वान का बीज मंत्र है, और “लम्बकर्ण भैरवाय” भगवान लम्बकर्ण भैरव की स्तुति करते हुए उन्हें प्रणाम करने का संकेत है। “नमः” का अर्थ है समर्पण और विनम्रता।

मंत्र के लाभ

  1. शत्रु नाशक
  2. जीवन में विजय प्राप्ति
  3. बाधाओं से मुक्ति
  4. धन-धान्य में वृद्धि
  5. शत्रुओं से सुरक्षा
  6. मानसिक शक्ति में वृद्धि
  7. आत्मविश्वास में वृद्धि
  8. आध्यात्मिक उन्नति
  9. रोगों से मुक्ति
  10. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
  11. कानूनी मामलों में सफलता
  12. पारिवारिक शांति
  13. भयरहित जीवन
  14. कार्य सिद्धि
  15. सामाजिक प्रतिष्ठा
  16. आर्थिक स्थिरता
  17. मानसिक शांति और संतुलन

मंत्र विधि

जप का दिन और अवधि:

इस मंत्र का जाप मंगलवार और शनिवार के दिन से शुरू करना शुभ माना जाता है। इसे 11 से 21 दिन तक निरंतर करना चाहिए।

जप का मुहूर्त:

सर्वोत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) या प्रदोष काल (शाम 6 बजे से 8 बजे के बीच) होता है।

मंत्र जप की सामग्री

  1. काला धागा
  2. लाल वस्त्र
  3. नारियल
  4. अगरबत्ती
  5. दीपक
  6. सिंदूर
  7. काला तिल

मंत्र जप संख्या

साधक को प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करना चाहिए। जाप के दौरान माला पर ध्यान केंद्रित करते हुए मंत्र का उच्चारण करें।

मंत्र जप के नियम

  1. उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  3. जाप के दौरान नीले और काले वस्त्र न पहनें।
  4. धूम्रपान, शराब, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप के दौरान सावधानियां

  1. मानसिक शुद्धता और स्थिरता बनाए रखें।
  2. जाप के समय ध्यान केंद्रित होना अनिवार्य है।
  3. कोई भी नकारात्मक विचार मन में न लाएं।
  4. मंत्र जाप को किसी भी बाधा से बचाने के लिए एकांत स्थान का चयन करें।

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लम्बकर्ण भैरव मंत्र पृश्न-उत्तर

पृश्न 1: लम्बकर्ण भैरव कौन हैं?

उत्तर:लम्बकर्ण भैरव भगवान शिव के भैरव रूप का एक अवतार हैं, जो शत्रुनाश और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करने वाले देवता हैं।

पृश्न 2: इस मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

उत्तर:20 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी स्त्री या पुरुष इस मंत्र का जाप कर सकता है। केवल कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है, जैसे ब्रह्मचर्य और मांसाहार से परहेज।

पृश्न 3: इस मंत्र का जाप कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर:इस मंत्र का जाप 11 से 21 दिनों तक लगातार करना चाहिए।

पृश्न 4: इस मंत्र का जप कब करना चाहिए?

उत्तर:ब्रह्म मुहूर्त और प्रदोष काल इस मंत्र के जाप के लिए सर्वोत्तम समय माने जाते हैं।

पृश्न 5: मंत्र जप के दौरान कौन से वस्त्र नहीं पहनने चाहिए?

उत्तर:जाप के दौरान नीले और काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें।

पृश्न 6: क्या इस मंत्र का जाप करने के लिए कोई विशेष सामग्री चाहिए?

उत्तर:जी हां, इस मंत्र के जाप के लिए लाल वस्त्र, काला धागा, सिंदूर, और नारियल जैसी सामग्री का उपयोग किया जाता है।

पृश्न 7: मंत्र जप में कितनी माला करनी चाहिए?

उत्तर:मंत्र जाप के दौरान प्रतिदिन 11 माला का जाप करना चाहिए, यानी 1188 बार मंत्र का उच्चारण करें।

पृश्न 8: मंत्र जाप के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर:जाप के दौरान धूम्रपान, मांसाहार, और शराब का सेवन न करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें और नीले-काले वस्त्र न पहनें।

पृश्न 9: इस मंत्र के जाप से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

उत्तर:इस मंत्र के जाप से शत्रु नाश, मानसिक शांति, आत्मविश्वास में वृद्धि, और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

पृश्न 10: क्या इस मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है?

उत्तर:इस मंत्र का जाप मंगलवार और शनिवार के दिन प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।

पृश्न 11: मंत्र जाप के लिए कौन सा स्थान उपयुक्त है?

उत्तर:एकांत और शांत स्थान जाप के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। मंदिर या घर का पूजा कक्ष भी उपयुक्त है।

पृश्न 12: क्या इस मंत्र का जाप करने से जीवन में सफलता प्राप्त होती है?

उत्तर:जी हां, इस मंत्र का जाप करने से शत्रु पर विजय और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

Kaal Bhairav Mantra For Strong Protection

काल भैरव / Kala Bhairav Mantra

काल भैरव मंत्र – शत्रु मुक्ति से लेकर आर्थिक उन्नति तक

काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप का एक अवतार हैं, जिन्हें समय के स्वामी और शत्रु नाशक के रूप में पूजा जाता है। काल भैरव मंत्र का जाप साधक को भय, शत्रु, और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो किसी कठिन परिस्थिति या विपत्ति का सामना कर रहे हैं।

मंत्र

ॐ भ्रं काल भैरवाय क्रीं नमः

अर्थ:
इस मंत्र में “ॐ” ब्रह्मांड की ऊर्जा को जगाता है। “भ्रं” काल भैरव का बीज मंत्र है जो नकारात्मकता और बाधाओं को नष्ट करता है। “काल भैरवाय” का अर्थ काल भैरव का आह्वान है, और “क्रीं” तांत्रिक ऊर्जा को सक्रिय करता है। “नमः” का अर्थ है पूर्ण समर्पण और श्रद्धा।

मंत्र के लाभ

  1. शत्रु नाशक और विपत्तियों से रक्षा
  2. मानसिक शक्ति और साहस में वृद्धि
  3. समय प्रबंधन में सुधार
  4. जीवन में उन्नति और सफलता प्राप्ति
  5. आध्यात्मिक जागृति और तांत्रिक शक्ति की प्राप्ति
  6. भय और चिंता से मुक्ति
  7. कानूनी मामलों में सफलता
  8. यात्रा में सुरक्षा और शुभफल
  9. रोगों से मुक्ति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
  10. नकारात्मक ऊर्जा और बुरी दृष्टि से रक्षा
  11. पारिवारिक कलह से मुक्ति
  12. कार्य सिद्धि और व्यापार में सफलता
  13. आध्यात्मिक साधना में उन्नति
  14. धन-संपत्ति की वृद्धि
  15. जीवन में स्थिरता और संतुलन
  16. सामाजिक प्रतिष्ठा और मान-सम्मान की प्राप्ति
  17. शांति, समृद्धि और दीर्घायु प्राप्ति

मंत्र विधि

जप का दिन:

काल भैरव मंत्र का जाप मंगलवार और शनिवार के दिन शुरू करना विशेष शुभ माना जाता है।

अवधि:

साधक को इस मंत्र का जाप 11 से 21 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।

मुहूर्त:

इस मंत्र का जाप ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) या प्रदोष काल (शाम 6 बजे से 8 बजे के बीच) में करना अत्यंत शुभ होता है।

मंत्र जप की सामग्री

  1. भैरव की प्रतिमा या चित्र
  2. लाल या काले वस्त्र
  3. अगरबत्ती और धूप
  4. दीपक (सरसों के तेल का)
  5. सिंदूर और चावल
  6. काले तिल
  7. नारियल

मंत्र जप संख्या

साधक को प्रतिदिन 11 माला (1188 बार) मंत्र का जाप करना चाहिए। माला से मंत्र की गिनती करें और मन को एकाग्र रखते हुए जप करें।


मंत्र जप के नियम

  1. उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  3. जाप के दौरान नीले और काले रंग के वस्त्र न पहनें।
  4. धूम्रपान, शराब, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच से बचें और जाप के दौरान पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें।

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जप के दौरान सावधानियां

  1. जाप के लिए स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
  2. मन में किसी प्रकार की नकारात्मकता या शंका न लाएं।
  3. जाप के दौरान किसी भी प्रकार की बाहरी बाधा से बचें।
  4. शुद्धता का पालन करें और जाप से पहले स्नान करें।

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मंत्र पृश्न-उत्तर

पृश्न 1: काल भैरव कौन हैं?

उत्तर:काल भैरव भगवान शिव के एक रौद्र रूप हैं जो समय, मृत्यु और शत्रु नाशक के रूप में जाने जाते हैं। उनका आह्वान शत्रुओं और बाधाओं से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है।

पृश्न 2: काल भैरव मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

उत्तर:कोई भी स्त्री या पुरुष जो 20 वर्ष से अधिक आयु का हो, इस मंत्र का जाप कर सकता है। केवल जाप के नियमों का पालन करना आवश्यक है।

पृश्न 3: काल भैरव मंत्र का जाप कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर:इस मंत्र का जाप कम से कम 11 दिनों तक और अधिकतम 21 दिनों तक किया जाना चाहिए।

पृश्न 4: मंत्र जप के लिए कौन सा समय उपयुक्त है?

उत्तर:ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) और प्रदोष काल (शाम 6-8 बजे) मंत्र जप के लिए सबसे उपयुक्त समय होते हैं।

पृश्न 5: मंत्र जाप के दौरान कौन से वस्त्र नहीं पहनने चाहिए?

उत्तर:मंत्र जाप के समय नीले और काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। लाल या सफेद वस्त्र पहनना शुभ होता है।

पृश्न 6: क्या इस मंत्र का जाप करने के लिए कोई विशेष सामग्री चाहिए?

उत्तर:जी हां, इस मंत्र के जाप के लिए लाल या काले वस्त्र, सिंदूर, चावल, दीपक और अगरबत्ती जैसी सामग्री आवश्यक होती है।

पृश्न 7: मंत्र जप में कितनी माला करनी चाहिए?

उत्तर:प्रत्येक दिन 11 माला (1188 बार) मंत्र का जाप करना चाहिए।

पृश्न 8: मंत्र जाप के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर:धूम्रपान, मांसाहार, और शराब से बचें। ब्रह्मचर्य का पालन करें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

पृश्न 9: काल भैरव मंत्र के क्या लाभ हैं?

उत्तर:इस मंत्र के जाप से शत्रु नाश, आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

पृश्न 10: क्या इस मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है?

उत्तर:काल भैरव मंत्र का जाप विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को शुरू करना शुभ माना जाता है।

पृश्न 11: मंत्र जाप के लिए कौन सा स्थान उपयुक्त है?

उत्तर:एकांत, शुद्ध और शांत स्थान इस मंत्र के जाप के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं। पूजा स्थल या मंदिर भी उपयुक्त स्थान हो सकते हैं।

पृश्न 12: क्या काल भैरव मंत्र से आर्थिक उन्नति हो सकती है?

उत्तर:हां, काल भैरव मंत्र का जाप करने से धन-धान्य में वृद्धि और जीवन में आर्थिक स्थिरता प्राप्त हो सकती है।


Chamunda Yogini Mantra for strong protection

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चामुंडा योगिनी मंत्र – देवी चामुंडा की कृपा प्राप्ति का विशेष उपाय

चामुंडा योगिनी मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है जो देवी चामुंडा को समर्पित है। देवी चामुंडा शक्ति और विनाश की देवी मानी जाती हैं, जो शत्रु नाश और साधक की रक्षा करती हैं। यह मंत्र विशेष रूप से उन साधकों के लिए है जो किसी कठिन परिस्थिति या शत्रुओं से मुक्त होना चाहते हैं। चामुंडा योगिनी मंत्र का जाप साधक को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

मंत्र

ॐ ह्रीं क्रीं चामुंडा योगिनेश्वरी नमः

अर्थ:
“ॐ” ब्रह्मांड की दिव्य शक्ति का प्रतीक है। “ह्रीं” देवी की शक्ति का बीज मंत्र है जो आंतरिक शुद्धि और सिद्धि प्रदान करता है। “क्रीं” तांत्रिक शक्ति और ऊर्जा को जागृत करता है। “चामुंडा योगिनेश्वरी” से तात्पर्य चामुंडा देवी के योगिनी रूप का आह्वान है, और “नमः” का अर्थ है समर्पण और श्रद्धा।

चामुंडा योगिनी मंत्र के लाभ

  1. शत्रु नाश और रक्षा
  2. मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि
  3. आध्यात्मिक उन्नति
  4. जीवन में विजय और सफलता
  5. पारिवारिक कलह से मुक्ति
  6. व्यापार और कार्यों में उन्नति
  7. धन और संपत्ति की वृद्धि
  8. रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य में सुधार
  9. भय और चिंता से मुक्ति
  10. शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्ति
  11. आध्यात्मिक जागृति और दिव्य शक्ति की प्राप्ति
  12. कानूनी मामलों में सफलता
  13. सामाजिक प्रतिष्ठा और मान-सम्मान
  14. यात्रा में सुरक्षा और शुभफल
  15. नकारात्मक ऊर्जा और बुरी दृष्टि से रक्षा
  16. कार्य सिद्धि और इच्छाओं की पूर्ति
  17. जीवन में शांति, संतुलन और दीर्घायु प्राप्ति

मंत्र विधि

जप का दिन:

चामुंडा योगिनी मंत्र का जाप मंगलवार, शुक्रवार, या रविवार को प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।

अवधि:

साधक को इस मंत्र का जाप 11 से 21 दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए।

मुहूर्त:

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे तक) और प्रदोष काल (शाम 6 से 8 बजे तक) इस मंत्र के जाप के लिए सर्वोत्तम समय माने जाते हैं।

मंत्र जप की सामग्री

देवी चामुंडा की प्रतिमा या चित्र

  1. लाल वस्त्र और कुमकुम
  2. दीपक और धूप (सरसों या तिल के तेल का दीपक)
  3. लाल चंदन और चावल
  4. नारियल
  5. फूल (विशेष रूप से लाल गुलाब या चमेली)
  6. अगरबत्ती

मंत्र जप संख्या

प्रत्येक दिन 11 माला (1188 बार) मंत्र का जाप करना अनिवार्य है। जाप के समय एकाग्रता बनाए रखें और माला का उपयोग करके मंत्र की गिनती करें।

मंत्र जप के नियम

  1. साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  3. जाप के दौरान नीले और काले रंग के वस्त्र धारण न करें।
  4. धूम्रपान, शराब, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. जाप के समय मन को शांत और स्थिर रखें।
  7. किसी भी नकारात्मक विचार से दूर रहें और पूर्ण श्रद्धा से मंत्र का जाप करें।

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जप के दौरान सावधानियां

  1. जाप के लिए स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
  2. जाप के समय ध्यान केंद्रित रखें और बाहरी विकर्षणों से बचें।
  3. मंत्र जप से पहले स्नान करके शरीर की शुद्धि करें।
  4. मंत्र के उच्चारण में स्पष्टता और ध्यान रखें।
  5. मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध रहें।

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चामुंडा योगिनी मंत्र पृश्न-उत्तर

पृश्न 1: चामुंडा योगिनी कौन हैं?

उत्तर:
चामुंडा योगिनी देवी दुर्गा का एक उग्र रूप हैं, जो शत्रुनाश और साधक की रक्षा के लिए पूजी जाती हैं। यह रूप योगिनी रूप में शक्ति और विनाश का प्रतीक है।

पृश्न 2: चामुंडा योगिनी मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

उत्तर:
20 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, इस मंत्र का जाप कर सकता है, लेकिन उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन और मांसाहार से परहेज करना चाहिए।

पृश्न 3: इस मंत्र का जाप कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर:
चामुंडा योगिनी मंत्र का जाप कम से कम 11 दिनों और अधिकतम 21 दिनों तक करना चाहिए।

पृश्न 4: मंत्र जप का उपयुक्त समय क्या है?

उत्तर:
ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे तक) और प्रदोष काल (शाम 6 से 8 बजे तक) इस मंत्र के जाप के लिए सर्वोत्तम समय माने जाते हैं।

पृश्न 5: मंत्र जप के दौरान किन वस्त्रों से बचना चाहिए?

उत्तर:
जाप के समय नीले और काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। साधक को लाल या सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए।

पृश्न 6: मंत्र जप के लिए क्या सामग्री आवश्यक है?

उत्तर:
मंत्र जप के लिए देवी चामुंडा की प्रतिमा या चित्र, लाल वस्त्र, दीपक, धूप, कुमकुम, चावल, और फूल जैसी सामग्री का उपयोग किया जाता है।

पृश्न 7: मंत्र जप में कितनी माला करनी चाहिए?

उत्तर:
प्रत्येक दिन 11 माला का जाप करना अनिवार्य है, जिसमें 1188 बार मंत्र का उच्चारण किया जाता है।

पृश्न 8: मंत्र जप के दौरान कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर:
जाप के दौरान मांसाहार, धूम्रपान, और शराब से परहेज करना चाहिए। साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करें और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।

पृश्न 9: इस मंत्र के जाप से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर:
इस मंत्र के जाप से शत्रु नाश, मानसिक शांति, आत्मविश्वास में वृद्धि, आध्यात्मिक उन्नति, और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

पृश्न 10: क्या चामुंडा योगिनी मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है?

उत्तर:
चामुंडा योगिनी मंत्र का जाप विशेष रूप से मंगलवार, शुक्रवार, और रविवार को प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।

पृश्न 11: मंत्र जप के लिए कौन सा स्थान उपयुक्त है?

उत्तर:
मंत्र जप के लिए शांत, स्वच्छ और एकांत स्थान सबसे उपयुक्त होते हैं। मंदिर या घर का पूजा स्थल भी उपयुक्त है।

पृश्न 12: क्या इस मंत्र का जाप जीवन में आर्थिक उन्नति ला सकता है?

उत्तर:
हां, चामुंडा योगिनी मंत्र का जाप करने से जीवन में धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है, साथ ही आर्थिक स्थिरता भी आती है।

Bramhi yogini mantra for wisdom

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ब्राह्मी योगिनी मंत्र – ज्ञान, शांति और समृद्धि के लिए अद्भुत साधना

ब्राह्मी योगिनी मंत्र, एक शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है, जो ज्ञान, बुद्धि, आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि की प्राप्ति हेतु जप किया जाता है। यह मंत्र ब्राह्मी देवी, जो शक्ति की आठ प्रमुख योगिनियों में से एक हैं, की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। इस मंत्र का जप व्यक्ति की आंतरिक शक्तियों को जागृत करता है और जीवन में सफलता दिलाता है।

मंत्र

(ॐ ऐं ह्रीं ब्राह्मी योगिनेश्वरी नमः)
यह मंत्र ब्राह्मी देवी की उपासना में प्रमुख है।
अर्थ: “ऐं” सरस्वती बीज है, जो बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है। “ह्रीं” महालक्ष्मी बीज है, जो शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। “ब्राह्मी योगिनेश्वरी” ब्रह्मा की शक्ति, ब्राह्मी योगिनी को संबोधित करता है, और “नमः” से हम विनम्रता से उनके चरणों में समर्पित होते हैं।

ब्राह्मी योगिनी मंत्र के लाभ

  1. ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  2. बुद्धि तीव्र होती है।
  3. आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
  4. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  5. रोगों से मुक्ति मिलती है।
  6. धन और समृद्धि का आगमन होता है।
  7. कार्यों में सफलता मिलती है।
  8. आध्यात्मिक बाधाएं दूर होती हैं।
  9. जीवन में स्थिरता आती है।
  10. नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  11. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  12. भय का नाश होता है।
  13. रिश्तों में मधुरता आती है।
  14. विचारों में स्पष्टता मिलती है।
  15. दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  16. तप और साधना में सफलता मिलती है।
  17. साधक की ऊर्जा और शक्ति का उत्थान होता है।

विधि

  • दिन: इस मंत्र का जप किसी भी शुभ दिन प्रारंभ कर सकते हैं, विशेषकर मंगलवार और शुक्रवार को।
  • अवधि: ११ से २१ दिनों तक निरंतर जप करें।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह ४-६ बजे) सबसे उत्तम समय होता है।
  • वस्त्र: सफेद या पीले वस्त्र धारण करें।
  • आसन: कुश या लाल ऊन का आसन प्रयोग करें।

जप विधि

  • जप अवधि: ११ से २१ दिन तक निरंतर जप करें।
  • माला: रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग करें।
  • मंत्र संख्या: प्रतिदिन ११ माला जप करें। (११८८ मंत्र प्रतिदिन)
  • सामग्री: दीपक, अगरबत्ती, जल से भरा पात्र, पुष्प, तथा देवी ब्राह्मी की प्रतिमा।

मंत्र जप के नियम

  • उम्र २० वर्ष से ऊपर होनी चाहिए।
  • स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  • नीले और काले कपड़े न पहनें।
  • धूम्रपान, मांसाहार और मद्यपान से दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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मंत्र जप की सावधानियां

  1. इस मंत्र का जप सद्गुरु या योग्य मार्गदर्शक की सलाह से करें।
  2. स्थान शुद्ध और शांत होना चाहिए।
  3. मन में कोई नकारात्मक विचार न रखें।
  4. भोजन सात्विक हो और नियमित हो।
  5. भावनाओं को नियंत्रण में रखें।

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ब्राह्मी योगिनी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: ब्राह्मी योगिनी मंत्र का जप कब किया जाता है?
उत्तर: ब्राह्मी योगिनी मंत्र का जप प्रातः काल, ब्रह्म मुहूर्त में करना उत्तम होता है। विशेषकर मंगलवार या शुक्रवार के दिन प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 2: ब्राह्मी योगिनी मंत्र से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: इस मंत्र से ज्ञान, बुद्धि, आध्यात्मिक जागरूकता, मानसिक शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 3: इस मंत्र का जप कितने दिन करना चाहिए?
उत्तर: इस मंत्र का जप ११ से २१ दिन तक निरंतर करना चाहिए।

प्रश्न 4: क्या इस मंत्र का जप कोई भी कर सकता है?
उत्तर: हां, इस मंत्र का जप स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं, बशर्ते उनकी आयु २० वर्ष से अधिक हो।

प्रश्न 5: क्या इस मंत्र का जप करते समय किसी विशेष वस्त्र का पालन करना चाहिए?
उत्तर: हां, जप करते समय सफेद या पीले वस्त्र पहनना चाहिए, और नीले या काले वस्त्रों से बचना चाहिए।

प्रश्न 6: क्या मंत्र जप के दौरान खान-पान का कोई विशेष नियम है?
उत्तर: हां, जप के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए और मांसाहार, मद्यपान और धूम्रपान से बचना चाहिए।

प्रश्न 7: ब्रह्मचर्य का पालन क्यों आवश्यक है?
उत्तर: ब्रह्मचर्य से साधक की ऊर्जा और एकाग्रता बनी रहती है, जिससे मंत्र जप का फल शीघ्र प्राप्त होता है।

प्रश्न 8: मंत्र जप के लिए कौन सी माला उपयुक्त है?
उत्तर: रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग करना श्रेष्ठ माना जाता है।

प्रश्न 9: इस मंत्र के जप के दौरान क्या कोई विशेष सावधानी रखनी चाहिए?
उत्तर: हां, स्थान शुद्ध और शांत होना चाहिए और जप करते समय नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 10: क्या मंत्र जप के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर: हां, दीपक, अगरबत्ती, पुष्प, जल का पात्र और ब्राह्मी देवी की प्रतिमा अनिवार्य मानी जाती है।

Holashtak Kya Hai?

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होलाष्टक मे पूजा करे या न करे

होली के ८ दिन पहले होलष्टक मुहुर्थ होता है होलाष्टक में पूजा करना या न करना, यह आपकी व्यक्तिगत आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है। होलाष्टक मे पूजा-पाठ छोडकर कोई मांगलिक कार्य नही करने चाहिये।

होलाष्टक में पूजा करने के पक्ष में

  1. नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाव: पूजा नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने में मदद करती है।
  2. आध्यात्मिक लाभ: पूजा से मन शांत होता है और आध्यात्मिक प्रगति संभव होती है।
  3. मनोकामना पूर्ति: मान्यता है कि होलाष्टक में पूजा से इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

होलाष्टक में पूजा न करने के पक्ष में

  1. अशुभ काल: होलाष्टक अशुभ समय माना जाता है, जिससे पूजा का शुभ फल नहीं मिलता।
  2. विशेष मुहूर्त की आवश्यकता: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त जरूरी होता है, जो होलाष्टक में हमेशा नहीं मिलता।
  3. व्यक्तिगत इच्छा: यदि पूजा में रुचि न हो, तो इसे करना आवश्यक नहीं है।

नतीजा

होलाष्टक में पूजा करना या न करना, यह आपकी इच्छा पर निर्भर करता है। यदि आप पूजा करना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें और पूजा विधि का पालन करें। यदि आप पूजा करने में सहज नहीं हैं, तो आपको पूजा नहीं करनी चाहिए।

कुछ खास बातें

  • होलाष्टक में भगवान विष्णु, शिव और दुर्गा की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • आप घर पर या मंदिर में पूजा कर सकते हैं।
  • पूजा करते समय ध्यान और एकाग्रता का ध्यान रखें।

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यहां कुछ पूजा विधियां और मंत्र दिए गए हैं

  • भगवान विष्णु की पूजा:
    • विधि: भगवान विष्णु की मूर्ति को स्नान कराएं, चंदन, फूल और फल अर्पित करें। तुलसी की माला से “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें।
  • भगवान शिव की पूजा:
    • विधि: भगवान शिव की मूर्ति को स्नान कराएं, बेल पत्र, चंदन और फूल अर्पित करें। रुद्राक्ष की माला से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
  • माँ दुर्गा की पूजा:
    • विधि: माँ दुर्गा की मूर्ति को स्नान कराएं, लाल फूल और फल अर्पित करें। चमेली की माला से “ॐ जय जय जगदम्बे” मंत्र का जाप करें।

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ध्यान रखें

  • होलाष्टक में मंगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
  • इस दौरान घर में कोई नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।

Holika dahan- होली मे लक्ष्मी प्रयोग कैसे करे?

Holika dahan- होली मे लक्ष्मी प्रयोग कैसे करे?

पाप मुक्त व लक्ष्मी की कृपा देने करने वाला होलिका दहन एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो होली के पर्व से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और मुख्यतः फाल्गुन पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है। इस रात को लक्ष्मी प्रयोग किया जाये तो १० गुना ज्यादा फल मिलता है।

होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन का महत्व मुख्यतः धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से बहुत अधिक है। इस दिन को भगवान विष्णु की भक्ति और प्रह्लाद की तपस्या की जीत के रूप में मनाया जाता है। होलिका दहन के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि सच्चाई और धर्म की हमेशा जीत होती है, चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न हो।

पौराणिक कथा

होलिका दहन की पौराणिक कथा हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद से जुड़ी है। हिरण्यकश्यप एक असुर राजा था जिसने खुद को भगवान मान लिया था और अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उसका बेटा प्रह्लाद विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए लेकिन हर बार असफल रहा। अंत में उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली, जिसे वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई।

विधि

  1. सामग्री: लकड़ी, उपले, गोबर के कंडे, रंग-बिरंगी कपड़े, धूप, दीपक, मिठाई, नारियल, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, फूल, गंगाजल, हवन सामग्री।
  2. स्थान चयन: होलिका दहन के लिए एक साफ और शुभ स्थान का चयन करें।
  3. होलिका का निर्माण: लकड़ी और उपलों से होलिका का निर्माण करें और उसके ऊपर गोबर के कंडे रखें।
  4. पूजा: पूजा सामग्री से होलिका की पूजा करें। भगवान विष्णु और प्रह्लाद की कथा का पाठ करें।
  5. दहन: विधिपूर्वक होलिका का दहन करें और प्रह्लाद की भक्ति की प्रशंसा करें।

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होलिका दहन के लाभ

  1. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: होलिका दहन के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  2. भक्ति और श्रद्धा: इस दिन भगवान विष्णु और प्रह्लाद की भक्ति का स्मरण किया जाता है, जिससे भक्तों में श्रद्धा बढ़ती है।
  3. समाज में सद्भावना: होलिका दहन से समाज में भाईचारे और सद्भावना का संदेश फैलता है।
  4. परंपरा का पालन: यह त्योहार हमारी प्राचीन परंपराओं और संस्कृति को जीवित रखता है।
  5. सफाई: होलिका दहन के दौरान घर और आसपास की सफाई की जाती है, जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है।

होलिका दहन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें अच्छाई की जीत और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस त्योहार को पूरे हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी इस महत्वपूर्ण परंपरा को समझें और आगे बढ़ाएँ।

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माता लक्ष्मी

  • माता लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं, जिनकी पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य आता है।
  • लक्ष्मी पूजा करने से ऐश्वर्य, सौभाग्य और धन का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन खुशहाल बनता है।
  • कनकलक्ष्मी की उपासना से लोग धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
  • ध्यान में माता लक्ष्मी को धन-समृद्धि प्रदान करने वाली दिव्य रूप में देखा जाता है।
  • उन्हें जगमगाते वस्त्र और धन की झूली के साथ कमल फूल पर आसीन दिखाया जाता है।
  • लक्ष्मी मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः।”
  • पूजा के लिए उपयुक्त मुहूर्त: होली, दीपावली, शुक्रवार या गुरु पुष्य योग।

Aruna yogini mantra for luck

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अरुणा योगिनी मंत्र से प्राप्त करें अद्भुत लाभ और सिद्धियाँ

अरुणा योगिनी देवी माँ के 64 योगिनियों में से एक महत्वपूर्ण स्वरूप मानी जाती हैं। योगिनियाँ तंत्र और साधना की दिव्य शक्तियाँ हैं, जो साधकों को अद्वितीय सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। अरुणा योगिनी को शक्ति और तेजस्विता का प्रतीक माना जाता है। उनके उपासक को आत्म-बल और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। अरुणा योगिनी मंत्र का जाप साधक को आंतरिक और बाह्य शांति प्रदान करता है, और जीवन में समृद्धि व सफलता के मार्ग को प्रशस्त करता है।

मंत्र

“ॐ ह्रीं अरुणायै योगिनेश्वरी नमः”

मंत्र अर्थ:
इस मंत्र का अर्थ है: “मैं अरुणा योगिनी को प्रणाम करता/करती हूँ, जो योगिनियों की अधीश्वरी हैं और शक्ति का प्रतीक हैं।” यह मंत्र आंतरिक ऊर्जा के उत्थान और शक्तियों को जाग्रत करने के लिए है।

अरुणा योगिनी मंत्र के लाभ

  1. आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि।
  2. मानसिक शांति और स्थिरता।
  3. नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा।
  4. कार्यों में सफलता प्राप्ति।
  5. धन, सुख और समृद्धि का आगमन।
  6. आत्मविश्वास में वृद्धि।
  7. रोगों से मुक्ति।
  8. आत्म-ज्ञान की प्राप्ति।
  9. तनाव से मुक्ति।
  10. जीवन में सकारात्मकता।
  11. बुरे कर्मों का नाश।
  12. परिवारिक कलहों का निवारण।
  13. आध्यात्मिक और सांसारिक संतुलन।
  14. चक्रों का शुद्धिकरण।
  15. ब्रह्मचर्य का पालन और ऊर्जा संरक्षण।
  16. भौतिक इच्छाओं की पूर्ति।
  17. आध्यात्मिक दीक्षा की प्राप्ति।

अरुणा योगिनी मंत्र विधि

  1. जप का दिन: इस मंत्र का जाप मंगलवार, शुक्रवार या पूर्णिमा के दिन आरंभ करना शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: 11 से 21 दिन तक इस मंत्र का जाप निरंतर करें।
  3. मुहूर्त: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) या शाम को सूर्यास्त के समय जाप करना श्रेष्ठ है।
  4. मंत्र जप संख्या: प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करें।
  5. सामग्री: लाल वस्त्र, दीपक, धूप, पुष्प, और अरुणा योगिनी की प्रतिमा या चित्र।

मंत्र जप के नियम

  1. इस मंत्र का जप केवल 20 वर्ष से अधिक उम्र के साधक कर सकते हैं।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  3. जाप करते समय नीले या काले वस्त्र धारण न करें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से दूर रहें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. पवित्रता और एकाग्रता के साथ मंत्र का जाप करें।

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मंत्र जप में सावधानियाँ

  1. मंत्र जाप करते समय शरीर और मन को शुद्ध रखें।
  2. किसी प्रकार की नकारात्मक विचारधारा न रखें।
  3. अशुद्ध वस्त्र या अशुद्ध स्थान पर बैठकर जाप न करें।
  4. अनावश्यक बोलने या किसी और प्रकार की गतिविधि में लिप्त न रहें।
  5. जाप के दौरान शारीरिक या मानसिक अस्वस्थता होने पर डॉक्टर से सलाह लें।

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अरुणा योगिनी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: अरुणा योगिनी मंत्र का जप कब करना चाहिए?

उत्तर: अरुणा योगिनी मंत्र का जप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या शाम को सूर्यास्त के समय करना उत्तम माना जाता है।

प्रश्न 2: मंत्र का जप कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र का जप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक किया जा सकता है।

प्रश्न 3: मंत्र जप के लिए कौन से वस्त्र धारण करने चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप के लिए लाल, सफेद या पीले वस्त्र पहनना शुभ होता है। नीले और काले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।

प्रश्न 4: क्या मंत्र जप के समय कुछ विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए?

उत्तर: हाँ, शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से परहेज करें।

प्रश्न 5: अरुणा योगिनी मंत्र का जप कौन कर सकता है?

उत्तर: 20 वर्ष से अधिक उम्र के कोई भी स्त्री या पुरुष इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

प्रश्न 6: मंत्र का जाप कितनी माला करना चाहिए?

उत्तर: प्रतिदिन कम से कम 11 माला (1188 मंत्र) का जाप करना चाहिए।

प्रश्न 7: क्या इस मंत्र के जप से समृद्धि मिलती है?

उत्तर: हाँ, इस मंत्र के जप से साधक को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 8: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन क्यों आवश्यक है?

उत्तर: ब्रह्मचर्य का पालन करने से ऊर्जा और मानसिक शांति बनी रहती है, जिससे साधना सफल होती है।

प्रश्न 9: अरुणा योगिनी किसकी अधीश्वरी हैं?

उत्तर: अरुणा योगिनी योगिनियों की अधीश्वरी हैं और उन्हें शक्ति और तेजस्विता का प्रतीक माना जाता है।

प्रश्न 10: क्या मंत्र जाप के दौरान कोई विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?

उत्तर: हाँ, मंत्र जाप के लिए लाल वस्त्र, दीपक, धूप, पुष्प, और अरुणा योगिनी की प्रतिमा या चित्र का उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न 11: मंत्र जाप से कौन-कौन सी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं?

उत्तर: अरुणा योगिनी मंत्र के जप से साधक को आध्यात्मिक और सांसारिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 12: मंत्र जाप में नकारात्मक ऊर्जा से कैसे बचा जा सकता है?

उत्तर: नियमित शुद्धता, सकारात्मक विचार, और मंत्र के प्रति श्रद्धा बनाए रखने से नकारात्मक ऊर्जा से बचा जा सकता है।