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Dhundhi Ganapati Mantra for Family Peace

धुंडी गणपति / Dhundhi Ganapati Mantra for Family Peace

ज्ञान व निर्णय लेने की क्षमता बढाने वाले धुंडी गणपति (Dhundhi Ganapati) भगवान गणेश का एक अनूठा स्वरूप है। इनका नाम “धुंडी” शब्द से आया है, जिसका अर्थ है “छोटा पेट”। इस रूप में, भगवान गणेश को एक छोटे से पेट के साथ दर्शाया जाता है, जो उनके दिव्य ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

स्वरूप

धुंडी गणपति, जिन्हें विघ्नहर्ता के रूप में भी जाना जाता है, का स्वरूप अत्यंत मनोहारी और आकर्षक है। धुंडी गणपति की चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें वे विभिन्न वस्त्र धारण करते हैं। एक हाथ में वे अंकुश, दूसरे हाथ में पाश, तीसरे हाथ में मोदक (लड्डू) और चौथे हाथ से अभय मुद्रा में आशीर्वाद देते हैं। धुंडी गणपति का वाहन मूषक है, जो उनके पास बैठा रहता है। उनका स्वरूप लाल रंग का होता है, जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।

धुंडी गणपति Mantra का अर्थ

मंत्र:

मंत्र का अर्थ:

  • ” परमात्मा का प्रतीक है।
  • गं” गणपति का बीज मंत्र है।
  • ग्लौं” गणपति के शाक्ति का बीज मंत्र है।
  • धुंडी गणपतये” का अर्थ है धुंडी गणपति को।
  • नमः” का अर्थ है नमन करना या प्रणाम करना।

इस मंत्र का उच्चारण करने से मन की शांति, शत्रुओं से सुरक्षा, और सफलता की प्राप्ति होती है।

जप के लाभ

  1. विवाद मुक्ति: जीवन में आने वाले विवादों से मुक्ति मिलती है।
  2. शत्रु से सुरक्षा: शत्रुओं से सुरक्षा प्राप्त होती है।
  3. ब्यापार तरक्की: व्यापार में उन्नति और सफलता मिलती है।
  4. आर्थिक बाधा: आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  5. नौकरी में उन्नति: नौकरी में पदोन्नति और उन्नति मिलती है।
  6. असुरक्षा की भावना: असुरक्षा की भावना से मुक्ति मिलती है।
  7. भय से मुक्ति: भय और डर से छुटकारा मिलता है।
  8. कार्य सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  9. तंत्र बाधा: तंत्र-मंत्र की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  10. आर्थिक बंधन: आर्थिक बंधनों से छुटकारा मिलता है।
  11. क्लेश मुक्ति: जीवन में क्लेश और अशांति से मुक्ति मिलती है।
  12. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य में वृद्धि होती है।
  13. अध्यात्मिक शक्ति: अध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  14. ग्रहस्थ सुख: ग्रहस्थ जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  15. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सद्भावना आती है।
  16. विघ्न बाधा: सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं का निवारण होता है।
  17. आर्थिक सुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्राप्त होती है।
  18. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  19. योग्यता में वृद्धि: योग्यता और क्षमता में वृद्धि होती है।
  20. आनंदमय जीवन: जीवन में आनंद और प्रसन्नता आती है।

सामग्री

  1. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
  2. गंगाजल
  3. काले तिल
  4. कुशा (एक प्रकार की पवित्र घास)
  5. तुलसी पत्र
  6. केले के पत्ते
  7. फूल
  8. धूप और दीपक
  9. चंदन
  10. अक्षत (चावल)
  11. शुद्ध घी
  12. कपूर
  13. हवन सामग्री
  14. पवित्र धागा (कच्चा सूत)
  15. नारियल
  16. फल
  17. वस्त्र (धोती और अंगवस्त्रम)
  18. ब्राह्मण भोज के लिए अन्न और अन्य सामग्री

जप का समय

  • महुर्त: सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • दिन: गणेश चतुर्थी, मंगलवार, और चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से पूजा करना लाभकारी होता है।
  • अवधि: पूजा की अवधि कम से कम 1 घंटे की होनी चाहिए।

जप की विधि

  1. स्नान और शुद्धि: स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान चयन: पूजा के लिए शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें।
  3. मंडल तैयार करना: भूमि को पवित्र करके मंडल बनाएं।
  4. देवताओं का आह्वान: पंचदेवों (गणेश, विष्णु, शिव, शक्ति और सूर्य) का आह्वान करें।
  5. संकल्प: अपने दोषों के निवारण के लिए संकल्प लें।
  6. गणपति स्थापना: धुंडी गणपति की प्रतिमा की स्थापना करें।
  7. अभिषेक: पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें।
  8. मंत्र जाप: धुंडी गणपति मंत्र का जाप करें।
  9. हवन: हवन सामग्री और घी से हवन करें।
  10. ब्राह्मण भोज: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें।
  11. प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में प्रसाद वितरण करें।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. सही विधि का पालन करें: पूजा विधि का सही ढंग से पालन करें।
  3. अनुभवी पंडित का सहयोग लें: पूजा के लिए अनुभवी पंडित की सहायता लें।
  4. ब्राह्मण भोज और दान: ब्राह्मण भोज और दान को विशेष रूप से महत्व दें।
  5. संकल्प में दृढ़ता रखें: संकल्प में दृढ़ता और श्रद्धा रखें।

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धुंडी गणपति मंत्र जप – पृश्न उत्तर

  1. धुंडी गणपति कौन हैं?
    • धुंडी गणपति गणेशजी का एक रूप हैं, जो विशेष रूप से विवाद मुक्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए पूजनीय हैं।
  2. धुंडी गणपति मंत्र का क्या अर्थ है?
    • धुंडी गणपति मंत्र का अर्थ है गणेशजी को नमन करते हुए उनकी शक्ति और कृपा की प्राप्ति करना।
  3. धुंडी गणपति की पूजा के क्या लाभ हैं?
    • विवाद मुक्ति, शत्रु से सुरक्षा, व्यापार तरक्की, आर्थिक बाधाओं से मुक्ति, नौकरी में उन्नति, और मानसिक शक्ति की प्राप्ति।
  4. धुंडी गणपति की पूजा किस दिन करनी चाहिए?
    • गणेश चतुर्थी, मंगलवार, और चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए।
  5. धुंडी गणपति की पूजा का समय क्या होना चाहिए?
    • सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  6. पूजा की सामग्री क्या है?
    • पंचामृत, गंगाजल, काले तिल, कुशा, तुलसी पत्र, केले के पत्ते, फूल, धूप, दीपक, चंदन, अक्षत, शुद्ध घी, कपूर, हवन सामग्री, पवित्र धागा, नारियल, फल, और वस्त्र।
  7. पूजा की विधि क्या है?
    • स्नान, शुद्धि, स्थान चयन, मंडल तैयार करना, देवताओं का आह्वान, संकल्प, गणपति स्थापना, अभिषेक, मंत्र जाप, हवन, ब्राह्मण भोज, और प्रसाद वितरण।
  8. क्या पूजा के दौरान व्रत रखना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के दौरान व्रत रखना लाभकारी होता है।
  9. क्या पूजा के बाद विशेष दान करना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के बाद दान करना शुभ माना जाता है।
  10. क्या पूजा घर में कर सकते हैं?
    • हाँ, इस पूजा को घर में भी किया जा सकता है, लेकिन स्थान शुद्ध और शांत होना चाहिए।
  11. ब्राह्मण भोज का महत्व क्या है?
    • ब्राह्मण भोज से पित्रों की आत्मा को शांति मिलती है और श्रापित दोष का निवारण होता है।
  12. क्या पूजा के दौरान परिवार के सभी सदस्य उपस्थित होने चाहिए?
    • हाँ, परिवार के सभी सदस्य उपस्थित होने चाहिए ताकि पूजा का पूर्ण लाभ मिल सके।

Pitra & shrapit dosh nivaran pujan shivir

Pitra & shrapit dosh nivaran pujan shivir

29.01.2025- Pitri Amavasya Pujan Shivir- Pitra & Shrapit Dosha Nivaran Puja

मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे अमवस्या मे पित्र व श्रापित दोष निवारण पूजन का आयोजन होने जा रहा है. जिनकी कुंडली मे अश्लेशा, मघा, रेवती, ज्येष्ठा, मूल व अश्विनी नक्षत्र हो, उनको पित्र दोष या मूल दोष माना जाता है.

पित्र दोष होने से विवाहित जीवन मे कलह, शादी व्याह संतान वंश की समस्या, नजर तंत्र बाधा की समस्या व आर्थिक समस्या आने की संभावना अत्यधिक मानी जाती है. ये दोष शत्रुओ की संख्या को बढा देता है. पित्रो यानी पुर्वजो के श्राप की वजह से वंश बढना मुश्किल हो जाता है.

इसलिये इस पूजन मे भाग लेना अनिवार्य माना जाता है. अगर आप शिविर मे भाग लेना चाहते है तो प्रत्यक्ष आकर भाग ले सकते है या ऑनलाईन भी भाग ले सकते है. नीचे लिंक दिया गया है, वहा से आप बुकिंग करवा सकते है.

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पित्र व श्रापित दोष निवारण पूजा से लाभ

पितृ दोष और मूल दोष की पूजा या उपासना करने से व्यक्ति को कई लाभ हो सकते हैं। ये लाभ शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर होते हैं।

  1. कर्मफल सुधार: पितृ दोष और मूल दोष की पूजा से कर्मफल में सुधार हो सकता है। ये दोष कर्मक्षय और कर्मफल को प्रभावित करने वाले किसी भी अवस्था को सुधार सकते हैं।
  2. परिवार में सुख शांति: पितृ दोष और मूल दोष की पूजा से परिवार में सुख और शांति बनी रह सकती है। इससे परिवार के सदस्यों के बीच सम्मान और प्रेम बढ़ सकता है।
  3. आर्थिक स्थिति में सुधार: ये पूजा आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकती है और धन लाभ को प्रोत्साहित कर सकती है।
  4. आत्मिक विकास: इस पूजा से आपका आत्मविकास हो सकता है और आपकी आत्मा की शुद्धि हो सकती है।
  5. पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलना: पितृ दोष और मूल दोष की पूजा से आपके पूर्वजों को भी आत्मिक शांति मिल सकती है।

ये लाभ पूजा को विधिवत और भक्ति भाव से करने पर होते हैं

पित्र व श्रापित दोष निवारण पूजा- FAQs

  1. पित्र दोष क्या है?
    • पित्र दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट होती है या उनके संस्कारों में कोई कमी रह जाती है।
  2. श्रापित दोष क्या है?
    • श्रापित दोष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति को किसी विशेष श्राप के प्रभाव से पीड़ित होना पड़ता है।
  3. पित्र दोष के लक्षण क्या हैं?
    • विवाह में बाधा, संतान सुख में कमी, आर्थिक समस्याएँ, और पारिवारिक कलह।
  4. श्रापित दोष के लक्षण क्या हैं?
    • निरंतर असफलता, स्वास्थ्य समस्याएँ, और जीवन में अस्थिरता।
  5. पित्र दोष निवारण के लिए कौन सी पूजा करनी चाहिए?
    • पित्र दोष निवारण के लिए पित्र दोष निवारण पूजा करनी चाहिए।
  6. श्रापित दोष निवारण के लिए कौन सी पूजा करनी चाहिए?
    • श्रापित दोष निवारण के लिए श्रापित दोष निवारण पूजा करनी चाहिए।
  7. पूजा की सामग्री क्या है?
    • पंचामृत, गंगाजल, काले तिल, कुशा, तुलसी पत्र, फूल, धूप, दीपक, चंदन, अक्षत, शुद्ध घी, कपूर, हवन सामग्री, पवित्र धागा, नारियल, फल, और वस्त्र।
  8. पूजा की विधि क्या है?
    • स्नान और शुद्धि, स्थान चयन, मंडल तैयार करना, देवताओं का आह्वान, संकल्प, पित्र तर्पण, श्रापित दोष निवारण मंत्र जाप, हवन, ब्राह्मण भोज, और प्रसाद वितरण।
  9. पूजा के लिए किस दिन का चयन करना चाहिए?
    • अमावस्या, पूर्णिमा, और श्राद्ध पक्ष के दिन पूजा करना शुभ माना जाता है।
  10. पूजा का समय क्या होना चाहिए?
    • प्रातः काल या संध्या समय पूजा करना उत्तम माना जाता है।
  11. क्या यह पूजा घर में कर सकते हैं?
    • हाँ, इस पूजा को घर में भी किया जा सकता है, लेकिन स्थान शुद्ध और शांत होना चाहिए।
  12. पूजा में किन मंत्रों का जाप करना चाहिए?
    • पित्र तर्पण मंत्र और श्रापित दोष निवारण मंत्र का जाप करना चाहिए।
  13. ब्राह्मण भोज का महत्व क्या है?
    • ब्राह्मण भोज से पित्रों की आत्मा को शांति मिलती है और श्रापित दोष का निवारण होता है।
  14. क्या पूजा के दौरान व्रत रखना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के दौरान व्रत रखना लाभकारी होता है।
  15. क्या पूजा के बाद विशेष दान करना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के बाद दान करना शुभ माना जाता है।
  16. पूजा के बाद क्या करना चाहिए?
    • पूजा के बाद प्रसाद वितरण और ब्राह्मण भोज करना चाहिए।
  17. क्या पूजा से सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है?
    • हाँ, यदि सही विधि और शुद्धता से पूजा की जाए तो सभी समस्याओं का समाधान संभव है।
  18. क्या पूजा के दौरान परिवार के सभी सदस्य उपस्थित होने चाहिए?
    • हाँ, परिवार के सभी सदस्य उपस्थित होने चाहिए ताकि पूजा का पूर्ण लाभ मिल सके।
  19. क्या पूजा के लिए किसी विशेष स्थान का चयन करना चाहिए?
    • हाँ, पूजा के लिए शुद्ध और शांत स्थान का चयन करना चाहिए।
  20. क्या पूजा के दौरान विशेष वस्त्र धारण करने चाहिए?
    • हाँ, पूजा के दौरान शुद्ध और सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए।

PITRA DOSHA PUJAN – BOOKING

Swarna Akarshana Ganapati Mantra Money Attraction

Swarna Akarshana Ganapati Mantra Money Attraction

दुकान धंधा व ब्यापार को बढाने वाले स्वर्ण आकर्षण गणपति, जिन्हें स्वर्ण गणपति के नाम से भी जाना जाता है, का अनुवाद “स्वर्ण-आकर्षित करने वाला गणेश” होता है। उन्हें भगवान गणेश का एक विशिष्ट रूप माना जाता है जो धन और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। स्वर्ण आकर्षण गणपति भगवान गणेश का एक विशिष्ट रूप है, जिसे विशेष रूप से धन और समृद्धि प्राप्ति के लिए पूजा जाता है। इस रूप में गणपति को स्वर्ण के रूप में देखा जाता है, जो समृद्धि और शुभता का प्रतीक है।

स्वर्ण आकर्षण गणपति का स्वरूप

स्वर्ण आकर्षण गणपति को स्वर्ण आभूषणों और वस्त्रों से सजाया जाता है। उनकी मूर्ति स्वर्णिम होती है और वे अत्यंत आकर्षक और सुंदर दिखाई देते हैं। उनके हाथों में विभिन्न वस्त्र और मुद्राएँ होती हैं जो धन, समृद्धि और सफलता का प्रतीक होती हैं।

स्वर्ण आकर्षण गणपति मंत्र और उसका अर्थ

  1. ॐ (Om): यह परमात्मा का बीज मंत्र है, जो ब्रह्मांड की समस्त ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।
  2. गं (Gam): यह गणपति का बीज मंत्र है, जो गणेश जी की उपासना का प्रतीक है। ‘गं’ का उच्चारण करते ही गणपति की शक्ति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
  3. ग्लौं (Gloum): यह एक विशेष तांत्रिक बीज मंत्र है, जो विशेष शक्तियों और समृद्धि की प्राप्ति के लिए उच्चारित किया जाता है।
  4. स्वर्ण (Swarn): इसका अर्थ है ‘सोना’ या ‘स्वर्ण’, जो समृद्धि और धन का प्रतीक है।
  5. आकर्षण (Aakarshan): इसका अर्थ है ‘आकर्षण’ या ‘आकर्षित करना’, जो धन और समृद्धि को आकर्षित करने की क्षमता का प्रतीक है।
  6. गणपतये (Ganapataye): यह भगवान गणेश को संबोधित करता है, जो विघ्नहर्ता और समृद्धि के देवता हैं।
  7. नमः (Namah): इसका अर्थ है ‘नमन’ या ‘प्रणाम’, जो भगवान गणेश को श्रद्धा और समर्पण का संकेत है।

इस प्रकार, इस मंत्र का पूरा अर्थ है:

“मैं परमात्मा, गणपति, और विशेष शक्तियों को नमन करता हूँ, जो स्वर्ण और समृद्धि को आकर्षित करने में सक्षम हैं। हे गणपति देव, मुझे धन, समृद्धि, और सुख-शांति प्रदान करें।”

स्वर्ण आकर्षण गणपति मंत्र के लाभ

  1. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति पाने के लिए यह पूजा अत्यंत प्रभावशाली है।
  2. धन आकर्षण: धन को आकर्षित करने और आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने में सहायक।
  3. व्यापार में तरक्की: व्यापार में सफलता और उन्नति के लिए।
  4. आर्थिक बाधाओं का निवारण: आर्थिक समस्याओं और बाधाओं का समाधान।
  5. नौकरी में उन्नति: नौकरी में उन्नति और पदोन्नति प्राप्त करने में सहायक।
  6. असुरक्षा की भावना से मुक्ति: असुरक्षा और भय से मुक्ति।
  7. भय से मुक्ति: मानसिक शांति और सुरक्षा की भावना प्राप्त होती है।
  8. कार्य सिद्धि: कार्यों में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है।
  9. तंत्र बाधाओं का निवारण: तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति।
  10. आर्थिक बंधनों का निवारण: आर्थिक बंधनों से छुटकारा।
  11. क्लेश मुक्ति: जीवन के विभिन्न क्लेशों से मुक्ति।
  12. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि।
  13. आध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति।
  14. गृहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति।
  15. परिवार में सुख शांति: परिवार में शांति और समृद्धि।
  16. विघ्न बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं का निवारण।
  17. आर्थिक सुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्राप्त होती है।
  18. व्यवसायिक उन्नति: व्यवसाय में प्रगति और उन्नति।
  19. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  20. सुख और समृद्धि: जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति।

स्वर्ण आकर्षण गणपति मंत्र पूजा की सामग्री

  • स्वर्ण गणपति की मूर्ति या चित्र
  • जल
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
  • चंदन
  • कुमकुम
  • हल्दी
  • बेलपत्र
  • दूर्वा घास
  • फल और मिठाई
  • धूप और दीपक
  • पुष्पमाला
  • नारियल
  • पान के पत्ते
  • सुपारी

स्वर्ण आकर्षण गणपति मंत्र मुहूर्त, दिन और अवधि

मुहूर्त:
सुबह का ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) और प्रदोष काल (संध्या समय) स्वर्ण आकर्षण गणपति पूजा के लिए सबसे शुभ समय माने जाते हैं।

दिन:
शुक्रवार और बुधवार को गणपति पूजा के लिए शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, चतुर्थी तिथि विशेष रूप से लाभकारी होती है।

अवधि:
पूजा की अवधि 1 से 3 घंटे हो सकती है, जिसमें मंत्र जप और अभिषेक शामिल होता है।

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स्वर्ण आकर्षण गणपति मंत्र सावधानियाँ

  1. पवित्रता बनाए रखें: पूजा स्थल और अपने आप को शुद्ध रखें।
  2. संकल्प करें: पूजा के पहले एक स्पष्ट संकल्प लें।
  3. अनुशासन का पालन करें: पूजा विधि में अनुशासन का पालन करें।
  4. ध्यान और एकाग्रता: पूजा के दौरान ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।
  5. शाकाहारी आहार: पूजा के दिन शाकाहारी आहार का पालन करें।
  6. शांति बनाए रखें: पूजा स्थल पर शांति और समर्पण का माहौल बनाए रखें।

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स्वर्ण आकर्षण गणपति मंत्र– अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. स्वर्ण आकर्षण गणपति कौन हैं?
    • स्वर्ण आकर्षण गणपति भगवान गणेश का एक रूप हैं, जो विशेष रूप से धन और समृद्धि के लिए पूजे जाते हैं।
  2. स्वर्ण आकर्षण गणपति पूजा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    • इस पूजा का मुख्य उद्देश्य धन, समृद्धि और सफलता प्राप्त करना है।
  3. इस पूजा के लिए कौन सा दिन शुभ है?
    • बुधवार, शुक्रवार और चतुर्थी तिथि को शुभ माना जाता है।
  4. स्वर्ण आकर्षण गणपति का मंत्र क्या है?
    • मंत्र है: ॥ॐ गं ग्लौं स्वर्ण आकर्षण गणपतये नमः॥
  5. इस पूजा से कौन-कौन से लाभ प्राप्त होते हैं?
    • कर्ज मुक्ति, धन आकर्षण, व्यापार में तरक्की, नौकरी में उन्नति, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति आदि।
  6. क्या इस पूजा के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता है?
    • हां, जल, पंचामृत, चंदन, कुमकुम, हल्दी, बेलपत्र, दूर्वा, फल, मिठाई, धूप, दीपक आदि की आवश्यकता होती है।
  7. क्या इस पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
    • यह आवश्यक नहीं है, लेकिन लाभकारी हो सकता है।
  8. इस पूजा के दौरान कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?
    • पवित्रता, अनुशासन, शांति और ध्यान का पालन करना चाहिए।
  9. क्या इस पूजा के दौरान किसी गुरु की आवश्यकता होती है?
    • यदि संभव हो तो गुरु के मार्गदर्शन में पूजा करना अच्छा होता है।
  10. इस पूजा के दौरान कौन से मंत्र का जप करना चाहिए?
    • स्वर्ण आकर्षण गणपति मंत्र: ॥ॐ गं ग्लौं स्वर्ण आकर्षण गणपतये नमः॥ का जप करना चाहिए।
  11. क्या इस पूजा को घर पर किया जा सकता है?
    • हां, इसे घर पर भी किया जा सकता है, लेकिन पूजा स्थल को पवित्र रखना चाहिए।
  12. इस पूजा का समय क्या होना चाहिए?
    • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या प्रदोष काल (संध्या समय) में पूजा करना शुभ होता है।
  13. क्या इस पूजा के दौरान ध्यान करना आवश्यक है?
    • हां, ध्यान करना मानसिक और आध्यात्मिक लाभ को बढ़ाता है।
  14. इस पूजा के दौरान किस दिशा में बैठना चाहिए?
    • उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ होता है।
  15. क्या इस पूजा के दौरान किसी विशेष ध्वनि (संगीत) का उपयोग करना चाहिए?
    • हां, ओम नमः शिवाय, गणेश आरती और अन्य भक्तिगीतों का उच्चारण करना लाभकारी होता है।
  16. इस पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • पवित्रता, अनुशासन, और एकाग्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  17. क्या इस पूजा के दौरान भोग चढ़ाना चाहिए?
    • हां, पंचामृत और अन्य मिठाई का भोग चढ़ाना शुभ होता है।
  18. इस पूजा के दौरान क्या व्रत रखा जा सकता है?
    • हां, पूजा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए व्रत रखा जा सकता है।
  19. क्या इस पूजा से भौतिक लाभ होता है?
    • हां, मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, और सुख-शांति प्राप्त होती है।
  20. इस पूजा के दौरान किन वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए?
    • सफेद या पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।

Tantrokta Rudrabhishek pujan for Family Peace

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मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे शिवरात्रि के मुहुर्थ पर तंत्रोक्त विधि से रुद्राभिषेक पूजन का आयोजन हो रहा है. इसमे भगवान शिव के सभी १२ ज्योतिर्लिंग की पूजा के साथ ही रुद्राभिषेक पूजन करवाया जायेगा. ये पूजा मनुष्य के सभी पाप को नष्टकर ग्रहस्थ जीवन को सुखमय बनाती है. नजर, तंत्र बाधा व शत्रु दोष को नष्ट करती है. और नौकरी, ब्यवसाय मे सफलता मिलती है.

इसमें भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर आप इस शिविर मे शामिल हो सकते है

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रुद्राभिषेक पूजा से कई धार्मिक, आध्यात्मिक और भौतिक लाभ

  1. आध्यात्मिक लाभ: रुद्राभिषेक पूजा से मनुष्य का मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह शांति, संतुलन और आत्मसमर्पण की भावना प्रदान करता है।
  2. शारीरिक लाभ: इस पूजा से शारीरिक रूप से स्वास्थ्य और ताकत मिलती है। यह रोगनिवारण और लंबी आयु के लिए भी लाभकारी होता है।
  3. आर्थिक लाभ: रुद्राभिषेक पूजा से आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है और धन लाभ हो सकता है। यह व्यापार में सफलता और आर्थिक संपन्नता की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
  4. परिवारिक और सामाजिक लाभ: इस पूजा से परिवार में एकता और सद्भावना बनी रहती है, जो परिवार के सभी सदस्यों के लिए लाभकारी है। साथ ही, समाज में भी आपकी स्थिति में सम्मान मिल सकता है।
  5. आत्मिक लाभ: यह पूजा आपको अपने आप से और भगवान से जुड़ने की भावना प्रदान कर सकती है, जिससे आपका आत्मविश्वास और स्वाभिमान मजबूत होता है।

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तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा पृश्न उत्तर

  1. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा क्या है?
    • ये विशेष पूजा है, जिसमें रुद्र के विभिन्न स्वरूपों का अभिषेक किया जाता है।
  2. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    • इसका मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना, मनोकामनाओं की पूर्ति, और जीवन में शांति और समृद्धि लाना है।
  3. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
    • इस पूजा के लिए सोमवार, महाशिवरात्रि, श्रावण मास के सोमवार, और प्रदोष व्रत का दिन शुभ माना जाता है।
  4. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री (Samagri) की आवश्यकता होती है?
    • जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, चावल, धूप, दीपक, और रुद्राक्ष माला।
  5. क्या तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा घर पर की जा सकती है?
    • हां, यह पूजा घर पर भी की जा सकती है, लेकिन पूजा स्थल को पवित्र और शुद्ध रखना आवश्यक है।
  6. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा का समय क्या होना चाहिए?
    • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) पूजा का उत्तम समय है।
  7. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा कितने दिनों तक करनी चाहिए?
    • इसे 11, 21, 40, या 108 दिनों तक किया जा सकता है। नियमितता और श्रद्धा महत्वपूर्ण है।
  8. क्या तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
    • यह आवश्यक नहीं है, लेकिन पूजा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए व्रत रखना लाभकारी हो सकता है।
  9. क्या तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
    • हां, पूजा के दौरान पवित्रता, सत्य, अहिंसा, और संयम का पालन करना चाहिए।
  10. तांत्रोक्त रुद्राभिषेक पूजा के लाभ क्या हैं?
    • मनोकामनाओं की पूर्ति, मानसिक शांति, रोग मुक्ति, आर्थिक समृद्धि, और परिवार में सुख-शांति।

Maya devi sadhana shivir

Maya devi sadhana shivir

मुंबई के निकट वज्रेश्वरी मे माता माया देवी की  साधना शिविर का आयोजन होने जा रहा है. इस साधना की खास बात यह है कि इनकी साधना से माता कालीमाता कामख्या की भी कृपा प्राप्त होती है.

माया देवी भौतिक सुख व मोक्ष प्रदान करती है. माता काली आकर्षण शक्ति के साथ शत्रु व तंत्र बाधा से सुरक्षा प्रदान करती है. वही माता कामख्या हर तरह के आर्थिक बंधन, नौकरी बंधन, विवाह बंधन, ब्यापार बंधन, नजर बंधन से मुक्ति दिलाती है.

इसमें भाग लेने के दो तरीके है एक तो शिविर मे आकर साधना में भाग ले सकते है दूसरा आप ऑनलाइन भी भाग ले सकते हैं अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया है वहां पर फॉर्म भरकर आप इस शिविर मे शामिल हो सकते है 

BOOKING- MAYA DEVI SADHANA SHIVIR

माया देवी साधना FAQ

माया देवी हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण देवी हैं, जो शक्ति और माया (भ्रम) की देवी मानी जाती हैं। उनकी साधना करने से साधक को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ माया देवी साधना के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) दिए गए हैं:

  1. माया देवी कौन हैं?
    • माया देवी हिंदू धर्म में शक्ति और माया (भ्रम) की देवी मानी जाती हैं। वे भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी की एक रूप हैं।
  2. माया देवी की साधना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    • माया देवी की साधना का मुख्य उद्देश्य माया (भ्रम) से मुक्ति पाना और दिव्य ज्ञान प्राप्त करना है। यह साधना मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाती है।
  3. माया देवी की साधना के लिए कौन सा मंत्र उपयोगी है?
    • माया देवी का प्रमुख मंत्र है: “॥ॐ ह्रीं श्रीं माया देव्यै नमः॥”
  4. माया देवी की साधना करने के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
    • माया देवी की साधना के लिए शुक्रवार और पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता है।
  5. माया देवी की साधना के लिए कौन सी सामग्री (Samagri) की आवश्यकता होती है?
    • लाल कपड़ा, लाल फूल, चंदन, धूप, दीपक, नारियल, मिठाई, और माया देवी की मूर्ति या चित्र।
  6. क्या माया देवी की साधना घर पर कर सकते हैं?
    • हां, माया देवी की साधना घर पर भी की जा सकती है, बशर्ते पूजा स्थल पवित्र और शुद्ध हो।
  7. माया देवी की साधना का समय क्या होना चाहिए?
    • साधना का सबसे उत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) है, परन्तु साधक अपनी सुविधा अनुसार शाम को भी कर सकते हैं।
  8. माया देवी की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
    • साधना की अवधि 21 दिनों से लेकर 108 दिनों तक हो सकती है, लेकिन नियमितता और श्रद्धा महत्वपूर्ण है।
  9. क्या माया देवी की साधना के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?
    • यह आवश्यक नहीं है, लेकिन साधना के प्रभाव को बढ़ाने के लिए व्रत रखना लाभकारी हो सकता है।
  10. क्या माया देवी की साधना करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
    • हां, साधना के दौरान पवित्रता, सत्य, अहिंसा, और संयम का पालन करना चाहिए।
  11. क्या माया देवी की साधना के लिए कोई विशेष आसन या मुद्रा है?
    • साधक पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर साधना कर सकते हैं। ध्यान और एकाग्रता बनाए रखने के लिए यह आसन उपयुक्त हैं।
  12. माया देवी की साधना के लाभ क्या हैं?
    • मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, माया (भ्रम) से मुक्ति, दिव्य ज्ञान, मानसिक शक्ति, और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  13. क्या माया देवी की साधना के दौरान किसी प्रकार के भोग चढ़ाने चाहिए?
    • हां, साधना के दौरान मिठाई, फल, नारियल, और दूध का भोग चढ़ाना शुभ होता है।
  14. क्या माया देवी की साधना करते समय किसी विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
    • हां, साधना करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
  15. क्या माया देवी की साधना के दौरान कोई विशेष ध्वनि (संगीत) का उपयोग करना चाहिए?
    • साधना के दौरान भजन, कीर्तन, या मंत्रों का उच्चारण करना लाभकारी हो सकता है।
  16. क्या माया देवी की साधना के दौरान ध्यान (Meditation) करना आवश्यक है?
    • हां, साधना के दौरान ध्यान करना मानसिक और आध्यात्मिक लाभ को बढ़ाता है।
  17. क्या माया देवी की साधना से किसी प्रकार का भौतिक लाभ होता है?
    • हां, मानसिक शांति और संतुलन के साथ-साथ जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।
  18. माया देवी की साधना में कौन-कौन सी बाधाएँ आ सकती हैं?
    • ध्यान की कमी, मानसिक विचलन, अनुशासनहीनता, और अनियमितता साधना में बाधा बन सकते हैं।
  19. क्या माया देवी की साधना में किसी गुरु की आवश्यकता होती है?
    • हां, यदि संभव हो तो किसी गुरु के मार्गदर्शन में साधना करना लाभकारी होता है।
  20. माया देवी की साधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • साधना के दौरान पवित्रता, संयम, नियमितता, और मन की एकाग्रता का ध्यान रखना चाहिए।

माया देवी की साधना एक शक्तिशाली और प्रभावी साधना है, जो साधक को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। नियमितता, श्रद्धा, और समर्पण के साथ की गई साधना से साधक को माया (भ्रम) से मुक्ति मिलती है और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।

Lambodara Ganesh Mantra for Wisdom

Lambodara Ganesh Mantra for Wisdom

लंबोदर गणेश मंत्र का जाप करते हुए भक्तगण विघ्न-बाधाओं से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं। इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। बडे से बडे विघ्न बाधा को नष्ट करने वाले “लम्बोदर” (Lambodara) भगवान गणेश जी के कई स्वरूपों मे से एक है। इसका अर्थ है “लंबा पेट” या “लटका हुआ पेट”। हालांकि, इसका गहरा अर्थ भी है। कहा जाता है कि उनका बड़ा पेट ज्ञान, बुद्धि और दयालुता से भरा है, जो हर बाधा को दूर करते हैं और शुभ कार्यों में सफलता दिलाते हैं।

लम्बोदर गणेश मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

अर्थ:

  • ” परमात्मा का प्रतीक है।
  • गं” गणेश बीज मंत्र है।
  • गणपतये” का अर्थ है गणों के स्वामी।
  • लम्बोदराय” का अर्थ है बड़े पेट वाले।
  • नमः” का अर्थ है नमस्कार या वंदन।

इस मंत्र का पूर्ण अर्थ है: “मैं बड़े पेट वाले भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ।”

लाभ

  1. संकल्पशक्ति: यह मंत्र संकल्पशक्ति को बढ़ाता है।
  2. आर्थिक बाधा: आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है।
  3. व्यापार में उन्नति: व्यापार में सफलता और उन्नति मिलती है।
  4. असुरक्षा की भावना: असुरक्षा और भय को दूर करता है।
  5. भय: भय और डर से मुक्ति मिलती है।
  6. नौकरी में पदोन्नति: नौकरी में तरक्की और प्रमोशन मिलता है।
  7. कार्य सिद्धि: कार्यों में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है।
  8. तंत्र बाधा: तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  9. आर्थिक बंधन: आर्थिक संकट से छुटकारा मिलता है।
  10. क्लेश मुक्ति: मानसिक और पारिवारिक क्लेश से मुक्ति मिलती है।
  11. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  12. अध्यात्मिक शक्ति: अध्यात्मिक शक्ति और शांति मिलती है।
  13. गृहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति मिलती है।
  14. परिवार में सुख शांति: परिवार में सामंजस्य और शांति होती है।
  15. विघ्न बाधा: सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  16. आर्थिक सुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा मिलती है।
  17. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा और नाश होता है।
  18. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  19. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  20. कर्म सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता और सिद्धि प्राप्त होती है।

मंत्र सामग्री

  • गणेश प्रतिमा
  • लाल कपड़ा
  • रोली या कुमकुम
  • अक्षत (चावल)
  • फूल (विशेष रूप से लाल फूल)
  • धूप
  • दीपक और तेल
  • मिठाई (लड्डू)
  • पान और सुपारी
  • नारियल

मुहूर्त, दिन और अवधि

  • मुहूर्त: गणेश चतुर्थी या बुधवार के दिन
  • दिन: बुधवार
  • अवधि: 21 दिनों तक

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लम्बोदर गणेश मंत्र सावधानियाँ

  1. पवित्रता का ध्यान रखें।
  2. नियमितता बनाए रखें।
  3. ध्यान और एकाग्रता से मंत्र का जाप करें।
  4. निष्काम भावना से पूजा करें।
  5. मंत्र उच्चारण में स्पष्टता और सही उच्चारण का ध्यान रखें।

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लम्बोदर गणेश मंत्र सामान्य प्रश्न

  1. लम्बोदर गणेश मंत्र क्यों जपें?
    • यह मंत्र समृद्धि, सुख, और शांति प्रदान करता है।
  2. लम्बोदर गणेश मंत्र का सर्वोत्तम समय क्या है?
    • सुबह ब्रह्ममुहूर्त में।
  3. क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?
    • हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं।
  4. इस मंत्र को कितनी बार जपना चाहिए?
    • प्रतिदिन 108 बार।
  5. क्या यह मंत्र घर में जप सकते हैं?
    • हां, इसे घर में जप सकते हैं।
  6. क्या इसे किसी विशेष मूर्ति के साथ जपना चाहिए?
    • हां, गणेश जी की मूर्ति के साथ।
  7. क्या यह मंत्र किसी विशेष समस्या के लिए प्रभावी है?
    • हां, यह आर्थिक और मानसिक समस्याओं के लिए प्रभावी है।
  8. क्या इस मंत्र के साथ किसी विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता है?
    • नहीं, केवल श्रद्धा और भक्ति से जपना चाहिए।
  9. लम्बोदर गणेश मंत्र का उच्चारण कठिन है?
    • नहीं, यह सरल है।
  10. क्या इसे किसी विशेष स्थिति में जपना चाहिए?
    • हां, पवित्र स्थान पर।
  11. क्या इसे केवल गणेश चतुर्थी पर जप सकते हैं?
    • नहीं, इसे किसी भी समय जप सकते हैं।
  12. क्या इसे अन्य मंत्रों के साथ जप सकते हैं?
    • हां, इसे अन्य मंत्रों के साथ जप सकते हैं।
  13. क्या इसे बच्चों के लिए जप सकते हैं?
    • हां, बच्चों के लिए भी।
  14. क्या इस मंत्र का कोई विशेष प्रभाव है?
    • हां, यह मानसिक और आर्थिक समस्याओं को दूर करता है।
  15. क्या इसे किसी विशेष दिशा में बैठकर जपना चाहिए?
    • हां, पूर्व दिशा में।
  16. क्या इसे रोज़ाना जपना अनिवार्य है?
    • हां, नियमितता आवश्यक है।
  17. क्या इसे किसी विशेष समय पर रोकना चाहिए?
    • नहीं, इसे नियमित रूप से जपना चाहिए।
  18. लम्बोदर गणेश मंत्र का कोई विशेष अनुष्ठान है?
    • नहीं, सामान्य पूजा पर्याप्त है।
  19. क्या इसे किसी विशेष आयु के लोग ही जप सकते हैं?
    • नहीं, सभी आयु के लोग।
  20. क्या इसे किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए जप सकते हैं?
    • हां, यह सभी समस्याओं का समाधान देता है।

Urdhva Ganapati Mantra for Spirituality & Moksha

ऊर्ध्व गणेश / Urdhva Ganapati Mantra for Spirituality & Moksha

पूरे परिवार के विघ्नो का नाश करने वाले ऊर्ध्व गणेश भगवान गणेश के मुख्य 32 स्वरूपों में से 19वें स्वरूप हैं। संस्कृत में “ऊर्ध्व” का अर्थ “ऊपर” या “उन्नत” होता है। इस प्रकार, ऊर्ध्व गणेश का अर्थ “वह भगवान जो ऊंचा या उन्नत है” होता है। ऊर्ध्व गणेश भगवान गणेश का एक विशेष रूप है, जो आध्यात्मिक उन्नति और संकल्पशक्ति को बढ़ावा देने के लिए पूजे जाते हैं। ऊर्ध्व गणेश की पूजा से जीवन में सकारात्मकता और सफलता आती है। यह भगवान गणेश का एक अद्वितीय रूप है जो उनके आशीर्वाद और कृपा को दर्शाता है।

ऊर्ध्व गणेश मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

अर्थ:
” अनंत ऊर्जा और ब्रह्माण्ड का प्रतीक है। “गं” गणेश जी का बीज मंत्र है, जो उनके आशीर्वाद का प्रतिनिधित्व करता है। “ग्लौं” तांत्रिक शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है। “ऊर्ध्वगणेशाय” का अर्थ है ऊर्ध्व गणेश को, और “नमः” का अर्थ है नमन करना। इस मंत्र का समग्र अर्थ है, ‘ऊर्ध्व गणेश को नमन।’

लाभ

  1. मंत्र सिद्धि: मंत्र के नियमित जप से मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है।
  2. संकल्पशक्ति: संकल्पशक्ति और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है।
  3. आर्थिक बाधा: सभी प्रकार की आर्थिक समस्याओं का समाधान।
  4. व्यापार में उन्नति: व्यापार में सफलता और उन्नति।
  5. नौकरी में पदोन्नति: नौकरी में तरक्की और पदोन्नति।
  6. कार्य सिद्धि: सभी प्रकार के कार्यों में सफलता।
  7. तंत्र बाधा: तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा।
  8. आर्थिक बंधन: आर्थिक बंधनों से मुक्ति।
  9. क्लेश मुक्ति: घरेलू क्लेश और विवादों का समाधान।
  10. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और संकल्प शक्ति में वृद्धि।
  11. आध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक ऊर्जा और ज्ञान में वृद्धि।
  12. गृहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति।
  13. परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति का वातावरण।
  14. विघ्न बाधा: जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं से मुक्ति।
  15. आर्थिक सुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता।
  16. सफलता: सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करना।
  17. समृद्धि: समृद्धि और धन की प्राप्ति।
  18. शांति: मानसिक और आध्यात्मिक शांति।
  19. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  20. समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को बढ़ाना।

सामग्री

  • ऊर्ध्व गणेश की प्रतिमा या चित्र
  • लाल और पीला वस्त्र
  • कुमकुम और चावल
  • सुपारी और पान
  • नारियल
  • मोदक और मिठाई
  • धूप और दीप
  • पुष्प (विशेषकर लाल और पीले फूल)
  • घी का दीपक
  • सिक्के और आभूषण

मुहूर्त, दिन, और अवधि

  • मुहूर्त: शुभ मुहूर्त का चयन करें, जैसे कि विशेष उत्सव या गणेश चतुर्थी।
  • दिन: मंगलवार और शुक्रवार का दिन ऊर्ध्व गणेश की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
  • अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम 21 दिन तक प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए।

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ऊर्ध्व गणेश मंत्र सावधानियां

  1. शुद्धता: पूजा और मंत्र जप के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. मन की शांति: मन को शांत और एकाग्र रखें।
  3. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।
  4. भक्ति: सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ मंत्र जप करें।
  5. आसन: पूजा के दौरान एक साफ आसन का प्रयोग करें।

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ऊर्ध्व गणेश मंत्र – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. ऊर्ध्व गणेश की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?
    • ऊर्ध्व गणेश की पूजा से संकल्पशक्ति, आत्म-विश्वास, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  2. ऊर्ध्व गणेश मंत्र कब जपना चाहिए?
    • इस मंत्र का जप मंगलवार और शुक्रवार को करना सबसे शुभ होता है।
  3. इस मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
    • शुद्धता और एकाग्रता के साथ, कम से कम 108 बार प्रतिदिन जप करें।
  4. क्या ऊर्ध्व गणेश मंत्र केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए है?
    • नहीं, यह मंत्र आर्थिक समृद्धि, व्यापार में उन्नति, और तंत्र बाधाओं से मुक्ति के लिए भी लाभकारी है।
  5. क्या इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याएं दूर कर सकता है?
    • हां, इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  6. ऊर्ध्व गणेश की पूजा के लिए कौन सा फूल सबसे अच्छा है?
    • लाल और पीले फूल ऊर्ध्व गणेश की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं।
  7. क्या इस मंत्र का जप तंत्र बाधाओं से सुरक्षा करता है?
    • हां, यह मंत्र तंत्र बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  8. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • हां, सुबह या संध्या के समय इस मंत्र का जप सबसे अच्छा होता है।
  9. क्या ऊर्ध्व गणेश की पूजा में मोदक का भोग लगाना चाहिए?
    • हां, मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाना चाहिए।
  10. क्या इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिला सकता है?
    • हां, इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
  11. क्या इस मंत्र का जप क्लेश मुक्ति में सहायक है?
    • हां, यह मंत्र गृह क्लेश और विवादों को दूर करने में मदद करता है।
  12. क्या इस मंत्र का जप विघ्न बाधा से सुरक्षा करता है?
    • हां, यह मंत्र विघ्नों और बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  13. क्या इस मंत्र का जप पारिवारिक सुख लाता है?
    • हां, यह मंत्र पारिवारिक सुख और शांति को बनाए रखता है।

Vijaya Ganapati Mantra for Victory

विजय गणपति / Vijaya Ganapati Mantra for Victory


हर कार्य मे जीत दिलाने वाले “विजय गणपति” शब्द का हिंदी में सीधा अनुवाद “विजयी गणपति” होता है। इसका अर्थ है “विजय (जीत) देने वाले गणेश”। विजय गणपति भगवान गणेश का एक विशेष रूप हैं, जो विशेष रूप से विजय और सफलता प्राप्त करने के लिए पूजे जाते हैं। इनकी पूजा विशेष रूप से उन कार्यों के लिए की जाती है जहां विजय प्राप्त करना अत्यावश्यक हो। विजय गणपति की पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

विजय गणपति मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

अर्थ:
” अनंत ऊर्जा का प्रतीक है, “गं” गणेश जी का बीज मंत्र है, “वर वरदाय” का अर्थ है वर देने वाले, “विजय गणपतये” का अर्थ है विजय देने वाले गणपति को, “नमः” का अर्थ है नमन करना। इस मंत्र का अर्थ है, ‘विजय देने वाले गणपति को नमन।’

लाभ

  1. मंत्र सिद्धि: मंत्र के नियमित जप से मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास और जागरूकता में वृद्धि होती है।
  3. आर्थिक बाधा: सभी प्रकार की आर्थिक समस्याओं का समाधान।
  4. व्यापार में उन्नति: व्यापार में सफलता और उन्नति।
  5. नौकरी में पदोन्नति: नौकरी में तरक्की और पदोन्नति।
  6. कार्य सिद्धि: सभी प्रकार के कार्यों में सफलता।
  7. शत्रु पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  8. आर्थिक बंधन: आर्थिक बंधनों से मुक्ति।
  9. प्रभावित करने की क्षमता: लोगों को प्रभावित करने की शक्ति।
  10. क्लेश मुक्ति: घरेलू क्लेश और विवादों का समाधान।
  11. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और संकल्प शक्ति में वृद्धि।
  12. आध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक ऊर्जा और ज्ञान में वृद्धि।
  13. गृहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति।
  14. परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति का वातावरण।
  15. विघ्न बाधा: जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं से मुक्ति।
  16. आर्थिक सुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता।
  17. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति और वित्तीय स्वतंत्रता।
  18. सफलता: सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करना।
  19. समृद्धि: समृद्धि और धन की प्राप्ति।
  20. शांति: मानसिक और आध्यात्मिक शांति।

सामग्री

  • विजय गणपति की प्रतिमा या चित्र
  • लाल और पीला वस्त्र
  • कुमकुम और चावल
  • सुपारी और पान
  • नारियल
  • मोदक और मिठाई
  • धूप और दीप
  • पुष्प (विशेषकर लाल और पीले फूल)
  • घी का दीपक
  • सिक्के और आभूषण

मुहूर्त, दिन, और अवधि

  • मुहूर्त: शुभ मुहूर्त का चयन करें, जैसे कि विशेष उत्सव या गणेश चतुर्थी।
  • दिन: मंगलवार और शुक्रवार का दिन विजय गणपति की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
  • अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम 21 दिन तक प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए।

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मंत्र सावधानियां

  1. शुद्धता: पूजा और मंत्र जप के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. मन की शांति: मन को शांत और एकाग्र रखें।
  3. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।
  4. भक्ति: सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ मंत्र जप करें।
  5. आसन: पूजा के दौरान एक साफ आसन का प्रयोग करें।

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विजय गणपति मंत्र-अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. विजय गणपति की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?
    • विजय गणपति की पूजा सफलता, विजय, और आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. विजय गणपति मंत्र कब जपना चाहिए?
    • इस मंत्र का जप मंगलवार और शुक्रवार को करना सबसे शुभ होता है।
  3. इस मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
    • शुद्धता और एकाग्रता के साथ, कम से कम 108 बार प्रतिदिन जप करें।
  4. क्या विजय गणपति मंत्र केवल विजय के लिए है?
    • नहीं, यह मंत्र सभी प्रकार की बाधाओं, विवादों, और मानसिक शांति के लिए भी लाभकारी है।
  5. क्या इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याएं दूर कर सकता है?
    • हां, इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  6. विजय गणपति की पूजा के लिए कौन सा फूल सबसे अच्छा है?
    • लाल और पीले फूल विजय गणपति की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं।
  7. क्या इस मंत्र का जप शत्रुओं से सुरक्षा करता है?
    • हां, यह मंत्र शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  8. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • हां, सुबह या संध्या के समय इस मंत्र का जप सबसे अच्छा होता है।
  9. इस मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
    • कम से कम 21 दिन तक नियमित रूप से इस मंत्र का जप करना चाहिए।
  10. क्या विजय गणपति की पूजा में मोदक का भोग लगाना चाहिए?
    • हां, मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाना चाहिए।
  11. क्या इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिला सकता है?
    • हां, इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

Lakshmi Ganapati Mantra for Wealth & Prosperity

लक्ष्मी गणेश / Lakshmi Ganapati Mantra for Wealth & Prosperity

ज्ञान व धन प्रदान करने वाले लक्ष्मी गणपति शब्द का अर्थ है – लक्ष्मी और गणेश का संयुक्त रूप. लक्ष्मी को धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माना जाता है, जबकि गणेश को ज्ञान, विघ्नहर्ता और शुभ शुरुआत के देवता के रूप में पूजा जाता है। इन दोनों देवताओं को अक्सर एक साथ पूजा जाता है, क्योंकि माना जाता है कि ज्ञान (गणेश) धन प्राप्ति (लक्ष्मी) के लिए आवश्यक है। लक्ष्मी गणेश की संयुक्त पूजा आर्थिक समृद्धि और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति के लिए की जाती है।

लक्ष्मी गणेश मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

अर्थ:
” अनंत ऊर्जा का प्रतीक है, “श्री” लक्ष्मी जी का बीज मंत्र है, “गं” गणेश जी का बीज मंत्र है, “सौम्याय” का अर्थ है सौम्य और शांति प्रदान करने वाला, “गणपतये” गणेश जी को संदर्भित करता है, “वरवरद” का अर्थ है वर देने वाला, “सर्वजनं मे वशमानय” का अर्थ है सभी को अपने वश में करना, और “स्वाहा” मंत्र के समापन का प्रतीक है। इस मंत्र का अर्थ है लक्ष्मी और गणेश जी की कृपा से सभी को वश में करना और समृद्धि प्राप्त करना।

मंत्र के लाभ

  1. आकर्षण शक्ति: लोगों को आकर्षित करने की क्षमता बढ़ती है।
  2. आर्थिक बाधा: सभी प्रकार की आर्थिक समस्याओं का समाधान।
  3. व्यापार में उन्नति: व्यापार में सफलता और उन्नति।
  4. नौकरी में पदोन्नति: नौकरी में तरक्की और पदोन्नति।
  5. इंटरव्यू में सफलता: इंटरव्यू में सफलता प्राप्त करना।
  6. प्रभावित करने की क्षमता: लोगों को प्रभावित करने की शक्ति।
  7. क्लेश मुक्ति: घरेलू क्लेश और विवादों का समाधान।
  8. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और संकल्प शक्ति में वृद्धि।
  9. आध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक ऊर्जा और ज्ञान में वृद्धि।
  10. गृहस्थ सुख: गृहस्थ जीवन में सुख और शांति।
  11. परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति का वातावरण।
  12. विघ्न बाधा: जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं से मुक्ति।
  13. आर्थिक सुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता।
  14. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति और वित्तीय स्वतंत्रता।
  15. सफलता: सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करना।
  16. समृद्धि: समृद्धि और धन की प्राप्ति।
  17. शांति: मानसिक और आध्यात्मिक शांति।
  18. स्वास्थ्य: स्वास्थ्य में सुधार।
  19. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा।
  20. संकट मोचन: जीवन के संकटों से मुक्ति।

सामग्री

  • लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा या चित्र
  • लाल और पीला वस्त्र
  • कुमकुम और चावल
  • सुपारी और पान
  • नारियल
  • मोदक और मिठाई
  • धूप और दीप
  • पुष्प (विशेषकर लाल और पीले फूल)
  • घी का दीपक
  • सिक्के और आभूषण

मुहूर्त, दिन, और अवधि

  • मुहूर्त: शुभ मुहूर्त का चयन करें, जैसे कि दीपावली या अक्षय तृतीया।
  • दिन: शुक्रवार और बुधवार का दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
  • अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम 21 दिन तक प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए।

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लक्ष्मी गणेश मंत्र सावधानियां

  1. शुद्धता: पूजा और मंत्र जप के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. मन की शांति: मन को शांत और एकाग्र रखें।
  3. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।
  4. भक्ति: सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ मंत्र जप करें।
  5. आसन: पूजा के दौरान एक साफ आसन का प्रयोग करें।

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लक्ष्मी गणेश मंत्र- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. लक्ष्मी गणेश की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?
    • लक्ष्मी गणेश की पूजा आर्थिक समृद्धि और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. लक्ष्मी गणेश मंत्र कब जपना चाहिए?
    • इस मंत्र का जप शुक्रवार और बुधवार को करना सबसे शुभ होता है।
  3. इस मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
    • शुद्धता और एकाग्रता के साथ, कम से कम 108 बार प्रतिदिन जप करें।
  4. क्या लक्ष्मी गणेश मंत्र केवल आर्थिक समृद्धि के लिए है?
    • नहीं, यह मंत्र सभी प्रकार की बाधाओं, विवादों, और मानसिक शांति के लिए भी लाभकारी है।
  5. क्या इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याएं दूर कर सकता है?
    • हां, इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  6. लक्ष्मी गणेश की पूजा के लिए कौन सा फूल सबसे अच्छा है?
    • लाल और पीले फूल लक्ष्मी गणेश की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं।
  7. क्या इस मंत्र का जप तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा करता है?
    • हां, यह मंत्र तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  8. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • हां, सुबह या संध्या के समय इस मंत्र का जप सबसे अच्छा होता है।
  9. इस मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
    • कम से कम 21 दिन तक नियमित रूप से इस मंत्र का जप करना चाहिए।
  10. क्या लक्ष्मी गणेश की पूजा में मोदक का भोग लगाना चाहिए?
    • हां, मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाना चाहिए।
  11. क्या इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिला सकता है?
    • हां, इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

Uchchhishtha Ganapati Mantra for Strorng Protection

Uchchhishtha Ganapati Mantra for Strorng Protection

प्रचंड से प्रचंड तंत्र बाधा व ऊपरी बाधा को नष्ट करने वाले उच्छिष्ट गणपति भगवान गणेश का एक अनोखा स्वरूप हैं। उनका नाम “बचे हुए के स्वामी” के रूप में अनुवादित होता है, बचा हुआ भोजन या बासी मुंह इनकी साधना पूजा की जाती है। उच्छिष्ठ गणपति भगवान गणेश का एक विशेष रूप हैं, जिन्हें तांत्रिक विधियों और शक्तियों से सुरक्षा देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। यह रूप उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त होना चाहते हैं।

मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

अर्थ:
” अनंत ऊर्जा का प्रतीक है, “गं” गणेश जी का बीज मंत्र है, “ग्लौं” तांत्रिक बाधाओं को समाप्त करने वाला बीज मंत्र है, “उच्छिष्ठ गणपतये नमः ” का अर्थ है उन गणपति को प्रणाम करना जो तांत्रिक शक्तियों को रोकते हैं। यह मंत्र विशेष रूप से तांत्रिक बाधाओं, आर्थिक समस्याओं और अन्य नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्त करने के लिए जपा जाता है।

लाभ

  1. तांत्रिक शक्तियों को रोकना: तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा।
  2. आर्थिक बाधा: आर्थिक समस्याओं का समाधान।
  3. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति पाने में सहायक।
  4. विघ्न बाधा: जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं का नाश।
  5. प्रभावित करने की क्षमता: लोगों को प्रभावित करने की क्षमता बढ़ाना।
  6. क्लेश मुक्ति: गृह क्लेश और झगड़ों का अंत।
  7. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य को बढ़ाना।
  8. अध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक ऊर्जा और जागरूकता का विकास।
  9. गृहस्थ सुख: घर में सुख और समृद्धि लाना।
  10. परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति बनाए रखना।
  11. विघ्न बाधा से मुक्ति: सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं से मुक्ति।
  12. तंत्र बाधा से मुक्ति: तंत्र-मंत्र और काले जादू से सुरक्षा।
  13. ऊपरी बाधा से मुक्ति: नकारात्मक ऊर्जाओं और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति।
  14. सफलता: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना।
  15. आत्म-संयम: आत्म-संयम और आत्म-नियंत्रण में सुधार।
  16. शक्ति: व्यक्तिगत शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाना।
  17. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  18. समय प्रबंधन: समय प्रबंधन और कार्यकुशलता में सुधार।
  19. समाज में सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ाना।
  20. संकट मोचन: जीवन में आने वाले सभी संकटों से मुक्ति।

मंत्र सामग्री

  • गणेश जी की प्रतिमा या चित्र
  • नीला या काला वस्त्र
  • रोली या कुमकुम
  • चावल
  • दूर्वा (दूर्वा घास)
  • मोदक या लड्डू
  • धूप और दीप
  • पुष्प (विशेषकर नीले या काले फूल)
  • पान और सुपारी
  • नारियल

मंत्र मुहूर्त, दिन, और अवधि

  • मुहूर्त: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें, जैसे कि बुधवार या चतुर्थी तिथि।
  • दिन: बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
  • अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम 21 दिन तक प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए।

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सावधानियां

  1. शुद्धता: पूजा और मंत्र जप के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. मन की शांति: मन को शांत और एकाग्र रखें।
  3. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।
  4. भक्ति: सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ मंत्र जप करें।
  5. आसन: पूजा के दौरान एक साफ आसन का प्रयोग करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. उच्छिष्ठ गणपति की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?
    • उच्छिष्ठ गणपति की पूजा तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. उच्छिष्ठ गणपति मंत्र कब जपना चाहिए?
    • इस मंत्र का जप बुधवार या चतुर्थी तिथि को करना सबसे शुभ होता है।
  3. इस मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
    • शुद्धता और एकाग्रता के साथ, कम से कम 108 बार प्रतिदिन जप करें।
  4. क्या उच्छिष्ठ गणपति मंत्र केवल तांत्रिक बाधाओं को दूर करने के लिए है?
    • नहीं, यह मंत्र आर्थिक समस्याओं, कर्ज मुक्ति, और पारिवारिक सुख के लिए भी लाभकारी है।
  5. क्या इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याएं दूर कर सकता है?
    • हां, इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  6. उच्छिष्ठ गणपति की पूजा के लिए कौन सा फूल सबसे अच्छा है?
    • नीले या काले फूल उच्छिष्ठ गणपति की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं।
  7. क्या इस मंत्र का जप तांत्रिक बाधाओं से सुरक्षा करता है?
    • हां, यह मंत्र तांत्रिक बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  8. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • हां, सुबह या संध्या के समय इस मंत्र का जप सबसे अच्छा होता है।
  9. इस मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
    • कम से कम 21 दिन तक नियमित रूप से इस मंत्र का जप करना चाहिए।
  10. क्या उच्छिष्ठ गणपति की पूजा में मोदक का भोग लगाना चाहिए?
    • हां, मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाना चाहिए।
  11. क्या इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिला सकता है?
    • हां, इस मंत्र का जप कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

Ekdant ganpati Mantra for Blackmagic Protection

एकदंत / Ekdant ganpati for Protection from Blackmagic

विघ्न बाधा को नष्टकर मंगल कार्य मे सफलता देने वाले “एकदंत गणेश” (Ekdant Ganesha) भगवान गणेश के मंगल स्वरूप माने जाते है., “एकदंत” का अर्थ है “एक दांत वाला”। भगवान गणेश को इस रूप में विघ्नहर्ता और संकटमोचक माना जाता है। एकदंत गणपति की पूजा विशेष रूप से उन लोगों द्वारा की जाती है जो अपने जीवन में विघ्न, बाधा और तंत्र बाधाओं से मुक्ति चाहते हैं।

एकदंत गणपति मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

अर्थ:
” सर्वव्यापक और अनंत ऊर्जा का प्रतीक है, “गं” गणेश जी का बीज मंत्र है, “वक्रतुण्डाय” का अर्थ है टेढ़ी सूंड वाले गणेश जी, “हुं” शक्तिशाली बीज मंत्र है जो नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है, और “नमः” का अर्थ है उन्हें प्रणाम। यह मंत्र विशेष रूप से विघ्नों और बाधाओं को दूर करने के लिए जपा जाता है।

मंत्र के लाभ

  1. तरक्की: जीवन में उन्नति और सफलता प्राप्त होती है।
  2. योग्यता में वृद्धि: योग्यता और कौशल में वृद्धि होती है।
  3. आनंदमय जीवन: जीवन में आनंद और खुशहाली आती है।
  4. मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  5. प्रभावित करने की क्षमता: लोगों को प्रभावित करने की क्षमता बढ़ती है।
  6. क्लेश मुक्ति: गृह क्लेश और झगड़ों को समाप्त करता है।
  7. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य को बढ़ाता है।
  8. अध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक ऊर्जा और जागरूकता को बढ़ाता है।
  9. गृहस्थ सुख: घर और परिवार में सुख और समृद्धि लाता है।
  10. परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति बनाए रखता है।
  11. विघ्न बाधा से मुक्ति: जीवन में आने वाली सभी विघ्न और बाधाओं को समाप्त करता है।
  12. तंत्र बाधा से मुक्ति: तंत्र-मंत्र और काले जादू के प्रभाव से बचाता है।
  13. ऊपरी बाधा से मुक्ति: नकारात्मक ऊर्जाओं और ऊपरी बाधाओं को दूर करता है।
  14. सफलता: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
  15. आत्म-संयम: आत्म-संयम और आत्म-नियंत्रण में सहायता करता है।
  16. शक्ति: व्यक्तिगत शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  17. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  18. समय प्रबंधन: समय प्रबंधन और कार्यकुशलता में सुधार करता है।
  19. समाज में सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ाता है।
  20. संकट मोचन: जीवन में आने वाले सभी संकटों को दूर करता है।

मंत्र सामग्री

  • गणेश जी की प्रतिमा या चित्र
  • लाल या पीला वस्त्र
  • रोली या कुमकुम
  • चावल
  • दूर्वा (दूर्वा घास)
  • मोदक या लड्डू
  • धूप और दीप
  • पुष्प (विशेषकर लाल या पीले फूल)
  • पान और सुपारी
  • नारियल

मुहूर्त, दिन, और अवधि

  • मुहूर्त: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें, जैसे कि बुधवार या चतुर्थी तिथि।
  • दिन: बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
  • अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम 21 दिन तक प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए।

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एकदंत गणपति मंत्र सावधानियां

  1. शुद्धता: पूजा और मंत्र जप के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. मन की शांति: मन को शांत और एकाग्र रखें।
  3. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।
  4. भक्ति: सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ मंत्र जप करें।
  5. आसन: पूजा के दौरान एक साफ आसन का प्रयोग करें।

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एकदंत गणपति मंत्र – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. एकदंत गणपति की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?
    • एकदंत गणपति की पूजा विघ्नों और बाधाओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. एकदंत गणपति मंत्र कब जपना चाहिए?
    • इस मंत्र का जप बुधवार या चतुर्थी तिथि को करना सबसे शुभ होता है।
  3. इस मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
    • शुद्धता और एकाग्रता के साथ, कम से कम 108 बार प्रतिदिन जप करें।
  4. क्या एकदंत गणपति मंत्र केवल बाधाओं को दूर करने के लिए है?
    • नहीं, यह मंत्र मानसिक शांति, आर्थिक समस्या का समाधान, और पारिवारिक सुख के लिए भी लाभकारी है।
  5. क्या इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याएं दूर कर सकता है?
    • हां, इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  6. एकदंत गणपति की पूजा के लिए कौन सा फूल सबसे अच्छा है?
    • लाल या पीले फूल एकदंत गणपति की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं।
  7. क्या इस मंत्र का जप विघ्नों से सुरक्षा करता है?
    • हां, यह मंत्र जीवन में विघ्नों और परेशानियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  8. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • हां, सुबह या संध्या के समय इस मंत्र का जप सबसे अच्छा होता है।
  9. इस मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
    • कम से कम 21 दिन तक नियमित रूप से इस मंत्र का जप करना चाहिए।
  10. क्या एकदंत गणपति की पूजा में मोदक का भोग लगाना चाहिए?
    • हां, मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाना चाहिए।
  11. क्या इस मंत्र का जप संतान बाधा दूर कर सकता है?
    • हां, इस मंत्र के जप से संतान प्राप्ति की बाधाएं दूर हो सकती हैं।
  12. क्या इस मंत्र का जप क्लेश मुक्ति में सहायक है?
    • हां, यह मंत्र गृह क्लेश और विवादों को दूर करने में मदद करता है।

Nritya Ganapati Mantra for Advancement in the Arts

नृत्य गणपति/ Nritya Ganapati Mantra for Advancement in the Arts

संगीत, कला व योग्यता बढाने वाले नृत्य गणपति भगवान गणेश की एक विशिष्ट मुद्रा है जिसमें वे नृत्य करते हुए दिखाई देते हैं। यह मुद्रा भगवान गणेश के हर्षित और उत्साही स्वरूप को दर्शाती है। नृत्य गणपति की मूर्तियां अक्सर गणेश चतुर्थी के दौरान घरों और मंदिरों में स्थापित की जाती हैं। इस रूप में गणपति जी को विशेषकर उन लोगों द्वारा पूजा जाता है जो कला, संगीत, और अभिनय के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। नृत्य गणपति की पूजा से कला में उन्नति, मानसिक शांति और आनंदमय जीवन प्राप्त होता है।

नृत्य गणपति मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:

अर्थ:
” सर्वव्यापक और अनंत ऊर्जा का प्रतीक है, “गं” गणेश जी का बीज मंत्र है, “ग्लौं” शक्तिशाली ध्वनि है जो ऊर्जा को आकर्षित करती है, “नृत्य गणपतये” का अर्थ है नृत्य और कला के देवता गणपति को, और “नम:” का अर्थ है उन्हें नमस्कार। यह मंत्र विशेष रूप से कला, संगीत, और अभिनय में सफलता और आनंद प्राप्त करने के लिए है।

मंत्र के लाभ

  1. कला में उन्नति: इस मंत्र के जप से कला के क्षेत्र में उन्नति होती है।
  2. संगीत में प्रगति: संगीत के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  3. कार्य सिद्धि: कार्यों में सफलता प्राप्त करने में सहायता करता है।
  4. अभिनय में सुधार: अभिनय में निपुणता और सुधार प्राप्त होता है।
  5. तरक्की: जीवन में उन्नति और सफलता प्राप्त होती है।
  6. योग्यता में वृद्धि: योग्यता और कौशल में वृद्धि होती है।
  7. आनंदमय जीवन: जीवन में आनंद और खुशहाली आती है।
  8. मान सम्मान: समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  9. प्रभावित करने की क्षमता: लोगों को प्रभावित करने की क्षमता बढ़ती है।
  10. क्लेश मुक्ति: गृह क्लेश और झगड़ों को समाप्त करता है।
  11. मानसिक शक्ति: मानसिक शक्ति और धैर्य को बढ़ाता है।
  12. अध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक ऊर्जा और जागरूकता को बढ़ाता है।
  13. गृहस्थ सुख: घर और परिवार में सुख और समृद्धि लाता है।
  14. परिवार में सुख शांति: परिवार में सुख और शांति बनाए रखता है।
  15. सफलता: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
  16. आत्म-संयम: आत्म-संयम और आत्म-नियंत्रण में सहायता करता है।
  17. शक्ति: व्यक्तिगत शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  18. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  19. समय प्रबंधन: समय प्रबंधन और कार्यकुशलता में सुधार करता है।
  20. समाज में सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ाता है।

सामग्री

  • गणेश जी की प्रतिमा या चित्र
  • लाल या पीला वस्त्र
  • रोली या कुमकुम
  • चावल
  • दूर्वा (दूर्वा घास)
  • मोदक या लड्डू
  • धूप और दीप
  • पुष्प (विशेषकर लाल या पीले फूल)
  • पान और सुपारी
  • नारियल

मुहूर्त, दिन, और अवधि

  • मुहूर्त: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें, जैसे कि बुधवार या चतुर्थी तिथि।
  • दिन: बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
  • अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम 21 दिन तक प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए।

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सावधानियां

  1. शुद्धता: पूजा और मंत्र जप के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. मन की शांति: मन को शांत और एकाग्र रखें।
  3. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।
  4. भक्ति: सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ मंत्र जप करें।
  5. आसन: पूजा के दौरान एक साफ आसन का प्रयोग करें।

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नृत्य गणपति मंत्र अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. नृत्य गणपति की पूजा क्यों महत्वपूर्ण है?
    • नृत्य गणपति की पूजा कला, संगीत, और अभिनय के क्षेत्र में उन्नति और सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. नृत्य गणपति मंत्र कब जपना चाहिए?
    • इस मंत्र का जप बुधवार या चतुर्थी तिथि को करना सबसे शुभ होता है।
  3. इस मंत्र का जप कैसे करना चाहिए?
    • शुद्धता और एकाग्रता के साथ, कम से कम 108 बार प्रतिदिन जप करें।
  4. क्या नृत्य गणपति मंत्र केवल कलाकारों के लिए है?
    • नहीं, यह मंत्र मानसिक शांति, आर्थिक समस्या का समाधान, और पारिवारिक सुख के लिए भी लाभकारी है।
  5. क्या इस मंत्र का जप करने से आर्थिक समस्याएं दूर हो सकती हैं?
    • हां, इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  6. नृत्य गणपति की पूजा के लिए कौन सा फूल सबसे अच्छा है?
    • लाल या पीले फूल नृत्य गणपति की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं।
  7. क्या इस मंत्र का जप विघ्नों से सुरक्षा करता है?
    • हां, यह मंत्र जीवन में विघ्नों और परेशानियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  8. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • हां, सुबह या संध्या के समय इस मंत्र का जप सबसे अच्छा होता है।
  9. इस मंत्र का जप कितने दिन तक करना चाहिए?
    • कम से कम 21 दिन तक नियमित रूप से इस मंत्र का जप करना चाहिए।
  10. क्या नृत्य गणपति की पूजा में मोदक का भोग लगाना चाहिए?
    • हां, मोदक गणेश जी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाना चाहिए।
  11. क्या इस मंत्र का जप संतान बाधा दूर कर सकता है?
    • हां, इस मंत्र के जप से संतान प्राप्ति की बाधाएं दूर हो सकती हैं।