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संकटमोचन काली / Sankatmochan Kali Mantra for strong protection

संकटमोचन काली / Sankatmochan Kali Mantra for strong protection

विघ्न व संकटो से मुक्ति दिलाने वाली संकटमोचन काली एक प्रमुख हिंदू देवी हैं जिन्हें काली माता के रूप में जाना जाता है। वह शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं और उन्हें संकटों से मुक्ति देने वाली माना जाता हैं।

संकटमोचन काली, देवी काली का एक रूप हैं, जिन्हें विशेष रूप से संकटों और बाधाओं को दूर करने के लिए पूजनीय माना जाता है। काली, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी हैं, जो शक्ति, विनाश और पुनर्निर्माण का प्रतीक मानी जाती हैं। संकटमोचन काली विशेष रूप से उन लोगों की रक्षा करती हैं जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे होते हैं। उनका यह रूप अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है, और वे भक्तों को समर्पित साधना और प्रार्थना से तत्काल राहत प्रदान करती हैं।

संकटमोचन काली मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र का अर्थ

  • “: यह ध्वनि ब्रह्माण्ड की प्राथमिक ध्वनि है और इसे सर्वशक्तिमान की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
  • क्रीं“: यह बीज मंत्र है जो शक्ति, सृजन और विनाश की शक्ति का प्रतीक है।
  • संकट मोचनी“: यह देवी संकटमोचन काली का नाम है, जो सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं को दूर करती हैं।
  • विघ्न उच्चाटय“: इसका अर्थ है बाधाओं और विघ्नों का नाश करना।
  • नमः“: यह शब्द समर्पण और सम्मान का प्रतीक है।

संकटमोचन काली मंत्र के लाभ

  1. संकटों से मुक्ति: यह मंत्र जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाता है।
  2. बाधाओं का नाश: यह मंत्र सभी प्रकार की बाधाओं और विघ्नों का नाश करता है।
  3. शत्रुओं से रक्षा: यह मंत्र शत्रुओं और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार: यह मंत्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
  5. आत्मविश्वास बढ़ाना: यह मंत्र आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाता है।
  6. शांति और स्थिरता: यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता लाता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण का निर्माण करता है।
  8. धन और समृद्धि: यह मंत्र धन और समृद्धि की प्राप्ति में सहायता करता है।
  9. कार्य में सफलता: यह मंत्र कार्यों में सफलता प्राप्त करने में सहायता करता है।
  10. भय का नाश: यह मंत्र भय और अज्ञानता का नाश करता है।
  11. सद्बुद्धि प्राप्ति: यह मंत्र सद्बुद्धि और विवेक की प्राप्ति में सहायता करता है।
  12. संतान सुख: यह मंत्र संतान सुख और संतान की सुरक्षा प्रदान करता है।
  13. वैवाहिक सुख: यह मंत्र वैवाहिक जीवन में सुख और सामंजस्य लाता है।
  14. विवाह में बाधा दूर करना: यह मंत्र विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
  15. विद्या प्राप्ति: यह मंत्र विद्या और ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है।
  16. धार्मिक विश्वास बढ़ाना: यह मंत्र धार्मिक विश्वास और आस्था को बढ़ाता है।
  17. मानसिक शक्ति: यह मंत्र मानसिक शक्ति और दृढ़ता को बढ़ाता है।
  18. संपूर्ण कल्याण: यह मंत्र संपूर्ण कल्याण और सफलता की प्राप्ति में सहायता करता है।
  19. सर्वकामना पूर्ति: यह मंत्र सभी इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति में सहायता करता है।
  20. आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।

संकटमोचन काली मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहूर्त

संकटमोचन काली मंत्र का जप करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. दिन: संकटमोचन काली मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  2. अवधि: मंत्र जप की अवधि 21 दिनों से लेकर 108 दिनों तक हो सकती है। यह अवधि आपकी श्रद्धा और समय के आधार पर तय की जा सकती है।
  3. मुहूर्त: संकटमोचन काली मंत्र का जप प्रातःकाल या संध्या समय में किया जा सकता है। ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

संकटमोचन काली मंत्र जप के नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: किसी शांत स्थान पर कुश के आसन पर बैठें।
  3. ध्यान: अपने मन को शांत करें और ध्यान केंद्रित करें।
  4. मंत्र जाप: रुद्राक्ष की माला का प्रयोग कर मंत्र का जप करें। प्रत्येक माला में 108 बार मंत्र का उच्चारण करें।
  5. समर्पण: मंत्र जप के बाद देवी संकटमोचन काली को पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
  6. नियमितता: मंत्र जप नियमित रूप से करें। इसके लिए निश्चित समय और स्थान निर्धारित करें।

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संकटमोचन काली मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. व्रत: जप के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें और व्रत का पालन करें।
  2. शुद्ध विचार: मंत्र जप के दौरान शुद्ध विचार और सकारात्मक मानसिकता रखें।
  3. नियमों का पालन: मंत्र जप के सभी नियमों का पालन करें और किसी भी नियम का उल्लंघन न करें।
  4. आध्यात्मिक अनुशासन: जप के दौरान अनुशासन और संयम का पालन करें।
  5. अविचलित मन: जप के दौरान मन को विचलित न होने दें और पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें।

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संकटमोचन काली मंत्र FAQ

  1. संकटमोचन काली कौन हैं?
    संकटमोचन काली, देवी काली का एक रूप हैं, जो संकटों और बाधाओं को दूर करने के लिए पूजनीय हैं।
  2. संकटमोचन काली का मुख्य मंत्र क्या है?
    संकटमोचन काली का मुख्य मंत्र “ॐ क्रीं संकट मोचनी विघ्न उच्चाटय क्रीं नमः” है।
  3. संकटमोचन काली मंत्र का क्या अर्थ है?
    इस मंत्र का अर्थ है देवी संकटमोचन काली को प्रणाम और समर्पण करना, और सभी बाधाओं और संकटों का नाश करना।
  4. संकटमोचन काली मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    संकटमोचन काली मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  5. संकटमोचन काली मंत्र का जप कैसे करें?
    मंत्र जप के लिए शुद्धता, ध्यान, नियमों का पालन और अनुशासन आवश्यक है।
  6. संकटमोचन काली मंत्र के लाभ क्या हैं?
    संकटमोचन काली मंत्र के लाभों में संकटों से मुक्ति, बाधाओं का नाश, शत्रुओं से रक्षा, स्वास्थ्य में सुधार आदि शामिल हैं।
  7. संकटमोचन काली मंत्र का जप कितनी अवधि तक करना चाहिए?
    मंत्र जप की अवधि 21 दिनों से लेकर 108 दिनों तक हो सकती है।
  8. संकटमोचन काली मंत्र का जप किस मुहूर्त में करना चाहिए?
    संकटमोचन काली मंत्र का जप प्रातःकाल या संध्या समय में किया जा सकता है। ब्रह्ममुहूर्त सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
  9. संकटमोचन काली मंत्र के जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
    जप के दौरान शुद्ध विचार, व्रत, अनुशासन, और मन की एकाग्रता बनाए रखनी चाहिए।
  10. संकटमोचन काली मंत्र के जप के लिए किस माला का प्रयोग करें?
    रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। प्रत्येक माला में 108 बार मंत्र का उच्चारण करें।
  11. क्या संकटमोचन काली मंत्र का जप केवल विशेष अवसरों पर ही करना चाहिए?
    नहीं, संकटमोचन काली मंत्र का जप किसी भी समय किया जा सकता है, विशेष अवसरों पर इसका महत्व और अधिक हो सकता है।
  12. क्या संकटमोचन काली मंत्र के जप से सभी इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है?
    हाँ, संकटमोचन काली मंत्र सभी इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति में सहायता करता है।
  13. संकटमोचन काली मंत्र का जप करने से मानसिक शांति कैसे प्राप्त होती है?
    मंत्र जप से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे मन शांत और स्थिर होता है।
  14. **संकटमोचन काली मंत्र का जप कैसे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है?**
    मंत्र जप से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है।
  15. संकटमोचन काली मंत्र का जप करने के लिए किन नियमों का पालन आवश्यक है?
    मंत्र जप के लिए शुद्धता, ध्यान, नियमितता, और अनुशासन आवश्यक है।

Bhadrakali Mantra for obstacles

भद्रकाली / Bhadrakali Mantra for obstacles

हर तरह के भय को दूर करने वाली भद्रकाली एक प्रमुख हिन्दू देवी हैं, जो पश्चिम बंगाल और केरल के कुछ क्षेत्रों में विशेष रूप से पूजी जाती हैं। वह दुर्गा के देवी रूपों में से एक हैं और इनकी पूजा शनिवार, शनिवार, ग्रहण, अमवस्या, दशमी के दिन की जाती हैं।

भद्रकाली का अर्थ है “शुभ काली”, और वे देवी काली का एक स्वरूप मानी जाती हैं। देवी काली विनाश और पुनर्निर्माण की देवी हैं, और वे शक्ति, साहस और प्रचंडता का प्रतीक हैं। भद्रकाली को शक्ति का एक रूप माना जाता है जो कि राक्षसों और बुरी शक्तियों का विनाश करती हैं।

मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र का अर्थ

  • “: यह ध्वनि ब्रह्माण्ड की प्राथमिक ध्वनि है और इसे सर्वशक्तिमान की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
  • क्रीं“: यह बीज मंत्र है जो शक्ति, सृजन और विनाश की शक्ति का प्रतीक है।
  • भद्रकाली“: यह देवी भद्रकाली का नाम है, जो शुभ और विनाशकारी शक्ति की देवी हैं।
  • स्वाहा“: यह शब्द मंत्र के पूर्ण होने का संकेत देता है और समर्पण का प्रतीक है।

लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।
  2. संकटों से मुक्ति: यह मंत्र संकट और समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।
  3. शत्रुओं से रक्षा: यह मंत्र शत्रुओं और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार: यह मंत्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
  5. आत्मविश्वास बढ़ाना: यह मंत्र आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाता है।
  6. शांति और स्थिरता: यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता लाता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण का निर्माण करता है।
  8. धन और समृद्धि: यह मंत्र धन और समृद्धि की प्राप्ति में सहायता करता है।
  9. कार्य में सफलता: यह मंत्र कार्यों में सफलता प्राप्त करने में सहायता करता है।
  10. भय का नाश: यह मंत्र भय और अज्ञानता का नाश करता है।
  11. सद्बुद्धि प्राप्ति: यह मंत्र सद्बुद्धि और विवेक की प्राप्ति में सहायता करता है।
  12. संतान सुख: यह मंत्र संतान सुख और संतान की सुरक्षा प्रदान करता है।
  13. वैवाहिक सुख: यह मंत्र वैवाहिक जीवन में सुख और सामंजस्य लाता है।
  14. विवाह में बाधा दूर करना: यह मंत्र विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
  15. विद्या प्राप्ति: यह मंत्र विद्या और ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है।
  16. धार्मिक विश्वास बढ़ाना: यह मंत्र धार्मिक विश्वास और आस्था को बढ़ाता है।
  17. मानसिक शक्ति: यह मंत्र मानसिक शक्ति और दृढ़ता को बढ़ाता है।
  18. बाधाओं का नाश: यह मंत्र जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश करता है।
  19. संपूर्ण कल्याण: यह मंत्र संपूर्ण कल्याण और सफलता की प्राप्ति में सहायता करता है।
  20. सर्वकामना पूर्ति: यह मंत्र सभी इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति में सहायता करता है।

जप का दिन, अवधि, मुहुर्त

  1. दिन: भद्रकाली मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  2. अवधि: मंत्र जप की अवधि 21 दिनों से लेकर 108 दिनों तक हो सकती है। यह अवधि आपकी श्रद्धा और समय के आधार पर तय की जा सकती है।
  3. मुहुर्त: भद्रकाली मंत्र का जप प्रातःकाल या संध्या समय में किया जा सकता है। ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: किसी शांत स्थान पर कुश के आसन पर बैठें।
  3. ध्यान: अपने मन को शांत करें और ध्यान केंद्रित करें।
  4. मंत्र जाप: रुद्राक्ष की माला का प्रयोग कर मंत्र का जप करें। प्रत्येक माला में 108 बार मंत्र का उच्चारण करें।
  5. समर्पण: मंत्र जप के बाद देवी भद्रकाली को पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
  6. नियमितता: मंत्र जप नियमित रूप से करें। इसके लिए निश्चित समय और स्थान निर्धारित करें।

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भद्रकाली मंत्र जप की सावधानियां

  1. व्रत: जप के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें और व्रत का पालन करें।
  2. शुद्ध विचार: मंत्र जप के दौरान शुद्ध विचार और सकारात्मक मानसिकता रखें।
  3. नियमों का पालन: मंत्र जप के सभी नियमों का पालन करें और किसी भी नियम का उल्लंघन न करें।
  4. आध्यात्मिक अनुशासन: जप के दौरान अनुशासन और संयम का पालन करें।
  5. अविचलित मन: जप के दौरान मन को विचलित न होने दें और पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें।

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भद्रकाली मंत्र FAQ

  1. भद्रकाली कौन हैं?
    भद्रकाली हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें विशेष रूप से दक्षिण भारत में पूजनीय माना जाता है।
  2. भद्रकाली का मुख्य मंत्र क्या है?
    भद्रकाली का मुख्य मंत्र “ॐ क्रीं भद्रकाली क्रीं स्वाहा” है।
  3. भद्रकाली मंत्र का क्या अर्थ है?
    इस मंत्र का अर्थ है देवी भद्रकाली को प्रणाम और समर्पण करना।
  4. भद्रकाली मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    भद्रकाली मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  5. भद्रकाली मंत्र का जप कैसे करें?
    मंत्र जप के लिए शुद्धता, ध्यान, नियमों का पालन और अनुशासन आवश्यक है।
  6. भद्रकाली मंत्र के लाभ क्या हैं?
    भद्रकाली मंत्र के लाभों में आध्यात्मिक उन्नति, संकटों से मुक्ति, शत्रुओं से रक्षा, स्वास्थ्य में सुधार आदि शामिल हैं।
  7. भद्रकाली मंत्र का जप कितनी अवधि तक करना चाहिए?
    मंत्र जप की अवधि 21 दिनों से लेकर 108 दिनों तक हो सकती है।
  8. भद्रकाली मंत्र का जप किस मुहुर्त में करना चाहिए?
    भद्रकाली मंत्र का जप प्रातःकाल या संध्या समय में किया जा सकता है। ब्रह्ममुहूर्त सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
  9. भद्रकाली मंत्र के जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
    जप के दौरान शुद्ध विचार, व्रत, अनुशासन, और मन की एकाग्रता बनाए रखनी चाहिए।
  10. भद्रकाली मंत्र के जप के लिए किस माला का प्रयोग करें?
    रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। प्रत्येक माला में 108 बार मंत्र का उच्चारण करें।
  11. क्या भद्रकाली मंत्र का जप केवल विशेष अवसरों पर ही करना चाहिए?
    नहीं, भद्रकाली मंत्र का जप किसी भी समय किया जा सकता है, विशेष अवसरों पर इसका महत्व और अधिक हो सकता है।

Mata Mahakali Mantra for protection & attraction

Mata Mahakali Mantra for protection & attraction

Mata Mahakali Mantra – शत्रुओं से छुटकारा दिलाने वाली हिंदू धर्म में, महाकाली (Mahakali) पृथम महाविद्या मानी जाती हैं। उन्हें मृत्यु, काल और परिवर्तन की देवी के रूप में जाना जाता है।

महाकाली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं जिन्हें शक्ति और विनाश की देवी माना जाता है। महाकाली का स्वरूप भयंकर और रौद्र है, जिसमें वह काले रंग की होती हैं, उनके अनेक भुजाएँ होती हैं और वे विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। महाकाली की पूजा तांत्रिक विधियों में विशेष महत्व रखती है और वे अपने भक्तों की सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण करती हैं।

मंत्र व उसका अर्थ

महाकाली मंत्र

ॐ क्रीं महाकालिकायै नमः

मंत्र का अर्थ

इस मंत्र का अर्थ है: “मैं महाकाली देवी को नमस्कार करता हूँ।”

मंत्र के लाभ

  • भय से मुक्ति: महाकाली के मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार के भय, मानसिक और आध्यात्मिक भय से मुक्ति मिलती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: यह मंत्र साधक को नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर, और अंधकार से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • बाधाओं को दूर करना: जीवन में आने वाली हर प्रकार की बाधाओं और समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
  • साहस और शक्ति: यह मंत्र साधक को अदम्य साहस और मानसिक शक्ति प्रदान करता है, जिससे वह हर चुनौती का सामना कर सकता है।
  • शत्रु नाश: यह मंत्र शत्रुओं के बुरे इरादों से रक्षा करता है और उनके नाश में सहायक होता है।
  • क्रोध पर नियंत्रण: इस मंत्र का जाप क्रोध को नियंत्रित करने और शांतिपूर्ण मानसिकता बनाए रखने में मदद करता है।
  • रोगों से मुक्ति: मंत्र के नियमित जाप से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • आर्थिक समृद्धि: महाकाली की कृपा से साधक को आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  • समय पर कार्य सिद्धि: साधक के कार्य समय पर पूरे होते हैं और अवरोध समाप्त होते हैं।
  • परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
  • विवाह और रिश्तों में सामंजस्य: अविवाहित लोगों के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और रिश्तों में सामंजस्य बना रहता है।
  • तांत्रिक प्रभावों से सुरक्षा: यह मंत्र तांत्रिक क्रियाओं और जादू-टोने के प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • मृत्यु भय का नाश: महाकाली के मंत्र से मृत्यु भय का नाश होता है और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
  • अज्ञान का नाश: मंत्र का जाप साधक के जीवन से अज्ञानता का नाश करता है और ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है।
  • मुक्ति प्राप्ति: महाकाली मंत्र के जाप से साधक को मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।

महाकाली मंत्र विधि

  • प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को शुद्ध करें और आसन पर बैठें।
  • दीप और धूप जलाकर देवी का ध्यान करें।
  • ऊँ क्रीं महाकालिकायै नमः मंत्र का जप शुरू करें।
  • मंत्र जप करते समय रुद्राक्ष या स्फटिक माला का प्रयोग करें।
  • शांति और एकाग्रता से मंत्र जप करें।

महाकाली मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहुर्थ

दिन

मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से इस मंत्र जप के लिए उत्तम माना जाता है।

अवधि

प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में या रात्रि के समय 11:30 से 12:30 बजे के बीच मंत्र जप करना उत्तम होता है।

मुहुर्थ

ग्रहण काल और विशेष योग जैसे अमावस्या का दिन भी जप के लिए शुभ होता है।

जप के नियम

  • किसी साफ और शुद्ध आसन पर बैठकर मंत्र जप करें।
  • मंत्र जप से पहले स्नान अवश्य करें।
  • सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक भोजन से बचें।
  • सत्य का पालन करें और असत्य से बचें।
  • नियमित रूप से निश्चित समय पर मंत्र जप करें।
  • मंत्र जप के समय ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।
  • रुद्राक्ष या स्फटिक माला का प्रयोग करें।

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महाकाली मंत्र जप सावधानी

  • मंत्र जप के दौरान शरीर और मन की शुद्धि बनाए रखें।
  • मंत्र जप के समय किसी भी प्रकार से विचलित न हों।
  • अशुभ समय में मंत्र जप से बचें।
  • नकारात्मक विचारों से बचें।
  • मंत्र जप शुरू करने से पहले उचित मार्गदर्शन प्राप्त करें।

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महाकाली मंत्र पृश्न उत्तर

1. यह मंत्र किसके लिए उपयुक्त है?

यह मंत्र सभी के लिए उपयुक्त है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो भय, रोग, शत्रुओं या नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति चाहते हैं।

2. क्या इस मंत्र का जप घर पर किया जा सकता है?

हां, यह मंत्र घर पर शुद्ध स्थान पर बैठकर किया जा सकता है।

3. मंत्र जप का सर्वोत्तम समय क्या है?

प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में या रात्रि के समय 11:30 से 12:30 बजे के बीच मंत्र जप करना सर्वोत्तम है।

4. कितने समय तक इस मंत्र का जप करना चाहिए?

कम से कम 108 बार प्रतिदिन जप करें और इसे 40 दिनों तक निरंतर जारी रखें।

5. क्या इस मंत्र से स्वास्थ्य में सुधार होता है?

हां, इस मंत्र के जप से विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

6. क्या महाकाली का पूजन केवल तांत्रिक विधि से किया जा सकता है?

नहीं, महाकाली का पूजन सामान्य विधि से भी किया जा सकता है, तांत्रिक विधि केवल विशेष प्रयोजनों के लिए होती है।

7. क्या इस मंत्र से मानसिक शांति प्राप्त होती है?

हां, इस मंत्र के जप से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

8. क्या यह मंत्र आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है?

हां, इस मंत्र के जप से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और समृद्धि आती है।

9. क्या महाकाली मंत्र से शत्रुओं का नाश होता है?

हां, इस मंत्र से शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति सुरक्षित रहता है।

10. क्या इस मंत्र का जप स्त्रियाँ भी कर सकती हैं?

हां, स्त्रियाँ भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं, यह सभी के लिए उपयुक्त है।

11. क्या इस मंत्र से संतान सुख प्राप्त होता है?

हां, जिनके संतान नहीं होती, उन्हें इस मंत्र के जप से संतान सुख प्राप्त होता है।

Daksina Kali Mantra for strong protection

दक्षिण काली / Daksina Kali Mantra for strong protection

तंत्र व शत्रु के दुष्प्रभाव को नष्ट करने वाली दक्षिण काली देवी काली का एक रूप है। उन्हें दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है, जो दस शक्तिशाली देवियों का समूह है। दक्षिण काली को अक्सर भयानक रूप में चित्रित किया जाता है, लेकिन उन्हें रक्षक और मुक्तिदाता के रूप में भी देखा जाता है।

दक्षिण काली को हिन्दू धर्म में अत्यंत शक्तिशाली देवी के रूप में पूजा जाता है। वह आद्या शक्ति का रूप हैं और तमाम नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं। दक्षिण काली का स्वरूप भयंकर होता है जिसमें वे काले रंग की होती हैं, उनके गले में नरमुंडों की माला होती है और हाथों में खड्ग, कपाल और अन्य अस्त्र होते हैं। वे समय (काल) की नियंत्रक मानी जाती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं।

दक्षिण काली मंत्र

ॐ क्रीं दक्षिण कालिकायै नमः

इस मंत्र का अर्थ है: “मैं दक्षिण काली देवी को नमस्कार करता हूँ।”

मंत्र के लाभ

  1. भय से मुक्ति: यह मंत्र जपने से व्यक्ति के सभी भय दूर हो जाते हैं।
  2. रोगों से मुक्ति: इस मंत्र का जप करने से सभी प्रकार की बीमारियों से राहत मिलती है।
  3. शत्रुओं का नाश: इस मंत्र से व्यक्ति के सभी शत्रुओं का नाश होता है।
  4. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: इस मंत्र के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  5. शांति और मानसिक स्थिरता: मंत्र जप से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  6. धन और समृद्धि: इस मंत्र के जप से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और समृद्धि आती है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में यह मंत्र सहायक होता है।
  8. सुरक्षा: मंत्र जप करने से देवी की कृपा से व्यक्ति सुरक्षित रहता है।
  9. विवाह में अड़चनें दूर होती हैं: इस मंत्र के जप से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं।
  10. आकस्मिक आपदाओं से रक्षा: देवी काली आकस्मिक आपदाओं से रक्षा करती हैं।
  11. अध्यात्मिक शक्ति का विकास: इस मंत्र के नियमित जप से व्यक्ति की अध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
  12. कुंडलिनी जागरण: इस मंत्र के जप से कुंडलिनी शक्ति का जागरण होता है।
  13. भाग्य का उदय: इस मंत्र के प्रभाव से भाग्य का उदय होता है।
  14. चिंताओं से मुक्ति: मंत्र जप से सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
  15. दुर्घटनाओं से सुरक्षा: देवी की कृपा से व्यक्ति दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहता है।
  16. दुष्ट आत्माओं से रक्षा: यह मंत्र व्यक्ति को दुष्ट आत्माओं से बचाता है।
  17. विद्या और बुद्धि का विकास: इस मंत्र से विद्या और बुद्धि का विकास होता है।
  18. संतान सुख: जिनके संतान नहीं होती, उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है।
  19. कार्य सिद्धि: इस मंत्र के जप से सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
  20. मोक्ष प्राप्ति: अंततः इस मंत्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मंत्र विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल की शुद्धि: पूजा स्थल को शुद्ध करें और आसन पर बैठें।
  3. दीप और धूप जलाना: दीप और धूप जलाकर देवी का ध्यान करें।
  4. मंत्र जप की शुरुआत: ऊँ क्रीं दक्षिण कालिकायै नमः मंत्र का जप शुरू करें।
  5. माला का प्रयोग: मंत्र जप करते समय रुद्राक्ष या स्फटिक माला का प्रयोग करें।
  6. शांति से जप: शांति और एकाग्रता से मंत्र जप करें।
  7. नियमितता: नियमित रूप से मंत्र का जप करें।

दिन, अवधि, मुहुर्थ

  1. दिन: मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से इस मंत्र जप के लिए उत्तम माना जाता है।
  2. अवधि: प्रातःकाल ब्रह्म मुहुर्त में या रात्रि के समय 11:30 से 12:30 बजे के बीच मंत्र जप करना उत्तम होता है।
  3. मुहुर्थ: ग्रहण काल और विशेष योग जैसे अमावस्या का दिन भी जप के लिए शुभ होता है।

नियम

  1. आसन पर बैठना: किसी साफ और शुद्ध आसन पर बैठकर मंत्र जप करें।
  2. स्नान: मंत्र जप से पहले स्नान अवश्य करें।
  3. आहार: सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक भोजन से बचें।
  4. सत्य बोलना: सत्य का पालन करें और असत्य से बचें।
  5. नियमितता: नियमित रूप से निश्चित समय पर मंत्र जप करें।
  6. ध्यान और एकाग्रता: मंत्र जप के समय ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें।
  7. माला का उपयोग: रुद्राक्ष या स्फटिक माला का प्रयोग करें।

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दक्षिण काली मंत्र जप सावधानी

  1. शुद्धि: मंत्र जप के दौरान शरीर और मन की शुद्धि बनाए रखें।
  2. विचलित न होना: मंत्र जप के समय किसी भी प्रकार से विचलित न हों।
  3. सावधानी: अशुभ समय में मंत्र जप से बचें।
  4. नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. उचित मार्गदर्शन: मंत्र जप शुरू करने से पहले उचित मार्गदर्शन प्राप्त करें।

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दक्षिण काली मंत्र पृश्न उत्तर

  1. यह मंत्र किसके लिए उपयुक्त है?
    • यह मंत्र सभी के लिए उपयुक्त है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो भय, रोग, शत्रुओं या नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति चाहते हैं।
  2. क्या इस मंत्र का जप घर पर किया जा सकता है?
    • हां, यह मंत्र घर पर शुद्ध स्थान पर बैठकर किया जा सकता है।
  3. मंत्र जप का सर्वोत्तम समय क्या है?
    • प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में या रात्रि के समय 11:30 से 12:30 बजे के बीच मंत्र जप करना सर्वोत्तम है।
  4. कितने समय तक इस मंत्र का जप करना चाहिए?
    • कम से कम 108 बार प्रतिदिन जप करें और इसे 40 दिनों तक निरंतर जारी रखें।
  5. क्या इस मंत्र से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    • हां, इस मंत्र के जप से विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. क्या दक्षिण काली का पूजन केवल तांत्रिक विधि से किया जा सकता है?
    • नहीं, दक्षिण काली का पूजन सामान्य विधि से भी किया जा सकता है, तांत्रिक विधि केवल विशेष प्रयोजनों के लिए होती है।
  7. क्या इस मंत्र से मानसिक शांति प्राप्त होती है?
    • हां, इस मंत्र के जप से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  8. क्या यह मंत्र आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है?
    • हां, इस मंत्र के जप से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और समृद्धि आती है।
  9. क्या दक्षिण काली मंत्र से शत्रुओं का नाश होता है?
    • हां, इस मंत्र से शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति सुरक्षित रहता है।
  10. क्या इस मंत्र का जप स्त्रियाँ भी कर सकती हैं?
    • हां, स्त्रियाँ भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं, यह सभी के लिए उपयुक्त है।

Kashtabhanjan Hanuman Mantra For Protection

कष्टभंजन हनुमान / Kashtabhanjan Hanuman Mantra

कष्टभंजन हनुमान मंत्र – सभी कष्टों से मुक्ति पाने का शक्तिशाली उपाय

कष्टभंजन हनुमान मंत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र है जिसे सभी प्रकार के कष्टों और विपत्तियों से मुक्ति पाने के लिए जपा जाता है। यह मंत्र विशेष रूप से भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए सिद्ध है। जो भी व्यक्ति नियमित रूप से इस मंत्र का जप करता है, उसे अद्भुत शक्ति, साहस, और समस्त प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है। कष्टभंजन हनुमान मंत्र हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का नाश करता है।

मंत्र और उसका अर्थ

ॐ हं कष्टभंजन हनुमंते फ्रौं नम:

अर्थ:

इस मंत्र में ‘ॐ’ से ईश्वर की शक्ति का आह्वान किया जाता है। ‘हं’ बीज मंत्र है, जो हनुमान जी की उग्र शक्ति का प्रतीक है। ‘कष्टभंजन हनुमंते’ का तात्पर्य है, जो कष्टों को दूर करते हैं, वे हनुमान। ‘फ्रौं’ विशेष बीज मंत्र है जो समस्त नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है। अंत में ‘नम:’ से भगवान हनुमान को प्रणाम किया जाता है। इस प्रकार, यह मंत्र जीवन में सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं को दूर करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।

कष्टभंजन हनुमान मंत्र के लाभ

  1. जीवन के सभी कष्टों का नाश।
  2. शत्रुओं से रक्षा।
  3. मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि।
  4. नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा।
  5. आर्थिक संकटों से मुक्ति।
  6. शारीरिक और मानसिक बल की वृद्धि।
  7. भय और चिंता से मुक्ति।
  8. भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति।
  9. दुष्ट शक्तियों का नाश।
  10. मानसिक शांति और स्थिरता।
  11. रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य में सुधार।
  12. विपत्तियों और संकटों से बचाव।
  13. कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति।
  15. परिवारिक जीवन में शांति और समृद्धि।
  16. बाधाओं से मुक्ति।
  17. धर्म, कर्म, और भक्ति में वृद्धि।

कष्टभंजन हनुमान मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन, अवधि, और मुहूर्त:

कष्टभंजन हनुमान मंत्र का जप किसी भी दिन प्रारंभ किया जा सकता है, परंतु मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) इस मंत्र जप के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है। जप की अवधि कम से कम ११ दिन से लेकर २१ दिन तक होनी चाहिए।

मंत्र जप की विधि और सामग्री

सामग्री:

  • शुद्ध रुद्राक्ष माला या तुलसी की माला।
  • शुद्ध घी या तिल का तेल का दीपक।
  • ताजे फूल (विशेषकर लाल फूल)।
  • चंदन, धूप, अगरबत्ती।
  • भगवान हनुमान की प्रतिमा या चित्र।

मंत्र जप की संख्या:

प्रतिदिन ११ माला (यानि ११८८ मंत्र) का जप करें। माला को धीरे-धीरे घुमाते हुए पूर्ण मनोयोग से मंत्र का जप करें।

मंत्र जप के नियम

  • इस मंत्र जप के लिए उम्र कम से कम २० वर्ष होनी चाहिए।
  • स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  • जप के समय नीले या काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
  • धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन न करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को शुद्ध रखें।

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जप के समय सावधानियाँ

मंत्र जप के समय मन को एकाग्र रखें। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रहें। मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहें। किसी भी प्रकार की अधर्मिक गतिविधि से बचें। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ ही मंत्र का जप करें, अन्यथा इसका पूरा लाभ नहीं मिलता।

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कष्टभंजन हनुमान मंत्र से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: कष्टभंजन हनुमान मंत्र क्या है?

उत्तर: यह एक शक्तिशाली मंत्र है जिसे भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने और जीवन में आने वाले सभी कष्टों को दूर करने के लिए जपा जाता है।

प्रश्न 2: इस मंत्र का जप कौन कर सकता है?

उत्तर: कोई भी व्यक्ति, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, इस मंत्र का जप कर सकता है, बशर्ते उनकी उम्र २० वर्ष से अधिक हो।

प्रश्न 3: कष्टभंजन हनुमान मंत्र का जप कब करें?

उत्तर: इस मंत्र का जप प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में करना सर्वोत्तम है, विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को।

प्रश्न 4: क्या कष्टभंजन हनुमान मंत्र से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?

उत्तर: हां, इस मंत्र के नियमित जप से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और समृद्धि प्राप्त होती है।

प्रश्न 5: क्या कष्टभंजन हनुमान मंत्र से शारीरिक बल की वृद्धि होती है?

उत्तर: हां, इस मंत्र का जप शारीरिक और मानसिक बल में वृद्धि करता है।

प्रश्न 6: क्या मंत्र जप के दौरान विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: हां, जप के दौरान शुद्धता, ब्रह्मचर्य, और उचित नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

प्रश्न 7: क्या इस मंत्र से मानसिक शांति प्राप्त होती है?

उत्तर: हां, कष्टभंजन हनुमान मंत्र का जप करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

प्रश्न 8: इस मंत्र से भय और चिंता कैसे दूर होते हैं?

उत्तर: इस मंत्र का जप करने से भगवान हनुमान की कृपा से भय और चिंता का नाश होता है।

प्रश्न 9: क्या महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं, बशर्ते वे उचित नियमों का पालन करें।

प्रश्न 10: क्या इस मंत्र का जप रुद्राक्ष माला से किया जा सकता है?

उत्तर: हां, रुद्राक्ष माला का प्रयोग इस मंत्र के जप के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र से शत्रुओं का नाश होता है?

उत्तर: हां, इस मंत्र का जप शत्रुओं और दुष्ट शक्तियों का नाश करता है।

प्रश्न 12: क्या इस मंत्र के जप से भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है?

उत्तर: हां, इस मंत्र के नियमित जप से भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

Sankat Mochan Hanuman Mantra For Wealth & Protection

संकटमोचन हनुमान / Sankat Mochan Hanuman Mantra

संकटमोचन हनुमान मंत्र – संकटों से मुक्ति और सफलता पाने का अचूक उपाय

संकटमोचन हनुमान मंत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और पवित्र मंत्र है, जिसे सभी प्रकार के संकटों, समस्याओं, और विपत्तियों से मुक्ति पाने के लिए जपा जाता है। संकटों से घिरे हुए व्यक्ति इस मंत्र का जप करके भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। संकटमोचन का अर्थ ही है “जो संकटों का नाश करता है”। यह मंत्र भगवान हनुमान की उग्र और भक्तिपूर्ण शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और यह भक्तों को अद्भुत शक्ति, साहस और सफलता प्रदान करता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से इस मंत्र का जप करता है, वह अपने जीवन के सभी संकटों से मुक्ति पाता है।

मंत्र और उसका अर्थ

ॐ हं संकटमोचन हनुमंते फ्रौं नम:

अर्थ:

इस मंत्र में ‘ॐ’ से भगवान की शक्ति का आह्वान किया जाता है। ‘हं’ भगवान हनुमान के शक्ति स्वरूप का प्रतीक है। ‘संकटमोचन हनुमंते’ का अर्थ है, संकटों को दूर करने वाले हनुमान जी को प्रणाम। ‘फ्रौं’ एक शक्तिशाली बीज मंत्र है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं का नाश करता है। ‘नम:’ भगवान हनुमान को समर्पण और नमन का संकेत देता है। यह मंत्र भगवान हनुमान से संकटों और समस्याओं से रक्षा और मुक्ति के लिए आशीर्वाद मांगता है।

संकटमोचन हनुमान मंत्र के लाभ

  1. जीवन के सभी संकटों से मुक्ति।
  2. मानसिक शांति और स्थिरता की प्राप्ति।
  3. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  4. नकारात्मक शक्तियों और बुरी दृष्टि से सुरक्षा।
  5. शारीरिक और मानसिक बल की वृद्धि।
  6. धन और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
  7. रोगों से रक्षा और स्वास्थ्य में सुधार।
  8. भय और चिंता का नाश।
  9. कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  10. भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
  11. दुर्घटनाओं से बचाव और सुरक्षा।
  12. मानसिक तनाव से मुक्ति।
  13. आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-विश्वास में वृद्धि।
  14. वैवाहिक जीवन में शांति और समृद्धि।
  15. अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव से बचाव।
  16. परिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि।
  17. धार्मिक और आध्यात्मिक जागरूकता में वृद्धि।

संकटमोचन हनुमान मंत्र जप विधि

मंत्र जप का दिन, अवधि, और मुहूर्त:

संकटमोचन हनुमान मंत्र का जप किसी भी दिन प्रारंभ किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्या समय को जप के लिए उत्तम समय माना गया है। मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिन तक होनी चाहिए, ताकि मंत्र का प्रभाव तीव्र और स्थायी हो।

मंत्र जप की विधि और सामग्री

सामग्री:

  • तुलसी या रुद्राक्ष की माला।
  • शुद्ध घी का दीपक।
  • ताजे लाल फूल।
  • अगरबत्ती या धूप।
  • भगवान हनुमान की प्रतिमा या चित्र।

मंत्र जप की संख्या:

प्रतिदिन ११ माला का जप करें, यानि ११८८ मंत्रों का जप। माला को घुमाते समय मन को शांत और एकाग्र रखें और हर मंत्र का सही उच्चारण करें।

मंत्र जप के नियम

  1. मंत्र जप के लिए आपकी उम्र कम से कम २० वर्ष होनी चाहिए।
  2. स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. जप के समय नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को शुद्ध रखें।
  6. जप के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचें।

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जप के समय सावधानियाँ

  1. जप के दौरान पूरी श्रद्धा और विश्वास रखें।
  2. ध्यान रखें कि जप करते समय शुद्धता और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  3. मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
  4. किसी प्रकार की नकारात्मक सोच से बचें और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करें।
  5. जप के समय अशुद्ध स्थानों पर न बैठें और उचित आसन का प्रयोग करें।
  6. जप समाप्त होने के बाद भगवान हनुमान के चरणों में फूल अर्पित करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें।

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संकटमोचन हनुमान मंत्र से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: संकटमोचन हनुमान मंत्र क्या है?

उत्तर: यह एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है जिसे भगवान हनुमान से संकटों और समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए जपा जाता है।

प्रश्न 2: इस मंत्र का जप कौन कर सकता है?

उत्तर: कोई भी व्यक्ति जो २० वर्ष से अधिक उम्र का है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, इस मंत्र का जप कर सकता है।

प्रश्न 3: संकटमोचन हनुमान मंत्र का जप कब करना चाहिए?

उत्तर: इस मंत्र का जप प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में या संध्या समय में करना सर्वोत्तम है, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को।

प्रश्न 4: क्या संकटमोचन हनुमान मंत्र शत्रुओं का नाश करता है?

उत्तर: हां, इस मंत्र के जप से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और दुष्ट शक्तियों का नाश होता है।

प्रश्न 5: क्या इस मंत्र से मानसिक शांति प्राप्त होती है?

उत्तर: हां, इस मंत्र का जप करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

प्रश्न 6: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं, बशर्ते वे आवश्यक नियमों का पालन करें।

प्रश्न 7: क्या इस मंत्र का जप आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है?

उत्तर: हां, संकटमोचन हनुमान मंत्र के जप से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और समृद्धि प्राप्त होती है।

प्रश्न 8: संकटमोचन हनुमान मंत्र से स्वास्थ्य में कैसे सुधार होता है?

उत्तर: इस मंत्र का जप रोगों से रक्षा करता है और शारीरिक बल को बढ़ाता है।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र का जप किसी भी माला से किया जा सकता है?

उत्तर: हां, रुद्राक्ष या तुलसी माला का प्रयोग इस मंत्र के जप के लिए सबसे उपयुक्त है।

प्रश्न 10: संकटमोचन हनुमान मंत्र से भय कैसे दूर होते हैं?

उत्तर: इस मंत्र के जप से भगवान हनुमान की कृपा से भय, चिंता और मानसिक तनाव समाप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र का जप अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव से बचाव करता है?

उत्तर: हां, इस मंत्र के नियमित जप से अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव का नाश होता है।

प्रश्न 12: क्या संकटमोचन हनुमान मंत्र जीवन में सफलता दिलाता है?

उत्तर: हां, इस मंत्र के जप से व्यक्ति को कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और भगवान हनुमान का आशीर्वाद मिलता है।

Lord Shiva Bhog For Wishes

Lord Shiva Bhog For Wishes

Bhagwan shiv ji को भोग मे क्या क्या चढाया जाता है?

Lord Shiva Bhog का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है। शिवजी को भोग अर्पित करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। शिवजी सरल हृदय देवता हैं और छोटे-छोटे भोग से प्रसन्न हो जाते हैं।

शिवजी को भोग में क्या-क्या चढ़ाया जाता है?

  1. बेल पत्र: यह शिवजी को अत्यंत प्रिय है और उनकी पूजा का मुख्य अंग है।
  2. धतूरा: शिवजी को यह फल अत्यधिक प्रिय है और इसे चढ़ाने से विशेष फल मिलता है।
  3. गंगा जल: गंगा जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  4. दूध: शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  5. दही: शिवजी को दही का भोग विशेष रूप से चढ़ाया जाता है।
  6. शहद: शहद चढ़ाने से जीवन में मिठास आती है।
  7. गुड़: गुड़ चढ़ाने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
  8. चावल: शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से शांतिपूर्ण जीवन मिलता है।
  9. फूल: विशेष रूप से सफेद और नीले फूल चढ़ाना शुभ होता है।
  10. फल: मौसमी फल चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होते हैं।
  11. भस्म: शिवजी को भस्म अत्यंत प्रिय है और यह उनके स्वरूप का प्रतीक है।
  12. पंचामृत: पंचामृत अर्पित करना अति मंगलकारी होता है।

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शिव भोग के लाभ

  1. धन की प्राप्ति: शिवजी को भोग अर्पित करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
  2. शांति: भोग से जीवन में मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: शिवलिंग पर दूध और पंचामृत चढ़ाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  4. दुर्भाग्य नाश: शिवजी के भोग से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है।
  5. वैवाहिक सुख: शिवजी को फल और फूल अर्पित करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है।
  6. संतान सुख: शिवलिंग पर बेल पत्र और दूध चढ़ाने से संतान सुख मिलता है।
  7. रोग निवारण: शिवजी की पूजा से गंभीर रोगों से छुटकारा मिलता है।
  8. कार्य सफलता: शिवजी को पंचामृत चढ़ाने से कार्यों में सफलता मिलती है।
  9. मोक्ष प्राप्ति: शिवजी को भोग अर्पित करना आत्मा को शुद्ध करता है।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: शिव पूजा से ध्यान और साधना में सफलता मिलती है।
  11. भय नाश: शिवजी को भोग चढ़ाने से सभी प्रकार के भय समाप्त होते हैं।
  12. कुल की उन्नति: शिवजी को भोग अर्पण से पूरे परिवार को लाभ मिलता है।

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ध्यान दें

  • भगवान शिवजी को चढ़ाई जाने वाली चीज़ें उसकी भक्ति और श्रद्धा के प्रतीक हैं।
  • भगवान शिवजी को सादगी पसंद है, इसलिए महंगे चढ़ावे की बजाय, स्वच्छ और भक्ति भाव से चढ़ाए गए चढ़ावे अधिक लाभ प्रद माने जाते हैं।
  • भगवान शिवजी को चढ़ाई जाने वाली चीज़ें क्षेत्र, परंपरा और व्यक्तिगत पसंद के अनुसार भिन्न हो सकती हैं।

Lakshmi Strot For Wealth & Prosperity

Lakshmi strot for wealth & prosperity

आर्थिक उन्नति करने वाली “लक्ष्मी स्त्रोत” एक प्रमुख स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी की महिमा और महत्व को वर्णित करता है जो उनके भक्तों को समृद्धि, धन, और सुख-शांति प्रदान करने में सहायक होता है। यह स्तोत्र लक्ष्मी माता की प्रार्थना करते हुए उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए जपा जाता है। इसके पाठ से समृद्धि, सुख, सम्पत्ति, और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलती है।

लक्ष्मी स्त्रोत

ॐ श्री लक्ष्मी स्तोत्रम

1 श्री गंधर्वमुनिप्रियं, श्री शीलातनयम महत्म,
श्री जनमज्यमास्मि, श्री शाकम्भरीं जपामि॥

2 श्री रामाय धर्मात्यायां, श्री कृष्णाय नमोऽस्तु ते,
श्री सीतारामयान्वितायां, श्री वृष्णाय नमोऽस्तु ते॥

3 श्री शैलपुत्र्यायै, श्री व्रात्यायै, श्री यज्ञदायिनि,
श्री व्रात्यायै व्रात्यायायाः, श्री नेमिनाथाय नमोऽस्तु ते॥

4 श्री चन्द्राय चन्द्रशिलायाः, श्री राधायाः पदांध्रि,
श्री सोऽयं चंद्रसप्तकयाः, श्री जपामि तव पदाम्बु॥

5 श्री नारायणी नृपति वेदकाद्यः, श्री नारायणी नृपति शातनंद,
श्री जपामि सतां, श्री लक्ष्मीभद्राय नमोऽस्तु ते॥

6 श्री लक्ष्मी विष्णुप्रीत्यायै, श्री लक्ष्मी प्राणनाथाय नमोऽस्तु ते,
श्री संप्राप्ताय, श्री जपामि तव पदाम्बु॥

7 श्री काष्ठाय बोधायां, श्री लक्ष्मी कमलापते,
श्री कमलाक्ष, श्री लक्ष्मीभद्राय नमोऽस्तु ते॥

8 श्री लक्ष्मी स्तोत्रं भुक्त्वा, संप्राप्तुं न कदाचित्,
श्री रामकृष्ण पादायाः, लक्ष्मीप्राप्तं तु यः॥

9 श्री लक्ष्मीप्राप्तिं प्राप्नोति, श्री व्रात्याय जपामि,
श्री लक्ष्मीप्राप्तिं प्राप्नोति, श्री देवी नमोऽस्तु ते॥

श्लोक:

ॐ ॐ समस्त सृष्टि के पालनकर्ता देवी लक्ष्मी की स्तुति करते हुए यह स्त्रोत भगवान विष्णु द्वारा लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कहा गया है। इस स्त्रोत में देवी लक्ष्मी के सम्पूर्ण स्वरूप का वर्णन है। इसे पढ़ने से व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य, और सुख-शांति प्राप्त होती है। यह विशेष रूप से दीवाली, लक्ष्मी पूजन, और अन्य धार्मिक अवसरों पर पढ़ा जाता है।

लाभ

  1. धन और ऐश्वर्य: लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति में सहायक होता है।
  2. आर्थिक समृद्धि: यह स्त्रोत आर्थिक समृद्धि और व्यापार में उन्नति प्रदान करता है।
  3. मनोकामनाओं की पूर्ति: स्त्रोत की नियमित पाठ से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  4. सुख-शांति: जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
  5. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति पाने में मदद करता है।
  6. स्वास्थ्य: शरीर और मन की सेहत में सुधार लाता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  8. समाज में मान-सम्मान: समाज और परिवार में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  9. धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों में सफलता मिलती है।
  10. शांति और संतोष: मानसिक शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
  11. संकट मुक्ति: जीवन के संकटों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
  12. सपनों की पूर्ति: सपनों और इच्छाओं की पूर्ति होती है।
  13. सौभाग्य: सौभाग्य और खुशहाली में वृद्धि होती है।
  14. संतान सुख: संतान सुख और संतान प्राप्ति में सहायक होता है।
  15. संपत्ति में वृद्धि: संपत्ति और भौतिक संसाधनों में वृद्धि होती है।
  16. उत्कृष्टता: कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त होती है।
  17. संबंध सुधार: पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में सुधार होता है।
  18. सफलता: शिक्षा, करियर, और अन्य क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
  19. अध्यात्मिक उन्नति: अध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।
  20. सुरक्षा: जीवन में सुरक्षा और सुरक्षा का अनुभव होता है।

विधि

  1. स्वच्छता: पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: पूजा स्थल को साफ करें और वहां दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  3. मूर्ति या चित्र: देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को सजाएं और उन्हें पुष्प अर्पित करें।
  4. आसन: एक साफ और स्वच्छ आसन पर बैठें।
  5. संकल्प: पाठ करने से पहले संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करेंगे।
  6. लक्ष्मी स्त्रोत पाठ: पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें।
  7. आरती और प्रसाद: पाठ के बाद देवी लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

दिन, अवधि, और मुहूर्त

  1. दिन: लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन, दीवाली, शुक्रवार, या अन्य धार्मिक अवसरों पर किया जाता है।
  2. अवधि: इसे नियमित रूप से पढ़ना लाभकारी होता है। विशेष दिनों पर इसे 11 या 21 बार पढ़ना शुभ माना जाता है।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल या संध्या समय पाठ के लिए शुभ होता है। लक्ष्मी पूजन के दिन विशेष मुहूर्त देखना लाभकारी हो सकता है।

नियम

  1. शुद्धता: पाठ करने के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. भक्तिभाव: पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें।
  3. नियमितता: नियमित रूप से लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें।
  4. आसन: एक ही स्थान पर शांत और स्थिर होकर पाठ करें।
  5. मंत्र उच्चारण: शब्दों और मंत्रों का सही उच्चारण करें।

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सावधानियाँ

  1. व्यवधान से बचें: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचें।
  2. स्वच्छता बनाए रखें: पाठ के दौरान स्वच्छ वस्त्र पहनें और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  3. निंदा से बचें: पाठ के दौरान और बाद में किसी की निंदा न करें।
  4. ध्यान केंद्रित रखें: पाठ के दौरान अपने ध्यान को केंद्रित रखें।
  5. सच्ची श्रद्धा: पाठ को सच्ची श्रद्धा और निष्ठा के साथ करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. लक्ष्मी स्त्रोत किसने लिखा है?
    • लक्ष्मी स्त्रोत की रचना और लेखक अज्ञात हैं, यह विशेष रूप से प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है।
  2. लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कब करना चाहिए?
    • यह विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन, दीवाली, और शुक्रवार को पढ़ना लाभकारी होता है।
  3. लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • इसे नियमित रूप से पढ़ना चाहिए। विशेष अवसरों पर 11 या 21 बार पढ़ना शुभ माना जाता है।
  4. क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • हाँ, लेकिन प्रातःकाल या संध्या समय सबसे अच्छा माना जाता है।
  5. लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • इससे धन, ऐश्वर्य, सुख-शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।
  6. क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने के लिए कोई विशेष तैयारी करनी होती है?
    • हाँ, शारीरिक और मानसिक शुद्धता, स्वच्छ स्थान, और श्रद्धा आवश्यक है।
  7. लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कैसे किया जाता है?
    • इसे विधिपूर्वक, ध्यानपूर्वक, और भक्तिभाव से पढ़ना चाहिए।
  8. क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं?
    • हाँ, इसका पाठ आर्थिक समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
  9. लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से घर में क्या लाभ होते हैं?
    • घर में सुख-शांति, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  10. क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ केवल हिन्दू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?
    • नहीं, कोई भी श्रद्धालु लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कर सकता है।
  11. क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से स्वास्थ्य समस्याएं ठीक होती हैं?
    • हाँ, यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक होता है।
  12. क्या लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से संतान सुख प्राप्त होता है?
    • हाँ, संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी यह पाठ लाभकारी होता है।

Brahmacharini chalisa paath for health & wealth

Brahmacharini chalisa paath for health & wealth

दुख दरिद्रता नष्ट करने वाली ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को सुख, समृद्धि, शांति और सम्पत्ति की प्राप्ति में मदद मिलती है। ब्रह्मचारिणी चालीसा के पाठ से दुर्गंध, दरिद्रता, रोग, दुःख, भय और संकटों का नाश होता है और भक्त को सफलता और समृद्धि में सहायता प्रदान करती है।

ब्रह्मचारिणी चालीसा के पाठ से भक्त का मन शांत होता है और उसे आत्म-विश्वास मिलता है। यह चालीसा भक्त को दुर्गंध, दरिद्रता, रोग, दुःख, भय और संकटों से बचाने में मदद करती है और उसे आने वाले समय में सुरक्षित रखती है।

ब्रह्मचारिणी माता नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं और उनकी आराधना नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। उनके चालीसा पाठ से भक्तों को अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं। यहां हम ब्रह्मचारिणी चालीसा पाठ, इसके लाभ, विधि, नियम, सावधानियाँ और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों पर विस्तृत जानकारी देंगे।

चालीसा

दोहा:

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। विघ्न हरण मंगल मूरति, जय जय गिरिजा लाल।।

॥चौपाई॥

जयति जय ब्रह्मचारिणी माता,
जयति जय जग जननी जगदम्बा।
शांति, धैर्य, तप और वैराग्य,
है आपकी महिमा अपरम्पार॥

दिव्य स्वरूप शांत और कोमल,
भक्तों के संकट हरने वाली।
तपस्या के बल से आपने,
शिव को पति रूप में प्राप्त किया॥

योग, ध्यान और तपस्या की,
अद्वितीय शक्ति आप में है।
जो भी सच्चे मन से ध्यावे,
उसका उद्धार आप करती हैं॥

श्वेत वस्त्र और माला धारण,
करती हैं आप अति निर्मल।
कुमकुम, चंदन और पुष्पों से,
आपकी पूजा होती सुन्दर॥

सर्ववेद और शास्त्रों में,
आपकी महिमा का गुणगान।
शुद्ध हृदय से जो वन्दना करे,
पावे वह अपार सम्मान॥

तप की देवी, योगमाया,
सब कष्टों को हरने वाली।
आपकी कृपा दृष्टि से,
मिटे सभी विपत्ति और काली॥

ध्यान और साधना में लीन,
आपकी भक्ति अति शुभ।
शरणागत की रक्षा करतीं,
आप सदा सर्वदा प्रियुभ॥

शक्ति की देवी, ममतामयी,
आपकी महिमा अपरम्पार।
संतान, सुख, वैभव और ज्ञान,
पावे आपके भक्तों का संसार॥

जय जय ब्रह्मचारिणी माता,
शरण में लो सभी जन आएं।
तुम्हारी महिमा का बखान,
करे ना कोई अंत पाए॥

सत्य, प्रेम, और करूणा की,
देवी आप अति महान।
आपकी कृपा से हो निस्तार,
पावे सब जन सम्मान॥

शुद्ध मन से जो आराधना करे,
उसके सारे काज सवर जाएं।
आपकी महिमा का गान,
सदियों से सब जन गाएं॥

लाभ

  1. धैर्य में वृद्धि: इसके पाठ से व्यक्ति के धैर्य में वृद्धि होती है।
  2. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  4. तपस्या का बल: तपस्या करने की शक्ति और संकल्पशक्ति में वृद्धि होती है।
  5. क्लेश मुक्ति: जीवन के क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  6. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा होती है।
  7. भय नाश: सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  8. संकट निवारण: जीवन में आने वाले संकटों का निवारण होता है।
  9. आरोग्यता: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  10. धन-संपत्ति: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
  11. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख और शांति का वास होता है।
  12. मनोकामना पूर्ति: सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  13. धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों में सफलता मिलती है।
  14. योग्यता में वृद्धि: कार्यक्षमता और योग्यता में वृद्धि होती है।
  15. वैराग्य का विकास: वैराग्य और तपस्या की भावना में वृद्धि होती है।
  16. संकल्प सिद्धि: संकल्प सिद्धि में सहायता मिलती है।
  17. संतान सुख: संतान प्राप्ति और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  18. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  19. दिव्य दृष्टि: दिव्य दृष्टि और ईश्वर के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।
  20. आकर्षण शक्ति: व्यक्तित्व में आकर्षण और प्रभावशीलता बढ़ती है।

विधि

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: पूजा स्थल को साफ करें और वहां दीपक जलाएं।
  3. धूप और अगरबत्ती: धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।
  4. मूर्ति या चित्र: ब्रह्मचारिणी माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  5. आसन: एक साफ और स्वच्छ आसन पर बैठें।
  6. संकल्प: पाठ करने से पहले संकल्प लें।
  7. चालीसा पाठ: पूर्ण भक्तिभाव से ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करें।
  8. प्रसाद: अंत में माता को प्रसाद चढ़ाएं और उसे भक्तों में बांटें।

दिन, अवधि और मुहूर्त

  1. दिन: ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ नवरात्रि के दूसरे दिन विशेष रूप से किया जाता है।
  2. अवधि: इसे 21 दिनों तक लगातार करना अत्यंत लाभकारी होता है।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल का समय पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

नियम

  1. शुद्धता: पाठ करते समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. भक्तिभाव: पूरे भक्तिभाव से पाठ करें।
  3. नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें।
  4. आसन: एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  5. ध्यान: पाठ के दौरान माता ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें।
  6. समर्पण: पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ पाठ करें।

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ब्रह्मचारिणी चालीसा पाठ में सावधानियाँ

  1. व्यवधान से बचें: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचें।
  2. आलस्य से बचें: आलस्य और थकान से बचने के लिए स्वस्थ रहें।
  3. निंदा न करें: पाठ के दौरान और बाद में किसी की निंदा न करें।
  4. अशुद्ध वस्त्र न पहनें: पाठ के दौरान स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनें।
  5. शब्दों का उच्चारण सही करें: पाठ के शब्दों का सही उच्चारण करें।

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ब्रह्मचारिणी चालीसा पाठ के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. ब्रह्मचारिणी चालीसा किसने लिखा है?
    • ब्रह्मचारिणी चालीसा का रचयिता अज्ञात है, यह भक्तों द्वारा पीढ़ियों से पढ़ी जा रही है।
  2. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • इसका पाठ प्रातःकाल या संध्या समय करना शुभ होता है।
  3. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • इसे रोजाना एक बार पढ़ना लाभकारी होता है।
  4. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्रातःकाल सबसे शुभ होता है।
  5. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • इसके पाठ से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि, और क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  6. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष तैयारी करनी होती है?
    • हाँ, शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक होती है।
  7. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कैसे किया जाता है?
    • इसे विधिपूर्वक और भक्तिभाव से पढ़ना चाहिए।
  8. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं?
    • हाँ, सच्चे दिल से किया गया पाठ मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
  9. ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कहां करना चाहिए?
    • इसे स्वच्छ और शांतिपूर्ण स्थान पर करना चाहिए।
  10. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ केवल हिन्दू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?
    • नहीं, कोई भी श्रद्धालु ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ कर सकता है।
  11. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं?
    • हाँ, इसके नियमित पाठ से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
  12. क्या ब्रह्मचारिणी चालीसा का पाठ करने से शत्रु शांत होते हैं?
    • हाँ, यह पाठ शत्रुओं के भय से मुक्त करता है।

Shailputri chalisa paath- the reliever of sorrow

Shailputri chalisa paath- the reliever of sorrow

दुख दूर कर संकल्प शक्ति को बढाने वाली शैलपुत्री चालीसा का पाठ करने से शैलपुत्री देवी की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को सुख, समृद्धि, शांति, और सम्पत्ति की प्राप्ति में मदद मिलती है। शैलपुत्री चालीसा के पाठ से दुर्गंध, दरिद्रता, रोग, दुःख, भय और संकटों का नाश होता है और भक्त को आने वाले समय में सुरक्षित रखती है। यह चालीसा भक्त को माँ शैलपुत्री के आशीर्वाद से पूर्ण कर्म सफलता और खुशियों से भरा जीवन प्रदान करती है

शैलपुत्री चालीसा माता शैलपुत्री की स्तुति और उनकी महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है। इसे भक्तिभाव से पढ़ने पर भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। आइए, शैलपुत्री चालीसा पाठ, इसके लाभ, विधि, नियम, सावधानियाँ और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

चालीसा

शैलपुत्री चालीसा माता शैलपुत्री की स्तुति और उनकी महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है। इसे भक्तिभाव से पढ़ने पर भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।

दोहा:

॥दोहा॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
विघ्न हरण मंगल मूरति, जय जय गिरिजा लाल॥

चौपाई:

॥चौपाई॥

जय गिरिराजकुमारि जगत जननी।  
सकल सृष्टि पालक भवानी भवानी॥

जय शैलपुत्री माता महिमा अपार।  
जो कोई तुमको ध्यावत भव भव पार॥

चंद्रार्ध मस्तक विराजत सुभ गंगा।  
तुमहि देखि हरषत हिय शिव संगा॥

वाहन वृषभ राजत छवि निराली।  
सोहत रूप मातु शिव की ललाली॥

कहत अष्टमां महिमा अमृत वाणी।  
महिमा अपरम्पार विधि न जानी॥

कली कालक पाप हटावनि हरता।  
संतन प्रभु प्रीति प्रभु भवानी करता॥

जो कोई तुहि ध्यावत रुधि रासि भवानी।  
सकल सृष्टि पालक दुर्गा भवानी॥

गौरी शंकर संग विराजति सुहावनि।  
मंगल कारण काली माई कहलावनि॥

ध्यान धरत जो कोई नर भवानी।  
सकल सृष्टि में होत सुबानी॥

श्री शैलपुत्री चालीसा का पाठ।  
करत ध्यान जस आपनि दास॥

विनय राम दास मनु प्रीतम भवानी।  
तासु ध्यान से सकल सृष्टि भवानी॥

लाभ

  1. शक्ति का संचार: शैलपुत्री चालीसा पढ़ने से मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  2. भय का नाश: इसके नियमित पाठ से भय और डर दूर होते हैं।
  3. क्लेश मुक्ति: जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  4. सुख-शांति: परिवार और घर में सुख और शांति का वास होता है।
  5. समृद्धि: आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और समृद्धि का आगमन होता है।
  6. स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  7. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  8. सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  9. दुर्भाग्य का नाश: दुर्भाग्य और असफलता का नाश होता है।
  10. धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों में सफलता प्राप्त होती है।
  11. दुष्टों का नाश: दुष्ट और शत्रुओं से रक्षा होती है।
  12. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  13. दिव्य दृष्टि: शैलपुत्री चालीसा पढ़ने से दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  15. धन प्राप्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  16. संतान सुख: संतान से संबंधित समस्याओं का निवारण होता है।
  17. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  18. अवसाद से मुक्ति: मानसिक अवसाद और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  19. प्रभावित करने की क्षमता: दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालने की क्षमता मिलती है।
  20. विघ्नों का नाश: जीवन के हर क्षेत्र में आने वाले विघ्नों का नाश होता है।

विधि

  1. साफ-सफाई: पाठ से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: पूजा स्थल को साफ करें और वहां दीपक जलाएं।
  3. धूप और अगरबत्ती: धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।
  4. मूर्ति या चित्र: शैलपुत्री माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  5. आसन: सफेद कपड़े का आसन बिछाकर बैठें।
  6. संकल्प: पाठ करने से पहले संकल्प लें।
  7. शैलपुत्री चालीसा का पाठ: पूर्ण भक्तिभाव से शैलपुत्री चालीसा का पाठ करें।
  8. प्रसाद: अंत में प्रसाद चढ़ाएं और बांटें।

दिन, अवधि और मुहुर्थ

  1. दिन: शैलपुत्री चालीसा का पाठ सोमवार या नवरात्रि के पहले दिन करना शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: इस पाठ को 21 दिनों तक लगातार करना बहुत ही लाभकारी होता है।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल का समय पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

नियम

  1. शुद्धता: पाठ करते समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. भक्तिभाव: पूरे भक्तिभाव से पाठ करें।
  3. नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें।
  4. आसन: एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  5. ध्यान: पाठ के दौरान माता शैलपुत्री का ध्यान करें।
  6. समर्पण: पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ पाठ करें।

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शैलपुत्री चालीसा पाठ में सावधानियाँ

  1. व्यवधान से बचें: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचें।
  2. आलस्य से बचें: आलस्य और थकान से बचने के लिए स्वस्थ रहें।
  3. निंदा न करें: पाठ के दौरान और बाद में किसी की निंदा न करें।
  4. अशुद्ध वस्त्र न पहनें: पाठ के दौरान स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनें।
  5. शब्दों का उच्चारण सही करें: पाठ के शब्दों का सही उच्चारण करें।

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शैलपुत्री चालीसा पाठ केअक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. शैलपुत्री चालीसा किसने लिखा है?
    शैलपुत्री चालीसा का रचयिता अज्ञात है, यह भक्तों द्वारा पीढ़ियों से पढ़ी जा रही है।
  2. शैलपुत्री चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    इसका पाठ प्रातःकाल या संध्या समय करना शुभ होता है।
  3. शैलपुत्री चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    इसे रोजाना एक बार पढ़ना लाभकारी होता है।
  4. क्या शैलपुत्री चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    हाँ, इसे किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्रातःकाल सबसे शुभ होता है।
  5. शैलपुत्री चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    इसके पाठ से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि, और क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  6. क्या शैलपुत्री चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष तैयारी करनी होती है?
    हाँ, शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक होती है।
  7. शैलपुत्री चालीसा का पाठ कैसे किया जाता है?
    इसे विधिपूर्वक और भक्तिभाव से पढ़ना चाहिए।
  8. क्या शैलपुत्री चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं?
    हाँ, सच्चे दिल से किया गया पाठ मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
  9. शैलपुत्री चालीसा का पाठ कहां करना चाहिए?
    इसे स्वच्छ और शांतिपूर्ण स्थान पर करना चाहिए।
  10. क्या शैलपुत्री चालीसा का पाठ केवल हिन्दू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?
    नहीं, कोई भी श्रद्धालु शैलपुत्री चालीसा का पाठ कर सकता है।
  11. क्या शैलपुत्री चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं?
    हाँ, इसके नियमित पाठ से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
  12. क्या शैलपुत्री चालीसा का पाठ करने से शत्रु शांत होते हैं?
    हाँ, यह पाठ शत्रुओं के भय से मुक्त करता है।

Bhavani gupta chalisa paath for strong protection

Bhavani gupta chalisa paath for strong protection

सभी दुखो को हरने वाली भवानी चालीसा का पाठ करने से भवानी माता की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को सुख, समृद्धि, शांति और संपत्ति की प्राप्ति में मदद मिलती है। इस चालीसा का पाठ करने से माँ भवानी भक्त के जीवन में समस्याओं और कष्टों को दूर करती हैं और उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता प्रदान करती हैं। भवानी चालीसा के पाठ से भक्त का मन शुद्धि और निर्मल होता है और उसे आत्म-विश्वास मिलता है। यह चालीसा भक्त को माँ भवानी के आशीर्वाद से पूर्ण कर्म सफलता और खुशियों से भरा जीवन प्रदान करती है। ये पाठ ४० दिन तक करे.

भवानी चालीसा पाठ

चौपाई:

जयति जय भवानी, जय अंबे भवानी।
करुणा की मूरत, जय अंबे भवानी।।
जयति जय भवानी, जय अंबे भवानी।
करुणा की मूरत, जय अंबे भवानी।।

चालीसा

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।

अम्बे जय जगदम्बे माता।
जग के अंधकार को दूर भगाता।।

जयति जय भवानी, जय अंबे भवानी।
करुणा की मूरत, जय अंबे भवानी।।

मंगलमूर्ति मन मोहिनी।
जगदम्बे भवानी, माँ मोहिनी।।

जयति जय भवानी, जय अंबे भवानी।
करुणा की मूरत, जय अंबे भवानी।।

शक्ति का आधार, जगतजननी।
अम्बे भवानी, जगदम्बे भवानी।।

जयति जय भवानी, जय अंबे भवानी।
करुणा की मूरत, जय अंबे भवानी।।

तेरा हृदय सागर, करुणा की धारा।
दीनदयालु अम्बे, भवानी की मूरत।।

जयति जय भवानी, जय अंबे भवानी।
करुणा की मूरत, जय अंबे भवानी।।

अम्बे के चरणों में, ध्यान लगाएँ।
भवसागर से पार, भवानी की शरण।।

जयति जय भवानी, जय अंबे भवानी।
करुणा की मूरत, जय अंबे भवानी।।

माता भवानी, तुम रहो सदा संग।
दुःख दरिद्र मिटाओ, भवानी माँ संग।।

जयति जय भवानी, जय अंबे भवानी।
करुणा की मूरत, जय अंबे भवानी।।

लाभ

  1. शक्ति का संचार: भवानी चालीसा पढ़ने से मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  2. भय का नाश: इसके नियमित पाठ से भय और डर दूर होते हैं।
  3. क्लेश मुक्ति: जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  4. सुख-शांति: परिवार और घर में सुख और शांति का वास होता है।
  5. समृद्धि: आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और समृद्धि का आगमन होता है।
  6. स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  7. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  8. सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  9. दुर्भाग्य का नाश: दुर्भाग्य और असफलता का नाश होता है।
  10. धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों में सफलता प्राप्त होती है।
  11. दुष्टों का नाश: दुष्ट और शत्रुओं से रक्षा होती है।
  12. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  13. दिव्य दृष्टि: भवानी चालीसा पढ़ने से दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  15. धन प्राप्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  16. संतान सुख: संतान से संबंधित समस्याओं का निवारण होता है।
  17. कर्ज मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  18. अवसाद से मुक्ति: मानसिक अवसाद और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  19. प्रभावित करने की क्षमता: दूसरों पर अच्छा प्रभाव डालने की क्षमता मिलती है।
  20. विघ्नों का नाश: जीवन के हर क्षेत्र में आने वाले विघ्नों का नाश होता है।

विधि

  1. साफ-सफाई: पाठ से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: पूजा स्थल को साफ करें और वहां दीपक जलाएं।
  3. धूप और अगरबत्ती: धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।
  4. मूर्ति या चित्र: भवानी माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  5. आसन: सफेद कपड़े का आसन बिछाकर बैठें।
  6. संकल्प: पाठ करने से पहले संकल्प लें।
  7. भवानी चालीसा का पाठ: पूर्ण भक्तिभाव से भवानी चालीसा का पाठ करें।
  8. प्रसाद: अंत में प्रसाद चढ़ाएं और बांटें।

दिन, अवधि और मुहुर्थ

  1. दिन: भवानी चालीसा का पाठ मंगलवार, शुक्रवार या नवमी तिथि को करना शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: इस पाठ को 21 दिनों तक लगातार करना बहुत ही लाभकारी होता है।
  3. मुहूर्त: प्रातःकाल का समय पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

नियम

  1. शुद्धता: पाठ करते समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. भक्तिभाव: पूरे भक्तिभाव से पाठ करें।
  3. नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें।
  4. आसन: एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  5. ध्यान: पाठ के दौरान माता भवानी का ध्यान करें।
  6. समर्पण: पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ पाठ करें।

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सावधानियाँ

  1. व्यवधान से बचें: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचें।
  2. आलस्य से बचें: आलस्य और थकान से बचने के लिए स्वस्थ रहें।
  3. निंदा न करें: पाठ के दौरान और बाद में किसी की निंदा न करें।
  4. अशुद्ध वस्त्र न पहनें: पाठ के दौरान स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनें।
  5. शब्दों का उच्चारण सही करें: पाठ के शब्दों का सही उच्चारण करें।

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भवानी चालीसा पाठ के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. भवानी चालीसा किसने लिखा है?
    भवानी चालीसा का रचयिता अज्ञात है, यह भक्तों द्वारा पीढ़ियों से पढ़ी जा रही है।
  2. भवानी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    इसका पाठ प्रातःकाल या संध्या समय करना शुभ होता है।
  3. भवानी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    इसे रोजाना एक बार पढ़ना लाभकारी होता है।
  4. क्या भवानी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    हाँ, इसे किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्रातःकाल सबसे शुभ होता है।
  5. भवानी चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    इसके पाठ से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि, और क्लेशों से मुक्ति मिलती है।
  6. क्या भवानी चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष तैयारी करनी होती है?
    हाँ, शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक होती है।
  7. भवानी चालीसा का पाठ कैसे किया जाता है?
    इसे विधिपूर्वक और भक्तिभाव से पढ़ना चाहिए।
  8. क्या भवानी चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं?
    हाँ, सच्चे दिल से किया गया पाठ मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
  9. भवानी चालीसा का पाठ कहां करना चाहिए?
    इसे स्वच्छ और शांतिपूर्ण स्थान पर करना चाहिए।
  10. क्या भवानी चालीसा का पाठ केवल हिन्दू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?
    नहीं, कोई भी श्रद्धालु भवानी चालीसा का पाठ कर सकता है।
  11. क्या भवानी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं?
    हाँ, इसके नियमित पाठ से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
  12. क्या भवानी चालीसा का पाठ करने से शत्रु शांत होते हैं?
    हाँ, यह पाठ शत्रुओं के भय से मुक्त करता है।

Bhairavi chalisa paath for protections

Bhairavi chalisa paath for protections

Bhairavi gupta chalisa paath नकारात्मक उर्जा को नष्ट कर देवताओ की कृपा दिलाने वाली भैरवी चालीसा का पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं। माँ भैरवी, देवी दुर्गा के एक स्वरूप हैं, जो अपनी शक्ति, साहस और करुणा के लिए जानी जाती हैं। भैरवी चालीसा एक महत्त्वपूर्ण भक्ति पाठ है, जिसे पाठ करने से माँ भैरवी की कृपा प्राप्त होती है। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों को विभिन्न लाभ मिलते हैं, जैसे मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक समृद्धि आदि।

चालीसा

॥ दोहा ॥
जय भैरवी माँ जगदंबा, करुणा सागर प्यारी।
चालीसा की बाणी से, दूर करो सब भारी॥

जय भैरवी माँ, शक्ति रूपा, संकट हरने वाली।
भक्तों के दुःख हरने को, सदा कृपा करने वाली॥

सप्तशती में वर्णित तेरा, रूप महिमा भारी।
चंड-मुंड संहारिणी, महिषासुर मर्दिनी न्यारी॥

काली का तुम रूप धारण, शुंभ-निशुंभ संहारी।
भक्तों के संकट हरने, आयी दुष्ट संघारी॥

करुणा तेरी अपरम्पार, भक्तों पर जो करे।
ध्यान लगाए जो सच्चा, संकट सब टाले॥

नमो नमो जगदंबा माता, भवसागर तरने।
तुम्हरे ध्यान लगावे जो, संताप मिटाने॥

नवदुर्गा का रूप धारण, भक्तन के हितकारी।
करुणा की अवतार तुम्हीं, त्राहि त्राहि हारी॥

भैरवी माँ की महिमा गाऊं, मन में श्रद्धा धारण।
दुष्ट दलन की शक्ति तुम्हीं, सबका उद्धार करने॥

सर्वसिद्धि देने वाली, संकट हरण हारी।
जय जय भैरवी माँ, करुणा सागर प्यारी॥

लाभ

  1. मानसिक शांति: भैरवी चालीसा का पाठ करने से मन में शांति और स्थिरता आती है।
  2. आध्यात्मिक प्रगति: यह आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वालों के लिए लाभदायक होता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: इससे स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: भैरवी चालीसा पढ़ने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. धन-संपत्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  6. संकटों से मुक्ति: जीवन के संकटों और समस्याओं का समाधान होता है।
  7. संतान सुख: जिन लोगों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही, उनके लिए यह लाभदायक है।
  8. दांपत्य जीवन में सुख: वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  9. भय का नाश: सभी प्रकार के भय और अज्ञानता का नाश होता है।
  10. शत्रुओं का नाश: दुश्मनों और विरोधियों से रक्षा होती है।
  11. ईश्वरीय कृपा: माँ भैरवी की कृपा प्राप्त होती है।
  12. धार्मिक लाभ: धर्म-कर्म में रुचि बढ़ती है।
  13. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  14. मुक्ति का मार्ग: मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  15. शक्ति और साहस: मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  16. धैर्य और सहनशीलता: जीवन में धैर्य और सहनशीलता आती है।
  17. विद्या और ज्ञान: ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है।
  18. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
  19. कर्मों का फल: अच्छे कर्मों का फल शीघ्र ही प्राप्त होता है।
  20. सकारात्मक दृष्टिकोण: जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।

भैरवी चालीसा पाठ विधि

  1. साफ-सफाई: पाठ करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
  2. पूजा स्थान: एक शांत और साफ स्थान पर माँ भैरवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. प्रारंभिक मंत्र: भैरवी चालीसा पाठ शुरू करने से पहले गणेश वंदना और अन्य प्रारंभिक मंत्रों का पाठ करें।
  4. दीप प्रज्वलन: दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं।
  5. आसन: स्वच्छ आसन पर बैठकर पाठ करें।
  6. जल और पुष्प: एक लोटा जल और पुष्प माँ भैरवी के चरणों में अर्पित करें।
  7. संकल्प: एक छोटा संकल्प लें कि आप यह पाठ किस उद्देश्य से कर रहे हैं।
  8. पाठ: पूरे मनोयोग से भैरवी चालीसा का पाठ करें।
  9. आरती: पाठ समाप्त होने के बाद भैरवी माँ की आरती करें।
  10. प्रसाद: अंत में सभी को प्रसाद वितरित करें।

दिन, अवधि और मुहूर्त

  • दिन: किसी भी दिन भैरवी चालीसा का पाठ किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शुक्रवार को करना अधिक शुभ माना जाता है।
  • अवधि: किसी विशेष अवसर पर या नियमित रूप से दैनिक रूप में भी किया जा सकता है।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है। इसके अलावा, संध्या समय (शाम 6-8 बजे) में भी पाठ किया जा सकता है।

नियम

  1. शुद्धता: शरीर, मन और वाणी की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. संकल्प: बिना किसी विक्षेप के पाठ करें।
  3. समय: नियमित समय पर पाठ करें।
  4. आसन: एक निश्चित स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  5. भक्ति: पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करें।
  6. नियमितता: नियमित रूप से पाठ करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  7. प्रसाद: पाठ के बाद प्रसाद का वितरण अवश्य करें।

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भैरवी चालीसा पाठ सावधानियां

  1. ध्यान: पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और इधर-उधर की बातें न सोचें।
  2. स्थिरता: एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें, बार-बार उठना नहीं चाहिए।
  3. समय: नियमित समय पर पाठ करें, समय का उल्लंघन न करें।
  4. श्रद्धा: पाठ करते समय माँ भैरवी के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
  5. साफ-सफाई: पाठ करने के स्थान को साफ और पवित्र रखें।
  6. साधना: अन्य किसी साधना में विघ्न न डालें।
  7. ध्यान: पाठ करते समय ध्यान और प्राणायाम का भी अभ्यास करें।
  8. धूम्रपान: पाठ के दौरान धूम्रपान, शराब आदि का सेवन न करें।
  9. वाणी: अपशब्दों का प्रयोग न करें।
  10. सात्विक आहार: सात्विक भोजन का सेवन करें।

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भैरवी चालीसा सामान्य प्रश्न

  1. भैरवी चालीसा क्या है?
    भैरवी चालीसा माँ भैरवी की स्तुति और महिमा का वर्णन करने वाला भक्ति पाठ है।
  2. भैरवी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शुक्रवार को करना शुभ माना जाता है।
  3. भैरवी चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए?
    शुद्धता और श्रद्धा के साथ, नियमित समय पर, साफ-सुथरे स्थान पर, संकल्प लेकर पाठ करें।
  4. भैरवी चालीसा के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
    मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक समृद्धि, संतान सुख, भय का नाश आदि अनेक लाभ होते हैं।
  5. क्या भैरवी चालीसा का पाठ विशेष अवसरों पर ही करना चाहिए?
    नहीं, भैरवी चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, विशेष अवसरों पर इसका महत्व और बढ़ जाता है।
  6. भैरवी के प्रमुख रूप कौन-कौन से हैं?
    माँ भैरवी के प्रमुख रूप हैं – महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, आदि शक्ति।
  7. भैरवी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार, दैनिक या साप्ताहिक रूप से कर सकते हैं।
  8. क्या भैरवी चालीसा का पाठ करने से शत्रु बाधा दूर होती है?
    हां, भैरवी चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
  9. क्या भैरवी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है?
    हां, भैरवी चालीसा का पाठ करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  10. क्या भैरवी चालीसा का पाठ करने से सभी समस्याओं का समाधान होता है?
    हां, भैरवी चालीसा का पाठ करने से जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान होता है।
  11. भैरवी चालीसा का पाठ करने के लिए कौन-कौन से नियम हैं?
    शुद्धता, नियमितता, श्रद्धा, समय का पालन आदि नियम हैं।