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Bagala pratyaksha darshan mantra for enemy

Bagala pratyaksha darshan mantra for enemy

महाविद्या बगलामुखी का ये मंत्र का प्रयोग तब करे जब चारो दिशाओ से शत्रु हावी हो रहे हों और आपको पता नही चल पा रहा हो कि शत्रु कौन है। बगला प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र माता काली का एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है जो बुरी नज़र, छुपे हुए शत्रु, कोर्ट केस, आत्माओं और अन्य नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। यह मंत्र साधक को असीम शक्तियाँ और सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे जीवन में शांति और सफलता प्राप्त होती है।

मंत्र का उच्चारण विधि

  1. समय: इस मंत्र का उच्चारण ब्रह्म मुहूर्त या रात्रि के समय करना सबसे अधिक प्रभावशाली होता है।
  2. स्थान: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां किसी प्रकार की बाधा न हो।
  3. आसन: पीले या लाल रंग के आसन पर बैठें।
  4. माला: हल्दी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
  5. मंत्र जप की संख्या: प्रतिदिन ५४० बार मंत्र का जप करें।
  6. आवश्यक सामग्री: हल्दी की गांठ, पीले चावल, सरसों के तेल का दीपक, और पीले वस्त्र धारण करें।

बगला प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र

मंत्र जप का समय

इस मंत्र का जप मंगलवार से प्रतिदिन 21 दिनों तक करना चाहिए। हर दिन 540 बार मंत्र का जप करना अत्यंत लाभकारी होता है।

साधना की अवधि

इस मंत्र की साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए। प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना आवश्यक है। इस दौरान साधक को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और साधना के प्रति पूरी निष्ठा रखनी चाहिए।

साधना के दौरान सावधानियाँ

  1. आयु: इस मंत्र का अभ्यास केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही करें।
  2. शुद्धता: साधक को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना चाहिए।
  3. आहार: तामसिक भोजन और मदिरा से बचें।
  4. संकल्प: मंत्र जप शुरू करने से पहले संकल्प लें और साधना पूरी होने तक उसे न तोड़ें।
  5. गोपनीयता: अपनी साधना को गुप्त रखें और अनावश्यक रूप से किसी को न बताएं।
  6. विश्राम: साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करें।

Kamakhya sadhana shivir

बगला प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र के लाभ

  1. सुरक्षा: यह मंत्र बुरी नज़र और छुपे हुए शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  2. आत्मबल: मानसिक और आत्मिक बल को बढ़ाता है।
  3. धन: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति में सहायक होता है।
  4. स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  5. विरोधियों पर विजय: शत्रुओं और विरोधियों पर विजय दिलाता है।
  6. शांति: घर और जीवन में शांति लाता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  8. अदृश्य बाधाओं से मुक्ति: अदृश्य बाधाओं और रुकावटों को दूर करता है।
  9. प्रभावशाली व्यक्तित्व: साधक के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।
  11. रक्षा कवच: साधक के लिए एक मजबूत रक्षा कवच का निर्माण करता है।
  12. सकारात्मक सोच: नकारात्मक विचारों को समाप्त कर सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है।
  13. आध्यात्मिक ज्ञान: आध्यात्मिक ज्ञान और समझ को बढ़ाता है।
  14. सपनों की सुरक्षा: बुरे सपनों से मुक्ति दिलाता है।
  15. मनोकामनाएँ पूर्ण: साधक की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।
  16. अवरोध हटाना: जीवन में आने वाले सभी प्रकार के अवरोधों को हटाता है।
  17. विजय प्राप्ति: किसी भी कार्य में विजय प्राप्त करने में मदद करता है।
  18. दुष्ट आत्माओं से रक्षा: दुष्ट आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
  19. सकारात्मक वातावरण: घर और कार्यस्थल में सकारात्मक वातावरण बनाता है।
  20. मंत्र शक्ति: मंत्र की शक्ति को बढ़ाता है और साधक को आत्मविश्वास से भरता है।

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बगलामुखी प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र पृश्न उत्तर

1. बगलामुखी प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र क्या है?
बगलामुखी प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र एक विशेष साधना मंत्र है, जिसे माँ बगलामुखी के प्रत्यक्ष दर्शन की इच्छा रखने वाले साधकों के लिए तैयार किया गया है। यह मंत्र साधक को माँ बगलामुखी के दिव्य स्वरूप के साक्षात्कार का अनुभव कराने में सहायक होता है।

2. क्या बगलामुखी प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र का जाप कोई भी कर सकता है?
इस मंत्र का जाप वही व्यक्ति कर सकता है जो इसके लिए पूरी तरह से तैयार हो और गुरु द्वारा दीक्षित हो। इस साधना के लिए मानसिक और शारीरिक शुद्धता अत्यंत आवश्यक है।

3. बगलामुखी प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र का जाप कब करना चाहिए?
इस मंत्र का जाप विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में किया जाना चाहिए। यह समय साधना के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

4. इस मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
प्रतिदिन 108 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए। साधक को 41 दिनों तक इस नियम का पालन करना चाहिए।

5. क्या इस साधना के लिए कोई विशेष नियम हैं?
हां, इस साधना के दौरान साधक को सात्विक आहार का पालन करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, और पूजा स्थल की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। साधना के दौरान साधक को अपने मन और इंद्रियों को नियंत्रित रखना चाहिए।

6. क्या साधना के दौरान किसी गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है?
हां, यह साधना अत्यंत शक्तिशाली है, इसलिए इसे करने से पहले किसी योग्य गुरु से दीक्षा और मार्गदर्शन प्राप्त करना आवश्यक है।

7. क्या बगलामुखी प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र साधना को गुप्त रखना चाहिए?
हां, इस साधना को गुप्त रखना चाहिए और इसके बारे में किसी से चर्चा नहीं करनी चाहिए।

अंत मे

बगला प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र माता बगलामुखी का अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र है। इसका सही विधि और नियमों का पालन करते हुए जप करने से साधक को नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा, आत्मबल, आर्थिक समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। साधना के दौरान सभी सावधानियों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि साधक को पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।

Mata Dhan Lakshmi Mantra for Wealth

Mata Dhan Lakshmi Mantra for Wealth

धन लक्ष्मी मंत्र – भरपूर सुख समृद्धि प्राप्त करे

धन लक्ष्मी मंत्र एक विशेष मंत्र है जो देवी लक्ष्मी के धन स्वरूप की उपासना के लिए किया जाता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है। इस मंत्र का मूल उद्देश्य जीवन में आर्थिक स्थिरता और सभी प्रकार की संपत्ति का आशीर्वाद प्राप्त करना है।

मंत्र

॥ॐ ऐं श्रीं धन लक्ष्मेय क्लीं नमः॥

मंत्र का अर्थ

  • : यह एक पवित्र और आध्यात्मिक ध्वनि है, जो ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के रूप में समस्त ब्रह्मांड के स्वरूप को दर्शाती है।
  • ऐं: यह बीज मंत्र (बीज अक्षर) है, जो शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है। इसे साधना के दौरान शakti के आवाहन के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • श्रीं: यह लक्ष्मी देवी का बीज मंत्र है, जो समृद्धि, धन, और सौंदर्य का प्रतीक है।
  • धन लक्ष्मेय: यह शब्द देवी लक्ष्मी के धन स्वरूप को संबोधित करता है। ‘धन लक्ष्मी’ देवी लक्ष्मी का वह रूप है जो धन, संपत्ति, और समृद्धि प्रदान करती हैं।
  • क्लीं: यह मंत्र की शक्ति को और बढ़ाने वाला एक शक्तिशाली बीज मंत्र है। यह विशेष रूप से लक्ष्मी देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • नमः: इसका अर्थ है ‘नमस्कार’ या ‘प्रणाम’। यह शब्द श्रद्धा और सम्मान के साथ देवी लक्ष्मी को संबोधित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

पूर्ण अर्थ:

“ॐ! देवी धन लक्ष्मी को प्रणाम। मैं देवी लक्ष्मी के धन स्वरूप की उपासना करता हूँ। कृपया मुझे धन, समृद्धि, और आर्थिक स्थिरता प्रदान करें।”

लाभ

  1. धन प्राप्ति: इस मंत्र के जाप से साधक को धन की प्राप्ति होती है।
  2. आर्थिक स्थिरता: जीवन में आर्थिक स्थिरता आती है, जिससे सभी प्रकार की आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  3. संपत्ति में वृद्धि: साधक की संपत्ति और संसाधनों में वृद्धि होती है।
  4. व्यवसाय में सफलता: व्यापारी और उद्यमी इस मंत्र के माध्यम से अपने व्यवसाय में सफलता प्राप्त करते हैं।
  5. समृद्धि का आगमन: परिवार में समृद्धि और सुख-शांति का आगमन होता है।
  6. दौलत और वैभव: इस मंत्र के प्रभाव से व्यक्ति को दौलत और वैभव का आशीर्वाद मिलता है।
  7. वित्तीय कठिनाइयों से मुक्ति: आर्थिक कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और ऋणों का निवारण होता है।
  8. सुख-समृद्धि: साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  9. आर्थिक सुरक्षा: परिवार और साधक को आर्थिक सुरक्षा मिलती है।
  10. वित्तीय योजनाओं में सफलता: वित्तीय योजनाओं और निवेश में सफलता प्राप्त होती है।
  11. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो धन-संपत्ति को आकर्षित करती है।
  12. धन की बरकत: घर में धन की बरकत बनी रहती है और धन का निरंतर प्रवाह होता है।
  13. बाधाओं का निवारण: सभी प्रकार की आर्थिक बाधाओं और समस्याओं का निवारण होता है।
  14. सुख-शांति: घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
  15. भविष्य की सुरक्षा: इस मंत्र के प्रभाव से व्यक्ति का भविष्य सुरक्षित होता है।

जाप की विधि

1. मंत्र जाप का दिन:

इस मंत्र का जाप विशेष रूप से शुक्रवार के दिन करना अत्यधिक फलदायी होता है। शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है, और इस दिन की गई साधना का विशेष फल प्राप्त होता है।

2. अवधि और मुहूर्त:

जाप की अवधि 11 से 21 दिन होनी चाहिए। मंत्र जाप का सर्वोत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) है। इस समय में किया गया मंत्र जाप अत्यंत प्रभावी होता है।

3. सामग्री:

  • पीला वस्त्र (साधक को पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए)
  • पीला आसन (पीले रंग का आसन पर बैठकर मंत्र जाप करें)
  • देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र
  • केसर, हल्दी, कुमकुम, और चावल
  • पीले फूल (गुलाब या कमल)
  • दीपक और अगरबत्ती
  • मिठाई या फल का भोग

4. मंत्र जाप संख्या:

मंत्र का जाप प्रतिदिन 11 माला (यानी 1188 मंत्र) करना चाहिए। माला को अपने दाहिने हाथ में रखें और हर बार “ॐ श्रीं कनक लक्ष्मेय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए जप करें।

नियम

आत्मानुशासन: इस साधना के दौरान साधक को आत्मानुशासन का पालन करना चाहिए।

उम्र और पात्रता: इस मंत्र का जाप करने के लिए साधक की उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। पुरुष और महिला दोनों इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

वस्त्र का चयन: साधक को पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। नीले और काले वस्त्र पहनने से बचें।

आहार संबंधी नियम: साधक को साधना के दौरान धूम्रपान, मादक पदार्थों और मांसाहार से परहेज करना चाहिए।

ब्रह्मचर्य: साधक को इस मंत्र जाप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

पूजा स्थल की शुद्धता: साधना स्थल की शुद्धता बनाए रखें और वहां पर नियमित रूप से दीपक और अगरबत्ती जलाएं।

मंत्र जाप की निरंतरता: मंत्र जाप के दौरान साधक को निरंतरता बनाए रखनी चाहिए और किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं आना चाहिए।

एकाग्रता और ध्यान: मंत्र जाप के समय साधक को एकाग्रचित्त होकर देवी लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए।

साधना को गुप्त रखें: इस साधना को गुप्त रखना चाहिए और इसके बारे में किसी से चर्चा नहीं करनी चाहिए।

मौन साधना: साधना के दौरान मौन रहना लाभकारी होता है।

गुरु का मार्गदर्शन: साधक को गुरु का मार्गदर्शन लेना चाहिए और उनकी सलाह का पालन करना चाहिए।

भक्ति और श्रद्धा: इस मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए।

भोग और प्रसाद: साधना के अंत में देवी लक्ष्मी को भोग लगाएं और प्रसाद बांटें।

साधना के बाद की विधि: साधना की समाप्ति के बाद साधक को देवी लक्ष्मी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए।

सकारात्मक सोच: साधक को साधना के दौरान सकारात्मक सोच बनाए रखनी चाहिए।

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सावधानियां

  1. शुद्धता: साधना के दौरान मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. भूल-चूक से बचें: मंत्र जाप के दौरान किसी भी प्रकार की भूल-चूक से बचें।
  3. नकारात्मक विचार: साधना के दौरान नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  4. अनुशासन: साधना के नियमों का सख्ती से पालन करें।
  5. साधना स्थल की पवित्रता: साधना स्थल को पवित्र और स्वच्छ रखें।

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मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. क्या इस मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं? हां, कोई भी व्यक्ति जो 20 वर्ष से अधिक का है, इस मंत्र का जाप कर सकता है।

2. मंत्र जाप के लिए सबसे उपयुक्त दिन कौन सा है? शुक्रवार का दिन सबसे उपयुक्त है।

3. इस मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए? प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) जाप करना चाहिए।

4. क्या इस मंत्र का जाप करने के लिए विशेष समय होता है? ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में मंत्र जाप करना सबसे प्रभावी होता है।

5. क्या साधना के दौरान आहार पर ध्यान देना चाहिए? हां, साधना के दौरान सात्विक आहार का पालन करना चाहिए और मांसाहार से बचना चाहिए।

6. मंत्र जाप के दौरान कौन से वस्त्र पहनने चाहिए? साधक को पीले वस्त्र पहनने चाहिए।

7. क्या मंत्र जाप के दौरान किसी से बात करना चाहिए? नहीं, मंत्र जाप के दौरान मौन रहना चाहिए।

8. क्या साधना के दौरान गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है? हां, गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है।

9. क्या साधना को गुप्त रखना चाहिए? हां, साधना को गुप्त रखना चाहिए।

10. साधना का प्रभाव कब तक रहता है? साधना का प्रभाव जीवनभर रहता है यदि साधक नियमित रूप से पूजा करता है।

11. क्या साधना के दौरान नकारात्मक विचार आ सकते हैं? साधना के दौरान नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।

Mata Adi Lakshmi Mantra for Wealth & Good Luck

Mata Adi Lakshmi Mantra for Wealth & Good Luck

Mata Adi Lakshmi Mantra “माता आदि लक्ष्मी” को देवी लक्ष्मी का आदि रूप माना जाता है। उन्हें मूल लक्ष्मी भी कहा जाता है। मान्यता है कि आदि लक्ष्मी ने ही सृष्टि की उत्पत्ति की है और भगवान विष्णु के साथ जगत का संचालन करती हैं। माता आदि लक्ष्मी को समृद्धि, ऐश्वर्य, और धन की देवी माना जाता है। वे देवी लक्ष्मी का प्रथम रूप हैं और इन्हें ‘आद्या’ यानी ‘प्रथमा’ भी कहा जाता है। आदि लक्ष्मी माता को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है और इनकी कृपा से जीवन में सभी प्रकार की भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त होती है। वे अपने भक्तों को सुख-समृद्धि, सुरक्षा, और शांति प्रदान करती हैं।

Mantra

|| ॐ श्रीं आदि लक्ष्म्यै क्लीं नमः ||

मंत्र का अर्थ:

  1. : यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा और दिव्यता का प्रतीक है, जो सभी मंत्रों का मूल है।
  2. श्रीं: यह लक्ष्मी बीज मंत्र है, जो धन, सौभाग्य, और समृद्धि को आकर्षित करता है।
  3. आदि लक्ष्म्यै: “आदि” का अर्थ है “प्रारंभिक” या “मूल।” यह माता लक्ष्मी के उस स्वरूप को संबोधित करता है जो सृष्टि की शुरुआत से ही विद्यमान हैं और सभी संपत्तियों व ऐश्वर्य की स्रोत हैं।
  4. क्लीं: यह कामना और आकर्षण का बीज मंत्र है, जो हमारी इच्छाओं की पूर्ति में सहायक है।
  5. नमः: इसका अर्थ है “नमन” या “वंदन।” यह शब्द माता लक्ष्मी के प्रति समर्पण और भक्ति को दर्शाता है।

मंत्र का महत्व:

  • नियमित जाप से साधक के जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • यह मंत्र माता आदि लक्ष्मी को समर्पित है, जो धन, समृद्धि, और ऐश्वर्य की देवी हैं।
  • यह मंत्र आर्थिक संकट को दूर करने, भाग्य को बढ़ाने और समृद्धि प्राप्त करने में सहायक है।

Puja Samagri

  1. माता आदि लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र
  2. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  3. फूल और माला
  4. धूप और दीपक
  5. अगरबत्ती
  6. फल और मिठाई
  7. नारियल
  8. चंदन और कुमकुम
  9. आदि लक्ष्मी मंत्र की पुस्तक या पृष्ठ
  10. पवित्र जल (गंगाजल)
  11. आसन (बैठने के लिए साफ कपड़ा)
  12. सोने या चांदी का सिक्का (यदि संभव हो)
  13. कमल का फूल (लोटस फ्लावर)
  14. चावल और हल्दी

Day Muhurta

आदि लक्ष्मी मंत्र का जाप किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। विशेष रूप से, शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। दीपावली, अक्षय तृतीया, और पूर्णिमा तिथि को भी आदि लक्ष्मी की पूजा और मंत्र जाप का विशेष महत्व है।

Duration

आदि लक्ष्मी मंत्र का जाप कम से कम 108 बार रोजाना किया जाना चाहिए। साधक 21, 41, या 108 दिनों तक इस मंत्र का अनुष्ठान कर सकते हैं। इसका जाप नियमित रूप से करने से साधक को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

लाभ

  1. धन-समृद्धि: आदि लक्ष्मी मंत्र के जाप से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  2. सुख-शांति: इस मंत्र का जाप करने से साधक को सुख और शांति मिलती है।
  3. संपत्ति की वृद्धि: माता आदि लक्ष्मी की कृपा से संपत्ति और भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है।
  4. भौतिक सुख: साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुख और सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
  5. वैवाहिक सुख: इस मंत्र का जाप करने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  6. संतान प्राप्ति: नि:संतान दंपतियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: माता आदि लक्ष्मी की कृपा से चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  8. आत्मविश्वास वृद्धि: इस मंत्र का जाप करने से साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  9. मानसिक शांति: माता आदि लक्ष्मी की कृपा से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  10. संकटों से मुक्ति: आदि लक्ष्मी मंत्र के जाप से जीवन में आने वाले सभी संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  11. सुरक्षा: माता आदि लक्ष्मी अपने भक्तों को सभी प्रकार की बुराइयों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखती हैं।
  12. स्वास्थ्य लाभ: इस मंत्र का जाप करने से साधक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बीमारियाँ दूर होती हैं।
  13. ज्ञान प्राप्ति: माता आदि लक्ष्मी की उपासना से साधक को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  14. कर्म बाधा निवारण: आदि लक्ष्मी मंत्र के जाप से साधक के सभी कर्म बाधाओं का निवारण होता है।
  15. समस्या समाधान: माता आदि लक्ष्मी की कृपा से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है।
  16. शत्रु नाश: इस मंत्र का जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  17. भाग्य वृद्धि: आदि लक्ष्मी मंत्र के जाप से साधक का भाग्य प्रबल होता है।
  18. सफलता: इस मंत्र का नियमित जाप साधक को सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

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Precautions

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा स्थल और साधक का मन एवं शरीर पवित्र होना चाहिए।
  2. समय की पाबंदी: मंत्र जाप एक निश्चित समय पर ही करें, इससे माता आदि लक्ष्मी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. आसन: जाप करते समय हमेशा एक ही आसन का प्रयोग करें। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
  4. संयम: मंत्र जाप के दौरान संयमित आहार और विचार रखें।
  5. विश्वास: माता आदि लक्ष्मी पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ मंत्र जाप करें।
  6. समर्पण: माता आदि लक्ष्मी के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखें।
  7. प्रणव ध्यान: मंत्र जाप से पहले और बाद में प्रणव (ॐ) का ध्यान करें।
  8. अनुष्ठान की समाप्ति: अनुष्ठान की समाप्ति पर माता आदि लक्ष्मी को विधिवत धन्यवाद और प्रार्थना करें।
  9. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करें, बीच में बाधा न डालें।
  10. शांतिपूर्ण वातावरण: मंत्र जाप एक शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण में करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले पृश्न

  1. आदि लक्ष्मी मंत्र क्या है? आदि लक्ष्मी मंत्र देवी लक्ष्मी की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है, जो धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि की देवी हैं। यह मंत्र उन्हें प्रसन्न करने और जीवन में भाग्य और समृद्धि लाने के लिए उच्चारित किया जाता है।
  2. आदि लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण कैसे करें? मंत्र का सही उच्चारण और जाप करना महत्वपूर्ण है। आमतौर पर, मंत्र को शांत और ध्यानमग्न मन के साथ बैठकर उच्चारित करना चाहिए। उच्चारण सही ढंग से करना महत्वपूर्ण है ताकि मंत्र की शक्ति प्रभावी हो।
  3. आदि लक्ष्मी मंत्र का लाभ क्या है? आदि लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और धन की वृद्धि होती है। यह ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
  4. क्या आदि लक्ष्मी मंत्र को रोजाना जाप किया जा सकता है? हां, आदि लक्ष्मी मंत्र का नियमित जाप करने से अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। इसे विशेष अवसरों पर या हर दिन भी जाप किया जा सकता है, जो भी व्यक्ति की श्रद्धा और आवश्यकता पर निर्भर करता है।
  5. आदि लक्ष्मी मंत्र का अर्थ क्या है? आदि लक्ष्मी मंत्र का अर्थ होता है कि देवी लक्ष्मी ही सम्पूर्ण सृष्टि की मूल स्रोत हैं, और वे सबके जीवन में समृद्धि और धन लाने वाली हैं। मंत्र में देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूपों की प्रशंसा की जाती है और उनकी कृपा प्राप्त करने की कामना की जाती है।
  6. आदि लक्ष्मी मंत्र का जाप करने के लिए कौन सी विधि अपनानी चाहिए? जाप करने से पहले, एक स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठकर ध्यान लगाना चाहिए। संभव हो तो, मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। विशेष पूजा विधि और नियमों का पालन करना भी अच्छा होता है।

Ashta Lakshmi Mantra for wealth & Prosperity

Ashta Lakshmi Mantra for wealth & Prosperity

माता अष्टलक्ष्मी हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी के आठ शक्तिशाली स्वरूपों को दिखाता है। लक्ष्मी धन, समृद्धि और भाग्य की देवी हैं। अष्टलक्ष्मी माता को लक्ष्मी के आठ रूपों के रूप में पूजा जाता है। ये आठ रूप निम्नलिखित हैं:

  1. आदिलक्ष्मी (Adi Lakshmi): इन्हें ‘प्रथम लक्ष्मी’ कहा जाता है और ये सभी प्रकार की समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी हैं।
  2. धनलक्ष्मी (Dhana Lakshmi): ये धन और संपत्ति की देवी हैं।
  3. धैर्यलक्ष्मी (Dhairya Lakshmi): ये धैर्य, साहस और बल की देवी हैं।
  4. गजलक्ष्मी (Gaja Lakshmi): ये पशुधन और ऐश्वर्य की देवी हैं।
  5. संतानलक्ष्मी (Santana Lakshmi): ये संतान और प्रजनन की देवी हैं।
  6. विद्यालक्ष्मी (Vidya Lakshmi): ये ज्ञान और शिक्षा की देवी हैं।
  7. विजयलक्ष्मी (Vijaya Lakshmi): ये विजय और सफलता की देवी हैं।
  8. धान्यलक्ष्मी (Dhanya Lakshmi): ये अन्न और कृषि की देवी हैं।

अष्टलक्ष्मी माता की कृपा से साधक को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। ये माता अपने भक्तों को सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं।

Ashta-Lakshmi Mantra

|| ॐ ह्रीं श्रीं अष्ट लक्ष्मेय वासुदेवाय नमः || OM KREEM SHREEM ASHTA LAKSHMEYA VASUDEVAAY NAMAHA

अष्टलक्ष्मी मंत्र, एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है। इस मंत्र के जाप से अष्टलक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, और ऐश्वर्य का आगमन होता है।

Puja Samagri

  1. अष्टलक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र
  2. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  3. फूल और माला
  4. धूप और दीपक
  5. अगरबत्ती
  6. फल और मिठाई
  7. नारियल
  8. चंदन और कुमकुम
  9. अष्टलक्ष्मी मंत्र की पुस्तक या पृष्ठ
  10. पवित्र जल (गंगाजल)
  11. आसन (बैठने के लिए साफ कपड़ा)
  12. सोने या चांदी का सिक्का (यदि संभव हो)
  13. कमल का फूल (लोटस फ्लावर)
  14. चावल और हल्दी

Day Muhurta

अष्टलक्ष्मी मंत्र का जाप किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। विशेष रूप से, शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। दीपावली, अक्षय तृतीया, और पूर्णिमा तिथि को भी अष्टलक्ष्मी की पूजा और मंत्र जाप का विशेष महत्व है।

Duration

अष्टलक्ष्मी मंत्र का जाप कम से कम 108 बार रोजाना किया जाना चाहिए। साधक 21, 41, या 108 दिनों तक इस मंत्र का अनुष्ठान कर सकते हैं। इसका जाप नियमित रूप से करने से साधक को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

Benefits

  1. धन-समृद्धि: अष्टलक्ष्मी मंत्र के जाप से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  2. सुख-शांति: इस मंत्र का जाप करने से साधक को सुख और शांति मिलती है।
  3. संपत्ति की वृद्धि: अष्टलक्ष्मी माता की कृपा से संपत्ति और भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है।
  4. भौतिक सुख: साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुख और सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
  5. वैवाहिक सुख: इस मंत्र का जाप करने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  6. संतान प्राप्ति: नि:संतान दंपतियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
  7. आत्मविश्वास वृद्धि: इस मंत्र का जाप करने से साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  8. संकटों से मुक्ति: अष्टलक्ष्मी मंत्र के जाप से जीवन में आने वाले सभी संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  9. सुरक्षा: अष्टलक्ष्मी माता अपने भक्तों को सभी प्रकार की बुराइयों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखती हैं।
  10. स्वास्थ्य लाभ: इस मंत्र का जाप करने से साधक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बीमारियाँ दूर होती हैं।
  11. ज्ञान प्राप्ति: अष्टलक्ष्मी माता की उपासना से साधक को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  12. कर्म बाधा निवारण: अष्टलक्ष्मी मंत्र के जाप से साधक के सभी कर्म बाधाओं का निवारण होता है।
  13. मनोबल: इस मंत्र का जाप साधक के मनोबल को बढ़ाता है।
  14. समस्या समाधान: अष्टलक्ष्मी माता की कृपा से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है।
  15. शत्रु नाश: इस मंत्र का जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  16. भाग्य वृद्धि: अष्टलक्ष्मी मंत्र के जाप से साधक का भाग्य प्रबल होता है।
  17. सफलता: इस मंत्र का नियमित जाप साधक को सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

Kamakhya sadhana shivir

Precautions

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा स्थल और साधक का मन एवं शरीर पवित्र होना चाहिए।
  2. समय की पाबंदी: मंत्र जाप एक निश्चित समय पर ही करें, इससे अष्टलक्ष्मी माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. आसन: जाप करते समय हमेशा एक ही आसन का प्रयोग करें। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
  4. संयम: मंत्र जाप के दौरान संयमित आहार और विचार रखें।
  5. विश्वास: अष्टलक्ष्मी माता पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ मंत्र जाप करें।
  6. समर्पण: अष्टलक्ष्मी माता के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखें।
  7. प्रणव ध्यान: मंत्र जाप से पहले और बाद में प्रणव (ॐ) का ध्यान करें।
  8. अनुष्ठान की समाप्ति: अनुष्ठान की समाप्ति पर अष्टलक्ष्मी माता को विधिवत धन्यवाद और प्रार्थना करें।
  9. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करें, बीच में बाधा न डालें।
  10. शांतिपूर्ण वातावरण: मंत्र जाप एक शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण में करें।

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अष्टलक्ष्मी मंत्र का जाप देवी लक्ष्मी के आठ रूपों की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। यह मंत्र साधक को सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं से मुक्त करता है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है। अष्टलक्ष्मी माता की उपासना से साधक का जीवन उज्जवल और कल्याणकारी होता है।

22 Akshar Panchanguli mantra for protection & face prediction

ज्योतिष और आध्यात्मिक सफलता का मंत्र: पंचांगुली साधना का रहस्य

२२ अक्षर का पंचांगुली मंत्र वह प्राचीन साधना है जो मनुष्य को अद्वितीय शक्तियों से संपन्न बनाती है। यह मंत्र हादसे से पहले चेतावनी प्रदान करने, मस्तिष्क को पढ़ने, सही निर्णय लेने और सटीक भविष्यवाणी करने में अद्भुत सिद्ध होता है। ज्योतिष, तंत्र-मंत्र, रेकी, टैरो रीडिंग, और अध्यात्मिक उपचार में यह मंत्र सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। पंचांगुली मंत्र का अभ्यास हर एस्ट्रोलॉजर, न्यूमरोलॉजर, रेकी व प्राणिक हीलर, और तांत्रिकों को अवश्य करना चाहिए।


विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:

“ॐ श्री गणेशाय नमः। चरणाय नमः। देव्यै नमः। पंचांगुले सिद्धिं देहि। सर्व बाधा विनाशाय। सर्व कार्य सिद्धिं कुरु स्वाहा।।”

विनियोग मंत्र का अर्थ:

  • ॐ: यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।
  • श्री गणेशाय नमः: सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाले प्रथम पूज्य भगवान गणेश का आह्वान।
  • चरणाय नमः: पंचांगुली देवी के चरणों में विनम्र नमन।
  • देव्यै नमः: देवी पंचांगुली की शक्ति और कृपा का आह्वान।
  • पंचांगुले सिद्धिं देहि: पंचांगुली देवी से सिद्धि और शक्तियों की प्रार्थना।
  • सर्व बाधा विनाशाय: साधक की सभी बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने की याचना।
  • सर्व कार्य सिद्धिं कुरु स्वाहा: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने की प्रार्थना और साधना को पूर्णता प्रदान करना।

व्याख्या:

विनियोग मंत्र का उच्चारण साधना की शुरुआत में किया जाता है। यह मंत्र पंचांगुली देवी को प्रसन्न करने और साधना के लिए दिव्य वातावरण बनाने के लिए है। इस मंत्र से साधक का मन एकाग्र होता है, और पंचांगुली देवी की कृपा से साधना में आने वाली सभी बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। यह मंत्र साधना की सिद्धि को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:

“ॐ आपदां निवारणाय, अनंताय, अकायाय, अदृश्याय, सर्व दिशाय, सर्व बाधाय, सर्व सुरक्षा कवचाय नमः। सर्व दिशाय: दिग्बंधनं कुरु स्वाहा।”

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ: ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक, जो हर दिशा में साधक को सुरक्षा प्रदान करता है।
  • आपदां निवारणाय: सभी विपत्तियों और समस्याओं को समाप्त करने की प्रार्थना।
  • अनंताय: अनंत शक्ति और असीम ऊर्जा का आह्वान।
  • अकायाय: जो निर्गुण और निराकार है, उसकी कृपा प्राप्त करने का निवेदन।
  • अदृश्याय: अदृश्य शक्तियों से रक्षा का आग्रह।
  • सर्व दिशाय: सभी दिशाओं की सुरक्षा का आह्वान।
  • सर्व बाधाय: साधना में आने वाली सभी बाधाओं को नष्ट करने की प्रार्थना।
  • सर्व सुरक्षा कवचाय नमः: पूर्ण सुरक्षा और दिव्य कवच की प्राप्ति के लिए आह्वान।
  • दिग्बंधनं कुरु स्वाहा: सभी दिशाओं में रक्षण और सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण।

दिग्बंधन मंत्र का उद्देश्य:

इस मंत्र का उपयोग साधना के दौरान चारों दिशाओं में सुरक्षा कवच बनाने के लिए किया जाता है। यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा और अदृश्य बाधाओं से रक्षा करता है। साधक इस मंत्र का जप कर अपनी साधना स्थल को एक सकारात्मक और सुरक्षित ऊर्जा क्षेत्र में बदल सकता है। यह दिग्बंधन मंत्र साधक को बाहरी और आंतरिक बाधाओं से सुरक्षित रखता है, जिससे उसकी साधना निर्बाध रूप से पूर्ण होती है।


पंचांगुली मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
“ॐ ह्रीं पंचांगुले बद् वद् सर्व सिद्धिम् मे देहि देहि स्वाहा”

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ: यह ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति का स्रोत है।
  • ह्रीं: यह बीज मंत्र देवी की शक्ति और उनकी कृपा को प्रकट करता है।
  • पंचांगुले: पंचांगुली देवी का आह्वान, जो हाथों की पाँच अंगुलियों में शक्ति और सिद्धि का प्रतीक हैं।
  • बद् वद्: सच्चाई को प्रकट करने और सत्य भाषण के लिए आग्रह।
  • सर्व सिद्धिम्: सभी प्रकार की सिद्धियों और सफलताओं की प्राप्ति।
  • मे देहि देहि: साधक के लिए इच्छित वरदान और सिद्धियाँ प्रदान करने की प्रार्थना।
  • स्वाहा: यह शब्द मंत्र की पूर्णता और आह्वान को सुनिश्चित करता है।

संपूर्ण व्याख्या:

यह मंत्र साधक को मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों से भर देता है। पंचांगुली देवी की कृपा से साधक को न केवल भविष्य का सटीक ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि वह अपने जीवन में हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है। यह मंत्र विशिष्ट रूप से ज्योतिषीय, तांत्रिक, और आध्यात्मिक क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है। साधना के दौरान नियमित इस मंत्र का जप करने से दिव्य ऊर्जा और सुरक्षा का अनुभव होता है।


जप के दौरान सेवन योग्य पदार्थ

  1. फलों का रस
  2. शुद्ध जल
  3. दूध
  4. तुलसी पत्ता
  5. हल्का भोजन (सात्विक)

पंचांगुली मंत्र साधना के लाभ

  • आत्मबल में वृद्धि
  • सटीक भविष्यवाणी की शक्ति
  • मानसिक शक्ति की प्राप्ति
  • आध्यात्मिक उन्नति
  • हादसों से पूर्व चेतावनी
  • सही निर्णय लेने की क्षमता
  • ज्योतिष में महारत
  • गूढ़ ज्ञान की प्राप्ति
  • मस्तिष्क पठन की शक्ति
  • तनाव में कमी
  • ऊर्जा में वृद्धि
  • नकारात्मकता से सुरक्षा
  • तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति
  • रिश्तों में सुधार
  • आध्यात्मिक उपचार में सफलता
  • धन और वैभव की प्राप्ति
  • सफलता में वृद्धि
  • आत्मिक शांति

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मंत्र जप विधि

पूजा सामग्री

  • दीपक
  • धूपबत्ती
  • कुमकुम
  • अक्षत
  • पंचामृत
  • लाल वस्त्र

जप का दिन और अवधि

  • जप का समय: ब्रह्म मुहूर्त
  • अवधि: 20 मिनट
  • दिन: 18 दिनों तक निरंतर

जप के नियम

  • आयु: 20 वर्ष से अधिक
  • पोशाक: सफेद या हल्के रंग
  • परहेज: धूम्रपान, मद्यपान, मांसाहार
  • ब्रह्मचर्य का पालन

सावधानियाँ

  • मन को एकाग्र रखें।
  • नियमभंग से बचें।
  • आसन साफ और शांत स्थान चुनें।

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22 अक्षर का पंचांगुली मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: पंचांगुली मंत्र क्या है?

उत्तर: यह एक प्राचीन तांत्रिक मंत्र है जो मानसिक शक्ति और ज्योतिषीय सफलता के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 2: इस मंत्र का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

उत्तर: आत्मबल, सटीक भविष्यवाणी, और मस्तिष्क पठन की शक्ति प्रदान करना।

प्रश्न 3: मंत्र जप का सही समय क्या है?

उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त में जप करना श्रेष्ठ है।

प्रश्न 4: क्या कोई भी इस मंत्र का उपयोग कर सकता है?

उत्तर: हाँ, 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री-पुरुष कर सकते हैं।

प्रश्न 5: क्या यह मंत्र ज्योतिषियों के लिए उपयोगी है?

उत्तर: जी हाँ, ज्योतिषियों के लिए यह मंत्र बहुत प्रभावी है।

प्रश्न 6: जप के दौरान क्या परहेज रखें?

उत्तर: धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का त्याग करें।

प्रश्न 7: मंत्र जप में कौन-से कपड़े पहनें?

उत्तर: हल्के रंग के कपड़े पहनें, नीले और काले रंग से बचें।

प्रश्न 8: क्या मंत्र सभी समस्याओं का समाधान देता है?

उत्तर: यह मानसिक और ज्योतिषीय समस्याओं में अधिक प्रभावी है।

प्रश्न 9: क्या इस मंत्र से आर्थिक लाभ होता है?

उत्तर: हाँ, यह धन और वैभव प्राप्त करने में सहायक है।

प्रश्न 10: मंत्र जप में कितनी बार जप करें?

उत्तर: प्रतिदिन 20 मिनट जप करें।

प्रश्न 11: क्या यह मंत्र अन्य साधनाओं के साथ किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, अन्य साधनाओं के साथ यह मंत्र उपयोगी है।

प्रश्न 12: क्या मंत्र के दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

उत्तर: नियमों का पालन न करने पर लाभ सीमित हो सकता है।


Mata Mahalaksmi Mantra for Wealth & Prosperity

Mata Mahalaksmi Mantra for Wealth & Prosperity

माता महालक्ष्मी हिंदू धर्म में धन, समृद्धि, भाग्य और सुंदरता की देवी हैं। वे हिंदू धर्म की सबसे लोकप्रिय देवीयों में से एक हैं, उन्हें “ब्रह्मांड की माँ” के रूप में भी जाना जाता है। महालक्ष्मी माता को धन, समृद्धि, ऐश्वर्य और सौभाग्य की देवी माना जाता है। वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं और भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। महालक्ष्मी माता की कृपा से जीवन में खुशहाली और सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं का लाभ प्राप्त होता है। वे घर की समृद्धि और संपत्ति की रक्षा करती हैं और साधक को सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं।

Mahalakshmi Mantra

महालक्ष्मी मंत्र, “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रसिद्ध मंत्र है। इस मंत्र के जाप से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन, समृद्धि, और सुख-शांति का आगमन होता है।

माता महालक्ष्मी पूजन मुहुर्थ

  • दिवाली: रोशनी का त्योहार, जो अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है।
  • धनतेरस: धन का त्योहार, जो दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है।
  • महालक्ष्मी व्रत: महालक्ष्मी के सम्मान में मनाया जाने वाला 16 दिवसीय उपवास।

Puja Samagri

  1. महालक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र
  2. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  3. फूल और माला
  4. धूप और दीपक
  5. अगरबत्ती
  6. फल और मिठाई
  7. नारियल
  8. चंदन और कुमकुम
  9. महालक्ष्मी मंत्र की पुस्तक या पृष्ठ
  10. पवित्र जल (गंगाजल)
  11. आसन (बैठने के लिए साफ कपड़ा)
  12. सोने या चांदी का सिक्का (यदि संभव हो)
  13. कमल का फूल (लोटस फ्लावर)
  14. चावल और हल्दी

Day & Muhurta

महालक्ष्मी मंत्र का जाप किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। विशेष रूप से, शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। दीपावली, अक्षय तृतीया, और पूर्णिमा तिथि को भी महालक्ष्मी की पूजा और मंत्र जाप का विशेष महत्व है।

Duration

महालक्ष्मी मंत्र का जाप कम से कम 324 बार रोजाना किया जाना चाहिए। साधक 11,21 या 41 दिनों तक इस मंत्र का अनुष्ठान कर सकते हैं। इसका जाप नियमित रूप से करने से साधक को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

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Benefits

  1. धन-समृद्धि: महालक्ष्मी मंत्र के जाप से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  2. सुख-शांति: इस मंत्र का जाप करने से साधक को सुख और शांति मिलती है।
  3. संपत्ति की वृद्धि: महालक्ष्मी माता की कृपा से संपत्ति और भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होती है।
  4. भौतिक सुख: साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुख और सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
  5. वैवाहिक सुख: इस मंत्र का जाप करने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  6. संतान प्राप्ति: नि:संतान दंपतियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: महालक्ष्मी माता की कृपा से चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  8. आत्मविश्वास वृद्धि: इस मंत्र का जाप करने से साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  9. मानसिक शांति: महालक्ष्मी माता की कृपा से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  10. संकटों से मुक्ति: महालक्ष्मी मंत्र के जाप से जीवन में आने वाले सभी संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  11. सुरक्षा: महालक्ष्मी माता अपने भक्तों को सभी प्रकार की बुराइयों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखती हैं।
  12. स्वास्थ्य लाभ: इस मंत्र का जाप करने से साधक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बीमारियाँ दूर होती हैं।
  13. ज्ञान प्राप्ति: महालक्ष्मी माता की उपासना से साधक को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  14. कर्म बाधा निवारण: महालक्ष्मी मंत्र के जाप से साधक के सभी कर्म बाधाओं का निवारण होता है।
  15. मन की शुद्धता: महालक्ष्मी माता की कृपा से साधक का मन शुद्ध और पवित्र होता है।
  16. मनोबल: इस मंत्र का जाप साधक के मनोबल को बढ़ाता है।
  17. समस्या समाधान: महालक्ष्मी माता की कृपा से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है।
  18. शत्रु नाश: इस मंत्र का जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  19. भाग्य वृद्धि: महालक्ष्मी मंत्र के जाप से साधक का भाग्य प्रबल होता है।
  20. सफलता: इस मंत्र का नियमित जाप साधक को सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

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Precautions

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा स्थल और साधक का मन एवं शरीर पवित्र होना चाहिए।
  2. समय की पाबंदी: मंत्र जाप एक निश्चित समय पर ही करें, इससे महालक्ष्मी माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. आसन: जाप करते समय हमेशा एक ही आसन का प्रयोग करें। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
  4. संयम: मंत्र जाप के दौरान संयमित आहार और विचार रखें।
  5. विश्वास: महालक्ष्मी माता पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ मंत्र जाप करें।
  6. समर्पण: महालक्ष्मी माता के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखें।
  7. प्रणव ध्यान: मंत्र जाप से पहले और बाद में प्रणव (ॐ) का ध्यान करें।
  8. अनुष्ठान की समाप्ति: अनुष्ठान की समाप्ति पर महालक्ष्मी माता को विधिवत धन्यवाद और प्रार्थना करें।
  9. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करें, बीच में बाधा न डालें।
  10. शांतिपूर्ण वातावरण: मंत्र जाप एक शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण में करें।

महालक्ष्मी मंत्र का जाप देवी लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। यह मंत्र साधक को सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं से मुक्त करता है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है। महालक्ष्मी माता की उपासना से साधक का जीवन उज्जवल और कल्याणकारी होता है।

Bhawani mantra for protection & wish

Bhawani mantra for protection & wish

भवानी माता देवी पार्वती का एक स्वरूप मानी जाती है. इस नाम मे भव शब्द का अर्थ है “जीवन” या “अस्तित्व” और भवानी का अर्थ है “भव की देवी”. भवानी माता को देवी पार्वती का एक रूप माना जाता है। वे शक्ति, साहस, और सुरक्षा की देवी हैं। भवानी माता का ध्यान और उपासना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, भौतिक सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। वे जीवन के कठिनाइयों से रक्षा करती हैं और साधक को सभी प्रकार की बुराइयों और बाधाओं से मुक्ति दिलाती हैं।

माता का स्वरूप

भवानी माता का उल्लेख विभिन्न हिंदू ग्रंथों में मिलता है, जैसे कि देवी भागवत पुराण, मार्कंडेय पुराण और शिव पुराण।

  • देवी पार्वती ने जब राक्षसों से देवताओं की रक्षा के लिए क्रोधित रूप धारण किया, तब उन्हें भवानी माता कहा गया।
  • देवी भवानी के कई रूप हैं, जिनमें अष्टभुजा भवानी, दशभुजा भवानी और महाभवानी शामिल हैं।
  • देवी भवानी को अक्सर सिंह पर सवार, शस्त्रों से युक्त और क्रोधित मुद्रा में चित्रित किया जाता है।
  • भवानी मंत्रः ॥ॐ भं भवानी क्लीं दुं नमः॥
  • मुहुर्थः मंगलवार, रवि पुष्य नक्षत्र, नवरात्रि.

Bhawani Mantra

एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है। यह मंत्र भवानी माता की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन के विभिन्न संकटों को दूर करने में सहायक है।

Bhawani Mata Samagri

  1. भवानी माता की मूर्ति या चित्र
  2. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  3. फूल और माला
  4. धूप और दीपक
  5. अगरबत्ती
  6. फल और मिठाई
  7. नारियल
  8. चंदन और कुमकुम
  9. भवानी मंत्र की पुस्तक या पृष्ठ
  10. पवित्र जल (गंगाजल)
  11. आसन (बैठने के लिए साफ कपड़ा)

Day Muhurta

भवानी मंत्र का जाप किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। विशेष रूप से, नवरात्रि, पूर्णिमा, या अष्टमी तिथि को यह जाप अधिक फलदायी माना जाता है। मंगलवार और शुक्रवार के दिन भी भवानी माता की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

Duration

भवानी मंत्र का जाप कम से कम 108 बार रोजाना किया जाना चाहिए। साधक 21, 41, या 108 दिनों तक इस मंत्र का अनुष्ठान कर सकते हैं। इसका जाप नियमित रूप से करने से साधक को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

Benefits

  1. संकटों से मुक्ति: भवानी मंत्र के जाप से जीवन में आने वाले सभी संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: इस मंत्र का नियमित जाप साधक को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करता है।
  3. मानसिक शांति: भवानी माता की कृपा से साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  4. सुरक्षा: भवानी माता अपने भक्तों को सभी प्रकार की बुराइयों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखती हैं।
  5. स्वास्थ्य: इस मंत्र का जाप करने से साधक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बीमारियाँ दूर होती हैं।
  6. धन-समृद्धि: भवानी माता की कृपा से साधक को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  7. सुखी वैवाहिक जीवन: इस मंत्र का जाप करने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  8. ज्ञान प्राप्ति: भवानी माता की उपासना से साधक को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  9. कर्म बाधा निवारण: भवानी मंत्र के जाप से साधक के सभी कर्म बाधाओं का निवारण होता है।
  10. समस्या समाधान: भवानी माता की कृपा से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है।
  11. संतान प्राप्ति: इस मंत्र का जाप करने से नि:संतान दंपतियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
  12. दुश्मनों से रक्षा: भवानी माता अपने भक्तों को दुश्मनों से सुरक्षित रखती हैं।
  13. भाग्य वृद्धि: भवानी मंत्र के जाप से साधक का भाग्य प्रबल होता है।
  14. शत्रु नाश: इस मंत्र का जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  15. वाणी में मधुरता: इस मंत्र का जाप करने से साधक की वाणी में मधुरता आती है।
  16. सफलता: इस मंत्र का नियमित जाप साधक को सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

Kamakhya sadhana shivir

Precautions

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा स्थल और साधक का मन एवं शरीर पवित्र होना चाहिए।
  2. समय की पाबंदी: मंत्र जाप एक निश्चित समय पर ही करें, इससे भवानी माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. आसन: जाप करते समय हमेशा एक ही आसन का प्रयोग करें। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
  4. संयम: मंत्र जाप के दौरान संयमित आहार और विचार रखें।
  5. विश्वास: भवानी माता पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ मंत्र जाप करें।
  6. समर्पण: भवानी माता के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखें।
  7. प्रणव ध्यान: मंत्र जाप से पहले और बाद में प्रणव (ॐ) का ध्यान करें।
  8. अनुष्ठान की समाप्ति: अनुष्ठान की समाप्ति पर भवानी माता को विधिवत धन्यवाद और प्रार्थना करें।
  9. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करें, बीच में बाधा न डालें।
  10. शांतिपूर्ण वातावरण: मंत्र जाप एक शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण में करें।

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Bhawani Mantra: Frequently Asked Questions

1. Bhawani Mantra क्या है?
Bhawani Mantra, “ॐ भं भवानी क्लीं दुं नमः” एक शक्तिशाली मंत्र है। यह मंत्र भवानी माता की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन के संकटों को दूर करने में सहायक है।

2. Bhawani Mata कौन हैं?
भवानी माता देवी पार्वती का एक रूप हैं। वे शक्ति, साहस, और सुरक्षा की देवी हैं, जो भक्तों को मानसिक शांति, भौतिक सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं।

3. Bhawani Mantra जाप के लिए सबसे शुभ दिन (Day Muhurta) कौन से हैं?
नवरात्रि, पूर्णिमा, या अष्टमी तिथि, और मंगलवार और शुक्रवार के दिन भवानी मंत्र जाप के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

4. Bhawani Mantra जाप की अवधि (Duration) क्या होनी चाहिए?
भवानी मंत्र का जाप कम से कम 324 बार रोजाना किया जाना चाहिए। साधक 11, 21या 41 दिनों तक इस मंत्र का अनुष्ठान कर सकते हैं।

5. भवानी मंत्र का जाप कैसे शुरू करें?
एक स्वच्छ और शांतिपूर्ण स्थान पर आसन बिछाकर बैठें। भवानी माता की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और फूल चढ़ाएं। मंत्र जाप करते समय मन को शांत रखें और भवानी माता पर ध्यान केंद्रित करें।

6. क्या भवानी मंत्र का जाप किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जा सकता है?
हां, भवानी मंत्र का जाप विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, सुरक्षा, और संतान सुख प्राप्ति के लिए।

7. भवानी मंत्र जाप के दौरान कोई विशेष आहार या उपवास आवश्यक है?
यह मंत्र जाप करते समय संयमित आहार और विचार रखना महत्वपूर्ण है। यदि संभव हो, तो साधक उपवास भी रख सकते हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।

Sudarshan chakra mantra for strong protection

Sudarshan chakra mantra for strong protection

सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का एक अमोघ सुरक्षा चक्र होता है. यही शक्ति सुदर्शन चक्र के मंत्रो मे होती है. ये मंत्र चारो दिशाओ से विष्णू भक्तो की रक्षा करता है. रोग बाधा, नजर बाधा, शत्रु बाधा, तंत्र बाधा से मनुष्य को सुरक्षित रहता है.

शक्तियां और उपयोग

  • अचूक: सुदर्शन चक्र अत्यंत अचूक है और हमेशा अपने लक्ष्य को भेदता है।
  • विनाशकारी शक्ति: इसमें अत्यंत विनाशकारी शक्ति होती है जो शत्रुओं का क्षण भर में नाश कर सकती है।
  • रक्षा: यह भगवान विष्णु और उनके भक्तों की रक्षा करता है।
  • नैतिकता: सुदर्शन चक्र मंत्र का प्रयोग अपने स्वार्थ के लिये नही करना चाहिये.

Sudarshan Chakra Mantra

सुदर्शन चक्र मंत्र, ॥ॐ श्रीं नारायणाय सुदर्शनाय दं नमो नमः॥ एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है। यह मंत्र भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन के विभिन्न संकटों को दूर करने में सहायक है।

Samagri

  1. सुदर्शन चक्र की मूर्ति या चित्र
  2. तारा माता की मूर्ति या चित्र
  3. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  4. फूल और माला
  5. धूप और दीपक
  6. अगरबत्ती
  7. फल और मिठाई
  8. नारियल
  9. चंदन और कुमकुम
  10. सुदर्शन चक्र मंत्र की पुस्तक या पृष्ठ
  11. पवित्र जल (गंगाजल)
  12. आसन (बैठने के लिए साफ कपड़ा)

Day Muhurta

सुदर्शन चक्र मंत्र का जाप किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। विशेष रूप से, एकादशी, द्वादशी या पूर्णिमा तिथि को यह जाप अधिक फलदायी माना जाता है। गुरुवार और रविवार के दिन भी सुदर्शन चक्र की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

Duration

सुदर्शन चक्र मंत्र का जाप कम से कम 108 बार रोजाना किया जाना चाहिए। साधक 11, 21, या 41 दिनों तक इस मंत्र का अनुष्ठान कर सकते हैं। इसका जाप नियमित रूप से करने से साधक को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

Kamakhya sadhana shivir

Benefits

  1. संकटों से मुक्ति: सुदर्शन चक्र मंत्र के जाप से जीवन में आने वाले सभी संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: इस मंत्र का नियमित जाप साधक को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करता है।
  3. सुरक्षा: सुदर्शन चक्र अपने भक्तों को सभी प्रकार की बुराइयों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखता है।
  4. स्वास्थ्य: इस मंत्र का जाप करने से साधक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बीमारियाँ दूर होती हैं।
  5. धन-समृद्धि: सुदर्शन चक्र की कृपा से साधक को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  6. सुखी वैवाहिक जीवन: इस मंत्र का जाप करने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  7. ज्ञान प्राप्ति: सुदर्शन चक्र की उपासना से साधक को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  8. कर्म बाधा निवारण: सुदर्शन चक्र मंत्र के जाप से साधक के सभी कर्म बाधाओं का निवारण होता है।
  9. आत्मविश्वास वृद्धि: इस मंत्र का जाप करने से साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  10. समस्या समाधान: सुदर्शन चक्र की कृपा से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है।
  11. संतान प्राप्ति: इस मंत्र का जाप करने से नि:संतान दंपतियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
  12. दुश्मनों से रक्षा: सुदर्शन चक्र अपने भक्तों को दुश्मनों से सुरक्षित रखता है।
  13. भाग्य वृद्धि: सुदर्शन चक्र मंत्र के जाप से साधक का भाग्य प्रबल होता है।
  14. शत्रु नाश: इस मंत्र का जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  15. वाणी में मधुरता: इस मंत्र का जाप करने से साधक की वाणी में मधुरता आती है।
  16. सफलता: इस मंत्र का नियमित जाप साधक को सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

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Precautions

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा स्थल और साधक का मन एवं शरीर पवित्र होना चाहिए।
  2. समय की पाबंदी: मंत्र जाप एक निश्चित समय पर ही करें, इससे सुदर्शन चक्र की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. आसन: जाप करते समय हमेशा एक ही आसन का प्रयोग करें। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
  4. संयम: मंत्र जाप के दौरान संयमित आहार और विचार रखें।
  5. विश्वास: सुदर्शन चक्र पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ मंत्र जाप करें।
  6. समर्पण: सुदर्शन चक्र के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखें।
  7. प्रणव ध्यान: मंत्र जाप से पहले और बाद में प्रणव (ॐ) का ध्यान करें।
  8. अनुष्ठान की समाप्ति: अनुष्ठान की समाप्ति पर सुदर्शन चक्र को विधिवत धन्यवाद और प्रार्थना करें।
  9. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करें, बीच में बाधा न डालें।
  10. शांतिपूर्ण वातावरण: मंत्र जाप एक शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण में करें।

सुदर्शन चक्र मंत्र का जाप भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। यह मंत्र साधक को सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं से मुक्त करता है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है। सुदर्शन चक्र की उपासना से साधक का जीवन उज्जवल और कल्याणकारी होता है।

Tara beej mantra for sudden money

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“माता तारा” महाविद्या मे दूसरी महाविद्या मानी जाती है. माता के इस एक अक्षर के बीज मंत्र का जप धन को आकर्षित करता है. इसलिये इनकी पूजा शेयर मार्केट , लॉटरी, सट्टा से जुडे लोग ज्यादा करते है. तारा बीज मंत्र, एक अत्यंत शक्तिशाली बीज मंत्र माना जाता है। ये बीज मंत्र तारा देवी की कृपा प्राप्त करने और उनकी आशीर्वाद से जीवन के विभिन्न संकटों को दूर करने में सहायक होता है।

तारा बीज मंत्र

ये एक अक्षत का बीज मंत्र नहुत ही शक्तिशाली माना जाता है, इसे नियमित रूप से जाप करना चाहिये।

तारा माता के बारे में

तारा माता को देवी दुर्गा का एक रूप माना जाता है। वे ज्ञान, समृद्धि, और सुरक्षा की देवी हैं। तारा माता का ध्यान और उपासना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, भौतिक सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। वे जीवन के कठिनाइयों से रक्षा करती हैं और साधक को सभी प्रकार की बुराइयों और बाधाओं से मुक्ति दिलाती हैं।

सामग्री

  1. तारा माता की मूर्ति या चित्र
  2. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  3. फूल और माला
  4. धूप और दीपक
  5. अगरबत्ती
  6. फल और मिठाई
  7. नारियल
  8. चंदन और कुमकुम
  9. तारा बीज मंत्र की पुस्तक या पृष्ठ
  10. पवित्र जल (गंगाजल)
  11. आसन (बैठने के लिए साफ कपड़ा)

दिन और मुहूर्त

तारा बीज मंत्र का जाप किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। विशेष रूप से, शुक्ल पक्ष की नवमी, पूर्णिमा या अष्टमी तिथि को यह जाप अधिक फलदायी माना जाता है। शुक्रवार का दिन भी तारा माता की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

अवधि (Duration)

तारा बीज मंत्र का जाप कम से कम 108 बार रोजाना किया जाना चाहिए। साधक 21, 41, या 108 दिनों तक इस मंत्र का अनुष्ठान कर सकते हैं। इसका जाप नियमित रूप से करने से साधक को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

लाभ (Benefits)

  1. संकटों से मुक्ति: तारा बीज मंत्र के जाप से जीवन में आने वाले सभी संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: इस मंत्र का नियमित जाप साधक को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करता है।
  3. मानसिक शांति: तारा माता की कृपा से साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  4. सुरक्षा: तारा माता अपने भक्तों को सभी प्रकार की बुराइयों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखती हैं।
  5. स्वास्थ्य: इस मंत्र का जाप करने से साधक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बीमारियाँ दूर होती हैं।
  6. धन-समृद्धि: तारा माता की कृपा से साधक को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  7. सुखी वैवाहिक जीवन: इस मंत्र का जाप करने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  8. ज्ञान प्राप्ति: तारा माता की उपासना से साधक को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  9. कर्म बाधा निवारण: तारा बीज मंत्र के जाप से साधक के सभी कर्म बाधाओं का निवारण होता है।
  10. समस्या समाधान: तारा माता की कृपा से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है।
  11. संतान प्राप्ति: इस मंत्र का जाप करने से नि:संतान दंपतियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
  12. दुश्मनों से रक्षा: तारा माता अपने भक्तों को दुश्मनों से सुरक्षित रखती हैं।
  13. भाग्य वृद्धि: तारा बीज मंत्र के जाप से साधक का भाग्य प्रबल होता है।
  14. शत्रु नाश: इस मंत्र का जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  15. वाणी में मधुरता: इस मंत्र का जाप करने से साधक की वाणी में मधुरता आती है।
  16. सफलता: इस मंत्र का नियमित जाप साधक को सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

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सावधानियाँ (Precautions)

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा स्थल और साधक का मन एवं शरीर पवित्र होना चाहिए।
  2. समय की पाबंदी: मंत्र जाप एक निश्चित समय पर ही करें, इससे तारा माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  3. आसन: जाप करते समय हमेशा एक ही आसन का प्रयोग करें। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
  4. संयम: मंत्र जाप के दौरान संयमित आहार और विचार रखें।
  5. विश्वास: तारा माता पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ मंत्र जाप करें।
  6. समर्पण: तारा माता के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखें।
  7. प्रणव ध्यान: मंत्र जाप से पहले और बाद में प्रणव (ॐ) का ध्यान करें।
  8. अनुष्ठान की समाप्ति: अनुष्ठान की समाप्ति पर तारा माता को विधिवत धन्यवाद और प्रार्थना करें।
  9. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करें, बीच में बाधा न डालें।
  10. शांतिपूर्ण वातावरण: मंत्र जाप एक शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण में करें।

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तारा बीज मंत्र- सामान्य प्रश्नों के उत्तर

1. तारा बीज मंत्र क्या है?

  • तारा बीज मंत्र देवी तारा का एक पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है, जो भक्त को देवी की कृपा प्राप्त करने और जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए जपा जाता है।

2. इस मंत्र का अर्थ क्या है?

  • इस मंत्र का अर्थ है: “हे तारा देवी, मुझे मुक्त करें, मेरे संकटों का अंत करें, और मुझे आध्यात्मिक जागरूकता प्रदान करें।” यह मंत्र शक्ति, बुद्धि, और मुक्ति का प्रतीक है।

3. मंत्र का जाप कैसे करें?

  • इस मंत्र का जाप ध्यान या पूजा के समय किया जा सकता है। इसे मानसिक शांति और एकाग्रता के साथ जपना चाहिए। इसे किसी भी संख्या में जप सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इसे 108 बार या एक माला के साथ जपना श्रेष्ठ माना जाता है।

4. तारा बीज मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय क्या है?

  • तारा बीज मंत्र का जाप प्रातःकाल या संध्याकाल में करना उत्तम होता है। हालांकि, इसे किसी भी समय जपा जा सकता है जब आप मानसिक और शारीरिक रूप से शांत हों।

5. क्या तारा बीज मंत्र किसी विशेष उद्देश्य के लिए जपा जाता है?

  • हां, तारा बीज मंत्र का जाप भय, अज्ञानता, और मानसिक अशांति से मुक्ति के लिए किया जाता है। यह मंत्र आत्मिक उन्नति, बुद्धि, और ज्ञान प्राप्ति में भी सहायक होता है।

6. इस मंत्र के जाप के लिए क्या विशेष नियम हैं?

  • इस मंत्र के जाप के लिए साधक को सात्विक जीवन शैली का पालन करना चाहिए, संयमित आहार लेना चाहिए, और साधना के समय मानसिक शांति और पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।

7. क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?

  • हां, इस मंत्र का जाप शांत और पवित्र स्थान पर करना श्रेष्ठ होता है। इसे एकांत में या देवी तारा के मंदिर में भी किया जा सकता है।

8. क्या इस मंत्र का जाप किसी भी धर्म के व्यक्ति कर सकते हैं?

  • हां, तारा बीज मंत्र का जाप किसी भी धर्म के व्यक्ति कर सकते हैं, क्योंकि यह मंत्र सार्वभौमिक शांति और मुक्ति के लिए है।

9. क्या तारा बीज मंत्र से जीवन में सुख-शांति प्राप्त हो सकती है?

  • हां, इस मंत्र का नियमित जाप जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, और मानसिक स्थिरता लाता है।

Mata Vaibhav Lakshmi Mantra For Fortune

माता वैभव लक्ष्मी एक दिव्य और शक्तिशाली देवी हैं, जिनकी पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। माता वैभव लक्ष्मी की कृपा से घर में शांति, सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम माता वैभव लक्ष्मी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिसमें उनके मंत्र, लाभ, पूजा विधि, दिन-मुहूर्त, सामग्री और सावधानियाँ शामिल हैं।

माता के बारे में

ये माता धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का एक विशेष रूप हैं। वे अपने भक्तों को आर्थिक संकटों से मुक्त कर सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। माता वैभव लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो आर्थिक तंगी और समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं वैभवलक्ष्म्यै नमः "OM HREEM SHREEM VAIBHAV LAKSHMEYA NAMAHA"

लाभ

  1. धन प्राप्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार और धन की प्राप्ति होती है।
  2. समृद्धि: घर में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है।
  3. कर्ज से मुक्ति: कर्ज और आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।
  4. सफलता: व्यापार और नौकरी में सफलता प्राप्त होती है।
  5. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा और उनकी नाश होती है।
  6. स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  7. परिवारिक सुख: परिवार में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
  8. शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  9. साहस: आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  10. बाधा निवारण: जीवन की सभी बाधाओं का निवारण होता है।
  11. सकारात्मक ऊर्जा: घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  12. भयमुक्ति: जीवन से सभी प्रकार के भय और डर समाप्त हो जाते हैं।
  13. धन वृद्धि: व्यापार और नौकरी में धन वृद्धि होती है।
  14. स्नेह और प्रेम: परिवार और समाज में स्नेह और प्रेम की वृद्धि होती है।
  15. समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  16. संतोष: जीवन में संतोष और आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति होती है।
  17. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति होती है।
  18. आत्मज्ञान: आत्मज्ञान और आत्मविश्लेषण की प्राप्ति होती है।
  19. संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनकी उन्नति होती है।
  20. प्रभावशाली व्यक्तित्व: व्यक्तित्व में निखार आता है और प्रभावशाली बनता है।

पूजा विधि

माता वैभव लक्ष्मी की पूजा की विधि निम्नलिखित है:

  1. स्वच्छता: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: एक शांत और स्वच्छ स्थान पर पूजा करें।
  3. दीपक और धूप: दीपक जलाएं और धूप का प्रयोग करें।
  4. आसन: कुशा या ऊन का आसन प्रयोग करें।
  5. मंत्र जाप: निम्न मंत्र का जाप करें: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
  6. माला: रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का प्रयोग करें।
  7. ध्यान: माता वैभव लक्ष्मी का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
  8. प्रसाद: पूजा के बाद फल, मिठाई या अन्य प्रसाद का वितरण करें।

पूजा के लिए सामग्री

माता वैभव लक्ष्मी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  1. माता वैभव लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र
  2. दीपक
  3. धूप और अगरबत्ती
  4. रुद्राक्ष या स्फटिक की माला
  5. फूल
  6. रोली और अक्षत
  7. फल और मिठाई
  8. जल का पात्र
  9. कपूर
  10. नैवेद्य

दिन और मुहूर्त

माता वैभव लक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा, धनतेरस, दीपावली, अक्षय तृतीया और पूर्णिमा के दिन भी माता की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है। पूजा का समय प्रातःकाल या संध्याकाल सबसे उत्तम होता है।

अवधि

माता वैभव लक्ष्मी की पूजा को लगातार 11, 21 या 51 दिनों तक करना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है। इस अवधि में नियमपूर्वक पूजा और मंत्र जाप करने से माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता: शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. भक्ति: पूजा और मंत्र जाप पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
  3. ध्यान: पूजा के दौरान मन को एकाग्र रखें।
  4. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर पूजा और मंत्र जाप करने की कोशिश करें।
  5. परहेज: तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  6. मंत्र का उच्चारण: मंत्र का सही उच्चारण करें।

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माता वैभव लक्ष्मी: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. माता वैभव लक्ष्मी कौन हैं?

माता वैभव लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का एक विशेष रूप हैं। वे अपने भक्तों को आर्थिक संकटों से मुक्त कर सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। उनकी पूजा करने से जीवन में शांति, सुख और वैभव की प्राप्ति होती है।

2. माता वैभव लक्ष्मी का मंत्र क्या है?

माता वैभव लक्ष्मी का मंत्र है:

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं वैभवलक्ष्म्यै नमः "OM HREEM SHREEM VAIBHAV LAKSHMEYA NAMAHA"

3. माता वैभव लक्ष्मी मंत्र के जाप से क्या लाभ होते हैं?

मंत्र के जाप से आर्थिक संकटों से मुक्ति, समृद्धि, स्वास्थ्य, शांति, सफलता, शत्रु नाश, और अन्य कई लाभ प्राप्त होते हैं।

4. माता वैभव लक्ष्मी की पूजा विधि क्या है?

पूजा विधि में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना, दीपक जलाना, धूप और अगरबत्ती का प्रयोग करना, कुशा या ऊन का आसन प्रयोग करना, और मंत्र का जाप करना शामिल है।

5. माता वैभव लक्ष्मी की पूजा के लिए कौन-सी सामग्री चाहिए?

पूजा के लिए माता वैभव लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, दीपक, धूप और अगरबत्ती, रुद्राक्ष या स्फटिक की माला, फूल, रोली, अक्षत, फल, मिठाई, जल का पात्र, कपूर, और नैवेद्य की आवश्यकता होती है।

6. माता वैभव लक्ष्मी की पूजा का सबसे अच्छा दिन कौन सा है?

माता वैभव लक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा धनतेरस, दीपावली, अक्षय तृतीया और पूर्णिमा के दिन भी माता की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है।

7. माता वैभव लक्ष्मी की पूजा का समय क्या है?

पूजा का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल या संध्याकाल होता है।

8. माता वैभव लक्ष्मी की पूजा कितने दिनों तक करनी चाहिए?

माता वैभव लक्ष्मी की पूजा को लगातार 11, 21 या 51 दिनों तक करना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है।

9. माता वैभव लक्ष्मी की पूजा के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?

पूजा के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता, पूर्ण श्रद्धा और भक्ति, मन की एकाग्रता, प्रतिदिन एक ही समय पर पूजा, तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से परहेज, और मंत्र का सही उच्चारण का ध्यान रखना चाहिए।

10. यदि मैं मंत्र का सही उच्चारण नहीं कर पाऊं तो क्या होगा?

मंत्र का सही उच्चारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आप सही उच्चारण नहीं कर पाते हैं, तो किसी ज्ञानी गुरु या पंडित से मार्गदर्शन लें। सही उच्चारण से ही मंत्र का पूर्ण प्रभाव प्राप्त होता है।

11. क्या माता वैभव लक्ष्मी की पूजा को रोज़ाना किया जा सकता है?

हाँ, माता वैभव लक्ष्मी की पूजा को रोज़ाना करने से इसके लाभ अधिक प्राप्त होते हैं और माता का आशीर्वाद निरंतर बना रहता है।

12. क्या पूजा के दौरान विशेष वस्त्र धारण करने चाहिए?

पूजा के दौरान स्वच्छ और सफेद वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है। यह मानसिक और शारीरिक शुद्धता का प्रतीक होता है।

13. क्या पूजा के दौरान विशेष भोजन का परहेज करना चाहिए?

हाँ, पूजा के दौरान तामसिक भोजन (जैसे मांस, मछली, लहसुन, प्याज) और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। सात्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करना उत्तम होता है।

14. क्या माता वैभव लक्ष्मी की पूजा केवल विशेष अवसरों पर ही की जा सकती है?

माता वैभव लक्ष्मी की पूजा किसी भी समय और किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन विशेष अवसरों (जैसे धनतेरस, दीपावली, अक्षय तृतीया) पर इसका महत्व और प्रभाव अधिक होता है।

15. क्या माता वैभव लक्ष्मी की पूजा के लिए कोई विशेष दिशा का महत्व है?

पूजा करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करना सबसे उत्तम माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पूजा का प्रभाव बढ़ता है।

16. क्या पूजा के दौरान किसी विशेष मंत्र का जाप करना अनिवार्य है?

मंत्र का जाप पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। माता वैभव लक्ष्मी का मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं वैभवलक्ष्म्यै नमः का जाप करना अनिवार्य है।

17. क्या माता वैभव लक्ष्मी की पूजा करने से व्यवसाय में लाभ होता है?

हाँ, माता वैभव लक्ष्मी की पूजा से व्यवसाय में लाभ, वृद्धि, और समृद्धि प्राप्त होती है।

18. क्या पूजा के दौरान परिवार के अन्य सदस्यों को भी शामिल किया जा सकता है?

हाँ, पूजा में परिवार के अन्य सदस्यों को शामिल करने से सामूहिक रूप से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में शांति और सौहार्द बना रहता है।

19. क्या पूजा के दौरान संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है?

हाँ, माता वैभव लक्ष्मी की पूजा से संतान सुख और उनकी उन्नति की प्राप्ति होती है।

20. क्या माता वैभव लक्ष्मी की पूजा से मानसिक शांति प्राप्त होती है?

हाँ, माता वैभव लक्ष्मी की पूजा से मानसिक शांति, संतुलन, और आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति होती है।

अंत में

माता वैभव लक्ष्मी की पूजा और मंत्र जाप से जीवन में सुख, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। इस लेख में दिए गए निर्देशों का पालन कर आप भी माता वैभव लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। माता वैभव लक्ष्मी की पूजा के दौरान स्वच्छता, भक्ति और नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।

Kankalini mantra for strong protection

Kankalini mantra for strong protection

माता “कंकालिनी” महाविद्या महाकाली का स्वरूप मानी जाती है. ये प्रचंड उग्र व शक्तिशाली मानी जाती है. किसी भी तरह की तंत्र बाधा, नजर बाधा, ऊपरी बाधा व शत्रु बाधा को नष्ट करती है। माता कंकालिनी एक शक्तिशाली देवी हैं, जिन्हें तंत्र साधना में विशेष महत्व दिया जाता है। उनका रूप भयंकर और शक्ति से भरपूर होता है। माता कंकालिनी अपने भक्तों की सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं को दूर करने में सक्षम हैं। वे अपनी शक्ति से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं।

कंकालिनी मंत्र के बारे में

ये अत्यंत प्रभावशाली तांत्रिक मंत्र है, जिसका जाप करने से माता कंकालिनी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो कठिनाइयों और समस्याओं का सामना कर रहे हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति चाहते हैं।

कंकालिनी मंत्र

लाभ

  1. रक्षा: माता कंकालिनी अपने भक्तों की हर प्रकार की बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करती हैं।
  2. शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  3. संकटों का निवारण: जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों और समस्याओं का समाधान होता है।
  4. साहस: साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  5. सुख-समृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन की प्राप्ति होती है।
  6. शत्रु नाश: शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और वे परास्त होते हैं।
  7. स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति होती है।
  9. सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  10. परिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  11. संतान सुख: संतान प्राप्ति और उनकी उन्नति होती है।
  12. प्रभावशाली व्यक्तित्व: व्यक्तित्व में निखार आता है और प्रभावशाली बनता है।
  13. बाधा निवारण: जीवन की सभी बाधाओं का निवारण होता है।
  14. सकारात्मक ऊर्जा: घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  15. भयमुक्ति: जीवन से सभी प्रकार के भय और डर समाप्त हो जाते हैं।
  16. धन वृद्धि: व्यापार और नौकरी में धन वृद्धि होती है।
  17. स्नेह और प्रेम: परिवार और समाज में स्नेह और प्रेम की वृद्धि होती है।
  18. समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  19. संतोष: जीवन में संतोष और आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति होती है।
  20. आत्मज्ञान: आत्मज्ञान और आत्मविश्लेषण की प्राप्ति होती है।

कंकालिनी मंत्र जाप की विधि

  1. स्वच्छता: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: एक शांत और स्वच्छ स्थान पर पूजा करें।
  3. दीपक और धूप: दीपक जलाएं और धूप का प्रयोग करें।
  4. आसन: कुशा या ऊन का आसन प्रयोग करें।
  5. मंत्र जाप: निम्न मंत्र का जाप करें: ॐ कंकालिनी देव्यै नमः
  6. माला: रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का प्रयोग करें।
  7. ध्यान: माता कंकालिनी का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

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कंकालिनी मंत्र जाप के लिए सामग्री

  1. माता कंकालिनी की मूर्ति या चित्र
  2. दीपक
  3. धूप और अगरबत्ती
  4. रुद्राक्ष या स्फटिक की माला
  5. फूल
  6. रोली और अक्षत
  7. फल और मिठाई
  8. जल का पात्र

दिन और मुहूर्त

कंकालिनी मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन अमावस्या, पूर्णिमा और विशेष तांत्रिक पर्व जैसे नवरात्रि के दिनों में इसका महत्व अधिक होता है। जाप का समय प्रातःकाल या संध्याकाल सबसे उत्तम होता है।

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कंकालिनी मंत्र: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. माता कंकालिनी कौन हैं?

माता कंकालिनी एक शक्तिशाली तांत्रिक देवी हैं, जिन्हें अपने भक्तों की सभी प्रकार की समस्याओं और बाधाओं को दूर करने के लिए पूजा जाता है। उनका रूप भयंकर और शक्ति से भरपूर होता है।

2. कंकालिनी मंत्र क्या है?

कंकालिनी मंत्र एक तांत्रिक मंत्र है जो माता कंकालिनी की कृपा प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। यह मंत्र विशेष रूप से कठिनाइयों और समस्याओं को दूर करने के लिए प्रभावी है।

3. कंकालिनी मंत्र के जाप से क्या लाभ होते हैं?

कंकालिनी मंत्र के जाप से मानसिक शांति, सुरक्षा, आर्थिक समृद्धि, शत्रु नाश, स्वास्थ्य लाभ, आध्यात्मिक उन्नति, और अन्य कई लाभ होते हैं।

4. कंकालिनी मंत्र का सही उच्चारण क्या है?

कंकालिनी मंत्र का सही उच्चारण निम्नलिखित है:

॥ॐ क्रीं कंकालेश्वरी सर्व कार्य सिद्धिं स्वाहा॥ "OM KREEM KANKAALESHWARI SARVA KAARYA SIDDHIMM SVAHA."

5. मंत्र जाप की सही विधि क्या है?

मंत्र जाप की विधि में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना, पूजा स्थल की पवित्रता सुनिश्चित करना, दीपक जलाना, धूप और अगरबत्ती का प्रयोग करना, कुशा या ऊन का आसन प्रयोग करना, रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग करना, और मंत्र का सही उच्चारण शामिल है।

6. मंत्र जाप के लिए किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है?

मंत्र जाप के लिए माता कंकालिनी की मूर्ति या चित्र, दीपक, धूप और अगरबत्ती, रुद्राक्ष या स्फटिक की माला, फूल, रोली और अक्षत, फल और मिठाई, और जल का पात्र की आवश्यकता होती है।

7. मंत्र जाप के लिए सबसे अच्छा दिन और समय कौन सा है?

मंत्र जाप के लिए सबसे अच्छा दिन अमावस्या, पूर्णिमा, और नवरात्रि के विशेष पर्व होते हैं। मंत्र जाप का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल या संध्याकाल होता है।

8. मंत्र जाप के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?

मंत्र जाप के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता, पूर्ण श्रद्धा और भक्ति, मन की एकाग्रता, प्रतिदिन एक ही समय पर जाप, तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से परहेज, और मंत्र का सही उच्चारण का ध्यान रखना चाहिए।

9. क्या मंत्र जाप से पहले किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है?

हाँ, मंत्र जाप से पहले स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र धारण करना, पूजा स्थल की पवित्रता सुनिश्चित करना और पूजा की सभी सामग्री को एकत्रित करना आवश्यक होता है।

10. यदि मैं मंत्र का सही उच्चारण नहीं कर पाऊं तो क्या होगा?

मंत्र का सही उच्चारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आप सही उच्चारण नहीं कर पाते हैं, तो आप किसी ज्ञानी गुरु या पंडित से मार्गदर्शन ले सकते हैं। सही उच्चारण से ही मंत्र का पूर्ण प्रभाव प्राप्त होता है।

11. क्या कंकालिनी मंत्र जाप को रोज़ाना किया जा सकता है?

हाँ, कंकालिनी मंत्र जाप को रोज़ाना करने से इसके लाभ अधिक प्राप्त होते हैं और माता कंकालिनी का आशीर्वाद निरंतर बना रहता है।

12. मंत्र जाप के समय कौन से दिशा की ओर मुख करना चाहिए?

मंत्र जाप करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करना सबसे उत्तम माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मंत्र का प्रभाव बढ़ता है।

13. क्या मैं मंत्र जाप के दौरान कोई विशेष वस्त्र धारण कर सकता हूँ?

मंत्र जाप के दौरान स्वच्छ और सफेद वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है। यह मानसिक और शारीरिक शुद्धता का प्रतीक होता है।

14. क्या मंत्र जाप के दौरान विशेष भोजन का परहेज करना चाहिए?

हाँ, मंत्र जाप के दौरान तामसिक भोजन (जैसे मांस, मछली, लहसुन, प्याज) और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। सात्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करना उत्तम होता है।

15. क्या कंकालिनी मंत्र केवल विशेष अवसरों पर ही किया जा सकता है?

कंकालिनी मंत्र को किसी भी समय और किसी भी दिन जपा जा सकता है, लेकिन विशेष अवसरों (जैसे अमावस्या, पूर्णिमा, नवरात्रि) पर इसका महत्व और प्रभाव अधिक होता है।


सावधानियाँ

कंकालिनी मंत्र जाप करते समय निम्नलिखित सावधानियों का पालन करें:

  1. शुद्धता: शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. भक्ति: मंत्र का जाप पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
  3. ध्यान: मंत्र जाप के दौरान मन को एकाग्र रखें।
  4. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर जाप करने की कोशिश करें।
  5. परहेज: तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  6. मंत्र का उच्चारण: मंत्र का सही उच्चारण करें।

अंत में

कंकालिनी मंत्र का जाप जीवन की अनेक समस्याओं और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। माता कंकालिनी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का नियमित और विधिपूर्वक जाप करें। इस लेख में दिए गए निर्देशों का पालन कर आप भी माता कंकालिनी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

Mata Raj Lakshmi Mantra For Prosperity

माता राजलक्ष्मी / Mata Raj Lakshmi Mantra For Prosperity

माता राजलक्ष्मी देवी लक्ष्मी का एक रूप है, जो हिंदू धर्म में धन, समृद्धि और भाग्य की देवी हैं। उनका नाम संस्कृत शब्द “राज” (राजा) और “लक्ष्मी” (देवी लक्ष्मी) से मिलकर बना है। माता राजलक्ष्मी की पूजा और मंत्र जाप हमारे जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और धन की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। यदि आप भी माता राजलक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग में हम जानेंगे माता राजलक्ष्मी मंत्र, उसके लाभ, मंत्र जाप की विधि, सामग्री, दिन मुहूर्त और सावधानियों के बारे में।

विशेषताएं

  • माता राजलक्ष्मी को अक्सर चार हाथों वाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है। उनके दो हाथों में कमल के फूल होते हैं, एक हाथ में अक्षयपात्र (अनंत कलश) होता है, और एक हाथ में वरद मुद्रा (आशीर्वाद का इशारा) होता है।
  • उन्हें अक्सर सिंहासन पर बैठे हुए या कमल के फूल पर खड़े हुए दिखाया जाता है।
  • उन्हें कभी-कभी हाथी द्वारा भी दर्शाया जाता है, जो शक्ति, समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।

माता राजलक्ष्मी मंत्र

मंत्र के लाभ

  1. धन और समृद्धि: इस मंत्र के नियमित जाप से घर में धन की वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  2. सुख-शांति: माता राजलक्ष्मी के आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  3. समस्याओं का निवारण: जीवन की अनेक समस्याओं और बाधाओं का निवारण होता है।
  4. व्यापार में वृद्धि: व्यापार में उन्नति और नई अवसरों की प्राप्ति होती है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

जाप की विधि

  1. स्वच्छता: सबसे पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थान: पूजा के लिए एक स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें।
  3. मूर्ति या चित्र: माता राजलक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  4. धूप और अगरबत्ती: धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र बनाएं।
  5. आसन: एक साफ आसन पर बैठें।
  6. माला: रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग करें।
  7. मंत्र जाप: निम्न मंत्र का जाप करें: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः
  8. समर्पण: मंत्र जाप के बाद माता लक्ष्मी से अपने उद्देश्य के लिए प्रार्थना करें।

सामग्री

  1. माता राजलक्ष्मी की मूर्ति या चित्र
  2. दीपक
  3. धूप और अगरबत्ती
  4. रुद्राक्ष या स्फटिक की माला
  5. फूल (विशेषकर कमल का फूल)
  6. रोली और अक्षत (चावल)
  7. फल और मिठाई
  8. जल का पात्र

माता राजलक्ष्मी मंत्र जाप के लिए दिन और मुहूर्त

माता राजलक्ष्मी मंत्र का जाप विशेष दिनों और मुहूर्त में करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है। सबसे उत्तम दिन शुक्रवार का माना गया है। इसके अलावा, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भी विशेष महत्व रखते हैं।

मंत्र जाप का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल या संध्याकाल होता है। उस समय वातावरण शांत और पवित्र रहता है जिससे जाप का प्रभाव बढ़ता है।

सावधानियाँ

माता राजलक्ष्मी मंत्र जाप करते समय कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ताकि इसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके:

  1. शुद्धता: जाप करते समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. भक्ति: मंत्र का जाप पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
  3. ध्यान: मंत्र जाप के दौरान मन को एकाग्र रखें और भटकने न दें।
  4. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जाप करने की कोशिश करें।
  5. परहेज: जाप के दिन तामसिक भोजन, नकारात्मक विचार और क्रोध से बचें।
  6. मंत्र का उच्चारण: मंत्र का सही उच्चारण करें ताकि उसका पूर्ण प्रभाव हो सके।

FAQs: माता राजलक्ष्मी मंत्र

1. माता राजलक्ष्मी मंत्र क्या है?

माता राजलक्ष्मी मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो माता लक्ष्मी की पूजा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह मंत्र धन, समृद्धि, शांति और समस्याओं के निवारण के लिए जपा जाता है।

2. माता राजलक्ष्मी मंत्र के लाभ क्या हैं?

माता राजलक्ष्मी मंत्र के जाप से धन और समृद्धि प्राप्त होती है, मानसिक शांति मिलती है, समस्याओं का निवारण होता है, व्यापार में वृद्धि होती है, और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

3. माता राजलक्ष्मी मंत्र का सही उच्चारण क्या है?

माता राजलक्ष्मी मंत्र का सही उच्चारण है:


ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं राजलक्ष्म्यै नमः

4. मंत्र जाप की सही विधि क्या है?

मंत्र जाप की सही विधि में स्वच्छता, पूजा स्थान की पवित्रता, दीपक जलाना, धूप और अगरबत्ती का प्रयोग, एक साफ आसन पर बैठना, रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग और मंत्र का सही उच्चारण शामिल है।

5. मंत्र जाप के लिए किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है?

मंत्र जाप के लिए माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, दीपक, धूप और अगरबत्ती, रुद्राक्ष या स्फटिक की माला, फूल (विशेषकर कमल का फूल), रोली और अक्षत, फल और मिठाई, और जल का पात्र की आवश्यकता होती है।

6. मंत्र जाप के लिए सबसे अच्छा दिन और समय कौन सा है?

मंत्र जाप के लिए सबसे अच्छा दिन शुक्रवार का है। पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भी महत्वपूर्ण होते हैं। मंत्र जाप का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल या संध्याकाल होता है।

7. मंत्र जाप के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?

मंत्र जाप के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता, भक्ति, मन की एकाग्रता, प्रतिदिन एक ही समय पर जाप, तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से परहेज और मंत्र का सही उच्चारण का ध्यान रखना चाहिए।

8. क्या मंत्र जाप से पहले किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है?

हाँ, मंत्र जाप से पहले स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र धारण करना, पूजा स्थान की पवित्रता सुनिश्चित करना और पूजा की सभी सामग्री को एकत्रित करना आवश्यक होता है।

9. क्या माता लक्ष्मी मंत्र जाप को रोज़ाना किया जा सकता है?

हाँ, माता लक्ष्मी मंत्र जाप को रोज़ाना करने से इसके लाभ अधिक प्राप्त होते हैं और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद निरंतर बना रहता है।

10. यदि मैं मंत्र का सही उच्चारण नहीं कर पाऊं तो क्या होगा?

मंत्र का सही उच्चारण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आप सही उच्चारण नहीं कर पाते हैं, तो आप किसी ज्ञानी गुरु या पंडित से मार्गदर्शन ले सकते हैं। सही उच्चारण से ही मंत्र का पूर्ण प्रभाव प्राप्त होता है।

11. क्या मैं मंत्र जाप के दौरान कोई विशेष वस्त्र धारण कर सकता हूँ?

मंत्र जाप के दौरान स्वच्छ और सफेद वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है। यह मानसिक और शारीरिक शुद्धता का प्रतीक होता है।

12. मंत्र जाप के समय कौन से दिशा की ओर मुख करना चाहिए?

मंत्र जाप करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करना सबसे उत्तम माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मंत्र का प्रभाव बढ़ता है।

Kamakhya sadhana shivir

अंत में

माता लक्ष्मी का मंत्र जाप जीवन में धन, समृद्धि, मानसिक शांति और सुख-शांति लाने में सहायक होता है।
नियमित और विधिपूर्वक मंत्र जाप करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद सदैव आपके साथ बना रहता है।
निर्देशों का पालन कर आप भी माता लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से आपका जीवन हमेशा खुशहाल और समृद्ध बना रहे, यही हमारी कामना है।
यदि लेख पसंद आया हो, तो इसे मित्रों और परिवार संग साझा करें और सब माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाएं।
जय माता लक्ष्मी!

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