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Gaj Lakshmi Mantra for Wealth & Prosperity

Gaj Lakshmi Mantra for Wealth & Prosperity

माता गजलक्ष्मी, हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी के आठ रूपों (अष्टलक्ष्मी) में से एक हैं। उन्हें धन, समृद्धि, वैभव, सौभाग्य और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है. गज लक्ष्मी मंत्र का जप करने से हर तरह का सुख व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। गज लक्ष्मी मंत्र देवी लक्ष्मी के विशेष स्वरूप गज लक्ष्मी की आराधना के लिए उच्चारित किए जाते हैं। देवी लक्ष्मी धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि की देवी हैं, और गज लक्ष्मी उनके आठ रूपों में से एक हैं, जो ऐश्वर्य और विजय की प्रतीक हैं। गज लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

माता गजलक्ष्मी का स्वरूप

  • उन्हें कमल पर विराजमान दिखाया जाता है, और उनके दोनों ओर गज (हाथी) होते हैं।
  • वे चार भुजाओं वाली होती हैं। ऊपरी दो भुजाओं में वे कमल धारण करती हैं, और निचली भुजाएँ प्रायः अभयमुद्रा और वरदमुद्रा में दिखाई जाती हैं।
  • दोनों हाथियों को देवी के ऊपर अपने सूंड़ से पानी डालते हुए चित्रित किया जाता है।

गज लक्ष्मी मंत्र का विधि

  1. स्नान और स्वच्छता: पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां एक साफ आसन बिछाएं।
  3. मंत्र जाप का समय: प्रातः काल सूर्योदय से पहले या संध्या समय में मंत्र जाप करें।
  4. आराधना सामग्री (सामग्री): लाल पुष्प, चंदन, दीपक, धूप, अक्षत, मिठाई, गज लक्ष्मी प्रतिमा या चित्र, और एक माला।
  5. आसन: आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जाप करें।
  6. आरती और दीपक: गज लक्ष्मी की आरती उतारें और दीपक जलाएं।
  7. मंत्र जाप: मंत्र को 108 बार माला के साथ जाप करें।

मंत्र

"ॐ ऐं श्रीं गजलक्ष्मेय क्लीं नमः" "OM AIM SHREEM GAJ LAKSHMEYA KLEEM NAMAHA"

सामग्री

  1. लाल पुष्प: देवी लक्ष्मी को लाल रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं।
  2. चंदन: चंदन का तिलक देवी की प्रतिमा पर लगाया जाता है।
  3. दीपक: एक घी का दीपक जलाया जाता है।
  4. धूप: धूप का भी प्रयोग किया जाता है।
  5. अक्षत: चावल को अक्षत के रूप में देवी को अर्पित किया जाता है।
  6. मिठाई: प्रसाद के रूप में मिठाई चढ़ाई जाती है।
  7. माला: मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष या कमलगट्टे की माला का प्रयोग किया जाता है।

लाभ

  1. धन की प्राप्ति: गज लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति होती है।
  2. समृद्धि: समृद्धि और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।
  3. सुख-शांति: जीवन में सुख-शांति का अनुभव होता है।
  4. विजय: सभी कार्यों में विजय प्राप्त होती है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  6. सौभाग्य: सौभाग्य में वृद्धि होती है।
  7. कर्ज से मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  8. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. व्यापार में वृद्धि: व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि होती है।
  10. समस्याओं का समाधान: समस्याओं का समाधान मिलता है।
  11. धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों में सफलता मिलती है।
  12. परिवार की समृद्धि: परिवार में समृद्धि और खुशहाली आती है।
  13. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  14. मन की शांति: मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
  15. धन का संरक्षण: धन का संरक्षण होता है।
  16. मनोबल: मनोबल बढ़ता है।
  17. भविष्य की सुरक्षा: भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  18. श्रेष्ठता: जीवन में श्रेष्ठता प्राप्त होती है।
  19. धार्मिकता: धार्मिकता और पुण्य में वृद्धि होती है।
  20. संतुलित जीवन: जीवन में संतुलन और स्थिरता आती है।

दिन और अवधि

  • उत्तम दिन: शुक्रवार, दीपावली, अक्षय तृतीया, या पूर्णिमा का दिन।
  • अवधि: कम से कम 21 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जाप करें।

Know more about Ashtalakshmi mantra

सावधानियाँ

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय मन, वचन, और कर्म की शुद्धता बनाए रखें।
  2. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करें, बिना किसी अवरोध के।
  3. आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  4. शराब और मांस: शराब और मांस का सेवन न करें।
  5. विवेक: किसी भी अनुचित कार्य से बचें।

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गज लक्ष्मी मंत्र के सामान्य प्रश्नोत्तर

1. गज लक्ष्मी मंत्र क्या है?
गज लक्ष्मी मंत्र देवी लक्ष्मी के गज लक्ष्मी रूप की आराधना के लिए उच्चारित किए जाने वाले मंत्र हैं, जो ऐश्वर्य और विजय की प्रतीक हैं।

2. गज लक्ष्मी मंत्र का जाप कैसे किया जाता है?
गज लक्ष्मी मंत्र का जाप प्रातः काल या संध्या समय में, स्वच्छ आसन पर बैठकर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके किया जाता है। मंत्र को 108 बार माला के साथ जाप करना चाहिए।

3. गज लक्ष्मी मंत्र का जाप किस दिन करना सबसे शुभ होता है?
शुक्रवार, दीपावली, अक्षय तृतीया, या पूर्णिमा का दिन गज लक्ष्मी मंत्र का जाप करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

4. गज लक्ष्मी मंत्र जाप के लिए कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
गज लक्ष्मी मंत्र जाप के लिए लाल पुष्प, चंदन, दीपक, धूप, अक्षत, मिठाई, गज लक्ष्मी प्रतिमा या चित्र, और एक माला की आवश्यकता होती है।

5. गज लक्ष्मी मंत्र जाप का क्या लाभ है?
गज लक्ष्मी मंत्र जाप से धन की प्राप्ति, समृद्धि, सुख-शांति, विजय, सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य, कर्ज से मुक्ति, स्वास्थ्य लाभ, व्यापार में वृद्धि, और समस्याओं का समाधान मिलता है।

6. क्या गज लक्ष्मी मंत्र का जाप किसी विशेष अवधि तक करना चाहिए?
गज लक्ष्मी मंत्र का जाप कम से कम 21 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए। इससे अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए इसे लगातार जारी रखा जा सकता है।

7. गज लक्ष्मी मंत्र जाप के समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
मंत्र जाप के समय मन, वचन, और कर्म की शुद्धता बनाए रखें। नियमितता बनाए रखें, सात्विक आहार का सेवन करें, शराब और मांस का सेवन न करें, और किसी भी अनुचित कार्य से बचें।

8. गज लक्ष्मी मंत्र का सबसे प्रभावी मंत्र कौन सा है?
सबसे प्रभावी गज लक्ष्मी मंत्र हैं:

"ॐ ऐं श्रीं गजलक्ष्मेय क्लीं नमः" "OM AIM SHREEM GAJ LAKSHMEYA KLEEM NAMAHA"

Saraswati mantra for wisdom

Sarawati mantra for wisdom

Sarawati mantra माता सरस्वती हिंदू धर्म में ज्ञान, कला, संगीत, और विद्या की देवी हैं। वे भगवान ब्रह्मा की पत्नी और सृष्टि की रचना में उनकी सहयोगी मानी जाती हैं. इनकी कृपा से ज्ञान, स्मरणशक्ति, सीखने की क्षमता, पढने की क्षमता, बातचीत करने की क्षमता मे बढोतरी होती है| सरस्वती मंत्र विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना के लिए उच्चारित किए जाते हैं। इन मंत्रों का नियमित जाप करने से विद्या, बुद्धि, और कला में निपुणता प्राप्त होती है। ये मंत्र छात्रों, विद्वानों, कलाकारों, और उन सभी के लिए विशेष रूप से लाभकारी होते हैं जो किसी भी क्षेत्र में ज्ञान और कुशलता की इच्छा रखते हैं।

माता सरस्वती का स्वरूप

  • माता सरस्वती को आमतौर पर कमल के फूल पर बैठी, वीणा बजाते हुए चित्रित किया जाता है।
  • उन्हें चार हाथों से युक्त दिखाया जाता है, जिनमें से प्रत्येक में एक अलग वस्तु होती है:
    • ऊपरी दायां हाथ: वीणा (संगीत का प्रतीक)
    • ऊपरी बायां हाथ: पुस्तक (ज्ञान का प्रतीक)
    • नीचे दायां हाथ: माला (ध्यान का प्रतीक)
    • नीचे बायां हाथ: जल पात्र (शुद्धि का प्रतीक)
  • माता सरस्वती को अक्सर हंस के साथ भी चित्रित किया जाता है, जो ज्ञान और ज्ञानोदय का प्रतीक है।

पूजा और महत्व

  • माता सरस्वती की पूजा विभिन्न तरीकों से की जाती है, जिसमें स्तोत्र, मंत्र, और आरती शामिल हैं।
  • वसंत पंचमी को माता सरस्वती का जन्मदिन माना जाता है और इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है।
  • माता सरस्वती की पूजा करने से भक्तों को ज्ञान, विद्या, और कला में सफलता प्राप्त होती है।
  • माता सरस्वती को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • सरस्वती मंत्रः ॥ॐ ऐं सरस्वतेय नमः॥
  • मुहुर्थः बुधवार, पंचमी, बसंत पंचमी

सरस्वती मंत्र का विधि

  1. स्नान और स्वच्छता: पूजा करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां एक साफ आसन बिछाएं।
  3. मंत्र जाप का समय: प्रातः काल सूर्योदय से पहले या संध्या काल में मंत्र जाप करें।
  4. आराधना सामग्री (सामग्री): सफेद पुष्प, चंदन, दीपक, धूप, अक्षत, मिठाई, सरस्वती प्रतिमा या चित्र, और एक माला।
  5. आसन: आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जाप करें।
  6. आरती और दीपक: सरस्वती देवी की आरती उतारें और दीपक जलाएं।
  7. मंत्र जाप: मंत्र को 108 बार माला के साथ जाप करें।

सरस्वती मंत्र

॥ॐ ऐं सरस्वतेय ऐं नमः॥ "OM AIM SARASWATEYA AIM NAMAHA"

सामग्री

  1. सफेद पुष्प: सरस्वती देवी को सफेद रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं।
  2. चंदन: चंदन का तिलक देवी की प्रतिमा पर लगाया जाता है।
  3. दीपक: एक घी का दीपक जलाया जाता है।
  4. धूप: धूप का भी प्रयोग किया जाता है।
  5. अक्षत: चावल को अक्षत के रूप में देवी को अर्पित किया जाता है।
  6. मिठाई: प्रसाद के रूप में मिठाई चढ़ाई जाती है।
  7. माला: मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग किया जाता है।

Saraswati Kavacha path

लाभ

  1. विद्या प्राप्ति: सरस्वती मंत्र का जाप करने से विद्या की प्राप्ति होती है।
  2. बुद्धि की वृद्धि: इन मंत्रों से बुद्धि तेज होती है।
  3. एकाग्रता: मानसिक एकाग्रता में वृद्धि होती है।
  4. कला कौशल: कला और संगीत में कुशलता प्राप्त होती है।
  5. याददाश्त: स्मरण शक्ति बढ़ती है।
  6. परीक्षा में सफलता: विद्यार्थियों को परीक्षाओं में सफलता मिलती है।
  7. मन की शांति: मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
  8. भाषण कला: वक्तृत्व कला में सुधार होता है।
  9. साहित्यिक क्षमता: साहित्य और लेखन में निपुणता प्राप्त होती है।
  10. रचनात्मकता: रचनात्मकता में वृद्धि होती है।
  11. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  12. अध्यात्मिक उन्नति: अध्यात्मिक उन्नति होती है।
  13. कार्य क्षमता: कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।
  14. मनोबल: मनोबल बढ़ता है।
  15. ध्यान शक्ति: ध्यान और साधना में सफलता मिलती है।
  16. समस्या समाधान: समस्याओं का समाधान मिलता है।
  17. सुख-शांति: जीवन में सुख-शांति का अनुभव होता है।
  18. धैर्य: धैर्य और संयम बढ़ता है।
  19. सफलता: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  20. जीवन में संतुलन: जीवन में संतुलन और स्थिरता आती है।

दिन और अवधि

  • उत्तम दिन: वसंत पंचमी, सरस्वती पूजा, या पूर्णिमा का दिन।
  • अवधि: कम से कम 21 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जाप करें।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय मन, वचन, और कर्म की शुद्धता बनाए रखें।
  2. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करें, बिना किसी अवरोध के।
  3. आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  4. शराब और मांस: शराब और मांस का सेवन न करें।
  5. विवेक: किसी भी अनुचित कार्य से बचें।

सरस्वती मंत्र के बारे में सामान्य प्रश्नोत्तर

1. सरस्वती मंत्र क्या है?
सरस्वती मंत्र विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना के लिए उच्चारित किए जाने वाले मंत्र हैं। इन मंत्रों का उद्देश्य बुद्धि, विद्या, और कला में निपुणता प्राप्त करना है।

2. सरस्वती मंत्र का जाप कैसे किया जाता है?
सरस्वती मंत्र का जाप प्रातः काल या संध्या समय में, स्वच्छ आसन पर बैठकर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके किया जाता है। मंत्र को 108 बार माला के साथ जाप करना चाहिए।

3. सरस्वती मंत्र का जाप किस दिन करना सबसे शुभ होता है?
वसंत पंचमी, सरस्वती पूजा, या पूर्णिमा का दिन सरस्वती मंत्र का जाप करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

4. सरस्वती मंत्र जाप के लिए कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
सरस्वती मंत्र जाप के लिए सफेद पुष्प, चंदन, दीपक, धूप, अक्षत, मिठाई, सरस्वती प्रतिमा या चित्र, और एक माला की आवश्यकता होती है।

5. सरस्वती मंत्र जाप का क्या लाभ है?
सरस्वती मंत्र जाप से विद्या प्राप्ति, बुद्धि की वृद्धि, एकाग्रता में वृद्धि, कला कौशल, स्मरण शक्ति, परीक्षा में सफलता, मानसिक शांति, और रचनात्मकता में वृद्धि होती है।

6. क्या सरस्वती मंत्र का जाप किसी विशेष अवधि तक करना चाहिए?
सरस्वती मंत्र का जाप कम से कम 21 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए। इससे अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए इसे लगातार जारी रखा जा सकता है।

7. सरस्वती मंत्र जाप के समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
मंत्र जाप के समय मन, वचन, और कर्म की शुद्धता बनाए रखें। नियमितता बनाए रखें, सात्विक आहार का सेवन करें, शराब और मांस का सेवन न करें, और किसी भी अनुचित कार्य से बचें।

8. सरस्वती मंत्र का सबसे प्रभावी मंत्र कौन सा है?
सबसे प्रभावी सरस्वती मंत्र है:

॥ॐ ऐं सरस्वतेय ऐं नमः॥ "OM AIM SARASWATEYA AIM NAMAHA"

Dhan lakshmi mantra for wealth & prosperity

Dhan lakshmi mantra for wealth & prosperity

माता धन लक्ष्मी, देवी लक्ष्मी का प्रमुख रूप है, जो धन, समृद्धि, और संपदा को बढाने वाली मानी जाती है. बहुत ही जल्दी प्रसन्न होने वाली ये माता मनुष्य की सभी इच्छाओ को पूर्ण करती है। धन लक्ष्मी मंत्र को धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। लक्ष्मी जी धन और ऐश्वर्य की देवी हैं, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है। यह मंत्र न केवल आर्थिक संकटों को दूर करता है, बल्कि मानसिक शांति और संतोष भी प्रदान करता है।

माता का स्वरूप

  • मां धन लक्ष्मी को आमतौर पर कमल के फूल पर बैठी, सोने के सिक्के बरसाते हुए चित्रित किया जाता है।
  • उन्हें चार हाथों से युक्त दिखाया जाता है, जिनमें से प्रत्येक में एक अलग वस्तु होती है:
    • ऊपरी दायां हाथ: कमल का फूल (ज्ञान और सौंदर्य का प्रतीक)
    • ऊपरी बायां हाथ: अक्षयपात्र (अनंत धन का प्रतीक)
    • नीचे दायां हाथ: मुद्रा (धन का प्रतीक)
    • नीचे बायां हाथ: कमल का फूल (शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक)
  • धन लक्ष्मी को अक्सर उल्लू, हाथी, और शेर जैसे जानवरों के साथ भी चित्रित किया जाता है, जो कि अलग-अलग गुणों का प्रतीक माना जाता हैं।

पूजा का महत्व

  • धन लक्ष्मी की पूजा विभिन्न तरीकों से की जाती है, जिसमें स्तोत्र, मंत्र, और आरती शामिल हैं।
  • शुक्रवार को धन लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है।
  • धन लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को धन, समृद्धि, और भौतिक सुख प्राप्त होता है।
  • धन लक्ष्मी को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है

धन लक्ष्मी मंत्र

मंत्रः॥ॐ ऐं श्रीं धनलक्ष्मेय नमः॥

मुहुर्थः शुक्रवार, गुरु पुष्य नक्षत्र, होली, दीपावली.

इस मंत्र का सही उच्चारण और नियमित जाप अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मंत्र जाप विधि

धन लक्ष्मी मंत्र का जाप करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

  1. स्नान और स्वच्छता: प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थान: अपने घर में एक स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें जहाँ लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र हो।
  3. आसन: सफेद या लाल रंग के आसन पर बैठें।
  4. दीप प्रज्वलन: घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
  5. धूप/अगरबत्ती: धूप या अगरबत्ती से वातावरण को सुगंधित करें।
  6. मंत्र जाप: रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला से इस मंत्र का 108 बार (एक माला) जाप करें। इसे सुबह और शाम दो समय करना उत्तम है।
  7. नैवेद्य: लक्ष्मी जी को दूध, मिठाई, फल आदि का भोग लगाएं।
  8. आरती: अंत में लक्ष्मी जी की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।

आवश्यक सामग्री

  1. लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र
  2. रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला
  3. घी या तिल का तेल
  4. दीपक, धूप/अगरबत्ती
  5. नैवेद्य (दूध, मिठाई, फल)
  6. स्वच्छ वस्त्र
  7. पूजा आसन

धन लक्ष्मी मंत्र के लाभ

  1. आर्थिक संकट से मुक्ति: यह मंत्र आर्थिक संकटों को दूर करने में सहायक है।
  2. धन का आगमन: इस मंत्र के नियमित जाप से धन का प्रवाह बना रहता है।
  3. समृद्धि: घर में समृद्धि और वैभव की वृद्धि होती है।
  4. मन की शांति: मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  5. सकारात्मक ऊर्जा: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  6. वास्तु दोष निवारण: यह मंत्र वास्तु दोषों को दूर करने में सहायक है।
  7. विपरीत परिस्थितियों से मुक्ति: विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकलने में मदद मिलती है।
  8. सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और मेलजोल बढ़ता है।
  9. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य समस्याओं में राहत मिलती है।
  10. व्यापार में वृद्धि: व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि होती है।
  11. सकारात्मक सोच: व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है।
  12. उन्नति: जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति होती है।
  13. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  14. दुर्भाग्य से बचाव: दुर्भाग्य और नकारात्मक प्रभावों से बचाव होता है।
  15. परिवारिक सुख: परिवारिक जीवन में खुशियाँ और सद्भावना बढ़ती है।
  16. सामाजिक प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
  17. कर्ज से मुक्ति: कर्ज और ऋण से मुक्ति मिलती है।
  18. अवांछित खर्चों में कमी: अवांछित खर्चों में कमी आती है।
  19. मनोकामना पूर्ति: मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  20. विवाह संबंधित समस्याओं का निवारण: विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान होता है।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान: मंत्र जाप करते समय शरीर, मन और स्थान की शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. संकल्प: जाप से पहले संकल्प लें और उसे पूरा करने का प्रयास करें।
  3. आस्था: इस मंत्र के प्रति पूरी आस्था और विश्वास रखें।
  4. नियमितता: मंत्र जाप नियमित रूप से करें, असंलग्नता से बचें।
  5. सकारात्मक विचार: केवल सकारात्मक विचारों के साथ ही इस मंत्र का जाप करें।
  6. अन्नदान: यथासंभव अन्नदान करें और गरीबों की सहायता करें।
  7. संयम: जाप के दौरान संयमित जीवन व्यतीत करें, तामसिक आहार और नकारात्मक कार्यों से दूर रहें।
  8. शुद्ध वस्त्र: स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करें।
  9. श्रद्धा और विश्वास: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मंत्र जाप करें।
  10. समय का पालन: जाप के लिए निर्धारित समय का पालन करें।

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धन लक्ष्मी मंत्र: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. धन लक्ष्मी मंत्र क्या है?

धन लक्ष्मी मंत्र एक पवित्र मंत्र है जो देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। यह आर्थिक संकटों को दूर करने और समृद्धि प्राप्त करने में सहायक है।

2. धन लक्ष्मी मंत्र कैसे जपें?

धन लक्ष्मी मंत्र को प्रातःकाल और संध्या समय, शुद्धता और संकल्प के साथ रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला से 108 बार जपें।

3. धन लक्ष्मी मंत्र का जाप करने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

प्रातःकाल सूर्योदय से पहले और संध्या को सूर्यास्त के बाद, दोनों समय जाप करना उत्तम माना जाता है।

4. मंत्र जाप के दौरान किस दिशा में बैठना चाहिए?

उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।

5. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष वस्त्र पहनना आवश्यक है?

हाँ, स्वच्छ और सफेद या लाल रंग के वस्त्र पहनना उत्तम माना जाता है।

6. मंत्र जाप के लिए किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है?

लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र, रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला, घी या तिल का तेल, दीपक, धूप/अगरबत्ती, नैवेद्य (दूध, मिठाई, फल), और स्वच्छ वस्त्र की आवश्यकता होती है।

7. धन लक्ष्मी मंत्र के क्या लाभ हैं?

यह आर्थिक संकटों से मुक्ति, धन का आगमन, समृद्धि, मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, और स्वास्थ्य लाभ सहित अनेक लाभ प्रदान करता है।

8. क्या मंत्र जाप के दौरान किसी विशेष आहार का पालन करना चाहिए?

तामसिक और नकारात्मक आहार से बचें और सात्विक आहार ग्रहण करें।

9. क्या मंत्र जाप के दौरान कोई विशेष नियम का पालन करना चाहिए?

शुद्धता, संकल्प, आस्था, और नियमितता का पालन करें। जाप के दौरान संयमित जीवन व्यतीत करें।

10. धन लक्ष्मी मंत्र कितने समय तक जपना चाहिए?

नियमित रूप से प्रतिदिन 108 बार जप करें। कम से कम 40 दिन तक निरंतर जाप करें।

11. क्या इस मंत्र का जाप करने के लिए किसी गुरु से दीक्षा लेना आवश्यक है?

यह आवश्यक नहीं है, लेकिन गुरु से दीक्षा लेकर जाप करने से अधिक लाभ मिलता है।

12. क्या इस मंत्र का जाप महिलाएं भी कर सकती हैं?

हाँ, महिलाएं भी इस मंत्र का जाप कर सकती हैं।

13. क्या मंत्र जाप के दौरान किसी विशेष स्थान पर बैठना चाहिए?

हाँ, पूजा के लिए एक स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें जहाँ शांति और सकारात्मक ऊर्जा हो।

14. क्या धन लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से तत्काल लाभ होता है?

लाभ समय के साथ मिलता है। इसे धैर्य और नियमितता के साथ जपें।

15. क्या इस मंत्र के जाप के लिए किसी विशेष माला का उपयोग करना चाहिए?

रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला का उपयोग करें।

16. क्या इस मंत्र का जाप केवल दीपावली के समय ही करना चाहिए?

नहीं, इस मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन दीपावली पर विशेष लाभकारी माना जाता है।

17. क्या इस मंत्र का जाप करते समय विशेष संकल्प लेना चाहिए?

हाँ, अपने उद्देश्य और लक्ष्यों के अनुसार संकल्प लें और उसे पूरा करने का प्रयास करें।

18. मंत्र जाप के दौरान अगर कोई गलती हो जाए तो क्या करना चाहिए?

गलती होने पर तुरंत क्षमा प्रार्थना करें और पुनः जाप प्रारंभ करें।

19. क्या इस मंत्र के जाप के दौरान कुछ सावधानियाँ भी बरतनी चाहिए?

हाँ, शुद्धता, आस्था, सकारात्मक विचार, और नियमितता का ध्यान रखें।

20. क्या धन लक्ष्मी मंत्र के जाप के दौरान अन्य देवी-देवताओं की पूजा भी की जा सकती है?

हाँ, आप अन्य देवी-देवताओं की पूजा भी कर सकते हैं, इससे संपूर्ण लाभ मिलता है।

धन लक्ष्मी मंत्र का सही विधि से और संकल्पपूर्वक जाप करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इसके साथ ही मानसिक शांति और संतोष भी मिलता है, जो जीवन को सुखमय और संपन्न बनाता है।

Panchamukhi ganesha mantra for strong protection

Panchamukhi ganesha mantra for strong protection

कार्य को सिद्ध करने वाले पंचमुखी गणेश मंत्र बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है।  भगवान गणेश का एक प्रचंड शक्तिशाली स्वरूप है. ये हर तरह के कार्य मे आने वाले विघ्न का नाश करते है. जिसमें पांच मुख होते हैं। प्रत्येक मुख एक अलग अलग दिशा में होता है और अलग अलग शक्ति को प्रतिनिधित्व करता है। भगवान पंचमुखी गणेश को अक्सर पंचमुख विनायक या पंचवक्त्र भी कहा जाता है। पंचमुखी गणेश, भगवान गणेश के पांच मुख वाले स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह स्वरूप पांच तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश का प्रतीक है। पंचमुखी गणेश मंत्र का जाप करने से साधक को हर तरह की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता एवं समृद्धि प्राप्त होती है।

भगवान श्रीं पंचमुखी गणेश के मुख और उनके अर्थ

  • वाम मुख: यह मुख वक्रतुंड कहलाता है और यह बुद्धि का प्रतीक है।
  • दक्षिण मुख: यह मुख एकदंत कहलाता है और यह संपन्नता का प्रतीक है।
  • पूर्व मुख: यह मुख तत्पुरुष कहलाता है और यह ज्ञान का प्रतीक है।
  • पश्चिम मुख: यह मुख घोर कहलाता है और यह शक्ति का प्रतीक है।
  • ऊर्ध्व मुख: यह मुख सर्वशक्ति कहलाता है और यह आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

पंचमुखी गणेश मंत्र

मंत्रः

“ॐ गं ग्लौं पंचमुखे गणेशाय गं नमः”

पंचमुखी गणेश मंत्र विधि

1. स्थान चयन: मंत्र जाप के लिए एक शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें। पूजा स्थान साफ-सुथरा होना चाहिए।
2. स्नान: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. पूजा सामग्री: पंचमुखी गणेश की मूर्ति या चित्र, धूप, दीप, फूल, नैवेद्य (फल, मिठाई), जल, अक्षत (चावल), और पीले वस्त्र।
4. मूर्ति स्थापना: गणेश जी की मूर्ति को पीले वस्त्र पर स्थापित करें।
5. ध्यान और प्रार्थना: दीपक जलाकर गणेश जी का ध्यान करें और प्रार्थना करें।
6. मंत्र जाप: पहले 108 बार या निर्धारित संख्या में मंत्र का जाप करें।
7. नैवेद्य: प्रसाद चढ़ाएं और मंत्र का उच्चारण करते हुए ध्यान केंद्रित करें।
8. आरती: अंत में गणेश जी की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें।

श्री पंचमुखी गणेश के पूजा के लाभ

1. बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि: इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान में वृद्धि होती है।
2. विघ्नों का नाश: जीवन में आने वाले सभी विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं।
3. समृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और समृद्धि प्राप्त होती है।
4. स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
5. शांति: मन की शांति प्राप्त होती है और तनाव दूर होता है।
6. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
7. संतान प्राप्ति: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
8. रोगों से मुक्ति: विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
9. विवाह में सफलता: विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है।
10. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
11. साहस और धैर्य: साहस और धैर्य में वृद्धि होती है।
12. दुष्ट शक्तियों से रक्षा: दुष्ट शक्तियों से रक्षा होती है।
13. व्यवसाय में वृद्धि: व्यवसाय में सफलता और वृद्धि होती है।
14. संबंधों में सुधार: परिवारिक और सामाजिक संबंधों में सुधार होता है।
15. धन प्राप्ति: धन की प्राप्ति होती है।
16. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
17. मंत्र सिद्धि: मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है।
18. योग्यता और प्रतिभा में वृद्धि: योग्यता और प्रतिभा में वृद्धि होती है।
19. अवरोधों का नाश: जीवन के सभी अवरोध दूर होते हैं।
20. ईश्वर की कृपा: ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

दिन और अवधि

उत्तम दिन: बुधवार और चतुर्थी तिथि को इस मंत्र का जाप करना विशेष लाभकारी होता है।
अवधि: प्रतिदिन 21 दिन या 40 दिन तक इस मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ होता है। जाप की संख्या 108 बार होनी चाहिए।

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सावधानियाँ

1. स्वच्छता: मंत्र जाप करते समय शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखें।
2. श्रद्धा: मंत्र का जाप पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
3. दिशा: उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके मंत्र जाप करें।
4. नियमितता: नियमित रूप से मंत्र जाप करें।
5. सात्विकता: सात्विक आहार का सेवन करें और अशुद्ध विचारों से दूर रहें।
6. समय: प्रातःकाल या संध्याकाल का समय मंत्र जाप के लिए सर्वोत्तम होता है।
7. ध्यान: ध्यान करते समय मन को एकाग्र रखें और भटकने न दें।
8. सहनशीलता: धैर्य और सहनशीलता के साथ मंत्र जाप करें।
9. नियमों का पालन: पूजा के नियमों का पालन करें और किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें।
10. संगीत: हल्का भजन या संगीत बजाएं जो ध्यान केंद्रित करने में सहायक हो।

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पंचमुखी गणेश मंत्र से जुड़े सामान्य प्रश्न 

  1. प्रश्न: पंचमुखी गणेश मंत्र क्या है?
    उत्तर: पंचमुखी गणेश मंत्र भगवान गणेश के पांच मुख वाले रूप की स्तुति करने वाला मंत्र है, जो सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है और सफलता प्रदान करता है।
  2. प्रश्न: पंचमुखी गणेश मंत्र का जाप कब करना चाहिए?
    उत्तर: इस मंत्र का जाप सुबह और शाम के समय करना शुभ माना जाता है, लेकिन आप इसे दिन में किसी भी समय कर सकते हैं।
  3. प्रश्न: क्या पंचमुखी गणेश मंत्र को किसी विशेष विधि से जपना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जाप स्वच्छ स्थान पर, ध्यान और श्रद्धा के साथ करना चाहिए। जाप के लिए माला का उपयोग किया जा सकता है।
  4. प्रश्न: क्या पंचमुखी गणेश मंत्र से सभी बाधाओं का निवारण होता है?
    उत्तर: हाँ, भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, और यह मंत्र सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है।
  5. प्रश्न: क्या पंचमुखी गणेश मंत्र का जाप आर्थिक समस्याओं को हल कर सकता है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र धन और समृद्धि लाने में सहायक होता है और आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है।
  6. प्रश्न: क्या पंचमुखी गणेश मंत्र का जाप विशेष अवसरों पर किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जाप विशेष अवसरों, जैसे गणेश चतुर्थी, विवाह, या नए कार्य की शुरुआत पर करना विशेष शुभ होता है।
  7. प्रश्न: क्या पंचमुखी गणेश मंत्र का जाप कर्ज से मुक्ति दिलाता है?
    उत्तर: हाँ, इस मंत्र का नियमित जप कर्ज और ऋण से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
  8. प्रश्न: क्या पंचमुखी गणेश मंत्र का जाप केवल पुरुष ही कर सकते हैं?
    उत्तर: नहीं, इस मंत्र का जाप पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।
  9. प्रश्न: क्या पंचमुखी गणेश मंत्र का जाप स्वास्थ्य लाभ देता है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र स्वास्थ्य में सुधार करता है और बीमारियों से मुक्ति दिलाता है।

Navdurga mantra for health wealth prosperity

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माता नवदुर्गा की कृपा यानी दुनिया का हर सुख आपकी मुट्ठी मे!

नवदुर्गा माता मे देवी के नौ रूप समाहित होते है. इनकी कृपा से जीवन का हर सुख प्राप्त होता है. इन नौ रूपों की पूजा किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या नवरात्रि के दौरान की जाती है। नव दुर्गा, माता दुर्गा के नौ रूप हैं, जो साधकों को जीवन में मार्गदर्शन, मनोकामनाओं की पूर्ति, और सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये नौ रूप हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। हर देवी का अपना विशेष मंत्र और पूजन विधि है जो साधकों को अद्वितीय लाभ प्रदान करती है। नवदुर्गा माता के नौ रूप इस तरह हैं:

  1. शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण पार्वती माता को शैलपुत्री भी कहा जाता है
  2. ब्रह्मचारिणी: तपस्या द्वारा शिव को पाने के बाद पार्वती माता ब्रह्मचारिणी कहलाती हैं।
  3. चंद्रघंटा: जिनके मस्तक पर चंद्र के आकार का तिलक है।
  4. कूष्मांडा: ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है।
  5. स्कंदमाता: कार्तिकेय की माता होने के कारण पार्वती माता स्कंदमाता कहलाती हैं।
  6. कात्यायनी: महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था।
  7. कालरात्रि: दुष्टों का नाश करने के लिए माता का यह रूप है।
  8. महागौरी: शिव के साथ विवाह के बाद पार्वती माता महागौरी कहलाती हैं।
  9. सिद्धिदात्री: सिद्धियों को देने वाली माता का यह रूप है।

नवरात्रि के दौरान, भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विभिन्न उपाय करते हैं। कुछ लोग व्रत रखते हैं, कुछ लोग कन्या पूजन करते हैं, और कुछ लोग दान-पुण्य करते हैं।

नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार भक्तों को देवी दुर्गा की शक्ति और कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है.

नवदुर्गा मंत्र

॥ॐ ऐं ह्रीं नवदुर्गाये क्लीं दुं नमः॥

– शैलपुत्री: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।”
– ब्रह्मचारिणी: “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।”
– चंद्रघंटा: “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।”
– कूष्मांडा: “ॐ देवी कूष्मांडायै नमः।”
– स्कंदमाता: “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः।”
– कात्यायनी: “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।”
– कालरात्रि: “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।”
– महागौरी: “ॐ देवी महागौर्यै नमः।”
– सिद्धिदात्री: “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।”

नव दुर्गा साधना विधि

1. सामग्री: स्वच्छ स्थान, लाल वस्त्र, पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम, चंदन, नव दुर्गा की मूर्ति या चित्र, और मंत्र की पुस्तक।
2. स्नान: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. स्थान चयन: एक शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
4. आसन: लाल वस्त्र पर आसन बिछाकर बैठें।
5. मूर्ति या चित्र: नव दुर्गा की मूर्ति या चित्र को अपने सामने रखें।
6. पूजन: देवी को पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम, और चंदन अर्पित करें।
7. मंत्र जाप: हर देवी के मंत्र का 108 बार जाप करें।
8. ध्यान: हर देवी का ध्यान करें और उनसे अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
9. स्वप्न में प्रश्न: साधना के बाद, सोते समय अपने मन में प्रश्न करें और देवी से स्वप्न में उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
10. अवधि: इस विधि को 9 दिनों तक नियमित रूप से करें।

नव दुर्गा मंत्र के लाभ

1. स्वप्न में उत्तर: देवी साधक को स्वप्न में उनके प्रश्नों के उत्तर देती हैं।
2. भविष्य दृष्टि: साधक को भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।
3. समस्या समाधान: देवी साधक की समस्याओं का समाधान करती हैं।
4. भयमुक्ति: साधक को भय से मुक्ति मिलती है।
5. सकारात्मक ऊर्जा: साधक के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
6. मानसिक शांति: साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
7. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
8. सफलता: देवी साधक के कार्यों में सफलता प्रदान करती हैं।
9. स्वास्थ्य: देवी की कृपा से साधक स्वस्थ और निरोगी रहता है।
10. समृद्धि: देवी की उपासना से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
11. शत्रुओं से रक्षा: देवी साधक को शत्रुओं से रक्षा करती हैं।
12. परिवार की सुख-शांति: देवी की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
13. आत्मविश्वास: साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है।
14. सपनों की सच्चाई: साधक के सपने सच्चे और स्पष्ट होते हैं।
15. प्राकृतिक आपदाओं से बचाव: देवी की कृपा से प्राकृतिक आपदाओं से बचाव होता है।
16. प्रेम में सफलता: साधक को प्रेम में सफलता मिलती है।
17. विवाह में सफलता**: साधक के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
18. संतान प्राप्ति: साधक को संतान सुख प्राप्त होता है।
19. सत्संग का लाभ: साधक को संतों का संग प्राप्त होता है।
20. दिव्य दृष्टि: साधक को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।

नव दुर्गा साधना का दिन

नव दुर्गा की साधना के लिए नवरात्रि के 9 दिन सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। इसके अलावा, प्रतिदिन सुबह और शाम का समय भी साधना के लिए उपयुक्त होता है।

मुहुर्थः किसी भी मंगलवार, शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक, नवरात्रि.

सावधानियां

1. स्थान का चयन: साधना का स्थान शांत, स्वच्छ और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए।
2. सामग्री की शुद्धता: साधना में उपयोग की जाने वाली सामग्री शुद्ध और पवित्र होनी चाहिए।
3. मन की शुद्धता: साधना करते समय मन को शुद्ध और एकाग्र रखना चाहिए।
4. नियमितता: साधना को नियमित रूप से करें और विधि का पालन करें।
5. सात्विक भोजन: साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें और तामसिक पदार्थों से बचें।
6. समर्पण और श्रद्धा: साधना के दौरान देवी के प्रति समर्पण और श्रद्धा बनाए रखें।
7. संयम: साधना के दौरान संयम बरतें और अनावश्यक बातों से बचें।
8. अविचलता: साधना के दौरान किसी भी प्रकार की अविचलता या विचलन से बचें।
9. साफ सफाई: साधना स्थल और स्वयं की स्वच्छता का ध्यान रखें।
10. विधि का पालन: साधना की विधि का पूर्ण पालन करें और किसी भी प्रकार की चूक से बचें।

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ध्यान रखे

नव दुर्गा की साधना अत्यंत प्रभावशाली और दिव्य होती है। साधना के दौरान साधक को पूर्ण एकाग्रता और श्रद्धा बनाए रखनी चाहिए। देवी की कृपा से साधक को अपने जीवन की समस्याओं का समाधान, भविष्य की दृष्टि, और मानसिक शांति प्राप्त होती है। साधना के दौरान निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

1. स्थान का चयन: साधना का स्थान स्वच्छ, शांत, और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए।
2. सामग्री की शुद्धता: साधना में उपयोग की जाने वाली सामग्री शुद्ध और पवित्र होनी चाहिए।
3. मन की शुद्धता: साधना करते समय मन को शुद्ध और एकाग्र रखना चाहिए।
4. नियमितता: साधना को नियमित रूप से करें और विधि का पालन करें।
5. सात्विक भोजन: साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें और तामसिक पदार्थों से बचें।

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अंत मे

नव दुर्गा की साधना से साधक को जीवन में सफलता, शांति, और समृद्धि का मार्ग प्राप्त होता है। देवी की कृपा से साधक को उनके जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन और सहायता मिलती है। साधना के बाद साधक को देवी का धन्यवाद देना चाहिए और अपनी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। साधना के माध्यम से साधक को दिव्य अनुभव प्राप्त होते हैं और वे देवी की कृपा से अपने जीवन की सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। नव दुर्गा की साधना से साधक को आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और जीवन की हर कठिनाई का समाधान मिलता है।

Kamala mantra for wealth & Prosperity

Kamala mantra for wealth & Prosperity

ला महाविद्या दस महाविद्याओं में दसवीं महाविद्या मानी जाती हैं इनकी पूजा धन, समृद्धि, और भौतिक सुखों के साथ आर्थिक अडचनो को दूर करने के लिए की जाती है. महाविद्या कमला देवी को लक्ष्मी का तांत्रिक रूप माना जाता है। वे धन, समृद्धि, ऐश्वर्य और सौभाग्य की देवी हैं। कमला देवी का मंत्र जाप व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि, सौभाग्य, और सुख-शांति प्रदान करता है।

माता कमला का स्वरूप

  • माता कमला को कमल के आसन पर विराजमान, लाल वस्त्र पहने हुए दिखाया जाता है.
  • उनके चार हाथ होते हैं.
  • ऊपरी दाएं हाथ में कमल का पुष्प और ऊपरी बाएं हाथ में वरद मुद्रा होती है.
  • निचले दाएं हाथ में अभय मुद्रा और निचले बाएं हाथ में कलश होता है.
  • महाविद्या कमला मंत्रः ॥ॐ श्रीं कमलवाशिन्ये श्रीं नमः॥
  • मुहुर्थः शुक्रवार, होली, गुरु पुष्य नक्षत्र, दीपावली.

मंत्र

ॐ श्रीं कमलवाशिन्ये श्रीं नमः

कमला मंत्र विधि

1. स्थान: साफ-सुथरे और शांत स्थान पर पूजा करें।
2. समय: शुक्रवार का दिन और रात का समय कमला देवी की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
3. स्नान: शुद्ध स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
4. आसन: पीले वस्त्र का आसन बिछाएं और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
5. आह्वान: दीपक जलाकर कमला देवी का आह्वान करें।
6. मंत्र जाप: मंत्र का उच्चारण मन में शांति और एकाग्रता के साथ करें। माला (कमलगट्टा) से 108 बार जाप करें।
7. ध्यान: कमला देवी का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपकी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।
8. प्रसाद: नैवेद्य के रूप में फल, मिठाई और नारियल अर्पित करें।
9. अंतिम प्रार्थना: मंत्र जाप के बाद देवी को धन्यवाद दें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

सामग्री (समाग्री)

1. पीले वस्त्र
2. आसन (पीले वस्त्र का)
3. दीपक और तेल
4. माचिस
5. अगरबत्ती
6. नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल)
7. फूल (कमल के)
8. चंदन
9. कुमकुम
10. माला (कमलगट्टा)

कमला मंत्र के लाभ

1. धन-संपत्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
2. संपन्नता: जीवन में समृद्धि और ऐश्वर्य का संचार होता है।
3. सौभाग्य: सौभाग्य और खुशहाली का आगमन होता है।
4. व्यवसाय में सफलता: व्यवसाय में वृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
5. आर्थिक स्थिरता: आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा प्राप्त होती है।
6. विवाह में सफलता: विवाह और दाम्पत्य जीवन में सुख-शांति मिलती है।
7. मनोकामना पूर्ण: सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
8. स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
9. शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
10. रोग निवारण: सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
11. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
12. ज्ञान: विद्या और ज्ञान की वृद्धि होती है।
13. आकर्षण: व्यक्ति में आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
14. साहस: साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
15. सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
16. योग्यता: जीवन में योग्यता और सफलता प्राप्त होती है।
17. भय निवारण: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
18. पारिवारिक सुख: पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
19. आध्यात्मिक ज्ञान: आध्यात्मिक ज्ञान और समझ बढ़ती है।
20. विजय: जीवन के सभी क्षेत्रों में विजय प्राप्त होती है।

उपयुक्त दिन और अवधि

दिन: शुक्रवार का दिन विशेष रूप से कमला देवी की पूजा के लिए उपयुक्त है।
अवधि: 40 दिनों तक नियमित रूप से मंत्र जाप करें।

 सावधानियाँ

1. शुद्धता: शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा के स्थान को स्वच्छ रखें।
2. नियमितता: नियमित रूप से और निश्चित समय पर पूजा करें।
3. व्रत: यदि संभव हो, तो पूजा के दिन व्रत रखें।
4. मन की एकाग्रता: पूजा के समय मन को एकाग्र रखें और अनावश्यक विचारों को दूर करें।
5. शुद्ध उच्चारण: मंत्र का उच्चारण शुद्ध और सही तरीके से करें।
6. नकारात्मकता से दूर: पूजा के समय और उसके बाद नकारात्मक विचारों और कार्यों से दूर रहें।
7. संकल्प: पूजा करते समय अपने संकल्प को दृढ़ और स्पष्ट रखें।
8. सामग्री की शुद्धता: पूजा सामग्री को शुद्ध और ताजा रखें।
9. स्नेह और श्रद्धा: पूजा करते समय स्नेह और श्रद्धा का भाव बनाए रखें।
10. धैर्य: लाभ प्राप्ति के लिए धैर्य रखें और निरंतरता बनाए रखें।
11. आहार: पूजा के दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और मांसाहार, शराब आदि से बचें।
12. वाणी: पूजा के दिन वाणी पर संयम रखें और झूठ, अपशब्दों से बचें।
13. मंत्र का सही उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही ढंग से और शुद्धता के साथ करें।
14. समय का पालन: पूजा और मंत्र जाप का समय निश्चित रखें और उसे नियमित रूप से पालन करें।
15. देवी के प्रति समर्पण: पूजा करते समय पूर्ण समर्पण और आस्था के साथ करें।
16. आसन का उपयोग: हमेशा एक ही आसन का उपयोग करें और उसे शुद्ध और पवित्र रखें।
17. दीपक जलाएं: पूजा के समय दीपक जलाना अनिवार्य है, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
18. दिशा का ध्यान: पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
19. सकारात्मक विचार: पूजा के दौरान और उसके बाद सकारात्मक विचारों को बनाए रखें।
20. नियमों का पालन: पूजा के सभी नियमों और विधियों का पालन करें।

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महाविद्या कमला मंत्र के सामान्य प्रश्न 

1. महाविद्या कमला देवी कौन हैं?
महाविद्या कमला देवी को लक्ष्मी का तांत्रिक रूप माना जाता है। वे धन, समृद्धि, ऐश्वर्य और सौभाग्य की देवी हैं। कमला देवी का मंत्र जाप व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि, सौभाग्य, और सुख-शांति प्रदान करता है।

2. कमला देवी मंत्र का क्या महत्व है?
कमला देवी मंत्र का जाप करने से भक्तों को धन-संपत्ति, समृद्धि, सुख-शांति, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह मंत्र जीवन में आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है।

3. कमला देवी की पूजा के लिए सबसे उत्तम दिन कौन सा है?
कमला देवी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा करने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

4. कमला देवी की पूजा के दौरान किन वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए?
पूजा के दौरान पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। पीला रंग लक्ष्मी देवी का प्रिय रंग है और इसे शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

5. कमला देवी मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?
कमला देवी मंत्र जाप की अवधि 40 दिनों तक नियमित रूप से की जानी चाहिए। इससे भक्त को देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

6. कमला देवी की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
कमला देवी की पूजा के लिए पीले वस्त्र, दीपक, तेल, माचिस, अगरबत्ती, नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल), फूल (कमल के), चंदन, कुमकुम, और कमलगट्टा माला आवश्यक है।

7. कमला देवी की पूजा के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
पूजा के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें, मन को एकाग्र रखें, सकारात्मक विचार बनाए रखें, और देवी के प्रति पूर्ण समर्पण और आस्था के साथ पूजा करें।

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अंत मे

अ कमला देवी की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। उनकी कृपा से जीवन की सभी बाधाओं का निवारण होता है और सफलता, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है। यह मंत्र साधना भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा और आस्था का संचार करती है। कमला देवी की पूजा और मंत्र जाप से मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और सुरक्षा की प्राप्ति होती है। भक्तों को नकारात्मक शक्तियों और बुरी ऊर्जा से रक्षा मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

Bagalamukhi mantra for hidden enemy

Bagalamukhi mantra for hidden enemy

पे शत्रुओ से बचाने वाली माता बगलामुखी

बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं। इनकी पूजा शत्रु पर विजय प्राप्त करने, वाद-विवाद में सफलता पाने, और मोह-माया से मुक्ति पाने के लिए की जाती है।बगलामुखी देवी को हिन्दू धर्म में दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। इन्हें विशेष रूप से शत्रुओं को नियंत्रित करने और वाणी की रक्षा करने के लिए पूजा जाता है। बगलामुखी मंत्र का उच्चारण करने से शत्रुओं की शक्ति कम होती है और उनके प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

स्वरूप

  • बगलामुखी माता को पीले रंग की वस्त्र पहने हुए, कमल के आसन पर विराजमान दर्शाया जाता है। उनके दाहिने हाथ में गदा और बाएं हाथ में वरद मुद्रा होती है।
  • देवी की शक्ति को स्तंभन शक्ति कहा जाता है, जिसके द्वारा वे शत्रुओं को स्तंभित कर देती हैं. ये अपने भक्त को षडयंत्र व शत्रुओ से बचाकर मनोकामना पूर्ण करती है.

बगलामुखी मंत्र

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।

OM HLREEM BAGALAMUKHI SARVA DUSHTAANAAM VAACHAM MUKHAM PADAM STAMBHAY JEEVHAA KEELAY BUDDHI VINAASHAY HLREEM OM SVAHA.

विधि

1. प्रारंभिक तैयारी

– स्वच्छ स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
– पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहाँ एक पीला वस्त्र बिछाएं।
– बगलामुखी यंत्र को पीले वस्त्र पर स्थापित करें।

2. सामग्री की व्यवस्था

– पीले फूल, पीली चंदन, पीला वस्त्र, पीले मिष्ठान्न।
– धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), कलश, नारियल, और अक्षत (चावल)।
– पीले आसन पर बैठकर पूजा करें।

3. पूजा विधि

– सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान करें और उनका पूजन करें।
– इसके बाद बगलामुखी देवी का ध्यान करें और यंत्र की स्थापना करें।
– धूप, दीप, नैवेद्य, और पुष्प अर्पित करें।
– बगलामुखी मंत्र का 108 बार जाप करें।

सामग्री

– पीले फूल, – पीले वस्त्र
– पीले मिष्ठान्न
– धूप
– दीपक
– नैवेद्य
– कलश
– नारियल
– अक्षत

लाभ

1. शत्रुओं से रक्षा
2. वाणी की सुरक्षा
3. कोर्ट केस में विजय
4. आत्मविश्वास में वृद्धि
5. मानसिक शांति
6. व्यापार में सफलता
7. आर्थिक स्थिति में सुधार
8. परिवारिक समस्याओं का समाधान
9. रोगों से मुक्ति
10. भय से मुक्ति
11. किसी भी प्रकार के संकट से रक्षा
12. आध्यात्मिक उन्नति
13. जीवन में स्थिरता
14. विपरीत परिस्थितियों में विजय
15. शत्रुओं की नकारात्मकता से बचाव
16. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार
17. आत्म-नियंत्रण में वृद्धि
18. मनोवांछित फल की प्राप्ति
19. शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि
20. कार्यों में सफलता

दिन और अवधि

बगलामुखी मंत्र का जाप विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को करना शुभ माना जाता है। मंत्र जाप की अवधि कम से कम 40 दिन होनी चाहिए। इस अवधि के दौरान नियमित रूप से जाप करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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सावधानियां

1. शुद्धता: मंत्र जाप के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
2. भोजन: सात्विक भोजन का सेवन करें और तामसिक भोजन से बचें।
3. समय: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जाप करें।
4. स्थान: जाप का स्थान शांत और स्वच्छ होना चाहिए।
5. आसन: पीले वस्त्र का आसन प्रयोग करें।
6. संयम: जाप के दौरान संयम और अनुशासन का पालन करें।
7. एकाग्रता: मंत्र जाप के दौरान मन को एकाग्र रखें।
8. संख्या: मंत्र जाप की संख्या 108 बार करें।
9. मौन: जाप के बाद कुछ समय मौन रहकर ध्यान करें।
10. विश्वास: पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ मंत्र का जाप करें।

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बगलामुखी मंत्र FAQ

1. बगलामुखी देवी कौन हैं?
बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें विशेष रूप से शत्रुओं को नियंत्रित करने और वाणी की रक्षा करने के लिए पूजा जाता है।

2. बगलामुखी मंत्र क्या है?
बगलामुखी मंत्र है:
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।

3. बगलामुखी मंत्र का क्या महत्व है?
बगलामुखी मंत्र का उच्चारण करने से शत्रुओं की शक्ति कम होती है और उनके प्रभाव से मुक्ति मिलती है। यह वाणी की रक्षा करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

4. मंत्र जाप के लिए कौन से दिन शुभ माने जाते हैं?
बगलामुखी मंत्र का जाप विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को करना शुभ माना जाता है।

5. बगलामुखी मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?
मंत्र जाप की अवधि कम से कम 40 दिन होनी चाहिए। इस अवधि के दौरान नियमित रूप से जाप करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

6. क्या बगलामुखी मंत्र जाप से कोर्ट केस में विजय प्राप्त हो सकती है?
हां, बगलामुखी मंत्र जाप से कोर्ट केस में विजय प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है।

7. क्या बगलामुखी मंत्र जाप व्यापार में सफलता दिला सकता है?
हां, बगलामुखी मंत्र जाप से व्यापार में सफलता और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।

8. बगलामुखी मंत्र जाप के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
– शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
– सात्विक भोजन का सेवन करें।
– प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जाप करें।
– मंत्र जाप के दौरान मन को एकाग्र रखें।

9. क्या बगलामुखी मंत्र जाप से रोगों से मुक्ति मिल सकती है?
हां, बगलामुखी मंत्र जाप से रोगों से मुक्ति और शारीरिक एवं मानसिक शक्ति में वृद्धि हो सकती है।

Mahakali mantra for attraction & protection

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रक्षा व आकर्षण के लिये काली मंत्र

सुरक्षा व आर्थिक उन्नति प्रदान करने वाली महाकाली का ये मंत्र जीवन मे आने वाली सभी बाधायें कमोयों को नष्ट करता है। ये माता १० महाविद्या मे से पृथम महाविद्या मानी जाती है. इनकी पूजा से हर तरह की विघ्न बाधा, नजर,  शत्रु बाधा, तंत्र बाधा से मुक्ति मिलती है, वही दिनो दिन आकर्षण शक्ति बढती है. काली देवी को शक्ति, समय और परिवर्तन की देवी माना जाता है। वह मां दुर्गा का एक उग्र रूप हैं और बुराई, नकारात्मक ऊर्जा और अज्ञानता का नाश करती हैं। काली मंत्र का जाप भक्तों को असीम शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

महाकाली मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र: ॥ॐ क्रीं कालिके क्रीं फट्ट॥

  • ” ब्रह्मांड का पृथम शब्द
  • क्रीं‘ काली बीज, शक्ति मंत्र
  • कालिके” महाकाली
  • फट्ट” शक्ति बढाने वाली

काली मंत्र विधि

1. स्थान: साफ-सुथरे और शांत स्थान पर पूजा करें।
2. समय: रात का समय (मध्य रात्रि) काली पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
3. स्नान: शुद्ध स्नान करके स्वच्छ काले वस्त्र पहनें।
4. आसन: काले वस्त्र का आसन बिछाएं और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
5. आह्वान: दीपक जलाकर काली देवी का आह्वान करें।
6. मंत्र जाप: मंत्र का उच्चारण मन में शांति और एकाग्रता के साथ करें। माला (रुद्राक्ष या चंदन) से 108 बार जाप करें।
7. ध्यान: काली देवी का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपकी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।
8. प्रसाद: नैवेद्य के रूप में फल, मिठाई और नारियल अर्पित करें।
9. अंतिम प्रार्थना: मंत्र जाप के बाद देवी को धन्यवाद दें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

सामग्री (समाग्री)

1. काले वस्त्र
2. आसन (काले वस्त्र का)
3. दीपक और तेल
4. माचिस
5. अगरबत्ती
6. नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल)
7. फूल (लाल या काले)
8. चंदन
9. कुमकुम
10. माला (रुद्राक्ष या चंदन)

काली मंत्र के लाभ

1. आध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।
2. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
3. शारीरिक स्वास्थ्य: शरीर में ऊर्जा और स्वास्थ्य का संचार होता है।
4. बाधाओं से मुक्ति: जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
5. आकर्षण: व्यक्ति में आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
6. साहस: साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
7. सुरक्षा: दुश्मनों और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
8. धन-संपत्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
9. विद्या प्राप्ति: विद्या और ज्ञान की वृद्धि होती है।
10. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
11. रोग निवारण: सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
12. मनोकामना पूर्ण: सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
13. योग्यता: जीवन में योग्यता और सफलता प्राप्त होती है।
14. भय निवारण: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
15. समृद्धि: समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है।
16. पारिवारिक सुख: पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
17. आध्यात्मिक ज्ञान: आध्यात्मिक ज्ञान और समझ बढ़ती है।
18. दिव्य दृष्टि: दिव्य दृष्टि और अंतर्ज्ञान की प्राप्ति होती है।
19. भूत-प्रेत बाधा: भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
20. विजय: जीवन के सभी क्षेत्रों में विजय प्राप्त होती है।

उपयुक्त दिन और अवधि

दिन: अमावस्या और काली चौदस (दीपावली के दिन) काली देवी की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं।
अवधि: 40 दिनों तक नियमित रूप से मंत्र जाप करें।

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सावधानियाँ

1. शुद्धता: शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा के स्थान को स्वच्छ रखें।
2. नियमितता: नियमित रूप से और निश्चित समय पर पूजा करें।
3. व्रत: यदि संभव हो, तो पूजा के दिन व्रत रखें।
4. मन की एकाग्रता: पूजा के समय मन को एकाग्र रखें और अनावश्यक विचारों को दूर करें।
5. शब्दों की पवित्रता: मंत्र का उच्चारण शुद्ध और सही तरीके से करें।
6. नकारात्मकता से दूर: पूजा के समय और उसके बाद नकारात्मक विचारों और कार्यों से दूर रहें।
7. संकल्प: पूजा करते समय अपने संकल्प को दृढ़ और स्पष्ट रखें।
8. सामग्री की शुद्धता: पूजा सामग्री को शुद्ध और ताजा रखें।
9. स्नेह और श्रद्धा: पूजा करते समय स्नेह और श्रद्धा का भाव बनाए रखें।
10. धैर्य: लाभ प्राप्ति के लिए धैर्य रखें और निरंतरता बनाए रखें।
11. आहार: पूजा के दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और मांसाहार, शराब आदि से बचें।
12. वाणी: पूजा के दिन वाणी पर संयम रखें और झूठ, अपशब्दों से बचें।
13. मंत्र का सही उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही ढंग से और शुद्धता के साथ करें।
14. समय का पालन: पूजा और मंत्र जाप का समय निश्चित रखें और उसे नियमित रूप से पालन करें।
15. देवी के प्रति समर्पण: पूजा करते समय पूर्ण समर्पण और आस्था के साथ करें।
16. आसन का उपयोग: हमेशा एक ही आसन का उपयोग करें और उसे शुद्ध और पवित्र रखें।
17. दीपक जलाएं: पूजा के समय दीपक जलाना अनिवार्य है, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
18. दिशा का ध्यान: पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।

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काली मंत्र:  (सामान्य प्रश्न)

1. काली देवी कौन हैं?
काली देवी को शक्ति, समय और परिवर्तन की देवी माना जाता है। वह मां दुर्गा का उग्र रूप हैं और नकारात्मकता, अज्ञानता और बुराई का नाश करती हैं।

2. काली देवी का प्रमुख मंत्र क्या है?
काली देवी का प्रमुख मंत्र है:
ॐ क्रीं कालीकायै नमः।

3. काली मंत्र का जाप कब और कैसे करना चाहिए?
रात का समय (विशेषकर मध्य रात्रि) काली मंत्र जाप के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में भी जाप किया जा सकता है।

4. काली मंत्र जाप की विधि क्या है?
1. साफ-सुथरे स्थान पर स्नान करके स्वच्छ काले वस्त्र पहनें।
2. काले वस्त्र का आसन बिछाएं और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
3. दीपक जलाकर काली देवी का आह्वान करें।
4. माला से 108 बार मंत्र का जाप करें।
5. काली देवी का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें।
6. नैवेद्य अर्पित करें।
7. अंतिम प्रार्थना करके देवी को धन्यवाद दें।

5. काली देवी मंत्र जाप के लिए उपयुक्त दिन कौन से हैं?
अमावस्या और काली चौदस (दीपावली के दिन) काली देवी की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं।

6. काली मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?
काली मंत्र जाप की अवधि 40 दिनों तक नियमित रूप से होनी चाहिए।

7. मंत्र जाप करते समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
1. शुद्धता का ध्यान रखें।
2. नियमित रूप से पूजा करें।
3. पूजा के दिन व्रत रखें।
4. मन को एकाग्र रखें।
5. मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें।
6. नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
7. संकल्प को दृढ़ रखें।
8. सामग्री को शुद्ध और ताजा रखें।
9. स्नेह और श्रद्धा का भाव बनाए रखें।
10. धैर्य रखें और निरंतरता बनाए रखें।

8. क्या काली मंत्र जाप से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं?
काली देवी मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। हालांकि, धैर्य और निरंतरता आवश्यक है।

9. मंत्र जाप के दौरान क्या व्रत रखना अनिवार्य है?
व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि संभव हो तो पूजा के दिन व्रत रखें। इससे पूजा का प्रभाव बढ़ता है।

Yogamaya Devi mantra for wealth & protection

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योगमाया प्रयोग- भौतिक सुख प्रदान करने वाली

माता योग माया भगवान विष्णु का अंश व भगवान श्रीकृष्ण की बडी बहन मानी जाती है. भक्तो की भौतिक सुख से संबंधित सभी तरह की मनोकामना पूरी करती है. इसके अलावा ये शत्रु व नजर बाधा से बचाती है. योगमाया देवी को परम शक्ति और भगवान श्रीकृष्ण की योगमाया कहा जाता है। उन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। योगमाया देवी की आराधना से भक्त को आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।

योगमाया देवी मंत्र

॥ॐ ह्रीं योगमाये सर्वत्र रक्षणं देही देही स्वाहा॥ OM HREEM YOGMAAYE SARVATRA RAKSHANAM DEHI DEHI SVAHA.

योगमाया देवी मंत्र विधि

  1. स्थान: साफ-सुथरे और शांत स्थान पर पूजा करें।
  2. समय: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) सबसे अच्छा समय माना जाता है।
  3. स्नान: शुद्ध स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  4. आसन: लाल वस्त्र का आसन बिछाएं और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  5. आह्वान: दीपक जलाकर योगमाया देवी का आह्वान करें।
  6. मंत्र जाप: मंत्र का उच्चारण मन में शांति और एकाग्रता के साथ करें। माला (रुद्राक्ष या स्फटिक) से 108 बार जाप करें।
  7. ध्यान: योगमाया देवी का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपकी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।
  8. प्रसाद: नैवेद्य के रूप में फल, मिठाई और नारियल अर्पित करें।
  9. अंतिम प्रार्थना: मंत्र जाप के बाद देवी को धन्यवाद दें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

सामग्री (समाग्री)

  1. लाल वस्त्र
  2. आसन
  3. दीपक और तेल
  4. माचिस
  5. अगरबत्ती
  6. नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल)
  7. फूल
  8. चंदन
  9. कुमकुम
  10. माला (रुद्राक्ष या स्फटिक)

योगमाया देवी मंत्र के लाभ

  1. आध्यात्मिक शक्ति: आध्यात्मिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।
  2. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  3. शारीरिक स्वास्थ्य: शरीर में ऊर्जा और स्वास्थ्य का संचार होता है।
  4. बाधाओं से मुक्ति: जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  5. आकर्षण: व्यक्ति में आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
  6. सुख-शांति: घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
  7. धन-संपत्ति: धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  8. विद्या प्राप्ति: विद्या और ज्ञान की वृद्धि होती है।
  9. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  10. रोग निवारण: सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  11. दुश्मनों से रक्षा: दुश्मनों से सुरक्षा मिलती है।
  12. मनोकामना पूर्ण: सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  13. योग्यता: जीवन में योग्यता और सफलता प्राप्त होती है।
  14. साहस: साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  15. भय निवारण: सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  16. समृद्धि: समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है।
  17. पारिवारिक सुख: पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  18. आध्यात्मिक ज्ञान: आध्यात्मिक ज्ञान और समझ बढ़ती है।
  19. शांति: मन की शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  20. दिव्य दृष्टि: दिव्य दृष्टि और अंतर्ज्ञान की प्राप्ति होती है।

उपयुक्त दिन और अवधि

  • दिन: मंगलवार और शुक्रवार योगमाया देवी की पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं।
  • अवधि: 40 दिनों तक नियमित रूप से मंत्र जाप करें।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता: शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। पूजा के स्थान को स्वच्छ रखें।
  2. नियमितता: नियमित रूप से और निश्चित समय पर पूजा करें।
  3. व्रत: यदि संभव हो, तो पूजा के दिन व्रत रखें।
  4. मन की एकाग्रता: पूजा के समय मन को एकाग्र रखें और अनावश्यक विचारों को दूर करें।
  5. शब्दों की पवित्रता: मंत्र का उच्चारण शुद्ध और सही तरीके से करें।
  6. नकारात्मकता से दूर: पूजा के समय और उसके बाद नकारात्मक विचारों और कार्यों से दूर रहें।
  7. संकल्प: पूजा करते समय अपने संकल्प को दृढ़ और स्पष्ट रखें।
  8. सामग्री की शुद्धता: पूजा सामग्री को शुद्ध और ताजा रखें।
  9. स्नेह और श्रद्धा: पूजा करते समय स्नेह और श्रद्धा का भाव बनाए रखें।
  10. धैर्य: लाभ प्राप्ति के लिए धैर्य रखें और निरंतरता बनाए रखें।

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योगमाया देवी मंत्र FAQ

1. योगमाया देवी कौन हैं?

योगमाया देवी भगवान श्रीकृष्ण की योगमाया और देवी दुर्गा का अवतार मानी जाती हैं। वह परम शक्ति का प्रतीक हैं और उनकी आराधना से आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।

2. योगमाया देवी का मंत्र क्या है?

योगमाया देवी का मंत्र है:

ॐ ह्रीं योगमायायै नमः।

3. योगमाया देवी मंत्र का जाप किस समय करना चाहिए?

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में मंत्र जाप करना सर्वोत्तम माना जाता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है, जिससे ध्यान में आसानी होती है।

4. मंत्र जाप के लिए आवश्यक सामग्री क्या है?

मंत्र जाप के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • लाल वस्त्र
  • आसन
  • दीपक और तेल
  • माचिस
  • अगरबत्ती
  • नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल)
  • फूल
  • चंदन
  • कुमकुम
  • माला (रुद्राक्ष या स्फटिक)

5. मंत्र जाप की विधि क्या है?

  1. साफ-सुथरे स्थान पर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. लाल वस्त्र का आसन बिछाएं और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  3. दीपक जलाकर योगमाया देवी का आह्वान करें।
  4. मंत्र का उच्चारण माला से 108 बार करें।
  5. योगमाया देवी का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें।
  6. नैवेद्य अर्पित करें।
  7. अंतिम प्रार्थना करके देवी को धन्यवाद दें।

6. योगमाया देवी मंत्र के जाप से कौन-कौन से लाभ प्राप्त होते हैं?

योगमाया देवी मंत्र के अनेकों लाभ है जैसे कि…

  1. आध्यात्मिक शक्ति
  2. मानसिक शांति
  3. शारीरिक स्वास्थ्य
  4. बाधाओं से मुक्ति
  5. आकर्षण शक्ति
  6. सुख-शांति
  7. धन-संपत्ति
  8. विद्या प्राप्ति
  9. संतान सुख
  10. रोग निवारण
  11. दुश्मनों से रक्षा
  12. मनोकामना पूर्ण
  13. योग्यता और सफलता
  14. साहस और आत्मविश्वास
  15. भय निवारण
  16. समृद्धि
  17. पारिवारिक सुख
  18. आध्यात्मिक ज्ञान
  19. मन की शांति
  20. दिव्य दृष्टि

7. योगमाया देवी मंत्र जाप के लिए उपयुक्त दिन कौन से हैं?

मंगलवार और शुक्रवार योगमाया देवी की पूजा के लिए शुभ माने जाते हैं।

8. मंत्र जाप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

मंत्र जाप की अवधि 40 दिनों तक नियमित रूप से होनी चाहिए। इस दौरान प्रतिदिन जाप करें।

9. मंत्र जाप करते समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?

  1. शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. नियमित रूप से पूजा करें।
  3. पूजा के दिन व्रत रखें।
  4. मन को एकाग्र रखें।
  5. मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें।
  6. नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  7. संकल्प को दृढ़ रखें।
  8. सामग्री को शुद्ध और ताजा रखें।
  9. स्नेह और श्रद्धा का भाव बनाए रखें।
  10. धैर्य रखें और निरंतरता बनाए रखें।

10. क्या योगमाया देवी मंत्र जाप से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं?

योगमाया देवी मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। हालांकि, धैर्य और निरंतरता आवश्यक है।

11. मंत्र जाप के दौरान क्या व्रत रखना अनिवार्य है?

व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि संभव हो तो पूजा के दिन व्रत रखें। इससे पूजा का प्रभाव बढ़ता है।

12. क्या मंत्र जाप के लिए विशेष माला का उपयोग करना चाहिए?

हाँ, मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग करना शुभ माना जाता है। यह माला ऊर्जा और ध्यान को बढ़ाती है।

13. क्या योगमाया देवी की पूजा के लिए कोई विशेष दिन होता है?

मंगलवार और शुक्रवार योगमाया देवी की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं। इन दिनों में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

14. क्या पूजा के समय दिशा का ध्यान रखना जरूरी है?

हाँ, पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ होता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

15. क्या योगमाया देवी की पूजा से मानसिक तनाव दूर होता है?

हाँ, योगमाया देवी की पूजा और मंत्र जाप से मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है, जिससे मन को शांति मिलती है।

16. क्या पूजा के बाद प्रसाद का सेवन करना चाहिए?

हाँ, पूजा के बाद प्रसाद का सेवन करना शुभ होता है। इससे देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

17. क्या पूजा के समय परिवार के अन्य सदस्य भी उपस्थित हो सकते हैं?

हाँ, परिवार के अन्य सदस्य भी पूजा में शामिल हो सकते हैं। इससे सामूहिक रूप से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

18. क्या योगमाया देवी की पूजा से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है?

हाँ, योगमाया देवी की पूजा से धन-संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी की कृपा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

19. क्या पूजा के दौरान कोई विशेष भजन या स्तुति गाई जा सकती है?

हाँ, पूजा के दौरान योगमाया देवी के भजन या स्तुति गाई जा सकती है। इससे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

20. क्या योगमाया देवी की पूजा के बाद विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?

हाँ, पूजा के बाद शुद्धता, स्नेह, और श्रद्धा का पालन करें। नकारात्मक विचारों और कार्यों से दूर रहें और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

योगमाया देवी की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। उनकी कृपा से जीवन की सभी बाधाओं का निवारण होता है और सफलता, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है। यह मंत्र साधना भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा और आस्था का संचार करती है।

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हर तरह के शत्रु व तंत्र बाधा के लिये

पंचमुखी हनुमान भगवान हनुमान का विशेष रूप है. ये चारो दिशाओ से विघ्न बाधा, तंत्र प्रभाव को नष्ट करते है. जिसके ५ मुख होते हैं. और ये पांच मुख हैं क्रमशः..

  • वानर (बंदर) – पूर्व दिशा की ओर मुख करके, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
  • गरुड़ – पश्चिम दिशा की ओर मुख करके, जो ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक है।
  • वराह – उत्तर दिशा की ओर मुख करके, जो समृद्धि और भौतिक लाभ का प्रतीक है।
  • नरसिंह – दक्षिण दिशा की ओर मुख करके, जो सुरक्षा और शक्ति का प्रतीक है।
  • हय (घोड़ा) – ऊपर की ओर मुख करके, जो आध्यात्मिकता और मोक्ष का प्रतीक है।

मंत्र

मंत्र: “ॐ नमो भगवते पंचमुखाय हनुमते रुद्राय महाबलाय स्वाहा।”

पंचमुखी हनुमान लाभ

  1. शत्रुओं का नाश
  2. भय से मुक्ति
  3. मानसिक शांति
  4. आत्मविश्वास में वृद्धि
  5. रोगों से मुक्ति
  6. शारीरिक शक्ति की प्राप्ति
  7. आध्यात्मिक उन्नति
  8. बाधाओं का निवारण
  9. सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  10. कार्यों में सफलता
  11. धन की प्राप्ति
  12. पारिवारिक सुख
  13. संतान सुख
  14. विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान
  15. विद्या में उन्नति
  16. कर्ज से मुक्ति
  17. यात्रा में सुरक्षा
  18. व्यापार में वृद्धि
  19. समृद्धि की प्राप्ति
  20. जीवन में संतुलन

पंचमुखी हनुमान विधि

  1. प्रतिदिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।
  3. दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  4. लाल या पीले फूल अर्पित करें।
  5. भगवान हनुमान को चंदन, सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
  6. पंचमुखी हनुमान मंत्र “ॐ नमो भगवते पंचमुखाय हनुमते रुद्राय महाबलाय स्वाहा” का 108 बार जाप करें।
  7. अंत में हनुमान जी की आरती करें।
  8. भगवान हनुमान को गुड़ और चने का भोग लगाएं।

अवधि

  • मंत्र जाप की अवधि 21 दिनों से 40 दिनों तक रखी जा सकती है।
  • प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जाप करना चाहिए।

दिन

  • मंत्र जाप किसी भी दिन प्रारंभ किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

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पंचमुखी हनुमान सावधानियाँ

  1. मंत्र जाप के दौरान शुद्धता और पवित्रता का पालन करें।
  2. स्वच्छ और शांतिपूर्ण वातावरण में मंत्र जाप करें।
  3. मन को एकाग्रचित्त रखें और पूर्ण विश्वास के साथ मंत्र जाप करें।
  4. मंत्र जाप के दौरान नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. उचित नियमों और विधियों का पालन करें।
  6. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंत्र जाप से बचना चाहिए।
  7. शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करें।
  8. शराब और मांसाहार से दूर रहें।
  9. अनुशासन और नियमितता का पालन करें।
  10. मंत्र जाप के बाद हनुमान जी की आरती और भोग अवश्य करें।

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यहाँ पंचमुखी हनुमान मंत्र से जुड़े कुछ सामान्य प्रश्न और उनके उत्तर

1. पंचमुखी हनुमान कौन हैं?

  • उत्तर: पंचमुखी हनुमान भगवान हनुमान के पाँच मुखों वाले रूप को कहा जाता है। यह पाँच मुख क्रमशः हनुमान, गरुड़, वराह, नृसिंह और हयग्रीव हैं, जो विभिन्न दिशाओं और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

2. पंचमुखी हनुमान का महत्व क्या है?

  • उत्तर: पंचमुखी हनुमान का रूप अत्यंत शक्तिशाली और सुरक्षा प्रदान करने वाला माना जाता है। यह रूप विशेष रूप से तंत्र, बाधाओं, और बुरी शक्तियों के नाश के लिए पूजनीय है।

3. पंचमुखी हनुमान मंत्र क्या है?

  • उत्तर: पंचमुखी हनुमान मंत्र “ॐ नमो भगवते पञ्चवदनाय कामरूपाय, करालबदनाय रुद्रय, नरसिंहाय, स्वाहा” है। इस मंत्र का जाप पंचमुखी हनुमान की कृपा और सुरक्षा के लिए किया जाता है।

4. पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप कब और कैसे करना चाहिए?

  • उत्तर: पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। मंत्र का जाप सुबह या शाम के समय शांत और पवित्र स्थान पर करना चाहिए।

5. क्या पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है?

  • उत्तर: हाँ, पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन ब्रह्ममुहूर्त और संध्या के समय इसे विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है।

6. पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से क्या लाभ होता है?

  • उत्तर: इस मंत्र का जाप करने से बुरी शक्तियों और बाधाओं से रक्षा होती है, मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है, और भय, शत्रुओं, और तंत्र-मंत्र से मुक्ति मिलती है।

7. पंचमुखी हनुमान का कौन-कौन सा मुख किस दिशा का प्रतीक है?

  • उत्तर: पंचमुखी हनुमान के पाँच मुख निम्नलिखित दिशाओं और शक्तियों का प्रतीक हैं:
  • हनुमान मुख (पूर्व): विजय और शक्ति का प्रतीक।
  • नृसिंह मुख (दक्षिण): भय और शत्रुओं का नाश।
  • गरुड़ मुख (पश्चिम): संकटों और विष से रक्षा।
  • वराह मुख (उत्तर): समृद्धि और संपत्ति का संरक्षण।
  • हयग्रीव मुख (ऊपर): ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति।
8. क्या पंचमुखी हनुमान की पूजा विशेष अवसरों पर की जाती है?
  • उत्तर: हाँ, पंचमुखी हनुमान की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि, हनुमान जयंती, और संकटमोचन हनुमान की विशेष पूजा के अवसर पर की जाती है।

9. क्या पंचमुखी हनुमान की पूजा तांत्रिक प्रक्रियाओं में की जाती है?

  • उत्तर: हाँ, पंचमुखी हनुमान की पूजा तांत्रिक प्रक्रियाओं और साधनाओं में की जाती है, क्योंकि यह रूप बुरी शक्तियों और तंत्र-मंत्र से रक्षा के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

10. क्या पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप विशेष संख्या में करना चाहिए?

  • उत्तर: पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप 108, 1008, या आपकी श्रद्धा के अनुसार संख्या में किया जा सकता है। माला का उपयोग करके जाप करना भी उत्तम होता है।

11. पंचमुखी हनुमान की मूर्ति या चित्र को कहाँ स्थापित करना चाहिए?

  • उत्तर: पंचमुखी हनुमान की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल या घर के मुख्य दरवाजे के ऊपर स्थापित करना शुभ माना जाता है, ताकि घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश न कर सके।

12. क्या पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है?

  • उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जाप मानसिक शांति, आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।

13. क्या पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए?

  • उत्तर: अगर गुरु का मार्गदर्शन उपलब्ध हो, तो यह मंत्र अधिक प्रभावी हो सकता है। हालाँकि, व्यक्ति स्वयं भी श्रद्धा और समर्पण के साथ इस मंत्र का जाप कर सकता है।

14. क्या पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है?

  • उत्तर: हाँ, पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप शत्रुओं, बुरी शक्तियों, और अन्य नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।

15. क्या पंचमुखी हनुमान मंत्र का जाप करते समय किसी विशेष विधि का पालन करना चाहिए?

  • उत्तर: मंत्र जाप करते समय पवित्रता, एकाग्रता और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हनुमानजी के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ मंत्र का जाप करने से अधिक लाभ मिलता है।

Hanuman mantra psychical & mental power

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मनोकामना पूर्ण करने वाला हनुमान मंत्र बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। इन मंत्रों का विधिवत् जप मनुष्य की सभी इच्छाओं की पुर्ति करता है।

इनकी शक्तियां

हनुमान जी अत्यंत बलशाली और शक्तिशाली थे. उनके पास अद्भुत ज्ञान और बुद्धि थी. यही कारण है कि हनुमान भक्त को शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक शक्ति के साथ हर तरह की नकारात्मक उर्जा को नष्ट करने की क्षमता भी मिलती है.

हनुमान मंत्रः ॥ॐ हं हनुमंते हं नमः॥

लाभ

  1. भय से मुक्ति
  2. शत्रुओं पर विजय
  3. मानसिक शांति
  4. आत्मविश्वास में वृद्धि
  5. रोगों से मुक्ति
  6. शारीरिक शक्ति की प्राप्ति
  7. आध्यात्मिक उन्नति
  8. बाधाओं का निवारण
  9. सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  10. जीवन में सफलता
  11. धन की प्राप्ति
  12. पारिवारिक सुख
  13. संतान सुख
  14. विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान
  15. विद्या में उन्नति
  16. कर्ज से मुक्ति
  17. यात्रा में सुरक्षा
  18. व्यापार में वृद्धि
  19. समृद्धि की प्राप्ति
  20. जीवन में संतुलन

विधि

  1. प्रतिदिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान हनुमान की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।
  3. दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  4. लाल या पीले फूल अर्पित करें।
  5. भगवान हनुमान को चंदन, सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
  6. हनुमान मंत्र “ॐ हनुमते नमः” का 108 बार जाप करें।
  7. अंत में हनुमान जी की आरती करें।
  8. भगवान हनुमान को गुड़ और चने का भोग लगाएं।

अवधि

  • मंत्र जाप की अवधि 21 दिनों से 40 दिनों तक रखी जा सकती है।
  • प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जाप करना चाहिए।

दिन

  • मंत्र जाप किसी भी दिन प्रारंभ किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

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सावधानियाँ

  1. मंत्र जाप के दौरान शुद्धता और पवित्रता का पालन करें।
  2. स्वच्छ और शांतिपूर्ण वातावरण में मंत्र जाप करें।
  3. मन को एकाग्रचित्त रखें और पूर्ण विश्वास के साथ मंत्र जाप करें।
  4. मंत्र जाप के दौरान नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. उचित नियमों और विधियों का पालन करें।
  6. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंत्र जाप से बचना चाहिए।
  7. शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करें।
  8. शराब और मांसाहार से दूर रहें।
  9. अनुशासन और नियमितता का पालन करें।
  10. मंत्र जाप के बाद हनुमान जी की आरती और भोग अवश्य करें।

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यहाँ हनुमान मंत्र से जुड़े सामान्य प्रश्न

1. हनुमान मंत्र क्या है?

उत्तर: हनुमान मंत्र वे पवित्र शब्द होते हैं जिन्हें भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए जाप किया जाता है। ये मंत्र शास्त्रों में वर्णित हैं और भक्तों द्वारा नियमित रूप से जपे जाते हैं।

2. हनुमान मंत्र का जाप किसके लिए किया जाता है?

उत्तर: हनुमान मंत्र का जाप शक्ति, साहस, भक्ति, सुरक्षा, और बुरी शक्तियों से रक्षा के लिए किया जाता है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ करता है।

3. हनुमान मंत्र के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तर: प्रमुख हनुमान मंत्रों में हनुमान बीज मंत्र, हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक, और बजरंग बाण शामिल हैं।

4. हनुमान चालीसा क्या है?

उत्तर: हनुमान चालीसा 40 चौपाइयों का संग्रह है, जिसमें भगवान हनुमान के गुणों और वीरता का वर्णन है। यह बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है और भक्तों द्वारा नियमित रूप से गाया जाता है।

5. हनुमान बीज मंत्र क्या है?

उत्तर: हनुमान बीज मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जिसका उच्चारण भगवान हनुमान की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका जाप “ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नमः।” के रूप में किया जाता है।

6. हनुमान मंत्र का जाप किस समय करना चाहिए?

उत्तर: हनुमान मंत्र का जाप ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) और संध्या के समय करना सबसे शुभ माना जाता है। मंगलवार और शनिवार विशेष रूप से हनुमानजी के लिए समर्पित दिन माने जाते हैं।

7. क्या हनुमान मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, हनुमान मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष समयों जैसे ब्रह्ममुहूर्त और संध्या के समय इसे अधिक प्रभावी माना जाता है।

8. हनुमान मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए?

उत्तर: साफ-सुथरी जगह पर बैठकर, शुद्ध मन से, हनुमानजी के चित्र या मूर्ति के सामने मंत्र का जाप करना चाहिए। जाप माला का भी उपयोग किया जा सकता है।

9. हनुमान मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र का जाप 11, 21, 108, या 1008 बार किया जा सकता है। संख्या का चयन आपकी श्रद्धा और समय पर निर्भर करता है।

10. हनुमान मंत्र का जाप करने से क्या लाभ होता है?

उत्तर: हनुमान मंत्र का जाप करने से बाधाओं का नाश होता है, साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, बुरी शक्तियों से रक्षा होती है, और शारीरिक और मानसिक शक्ति में सुधार होता है।

11. क्या हनुमान मंत्र का जाप करने से मनोकामना पूरी होती है?

उत्तर: हनुमान मंत्र का जाप श्रद्धा और समर्पण के साथ करने से व्यक्ति की मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है। भगवान हनुमान अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करने में सहायक माने जाते हैं।

12. क्या हनुमान मंत्र का जाप करने से बुरी शक्तियों से बचाव होता है?

उत्तर: हाँ, हनुमान मंत्र का जाप बुरी शक्तियों, बुरे सपनों, और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है। यह व्यक्ति को आंतरिक और बाहरी सुरक्षा प्रदान करता है।

13. क्या हनुमान मंत्र का जाप करने के लिए किसी गुरु की आवश्यकता है?

उत्तर: हनुमान मंत्र का जाप व्यक्ति स्वयं भी कर सकता है, लेकिन अगर गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त हो तो यह अधिक प्रभावी हो सकता है।

14. क्या हनुमान मंत्र का जाप किसी विशेष स्थान पर करना आवश्यक है?

उत्तर: हनुमान मंत्र का जाप मंदिर, घर, या किसी पवित्र स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, एकांत और शांत स्थान पर जाप करने से अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।

15. क्या हनुमान मंत्र का जाप करने के बाद किसी विशेष आचरण का पालन करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जाप के बाद शांति बनाए रखना चाहिए, और हनुमानजी के प्रति श्रद्धा और भक्ति को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। दूसरों की सेवा और सहायता करना भी हनुमानजी के प्रति सच्ची भक्ति का प्रतीक है।

Durga mantra for wish & prosperity

Durga mantra for wish & prosperity

सबकी इच्छा पूरी करने वाली माता दुर्गा का दुर्गा मंत्र, बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। माता दुर्गा, जिन्हें हम शक्ति, भगवती, जगत जननी के नामों से भी जानी जाती है, हिन्दू धर्म में प्रधान देवी हैं। वे शक्ति और स्त्रीत्व का प्रतीक हैं, और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिनिधित्व करती हैं।

माता का स्वरूप

  • स्वरूप: देवी दुर्गा को अक्सर दस हाथों वाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है, जिनमें विभिन्न शस्त्र और वस्तुएं होती हैं। वे सिंह पर सवार होती हैं और उनके नौ रूप होते हैं, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।
  • उत्पत्ति: देवी दुर्गा की उत्पत्ति के बारे में कई कथाएं हैं। एक प्रसिद्ध कहानी के अनुसार, वे देवी पार्वती का ही रूप हैं, जो भगवान शिव की पत्नी हैं।
  • शक्तियां: देवी दुर्गा को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने कई राक्षसों का वध किया, जिनमें महिषासुर, रक्तबीज, और शुंभ-निशुंभ शामिल हैं।
  • दुर्गा मंत्रः ॐ दुं दुर्गाय क्लीं स्वाहा॥
  • दिनः मंगलवार, नवरात्रि

दुर्गा मंत्र

मंत्र: ॐ दुं दुर्गाय क्लीं स्वाहा॥

लाभ

  1. संकटों से मुक्ति
  2. आत्मविश्वास में वृद्धि
  3. मानसिक शांति
  4. शत्रुओं का नाश
  5. धन की प्राप्ति
  6. स्वास्थ्य लाभ
  7. आध्यात्मिक उन्नति
  8. परिवार में सुख-शांति
  9. बाधाओं का निवारण
  10. सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  11. कार्यों में सफलता
  12. संतान सुख
  13. विवाह में सफलता
  14. विद्या में उन्नति
  15. रोगों से मुक्ति
  16. कर्ज से मुक्ति
  17. यात्रा में सुरक्षा
  18. व्यापार में वृद्धि
  19. समृद्धि की प्राप्ति
  20. जीवन में संतुलन

विधि

  1. प्रतिदिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।
  3. दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  4. लाल या पीले फूल अर्पित करें।
  5. माँ दुर्गा को लाल चंदन और सिन्दूर चढ़ाएं।
  6. दुर्गा मंत्र “ॐ दुर्गायै नमः” का 108 बार जाप करें।
  7. अंत में माँ दुर्गा की आरती करें।
  8. माँ दुर्गा को मिठाई या फल का भोग लगाएं।

अवधि

  • मंत्र जाप की अवधि 21 दिनों से 40 दिनों तक रखी जा सकती है।
  • प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जाप करना चाहिए।

दिन

  • मंत्र जाप किसी भी दिन प्रारंभ किया जा सकता है, लेकिन शुक्रवार, नवमी, अष्टमी, और पूर्णिमा को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

Get mantra diksha

सावधानियाँ

  1. मंत्र जाप के दौरान शुद्धता और पवित्रता का पालन करें।
  2. स्वच्छ और शांतिपूर्ण वातावरण में मंत्र जाप करें।
  3. मन को एकाग्रचित्त रखें और पूर्ण विश्वास के साथ मंत्र जाप करें।
  4. मंत्र जाप के दौरान नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. उचित नियमों और विधियों का पालन करें।
  6. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंत्र जाप से बचना चाहिए।
  7. शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करें।
  8. शराब और मांसाहार से दूर रहें।
  9. अनुशासन और नियमितता का पालन करें।
  10. मंत्र जाप के बाद माता दुर्गा की आरती और भोग अवश्य करें।

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दुर्गा मंत्र से जुड़े 15 सामान्य प्रश्न

1. दुर्गा मंत्र क्या है?

दुर्गा मंत्र मां दुर्गा की आराधना के लिए उपयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। इन मंत्रों का उद्देश्य देवी दुर्गा से शक्ति, साहस, और संरक्षण प्राप्त करना होता है। कुछ सामान्य दुर्गा मंत्रों में “ॐ दुर्गायै नमः”, “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”, और “ॐ दुं दुर्गायै नमः” शामिल हैं।

2. दुर्गा मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए?

दुर्गा मंत्र का जाप साफ और शांत स्थान पर, मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर करना चाहिए। इस दौरान मन को शांत और एकाग्र रखने की कोशिश करनी चाहिए। मंत्र का जाप माला से किया जा सकता है, और 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।

3. दुर्गा मंत्र का अर्थ क्या है?

दुर्गा मंत्र का अर्थ होता है देवी दुर्गा का आह्वान करना और उनसे शक्ति, साहस, और सुरक्षा की प्रार्थना करना। ये मंत्र विभिन्न रूपों में होते हैं और विशेष उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं।

4. किस प्रकार के दुर्गा मंत्र हैं?

दुर्गा मंत्र कई प्रकार के होते हैं, जैसे बीज मंत्र, शक्तिशाली चंडी मंत्र, देवी सूक्तम, और नवदुर्गा मंत्र। प्रत्येक मंत्र का अपना विशेष महत्व और उद्देश्य होता है।

5. दुर्गा मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

दुर्गा मंत्र का जाप कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र या लिंग का हो। यह आवश्यक है कि जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए।

6. दुर्गा मंत्र का जाप किस समय पर करना चाहिए?

दुर्गा मंत्र का जाप सुबह के समय सबसे शुभ माना जाता है, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त में। इसके अलावा, नवदुर्गा के समय, विशेष पूजा के समय, और किसी विशेष कामना के लिए भी इसका जाप किया जा सकता है।

7. दुर्गा मंत्र का जाप करने के लाभ क्या हैं?

दुर्गा मंत्र का जाप मानसिक शांति, सुरक्षा, शक्ति, और साहस प्रदान करता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने में मदद करता है।

8. क्या दुर्गा मंत्र का जाप किसी विशेष अनुष्ठान के साथ करना चाहिए?

हां, दुर्गा मंत्र का जाप विशेष अनुष्ठानों जैसे दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा चालीसा पाठ, और नवरात्रि पूजन के साथ किया जा सकता है।

9. क्या दुर्गा मंत्र का जाप किसी विशेष दिन पर करना चाहिए?

दुर्गा मंत्र का जाप नवरात्रि, शुक्रवार, या पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके अलावा, दुर्गाष्टमी और महालया के दिन भी इसका जाप किया जा सकता है।

10. क्या दुर्गा मंत्र से संबंधित कोई विशेष प्रसाद होता है?

हां, दुर्गा मंत्र के जाप के बाद देवी को फल, मिठाई, नारियल, और विशेष रूप से हलवा-पूरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

11. क्या दुर्गा मंत्र का जाप रक्षात्मक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है?

हां, दुर्गा मंत्र का जाप बुरी नजर, नकारात्मकता, और शत्रुओं से बचाव के लिए किया जा सकता है। यह मंत्र शक्ति और साहस देने वाला होता है।

12. क्या दुर्गा मंत्र का जाप ध्यान और साधना के दौरान किया जा सकता है?

हां, दुर्गा मंत्र का जाप ध्यान और साधना के दौरान किया जा सकता है, जिससे ध्यान की गहराई और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।

13. क्या दुर्गा मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में किया जा सकता है?

हां, दुर्गा मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में जैसे कठिनाईयों, मानसिक तनाव, या संकट के समय किया जा सकता है। यह शक्ति और संकल्प को बढ़ाता है।

14. दुर्गा मंत्र का जाप कितने समय तक करना चाहिए?

दुर्गा मंत्र का जाप अनिश्चित समय तक किया जा सकता है। यह रोज़मर्रा की पूजा में शामिल किया जा सकता है, या किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए एक निश्चित अवधि के लिए जपा जा सकता है।

15. दुर्गा मंत्र का जाप करने से पहले कौन-से नियमों का पालन करना चाहिए?

दुर्गा मंत्र का जाप स्वच्छता, पवित्रता, और सही उच्चारण के साथ किया जाना चाहिए। साथ ही, मंत्र जाप के समय संयम, संयमित आहार, और सकारात्मक सोच को बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।