Importance and story of Bhagawat Ekadashi fast

भगवान श्री विष्णू का भागवत एकादशी व्रत की कथा अत्यंत पवित्र और महत्व पूर्ण माना जाता है। इस व्रत की कथा इस प्रकार है:

कथा:

पुराणों के अनुसार, सत्ययुग में एक समय की बात है कि एक राजा था जिसका नाम महिध्वज था। राजा महिध्वज धर्मात्मा और भगवान विष्णु का परम भक्त था। उसका एक छोटा भाई था, जिसका नाम वज्रध्वज था। वज्रध्वज स्वभाव से अधर्मी और पापी था। उसे अपने भाई से ईर्ष्या थी और उसने राजा महिध्वज की हत्या कर दी। उसके बाद वज्रध्वज ने राजा महिध्वज के शव को एक पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया।

राजा महिध्वज का आत्मा पीपल के पेड़ पर प्रेत बनकर निवास करने लगा और अपने हत्यारे भाई से बदला लेने के लिए पीड़ा भोगने लगा। इस प्रकार कई वर्ष बीत गए। एक दिन, महान संत धौम्य ऋषि उस वन से गुजर रहे थे। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से यह सब देखा और प्रेत को मुक्त करने का संकल्प लिया।

धौम्य ऋषि ने उस पीपल के पेड़ के नीचे जाकर प्रेत से बात की और उसे आश्वासन दिया कि वह उसे मुक्त कर देंगे। ऋषि ने भागवत एकादशी का व्रत करने का निश्चय किया और प्रेत को भी इस व्रत की महिमा और विधि बताई। धौम्य ऋषि ने व्रत का संकल्प लिया और पूर्ण विधि-विधान से एकादशी का व्रत किया।

व्रत के प्रभाव से प्रेत रूप में बंधा राजा महिध्वज का आत्मा मुक्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। उसने धौम्य ऋषि को धन्यवाद दिया और भगवान विष्णु के लोक में चला गया। इस प्रकार, भागवत एकादशी के व्रत ने प्रेत को मुक्ति दिलाई और उसके पापों का नाश किया।

भागवत एकादशी व्रत का महत्व:

इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि भागवत एकादशी व्रत के पालन से व्यक्ति के जाने अंजाने किये गये सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ साधन है और इसे करने से सभी प्रकार के दोषों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

भागवत एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाता है। इसलिए हर व्यक्ति को इस पवित्र व्रत का पालन करना चाहिए और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहना चाहिए।

मंत्र “ॐ ह्रीं विष्णुवे दं नमो नमः” “OM HREEM VISHNUVE DAMM NAMO NAMAHA”