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Aghor Lakshmi Mantra For Wealth & Luck

अघोर लक्ष्मी मंत्र / Aghor Lakshmi Mantra For Luck

अघोर लक्ष्मी देवी लक्ष्मी का एक उग्र रूप है। उन्हें माँ काली का भी एक रूप भी माना जाता है। माता अघोर लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं, जो अपने भक्तों को अचानक धन प्राप्ति, लॉटरी, सट्टा, और धन के आकर्षण में सहायता करती हैं। वे महालक्ष्मी का ही एक रूप हैं और अपने भक्तों को अभूतपूर्व धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि प्रदान करती हैं। उनकी पूजा से भक्तों के जीवन में आर्थिक संकट दूर होते हैं और वे धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाते हैं।

लाभ

  1. अचानक धन प्राप्ति: माता अघोर लक्ष्मी की पूजा से अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
  2. लॉटरी में सफलता: लॉटरी में सफलता मिलती है।
  3. सट्टे में विजय: सट्टे और अन्य जोखिम भरे कार्यों में विजय प्राप्त होती है।
  4. धन का आकर्षण: धन की ओर आकर्षण बढ़ता है।
  5. वित्तीय स्थिरता: आर्थिक स्थिरता और स्थायित्व प्राप्त होता है।
  6. व्यवसाय में लाभ: व्यापार में अप्रत्याशित लाभ होता है।
  7. कर्ज से मुक्ति: कर्ज और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
  8. समृद्धि: समृद्धि और सुख-सम्पदा में वृद्धि होती है।
  9. संपत्ति में वृद्धि: भूमि, घर और संपत्ति में वृद्धि होती है।
  10. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  11. सफलता: हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  12. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता में वृद्धि होती है।
  13. सकारात्मकता: जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार होता है।
  14. परिवारिक सुख: परिवार में खुशी और शांति का माहौल बना रहता है।
  15. शुभता: जीवन में शुभता और सौभाग्य का आगमन होता है।
  16. विद्या: ज्ञान और शिक्षा में वृद्धि होती है।
  17. संतान सुख: संतान सुख और संतति में वृद्धि होती है।
  18. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  19. समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
  20. दीर्घायु: लंबी और स्वस्थ आयु की प्राप्ति होती है।

मंत्र और उसका वर्णन

मंत्र:

ॐ अघोरायै लक्ष्म्यै नमः।

वर्णन:
यह मंत्र माता अघोर लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए जपा जाता है। ‘अघोरायै’ का अर्थ है जो सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करती हैं, और ‘लक्ष्म्यै’ का अर्थ है लक्ष्मी देवी। ‘नमः’ का अर्थ है नमन या प्रणाम। इस मंत्र के नियमित जप से धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

पूजा सामग्री

  1. लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र
  2. काले कपड़े
  3. केसर
  4. चंदन
  5. धूपबत्ती
  6. दीपक
  7. तिलक
  8. अक्षत (चावल)
  9. नीले फूल
  10. मिठाई
  11. जल से भरा कलश
  12. नारियल
  13. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण)
  14. सुपारी और पान
  15. फल
  16. एकाक्षरी मुद्रा

अघोर लक्ष्मी विधि

  1. स्नान: पूजा से पहले शुद्धता के लिए स्नान करें।
  2. स्थान: पूजा के लिए स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें।
  3. प्रतिमा स्थापना: माता अघोर लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र काले कपड़े पर स्थापित करें।
  4. ध्यान: माता का ध्यान करें और उनका आवाहन करें।
  5. तिलक और अक्षत: प्रतिमा पर तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं।
  6. फूल अर्पित करें: माता को नीले फूल चढ़ाएं।
  7. धूप और दीपक: धूपबत्ती और दीपक जलाएं।
  8. मंत्र जाप: उपरोक्त मंत्र का जाप 108 बार करें।
  9. प्रसाद: मिठाई और फल माता को अर्पित करें।
  10. आरती: माता की आरती उतारें।
  11. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद वितरित करें।

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अघोर लक्ष्मी- दिन और अवधि

दिन: मंगलवार और शुक्रवार को माता अघोर लक्ष्मी की पूजा करना विशेष शुभ माना जाता है।

अवधि: कम से कम 21 दिनों तक नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद, विशेष अवसरों पर भी इस पूजा को किया जा सकता है।

अघोर लक्ष्मी – सावधानियाँ

  1. पूजा के समय शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखें।
  2. पूजा स्थल को स्वच्छ और साफ रखें।
  3. पूजा के दौरान मानसिक शांति और एकाग्रता बनाए रखें।
  4. अनैतिक और अपवित्र विचारों से दूर रहें।
  5. पूजा के समय शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  6. नियमितता बनाए रखें, किसी भी दिन पूजा न छोड़े।

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अघोर लक्ष्मी- सामान्य प्रश्न

प्रश्न 1: माता अघोर लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर: माता अघोर लक्ष्मी की पूजा धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है।

प्रश्न 2: माता अघोर लक्ष्मी की पूजा का सर्वोत्तम समय क्या है?
उत्तर: माता अघोर लक्ष्मी की पूजा का सर्वोत्तम समय मंगलवार और शुक्रवार की शाम को माना जाता है।

प्रश्न 3: क्या माता अघोर लक्ष्मी की पूजा केवल मंगलवार और शुक्रवार को ही की जा सकती है?
उत्तर: नहीं, माता अघोर लक्ष्मी की पूजा किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन मंगलवार और शुक्रवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: क्या माता अघोर लक्ष्मी की पूजा से तुरंत लाभ मिलता है?
उत्तर: माता अघोर लक्ष्मी की पूजा से तुरंत लाभ प्राप्त नहीं होता, लेकिन नियमित पूजा से धीरे-धीरे लाभ मिलना शुरू हो जाता है।

प्रश्न 5: क्या माता अघोर लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष स्थान की आवश्यकता होती है?
उत्तर: नहीं, पूजा के लिए कोई विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन स्थान को स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए।

प्रश्न 6: माता अघोर लक्ष्मी की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
उत्तर: लक्ष्मी जी की प्रतिमा, काले कपड़े, केसर, चंदन, धूपबत्ती, दीपक, तिलक, अक्षत, नीले फूल, मिठाई, जल, नारियल, पंचामृत, सुपारी, पान, फल, और एकाक्षरी मुद्रा।

प्रश्न 7: क्या माता अघोर लक्ष्मी की पूजा का विशेष मंत्र है?
उत्तर: हां, माता अघोर लक्ष्मी का विशेष मंत्र है: “ॐ अघोरायै लक्ष्म्यै नमः।”

प्रश्न 8: क्या माता अघोर लक्ष्मी की पूजा केवल महिलाओं द्वारा की जा सकती है?
उत्तर: नहीं, माता अघोर लक्ष्मी की पूजा पुरुष और महिला दोनों कर सकते हैं।

प्रश्न 9: माता अघोर लक्ष्मी की पूजा के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: पूजा के बाद माता की आरती करनी चाहिए और प्रसाद वितरित करना चाहिए।

Aishwarya Lakshmi Mantra For Wealth & Luck

Mata Aishwarya Lakshmi For Wealth & Luck

माता ऐश्वर्य लक्ष्मी देवी हिंदू धर्म में धन, समृद्धि, भाग्य और सौंदर्य की देवी हैं। उन्हें अष्टलक्ष्मी के आठ रूपों में से एक माना जाता है, जो आठ अलग-अलग गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। माता ऐश्वर्य लक्ष्मी धन, ऐश्वर्य, समृद्धि और सुख-सम्पदा की देवी मानी जाती हैं। वे श्री महालक्ष्मी का एक रूप हैं, जो अपने भक्तों को भौतिक सुख-समृद्धि, वैभव और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक स्थिरता, व्यवसायिक सफलता और समृद्धि आती है।

लाभ

  1. धन वृद्धि: माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा से धन की वृद्धि होती है।
  2. व्यवसाय में सफलता: व्यापार में लाभ और स्थायित्व प्राप्त होता है।
  3. वित्तीय स्थिरता: आर्थिक स्थिरता और निर्भरता मिलती है।
  4. समृद्धि: समृद्धि और सुख-सम्पदा में वृद्धि होती है।
  5. अच्छे स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. विवाह में सफलता: विवाह में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
  7. सकारात्मकता: जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार होता है।
  8. परिवारिक सुख: परिवार में खुशी और शांति का माहौल बना रहता है।
  9. आर्थिक संकट से मुक्ति: आर्थिक संकट और कर्ज से छुटकारा मिलता है।
  10. संपत्ति में वृद्धि: भूमि, घर और संपत्ति में वृद्धि होती है।
  11. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
  12. कष्टों से मुक्ति: जीवन के कष्टों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
  13. सफलता: हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  15. व्यक्तिगत विकास: आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता में वृद्धि होती है।
  16. समाज में मान-सम्मान: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
  17. शुभता: जीवन में शुभता और सौभाग्य का आगमन होता है।
  18. विद्या: ज्ञान और शिक्षा में वृद्धि होती है।
  19. संतान सुख: संतान सुख और संतति में वृद्धि होती है।
  20. दीर्घायु: लंबी और स्वस्थ आयु की प्राप्ति होती है।

माता ऐश्वर्य लक्ष्मी मंत्र

मंत्र:

ॐ श्रीं ह्रीं ऐश्वर्य लक्ष्म्यै नमः।

मंत्र का वर्णन:

यह मंत्र माता ऐश्वर्य लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए जपा जाता है। ‘श्रीं’ शब्द धन और ऐश्वर्य का बीज मंत्र है, जबकि ‘ह्रीं’ हृदय की शुद्धता और समृद्धि का सूचक है। ‘ऐश्वर्य लक्ष्म्यै’ का अर्थ है माता ऐश्वर्य लक्ष्मी, और ‘नमः’ का अर्थ है नमन या प्रणाम। इस मंत्र के नियमित जप से धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

सामग्री

  1. लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र
  2. लाल कपड़ा
  3. केसर
  4. चंदन
  5. धूपबत्ती
  6. दीपक
  7. तिलक
  8. अक्षत (चावल)
  9. फूल (विशेषकर लाल फूल)
  10. मिठाई
  11. जल से भरा कलश
  12. नारियल
  13. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण)
  14. सुपारी और पान
  15. फल
  16. एकाक्षरी मुद्रा

माता ऐश्वर्य लक्ष्मी मंत्र विधि

  1. स्नान: पूजा से पहले शुद्धता के लिए स्नान करें।
  2. स्थान: पूजा के लिए स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें।
  3. प्रतिमा स्थापना: माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र लाल कपड़े पर स्थापित करें।
  4. ध्यान: माता का ध्यान करें और उनका आवाहन करें।
  5. तिलक और अक्षत: प्रतिमा पर तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं।
  6. फूल अर्पित करें: माता को फूल चढ़ाएं।
  7. धूप और दीपक: धूपबत्ती और दीपक जलाएं।
  8. मंत्र जाप: उपरोक्त मंत्र का जाप 108 बार करें।
  9. प्रसाद: मिठाई और फल माता को अर्पित करें।
  10. आरती: माता की आरती उतारें।
  11. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद वितरित करें।

माता ऐश्वर्य लक्ष्मी – दिन और अवधि

दिन: शुक्रवार को माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा करना विशेष शुभ माना जाता है।

अवधि: कम से कम 21 दिनों तक नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद, विशेष अवसरों पर भी इस पूजा को किया जा सकता है।

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माता ऐश्वर्य लक्ष्मी सावधानियाँ

  1. पूजा के समय शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखें।
  2. पूजा स्थल को स्वच्छ और साफ रखें।
  3. पूजा के दौरान मानसिक शांति और एकाग्रता बनाए रखें।
  4. अनैतिक और अपवित्र विचारों से दूर रहें।
  5. पूजा के समय शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  6. नियमितता बनाए रखें, किसी भी दिन पूजा न छोड़े।

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माता ऐश्वर्य लक्ष्मी -सामान्य प्रश्न

प्रश्न 1: माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर: माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा धन, ऐश्वर्य और समृद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है।

प्रश्न 2: माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा का सर्वोत्तम समय क्या है?
उत्तर: माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा का सर्वोत्तम समय शुक्रवार की शाम को माना जाता है।

प्रश्न 3: क्या माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा केवल शुक्रवार को ही की जा सकती है?
उत्तर: नहीं, माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन शुक्रवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: क्या माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा से तुरंत लाभ मिलता है?
उत्तर: माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा से तुरंत लाभ प्राप्त नहीं होता, लेकिन नियमित पूजा से धीरे-धीरे लाभ मिलना शुरू हो जाता है।

प्रश्न 5: क्या माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष स्थान की आवश्यकता होती है?
उत्तर: नहीं, पूजा के लिए कोई विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन स्थान को स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए।

प्रश्न 6: माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
उत्तर: लक्ष्मी जी की प्रतिमा, लाल कपड़ा, केसर, चंदन, धूपबत्ती, दीपक, तिलक, अक्षत, फूल, मिठाई, जल, नारियल, पंचामृत, सुपारी, पान, फल, और एकाक्षरी मुद्रा।

प्रश्न 7: क्या माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा का विशेष मंत्र है?
उत्तर: हां, माता ऐश्वर्य लक्ष्मी का विशेष मंत्र है: “ॐ श्रीं ह्रीं ऐश्वर्य लक्ष्म्यै नमः।”

प्रश्न 8: क्या माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा केवल महिलाओं द्वारा की जा सकती है?
उत्तर: नहीं, माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा पुरुष और महिला दोनों कर सकते हैं।

प्रश्न 9: माता ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: पूजा के बाद माता की आरती करनी चाहिए और प्रसाद वितरित करना चाहिए।

Kamdev mantra for relationship

Kamdev mantra for relationship

संबंधों को सुधारने वाले कामदेव, हिंदू धर्म में प्रेम, कामुकता, और सुंदरता के देवता हैं. इन्हे अलग अलग नामो से भी जाता है जैसे कि मदन, मन्मथ, रतिपति, पुष्पधनुष, त्रिपुरारि, रागवृंत, मनसिजा, वासुकि, कामाक्ष, प्रद्युम्न, ऋतुराज, मनोभव, काम, मदन, रतिनाथ, रमण और कई अन्य नामों से भी जाना जाता है.

कामदेव

  • ये मनुष्य के मस्तिष्क मे निवास करते है
  • इनका का जन्म भगवान शिव की तीसरी आंख से हुआ था।
  • कामदेव का मंत्रः ॥ॐ क्लीं कामदेवाय क्लीं नमः॥
  • मुहुर्थः शुक्रवार, कृष्णपक्ष त्रयोदशी.
  • इनकी की पत्नी रति है, जो प्रेम और कामुकता की देवी हैं।
    • इन्हे अक्सर एक सुंदर युवा पुरुष के रूप में चित्रित किया जाता है जो फूलों से बने धनुष और तीर से लैस होता है।
  • मंत्रः ॥ॐ क्लीं कामदेवाय क्लीं नमः॥ “OM KLEEM KAAMDEVAAY KLEEM NAMAHA”

शक्तियां

  • कामदेव के तीर लोगों को प्रणय- प्रेम में डालने की शक्ति रखते हैं।
  • कामदेव अपनी सुंदरता और आकर्षण से लोगों को मोहित कर सकते हैं।
  • कामदेव को भगवान शिव का पुत्र होने के कारण अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
  • ये आकर्षण शक्ति पैदा करते है

महिमा

  • कामदेव को प्रेम और विवाह का देवता माना जाता है।
  • कामदेव को प्रजनन और वंश वृद्धि का देवता भी माना जाता है।
  • कामदेव को सृष्टि के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला माना जाता है।

पूजा आराधना

  • कामदेव की पूजा वसंत ऋतु में विशेष रूप से की जाती है।
  • कामदेव की पूजा के लिए कई मंदिर और तीर्थस्थल हैं।
  • कामदेव की पूजा करने से प्रेम, विवाह, और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
  • कामदेव ने भगवान शिव को तपस्या से प्रसन्न किया और उनसे अमरता प्राप्त की।
  • कामदेव ने देवी पार्वती को भगवान शिव से विवाह करने में मदद की।
  • कामदेव ने भगवान कृष्ण को राधा से मिलवाया।

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कामदेव – सावधानी

  • महिलाओ को सम्मान दे
  • कामदेव की पूजा करते समय किसी भी प्रकार का अनादर न करें।
  • कामदेव की पूजा करते समय मन में शुद्ध विचार रखें।

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कामदेव मंत्र के बारे में सामान्य प्रश्न

प्रश्न 1: कामदेव मंत्र क्या है?
उत्तर: कामदेव मंत्र एक धार्मिक मंत्र है जो हिन्दू धर्म में प्रेम, आकर्षण और रोमांस को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह भगवान कामदेव को समर्पित है, जो प्रेम और कामुकता के देवता माने जाते हैं।

प्रश्न 2: कामदेव कौन हैं?
उत्तर: कामदेव हिन्दू धर्म के प्रेम और कामुकता के देवता हैं। उन्हें श्री कृष्ण और रति के साथ जोड़ा जाता है। वे प्रेम और आकर्षण के प्रतीक हैं।

प्रश्न 3: कामदेव मंत्र का क्या महत्व है?
उत्तर: कामदेव मंत्र का महत्व प्रेम, आकर्षण और रोमांस को बढ़ाना है। इसे जपने से व्यक्ति की आकर्षण शक्ति बढ़ती है और संबंधों में सुधार आता है।

प्रश्न 4: कामदेव मंत्र का उच्चारण कैसे किया जाता है?
उत्तर: कामदेव मंत्र का उच्चारण शुद्ध और एकाग्रता के साथ करना चाहिए। मंत्र का सही उच्चारण करने से ही इसका पूरा प्रभाव प्राप्त होता है।

प्रश्न 5: कामदेव मंत्र के क्या लाभ हैं?
उत्तर: कामदेव मंत्र के लाभ इस प्रकार हैं:

  1. प्रेम में सफलता।
  2. आकर्षण में वृद्धि।
  3. दांपत्य जीवन में मधुरता।
  4. मानसिक शांति।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि।

प्रश्न 6: कामदेव मंत्र को जपने का सही समय क्या है?
उत्तर: कामदेव मंत्र को सुबह स्नान के बाद और शाम को सूर्यास्त के समय जपना सबसे उपयुक्त माना जाता है।

प्रश्न 7: कामदेव मंत्र के जाप के लिए कौन-सा आसन उपयुक्त है?
उत्तर: कामदेव मंत्र के जाप के लिए पद्मासन या सुखासन सबसे उपयुक्त आसन माने जाते हैं।

प्रश्न 8: कामदेव मंत्र के साथ किस प्रकार की साधना करनी चाहिए?
उत्तर: कामदेव मंत्र के साथ मानसिक एकाग्रता, शुद्धता और सकारात्मक विचारों की साधना करनी चाहिए।

प्रश्न 9: क्या कामदेव मंत्र के जाप के लिए विशेष दिन होता है?
उत्तर: कामदेव मंत्र के जाप के लिए शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

Katyayani mantra for relationship

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माता कात्यायनी, मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक प्रमुख रूप हैं। वे देवी दुर्गा का छठा अवतार मानी जाती हैं और उनकी पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। कात्यायनी माता को शक्ति, साहस, और विजय की देवी माना जाता है। उनके नाम का अर्थ है ‘कात्यायन ऋषि की पुत्री’ क्योंकि उनके जन्म की कथा ऋषि कात्यायन से जुड़ी है। वे सिंह पर सवार होती हैं, उनके चार हाथ होते हैं जिनमें तलवार, कमल, अभय मुद्रा, और वर मुद्रा होती हैं। उनका रूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है, जो भक्तों में साहस और आत्मविश्वास भरता है।

कात्यायनी माता, हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं जो नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव के दौरान इनकी पूजा की जाती हैं. इनकी पूजा प्रेम-प्रणय, संबंधो को मजबूत करने व विवाहित जीवन को सफल बनाने के लिये की जाती है.

कात्यायनी माता को वाहन सिंह होता है जो कि माँ दुर्गा की शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता हैं। उन्हें भक्ति, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता हैं। कात्यायनी माता की पूजा, परंपरागत रूप से नवरात्रि के दौरान की जाती हैं, जिसमें भक्तों द्वारा उनके गुणों की स्तुति और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना की जाती हैं।

माता कात्यायनी की पूजा के लाभ

  1. शत्रु नाश: माता कात्यायनी की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है।
  2. साहस और आत्मविश्वास: पूजा से साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  3. सुरक्षा: माता कात्यायनी की कृपा से जीवन में सुरक्षा मिलती है।
  4. संबंध: संबंधों को मजबूत करने मे सफलता मिलती है
  5. सफलता: कार्यों में सफलता मिलती है।
  6. धन की प्राप्ति: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  7. समृद्धि: परिवार में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है।
  8. विवाह में सफलता: अविवाहितों के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  9. संतान सुख: संतान की प्राप्ति और उनकी सुरक्षा होती है।
  10. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  11. विद्या का वरदान: विद्यार्थियों को विद्या और बुद्धि का वरदान मिलता है।
  12. सम्मान: समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
  13. कला और संगीत: कला और संगीत में उन्नति होती है।
  14. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान में सफलता मिलती है।
  15. ऋण मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  16. कृषि में लाभ: कृषि कार्यों में लाभ होता है।
  17. व्यापार में वृद्धि: व्यापार में उन्नति होती है।
  18. संकट से मुक्ति: जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है।
  19. संतोष: जीवन में संतोष और तृप्ति का अनुभव होता है।
  20. न्याय: न्याय में सफलता प्राप्त होती है।

माता कात्यायनी का मंत्र

मंत्र:

ॐ ह्रीं श्रीं कात्यायनी नमः॥

मंत्र का विवरण:

इस मंत्र में माता कात्यायनी का आह्वान किया जाता है। “” सार्वभौमिक ध्वनि है। “ह्रीं” शक्ति का बीज मंत्र है और “श्रीं” लक्ष्मी का बीज मंत्र है, जो समृद्धि को आकर्षित करता है। “कात्यायनी” माता का नाम है और “नमः” का अर्थ है नमन।

पूजा विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ कर लें और वहां माता कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलन: दीपक जलाएं और अगरबत्ती का धूप करें।
  4. मंत्र जप: माता कात्यायनी के मंत्र का 108 बार जप करें।
  5. फूल और जल अर्पण: माता को फूल और जल अर्पित करें।
  6. मिष्ठान्न अर्पण: माता को मिष्ठान्न (मिठाई) का भोग लगाएं।
  7. आरती: माता कात्यायनी की आरती करें।
  8. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण करें।

दिन और अवधि

माता कात्यायनी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। नवरात्रि के छठे दिन भी विशेष रूप से माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। पूजा की अवधि 30 से 45 मिनट के बीच होनी चाहिए।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान: पूजा करते समय मन और शरीर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. शोर-शराबे से दूर: पूजा स्थल को शांत और शोर-शराबे से दूर रखें।
  3. नशे से परहेज: पूजा से पहले और पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के नशे का सेवन न करें।
  4. वस्त्रों की शुद्धता: साफ और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  5. भक्तिभाव: सच्चे मन और भक्तिभाव से पूजा करें।
  6. पूजा सामग्री: सभी पूजा सामग्री पहले से तैयार रखें।
  7. शुद्ध जल: पूजा में शुद्ध जल का उपयोग करें।
  8. आरती का सही समय: आरती को सही समय पर करें।
  9. मंत्र उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही तरीके से और स्पष्ट करें।
  10. प्रसाद का ध्यान: प्रसाद को साफ हाथों से बांटें।
  11. आहार: पूजा के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  12. अवरोधों से बचें: पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के अवरोध से बचें।
  13. साफ वातावरण: पूजा स्थल का वातावरण साफ और पवित्र रखें।
  14. ध्यान और ध्यानावस्थित: पूजा के दौरान ध्यान और ध्यानावस्थित रहें।
  15. समय की पाबंदी: पूजा के समय की पाबंदी रखें और समय पर शुरू करें।

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सामान्य प्रश्न

  1. माता कात्यायनी कौन हैं?
    माता कात्यायनी मां दुर्गा का छठा अवतार हैं और वे शक्ति, साहस, और विजय की देवी हैं।
  2. माता कात्यायनी की पूजा कब करें?
    माता कात्यायनी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है और नवरात्रि के छठे दिन विशेष पूजा की जाती है।
  3. माता कात्यायनी की पूजा से क्या लाभ होता है?
    माता कात्यायनी की पूजा से शत्रु नाश, साहस, आत्मविश्वास, सुरक्षा, और स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होता है।
  4. माता कात्यायनी का वाहन क्या है?
    माता कात्यायनी का वाहन सिंह है।
  5. माता कात्यायनी का मंत्र क्या है?
    माता कात्यायनी का प्रमुख मंत्र है: “ॐ ह्रीं श्रीं कात्यायनी नमः।”
  6. माता कात्यायनी की पूजा के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    पूजा के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें, नशे से परहेज करें और भक्तिभाव से पूजा करें।
  7. क्या माता कात्यायनी की पूजा से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है?
    हाँ, माता कात्यायनी की कृपा से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है।
  8. माता कात्यायनी की पूजा में कितनी अवधि होनी चाहिए?
    पूजा की अवधि 30 से 1.30 मिनट के बीच होनी चाहिए।
  9. माता कात्यायनी की पूजा के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा होता है?
    शुक्रवार का दिन माता कात्यायनी की पूजा के लिए सबसे अच्छा माना गया है।
  10. माता कात्यायनी की पूजा में क्या-क्या अर्पित करना चाहिए?
    माता कात्यायनी की पूजा में फूल, जल, मिष्ठान्न और दीपक अर्पित करना चाहिए।
  11. माता कात्यायनी की पूजा से क्या मानसिक शांति मिलती है?
    हाँ, माता कात्यायनी की पूजा से मानसिक शांति मिलती है।
  12. क्या माता कात्यायनी की पूजा से व्यापार में वृद्धि होती है?
    हाँ, माता कात्यायनी की कृपा से व्यापार में वृद्धि होती है।

Vara Lakshmi Mantra For Wealth & Prosperity

Mata Vara Lakshmi Mantra For Wealth & Prosperity

माता वरलक्ष्मी को धन, समृद्धि, और सुख-शांति की देवी माना जाता है। ‘वर’ का अर्थ है वरदान, और माता वरलक्ष्मी भक्तों को वरदान देने वाली देवी हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है, लेकिन पुरुष भी उनकी पूजा कर सकते हैं। माता वरलक्ष्मी को सोने के गहनों, लाल और पीले रंग के वस्त्र, और सुंदर सजावट के साथ पूजा जाता है। वे कमल के फूल पर विराजमान होती हैं, जो उनके सौंदर्य और दिव्यता को दर्शाता है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक में कमल का फूल, दूसरे में धन की थैली, तीसरे में वर मुद्रा और चौथे में अभय मुद्रा होती है।

लाभ

  1. धन की प्राप्ति: माता वरलक्ष्मी की कृपा से घर में धन की वृद्धि होती है।
  2. समृद्धि: परिवार में समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।
  3. सुख-शांति: मानसिक शांति और सुख-शांति का अनुभव होता है।
  4. स्वास्थ्य: अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।
  5. सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  6. व्यवसाय में वृद्धि: व्यापार में उन्नति होती है।
  7. करियर में उन्नति: नौकरी में प्रमोशन और तरक्की मिलती है।
  8. विवाह में सुख: दांपत्य जीवन में सुख और सामंजस्य बना रहता है।
  9. संतान सुख: संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है।
  10. ऋण मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  11. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा होती है।
  12. ज्ञान की प्राप्ति: विद्यार्थियों को ज्ञान और बुद्धि का वरदान मिलता है।
  13. सम्मान: समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।
  14. कृषि में लाभ: कृषि कार्यों में लाभ प्राप्त होता है।
  15. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  16. संतोष: जीवन में संतोष और तृप्ति का अनुभव होता है।
  17. यात्रा में सुरक्षा: यात्रा में सफलता और सुरक्षा मिलती है।
  18. संकट से मुक्ति: जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है।
  19. कला में उन्नति: कला और संगीत में उन्नति होती है।
  20. न्याय: न्याय में सफलता मिलती है।

वरलक्ष्मी का मंत्र

मंत्र:

ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै क्लीं नमः॥

मंत्र का अर्थ:

इस मंत्र में माता वरलक्ष्मी का आह्वान किया जाता है। “ॐ” सार्वभौमिक ध्वनि है। “श्रीं” माता लक्ष्मी का बीज मंत्र है, जो उनकी कृपा को आकर्षित करता है। “वरलक्ष्म्यै” का अर्थ है वरदान देने वाली लक्ष्मी, “क्लीं” का अर्थ आकर्षण, और “नमः” का अर्थ है नमन।

विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ कर लें और वहां माता वरलक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलन: दीपक जलाएं और अगरबत्ती का धूप करें।
  4. मंत्र जप: माता वरलक्ष्मी के मंत्र का 108 बार जप करें।
  5. फूल और जल अर्पण: माता को फूल और जल अर्पित करें।
  6. मिष्ठान्न अर्पण: माता को मिष्ठान्न (मिठाई) का भोग लगाएं।
  7. आरती: माता वरलक्ष्मी की आरती करें।
  8. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण करें।

दिन और अवधि

माता वरलक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। इसके अलावा वरलक्ष्मी व्रत, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को मनाया जाता है, इस दिन भी माता वरलक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। पूजा की अवधि 30 से 45 मिनट के बीच होनी चाहिए।

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सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान: पूजा करते समय मन और शरीर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. शोर-शराबे से दूर: पूजा स्थल को शांत और शोर-शराबे से दूर रखें।
  3. नशे से परहेज: पूजा से पहले और पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के नशे का सेवन न करें।
  4. वस्त्रों की शुद्धता: साफ और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  5. भक्तिभाव: सच्चे मन और भक्तिभाव से पूजा करें।
  6. पूजा सामग्री: सभी पूजा सामग्री पहले से तैयार रखें।
  7. शुद्ध जल: पूजा में शुद्ध जल का उपयोग करें।
  8. आरती का सही समय: आरती को सही समय पर करें।
  9. मंत्र उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही तरीके से और स्पष्ट करें।
  10. प्रसाद का ध्यान: प्रसाद को साफ हाथों से बांटें।
  11. आहार: पूजा के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  12. अवरोधों से बचें: पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के अवरोध से बचें।
  13. साफ वातावरण: पूजा स्थल का वातावरण साफ और पवित्र रखें।
  14. ध्यान और ध्यानावस्थित: पूजा के दौरान ध्यान और ध्यानावस्थित रहें।
  15. समय की पाबंदी: पूजा के समय की पाबंदी रखें और समय पर शुरू करें।

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माता वरलक्ष्मी सामान्य प्रश्न

  1. माता वरलक्ष्मी कौन हैं?
    माता वरलक्ष्मी धन, समृद्धि, और सुख-शांति की देवी हैं।
  2. माता वरलक्ष्मी की पूजा कब करें?
    शुक्रवार का दिन माता वरलक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है।
  3. माता वरलक्ष्मी की पूजा से क्या लाभ होता है?
    माता वरलक्ष्मी की पूजा से धन, समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।
  4. माता वरलक्ष्मी का वाहन क्या है?
    माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू है।
  5. माता वरलक्ष्मी का मंत्र क्या है?
    माता वरलक्ष्मी का प्रमुख मंत्र है: “ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै नमः।”
  6. माता वरलक्ष्मी की पूजा के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    पूजा के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें और नशे से परहेज करें।
  7. क्या माता वरलक्ष्मी की पूजा से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है?
    हाँ, माता वरलक्ष्मी की कृपा से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है।
  8. माता वरलक्ष्मी की पूजा में कितनी अवधि होनी चाहिए?
    पूजा की अवधि 30 से 45 मिनट के बीच होनी चाहिए।
  9. माता वरलक्ष्मी की पूजा के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा होता है?
    शुक्रवार का दिन माता वरलक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे अच्छा माना गया है।
  10. माता वरलक्ष्मी की पूजा में क्या-क्या अर्पित करना चाहिए?
    माता वरलक्ष्मी की पूजा में फूल, जल, मिष्ठान्न और दीपक अर्पित करना चाहिए।
  11. माता वरलक्ष्मी की पूजा से क्या मानसिक शांति मिलती है?
    हाँ, माता वरलक्ष्मी की पूजा से मानसिक शांति मिलती है।
  12. क्या माता वरलक्ष्मी की पूजा से व्यापार में वृद्धि होती है?
    हाँ, माता वरलक्ष्मी की कृपा से व्यापार में वृद्धि होती है।

Mata Rajya Lakshmi Mantra For Wealth

Mata Rajya Lakshmi Mantra For Wealth

माता राज्य लक्ष्मी, जिन्हें राज्यलक्ष्मी देवी या रानी राज्यलक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है, नेपाल की रानी थीं। माता राज्य लक्ष्मी का मंत्र उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जो अपने जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त करना चाहते हैं। माता राज्य लक्ष्मी धन, वैभव, और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। उनकी पूजा करने से न केवल आर्थिक समृद्धि मिलती है बल्कि परिवार में सुख और शांति भी बनी रहती है।

राज्य लक्ष्मी का स्वरूप अत्यंत सुंदर और दिव्य होता है। उनके चार हाथ होते हैं जिनमें से दो हाथों में कमल के फूल, एक हाथ में अभय मुद्रा और दूसरे हाथ में वर मुद्रा होती है। वे कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और उनका वाहन उल्लू होता है।

माता राज्य लक्ष्मी की पूजा के लाभ

  1. धन की प्राप्ति: माता राज्य लक्ष्मी की कृपा से घर में धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
  2. सुख-समृद्धि: परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  3. शांति: मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  4. स्वास्थ्य: अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।
  5. सफलता: कार्यों में सफलता मिलती है।
  6. व्यवसाय में वृद्धि: व्यापार में वृद्धि होती है।
  7. करियर में उन्नति: नौकरी में प्रमोशन और तरक्की मिलती है।
  8. विवाह में सुख: दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  9. संतान सुख: संतान का सुख प्राप्त होता है।
  10. ऋण मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
  11. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से सुरक्षा होती है।
  12. ज्ञान की प्राप्ति: विद्यार्थियों को ज्ञान और बुद्धि का वरदान मिलता है।
  13. सम्मान: समाज में सम्मान प्राप्त होता है।
  14. कृषि में लाभ: कृषि कार्यों में लाभ होता है।
  15. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  16. संतोष: जीवन में संतोष और तृप्ति का अनुभव होता है।
  17. यात्रा में सुरक्षा: यात्रा में सुरक्षा और सफलता मिलती है।
  18. संकट से मुक्ति: जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है।
  19. कला में उन्नति: कला और संगीत में उन्नति होती है।
  20. न्याय: न्याय में सफलता मिलती है।

माता राज्य लक्ष्मी का मंत्र

मंत्र:

|| ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं राज्यलक्ष्मी नमः || 

पूजा विधि

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ कर लें और वहां माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलन: दीपक जलाएं और अगरबत्ती का धूप करें।
  4. मंत्र जप: माता लक्ष्मी के मंत्र का 108 बार जप करें।
  5. फूल और जल अर्पण: माता को फूल और जल अर्पित करें।
  6. मिष्ठान्न अर्पण: माता को मिष्ठान्न (मिठाई) का भोग लगाएं।
  7. आरती: माता लक्ष्मी की आरती करें।
  8. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण करें।

दिन और अवधि

माता लक्ष्मी की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। इसके अलावा दिवाली के दिन भी विशेष रूप से माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा की अवधि 15 से 30 मिनट के बीच होनी चाहिए।

सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान: पूजा करते समय मन और शरीर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. शोर-शराबे से दूर: पूजा स्थल को शांत और शोर-शराबे से दूर रखें।
  3. नशे से परहेज: पूजा से पहले और पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के नशे का सेवन न करें।
  4. वस्त्रों की शुद्धता: साफ और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  5. भक्तिभाव: सच्चे मन और भक्तिभाव से पूजा करें।

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सामान्य प्रश्न

  1. माता लक्ष्मी कौन हैं?
    माता लक्ष्मी धन, समृद्धि, और वैभव की देवी हैं।
  2. माता लक्ष्मी की पूजा कब करें?
    शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है।
  3. माता लक्ष्मी की पूजा से क्या लाभ होता है?
    माता लक्ष्मी की पूजा से धन, समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।
  4. माता लक्ष्मी का वाहन क्या है?
    माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू है।
  5. माता लक्ष्मी के कितने रूप होते हैं?
    माता लक्ष्मी के आठ रूप होते हैं जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा जाता है।
  6. माता लक्ष्मी का मंत्र क्या है?
    माता लक्ष्मी का प्रमुख मंत्र है: “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः।”
  7. माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    पूजा के दौरान शुद्धता का ध्यान रखें और नशे से परहेज करें।
  8. क्या माता लक्ष्मी की पूजा से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है?
    हाँ, माता लक्ष्मी की कृपा से कर्ज से मुक्ति मिल सकती है।
  9. माता लक्ष्मी की पूजा में कितनी अवधि होनी चाहिए?
    पूजा की अवधि 15 से 30 मिनट के बीच होनी चाहिए।
  10. माता लक्ष्मी की पूजा के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा होता है?
    शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे अच्छा माना गया है।

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अभ्यास करने वाले की उम्र

माता राज्य लक्ष्मी की पूजा करने वाले की उम्र 20 वर्ष के ऊपर होनी चाहिए। इससे व्यक्ति पूजा की विधियों और सावधानियों को सही तरीके से समझ और पालन कर सकता है।

माता राज्य लक्ष्मी की पूजा करने से न केवल धन और समृद्धि मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, और संतोष भी प्राप्त होता है। उनकी पूजा के दौरान सही विधि और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है ताकि देवी की कृपा से जीवन में समृद्धि और उन्नति प्राप्त हो सके। माता लक्ष्मी की कृपा से जीवन में आने वाले सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।

Saubhagya Lakshmi Mantra For Fortune

Mata Saubhagya Lakshmi For Fortune

माता सौभाग्य लक्ष्मी देवी लक्ष्मी का एक रूप है जो सौभाग्य, समृद्धि, और वैवाहिक सुख प्रदान करती हैं। उन्हें श्री और विष्णु की पत्नी भी माना जाता है। माता सौभाग्य लक्ष्मी धन, समृद्धि, सुख-शांति और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं। वे माता लक्ष्मी का एक रूप हैं, जो विशेष रूप से सौभाग्य और खुशियों की प्राप्ति के लिए पूजी जाती हैं। माता सौभाग्य लक्ष्मी की आराधना से व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

मंत्र

|| ॐ श्रीं सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः ||

इस मंत्र का जप साधक को सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करता है।

विधि

  1. स्थान का चयन: सबसे पहले एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। पूजा के लिए एक साफ जगह का होना आवश्यक है।
  2. स्नान और शुद्धता: पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. पूजा सामग्री: हल्दी, कुमकुम, फूल, धूप, दीपक, फल, मिठाई और नारियल पूजा के लिए रखें।
  4. मंत्र जप: प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जप करें।
  5. ध्यान: ध्यान करें और माता सौभाग्य लक्ष्मी का ध्यान करते हुए उन्हें पुष्प अर्पित करें।
  6. आरती: अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।

दिन और अवधि

  • दिन: माता सौभाग्य लक्ष्मी की पूजा शुक्रवार के दिन करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  • अवधि: यह साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए।

सावधानियां

  1. शुद्धता: साधना के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. नियमितता: प्रतिदिन एक ही समय पर पूजा करें।
  3. आहार: सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन से बचें।
  4. नकारात्मकता से बचाव: साधना के दौरान नकारात्मक विचारों और ऊर्जा से दूर रहें।
  5. गोपनीयता: साधना की गोपनीयता बनाए रखें और अनावश्यक रूप से किसी को न बताएं।

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सौभाग्य लक्ष्मी मंत्र लाभ

  1. धन और समृद्धि: माता सौभाग्य लक्ष्मी की कृपा से साधक के जीवन में धन और समृद्धि का वास होता है।
  2. सुख और शांति: साधना से मन और घर में शांति और सुख का संचार होता है।
  3. विपत्ति से रक्षा: जीवन में आने वाली विपत्तियों और कठिनाइयों से रक्षा होती है।
  4. विवाह में सफलता: विवाह और दाम्पत्य जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
  5. स्वास्थ्य में सुधार: साधना से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. मनोकामना पूर्ति: सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  8. बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
  9. व्यापार में वृद्धि: व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि और लाभ होता है।
  10. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  11. संपत्ति का संरक्षण: साधना से संपत्ति की रक्षा होती है और संपत्ति में वृद्धि होती है।
  12. शत्रुओं से रक्षा: साधक को शत्रुओं से रक्षा मिलती है।
  13. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  14. भौतिक सुख: जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  15. आकर्षण क्षमता में वृद्धि: साधक की आकर्षण क्षमता में वृद्धि होती है।
  16. सकारात्मक ऊर्जा: साधना से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  17. समाज में सम्मान: साधक को समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  18. संपूर्ण विकास: साधक का संपूर्ण विकास होता है।
  19. आर्थिक स्थिरता: आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
  20. सदैव लक्ष्मी का वास: साधक के घर में सदैव लक्ष्मी का वास होता है।

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सौभाग्य लक्ष्मी मंत्र-FAQ

  1. माता सौभाग्य लक्ष्मी कौन हैं?
    माता सौभाग्य लक्ष्मी धन, समृद्धि, सुख-शांति और सौभाग्य की देवी हैं और वे माता लक्ष्मी का एक रूप हैं।
  2. इस मंत्र का क्या महत्व है?
    यह मंत्र साधक को सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करता है।
  3. मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
    सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में मंत्र जप करना सर्वोत्तम होता है।
  4. मंत्र जप कितनी बार करना चाहिए?
    प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए।
  5. साधना के दौरान कौन-कौन सी सावधानियों का पालन करना चाहिए?
    शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संकल्प का पालन, साधना की गोपनीयता, और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  6. पूजा के लिए किस प्रकार की माला का उपयोग करना चाहिए?
    रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला का उपयोग करना चाहिए।
  7. क्या साधना के दौरान किसी विशेष वस्त्र का उपयोग करना चाहिए?
    साधना के दौरान सफेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए।
  8. माता सौभाग्य लक्ष्मी की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
    यह साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए।
  9. क्या साधना के दौरान किसी प्रकार का व्रत या उपवास रखना आवश्यक है?
    साधना के दौरान व्रत या उपवास रखने से साधक की शुद्धता और साधना की प्रभावशीलता बढ़ती है।
  10. क्या साधना के बाद विश्राम करना आवश्यक है?
    हां, साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करना चाहिए।
  11. क्या साधना के दौरान अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जा सकती है?
    हां, माता सौभाग्य लक्ष्मी की साधना के दौरान अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जा सकती है।
  12. साधना के दौरान किस प्रकार का आहार लेना चाहिए?
    साधना के दौरान सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन से बचें।

Mata Narayani Lakshmi Mantra For prosperity

Mata Narayani Lakshmi Mantra For prosperity

सबका कल्याण करने वाली माता नारायणी लक्ष्मी, देवी लक्ष्मी का एक रूप है जो भगवान नारायण (भगवान विष्णु) की पत्नी के रूप में पूजनीय हैं। वे धन, समृद्धि, सौभाग्य, और ऐश्वर्य की देवी हैं। माता नारायणी लक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं। वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं और उन्हें देवी लक्ष्मी के रूप में भी पूजा जाता है। माता नारायणी लक्ष्मी की आराधना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

माता नारायणी लक्ष्मी का मंत्र

माता नारायणी लक्ष्मी का प्रमुख मंत्र इस प्रकार है:

|| ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं नारायणी लक्ष्मेय नमः ||

इस मंत्र का जप साधक को मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

विधि

  1. स्थान का चयन: सबसे पहले एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। पूजा के लिए एक साफ जगह का होना आवश्यक है।
  2. स्नान और शुद्धता: पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. पूजा सामग्री: हल्दी, कुमकुम, फूल, धूप, दीपक, फल, मिठाई और नारियल पूजा के लिए रखें।
  4. मंत्र जप: प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जप करें।
  5. ध्यान: ध्यान करें और माता नारायणी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए उन्हें पुष्प अर्पित करें।
  6. आरती: अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।

दिन और अवधि

  • दिन: माता नारायणी लक्ष्मी की पूजा शुक्रवार के दिन करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  • अवधि: यह साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए।

सावधानियां

  1. शुद्धता: साधना के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. नियमितता: प्रतिदिन एक ही समय पर पूजा करें।
  3. आहार: सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन से बचें।
  4. नकारात्मकता से बचाव: साधना के दौरान नकारात्मक विचारों और ऊर्जा से दूर रहें।
  5. गोपनीयता: साधना की गोपनीयता बनाए रखें और अनावश्यक रूप से किसी को न बताएं।

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माता नारायणी लक्ष्मी मंत्र लाभ

  1. धन और समृद्धि: माता नारायणी लक्ष्मी की कृपा से साधक के जीवन में धन और समृद्धि का वास होता है।
  2. सुख और शांति: साधना से मन और घर में शांति और सुख का संचार होता है।
  3. विपत्ति से रक्षा: जीवन में आने वाली विपत्तियों और कठिनाइयों से रक्षा होती है।
  4. विवाह में सफलता: विवाह और दाम्पत्य जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
  5. स्वास्थ्य में सुधार: साधना से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  6. मनोकामना पूर्ति: सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: साधक को आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  8. बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
  9. व्यापार में वृद्धि: व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि और लाभ होता है।
  10. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  11. संपत्ति का संरक्षण: साधना से संपत्ति की रक्षा होती है और संपत्ति में वृद्धि होती है।
  12. शत्रुओं से रक्षा: साधक को शत्रुओं से रक्षा मिलती है।
  13. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  14. भौतिक सुख: जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  15. आकर्षण क्षमता में वृद्धि: साधक की आकर्षण क्षमता में वृद्धि होती है।
  16. सकारात्मक ऊर्जा: साधना से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  17. समाज में सम्मान: साधक को समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
  18. संपूर्ण विकास: साधक का संपूर्ण विकास होता है।
  19. आर्थिक स्थिरता: आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
  20. सदैव लक्ष्मी का वास: साधक के घर में सदैव लक्ष्मी का वास होता है।

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माता नारायणी लक्ष्मी मंत्र-FAQ

  1. माता नारायणी लक्ष्मी कौन हैं?
    माता नारायणी लक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं और वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं।
  2. इस मंत्र का क्या महत्व है?
    यह मंत्र साधक को मानसिक शांति, धन, और समृद्धि प्रदान करता है।
  3. मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
    सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में मंत्र जप करना सर्वोत्तम होता है।
  4. मंत्र जप कितनी बार करना चाहिए?
    प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए।
  5. साधना के दौरान कौन-कौन सी सावधानियों का पालन करना चाहिए?
    शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संकल्प का पालन, साधना की गोपनीयता, और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  6. पूजा के लिए किस प्रकार की माला का उपयोग करना चाहिए?
    रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला का उपयोग करना चाहिए।
  7. क्या साधना के दौरान किसी विशेष वस्त्र का उपयोग करना चाहिए?
    साधना के दौरान सफेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए।
  8. माता नारायणी लक्ष्मी की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
    यह साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए।
  9. क्या साधना के दौरान किसी प्रकार का व्रत या उपवास रखना आवश्यक है?
    साधना के दौरान व्रत या उपवास रखने से साधक की शुद्धता और साधना की प्रभावशीलता बढ़ती है।
  10. क्या साधना के बाद विश्राम करना आवश्यक है?
    हां, साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करना चाहिए।
  11. क्या साधना के दौरान अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जा सकती है?
    हां, माता नारायणी लक्ष्मी की साधना के दौरान अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जा सकती है।

अंत में

माता नारायणी लक्ष्मी की पूजा और साधना अत्यंत प्रभावशाली और लाभकारी है। सही विधि और नियमों का पालन करते हुए इस मंत्र का जप करने से साधक को जीवन में धन, समृद्धि, मानसिक शांति, और सुख-शांति प्राप्त होती है। साधना के दौरान सभी सावधानियों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि साधक को पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। माता नारायणी लक्ष्मी की कृपा से साधक जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति और सफलता प्राप्त करता है।

Uchchhishtha matangi Mantra for fulfil dreams

Uchchhishtha matangi Mantra for fulfil dreams

Uchchhishtha matangi Mantra उच्छिष्ठ मातंगी महाविद्या मातंगी देवी के एक रूप के रूप में जानी जाती हैं। और उन्हें विद्या, कला, और समृद्धि की देवी माना जाता हैं। योग्यता होते हुये भी जब आप अपने कार्य मे सफल नही हो पा रहे है तब उच्छिष्ठ मातंगी प्रयोग करना चाहिये. इनकी पूजा मुंह मे कुछ रखकर या झूंठे मुंह की जाती है.

उच्छिष्ठ मातंगी की साधना में उच्च ध्यान, यंत्र, मंत्र, और मुद्राएं का उपयोग होता है। इनकी पूजा से भक्त को ज्ञान, विवेक, और बुद्धि की प्राप्ति होती हैं। उनकी कृपा से भक्त को सफलता और समृद्धि मिलती हैं और उन्हें शांति और सुख की प्राप्ति होती हैं।

मंत्र

|| ॐ ह्रीं उच्छिष्ठ-चाण्डालिनी मातंगेश्वरी सर्वजनवासंमोहिनी स्वाहा ||

मंत्र का अर्थ:

  1. : यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा और दिव्यता का प्रतीक है, जो मंत्र की शक्ति को सक्रिय करता है।
  2. ह्रीं: यह बीज मंत्र है, जो मातंगी देवी की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और आंतरिक शुद्धि व आध्यात्मिक विकास में सहायक है।
  3. उच्छिष्ठ-चाण्डालिनी: यह मातंगी देवी का विशेष स्वरूप है, जो विशेष रूप से उन साधकों के लिए है जो सिद्धियों की प्राप्ति और गूढ़ रहस्यों को समझना चाहते हैं।
  4. मातंगेश्वरी: यह देवी मातंगी का एक और नाम है, जो ज्ञान, संगीत, और वाणी की अधिष्ठात्री हैं।
  5. सर्वजनवासंमोहिनी: इसका अर्थ है “सभी को आकर्षित करने वाली और मोहिनी शक्ति प्रदान करने वाली।” यह शक्ति साधक को दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता प्रदान करती है।
  6. स्वाहा: यह शब्द मंत्र को पूर्णता प्रदान करता है और मंत्र का प्रभाव साधक तक पहुँचाता है।

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मंत्र का महत्व:

  • यह मंत्र देवी मातंगी को समर्पित है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं।
  • यह मंत्र साधक की वाणी में प्रभाव, आकर्षण, और सम्मोहन शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • इसे विद्या, कला, संगीत, और ज्ञान के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए जपा जाता है।

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उच्छिष्ठ मातंगी माता FAQ

1. उच्छिष्ठ मातंगी माता कौन हैं?

उच्छिष्ठ मातंगी माता दस महाविद्याओं में से एक महत्वपूर्ण देवी हैं, जिन्हें विद्या, कला, संगीत, और भाषण की देवी माना जाता है। वे सभी प्रकार के सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान की प्रदाता हैं।

2. उच्छिष्ठ मातंगी माता का मुख्य मंत्र क्या है?

उच्छिष्ठ मातंगी माता का मुख्य मंत्र है:

|| ॐ ह्रीं उच्छिष्ठ-चाण्डालिनी मातंगेश्वरी सर्वजनवासंमोहिनी स्वाहा ||

3. इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?

प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए।

4. मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) में मंत्र जप करना सर्वोत्तम होता है।

5. मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का उपयोग करना चाहिए?

रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला का उपयोग करना चाहिए।

6. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना हर कोई कर सकता है?

हां, लेकिन साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और उसे शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना चाहिए।

7. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियों का पालन करना चाहिए?

शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संकल्प का पालन, साधना की गोपनीयता, और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

8. साधना के दौरान किस प्रकार का आहार लेना चाहिए?

साधना के दौरान साधक को तामसिक भोजन और मदिरा से बचना चाहिए। सात्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करना चाहिए।

9. मंत्र जप का स्थान कैसा होना चाहिए?

मंत्र जप के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए, जहां किसी प्रकार की बाधा न हो।

10. उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?

इस मंत्र की साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए।

11. उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना से क्या-क्या लाभ प्राप्त होते हैं?

उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना से ज्ञान, बुद्धि, कला, संगीत, और भाषण में निपुणता प्राप्त होती है। साथ ही, आत्मविश्वास, मानसिक शांति, और सफलता भी मिलती है।

12. क्या साधना के बाद विश्राम करना आवश्यक है?

हां, साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करना चाहिए।

13. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना में कोई विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?

हां, सफेद पुष्प, चंदन, कुमकुम, और दीपक की आवश्यकता होती है।

14. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना केवल विशेष अवसरों पर की जा सकती है?

नहीं, उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में करना सर्वोत्तम होता है।

15. उच्छिष्ठ मातंगी माता की कृपा से कौन-कौन सी समस्याएं हल होती हैं?

विद्या, कला, संगीत, और भाषण में निपुणता, मानसिक शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही, सभी प्रकार के बौद्धिक और रचनात्मक कार्यों में सफलता मिलती है।

16. क्या साधना के दौरान किसी विशेष वस्त्र का उपयोग करना चाहिए?

साधना के दौरान सफेद रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए।

17. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना के दौरान किसी प्रकार की व्रत या उपवास रखना आवश्यक है?

साधना के दौरान व्रत या उपवास रखने से साधक की शुद्धता और साधना की प्रभावशीलता बढ़ती है।

18. मंत्र जप के दौरान ध्यान किस पर केंद्रित करना चाहिए?

मंत्र जप के दौरान ध्यान उच्छिष्ठ मातंगी माता के दिव्य स्वरूप और उनके आशीर्वाद पर केंद्रित करना चाहिए।

19. क्या उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना से व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याएं हल हो सकती हैं?

हां, उच्छिष्ठ मातंगी माता की कृपा से व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याएं भी हल हो सकती हैं, और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है।

20. उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

उच्छिष्ठ मातंगी माता की साधना का प्रमुख उद्देश्य विद्या, कला, संगीत, और भाषण में निपुणता प्राप्त करना और जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि प्राप्त करना है।

Mahavidya Bagalamukhi for protection

माता बगलामुखी १० महाविद्या मे से एक महाविद्या मानी जाती है. जिनकी पूजा विशेष रूप से धन, समृद्धि, और हर क्षेत्र मे विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है. इसके अलावा कोर्ट कचहरी, विवाद मे भी लोग माता बगलामुखी की शरण लेते है. वे तंत्र में एक अलौकिक शक्ति के रूप में मानी जाती हैं जो भक्तों को बुरी नज़र, शत्रुओं और अशुभ शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करती हैं।

बगलामुखी माता का नाम “बगला” और “मुख” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “बाल का मुख”। इसका अर्थ है कि वे अपने भक्तों के लिए समस्याओं को “मुंह में बांध” देती हैं और उन्हें उनके लक्ष्यों में सफलता प्रदान करती हैं।

बगलामुखी माता की पूजा के लिए विशेष मंत्र और तंत्र का उपयोग किया जाता है, जिसमें ध्यान, मुद्राएं, और यंत्रों का उपयोग होता है। उनके पूजन से भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा, स्थिरता, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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माता बगलामुखी FAQ

  1. माता बगलामुखी कौन हैं?
    माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें शत्रुओं का नाश करने वाली और अपने भक्तों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है।
  2. माता बगलामुखी का मुख्य मंत्र क्या है?
    माता बगलामुखी का मुख्य मंत्र है: || ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा || “OM HLREEM BAGALAMUKHI SARVA DUSHTAANAAM VAACHAM MUKHAMM PADAMM STAMBHAY JEEVHA KEELAY BUDDHI VINAASHAY HLREEM OM SVAHA”
  1. इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
    प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए।
  2. मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
    ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच) में मंत्र जप करना सर्वोत्तम होता है।
  3. मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का उपयोग करना चाहिए?
    हल्दी की माला का उपयोग करना चाहिए।
  4. क्या माता बगलामुखी की साधना हर कोई कर सकता है?
    नहीं, इस साधना को केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही कर सकते हैं।
  5. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियों का पालन करना चाहिए?
    शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संकल्प का पालन, साधना की गोपनीयता, और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  6. साधना के दौरान किस प्रकार का आहार लेना चाहिए?
    साधना के दौरान साधक को तामसिक भोजन और मदिरा से बचना चाहिए।
  7. मंत्र जप का स्थान कैसा होना चाहिए?
    मंत्र जप के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए, जहां किसी प्रकार की बाधा न हो।
  8. माता बगलामुखी की साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
    इस मंत्र की साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए।

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अंत में

माता बगलामुखी का मंत्र और उनकी साधना अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली है। इसका सही विधि और नियमों का पालन करते हुए जप करने से साधक को विद्या, बुद्धि, धन, समृद्धि, और विजय प्राप्त होती है। साधना के दौरान सभी सावधानियों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि साधक को पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। माता बगलामुखी की कृपा से साधक जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति और सफलता प्राप्त करता है।

Mata tripur bhairavi mantra for obstacles

त्रिपुर भैरवी दस महाविद्याओं में से एक महाविद्या मानी जाती है. जो त्रिपुर भैरवी के भक्त होते है उन्हे देवताओ की कृपा जल्दी मिलती है. ये माता दुर्गा की रूप मानी जाती है। और वामाचार मार्ग की देवी हैं, जिनकी साधना वामाचारी साधकों द्वारा की जाती है। उन्हें अक्षोभ्या भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘जो अक्षोभ्य है’। त्रिपुर भैरवी का ध्यान करने से साधक को भगवती की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में परिवार की सुरक्षा के साथ समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। ये अत्यंत शक्तिशाली और करुणामयी देवी मानी जाती हैं, जो अपने भक्तों को भय, संकट, और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाती हैं। उनकी साधना से साधक को आत्मिक शक्ति, ज्ञान, और समृद्धि प्राप्त होती है। माता त्रिपुर भैरवी का नाम त्रिपुर का अर्थ है तीनों लोकों की रानी और भैरवी का अर्थ है भयानक शक्ति।

स्वरूप

माता त्रिपुर भैरवी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य होता है। वे लाल रंग के वस्त्र धारण किए हुए होती हैं और उनके शरीर पर लाल आभूषण होते हैं। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे तलवार, खड्ग, त्रिशूल, और कमल का फूल धारण करती हैं। उनकी आंखों में अद्भुत चमक और करुणा का संगम होता है।

मंत्र का विवरण

इस मंत्र का उच्चारण करने से साधक को माता त्रिपुर भैरवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, सुरक्षा, और समृद्धि मिलती है।

मंत्र

|| ॐ त्रिपुरायै विद्महे महाभैरव्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् || “OM TRIPURAAYE VIDYAMAHE MAHAABHAIRAVE DHEEMAHI TANNO DEVI PRACHODAYAAT”

मंत्र का उच्चारण विधि

  1. समय: इस मंत्र का उच्चारण ब्रह्म मुहूर्त में करना सर्वोत्तम होता है।
  2. स्थान: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां किसी प्रकार की बाधा न हो।
  3. आसन: लाल रंग के आसन पर बैठें।
  4. माला: रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
  5. मंत्र जप की संख्या: प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जप करें।
  6. आवश्यक सामग्री: लाल पुष्प, सिंदूर, कुमकुम, और दीपक जलाएं।

मंत्र जप का समय

इस मंत्र का जप प्रतिदिन 21 दिनों तक करना चाहिए। हर दिन 108 बार मंत्र का जप करना अत्यंत लाभकारी होता है।

साधना के दौरान सावधानियाँ

  1. आयु: इस मंत्र का अभ्यास केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही करें।
  2. शुद्धता: साधक को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना चाहिए।
  3. आहार: तामसिक भोजन और मदिरा से बचें।
  4. संकल्प: मंत्र जप शुरू करने से पहले संकल्प लें और साधना पूरी होने तक उसे न तोड़ें।
  5. गोपनीयता: अपनी साधना को गुप्त रखें और अनावश्यक रूप से किसी को न बताएं।
  6. विश्राम: साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करें।

माता त्रिपुर भैरवी मंत्र के लाभ

  1. शत्रुओं का नाश: माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है।
  2. विजय प्राप्ति: सभी प्रकार की बाधाओं और चुनौतियों में विजय प्राप्त होती है।
  3. धन और समृद्धि: यह मंत्र साधक को धन और समृद्धि प्रदान करता है।
  4. बुद्धि में वृद्धि: माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से बुद्धि का विकास होता है।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि: यह मंत्र साधक का आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  6. शांति और स्थिरता: माता त्रिपुर भैरवी की उपासना से मन की शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  7. सफलता: जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
  8. सृजनात्मकता: सृजनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
  9. धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  10. सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  11. आध्यात्मिक ज्ञान: आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव को बढ़ाता है।
  12. रोगों से मुक्ति: माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
  13. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  14. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है।
  15. सपनों की प्राप्ति: ऊंचे सपनों को साकार करने में मदद करता है।
  16. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान बढ़ता है।
  17. रक्षा कवच: हर प्रकार की नकारात्मकता और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  18. संकल्प सिद्धि: साधक के संकल्पों को सिद्ध करता है।
  19. संपूर्ण विकास: शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक विकास में सहायक होता है।
  20. आध्यात्मिक शांति: आध्यात्मिक शांति और आनन्द की प्राप्ति होती है।

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साधना की अवधि

इस मंत्र की साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए। प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना आवश्यक है। इस दौरान साधक को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और साधना के प्रति पूरी निष्ठा रखनी चाहिए।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. क्या माता त्रिपुर भैरवी की साधना हर कोई कर सकता है?
    नहीं, इस साधना को केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही कर सकते हैं।
  2. माता त्रिपुर भैरवी का मंत्र क्या है?
    माता त्रिपुर भैरवी का मंत्र है:
   || ॐ त्रिपुरायै विद्महे महाभैरव्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् ||
  1. इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
    प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए।
  2. इस मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
    ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जप करना सर्वोत्तम होता है।
  3. क्या इस साधना के दौरान कोई विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
    हां, साधना के दौरान तामसिक भोजन और मदिरा से बचना चाहिए।
  4. साधना के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
    शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संकल्प का पालन, साधना की गोपनीयता, और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  5. माता त्रिपुर भैरवी की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
    लाल पुष्प, सिंदूर, कुमकुम, और दीपक की आवश्यकता होती है।
  6. मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का उपयोग करना चाहिए?
    रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए।
  7. क्या साधना के बाद विश्राम करना आवश्यक है?
    हां, साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करना चाहिए।
  8. माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से क्या-क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
    शत्रुओं का नाश, विजय प्राप्ति, धन और समृद्धि, बुद्धि में वृद्धि, आत्मविश्वास में वृद्धि, शांति और स्थिरता, सफलता, सृजनात्मकता, धार्मिक उन्नति, सकारात्मक ऊर्जा, आध्यात्मिक ज्ञान, रोगों से मुक्ति, मानसिक शांति, परिवार में सुख-शांति, सपनों की प्राप्ति, समाज में प्रतिष्ठा, रक्षा कवच, संकल्प सिद्धि, संपूर्ण विकास, और आध्यात्मिक शांति सहित 20 लाभ प्राप्त होते हैं।

अंत में

माता त्रिपुर भैरवी का मंत्र अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली है। इसका सही विधि और नियमों का पालन करते हुए जप करने से साधक को विद्या, बुद्धि, धन, समृद्धि, और विजय प्राप्त होती है। साधना के दौरान सभी सावधानियों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि साधक को पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। माता त्रिपुर भैरवी की कृपा से साधक जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति और सफलता प्राप्त करता है।

Black tara mantra for debt & protection

Black tara mantra for debt & protection

काली तारा, जिन्हे “श्याम तारा” या ‘क्रोध तारा’ भी कहा जाता है, ये १० महाविद्या मे एक माता तारा का स्वरूप मानी जाती है. तिब्बती बौद्ध धर्म में इनकी आराधना प्रमुख तौर पर की जाती है.। यह क्रोध, भय और नकारात्मक विचारों को दूर कर आर्थिक उन्नति मे सहायक मानी जाती है। इन्हें संकटों से मुक्ति दिलाने वाली और सुरक्षा प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। उन्हें माता तारा का रौद्र रूप भी कहा जाता है, जो विशेषकर नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर, और अन्य अशुभ शक्तियों से रक्षा करती हैं। माता ब्लैक तारा का आशीर्वाद साधक को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्रदान करता है।

स्वरूप

माता ब्लैक तारा का स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली होता है। वे काले रंग के वस्त्र धारण किए हुए और काले पुष्पों से सुशोभित होती हैं। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। उनकी आंखों में करुणा और शक्ति का अद्भुत संगम होता है।

मंत्र का विवरण

इस मंत्र का उच्चारण करने से साधक को माता ब्लैक तारा की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा मिलती है।

मंत्र का उच्चारण विधि

  1. समय: इस मंत्र का उच्चारण ब्रह्म मुहूर्त में करना सर्वोत्तम होता है।
  2. स्थान: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां किसी प्रकार की बाधा न हो।
  3. आसन: काले रंग के आसन पर बैठें।
  4. माला: काले मोतियों की माला का उपयोग करें।
  5. मंत्र जप की संख्या: प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जप करें।
  6. आवश्यक सामग्री: काले पुष्प, काला तिलक, और दीपक जलाएं।

मंत्र जप का समय

इस मंत्र का जप प्रतिदिन 21 दिनों तक करना चाहिए। हर दिन 540 बार मंत्र का जप करना अत्यंत लाभकारी होता है।

मंत्र

|| ॐ श्याम तारे तुत्तारे तुरे स्वाहा ||”OM SHYAM TARE TUTARE SVAHA”

साधना के दौरान सावधानियाँ

  1. आयु: इस मंत्र का अभ्यास केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही करें।
  2. शुद्धता: साधक को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना चाहिए।
  3. आहार: तामसिक भोजन और मदिरा से बचें।
  4. संकल्प: मंत्र जप शुरू करने से पहले संकल्प लें और साधना पूरी होने तक उसे न तोड़ें।
  5. गोपनीयता: अपनी साधना को गुप्त रखें और अनावश्यक रूप से किसी को न बताएं।
  6. विश्राम: साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करें।

माता काली तारा मंत्र के लाभ

  1. शत्रुओं का नाश: माता ब्लैक तारा की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है।
  2. विजय प्राप्ति: सभी प्रकार की बाधाओं और चुनौतियों में विजय प्राप्त होती है।
  3. धन और समृद्धि: यह मंत्र साधक को धन और समृद्धि प्रदान करता है।
  4. बुद्धि में वृद्धि: माता ब्लैक तारा की कृपा से बुद्धि का विकास होता है।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि: यह मंत्र साधक का आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  6. शांति और स्थिरता: माता ब्लैक तारा की उपासना से मन की शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  7. सफलता: जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
  8. सृजनात्मकता: सृजनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
  9. धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  10. सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  11. आध्यात्मिक ज्ञान: आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव को बढ़ाता है।
  12. रोगों से मुक्ति: माता ब्लैक तारा की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
  13. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  14. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है।
  15. सपनों की प्राप्ति: ऊंचे सपनों को साकार करने में मदद करता है।
  16. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान बढ़ता है।
  17. रक्षा कवच: हर प्रकार की नकारात्मकता और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  18. संकल्प सिद्धि: साधक के संकल्पों को सिद्ध करता है।
  19. संपूर्ण विकास: शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक विकास में सहायक होता है।
  20. आध्यात्मिक शांति: आध्यात्मिक शांति और आनन्द की प्राप्ति होती है।

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साधना की अवधि

इस मंत्र की साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए। प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना आवश्यक है। इस दौरान साधक को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और साधना के प्रति पूरी निष्ठा रखनी चाहिए।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. क्या माता ब्लैक तारा की साधना हर कोई कर सकता है?
    नहीं, इस साधना को केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही कर सकते हैं।
  2. माता ब्लैक तारा का मंत्र क्या है?
    माता ब्लैक तारा का मंत्र है:
  || ॐ श्याम तारे तुत्तारे तुरे स्वाहा ||"OM SHYAM TARE TUTARE SVAHA"
  1. इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
    प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए।
  2. इस मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
    ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जप करना सर्वोत्तम होता है।
  3. क्या इस साधना के दौरान कोई विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
    हां, साधना के दौरान तामसिक भोजन और मदिरा से बचना चाहिए।
  4. साधना के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
    शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संकल्प का पालन, साधना की गोपनीयता, और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  5. माता ब्लैक तारा की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
    काले पुष्प, काला तिलक, और दीपक की आवश्यकता होती है।
  6. मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का उपयोग करना चाहिए?
    काले मोतियों की माला का उपयोग करना चाहिए।
  7. क्या साधना के बाद विश्राम करना आवश्यक है?
    हां, साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करना चाहिए।

माता काली तारा का मंत्र अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली है। इसका सही विधि और नियमों का पालन करते हुए जप करने से साधक को विद्या, बुद्धि, धन, समृद्धि, और विजय प्राप्त होती है। साधना के दौरान सभी सावधानियों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि साधक को पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। माता ब्लैक तारा की कृपा से साधक जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति और सफलता प्राप्त करता है।