Buy now

spot_img
spot_img
Home Blog Page 87

Ruru Bhairava Mantra for Obstacles

रुरु भैरव / Ruru Bhairava Mantra for Obstacles

संकट नाशक रुरु भैरव, जिन्हें रुरुक भैरव भी कहा जाता है, भगवान शिव के एक प्रमुख अवतार हैं जो क्रोध और भय के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं। रुरु भैरव की पूजा से सभी प्रकार के भय और संकटों से मुक्ति, और सफलता प्राप्ति होती है।

रुरु भैरव, भैरव के आठ रूपों में से एक हैं, जिन्हें ‘अष्ट भैरव’ कहा जाता है। हिंदू धर्म में भैरव भगवान शिव का एक भयंकर रूप हैं, जिन्हें समय, विनाश और त्रासदी का देवता माना जाता है। रुरु भैरव को एक महान योद्धा और महान तपस्वी माना जाता है, जो अपने भक्तों को सुरक्षा, ज्ञान, और समृद्धि प्रदान करते हैं।

रुरु भैरव को सबसे शक्तिशाली भैरवों में से एक माना जाता है, और उनके उपासकों को उनकी कृपा से अनेक लाभ मिलते हैं। उनके माध्यम से भक्त अपने शत्रुओं से मुक्ति, रोगों से छुटकारा, और विभिन्न प्रकार के भय से निजात पा सकते हैं। रुरु भैरव की पूजा करने से जीवन में आत्म-विश्वास और आत्म-निर्भरता की वृद्धि होती है।

मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र: ॐ भ्रं रुरु भैरवाय नमः

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है कि हम रुरु भैरव की स्तुति करते हैं और उन्हें नमस्कार करते हैं। “ॐ” एक पवित्र ध्वनि है, “भ्रं” बीज मंत्र है जो रुरु भैरव को समर्पित है। “रुरु भैरवाय” का अर्थ है रुरु भैरव को, और “नमः” का अर्थ है नमस्कार या समर्पण।

लाभ

  1. सुरक्षा: रुरु भैरव का मंत्र जपने से व्यक्ति को सभी प्रकार के भय और असुरक्षा से मुक्ति मिलती है।
  2. आत्म-विश्वास: इस मंत्र के नियमित जप से आत्म-विश्वास और आत्म-संयम में वृद्धि होती है।
  3. शत्रुओं से मुक्ति: यह मंत्र शत्रुओं और बुरे प्रभावों से रक्षा करता है।
  4. रोगों से छुटकारा: रुरु भैरव का आशीर्वाद सभी प्रकार के रोगों और बिमारियों को दूर करता है।
  5. धन-संपत्ति: मंत्र का जप करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  6. शांति और संतुलन: मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति करने में सहायक होता है।
  8. विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान: विवाह और वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान होता है।
  9. संतान प्राप्ति: यह मंत्र संतान प्राप्ति के लिए भी प्रभावी माना जाता है।
  10. कार्य सिद्धि: किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण करने में सहायता मिलती है।
  11. दुर्घटना से बचाव: दुर्घटनाओं और आपदाओं से बचाव होता है।
  12. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा होती है।
  13. सफलता: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  14. ज्ञान और बुद्धि: ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
  15. सुख-समृद्धि: सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है।
  16. कर्म सुधार: व्यक्ति के कर्मों में सुधार और सकारात्मकता आती है।
  17. स्वास्थ्य: उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
  18. यात्रा में सुरक्षा: यात्रा के दौरान सुरक्षा और सफलता मिलती है।
  19. मंत्र सिद्धि: मंत्र के नियमित जप से मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है।
  20. अन्य समस्याओं का समाधान: जीवन में आने वाली अन्य समस्याओं का समाधान होता है।

दिन और मुहूर्त

रुरु भैरव के मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, अमावस्या और अष्टमी तिथि भी इस मंत्र के जप के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

मंत्र जप की अवधि

रोज़ाना सुबह और शाम के समय मंत्र का जप करना चाहिए। प्रत्येक समय कम से कम 108 बार मंत्र का जप करने का प्रयास करें। नियमित जप करने से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।

रुरु भैरव मंत्र जप के नियम

  1. स्वच्छता: मंत्र जप से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शुद्धि: मन, वचन, और कर्म की शुद्धि बनाए रखें।
  3. स्थान: शांति और स्वच्छता वाला स्थान चुनें।
  4. ध्यान: रुरु भैरव की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठकर ध्यान करें।
  5. संकल्प: मंत्र जप से पहले संकल्प लें और देवी-देवताओं का आह्वान करें।
  6. आसन: कुश के आसन का प्रयोग करें।
  7. माला: रुद्राक्ष या सफेद चन्दन की माला से मंत्र का जप करें।
  8. समय: नियमित रूप से एक ही समय पर जप करने का प्रयास करें।
  9. भोजन: शुद्ध और सात्विक भोजन करें।
  10. समर्पण: पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ जप करें।

Get mantra diksha

रुरु भैरव मंत्र जप के दौरान सावधानियाँ

  1. विचलन से बचें: जप के दौरान मन को एकाग्र रखें और विचलित न होने दें।
  2. सात्विक आहार: जप के दौरान सात्विक आहार का पालन करें।
  3. अल्कोहल और मांसाहार से बचें: जप के दौरान अल्कोहल और मांसाहार से बचें।
  4. सकारात्मक सोच: हमेशा सकारात्मक सोच रखें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  5. समर्पण: पूर्ण समर्पण और श्रद्धा के साथ जप करें।

spiritual store

मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. रुरु भैरव कौन हैं?
    रुरु भैरव भगवान शिव का एक उग्र और भयंकर रूप हैं, जो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें शत्रुओं से मुक्ति दिलाते हैं।
  2. रुरु भैरव का मंत्र क्या है?
    रुरु भैरव का मंत्र है: ॐ भ्रं रुरु भैरवाय नमः।
  3. इस मंत्र का अर्थ क्या है?
    इस मंत्र का अर्थ है कि हम रुरु भैरव की स्तुति करते हैं और उन्हें नमस्कार करते हैं।
  4. मंत्र का जप किस दिन करें?
    मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  5. मंत्र जप का उचित समय क्या है?
    मंत्र जप का उचित समय सुबह और शाम का है।
  6. मंत्र जप के लाभ क्या हैं?
    मंत्र जप के लाभों में सुरक्षा, आत्म-विश्वास, रोगों से मुक्ति, धन-संपत्ति की प्राप्ति, और मानसिक शांति शामिल हैं।
  7. मंत्र जप के नियम क्या हैं?
    मंत्र जप के नियमों में स्वच्छता, शुद्धि, शांत और स्वच्छ स्थान का चयन, ध्यान, और नियमितता शामिल हैं।
  8. मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    मंत्र जप के दौरान विचलन से बचें, सात्विक आहार का पालन करें, और अल्कोहल तथा मांसाहार से दूर रहें।
  9. क्या मंत्र जप से शत्रुओं से मुक्ति मिल सकती है?
    हां, रुरु भैरव का मंत्र जप शत्रुओं से मुक्ति दिलाता है।
  10. क्या मंत्र जप से आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है?
    हां, इस मंत्र का जप आर्थिक स्थिति में सुधार लाता है।
  11. क्या मंत्र जप से स्वास्थ्य में लाभ होता है?
    हां, मंत्र जप उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करता है।
  12. मंत्र जप के लिए कौन सी माला उपयुक्त है?
    रुद्राक्ष या सफेद चन्दन की माला उपयुक्त मानी जाती है।

Ashtanga Bhairav Mantra for Strong Protection

अष्टाङ्ग भैरव /Ashtanga Bhairav Mantra for Strong Protection

तुरंत प्रसन्न होने वाले अष्टाङ्ग भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव के आठ रूपों का समूह है। इन आठ रूपों में हर एक का विशेष महत्व और शक्ति है। ये आठ रूप व्यक्ति की रक्षा, समृद्धि, और जीवन में शांति प्रदान करने में सहायक होते हैं। इनकी पूजा और मंत्र जाप से भक्त को शक्ति, साहस, और सफलता प्राप्त होती है।

अष्टाङ्ग भैरव मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र: ॐ भ्रं अष्टाङ्ग भैरवाय नमः

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है, “मैं अष्टाङ्ग भैरव को नमन करता हूँ।” यह मंत्र भगवान भैरव के आठ स्वरूपों को समर्पित है और उनकी शक्ति और कृपा की प्रार्थना करता है।

अष्टाङ्ग भैरव मंत्र के लाभ

  1. रक्षा: यह मंत्र व्यक्ति की सभी प्रकार की बाहरी और आंतरिक खतरों से रक्षा करता है।
  2. भयमुक्ति: इस मंत्र के जप से सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  3. शत्रु नाश: यह मंत्र शत्रुओं को परास्त करने में सहायक होता है।
  4. समृद्धि: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र आर्थिक समृद्धि और सफलता लाता है।
  5. मानसिक शांति: यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  6. स्वास्थ्य: यह मंत्र अच्छे स्वास्थ्य और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  8. साहस: यह मंत्र साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  9. धैर्य: मंत्र जप से धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि होती है।
  10. क्लेश मुक्ति: यह मंत्र पारिवारिक और व्यक्तिगत क्लेशों का नाश करता है।
  11. योग्यता: यह मंत्र व्यक्ति की योग्यता और प्रतिभा में वृद्धि करता है।
  12. सुखमय जीवन: यह मंत्र सुखमय जीवन की प्राप्ति में सहायक होता है।
  13. प्रभावशाली व्यक्तित्व: यह मंत्र व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है।
  14. विघ्न नाश: यह मंत्र सभी प्रकार के विघ्न और बाधाओं का नाश करता है।
  15. कार्य सिद्धि: यह मंत्र कार्यों की सफलता में सहायक होता है।
  16. सात्विक ऊर्जा: यह मंत्र सकारात्मक और सात्विक ऊर्जा का संचार करता है।
  17. तंत्र बाधा मुक्ति: यह मंत्र तंत्र और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
  18. परिवार में सुख-शांति: यह मंत्र परिवार में सुख-शांति और प्रेम बनाए रखता है।
  19. ज्ञान वृद्धि: यह मंत्र ज्ञान और विवेक में वृद्धि करता है।
  20. सुरक्षा: यह मंत्र व्यक्ति को हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है।

अष्टाङ्ग भैरव मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन

अष्टाङ्ग भैरव मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार को विशेष शुभ माना जाता है। इन दिनों में मंत्र जप का प्रभाव अधिक होता है।

मंत्र जप की अवधि

मंत्र जप की अवधि कम से कम 15 मिनट से लेकर 1 घंटे तक होनी चाहिए। आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे बढ़ा सकते हैं।

मुहुर्त

अष्टाङ्ग भैरव मंत्र का जप ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में करना श्रेष्ठ माना जाता है। अगर यह संभव न हो तो आप इसे किसी भी शुभ मुहुर्त में कर सकते हैं।

मंत्र जप के नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. शांति: शांत और एकांत स्थान का चयन करें जहाँ किसी प्रकार की व्यवधान न हो।
  3. आसन: कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करना चाहिए।
  4. माला: रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
  5. नियमितता: प्रतिदिन नियमित समय पर मंत्र जप करें।
  6. ध्यान: अष्टाङ्ग भैरव का ध्यान करते हुए मंत्र का जप करें।
  7. भक्ति: पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ मंत्र का जप करें।
  8. संकल्प: मंत्र जप से पहले एक संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह मंत्र जप कर रहे हैं।
  9. आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  10. व्रत: अगर संभव हो तो मंगलवार या शनिवार के दिन व्रत रखें।

Get mantra diksha

मंत्र जप सावधानियाँ

  1. अशुद्ध स्थान: अशुद्ध स्थान पर मंत्र जप न करें।
  2. भोजन के बाद: भोजन के तुरंत बाद मंत्र जप न करें।
  3. नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचारों से बचें।
  4. अवधि: बहुत लंबी अवधि तक लगातार मंत्र जप न करें।
  5. सही उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करें।
  6. ध्यान भंग: ध्यान भंग करने वाले कारकों से बचें।
  7. प्राकृतिक घटनाएँ: प्राकृतिक आपदाओं के समय मंत्र जप न करें।
  8. स्वास्थ्य: स्वास्थ्य खराब होने पर मंत्र जप न करें।
  9. नियमों का पालन: सभी नियमों का पालन करें।
  10. अभिमान: मंत्र सिद्धि प्राप्त होने पर अभिमान न करें।

spiritual store

अष्टाङ्ग भैरव मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव कौन हैं?
    उत्तर: अष्टाङ्ग भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव के आठ रूपों का समूह है।
  2. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र का अर्थ क्या है?
    उत्तर: “मैं अष्टाङ्ग भैरव को नमन करता हूँ।”
  3. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र का जप किस दिन करना शुभ होता है?
    उत्तर: मंगलवार और शनिवार को।
  4. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र का नियमित जप क्या लाभ देता है?
    उत्तर: रक्षा, भयमुक्ति, शत्रु नाश, समृद्धि, मानसिक शांति।
  5. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में।
  6. प्रश्न: मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का प्रयोग करें?
    उत्तर: रुद्राक्ष की माला का।
  7. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र का उच्चारण कैसे करना चाहिए?
    उत्तर: सही उच्चारण और श्रद्धा के साथ।
  8. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र जप से क्या लाभ होता है?
    उत्तर: शारीरिक शक्ति, मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, साहस और धैर्य।
  9. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    उत्तर: अशुद्ध स्थान पर जप न करें, भोजन के तुरंत बाद न करें, नकारात्मक विचारों से बचें।
  10. प्रश्न: क्या अष्टाङ्ग भैरव मंत्र जप से आर्थिक समृद्धि मिलती है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र आर्थिक समृद्धि लाता है।
  11. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र जप करने से क्या आध्यात्मिक उन्नति होती है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  12. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र का जप कैसे करें?
    उत्तर: शुद्धता, शांत स्थान, कुश का आसन, रुद्राक्ष माला, नियमितता, ध्यान, भक्ति, संकल्प, सात्विक आहार के साथ।
  13. प्रश्न: अष्टाङ्ग भैरव मंत्र जप के लिए कौन सा समय सबसे अच्छा होता है?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) सबसे अच्छा होता है।

Kalki Vishnu Mantra – destroyer of the most fierce negative forces

Kalki Vishnu Mantra -destroyer of the most fierce negative forces

नकारात्मक उर्जा को नष्ट करने वाले कल्कि अवतार भगवान विष्णु का आगामी अवतार है। इस अवतार को कलियुग के अंत में पृथ्वी को उसकी धर्मस्थिति पर फिर से स्थापित करने के लिए भगवान अवतार लेंगे ऐसा माना जाता है। कल्कि अवतार भगवान विष्णु का आखिरी अवतार माने जाते है जिसमें वे महा पापी, भ्रष्ट व असुरों के साथ युद्ध करके धर्म को स्थापित करेंगे।

कल्कि मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र: ॐ नमो कल्कि देवाय क्लीं नमः।

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है, “मैं कल्कि देव को नमन करता हूँ।” यह मंत्र भगवान कल्कि की शक्ति और उनके दिव्य स्वरूप को नमन करता है।

कल्कि मंत्र के लाभ

  1. धर्म की रक्षा: यह मंत्र धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश में सहायक होता है।
  2. न्याय: मंत्र जप से न्याय की प्राप्ति होती है।
  3. शांति: यह मंत्र मानसिक शांति प्रदान करता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: कल्कि मंत्र का जप व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  5. साहस और शक्ति: मंत्र जप से साहस और शक्ति में वृद्धि होती है।
  6. सकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है।
  7. शत्रु पर विजय: यह मंत्र शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक होता है।
  8. भय से मुक्ति: कल्कि मंत्र जप से सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  9. समृद्धि: यह मंत्र आर्थिक समृद्धि लाता है।
  10. क्लेश मुक्ति: मंत्र जप से पारिवारिक और व्यक्तिगत क्लेशों का नाश होता है।
  11. स्वास्थ्य: यह मंत्र स्वास्थ्य में सुधार और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  12. धैर्य: मंत्र जप से धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि होती है।
  13. जीवन में सफलता: कल्कि मंत्र जप से जीवन में सफलता मिलती है।
  14. योग्यता: यह मंत्र व्यक्ति की योग्यता और प्रतिभा में वृद्धि करता है।
  15. सुखमय जीवन: यह मंत्र सुखमय जीवन की प्राप्ति में सहायक होता है।
  16. अधर्म का नाश: यह मंत्र अधर्म और अन्याय का नाश करता है।
  17. ज्ञान: यह मंत्र ज्ञान और विवेक में वृद्धि करता है।
  18. संकल्प शक्ति: कल्कि मंत्र जप से संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है।
  19. आत्मविश्वास: यह मंत्र आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  20. सुरक्षा: यह मंत्र व्यक्ति को हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है।

कल्कि मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन

कल्कि मंत्र का जप गुरुवार या रविवार के दिन करना विशेष शुभ माना जाता है। इन दिनों में मंत्र जप का प्रभाव अधिक होता है।

मंत्र जप की अवधि

मंत्र जप की अवधि कम से कम 15 मिनट से लेकर 1 घंटे तक होनी चाहिए। आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे बढ़ा सकते हैं।

मुहुर्त

कल्कि मंत्र का जप ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में करना श्रेष्ठ माना जाता है। अगर यह संभव न हो तो आप इसे किसी भी शुभ मुहुर्त में कर सकते हैं।

मंत्र जप के नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. शांति: शांत और एकांत स्थान का चयन करें जहाँ किसी प्रकार की व्यवधान न हो।
  3. आसन: कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करना चाहिए।
  4. माला: तुलसी या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
  5. नियमितता: प्रतिदिन नियमित समय पर मंत्र जप करें।
  6. ध्यान: कल्कि देव का ध्यान करते हुए मंत्र का जप करें।
  7. भक्ति: पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ मंत्र का जप करें।
  8. संकल्प: मंत्र जप से पहले एक संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह मंत्र जप कर रहे हैं।
  9. आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  10. व्रत: अगर संभव हो तो गुरुवार या रविवार के दिन व्रत रखें।

Get mantra diksha

कल्कि मंत्र जप सावधानियाँ

  1. अशुद्ध स्थान: अशुद्ध स्थान पर मंत्र जप न करें।
  2. भोजन के बाद: भोजन के तुरंत बाद मंत्र जप न करें।
  3. नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचारों से बचें।
  4. अवधि: बहुत लंबी अवधि तक लगातार मंत्र जप न करें।
  5. सही उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करें।
  6. ध्यान भंग: ध्यान भंग करने वाले कारकों से बचें।
  7. प्राकृतिक घटनाएँ: प्राकृतिक आपदाओं के समय मंत्र जप न करें।
  8. स्वास्थ्य: स्वास्थ्य खराब होने पर मंत्र जप न करें।
  9. नियमों का पालन: सभी नियमों का पालन करें।
  10. अभिमान: मंत्र सिद्धि प्राप्त होने पर अभिमान न करें।

spiritual store

कल्कि मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: कल्कि कौन हैं?
    उत्तर: कल्कि भगवान विष्णु के दसवें अवतार हैं, जो कलियुग के अंत में अवतरित होंगे।
  2. प्रश्न: कल्कि अवतार का उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: कल्कि अवतार का उद्देश्य अधर्म का नाश और धर्म की पुनः स्थापना करना है।
  3. प्रश्न: कल्कि मंत्र का अर्थ क्या है?
    उत्तर: “मैं कल्कि देव को नमन करता हूँ।”
  4. प्रश्न: कल्कि मंत्र का जप किस दिन करना शुभ होता है?
    उत्तर: गुरुवार और रविवार के दिन।
  5. प्रश्न: कल्कि मंत्र का नियमित जप क्या लाभ देता है?
    उत्तर: धर्म की रक्षा, न्याय, मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति।
  6. प्रश्न: कल्कि मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में।
  7. प्रश्न: मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का प्रयोग करें?
    उत्तर: तुलसी या स्फटिक की माला का।
  8. प्रश्न: कल्कि मंत्र का उच्चारण कैसे करना चाहिए?
    उत्तर: सही उच्चारण और श्रद्धा के साथ।
  9. प्रश्न: कल्कि मंत्र जप से क्या लाभ होता है?
    उत्तर: शारीरिक शक्ति, मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, साहस और धैर्य।
  10. प्रश्न: कल्कि मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    उत्तर: अशुद्ध स्थान पर जप न करें, भोजन के तुरंत बाद न करें, नकारात्मक विचारों से बचें।
  11. प्रश्न: क्या कल्कि मंत्र जप से आर्थिक समृद्धि मिलती है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र आर्थिक समृद्धि लाता है।
  12. प्रश्न: कल्कि मंत्र जप करने से क्या आध्यात्मिक उन्नति होती है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

Balarama Mantra for strong protection

बलराम / Balarama Mantra for strong protection

धर्म की रक्षा करने वाले बलराम, जिन्हें बलभद्र और हलधर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। वे भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई हैं और उनके साथ कई लीलाओं में सहायक रहे हैं। बलराम का विशेष चिन्ह है हल और मूसल, जो उनके नाम को और भी प्रभावी बनाते हैं। इन्होंने अधर्मियों और दुष्टों का नाश किया और धर्म की रक्षा की।

बलराम मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र: ॐ क्लीं हलधर बलभद्राय नमः।

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है, “मैं बलभद्र (बलराम) को नमन करता हूँ, जो हल (कृषि का उपकरण) धारण करते हैं।” इस मंत्र में ‘क्लीं’ बीज मंत्र का प्रयोग किया गया है जो शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है।

बलराम मंत्र के लाभ

  1. शारीरिक शक्ति में वृद्धि: बलराम का मंत्र जप करने से शारीरिक शक्ति और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
  2. मानसिक शांति: यह मंत्र मानसिक तनाव को दूर करता है और शांति प्रदान करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: बलराम मंत्र का जप व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  4. साहस और धैर्य: मंत्र जप से साहस और धैर्य में वृद्धि होती है।
  5. संयम और आत्म-नियंत्रण: यह मंत्र आत्म-नियंत्रण और संयम को बढ़ाता है।
  6. रोग-प्रतिरोधक क्षमता: इस मंत्र का नियमित जप रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  7. कार्यसिद्धि: बलराम मंत्र का जप करने से व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता मिलती है।
  8. कृषि और खेती में उन्नति: जो लोग कृषि कार्य में संलग्न हैं, उनके लिए यह मंत्र विशेष लाभकारी है।
  9. पारिवारिक सुख: बलराम मंत्र का जप परिवार में सुख-शांति लाता है।
  10. शत्रु पर विजय: यह मंत्र शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक होता है।
  11. धार्मिक आस्था में वृद्धि: इस मंत्र के जप से धार्मिक आस्था में वृद्धि होती है।
  12. विघ्नों का नाश: बलराम मंत्र जप से सभी प्रकार के विघ्नों का नाश होता है।
  13. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है।
  14. सकारात्मक सोच: बलराम मंत्र के जप से सकारात्मक सोच का विकास होता है।
  15. मनोबल में वृद्धि: इस मंत्र के जप से मनोबल में वृद्धि होती है।
  16. समृद्धि: बलराम मंत्र का जप आर्थिक समृद्धि लाता है।
  17. योग्यता और प्रतिभा में वृद्धि: इस मंत्र के जप से योग्यता और प्रतिभा में वृद्धि होती है।
  18. कर्मठता: बलराम मंत्र व्यक्ति को कर्मठ बनाता है।
  19. सुखमय जीवन: इस मंत्र के जप से सुखमय जीवन की प्राप्ति होती है।
  20. सुरक्षा: बलराम मंत्र व्यक्ति को हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है।

बलराम मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन

बलराम मंत्र का जप गुरुवार या पूर्णिमा के दिन करना विशेष शुभ माना जाता है। इन दिनों में मंत्र जप का प्रभाव अधिक होता है।

मंत्र जप की अवधि

मंत्र जप की अवधि कम से कम 15 मिनट से लेकर 1 घंटे तक होनी चाहिए। आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे बढ़ा सकते हैं।

मुहुर्त

बलराम मंत्र का जप सूर्योदय के समय करना श्रेष्ठ माना जाता है। अगर यह संभव न हो तो आप इसे किसी भी शुभ मुहुर्त में कर सकते हैं।

नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. शांति: शांत और एकांत स्थान का चयन करें जहाँ किसी प्रकार की व्यवधान न हो।
  3. आसन: कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करना चाहिए।
  4. माला: तुलसी या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
  5. नियमितता: प्रतिदिन नियमित समय पर मंत्र जप करें।
  6. ध्यान: बलराम का ध्यान करते हुए मंत्र का जप करें।
  7. भक्ति: पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ मंत्र का जप करें।
  8. संकल्प: मंत्र जप से पहले एक संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह मंत्र जप कर रहे हैं।
  9. आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  10. व्रत: अगर संभव हो तो गुरुवार या पूर्णिमा के दिन व्रत रखें।

Get mantra diksha

सावधानियाँ

  1. अशुद्ध स्थान: अशुद्ध स्थान पर मंत्र जप न करें।
  2. भोजन के बाद: भोजन के तुरंत बाद मंत्र जप न करें।
  3. नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचारों से बचें।
  4. अवधि: बहुत लंबी अवधि तक लगातार मंत्र जप न करें।
  5. सही उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करें।
  6. ध्यान भंग: ध्यान भंग करने वाले कारकों से बचें।
  7. प्राकृतिक घटनाएँ: प्राकृतिक आपदाओं के समय मंत्र जप न करें।
  8. स्वास्थ्य: स्वास्थ्य खराब होने पर मंत्र जप न करें।
  9. नियमों का पालन: सभी नियमों का पालन करें।
  10. अभिमान: मंत्र सिद्धि प्राप्त होने पर अभिमान न करें।

spiritual store

बलराम मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: बलराम कौन हैं?
    उत्तर: बलराम भगवान विष्णु के अवतार और श्रीकृष्ण के बड़े भाई हैं।
  2. प्रश्न: बलराम का मुख्य चिन्ह क्या है?
    उत्तर: हल और मूसल बलराम के मुख्य चिन्ह हैं।
  3. प्रश्न: बलराम मंत्र का अर्थ क्या है?
    उत्तर: बलराम मंत्र का अर्थ है, “मैं बलभद्र (बलराम) को नमन करता हूँ, जो हल (कृषि का उपकरण) धारण करते हैं।”
  4. प्रश्न: बलराम मंत्र का जप किस दिन करना शुभ होता है?
    उत्तर: गुरुवार और पूर्णिमा के दिन।
  5. प्रश्न: बलराम मंत्र का नियमित जप क्या लाभ देता है?
    उत्तर: शारीरिक शक्ति, मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, साहस और धैर्य।
  6. प्रश्न: बलराम मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    उत्तर: सूर्योदय के समय या किसी शुभ मुहुर्त में।
  7. प्रश्न: मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का प्रयोग करें?
    उत्तर: तुलसी, चंदन या स्फटिक की माला का।
  8. प्रश्न: बलराम मंत्र का उच्चारण कैसे करना चाहिए?
    उत्तर: सही उच्चारण और श्रद्धा के साथ।
  9. प्रश्न: बलराम मंत्र जप से क्या लाभ होता है?
    उत्तर: रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, कार्यसिद्धि, पारिवारिक सुख, शत्रु पर विजय।
  10. प्रश्न: बलराम मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    उत्तर: अशुद्ध स्थान पर जप न करें, भोजन के तुरंत बाद न करें, नकारात्मक विचारों से बचें।
  11. प्रश्न: क्या बलराम मंत्र जप से आर्थिक समृद्धि मिलती है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र आर्थिक समृद्धि लाता है।
  12. प्रश्न: बलराम मंत्र जप करने से क्या आध्यात्मिक उन्नति होती है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

Parasurama Vishnu Mantra – destroyer of negative energies

परशुराम विष्णु / Parasurama Vishnu Mantra- destroyer of negative energies

Parasurama Vishnu Mantra नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाले भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक हैं। यह अवतार उन्होंने पृथ्वी से अधर्म और अत्याचार को समाप्त करने के लिए लिया था। परशुराम का अर्थ है “फरसा धारण करने वाला”, और वे अपने फरसे के लिए प्रसिद्ध हैं। परशुराम ने धरती से क्षत्रियों के अधर्म और अत्याचार को समाप्त करने के लिए 21 बार पृथ्वी का चक्कर लगाया और अधर्मियों का नाश किया।

Parashuram prayog video

परशुराम मंत्र और उसका अर्थ

परशुराम मंत्र:
॥ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:॥

मंत्र का अर्थ:

  • ” – ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, जो सब कुछ में व्याप्त है।
  • रां” – शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक।
  • परशुहस्ताय” – फरसा धारण करने वाले भगवान।
  • नम:” – नमस्कार और समर्पण।

इस मंत्र का उच्चारण करते समय हम भगवान परशुराम को नमस्कार करते हैं और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

परशुराम मंत्र के लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  2. धार्मिक भावना: भक्ति और धार्मिक भावना को प्रबल बनाता है।
  3. शांति: मन को शांति और सुकून प्रदान करता है।
  4. सकारात्मकता: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  5. समृद्धि: आर्थिक स्थिति को सुधारता है और समृद्धि लाता है।
  6. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  7. धैर्य: धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि करता है।
  8. विवेक: विवेक और बुद्धि में वृद्धि करता है।
  9. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा करता है।
  10. सुखद जीवन: जीवन को सुखद और आनंदमय बनाता है।
  11. कर्म सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  12. ज्ञान वृद्धि: ज्ञान और विद्या में वृद्धि करता है।
  13. आकर्षण शक्ति: व्यक्तित्व में आकर्षण और प्रभावशाली बनाता है।
  14. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि करता है।
  15. भय मुक्ति: सभी प्रकार के भय और असुरक्षा की भावना को दूर करता है।
  16. परिवार में सुख: परिवार में सुख और शांति लाता है।
  17. विघ्न बाधा मुक्ति: जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है।
  18. पाप मुक्ति: पापों से मुक्ति दिलाता है।
  19. भक्ति: भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि करता है।
  20. धर्म की स्थापना: धर्म की पुनः स्थापना में सहायक होता है।

परशुराम मंत्र जाप विधि

मंत्र जाप का दिन

  • परशुराम मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन सोमवार और परशुराम जयंती का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

अवधि

  • मंत्र जाप की अवधि कम से कम 21 दिनों की होनी चाहिए।

मुहूर्त

  • मंत्र जाप का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) होता है।

नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. आसन: एक स्थिर और शांति वाले आसन पर बैठकर जाप करें।
  3. माला: तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
  4. संकल्प: मंत्र जाप से पहले संकल्प करें।
  5. ध्यान: मन को एकाग्र करके ध्यान करें।
  6. नियमितता: नियमित रूप से जाप करें।
  7. समर्पण: पूरी श्रद्धा और भक्ति से जाप करें।
  8. वातावरण: शांति और सुकून वाले वातावरण में जाप करें।
  9. समय: हर दिन एक ही समय पर जाप करें।
  10. शुद्ध आहार: शुद्ध और सात्विक आहार का सेवन करें।
  11. आचरण: संयमित और नैतिक आचरण का पालन करें।
  12. धैर्य: धैर्यपूर्वक जाप करें।
  13. वाणी: शुद्ध और मधुर वाणी का प्रयोग करें।
  14. सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण रखें।
  15. विश्वास: मंत्र की शक्ति पर अटूट विश्वास रखें।

Get mantra diksha

सावधानियां

  1. नकारात्मक सोच: नकारात्मक सोच से बचें।
  2. अव्यवस्थित स्थान: अव्यवस्थित और शोरगुल वाले स्थान पर जाप न करें।
  3. विचलित मन: विचलित मन से जाप न करें।
  4. अविश्वास: मंत्र की शक्ति पर संदेह न करें।
  5. नियम भंग: जाप के नियमों का पालन अवश्य करें।
  6. बिना स्नान: बिना स्नान के मंत्र जाप न करें।
  7. अशुद्ध आहार: तामसिक और अशुद्ध आहार से बचें।
  8. देर रात: देर रात को जाप करने से बचें।
  9. अलसता: आलस और सुस्ती से बचें।
  10. अशुद्ध माला: अशुद्ध माला का प्रयोग न करें।
  11. अधीरता: जल्दीबाजी में जाप न करें।
  12. अशुद्ध वस्त्र: गंदे और अशुद्ध वस्त्र पहनकर जाप न करें।
  13. विवाद: विवाद और कलह से दूर रहें।
  14. लापरवाही: लापरवाही से जाप न करें।
  15. असंयम: संयम और धैर्य का पालन करें।

spiritual store

परशुराम मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. परशुराम मंत्र क्या है?
    • परशुराम मंत्र भगवान परशुराम की स्तुति का एक पवित्र मंत्र है।
  2. परशुराम मंत्र का अर्थ क्या है?
    • इस मंत्र का अर्थ है भगवान परशुराम की शक्ति और शुद्धता का सम्मान।
  3. परशुराम मंत्र जाप का सबसे उत्तम समय क्या है?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे)।
  4. कितने दिनों तक परशुराम मंत्र का जाप करना चाहिए?
    • कम से कम 21 दिनों तक।
  5. परशुराम मंत्र के लाभ क्या हैं?
    • शांति, सकारात्मकता, आध्यात्मिक उन्नति, स्वास्थ्य लाभ आदि।
  6. परशुराम मंत्र जाप के दौरान किस प्रकार की माला का प्रयोग करना चाहिए?
    • तुलसी या रुद्राक्ष की माला।
  7. परशुराम मंत्र जाप के लिए कौन सा दिन उत्तम होता है?
    • सोमवार और परशुराम जयंती का दिन।
  8. परशुराम मंत्र जाप करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • शुद्धता, संकल्प, धैर्य और नियमितता।
  9. परशुराम मंत्र जाप के लिए कौन सा आसन उत्तम होता है?
    • स्थिर और शांति वाला आसन।
  10. क्या बिना स्नान के परशुराम मंत्र का जाप किया जा सकता है?
    • नहीं, शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है।
  11. परशुराम मंत्र जाप के दौरान क्या अशुद्ध आहार का सेवन किया जा सकता है?
    • नहीं, सात्विक और शुद्ध आहार का सेवन करना चाहिए।

Vamana Vishnu Mantra – destroyer of ego

भगवान वामन विष्णु / Vamana Vishnu Mantra-destroyer of ego

धर्म की रक्षा व शत्रु को नष्ट करने वाले भगवान वामन अवतार, भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से एक हैं। यह अवतार उन्होंने तब लिया जब बलि नामक राजा ने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य जमा लिया था। भगवान वामन ने एक ब्राह्मण बटुक (बच्चे) का रूप धारण करके बलि राजा से तीन पग भूमि दान में मांगी। उन्होंने तीन पगों में सारा ब्रह्मांड नाप लिया और बलि राजा का अहंकार समाप्त किया। इस अवतार का उद्देश्य धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करना था।

वामन मंत्र और उसका अर्थ

वामन मंत्र:
॥ॐ नमो भगवते वामनाय नमः॥

मंत्र का अर्थ:

  • ” – ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, जो सब कुछ में व्याप्त है।
  • नमो” – नमस्कार।
  • भगवते” – भगवान को।
  • वामनाय” – वामन रूप धारण करने वाले भगवान को।
  • नमः” – बार-बार नमस्कार और समर्पण।

इस मंत्र का उच्चारण करते समय हम भगवान वामन को नमस्कार करते हैं और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

वामन मंत्र के लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  2. धार्मिक भावना: भक्ति और धार्मिक भावना को प्रबल बनाता है।
  3. शांति: मन को शांति और सुकून प्रदान करता है।
  4. सकारात्मकता: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  5. समृद्धि: आर्थिक स्थिति को सुधारता है और समृद्धि लाता है।
  6. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  7. धैर्य: धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि करता है।
  8. विवेक: विवेक और बुद्धि में वृद्धि करता है।
  9. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा करता है।
  10. सुखद जीवन: जीवन को सुखद और आनंदमय बनाता है।
  11. कर्म सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  12. ज्ञान वृद्धि: ज्ञान और विद्या में वृद्धि करता है।
  13. आकर्षण शक्ति: व्यक्तित्व में आकर्षण और प्रभावशाली बनाता है।
  14. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि करता है।
  15. भय मुक्ति: सभी प्रकार के भय और असुरक्षा की भावना को दूर करता है।
  16. परिवार में सुख: परिवार में सुख और शांति लाता है।
  17. विघ्न बाधा मुक्ति: जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है।
  18. पाप मुक्ति: पापों से मुक्ति दिलाता है।
  19. भक्ति: भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि करता है।
  20. धर्म की स्थापना: धर्म की पुनः स्थापना में सहायक होता है।

वामन मंत्र जाप विधि

मंत्र जाप का दिन

  • वामन मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन गुरुवार और वामन जयंती का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

अवधि

  • मंत्र जाप की अवधि कम से कम 21 दिनों की होनी चाहिए।

मुहूर्त

  • मंत्र जाप का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) होता है।

नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. आसन: एक स्थिर और शांति वाले आसन पर बैठकर जाप करें।
  3. माला: तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
  4. संकल्प: मंत्र जाप से पहले संकल्प करें।
  5. ध्यान: मन को एकाग्र करके ध्यान करें।
  6. नियमितता: नियमित रूप से जाप करें।
  7. समर्पण: पूरी श्रद्धा और भक्ति से जाप करें।
  8. वातावरण: शांति और सुकून वाले वातावरण में जाप करें।
  9. समय: हर दिन एक ही समय पर जाप करें।
  10. शुद्ध आहार: शुद्ध और सात्विक आहार का सेवन करें।
  11. आचरण: संयमित और नैतिक आचरण का पालन करें।
  12. धैर्य: धैर्यपूर्वक जाप करें।
  13. वाणी: शुद्ध और मधुर वाणी का प्रयोग करें।
  14. सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण रखें।
  15. विश्वास: मंत्र की शक्ति पर अटूट विश्वास रखें।

Get mantra diksha

सावधानियां

  1. नकारात्मक सोच: नकारात्मक सोच से बचें।
  2. अव्यवस्थित स्थान: अव्यवस्थित और शोरगुल वाले स्थान पर जाप न करें।
  3. विचलित मन: विचलित मन से जाप न करें।
  4. अविश्वास: मंत्र की शक्ति पर संदेह न करें।
  5. नियम भंग: जाप के नियमों का पालन अवश्य करें।
  6. बिना स्नान: बिना स्नान के मंत्र जाप न करें।
  7. अशुद्ध आहार: तामसिक और अशुद्ध आहार से बचें।
  8. देर रात: देर रात को जाप करने से बचें।
  9. अलसता: आलस और सुस्ती से बचें।
  10. अशुद्ध माला: अशुद्ध माला का प्रयोग न करें।
  11. अधीरता: जल्दीबाजी में जाप न करें।
  12. अशुद्ध वस्त्र: गंदे और अशुद्ध वस्त्र पहनकर जाप न करें।
  13. विवाद: विवाद और कलह से दूर रहें।
  14. लापरवाही: लापरवाही से जाप न करें।
  15. असंयम: संयम और धैर्य का पालन करें।

spiritual shop

वामन मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. वामन मंत्र क्या है?
    • वामन मंत्र भगवान वामन की स्तुति का एक पवित्र मंत्र है।
  2. वामन मंत्र का अर्थ क्या है?
    • इस मंत्र का अर्थ है भगवान वामन की शक्ति और शुद्धता का सम्मान।
  3. वामन मंत्र जाप का सबसे उत्तम समय क्या है?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे)।
  4. कितने दिनों तक वामन मंत्र का जाप करना चाहिए?
    • कम से कम 21 दिनों तक।
  5. वामन मंत्र के लाभ क्या हैं?
    • शांति, सकारात्मकता, आध्यात्मिक उन्नति, स्वास्थ्य लाभ आदि।
  6. वामन मंत्र जाप के दौरान किस प्रकार की माला का प्रयोग करना चाहिए?
    • तुलसी या स्फटिक की माला।
  7. वामन मंत्र जाप के लिए कौन सा दिन उत्तम होता है?
    • गुरुवार और वामन जयंती का दिन।
  8. वामन मंत्र जाप करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • शुद्धता, संकल्प, धैर्य और नियमितता।
  9. वामन मंत्र जाप के लिए कौन सा आसन उत्तम होता है?
    • स्थिर और शांति वाला आसन।
  10. क्या बिना स्नान के वामन मंत्र का जाप किया जा सकता है?
    • नहीं, शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है।
  11. वामन मंत्र जाप के दौरान क्या अशुद्ध आहार का सेवन किया जा सकता है?
    • नहीं, सात्विक और शुद्ध आहार का सेवन करना चाहिए।
  12. वामन मंत्र जाप के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए?
    • नकारात्मक सोच, अशुद्ध वस्त्र, अव्यवस्थित स्थान आदि।

Holika Dahan के दिन पूजा कैसे करे

how to do puja on holika dahan

Holika Dahan का त्योहार सनातन काल से फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में देखा जाता है। होलिका दहन की पूजा विधि विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है और इसे सही तरीके से करना चाहिए। यहाँ होलिका दहन के दिन पूजा करने की विधि बताई गई है:

सामग्री

  1. लकड़ी और उपले: होलिका दहन के लिए एकत्रित की गई लकड़ियाँ और उपले।
  2. कपूर: अग्नि प्रज्वलित करने के लिए।
  3. रक्षा सूत्र: होलिका पूजा के लिए।
  4. हल्दी और कुमकुम: पूजन सामग्री के रूप में।
  5. पानी: जल अर्पित करने के लिए।
  6. गुलाल और रंग: रंगों की पूजा के लिए।
  7. फल और मिठाई: नैवेद्य के रूप में।
  8. नारियल: होलिका में अर्पित करने के लिए।
  9. धूप और दीपक: पूजा के लिए।

पूजा विधि

  1. स्थान चयन:
  • होलिका दहन के लिए एक उपयुक्त स्थान का चयन करें। यह स्थान खुला और साफ होना चाहिए।
  • होलिका दहन का स्थान अक्सर गांव या मोहल्ले के बीच में होता है।
  1. लकड़ी और उपले एकत्रित करें:
  • होलिका के लिए लकड़ी और उपलों का ढेर बनाएं। इस ढेर को पिरामिड के आकार में बनाएं।
  1. होलिका पूजन:
  • होलिका पूजन के लिए एक छोटा सा स्थान साफ करें और वहां पर रक्षा सूत्र, हल्दी और कुमकुम रखें।
  • पहले रक्षा सूत्र को होलिका के चारों ओर तीन बार लपेटें।
  • हल्दी और कुमकुम का तिलक करें और होलिका पर जल छिड़कें।
  1. पूजन मंत्र:
  • होलिका पूजन के दौरान निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
    ॐ होलिकायै नमः
  1. नैवेद्य अर्पण:
  • होलिका पर फल, मिठाई, और नारियल अर्पित करें।
  • इसके बाद होलिका पर गुलाल और रंग अर्पित करें।
  1. होलिका दहन:
  • कपूर जलाकर होलिका में अग्नि प्रज्वलित करें।
  • अग्नि प्रज्वलित करते समय होलिका दहन का मंत्र पढ़ें:
    हरिं सुलभे क्षेम करो अस्माकं मम सर्वं क्षेमं मम अस्तु।
  1. प्रदक्षिणा:
  • होलिका दहन के बाद परिवार के सभी सदस्य और उपस्थित लोग होलिका की तीन या सात परिक्रमा (प्रदक्षिणा) करें।
  • परिक्रमा करते समय ‘हरे राम, हरे कृष्ण’ या अन्य भजन गा सकते हैं।
  1. प्रसाद वितरण:
  • होलिका दहन के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।

होलिका दहन के महत्व और सावधानियाँ

  1. महत्व:
  • होलिका दहन का महत्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में है।
  • यह पर्व हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कहानी से जुड़ा है, जिसमें भक्त प्रह्लाद को उसकी बुआ होलिका से बचाया गया था।

Get mantra diksha

  1. सावधानियाँ:
  • होलिका दहन के समय अग्नि से सावधान रहें।
  • बच्चों को होलिका के पास जाने न दें।
  • अग्नि बुझाने के साधन पास में रखें।
  • होलिका दहन के बाद अग्नि पूरी तरह बुझ जाने के बाद ही उस स्थान को छोड़ें।

Spiritual store

होलिका दहन का पर्व एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक आयोजन है। इस दिन की पूजा विधि को सही ढंग से करने से सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस विधि को अपनाकर आप भी होलिका दहन के दिन का सही लाभ उठा सकते हैं।

Rules of Ranga Panchami

Rules of Ranga Panchami

रंग पंचमी मे ये १० नियम का पालन अवश्य करे

होली एक रंगबिरंगा और उत्साही त्योहार है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है। यहाँ होली के दौरान न करने चाहिए वो १० काम हैं:

  1. बिना अनुमति के रंग डालना: किसी के ऊपर रंग डालने से पहले उनसे अनुमति लें।
  2. जबरदस्ती रंग डालना: किसी को रंग डालने के लिए मजबूर न करें।
  3. गलत शब्दों का उपयोग: गली-मोहल्ले में या किसी के साथ बदतमीजी न करें।
  4. भड़काने वाली बातें करना: किसी को भड़काने वाली बातें न करें।
  5. अल्कोहल या ड्रग का सेवन: उत्सव के दौरान सुरक्षित रहें और शराब या ड्रग का सेवन न करें।
  6. नशा करके वाहन चलाना: शराब पीकर वाहन चलाने से बचें।
  7. अनुचित स्थान पर जाना: किसी अनुचित स्थान पर न जाएं।
  8. अनावश्यक शोर करना: अनावश्यक शोर न करें और दूसरों को भी न करने दें।
  9. अन्यों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना: किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास न करें।

Get mantra diksha

रंग पंचमी के दिन की जाने वाली पूजा

  • होली और रंग पंचमी के दिन पूजा करने से भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को शुद्ध करें।
  • भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • गंगाजल, फूल, अक्षत, और रंगों का भगवान को अर्पण करें।
  • माखन-मिश्री और गुड़ का भोग लगाएं, जो भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है।
  • भगवान का स्मरण करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • होली की पूजा में गुलाल और रंगों को भगवान के चरणों में चढ़ाना शुभ माना जाता है।
  • रंग पंचमी पर सामूहिक रूप से की गई आरती और भजन का विशेष महत्व है।
  • इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें।
  • पूजा के बाद परिवार और मित्रों के साथ प्रसाद और रंगों का आदान-प्रदान करें।
  • भगवान से सुख-समृद्धि, शांति और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करें।
  • ध्यान और सकारात्मक सोच के साथ दिन का आनंद लें।

इन पूजाओं के लिए मंत्र जाप और ध्यान को महत्वपूर्ण माना जाता है। रंग पंचमी का दिन ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है, इसलिए इस दिन की साधनाएँ विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती हैं।

online store

होली की शुभकामना!

Holika – When is the auspicious time of Holi this year

Holika - When is the auspicious time of Holi this year

2025 होलिका दहन – शुभ मुहूर्त, तिथि, और आध्यात्मिक लाभ

नकारात्मक उर्जा को दूर करने वाली होली एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारत में हर साल फागुन मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह एक रंगों भरी और उत्साहजनक धार्मिक उत्सव है जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।

हूर्त-2025

  • मुहूर्त: होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में किया जाता है। इसे भद्रा रहित समय में करना शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार, 2025 में होली का पर्व 13 मार्च को होलिका दहन से आरंभ होगा। पूर्णिमा तिथि इसी दिन सुबह 10:25 बजे शुरू होगी और 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी। होलिका दहन 13 मार्च की रात 11:30 बजे से लेकर रात 12:24 बजे तक के शुभ मुहूर्त में किया जाएगा।
  • भद्रा काल: होलिका दहन के समय भद्रा काल का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि इस समय पूजा करना अशुभ माना जाता है।

होलिका दहन व अध्यात्म

होलिका दहन का आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है, इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर विशेष रूप से नकारात्मक शक्तियों का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान किया जाता है।

आध्यात्मिक लाभ

  1. बुराई पर अच्छाई की जीत: होलिका दहन हमें यह सिखाता है कि अहंकार, नकारात्मकता और अधर्म का नाश निश्चित है, और सत्य व धर्म की हमेशा विजय होती है।
  2. शत्रुओं से मुक्ति: इस अवसर पर की गई पूजा शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाती है।
  3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: होलिका दहन से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियाँ नष्ट हो जाती हैं।
  4. आध्यात्मिक शुद्धि: यह दिन आत्मा की शुद्धि, ध्यान और मन के विकारों से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
  5. मन की शांति: बुराई के विनाश के साथ मन को शांति और सकारात्मकता की प्राप्ति होती है।
  6. आकर्षण और समृद्धि: होलिका दहन की पूजा से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति का आगमन होता है।
  7. विघ्नों का नाश: यह समय विशेष रूप से विघ्नों और परेशानियों को दूर करने के लिए अच्छा माना जाता है।
  8. कुंडली दोष निवारण: होलिका दहन के समय की गई पूजा से कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों का निवारण किया जा सकता है।
  9. आरोग्य प्राप्ति: इसे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
  10. धन लाभ: व्यापार और धन-संपत्ति के लिए यह समय विशेष रूप से लाभकारी होता है।
  11. भाग्य सुधार: भाग्य में वृद्धि और दुर्भाग्य के नाश के लिए होलिका दहन की पूजा महत्वपूर्ण है।
  12. भय और संकट से मुक्ति: इस दिन की गई साधना से भय और अनहोनी से रक्षा होती है।

Get mantra diksha

किस देवी की पूजा करें

  • माँ दुर्गा: होलिका दहन के अवसर पर माँ दुर्गा की पूजा करने से सभी प्रकार की बुरी शक्तियों का नाश होता है।
  • माँ लक्ष्मी: समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए माँ लक्ष्मी की पूजा करना लाभकारी होता है।
  • नृसिंह भगवान: भक्त प्रहलाद को राक्षसी होलिका से बचाने वाले भगवान नृसिंह की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है।

spiritual store

सामान्य प्रश्न

होलिका दहन के समय क्या विशेष ध्यान रखना चाहिए?
दहन का समय शुभ मुहूर्त में करें, और सुरक्षा का ध्यान रखें।

होलिका दहन का क्या महत्व है?
ये अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और इसे आध्यात्मिक शुद्धि का दिन माना जाता है।

होलिका दहन कब मनाया जाता है?
यह फाल्गुन पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में मनाया जाता है।

होलिका दहन किस समय करना चाहिए?
सूर्यास्त के बाद, भद्रा रहित समय में होलिका दहन करना शुभ माना जाता है।

होलिका दहन से पहले क्या तैयारी करनी चाहिए?
सूखी लकड़ी, गोबर के उपले, और अन्य पूजन सामग्री एकत्रित कर होलिका की स्थापना करें।

होलिका दहन के दिन कौन से मंत्र का जाप करें?
“ॐ होलिकायै नमः” मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है।

होलिका दहन के दौरान कौन-कौन से अनुष्ठान करें?
होलिका के चारों ओर परिक्रमा करना, जल, फूल, हल्दी, चंदन और अन्न का अर्पण करना।

क्या होलिका दहन के बाद राख का उपयोग किया जा सकता है?
हाँ, होलिका की राख को शुभ माना जाता है और इसे घर की समृद्धि और सुरक्षा के लिए उपयोग किया जाता है।

होलिका दहन के दिन किस देवी की पूजा करनी चाहिए?
इस दिन माँ दुर्गा, माँ लक्ष्मी, और भगवान नृसिंह की पूजा करना शुभ माना जाता है।

होलिका दहन के समय क्या काम नहीं करना चाहिए?
भद्रा काल के दौरान होलिका दहन नहीं करना चाहिए, और किसी भी प्रकार की अशुद्धता से बचना चाहिए।

होलिका दहन से कौन सी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं?
इस दिन की गई पूजा से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

क्या होलिका दहन से दोष दूर हो सकते हैं?
हाँ, इस दिन की गई पूजा से कुंडली के दोषों का निवारण होता है।

Varaha Vishnu Mantra for Self-realization

वराह विष्णु / Varaha Vishnu Mantra for Self-realization

आत्मशाक्षात्कार का अनुभव करने वाले भगवान वाराह, श्री विष्णू के दस प्रमुख अवतारों में से वराह अवतार तीसरा अवतार है। वराह शब्द का अर्थ “सूकर ” होता है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने विशाल सूकर का रूप धारण किया था। यह अवतार तब हुआ जब हिरण्याक्ष नामक दैत्य ने पृथ्वी को पाताल में ले जाकर छुपा दिया था। भगवान विष्णु ने वराह (सूकर) का रूप धारण कर पृथ्वी को पाताल से निकालकर पुनः समुद्र में स्थापित किया और हिरण्याक्ष का वध किया। वराह अवतार से यह शिक्षा मिलती है कि जब भी धर्म की हानि होती है, भगवान अवतार लेकर धर्म की पुनः स्थापना करते हैं।

वराह मंत्र और उसका अर्थ

वराह मंत्र:
॥ॐ क्लीं वराह रूपे नमो नमः॥

मंत्र का अर्थ:

  • “ॐ” – ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, जो सब कुछ में व्याप्त है।
  • “क्लीं” – आकर्षण, प्रेम और समृद्धि का बीज मंत्र।
  • “वराह रूपे” – वराह रूप धारण करने वाले भगवान को।
  • “नमो नमः” – बार-बार नमस्कार और समर्पण।

इस मंत्र का उच्चारण करते समय हम भगवान वराह को नमस्कार करते हैं और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

वराह मंत्र के लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  2. धार्मिक भावना: भक्ति और धार्मिक भावना को प्रबल बनाता है।
  3. शांति: मन को शांति और सुकून प्रदान करता है।
  4. सकारात्मकता: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  5. समृद्धि: आर्थिक स्थिति को सुधारता है और समृद्धि लाता है।
  6. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  7. धैर्य: धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि करता है।
  8. विवेक: विवेक और बुद्धि में वृद्धि करता है।
  9. शत्रुओं से रक्षा: शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा करता है।
  10. सुखद जीवन: जीवन को सुखद और आनंदमय बनाता है।
  11. कर्म सिद्धि: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  12. ज्ञान वृद्धि: ज्ञान और विद्या में वृद्धि करता है।
  13. आकर्षण शक्ति: व्यक्तित्व में आकर्षण और प्रभावशाली बनाता है।
  14. संकल्प शक्ति: संकल्प शक्ति में वृद्धि करता है।
  15. भय मुक्ति: सभी प्रकार के भय और असुरक्षा की भावना को दूर करता है।
  16. परिवार में सुख: परिवार में सुख और शांति लाता है।
  17. विघ्न बाधा मुक्ति: जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है।
  18. पाप मुक्ति: पापों से मुक्ति दिलाता है।
  19. भक्ति: भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि करता है।
  20. धर्म की स्थापना: धर्म की पुनः स्थापना में सहायक होता है।

वराह मंत्र जाप विधि

मंत्र जाप का दिन

  • वराह मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार, शनिवार और वराह जयंती का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

अवधि

  • मंत्र जाप की अवधि कम से कम 21 दिनों की होनी चाहिए।

मुहूर्त

  • मंत्र जाप का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) होता है।

नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जाप के समय शुद्धता का ध्यान रखें।
  2. आसन: एक स्थिर और शांति वाले आसन पर बैठकर जाप करें।
  3. माला: तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।
  4. संकल्प: मंत्र जाप से पहले संकल्प करें।
  5. ध्यान: मन को एकाग्र करके ध्यान करें।
  6. नियमितता: नियमित रूप से जाप करें।
  7. समर्पण: पूरी श्रद्धा और भक्ति से जाप करें।
  8. वातावरण: शांति और सुकून वाले वातावरण में जाप करें।
  9. समय: हर दिन एक ही समय पर जाप करें।
  10. शुद्ध आहार: शुद्ध और सात्विक आहार का सेवन करें।
  11. आचरण: संयमित और नैतिक आचरण का पालन करें।
  12. धैर्य: धैर्यपूर्वक जाप करें।
  13. वाणी: शुद्ध और मधुर वाणी का प्रयोग करें।
  14. सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण रखें।
  15. विश्वास: मंत्र की शक्ति पर अटूट विश्वास रखें।

Get mantra diksha

सावधानियां

  1. नकारात्मक सोच: नकारात्मक सोच से बचें।
  2. अव्यवस्थित स्थान: अव्यवस्थित और शोरगुल वाले स्थान पर जाप न करें।
  3. विचलित मन: विचलित मन से जाप न करें।
  4. अविश्वास: मंत्र की शक्ति पर संदेह न करें।
  5. नियम भंग: जाप के नियमों का पालन अवश्य करें।
  6. बिना स्नान: बिना स्नान के मंत्र जाप न करें।
  7. अशुद्ध आहार: तामसिक और अशुद्ध आहार से बचें।
  8. देर रात: देर रात को जाप करने से बचें।
  9. अलसता: आलस और सुस्ती से बचें।
  10. अशुद्ध माला: अशुद्ध माला का प्रयोग न करें।
  11. अधीरता: जल्दीबाजी में जाप न करें।
  12. अशुद्ध वस्त्र: गंदे और अशुद्ध वस्त्र पहनकर जाप न करें।
  13. विवाद: विवाद और कलह से दूर रहें।
  14. लापरवाही: लापरवाही से जाप न करें।
  15. असंयम: संयम और धैर्य का पालन करें।

Spiritual store

वराह मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

  1. वराह मंत्र क्या है?
    • वराह मंत्र भगवान वराह की स्तुति का एक पवित्र मंत्र है।
  2. वराह मंत्र का अर्थ क्या है?
    • इस मंत्र का अर्थ है भगवान वराह की शक्ति और शुद्धता का सम्मान।
  3. वराह मंत्र जाप का सबसे उत्तम समय क्या है?
    • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे)।
  4. कितने दिनों तक वराह मंत्र का जाप करना चाहिए?
    • कम से कम 21 दिनों तक।
  5. वराह मंत्र के लाभ क्या हैं?
    • शांति, सकारात्मकता, आध्यात्मिक उन्नति, स्वास्थ्य लाभ आदि।
  6. वराह मंत्र जाप के दौरान किस प्रकार की माला का प्रयोग करना चाहिए?
    • तुलसी या रुद्राक्ष की माला।
  7. वराह मंत्र जाप के लिए कौन सा दिन उत्तम होता है?
    • बुधवार, शनिवार और वराह जयंती का दिन।
  8. वराह मंत्र जाप करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    • शुद्धता, संकल्प, धैर्य और नियमितता।
  9. वराह मंत्र जाप के लिए कौन सा आसन उत्तम होता है?
    • स्थिर और शांति वाला आसन।
  10. क्या बिना स्नान के वराह मंत्र का जाप किया जा सकता है?
    • नहीं, शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है।
  11. वराह मंत्र जाप के दौरान क्या अशुद्ध आहार का सेवन किया जा सकता है?
    • नहीं, सात्विक और शुद्ध आहार का सेवन करना चाहिए।
  12. वराह मंत्र जाप के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए?
    • नकारात्मक सोच, अशुद्ध वस्त्र, अव्यवस्थित स्थान आदि।

अंत मे

वराह मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भी सफलता दिलाता है। नियमित जाप और विधि का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

Kurma Vishnu Mantra – Freedom from worldly troubles & prosperity

कूर्म विष्णु / Kurma Vishnu Mantra for Freedom from worldly troubles and prosperity

संकटो से मुक्ति दिलाने वाले कूर्म विष्णु (Kurma Vishnu) को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवतार माना जाता है। इस अवतार में विष्णु ने कच्छप (कछुआ) की रूप में प्रकट होकर मानवता को समृद्धि और सुरक्षा प्रदान की थी। कूर्म अवतार के कहानी का मुख्य केंद्र भारतीय पौराणिक साहित्य में है, जिसमें देवता और असुरों के मध्य चुराया गया अमृत प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण कथा है।

कूर्म अवतार की कथा समुद्र मंथन से संबंधित है। देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन करने का निर्णय लिया। मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को रस्सी बनाकर समुद्र मंथन किया गया। जब मंदराचल पर्वत समुद्र में डूबने लगा, तब भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर अपनी पीठ पर पर्वत को स्थिर किया और मंथन में सहायता की। इस प्रकार, भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण कर देवताओं की मदद की और समुद्र मंथन से अमृत की प्राप्ति हुई।

मंत्र व उसका अर्थ

कूर्म मंत्र: “ॐ दं कूर्म विष्णवे नमः”

इस मंत्र का अर्थ है:

  • “ॐ”: यह ध्वनि ब्रह्माण्ड की प्राथमिक ध्वनि है और इसे सर्वशक्तिमान की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
  • “दं”: यह बीज मंत्र है जो दान और संरक्षण का प्रतीक है।
  • “कूर्म”: यह भगवान विष्णु के कूर्म अवतार का नाम है।
  • “विष्णवे”: यह भगवान विष्णु को संबोधित करता है।
  • “नमः”: यह सम्मान और समर्पण का संकेत देता है।

लाभ

  1. संकटों से मुक्ति: यह मंत्र जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाता है।
  2. बाधाओं का नाश: यह मंत्र सभी प्रकार की बाधाओं और विघ्नों का नाश करता है।
  3. शत्रुओं से रक्षा: यह मंत्र शत्रुओं और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  4. स्वास्थ्य में सुधार: यह मंत्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
  5. आत्मविश्वास बढ़ाना: यह मंत्र आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाता है।
  6. शांति और स्थिरता: यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता लाता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण का निर्माण करता है।
  8. धन और समृद्धि: यह मंत्र धन और समृद्धि की प्राप्ति में सहायता करता है।
  9. कार्य में सफलता: यह मंत्र कार्यों में सफलता प्राप्त करने में सहायता करता है।
  10. भय का नाश: यह मंत्र भय और अज्ञानता का नाश करता है।
  11. सद्बुद्धि प्राप्ति: यह मंत्र सद्बुद्धि और विवेक की प्राप्ति में सहायता करता है।
  12. संतान सुख: यह मंत्र संतान सुख और संतान की सुरक्षा प्रदान करता है।
  13. वैवाहिक सुख: यह मंत्र वैवाहिक जीवन में सुख और सामंजस्य लाता है।
  14. विवाह में बाधा दूर करना: यह मंत्र विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
  15. विद्या प्राप्ति: यह मंत्र विद्या और ज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है।
  16. धार्मिक विश्वास बढ़ाना: यह मंत्र धार्मिक विश्वास और आस्था को बढ़ाता है।
  17. मानसिक शक्ति: यह मंत्र मानसिक शक्ति और दृढ़ता को बढ़ाता है।
  18. संपूर्ण कल्याण: यह मंत्र संपूर्ण कल्याण और सफलता की प्राप्ति में सहायता करता है।
  19. सर्वकामना पूर्ति: यह मंत्र सभी इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति में सहायता करता है।
  20. आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।

कूर्म मंत्र जप का दिन, अवधि, मुहूर्त

  1. दिन: कूर्म मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार और रविवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  2. अवधि: मंत्र जप की अवधि 21 दिनों से लेकर 108 दिनों तक हो सकती है। यह अवधि आपकी श्रद्धा और समय के आधार पर तय की जा सकती है।
  3. मुहूर्त: कूर्म मंत्र का जप प्रातःकाल या संध्या समय में किया जा सकता है। ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

जप के नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: किसी शांत स्थान पर कुश के आसन पर बैठें।
  3. ध्यान: अपने मन को शांत करें और ध्यान केंद्रित करें।
  4. मंत्र जाप: रुद्राक्ष की माला का प्रयोग कर मंत्र का जप करें। प्रत्येक माला में 108 बार मंत्र का उच्चारण करें।
  5. समर्पण: मंत्र जप के बाद भगवान विष्णु को पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
  6. नियमितता: मंत्र जप नियमित रूप से करें। इसके लिए निश्चित समय और स्थान निर्धारित करें।

Get mantra diksha

कूर्म मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. व्रत: जप के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें और व्रत का पालन करें।
  2. शुद्ध विचार: मंत्र जप के दौरान शुद्ध विचार और सकारात्मक मानसिकता रखें।
  3. नियमों का पालन: मंत्र जप के सभी नियमों का पालन करें और किसी भी नियम का उल्लंघन न करें।
  4. आध्यात्मिक अनुशासन: जप के दौरान अनुशासन और संयम का पालन करें।
  5. अविचलित मन: जप के दौरान मन को विचलित न होने दें और पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें।

online store

कूर्म मंत्र पृश्न उत्तर

  • कूर्म मंत्र का जप कैसे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है?
  • मंत्र जप से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाती है।
  • कूर्म अवतार कौन हैं?
  • कूर्म अवतार भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से एक हैं, जिनमें उन्होंने कछुए का रूप धारण किया था।
  • कूर्म अवतार की कथा क्या है?
  • कूर्म अवतार की कथा समुद्र मंथन से संबंधित है, जिसमें भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण कर मंदराचल पर्वत को स्थिर किया था।
  • कूर्म मंत्र का मुख्य मंत्र क्या है?
  • कूर्म मंत्र का मुख्य मंत्र “ॐ दं कूर्म विष्णवे नमः” है।
  • कूर्म मंत्र का क्या अर्थ है?
  • इस मंत्र का अर्थ है भगवान विष्णु को प्रणाम और समर्पण करना, और उनसे संरक्षण की प्रार्थना करना।
  • कूर्म मंत्र का जप कब करना चाहिए?
  • कूर्म मंत्र का जप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार और रविवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  • कूर्म मंत्र का जप कैसे करें?
  • मंत्र जप के लिए शुद्धता, ध्यान, नियमों का पालन और अनुशासन आवश्यक है।
  • कूर्म मंत्र के लाभ क्या हैं?
  • कूर्म मंत्र के लाभों में संकटों से मुक्ति, बाधाओं का नाश, शत्रुओं से रक्षा, स्वास्थ्य में सुधार आदि शामिल हैं।
  • कूर्म मंत्र का जप कितनी अवधि तक करना चाहिए?
  • मंत्र जप की अवधि 21 दिनों से लेकर 108 दिनों तक हो सकती है।
  • कूर्म मंत्र का जप किस मुहूर्त में करना चाहिए?
  • कूर्म मंत्र का जप प्रातःकाल या संध्या समय में किया जा सकता है। ब्रह्ममुहूर्त सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
  • कूर्म मंत्र के जप के दौरान कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
  • जप के दौरान शुद्ध विचार, व्रत, अनुशासन, और मन की एकाग्रता बनाए रखनी चाहिए।

Katyayani Chalisa paath for relationship

Katyayani Chalisa paath for relationship


शादी-व्याह व मंगल कार्य मे सफलता दिलाने वाली कात्यायनी चालीसा, देवी कात्यायनी मां दुर्गा का छठा रूप हैं और इन्हें विशेष रूप से नवरात्रि के छठे दिन पूजा जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

कात्यायनी चालीसा

दोहा:

नमन करों जय कात्यायनी, ममतामयी भवानी। करुणा कृपा सदैव करें, सबकी हो सुखधानी॥

चौपाई:

जय कात्यायनी मां भवानी, शक्ति स्वरूपा जगत नियानी। महिषासुर मर्दिनी माता, करुणामयी हो भक्ति दाता॥

कात्यायनी मां शुचि सवारी, सिंह वाहिनी तेज तुम्हारी। त्रिशूलधारिणी महा माई, रक्तदंतिका तुही सुखदाई॥

दुर्गा का यह छठवां रूप, कात्यायनी मां की अनूप। ऋषि कात्यायन के घर आई, उनके घर में जन्मी पाई॥

महिषासुर के वध के कारण, कात्यायनी बन गई हरण। शत्रु संहारिणी मां भवानी, कात्यायनी जय जगत जनानी॥

त्रिपुरारी की हो प्यारी, कात्यायनी मां सुखकारी। कृष्ण जन्म जब हुआ धराधाम, गोपियों ने किया नाम॥

कात्यायनी व्रत को अपनाया, कृष्ण को पति रूप में पाया। ब्रह्मचारिणी स्वरूप दिखाया, कात्यायनी नाम तब पाया॥

जो भी माता ध्यान लगाए, कात्यायनी सब कष्ट मिटाए। भक्ति भाव से जो गुण गाए, सब संकटों से मुक्त हो जाए॥

दुर्गम कार्य सधावे माता, विघ्न बाधा मिटावे दाता। कात्यायनी की जो शरण में जाए, जीवन में सुख शांति पाए॥

संकट हरती कात्यायनी मां, श्रद्धा से जो करे प्रार्थना। शक्ति स्वरूपा मां सुखकारी, भक्तों की हर विपत्ति हारी॥

मां की महिमा बड़ सुखदाई, हर कष्टों को हरने वाली। कात्यायनी चालीसा जो गाए, सब कष्टों से मुक्ति पाए॥

जय कात्यायनी मां भवानी, ममतामयी करुणा निधान। सिंह वाहिनी मां सुखकारी, भक्तों पर कृपा तुम भारी॥

दोहा:

नमन करों जय कात्यायनी, ममतामयी भवानी। करुणा कृपा सदैव करें, सबकी हो सुखधानी॥

कात्यायनी चालीसा के लाभ

  1. संतान प्राप्ति: जो महिलाएं संतान सुख से वंचित हैं, उनके लिए कात्यायनी चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है।
  2. रोग निवारण: देवी कात्यायनी की कृपा से अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है।
  3. मनोकामना पूर्ति: जो भक्त सच्चे मन से देवी का ध्यान करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  4. विवाह में सफलता: जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो पा रहा है, उन्हें इस चालीसा का पाठ करने से शीघ्र ही योग्य वर की प्राप्ति होती है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: इस चालीसा के नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है और आत्मिक शांति मिलती है।
  6. धन की प्राप्ति: आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे भक्तों को देवी की कृपा से धन की प्राप्ति होती है।
  7. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  8. शत्रु नाश: इस चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  9. परिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  10. विद्या प्राप्ति: विद्यार्थी जो इस चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें विद्या में सफलता मिलती है।
  11. कर्मों का शुद्धिकरण: पिछले जन्मों के कर्म दोषों का निवारण होता है।
  12. धार्मिक स्थिरता: इस चालीसा का नियमित पाठ धार्मिक स्थिरता और श्रद्धा को बढ़ाता है।
  13. आध्यात्मिक जागरण: आंतरिक जागरण और आध्यात्मिक विकास होता है।
  14. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  15. आकर्षण शक्ति: व्यक्तित्व में आकर्षण और चार्म बढ़ता है।
  16. आत्मबल: आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  17. भयमुक्ति: भय, डर और आशंकाओं से मुक्ति मिलती है।
  18. सफलता: हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
  19. आनंद: जीवन में आनंद और उत्साह बना रहता है।
  20. धार्मिक अनुभव: देवी कात्यायनी की कृपा से अलौकिक और धार्मिक अनुभव प्राप्त होते हैं।

कात्यायनी चालीसा पाठ विधि

दिन और अवधि:

  • नवरात्रि के छठे दिन विशेष रूप से कात्यायनी चालीसा का पाठ किया जाता है।
  • किसी भी शुभ मुहूर्त में, विशेष रूप से शुक्रवार के दिन यह पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भी इस चालीसा का पाठ करना लाभकारी होता है।

मुहूर्त:

  • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) कात्यायनी चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय है।
  • संध्या समय (शाम 6 से 8 बजे के बीच) भी उपयुक्त माना जाता है।

Get mantra diksha

नियम और सावधानियां

  1. शुद्धता: पाठ से पहले शुद्ध जल से स्नान कर लेना चाहिए।
  2. स्थान: पाठ के लिए साफ और पवित्र स्थान का चयन करें।
  3. वस्त्र: साफ और सादे वस्त्र पहनें, विशेष रूप से सफेद या पीले वस्त्र।
  4. भोग: देवी को फूल, फल, मिठाई और नारियल का भोग अर्पित करें।
  5. आसन: कंबल या कुश का आसन प्रयोग करें।
  6. संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले मन में संकल्प लें और देवी का ध्यान करें।
  7. ध्यान: पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें और देवी की छवि का ध्यान करें।
  8. प्रसाद: पाठ के बाद प्रसाद को सभी में बांटें।
  9. संकल्प पूर्ति: पाठ के दौरान या बाद में अपनी मनोकामना देवी के समक्ष प्रकट करें।
  10. भक्ति: पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से पाठ करें।

online store

कात्यायनी चालीसा के FAQ

  1. कात्यायनी चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?
    • कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से संतान सुख, रोग निवारण, मनोकामना पूर्ति, और विवाह में सफलता जैसी अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
  2. कात्यायनी चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
    • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) और संध्या समय (शाम 6 से 8 बजे के बीच) पाठ के लिए उत्तम समय होते हैं।
  3. क्या कात्यायनी चालीसा का पाठ केवल नवरात्रि में किया जा सकता है?
    • नहीं, कात्यायनी चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, विशेष रूप से शुक्रवार के दिन यह अधिक शुभ माना जाता है।
  4. पाठ के लिए कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?
    • साफ और सादे वस्त्र, विशेष रूप से सफेद या पीले वस्त्र पहनने चाहिए।
  5. क्या कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं हल होती हैं?
    • हां, देवी कात्यायनी की कृपा से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और धन की प्राप्ति होती है।
  6. क्या पाठ के दौरान किसी विशेष स्थान का चयन करना चाहिए?
    • हां, साफ और पवित्र स्थान का चयन करें।
  7. क्या कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है?
    • हां, मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है और मन को शांति मिलती है।
  8. कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से क्या शत्रु नाश होता है?
    • हां, इस चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  9. क्या कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है?
    • हां, इस चालीसा के नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है और आत्मिक शांति मिलती है।
  10. क्या इस चालीसा का पाठ करने से संतान सुख प्राप्त होता है?
    • हां, संतान सुख से वंचित महिलाओं के लिए यह चालीसा अत्यंत फलदायी होती है।
  11. क्या इस चालीसा का पाठ करने से विद्या प्राप्ति होती है?
    • हां, विद्यार्थी जो इस चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें विद्या में सफलता मिलती है।